RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार
रिसेशन की मार पार्ट--5
गतान्क से आगे..........
रवि अपने मूह से लगे मेरी चूत के जूस को मेरी सलवार से पोछता हुआ मेरी टाँगो के बीच से उठा और अपनी सीट पे बैठ गया. उसके लंड का भी बोहोत बुरा हाल था वो लोहे जैसा सख़्त हो गया था और किसी एलेक्ट्रिक पोल की तरह से खड़ा था. यह पहला मौका था के मैने रवि के नंगे लंड को अपने हाथ मे पकड़ा, उसका मास्टरबेट किया और इतने करीब से देखा. मैने अपनी सलवार को ऊपेर पुल किया तो महसूस हुआ के मेरी सलवार इतनी गीली हो गई थी के लगता था कि सलवार के अंदर मेरा पिसाब निकल गया हो. थोड़ी देर मे ही मैं अपने सेन्सस मे वापस आ गयी और अब मैं ने सोचा के रवि ने जब मुझे ऐसा मज़ा दिया है जो मुझे आज तक नही मिला तो मेरा भी तो कुछ कर्तव्य है के मैं भी उसको रेसिप्रकेट करू. यह ख़याल आते ही मैं भी अपनी सीट से उठी और ठीक उसी तरह से रवि के पैरो के बीच बैठ गई जैसे वो बैठा था और फिर एग्ज़ॅक्ट्ली वैसे ही उसका पॅंट भी नीचे खेच लिया जैसे उसने मेरी सलवार को नीचे खेचा था. और वो भी ऑटोमॅटिकली वैसे ही अपनी सीट पे आगे को मूव कर गया था जैसे मैं हुई थी और उसकी गंद चेर के कॉर्नर पे थी और उसका लंड मेरे मूह के सामने था जिसे पहले तो मैं ने अपने हाथ मे लिया और उसका मसाज किया और प्यार से उसके लंड के डंडे को किस किया और फिर जीभ नीचे से ऊपेर तक ले गयी और लंड के सूपदे को किस किया. रवि इतना गरम हो चुका था के और बर्दाश्त नही कर सका और मेरा सर पकड़ के अपने लंड को मेरे मूह मे घुसा दिया. उसके मोटे लंड से मेरा मूह भर गया. मैं सीट के बीच मे अपने घुटने मोड़ के बैठी थी इसी लिए मुझे उसका लंड चूसने मैं थोड़ी दिक्कत हो रही थी तो मैं ने पोज़िशन चेंज किया और घुटनो के बल बैठ गई. यह पोज़िशन ठीक थी और मैं उसका मोटा लंड चूस रही थी और वो अपनी गंद उठा उठा के मेरे मूह को चोद रहा था. कभी कभी तो जोश मई इतनी ज़ोर से अंदर घुसेड़ता के उसका लंड मेरे हलाक मई घुस रहा था. मई किसी आइस क्रीम की तरहसे उसका लंड चूस रही थी और हाथ से उसके लंड का मूठ भी मार रही थी. रवि भी इतना गरम हो गया था के अपने आप को रोक रही पाया और उसका लंड मेरे मूह मेी फूलने लगा और उसने अपने लंड को
मेरे मूह के पूरा अंदर तक घुसा दिया जिस से उसका लंड मेरे हलक मे घुस गया और उसने मेरे सर को दबा के पकड़ लिया और उसकी गंद भी सीट से उठ गई थी और फिर उसके लंड से गरम गरम मलाई की पिचकारियाँ निकलने लगी. मैं ने अपना सर उठा के उसके लंड को बाहर निकालने की कोशिश की तो उसने मेरे सर को अपने लंड मे दबा के रखा और मेरे हलक मे उसकी मलाई के फव्वारे उड़ने लगे और डाइरेक्ट मेरे पेट मे चले गये और मेरे पेट को भरने लगी.
