RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार
रिसेशन की मार पार्ट--9
गतान्क से आगे..........
यहा से 1 घंटे के अंदर ही हमारी बस बेल्गौम पोहोच गयी और यहा पे भी बोहोत से पॅसेंजर्स उतर गये लैकिन यहा से कोई भी नया पॅसेंजर नही चढ़ा. बस मैं अब बोहोत ही कम लोग रह गये थे. मॅग्ज़िमम होंगे शाएद कोई 10 – 12 पॅसेंजर्स जो सामने वाली सीट्स पे बैठे थे और हम सब से पीछे से पहली वाली सीट पे बैठे थे. सब से लास्ट वाली सीट एक सिंगल लंबी सीट थी जहा पे लेटा भी जा सकता था पर इस टाइम तक तो हम वाहा नही लेटे थे. बेल्गौम मे बस ज़ियादा देर नही रुकी क्यॉंके ऑलरेडी बोहोत देर तक रुक चुकी थी और अगर ज़ियादा देर करते तो मुंबई पहुँचने मे और देरी हो जाती. आजकल इतने बोहोत सारे बस सर्विस निकले थे इसी लिए पॅसेंजर्स डिवाइड हो गये थे इसी लिए हमारी बस मे भी बॅस थोड़े से ही पॅसेंजर्स थे.
तकरीबन 3 बजे के करीब बस बेल्गौम से निकली और अब ड्राइवर भी बस को तेज़ी से चला रहा था. बस के सब ही पॅसेंजर्स सो चुके थे. बस मे एक दम से खामोशी छाई हुई थी. मैं और राज ही बॅस जाग रहे थे. किस्सिंग और स्क्वीज़िंग मे बिज़ी थे. राज ने अपना ट्रॅक पॅंट निकाल दिया था और मैने भी अपनी शलवार को निकाल दिया था. सामने समान रखने की जगह से शॉल को लटका दिया फिर ख़याल आया के सब पॅसेंजर्स सो रहे है तो फिर शॉल को अपने साइड मे रख लिया के कभी भी ऐसा टाइम आए तो शॉल को पैरो पे डाला जा सके. राज का लंड एक बार फिर से तंन के लोहे के खंबे की तरह से खड़ा हो गया था जिसे मैं अपनी मुट्ठी मे पकड़ के मूठ मार रही थी और राज मेरी चूत को मसाज कर रहा था. मेरी चूत तो बे इंतेहा गीली हो चुकी थी और राज के लंड के सुराख मे से भी प्री कम के मोटे मोटे ड्रॉप्स निकल रहे थे. मैं झुक के उसके लंड को अपने मूह मे ले के चूसने लगी. उसके प्री कम का टेस्ट भी बड़ा मस्त था. मैं ज़ुबान से उसके लंड के सूपद को चाट रही थी और कभी पूरा मूह के अंदर ले के चूस भी रही थी. अब मेरे से और बर्दाश्त नही हो रहा था मुझे एक बार फिर से यह लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए था इसी लिए मैं अपनी जगह से उठ गयी और राज के लंड पे बैठने की कोशिश करने लगी. राज भी अपनी सीट से थोड़ा सा आगे को आ गया था तो मैं ने अपने पैर उसकी बॅक पे रख लिए और उसके लंड पे धीरे धीरे बैठने लगी. मेरी चूत फुल्ली स्ट्रेच हो रही थी और बड़ी मुश्किल से मैं उसके लंड पे बैठ ही गयी. मुझे उसका लंड अपने पेट मे महसूस होने लगा. मैं राज को किस करने लगे. हमारी आँखो मे नींद बिल्कुल भी नही थी और ऐसे चुदाई के अड्वेंचर बार बार भी नही आते इसी लिए हम ऐसे मोके का भरपूर फ़ायदा उठना चाह रहे थे. मेरे शर्ट के अंदर हाथ डाल के राज मेरे बूब्स को मसल रहा था. और फिर उसने शर्ट को भी उतार दिया तो मैं ने भी उसके टी-शर्ट को ऊपेर खेच के निकाल दिया. ऐसे पब्लिक मैं नंगे होने का भी एक अनोखा अनुभव था. हम दोनो ऐसी बस मे जहा और लोग भी थे नंगे हो के एक दूसरे को नंगे देख के मुस्कुरा दिए. राज अब मेरे बूब्स को चूसने लगा और निपल्स को भी काटने लगा. ऐसी चुदाई का मज़ा आ रहा था. बस कभी कभी उछल पड़ती तो उसके लंड से चूत बाहर निकल जाता और फिर एक ठप्प की आवाज़ के साथ फिर से लंड पे गिर जाती तो मेरी मूह से हल्की सी मस्ती भरी चीख निकल जाती. राज के लंड के चूत मे घुसते ही मैं झड़ने लगी. मैं बस उसके लंड पे ऐसे ही बैठी रही. चुदाई नही हो रही थी बॅस कभी जब बस किसी गड्ढे मे से उछलती तो लंड अंदर बाहर हो जाता अदरवाइज़ मैं लंड की सवारी कर रही थी मुझे अपनी चूत मे इतना मोटा मूसल मज़ा दे रहा था. मेरी चूत तो हर थोड़ी देर मे अपना जूस छोड़ देती तो लंड मेरे जूस से गीला हो जाता.
