Antarvasna kahani रिसेशन की मार
07-10-2018, 12:37 PM,
#6
RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार
रिसेशन की मार पार्ट--6

गतान्क से आगे..........

राज का मूह मेरे सीने मे था और उसकी नाक से निकलती गरम साँस जो मेरे बूब्स पे लग रही थी तो मैं भी गरम होने लगी और मेरा दूसरा हाथ मेरी जाँघो मे आ गया और मैने अपनी चूत का एक बार फिर से मसाज शुरू कर दिया था. मुझे खुद नही मालूम के मैं इतनी चुदासी क्यों हो रही थी पर सच तो यही है के मैं कुछ ज़ियादा ही चुदासी हो गई थी. राज के मूह को अपने बूब्स पे महसूस कर के मैं चूत का मसाज करने लगी और थोड़ी ही देर मे मेरा हाथ बोहोत ज़ोर ज़ोर से चलने लगा और मेरा ऑर्गॅज़म आना शुरू हो गया और

मैं झाड़ गयी. मेरी चूत से जूस तो निकल गया पर अभी मेरी चुदाई की भूक नही मिटी थी मुझे अपनी चूत के अंदर किसी लंबे मोटे लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी. मैं चाहती थी के आज राज मुझे इतनी ज़ोर ज़ोर से अपने लंबे मोटे क़ुतुब मीनार जैसे लंड से ऐसा चोदे के मेरी चूत फॅट जाए. यह सोचते सोचते मेरा जोश और बढ़ने लगा पर मैं राज से चोदने को कैसे कह सकती थी बॅस ऐसे ही अपनी चूत की प्यास अपनी उंगली से मिटा ने के बाद कुछ इतमीनान हुआ.

इतनी देर मे राज का मूह मेरे निपल्स से टकराने लगा. मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो रहा था और मेरी चूत एक दम से चुदासी हो गयी थी. एक तो पहले ही मैं बोहोत दीनो से चुदी नही थी और दूसरे मैं राज का खड़ा लंबा मोटा तगड़ा लंड इतनी करीब से देख चुकी थी और फिर अब उसका मूह मेरे बूब्स पे लगा हुआ था. मेरी चूत तो समंदर जैसी गीली हो रही थी और मैं चाह रही थी के बॅस अब राज मुझे चोद ही डाले मुझे मेरे दिमाग़ मे बॅस राज का खड़ा लंड और अपनी गीली चूत ही दिखाई दे रही थी. एक दो बार मुझे ऐसा भी महसूस हुआ के राज ने मेरे निपल्स को मूह मे ले लिया हो पर शाएद नही लिया था क्यॉंके वो या तो सच मे गहरी नींद सो चुका था या बड़ा अछा आक्टर था जो ऐसे सोने का नाटक कर रहा था. बस को कभी कभी हल्का सा धक्का लगता तो उसके दाँत मेरे निपल्स से लगने लगते तो मेरे बदन मे एलेक्ट्रिसिटी दौड़ जाती. मेरे निपल्स तो पहले से बोहोत ही सेन्सिटिव है और इस वक़्त निपल्स पूरी तरह से एरेक्ट हो चुके थे और मैने राज को अपने सीने से चिपका लिया था और शाएद ऐसे ही मुझे नींद भी आ गई. अभी हमको हुबली सिटी से बाहर निकल के शाएद आधा या पौना घंटा ही हुआ था के बस किसी बोहोत

ही छोटी सी जगह पे एक झटका खा के रुक गई. पहले तो किसी की समझ मे नही आया के बस क्यों रुकी है थोड़ी देर तक तो लोग ऐसे ही सोए रहे फिर जब ड्राइवर की और क्लीनर की आवाज़ें आने लगी तो तकरीबन सभी उठ गये. आँखें मलते हुए बाहर देखा तो यह किसी ऐसी गाओ का आखरी भाग लग रहा था. दूर से आती रोशनी बता रही थी के यह जो भी गाओ है वो शाएद 1 या 2 किलोमेटेर दूर है. ड्राइवर से पूछा तो उसने बोला के बस का फॅन बेल्ट टूट गया है और इसको ठीक करने मे थोड़ा टाइम लगेगा.

