RE: Chodan Kahani चंचल चूत
मैं कार चलाना भी जानता हू और सेठ साहिब की कार भी मैं ही ड्राइव करता हू. और फिर जब घर मे कोई काम नही होता तो उनकी दुकान के अकाउंट्स भी लिखता हू. सेठ साहेब को उतनी अछी इंग्लीश नही आती इसी लिए उनके बिज़्नेस के लेटर्स भी मैं ही लिखा करता हू. फाइनल अकाउंट्स प्रिपेर करने के लिए मैं ही उनके चीफ अकाउंटेंट की हेल्प भी किया करता हू. इन शॉर्ट मैं मुल्टीपरपाज काम करता हू मेरे लिए कोई काम स्पेसिफाइड नही है जैसे के जॅक ऑफ ऑल ट्रेड्स.
यह तो था सेठ मोतीलाल और उनके घर वालो का परिचय. अब मैं कुछ ऐसी घटनाएँ जो इस घर मे घटी हैं सुनाने जा रहा हू:
गर्मी के दिन थे, दोपहर का टाइम था मुझे बड़ी प्यास हो रही थी. एक फ्रिड्ज जो हॉल मे रहता था मैं उस फ्रिड्ज के पास जा रहा था मेरी नज़र करीब के रूम मे गई तो देखा के चंचल खड़ी है और अपने ब्लाउस टाइप के टॉप के अंदर हाथ डाल के अपने चुचिओ को अपने हाथो से दबा रही है उसके चेहरे पे मस्ती छाई हुई है. उसे पता नही था के मैं देख रहा हू. मैं थोड़ी देर चुप चाप खड़ा देखता रहा के और क्या करती है देखुगा पर उसने और कुछ नही किया बॅस चुचिओ को ही दबाने मे बिज़ी थी. पहले तो सोचा के डिस्टर्ब नही करूगा बट देन पता नही उसे कुछ शक्क हुआ या क्या उसने मेरी तरफ देखा. पहले तो घबरा गई पर तुरंत अपने कपड़े ऐसे झटकने लगी जैसे शर्ट मे कुछ लगा हो. मैं मुस्कुरा के वाहा से हट गया.
एक और टाइम ऐसा हुआ के लंच खा के कोमल अपने बेडरूम मे सोने चली गई और चंचल लंच के बाद कोई मॅगज़ीन लेके डाइनिंग टेबल पे ही बैठी पढ़ती रही वो सिंगल चेर वाले पोर्षन मे बैठी थी और उसके लेफ्ट और राइट के चेर जिनके बैठने का पोर्षन टेबल के अंदर था उन दोनो चेर्स पे एक एक टांग फैला के बैठी थी जिसका मुझे पता नही था.
मैं रूम मे आया तो वो बिल्कुल सामने बैठी थी और टेबल के नीचे कुछ मॅगज़ीन्स गिरे पड़े थे. मैं उन्है बहेर निकालने के लिए टेबल के नीचे चला गया तो देख के दंग रह गया के उसकी दोनो टाँगें दोनो चेर्स पे फैला के रखी है और उसका स्कर्ट उसके जाँघ तक उठा हुआ था किस्मेत से उसने पॅंटी भी नही पहनी थी. मुझे उसकी चूत नज़र आने लगी .. अफ क्या प्यारी चूत थी उसकी मैं तो देखता का देखता रह गया.
मक्खन जैसी चिकनी चूत जिसपे अभी सही तरीके से झाँत भी आने नही शुरू हुए थे बॅस जैसे रुआ हो भूरे (लाइट ब्राउन) रंग का. चूत के लिप्स हल्के से एक दूसरे से अलग और बीच मे उसके चूत का दाना ( क्लाइटॉरिस ) अफ मॅन करा के बॅस उसकी चूत को किस कर लू और मूह मे ले के चूसू. मैं थोड़ी देर तक टेबल के नीचे ही रहा और ऐसे पोज़ करने लगा जैसे मॅगज़ीन कलेक्ट कर रहा हू. यह कहानी थे ग्रेट वॉरईयर की लिखी हुई है. वो तो मॅगज़ीन मे डूबी हुई थी उसे क्या पता के मैं उसकी चूत के दर्शन कर रहा हू और इतनी प्यारी चूत को निहार रहा हू. मैं थोड़ा सा और उसके करीब गया तो उसकी वर्जिन चूत की स्मेल बोहोत अछी लगी. चूत के थोड़ा और करीब
आके मैं ने उसकी चूत को सूँगा आअहह मस्त सुगंध थी उसकी कुँवारी चूत की के क्या बताउ.
चूत की सुगंध ले के मैं बहेर निकल आया. बहेर तो निकल आया पर अपने लौदे को संभालना मुश्किल हो रहा था. बोहुत ज़ोर से अकड़ गया था और पॅंट के अंदर बड़ी मुश्किल से समा रहा था. मैं तुरंत अपने रूम मे आया और अपने बेचैन लंड को पंत मे से निकाल के मास्टरबेट किया. उसकी क्रीम निकालने के बाद थोड़ा शांत हुआ तब बहेर आया. मेरा सारा बदन काम वासना की आग मे जल रहा था. फिर ख़याल आया के चंचल अभी बहुत छोटी है और यह अछी बात नही है तो अपने आप को कंट्रोल कर लिया….
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