RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार
रिसेशन की मार पार्ट--3
गतान्क से आगे..........
मैं और सतीश टाइम पर ट्रॅवेल ऑफीस पोहोच गये. सतीश को वेदर देख के याद आया और वो करीब की दुकान से एक वॅसलिंग मिक्स कोल्ड क्रीम का डिब्बा ले के आया, यहा कोई सूपरमार्केट तो था नही जो अपनी चाय्स से पर्चेस किया जा सके, इसी लिए चौड़े मूह वाला बड़े ढक्कन का मीडियम साइज़ का डिब्बा मिला जिसे सतीश ने खरीद लिया और मुझे बोला के यह रखलो रास्ते मैड हूप लगेगी या बाहर की हवा से स्किन खराब हो जायगी तो यह तुम अपने फेस पे और हाथो पे लगा लेना तो मैं ने वो कोल्ड क्रीम की बॉटल को अपने पर्स मे ही रख लिया. इतनी देर मैं वाहा ऑलमोस्ट सब ही लोग आ चुके थे और बस के अंदर बैठने लगे थे. मेरा सूटकेस भी बस के नीचे बने लॉकर मे रख दिया और मैं सिर्फ़ अपना पर्स ले के अपनी सीट पे आ गई. देखा तो मेरी सीट पे मैं अकेली ही थी और कोई नही आया तो मैं खुश हो गई के चलो सफ़र आराम से गुज़रेगा 2 सीट पे आराम से बैठुगी. मे बोहोत ही डर रही थी और बस के चलने तक सतीश मेरे साथ ही रहे और मेरी हिम्मत बढ़ा रहे थे और मुझे बिना घबराए और बिना डरे कॉन्फिडेन्स के साथ सफ़र करने को बोल रहे थे. आज मैं फर्स्ट टाइम सतीश से और बॅंगलुर से दूर जा रही थी मेरा दिल बड़ी ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था जैसे अभी बहेर निकल जाएगा, मेरे बदन से पसीने छ्छूट रहे थे फिर भी मैं हिम्मत दिखा रही थी और यह सोच कर के जब मुझे जाना ही है तो क्यों ना मैं कॉन्फिडेन्स के साथ जाउ और अगर मुझे बॅंगलुर से बाहर ही रह कर जॉब करनी है तो मेरे अंदर कॉन्फिडेन्स तो होना ही चाहिए बॅस यह सोच कर मेरे अंदर हिम्मत बढ़ने लगी और मेरा दिमाग़ से डर निकल गया और मेरे चेहरे पे कुछ इतमीनान आ गया. बस अपने टाइम पे स्टार्ट हो गयी और चल पड़ी. मैं ने बुझे दिल से और अपनी आँसू भरी आँखो से सतीश को बाइ बोला और खिड़की से हाथ निकाल के उसको उस वक़्त तक विश करती रही तब तक वो दिखाई देता रहा. जब वो नज़रो से ओझल हो गया तो मुझे रोना आ गया और मेरे आँसू निकल पड़े. कुछ देर तक रोती रही फिर अपने आप को संभाल लिया. लास्ट सीट पे बैठने की वजह से किसी को पता भी नही चला के मैं रो रही थी.
अब मैं अपने आप को बस के अंदर सेट करने लगी और जो शॉल लपेटी थी उसको फोल्ड कर के ऊपेर बने हुए ओवरहेड पोर्षन मे रख दिया. मे के महीना था और दोपेहेर 2 बजे की गर्मी थी बदन पसीने से भरा हुआ था. जैसे ही बस चलने लगी थोड़ी हवा आई तो बदन का पसीना सूखा पर बाहर अभी हवा गरम ही चल रही थी. शुरू शुरू मे तो बस के अंदर के लोग एक दूसरे से ज़ोर ज़ोर से बातें कर रहे थे पर थोड़ी ही देर के बाद ऑलमोस्ट सब ही लोग चुप हो गये थे और बस मे जैसे एक सुकून आ गया था. मैं अब सोचने लगी के मुंबई मे क्या होगा, कहा होटेल मिलेगा, आर के इंडस्ट्रीस का ऑफीस पता नही कितनी दूर होगा, जॉब मिलेगी भी या नही एट्सेटरा एट्सेटरा. अभी मे यह सब सोचने मे ही बिज़ी थी के बस एक स्टॉप पे रुकी, खिड़की से बाहर झाँक के देखा तो किसी बोर्ड पे पीनिया लिखा देखा तो मैं समझ गई के बस बॅंगलुर के आउट्स्कियर्ट मे पोहोच गई है पर यह नही मालूम हुआ के बस क्यों रुकी है.