तकरीबन सभी लोग बस से नीचे उतर के आ गये. यहा एक पत्थर का बना हुआ ऊँचा सा स्क्वेर प्लॅटफॉर्म जैसा बना हुआ था जिसके बीचो बीच एक होटेल था. और होटेल के बाहर इतनी बड़ी जगह थी जहा पे चेर्स पड़ी हुई थी, इतनी जगह पे अछी ख़ासी लाइट की रोशनी हो रही थी. लगता था के एक गाओ से बाहर कोई ढाबा टाइप की कोई चीज़ है जहा लोग आउटिंग के लिए आया करते है. ढाबे के आस पास कुछ नही था. बस को वो ढाबे के साइड मे रोक दिया गया था. टाइम देखा तो पता चला के रात के ऑलमोस्ट 1 बजा है. हर तरफ एक अजीब सा सन्नाटा था इधर उधर से कभी कोई फ्रॉग की या इन्सेक्ट्स की त्तररर त्त्तररर और ककककककरररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़े आने लगी जैसे जंगल मे आती है या किसी कुत्ते की भोंकने आवाज़ आती है. दूर दूर तक कोई घर नही था. रोड के साइड मे नीम के और पीपल के बड़े बड़े झाड़ थे और कुछ ऐसे इनकंप्लीट स्ट्रक्चर थे जैसे पता चलता था के यहा भी कोई ढाबा या कोई झोपड़ी ( हूट ) टाइप का कुछ कन्स्ट्रक्षन चल रहा है. यहा पर ब्रिक्स, रेती और लकड़ी के टूटे फूटे टेबल्स जैसे कुछ चीज़े पड़ी थी जो के लेबवर्ज़ के खड़े होने या काम करने के लिए काम आती है. कुछ टूटे हुए झाड़ भी पड़े थे जिनको शाएद पर्पस्ली काटा गया था या तेज़ हवा के चलते गिरे होंगे पता नही. अछा ख़ासा अंधेरा था. जैसे ही बस रुकी और लोग ऊपेर आए वो ढाबे वाला उठ गया. बस को देख के खुश हो गया के चलो अछा बिज़्नेस हो जाएगा. ड्राइवर ने बोला के वो हुबली वापस जा रहा है और वाहा से फन बेल्ट ले के आएगा और इस मे शाएद 1 या डेढ़ घंटा लग जाए तब तक आपलोग चाइ पिओ और बस मे जा के रेस्ट लेलो. ड्राइवर हुबली जाने वाले रास्ते मे खड़ा हो गया और एक लॉरी वाले ने उसको बिठा लिया और वो चला गया.

यहा का मौसम बोहोत अछा था. हल्की सी ठंडी हवा थी पॅसेंजर्स चाइ पीना चाह रहे थे इसी लिए ढाबे वाले ने पॅसेंजर्स के लिए चाइ बनाना शुरू किया. मैं और राज भी नीचे उतर गये. उतरने से पहले ही मैं अपने प्रेस बटन्स को वापस लगा चुकी थी और अब ऐसे पोज़ कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नही लैकिन अंदर से चूत मे आग लगी हुई और इस टाइम पे मुझे यह चाय वाए कुछ नही मुझे बस राज का मस्त लंड चाहिए था. राज ने मेरे से

पूछा के चाइ पीओगी तो मैं अपने ख़यालो से वापस आ गयी और अपने आप को संभाल के और सिचुयेशन को समझते हुए बोली के चलो एक कप चाय पी लेते है और हम भी वाहा सब से अलग थलग बैठ के चाइ पीने लगे. चाय पीने के बाद कुछ पॅसेंजर्स तो बस के अंदर जा के सो गये और इक्का दुक्का पॅसेंजर्स ही वाहा पर बैठ के बातें करने लगे.