उसका लंड मेरे हलक मे घुसा था तो मुझे थोड़ी सी कॉफिंग सेन्सेशन जैसा महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गई और मैं सोचने लगी के मैं कहा हू फिर जैसे ही मैं अपने सेन्सस मैं वापस आने लगी मुझे याद आने लगा के मे किसी थियेटर मे नही मैं तो बस मे हू और मुंबई जा रही हू और मेरे साथ रवि नही राज है और मैं तो राज के शोल्दर पे सर रख के सोई थी फिर देखा तो पता चला के मैं तो उसके शहोल्डर से लुढ़क कर उसकी गोदी मे लेटी हू और ऐसी पोज़िशन मे हू के मेरा लेफ्ट हॅंड सीधा है और मेरे सर के नीचे पिल्लो जैसी पोज़िशन मे है, राज अपनी जगह से थोड़ा और आगे की तरफ को हट गया है और वो पॅसेज मे रखे किसी सूटकेस पे बैठा है और मैं अपनी सीट पे आधे से ज़ियादा लेटी हुई हू और राज बोहोत ज़ियादा साइड पे हटा हुआ है और मेरा सर राज के झंगो पर है, और राज के दोनो हाथ मेरे ऊपेर ऐसे है जैसे के मुझे नीचे गिरने से बचाने को पकड़ रखा है या कोई मा अपने बच्चे को अपने लॅप पे सुलाती है, उसका ट्रॅक पॅंट उसकी गंद से नीचे तक बाहर निकला हुआ है और मेरे मूह के सामने उसका इतना बड़ा और मोटा नंगा लंड जो के फुल्ली एरेक्ट है और अकड़ के मेरे गालो ( चीक्स ) से लग रहा है और मैं उसके लंड को ऐसे अपने हाथो मे ली हुई हू जैसे कोई मा अपने बच्चे को अपने से लिपटा के सोता है और उसका लंड एक दम से लोहे जैसा कड़क किसी मूसल की तरह लग रहा था. उसका लंड किसी तरह से भी 10 इंच से कम का नही लग रहा था और उसका हेड किसी हेल्मेट जैसा था. ठंडी हवा के चलते राज ने ऊपेर से मेरी शॉल निकाल ली थी और मेरे ऊपेर ऐसे डाल दी थी के किसी को पता ना चले के अंदर क्या हो रहा है और जिस से मैं ठंड से भी बची रहू. मुझे अंधेरा अन्देर जैसा लग रहा था मेरी समझ मे इमीडीयेट्ली नही आया के मैं क्या करू. पहले तो सोचने लगी के शाएद मैं ने रवि का नही राज का लंड चूसा हो या उसका मास्टरबेट किया हो, मैं तो फुल नींद मे थी मुझे कुछ मालूम ही नही के क्या हुआ है और यह के अगर मैं ने सच मे राज का लंड चूसा है या मास्टरबेट किया है तो राज मेरे बारे मे क्या सोचेगा के मैं कैसी औरत हू. यह सब सोचते सोचते मैं ने महसूस किया के मेरे गालो पे कुछ चिकना चिकना लगा हुआ है पर मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी के चेक करू के क्या है. राज के लंड को देख के मुझे डर लगने लगा जो किसी बड़े और मोटे नाग की तरह से फुपकार रहा था और मेरी आँखो के सामने क़ुतुब मीनार की तरह शान से खड़ा हुआ था. उसका तकरीबन 10 इंच लंबा और
तकरीबन 4 इंच मोटा लंड देख के मेरी तो जान ही निकल गयी सोचा के क्या यह किसी आदमी का ही लंड है या किसी घोड़े (हॉर्स) का लंड है. अब मेरी आँखें पूरी तरह से खुल चुकी थी और मैं अछी तरह से जाग भी गई थी और अंधेरे मे मेरी आँखें देखने के काबिल भी हो गई थी. मुझे उसके लंड से मस्की स्मेल भी आ रही थी जो सतीश के लंड के स्मेल से डिफरेंट थी.
मैं नींद से जाग तो गयी थी पर अभी समझ मे नही आ रहा था के कैसे रिक्ट करू के राज को शक भी ना हो के मैं जाग गई हू. थोड़ी देर सोचने के बाद यही डिसाइड किया के मैं ऐसे ही पोज़ करती रहूगी जैसे के मैं गहरी नींद मे हू और फिर जैसे ही बस किसी खड्डे से थोड़ी उछली तो मैं अपनी जगह से उठ गई और वापस सीधे बैठ गई और अपनी आँखें मसल्ति हुई ऐसे इधर उधर देखने लगी जैसे मैं अभी अभी नींद से जागी हू. देखा तो बाहर अंधेरा था और बस के सभी पॅसेंजर्स सो रहे थे और राज की आँखें भी बंद थी पता नही वो सो रहा था या