5 मिनिट के अंदर ही बस के अंदर एक जवान और बड़ा हॅंडसम सा यंग आदमी एक छोटा सा एर बॅग लटकाए, ट्रॅक सूट पहने अंदर आया. मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा क्यॉंके वो आदमी सीधा मेरी तरफ आ रहा था और वो सच मे मेरे पास आ के रुक गया और अपना एर बॅग सीट के नीचे रख के मेरे साइड वाली सीट पे बैठ गया तो मैं समझ गई के उसने रिज़र्वेशन तो शाएद बॅंगलुर से ही करवा लिया था पर शाएद उसको यही से बोर्ड करना था. उसने बैठने से पहले हेलो मिस बोला और धीरे से मुस्कुरा दिया. ऊफ्फ क्या बताउ कितनी किल्लर स्माइल थी उसकी. देखने से लगता था के प्लस और माइनस शाएद मेरी ही एज ग्रूप का होगा पर बोहोत ही हॅंडसम था, हाइट होगी कोई 5’ 9/10” के करीब, मेरे से अछा ख़ासा लंबा था, बोहोत ही गोरा रंग, ट्रॅक सूट के हाफ स्लीव्स टी शर्ट के अंदर से उसके लंबे भरे भरे गोरे गोरे हाथ जिनपे आछे ख़ासे बाल भी थे और उसकी रिस्ट पे एक बड़ी सी ब्लॅक स्ट्रॅप वाली स्पोर्ट्स . बहुत ही मस्त लग रही थी. अथलेटिक टाइप की मस्क्युलर बॉडी थी. बड़ी बड़ी ब्राउन एएस और लाइट ब्राउन बॉल जो बोहोत ही अछी तरह से सेट किए हुए थे, ब्रॉड शोल्डर्स और स्पोर्ट्स शूस मे वो एक स्पोर्टस्मन ही लग रहा था. उसके पास से पर्फ्यूम की बोहोत ही बढ़िया स्मेल आ रही थी लगता था के कोई हाइ क्वालिटी का पर्फ्यूम यूज़ करता है. उसने एक दम से मुझे बोहोत अछी तरह से विश किया और बोला हेलो मिस विच सीट वुड यू लाइक टू सीट, विंडो ओर आसले. मुझे उस टाइम तक आसले सीट क्या होती है पता नही था बॅस विंडो सीट से समझ आ गया के आसले सीट मीन्स नेक्स्ट टू विंडो यानी पॅसेज वाली सीट तो मैं ने बोला के आइ होप यू वोंट माइंड इफ़ आइ यूज़ विंडो सीट, तो उसने एक बोहोत ही दिलकश मुस्कुराहट के साथ बोला ओह मिस प्लीज़ डॉन’ट वरी, आप जहा कंफर्टबल फील करती है बैठिए. इतना बोल के मैं विंडो सीट की ओर हट गई और वो मेरे लेफ्ट साइड मे बैठ गया और मुस्कुराते
हुए बोला के हेलो मिस, आइ आम राज और अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया तो मैं भी उसकी मुस्कान मे इतनी डूब चुकी थी के मैं ने भी अपना हाथ उसके हाथ मे दे दिया और बोली के आइ आम स्नेहा तो उसने बोला के स्नेहा ईज़ आ नाइस नेम, वेरी ग्लॅड टू नो यू मिस तो मैं ने भी बोला के सेम हियर. उसने बोला के मैं मुंबई जा रहा हू तो मे ने भी बोला के मे भी मुंबई ही जा रही हू तो उसने बोला के विश यू ए प्लेज़ेंट जर्नी तो मे ने भी मुस्कुरा के बोला के सेम टू यू. इतनी बात करने से मेरा दिल कुछ हल्का होने लगा और मैं सोचने लगी के इतना हॅंडसम आदमी साथ मे हो तो शाएद सच मे मेरा जर्नी अछा ही होगा और यह सोच के मैं थोड़ा सा मुस्कुरा दी और खामोश हो गई और खिड़की के बाहर देखने लगी. यह हमारा छोटा सा इंट्रोडक्षन था.