मुझे यरिनल्स को जाना था और यहा ढाबे मे कोई यरिनल्स तो था नही लोग ऐसे ही सड़क के किनारे या सड़क से कुछ दूर जा के ही पिशाब करते थे पर सड़क के थोड़ी दूर तक तो ढाबे की रोशनी जा रही थी लैकिन वाहा जहा ठीक नही था क्यॉंके लोग देख सकते थे तो मैं ने राज से बोला के मुझे उरिनल्स को जाना है तो उसने बोला के हा मुझे भी जाना है चलो वाहा चलते है उसने एक तरफ इशारा कर के बताया जहा कुछ बड़े झाड़ थे और जहा कन्स्ट्रक्षन जैसा कुछ चल रहा था तो मैं ने बोला के चलो और हम दोनो रोड क्रॉस कर के दूसरी तरह कुछ दूर ही चले गये यहा झाड़ो का आसरा था और कच्चे दुकान जैसे कन्स्ट्रक्षन की वजह से हमै अब कोई नही देख सकता था लैकिन यहा अंधेरा था तो मैं डर रही थी तो राज ने बोला के डरो नही मैं यही करीब खड़ा हू इतने मे शाएद कोई लॉरी जो इस रोड से पास होने वाली थी उसकी थोड़ी सी रोशनी पड़ी तो थोड़ी देर के लिए यहा का पोर्षन चार पाँच सेकेंड्स के लिए रोशन हुआ फिर वैसे ही अंधेरा. मैं ने राज से बोला के प्लीज़ दूर नही जाना तो वो बोला के तुम फिकर ना करो स्नेहा मैं यही हू और वो मेरे कुछ और करीब आ गया और मैं अपनी सलवार को घुटनो से नीचे कर के ज़मीन पे बैठ गई और पिशाब करने लगी. मेरी चूत से गरम गरम पिशब की मोटी धार निकल ने लगी. पिशाब करते टाइम मेरी चूत से जो सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईई जैसी सीटी की आवाज़ आ रही थी तो राज भी शरारत से मेरी चूत की सीटी के सुर मे अपना मूह गोल कर के खुद भी सुर से सुर मिलाने लगा तो मुझे हँसी आ गई पर कुछ बोली नही. आक्च्युयली मुझे पिशाब करने के बाद अपनी चूत को पानी से धोने की आदत थी, मेरी कॉलेज की एक मुस्लिम फ्रेंड ने बताया था के चूत को पानी से धोने से चूत की खराब स्मेल नही आती इसी लिए मैं हमेशा ही अपनी चूत को पानी से धोती थी और सच मे ही मेरी चूत से कभी भी बाद स्मेल नही आती थी लैकिन अब इस टाइम पे यहा पानी तो था नही इसी लिए मैं ने अपना पर्स खोल के उस्मै से फेशियल टिश्यू निकाला और अपनी चूत से पिशाब के ड्रॉप्स को अछी तरह से पोंछ लिया और मैं उठ के खड़ी हो गई अपनी शलवार के एलास्टिक को ऊवपेर खेच लिया और ऑटोमॅटिकली मेरा हाथ मेरी चूत पे आ गया और शलवार के कपड़े को चूत से बाहर निकाल के अड्जस्ट किया जो शलवार ऊपेर खेचने की वजह से चूत के अंदर चला गया था.

वाहा पे लेबवर्ज़ ने एइटों ( ब्रिक्स ) का एक छोटा सा ज़मीन से ऑलमोस्ट 2 या 3 फुट ऊँचा प्लॅटफॉर्म बनाया हुआ था या शाएद ब्रिक्स को ऐसी पोज़िशन मे

जमा के रखा था और उसके ऊपेर एक लकड़ी का तख्ता ( वुडन प्लांक या वुडन बोर्ड ) डाल रखे था जहा शाएद वो बैठ कर खाना खाते थे या अपने रेस्ट टाइम पे कुछ देर के लिए लेट के रेस्ट लिया करते थे.