ऐसे ही छोटे छोटे रोड साइड विलेजस गुज़र रहे थे थोड़ी देर के लिए बाहर से रोशनी आ जाती पर बस तेज़ी से चल रही थी तो किसी को भी बाहर से अंदर का कुछ भी दिखाई नही दे सकता था और इतनी रात मे कोई जाग भी नही रहा था बस हर तरफ सन्नाटा था. राज मेरे बूब्स चूस रहा था मैं उसके लंड को अपने चूत के अंदर डाले बैठी थी उसके गले मे बाहें डाले हुए थे. एक दम से बस बोहोत ज़ोर से उछली तो उसका लंड मेरी चूत से पूरा बाहर निकल गया और फिर मैं अपनी पूरे वेट के साथ उसके लंड पे जैसे गिर गयी तो लंड बोहोत ज़ोर से मेरी चूत मे घुस गया और मेरी चीख निकल गयी ऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईईई सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ और झटका इतना ज़बरदस्त था के मेरी चूत से जूस निकल गया और मुझे लगा जैसे उसका लंड मेरे मूह तक आ गया हो.
अभी मैं अपने आपको उसके लंड पे अड्जस्ट नही कर पाई थी के एक और झटका लगा और फिर से लंड आधे से ज़ियादा बाहर निकल गया और मैं फिर से उसके लंड पे पूरी ताक़त से गिरी तो मेरी बच्चे दानी हिल गयी. थोड़ी ही देर मे बस मेन रोड से नीचे उतर गयी और एक डाइवर्षन ले लिया यहा कुछ रोड का काम चल रहा था शाएद. बस कच्चे रास्ते से गुज़र रही थी और मैं उसके हर एक झटके के साथ ही लंड पे उछल रही थी. उसका लंड मेरी चूत के जूस से बोहोत ही गीला हो चुका था. ऐसे झटको से मेरी टाँगो मे दरद हो रहा था तो मैं पोज़िशन चेंज कर के उसकी गोदी मे बैठ गयी. अब मेरी पीठ उसके मूह के सामने थी और. राज के थाइस पे बैठी थी उसका लंड मेरी चूत मे घुसा हुआ था. मेरा दोनो पैर उसके थाइस के दोनो तरफ थे ऐसी पोज़िशन मे मेरी चूत भी खुली हुई थी. अब जो बस के झटके लग रहे थे बड़ा मज़ा दे रहे थे. लंड बार बार अंदर बाहर हो रहा था और मैं भी अपने पैर बस के फ्लोर पे रख के खुद भी कभी कभी उछल रही थी तो चुदाई के मज़ा बोहोत आ रहा था. राज मेरे बूब्स को दबा रहा था और मैं उसके लंड पे उछाल रही थी कुछ तो बस के झटको की वजह से कुछ खुद ही उछल के चुदवा रही थी. राज ने अपने लंड के बेस मे पकड़ा हुआ था. कच्ची रोड के एक रफ से गड्ढे से बस जो उछली तो उसका पूरा लंड एक बार फिर से मेरी चूत से बाहर निकल गया और जैसे ही मैं वापस उसके लंड पे बैठने लगी उसका गीला लंड चूत के सुराख का रास्ता भूल के गंद मे एक ही झटके मे पूरा जड़ तक घुस्स चुका था मैं चीखी ऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईई सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स म्म्म्ममममममममाआआआआआआआअ हहाआआआआआईईईईईई गंद के मसल्स रिलॅक्स थे और मैं इतनी ज़ोर से लंड पे बैठी थे के एक ही झटके मे पूरे का पूरा मूसल लंड गंद को फड़ता हुआ अंदर घुस चुका था. इस से पहले के मैं उसके लंड से उठ जाती, राज ने अपनी टाँगें मेरी टाँगो के ऊपेर रख के दबा लिया और अपने हाथ से मेरे शोल्डर को पकड़ लिया और ज़ोर