सोने की आक्टिंग कर रहा था. मैं ने ऐसे सलवार ठीक करने के बहाने अंजाने मे अपनी सलवार के ऊपेर से ही अपनी चूत पे हाथ लगाया तो देखा के सलवार तो बोहोत ही गीली हो चुकी थी लगता था के मुझे सच मे ऑर्गॅज़म आया है और मैं झाड़ चुकी हू. यह ख़याल आते ही मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ गयी के शाएद राज ने मेरी चूत का मसाज किया जो मैं ने अपने ख्वाब मे देखा और अपने गाल पे हाथ लगाया जहा चिकना लग रहा था तो मुझे कोई एग्ज़ॅक्ट पता तो नही चला के वो राज के लंड की क्रीम थी या उसके लंड से निकला प्री कम. मुझे अब नींद नही आ रही थी. बाहर से बड़ी अछी हवा आ रही थी तो मैं ऐसे ही आँखें बंद कर के जागती रही और अपने हालात पे और इंटरव्यू के बारे मे सोचने लगी फिर मुझे याद आया के राज ने बोला था के किसी एम.डी, की प्राइवेट सेक्रेटरी को वो सब कुछ करना पड़ता है जिसके बारे मे मैं ने सोचा भी नही था फिर मेरा दिमाग़ घूमता हुआ रवि के पास चला गया और रवि का ख़याल आते ही मुझे अपना ड्रीम याद आ गया के कैसे रवि ने मेरी चूत को चाट था और कैसे मैं ने रवि के लंड को चूसा था और उसके लंड से निकली क्रीम खाई थी और बस यह सोचते ही मेरी चूत एक बार फिर से गीली होनी शुरू हो गयी और मेरा हाथ ऑटोमॅटिकली अपनी चूत पे आ गया और मैं अपनी चूत का मसाज करने लगी. शॉल के अंदर हाथ होने से और अंधेरी रात होने से राज को भी पता नही चल पाया के अपनी गोदी मैं रखी शॉल के अंदर से अपनी चूत का मसाज कर रही हू. सलवार का कपड़ा बोहोत ही पतला था तो मुझे लग रहा था जैसे मेरी उंगली चूत के अंदर तक घुस रही है और ऐसे कपड़ा लगने से क्लाइटॉरिस बोहोत ज़ियादा ही सेन्सिटिव हो गई थी और देखते ही देखते मैं झड़ने लगी और एक बार फिर से गहरी गहरी साँसें लेने लगी. ऐसा मसाज करने से मेरा सारा बदन एक दम से गरम हो चुका था और बाहर की ठंडी हवा मुझे बोहोत अछी लग रही थी.
तकरीबन 11:30 बजे हम हुबली के बस स्टॅंड पे पहुच गये. बस रुकी और काफ़ी सारे पॅसेंजर उतर गये. बस ऑलमोस्ट हाफ ही रह गयी. एक या दो आदमी ही हुबली से बस मे चढ़े होंगे और वो लोग सामने वाली सीट पे ही बैठ गये. अब हमारे सामने की बोहोत सारी सीट्स खाली हो चुकी थी. सामने वालो को पता भी नही चल सकता था के एक कपल पीछे भी बैठा है. सब यही समझ रहे थे के हम हज़्बेंड वाइफ है और जब मुझे यह ख़याल आया तो मैं एक दम से मुस्कुरा दी. इतने मैं राज ने बोला के कॉफी पिओगी तो मैं ने बोला चलो थोड़ी थोड़ी पी लेते है और साथ मे वॉश रूम भी जा के आते है और फिर हम ने थोड़ी थोड़ी कॉफी पी और वॉशरूम जा के वापस आ गये और बस मैं बैठ गये. थोड़ी ही देर मे बस वाहा से स्टार्ट हो गयी. थोड़े पॅसेंजर्स तो इतनी गहरी नींद सो रहे थे के उनको पता भी नही चला के बस रुकी और फिर से चल पड़ी है. राज ने पूछा नींद लगी तुमको, तो मैं ने बोला के हा मुझे बोहोत ही गहरी नींद लगी बस अभी अभी उठी हू तो फिर मैं ने पूछा के तुमको नींद लगी तो उसने बोला के लगी पर ऐसे गहरी नही जैसे तुमको लगी. फिर हम इधर उधर की बातें करने लगे. मैं ने फिर से बोला के मुझे तो बोहोत ही डर लग रहा है और जब से तुमने बताया के प्राइवेट सेक्रेटरीस को ऐसे ऐसे काम करने पड़ते है तो मेरा तो दिमाग़ ही चकरा रहा है के क्या होगा, कैसे होगा, मैं इंटरव्यू कैसे फेस करूगी और क्या यह सब बातें अंडरस्टुड होती है या इंटरव्यू मे पूछी जाती है एट्सेटरा एट्सेटरा और फिर जब राज ने बोला के कोई पता नही तुम्हारा होने वाला एम.