यह जगह ऐसी थी जहा से हम अपनी बस को आसानी से देख सकते थे क्यॉंके वाहा पर होटेल की रोशनी थी और होटेल का थोड़ा सा ही पोर्षन दिखाई दे रहा था पर हमै कोई भी नही देख सकता था क्यॉंके हम सड़क से कुछ दूर अंधेरे मे थे. एक तो कन्स्ट्रक्षन साइट थी जहा ऑलमोस्ट अंधेरा ही था और फिर वाहा पे कुछ पेड़ भी ऐसे थे जिस्मै हम प्राइवसी से बैठे हुए थे इसी लिए हमै कोई भी नही देख सकता था. पिशाब करने के बाद मे उस प्लॅटफॉर्म पे अपने पैर ज़मीन पे रख के बैठ गई और अपनी कमर को सीधा करने के लिए अपने पैर को ज़मीन पे आधा स्लॅनटिंग पोज़िशन मे कर के लटका के लेट गई. यह प्लॅटफॉर्म बोहोत ऊँचा नही था इसी लिए मेरे पैर ज़मीन से टच कर रहे थे. राज मेरे करीब ही बैठ गया तो मैं ने बोला के तुम भी लेट जाओ थोड़ी देर के लिए तो उसको भी यही ठीक लगा और वो भी अपनी कमर सीधी करने के लिए मेरे करीब ही लेट गया और रिलॅक्स होने के लिए अपने बदन को स्ट्रेच किया और हम बातें करने लगे. राज को अपने इतने करीब लेटा देख के एक बार फिर से मेरी चूत मे चीटियाँ रेंगने लगी और चूत गीली होना शुरू हो गई और एक बार फिर से मुझे अपनी चूत को एक मोटे लंड से चुदवाने की खावहिश बढ़ने लगे और चूत मे जैसे आग लगने लगी. बॅस इतनी सोचते ही मैं ने अपना हाथ ऑटोमॅटिकली अपनी चूत पे रख लिया. पता नही राज ने मेरा हाथ देखा या नही पर मैं मस्ती मे धीरे धीरे अपनी चूत को सहलाने लगी. थोड़ी ही देर मे राज खड़ा हो गया तो मैं भी ऑटोमॅटिकली अपनी जगह से उठ के बैठ गई और पूछा के क्या हुआ तो उसने बोले के मुझे भी पिशाब करना है तो मैं ने बोला के राज प्लीज़ दूर नही जाना, अंधेरे मे मुझे डर लगता है तो उसने बोला के तुम बोलो तो यही करलू तुम्हारे सामने ही तो मैं ने भी हस्ते हुए कहा के हा कर्लो वैसे भी यहा अंधेरा ही तो है. राज बस एक या दो स्टेप्स साइड मे हो के खड़ा हो गया और अपनी ट्रॅक पॅंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया और अपनी शर्ट को अपने दोनो हाथो से पकड़ के थोड़ा ऊपेर उठा दिया के कही पिशाब से खराब ना हो जाए. राज का लंड एक दम से तना हुआ था फुल्ली एरेक्ट पोज़िशन मे था. राज ने बिना लंड को हाथ लगाए ही पिशाब की एक लंबी मोटी धार मारनी शुरू करदी जो ऊपेर को उठी और सेमी सर्कल पोज़िशन मे वापस दूर गिरने लगी. उसका लंबा मोटा लंड और उसके लंड से निकलती मोटी पिशाब की धार देख के मुझे लगा के यह कोई आग बुझाने वाला होज़ पाइप है और जैसे किसी बिल्डिंग मे लगी आग बुझाने के लिए पाइप से मोटी धार मार रहा हैं. इतने मे ही शाएद कोई लॉरी रोड से गुज़र रही थी तो उसकी रोशनी मे मुझे उसका घोड़े जैसा इतना बड़ा मोटा मूसल लंड दिखाई दिया तो