से अपनी ओर दबा लिया ता के मैं उठ नही पाऊ. उसका लंड मेरी गंद को फाड़ चुका था और मुझे बोहोत ही दरद हो रहा था, मैं छटपटा रही थी पर उसकी पवरफुल ग्रिप से निकलना इतना आसान भी नही थी. ऐसे मे बस फिर से उछलने लगी थी तो उसका लंड भी मेरी फटी गंद के अंदर बाहर हो रहा था और फिर थोड़ी ही देर मइए उसका लंड मुझे अछा लगने लगा और मैं उस से मज़े से गंद मरवाने लगी. अब मैं उसकी ग्रिप से निकलने की कोशिश भी नही कर रही थी. राज का एक हाथ मेरी चूत की मसाज कर रहा था और दूसरा हाथ मेरे बूब्स को मसल रहा था और वो खुद मेरी बॅक पे किस कर रहा था. उसके मोटे लोहे जैसे सख़्त लंड पे मेरी गंद बोहोत ही टाइट लग रही थी. राज का लंड ऐसी मीठी मीठी ग्रिप को सिहार नही सका और मेरी गंद के अंदर ही अपने गरम गरम मलाई की पिचकारिया मारने लगा. उसकी मलाई गंद मे फील करते ही मैं भी झड़ने लगी. आज एक ही रात मे राज ने मेरी चूत और गंद दोनो ही मार मार के फाड़ डाली थी. राज बोहोत ही खुश था के उसका पूरे का पूरा लंड मैं अपनी चूत मे भी ले चुकी थी और अपनी गंद मे भी. मुझे भी खुशी इस बात की थी के जो खुशी राज की वाइफ ने उसको नही दी वो मैं ने दी है.
थोड़ी देर के बाद हम ऐसे ही नंगे लास्ट वाली सीट पे चले गये और राज सीट पे लेट गया और मैं उसके ऊपेर 69 की पोज़िशन मे लेट गई और उसका मूसल लंड चूसने लगी जहा पे मुझे हम दोनो की मिक्स मलाई का टेस्ट आने लगा जो बोहोत ही स्वादिष्ट था. वो मेरी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल के चाटने लगा. जब कभी बस थोड़ा भी उछाल भरती तो मेरा बदन भी थोड़ा सा ऊपेर उठ जाता और वापस जब गिरता तो राज के दाँत मेरी चूत के अंदर लगते तो मुझे बोहोत ही मज़ा आता. वो बड़े मस्त स्टाइल मे मेरी चूत को चूस रहा था जिकी वजह से मैं फॉरन ही झाड़ गयी पर राज के लंड से मलाई निकलने का नाम ही नही ले रही थी. वो ऑलरेडी 2 टाइम झाड़ चुका था और अपने लंड पे मेरे मूह का आनंद महसूस कर रहा था कभी कभी अपनी गंद उठा के मेरे मूह मे अपना पूरा लंड घुसेड़ने की कोशिश करता पर मैं उसके लंड को पूरा नही ले पा रही थी. थोड़ी ही देर के बाद हमने पोज़िशन चेंज कर दी और अब मैं नीचे लेटी थी और राज मेरे ऊपेर आ गया था और मेरे मूह को अपने लंड से चोद रहा था. मेरा मूह उसके मोटे लंड से भर गया था. अब पोज़िशन चेंज हो चुकी थी और जब बस रोड पे थोड़ा भी उछाल भरती तो उसका लंड मेरे मूह के अंदर तक घुस जाता जिसे मैं फॉरन ही बाहर निकाल देती. राज के लंड के डंडे पे मेरे दाँत लग रहे थे जिस से उसको बोहोत ही मज़ा आ रहा था. एक दो टाइम तो बस के उछलने से उसके लंड का सूपड़ा मेरे हलक तक चला गया था और मेरे मूह से उउउउउउउउउउउग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसी आवाज़ निकल गयी. राज का लंड अब फुल मस्ती मे आ गया था और राज एक
दम से पलट गया और एक ही झटके मे उसने मेरी गीली चूत मे अपना गीला लंड घुसेड डाला तो मुझे महसूस हुआ जैसे कोई मिज़ाइल मेरी चूत मे घुस्स गया हो और मेरे मूह से फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ की आवाज़ निकल गयी और उसका मूसल जैसा मोटा और लोहे जैसा सख़्त लंड मेरी चूत के गहराइयों मे घुस्स गया और वो मुझे धना धन चोदने लगा. सीट पे उतनी कंफर्टबल तो नही थी पर क्या करू उसका लंड मेरी चूत मे बोहोत ही मज़ा दे रहा था और मैं मस्ती मे चुदवा रही थी