डी कैसा आदमी हो तुम देखो के तुम क्या कर सकती हो या क्या नही कर सकती हो यह सब तुम पर ही निर्भर करता है पर इतना ज़रूर बता दू के मुंबई की लड़किया तो यह सब खुशी खुशी कर लेती है उनको कोई फरक नही पड़ता तो मैं ने बोला के मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा के क्या करू क्या ना करू क्यॉंके यह ऐसा टाइम है ही के हमै पैसी की सख़्त ज़रूरत है मुझे यह जॉब मिल जाए तो बोहोत अछा होगा पर अभी तक समझ नही पा रही हू के क्या करू क्या ना करू तो उसने मेरा हाथ हाथ अपने हाथो मे ले लिया और बोला के स्नेहा तुम फिकर ना करो मैं पूरी कोशिश करूँगा के तुमको यह जॉब मिल जाए और यह नही तो मैं कही ना कही तुम्हारे लिए जॉब का बंदोबस्त कर दुगा तो मेरी आँखो से आँसू निकल गया और मैने उसके हाथ को दबा के थॅंक्स बोला और उसके हाथ से अपने हाथ को अलग नही किया हम ऐसे ही हाथ मे हाथ डाले बैठे बाते करते रहे. बाहर से हवा के झोके आ रहे थे और राज को नींद आ गयी और तो थोड़ी ही देर मे एक दम से गहरी नींद सो गया और डीप ब्रीदिंग करने लगा तो मुझे पता चला के वो सच मे गहरी नींद सो गया है पर मैं इतनी देर सो के उठ चुकी थी इसी लिए मुझे नींद नही आ रही थी.
हुबली से बस के निकलते निकलते रात के 12 बज चुके थे. बेल्गौम भी हुबली से ऑलमोस्ट डेढ़ – दो घंटे का रास्ता था. राज सो चुका था और उसका सर मेरे शोल्डर पे आ गया था. मुझे उसका सर अपने शोल्डर पे बोहोत अछा लग रहा था. मैं भी अपने पैर थोड़े लंबे कर के अपनी सीट पे तोड़ आगे को मूव हो गई थी और मेरी गंद सीट के एड्ज पे थी, मैं भी अपनी सीट पर ऑलमोस्ट स्लॅनटिंग पोज़िशन मे बैठी थी और मेरे ऐसे मूव्मेंट से राज का सर मेरे शोल्डर से थोड़ा नीचे आ गया था और सोते सोते ही राज अपनी सीट पे थोड़ा और लेफ्ट मे हट गया था और अब उसका सर ऑलमोस्ट मेरे चेस्ट पे था. मैं पहले ही डीप नेक का शर्ट पहने हुए थी तो उसका फोर्हेड और थोड़ा सा गाल का पोर्षन मेरे नंगे सीने से टच कर रहा था. मुझे उसकी गरम गरम साँसें मेरे क्लीवेज मे महसूस हो रही थी जिस से मेरे अंदर भी सेक्स की गर्मी बढ़ने लगी थी और मेरा मंन कर रहा था के किसी तरह से मुझे मौका मिले तो मैं अपने शर्ट के एक दो बटन को खोल दू और राज के मूह मे अपनी बूब्स दे दू चूसने के लिए. बाइ दा वे मेरे शर्ट मे प्रेस बटन लगे हुए थे जिसे मैं बड़ी आसानी से खोल सकती थी और थोड़ी ही देर मे जब राज की नींद और गहरी हो गई और जब बस को एक छोटा सा झटका लगा तो राज का सर एक मिनिट के लिए मेरे सीने से हटा और मैं ने फॉरन मोके का फ़ायदा उठाया और एक ही सेकेंड के अंदर अंपनी उंगली शर्ट के नेक वाले पोर्षन मे डाल के ऊपेर के प्रेस बटन को खेच के खोल दिया लैकिन मेरी उंगली कुछ ज़ियादा ही ज़ोर से लगी मालूम होता है क्यॉंके मेरे शर्ट के चारो प्रेस बटन्स एक ही झटके मे खुल गये. अगर अब राज का सर पहले वाली पोज़िशन मे फिर से वापस आ जाता तो मुझे यकीन था के उसका मूह मेरे बूब्स से टच करने लगता और अब मेरे पास इतना टाइम भी नही था के मैं एक या दो बटन्स को वापस प्रेस करके बंद कर सकु खैर अब क्या कर सकती थी जो होना था हो चुका था और अब मैं वेट कर रही थी के राज का सर कब मेरे सीने से लगता है. और फिर थोड़ी ही देर मैं राज का सर मेरे शोल्डर पे आ गया और फिर वैसे ही नीचे को सरक गया तो मैं ने अपना हाथ राज के झुके हुए शोल्दर पे रख लिया और किसी बच्चे की तरह से उसको अपने सीने से लगा लिया.
क्रमशः......................
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