मैं पागल हो गई मेरा मंन करने लगा के अभी उठ के उसके लंड को पकड़ के चूसना शुरू कर्दु इतना प्यारा लंड था उसका. राज के लंड मे इतना पवरफुल एरेक्षन था के वो उसके नवल से लगा हुआ था और पिशाब उसके मूह के सामने से उड़ के नीचे गिर रहा था. उसके पिशाब ख़तम करने तक शाएद 3 लॉरीस सड़क से गुज़री और तीनो लॉरीस की रोशनी मे मुझे राज का लंड बोहोत अछी तरह से दिखाई दिया. राज के लंड से मेरी नज़र एक सेकेंड के लिए भी नही हट रही थी, ऐसा लगता था के उसका लंड कोई लंड नही मॅगनेट हो जहा मेरी नज़र एक दम से अटक गई हो और मैं कंटिन्यू उसके लंड को ही देख रही थी. राज के पिशाब की धार कुछ स्लो हुई तो मैं समझ गई के अब उसका पिशब ख़तम होने वाला है और देखते ही देखते राज ने अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ लिया और कुछ झटके मार के पिशाब की बूँदो को अपने लंड से निकाल ने लगा और अगर ऐसा नही करता तो शाएद पिशाब की बूँदें उसके लंड के सुराख से निकल के लंड के डंडे से होती हुई उसके ट्रॅक पॅंट से लग जाती थी इसी लिए उसने लास्ट मे अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ के झटके मारते हुए बूँदें निकाल दी. मेरा दिमाग़ तो एक डांसे खराब हो ही चुका था. चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और चूत के अंदर जैसे खुजली बढ़ती ही जा रही थी. इस से पहले के राज अपने लंड को वापस अपने ट्रॅक पॅंटमे रख लेता मैं तेज़ी से अपनी जगह उठी और उसके सामने खड़ी हो गई और राज के बदन से लिपट गयी और अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ के दबा दिया. मैं ने राज को किस करने की कोशिश की तो वो खुद ही झुक गया और मेरे बदन को अपने बदन से लिपटा लिया और किस करने लगा. मेरी चूत को तो बॅस यह लंबा मोटा लंड चाहिए था. मैं उसके लंड को पकड़ के आगे पीछे करने लगी. राज ने अपने हाथ मेरी चूतदो पे रख लए और अपने लंड की ओर मुझे खेच लिया तो मैं अपनी चूत को उसके लंड से रगड़ने लगी. हम कोई बात नही कर रहे थे ऐसा लगता था जैसे यह हमारे बीच मे कोई साइलेंट अग्रीमेंट है. वो मेरे चूतदो को मसल रहा था. मेरी सलवार के थिन मेटीरियल की वजह से मुझे उसके नंगे लंड की गर्मी और ताक़त अपनी चूत मे महसूस होने लगी.

राज ने अपने हाथ मेरी शलवार के एलास्टिक मे से अंदर से डाल के मेरे चूतड़ मसल्ते मसल्ते मेरी शलवार के एलास्टिक को नीचे खेच दिया तो मैं ने भी उसके ट्रॅक पॅंट को पीछे से नीचे खींच के उतार दिया. अब हम दोनो नीचे से ऑलमोस्ट नंगे ही थे मेरी सलवार तो मेरे पैरो मे गिर पड़ी थी पर उसका ट्रॅक पॅंट उसके घुटनो तक ही उतरा था तो मैं ने उसके पॅंट मे अपना पैर डाल के उसको नीचे दबा दिया जिस से उसका पॅंट भी निकल चुका था. मैं ने उसके घोड़े जैसे लंड को अपने हाथो मे पकड़ लिया और अपनी चूत की पंखुड़ियो के बीच मे ऊपेर नीचे कर के रगड़ने लगी और मेरी आँखें वासना की भूक और मस्ती मई बंद हो गई थी और मेरी चूत बे इंतेहा गीली हो चुकी थी. उसका लंड कुछ इतना मोटा और बड़ा था के मेरी मुट्ठी मे भी नही आ रहा था. एक सेकेंड के लिए मेरे तो होश ही उड़ गये के इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत मे घुसेगा तो मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा और चूत फॅट जाएगी मैं तो मर ही जाउन्गी पर इस टाइम मेरे डर पे ऐसे मस्त लंड से चुदवाने की वासना भारी पड़ने लगी और अब मुझे दुनिया मे कुछ दिखाई नही दे रहा था, मुझे तो बॅस यह लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए था और मैं इस लंड से चुदवाने के लिए कुछ भी कर सकती थी. उसके लंड का हेड भी बोहोत ही मोटा हेल्मेट जैसा था जिसमे से अब प्री कम निकलना शुरू हो चुका था जिस से मेरी चूत बोहोत ही स्लिपरी हो गई थी और मेरी चूत के अंदर घिसने की वजह से मेरी चूत मे से जूस कंटिन्यू बहने लगा और मे गीली होती चली गयी और थोड़ी ही देर मे मैं राज से लिपट गयी और उसके लंड को अपनी चूत मे रगड़ते ही रगड़ते बिना चुदवाये ही झाड़ भी गई.

क्रमशः......................
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RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार - by sexstories - 07-10-2018, 12:37 PM

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