इस टाइम पे मुझे यह भी याद नही रहा था के मैं मुंबई क्यों जा रही हू और यह के मैं एक शादी शुदा महिला हू. मुझे तो बॅस चुदना था और मैं ज़िंदगी मे कभी इतनी चुदासी नही हुई जितनी आज हो रही थी. बस की उछाल के साथ उसका लंड मेरी बचे दानी को ज़ोर से मारता तो मेरा जूस निकल जाता. वो अब मुझे पागलो की तरह से चोद रहा था और मैं मस्ती मे चुदवा रही थी. तकरीबन आधे घंटे की चुदाई के दोरान मे ऑलमोस्ट 10 – 15 टाइम झाड़ चुकी थी तब कही जा के राज ने एक ज़बरदस्त शॉट मारा तो मेरा पूरा बदन हिल गया और उसका लंड मेरी बचे दानी के सुराख मे घुस्स गया और उसके लंड से गाढ़ी गाढ़ी गरम गरम मलाई की धार निकल ने लगी. 8 – 10 धारियाँ निकलने के बाद उसका लंड शांत हुआ पर ढीला नही हुआ. मुझे असचर्या हो रहा था के राज का लंड आख़िर कोन्से मेटीरियल का बना हुआ है जो नरम होने का नाम ही नही ले रहा है और इतनी देर से चुदाई करने के बावजूद अभी तक नरम नही हुआ. मुझे लगा के शाएद ऐसे लंड की कल्पना हर लड़की करती होगी आंड आइ वाज़ नो डिफरेंट दट अदर गर्ल्स. मैं भी चाह रही थी के यह लंड मुझे कंटिन्यू मिलता रहे
हम कुछ देर वैसे ही लेटे रहे. राज का लंड मेरी चूत के अंदर ही फूल पिचाक रहा था. थोड़ी ही देर मैं बस की स्पीड कुछ कम होने लगी तो ख़याल आया के शाएद बस रुकने वाली होगी इसी लिए हम अपनी सीट पे वापस आ गये और अपने कपड़े पहेन लिए. सच मे बस 5 मिनिट के अंदर ही किसी रोड साइड ढाबे पे रुक गयी और ड्राइवर पिशाब करने के लिए नीचे उतर गया. सब ही पॅसेंजर बोहोत गहरी नींद सो रहे थे शाएद किसी को पता भी नही चला था के बस रुकी है. टाइम देखा तो सुबह के ऑलमोस्ट 5 बज रहे थे और बाहर अब थोड़ा थोड़ा उजाला लगने लगा था. बस वाहा से 5 मिनिट के अंदर ही वापस निकल गयी.
मेरी आँख खुली तो तकरीबन सुबह के 8 बज रहे थे और बस खानदला घाट से गुज़र रही थी. रास्ता किसी साँप की तरह से बल खा रहा था, दोनो रोड के दोनो तरफ झाड़िया और दूर दूर तक ग्रीनरी फैली हुई थी बाहर का सीन बोहोत ही खूबसोरात लग रहा था. घाट पे चढ़ते हुए बस काफ़ी स्लो चल रही थी. पहले तो मई इतने फर्स्ट क्लास सीन मई खोई रही फिर मुझे
अचानक ख़याल आया के बस अब मुंबई के करीब आ गयी है और फिर याद आ गया के मैं अकेले मुंबई को क्यों जा रही हू और बॅस यह सोचते ही मेरे बदन से पसीने छ्छूटने लगे दिल बड़ी ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. देखा तो राज भी अब जागने लगा था. राज को देख के मेरे मंन को थोड़ी शांति मिली के चलो राज तो है वो कुछ ना कुछ मेरा साथ तो दे ही देगा यह सोच के थोड़ा इत्मेनान आ गया. बस खंडाला घाट से ऊपेर चढ़ने के बाद फिर से स्पीड से चलने लगी और फिर वाहा किसी जगह रुक गयी तो ड्राइवर ने बोला के आप लोग यहा ब्रेकफास्ट ले लो. बस के सारे ही पॅसेंजर्स जाग चुके थे और सब ही नीचे उतर गये. बोहतो थोड़े से ही तो पॅसेंजर थे ऐसा लगता थे के बस ऑलमोस्ट खाली ही जा रही है क्यॉंके आजकल कॉंपिटेशन बढ़ गया था और बोहोत सारी बस सर्वीसज़ स्टार्ट हो चुकी थी.
क्रमशः......................
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