उसके बैठने के थोड़ी देर के बाद ड्राइवर कॉफी पी के वापस आया और बस फिर से स्टार्ट हो गई. बस के सीट्स बोहोत ज़ियादा कंफर्टबल और बोहोत ज़ियादा बड़े भी नही थे इसी वजह से जब वो बैठा तो उसका शोल्डर और हाथ मेरे हाथ से लगने लगा और बस के मूव्मेंट्स के साथ उसका हाथ भी ऊपेर नीचे होने लगा. उसका बदन बोहोत ही गरम था जिसकी गर्मी मैं अपने बदन मे महसूस कर रही थी. मुझे भी कुछ अछा लगने लगा था इसी लिए मैं ऐसे ही बैठी रही. थोड़ी देर के बाद उसने अपना बॅग नीचे सीट से बाहर निकाला और बॅग मे से 2 कोक के ठंडे कॅन्स निकाले और एक मेरी तरफ बढ़ा दिया और बोला के प्लीज़ टेक इट मिस स्नेहा तो पहले तो मैं ने नो थॅंक्स बोला पर उसने बोला के गर्मी बोहोत है ठंडा ठंडा कोक पी लीजिए गर्मी जाती रहेगी वो बड़ी अची हिन्दी भी बोल रहा था लगता था के अछा ख़ासा पढ़ा लिखा होगा और उसके कपड़ो से, उसकी रिस्ट . से और उसके मेह्न्गे पर्फ्यूम उसे करने से लगता था के वो किसी अमीर घराने का होगा. उसके इन्सिस्ट करने पर मैं ने हाथ बढ़ा के थॅंक्स बोला और उसके हाथ से कोक ले लिया. कोक लाने के टाइम पे मेरा हाथ उसके हाथ से टच कर गया, मुझे उसका हाथ बोहोत ही गरम महसूस हुआ और मेरे बदन मे एक करेंट सा दौड़ गया. मैं कोक का कॅन खोल के पीने लगी. कोक बोहोत ही ठंडा था ऐसा लगता था के उसने कोक को फ्रीज़ किया हुआ था इसी लिए इतना ठंडा था और सच मे ऐसी गर्मी मई ठंडे कोक के पीना का मज़ा कुछ और ही था. जब ठंडा कोक थ्रोट के अंदर से पेट मे जा रहा था तो ऐसा लग रहा था जैसे एक ठंडी लकीर थ्रोट से पेट मे जा रही है और यह फीलिंग बोहोत अछी लग रही थी. उसने पूछा के कोक कैसा लगा मिस तो मैं ने बोला के डॉन’ट कॉल मी मिस जस्ट कॉल मी स्नेहा प्लीज़ तो वो हंस दिया और बोला के हा तो स्नेहाज़ी आपको ऐसी गर्मी मे ठंडा ठंडा कोक कैसा लगा तो मैं ने भी मुस्कुरा के बोला के नही स्नेहा जी नही सिर्फ़ स्नेहा बोलिए प्लीज़ और फिर जवाब दिया हा बोहोत अछा लगा तो उसने कहा के कॉल मी राज तो मैं ने कहा थॅंक्स राज जी तो उसने भी कहा के नही राज जी नही सिर्फ़ राज बोलिए प्लीज़ और हम दोनो मुस्कुरा दिए.
यह हमारी स्टार्टिंग के बात चीत थी उसके बाद राज ने अपने बॅग से कुछ मॅगज़ीन निकाले और एक मेरी तरफ बढ़ा दिया और एक वो खुद पढ़ने लगा. यह एक फिल्मी मॅगज़ीन था जिसे मैं देखने लगी. लास्ट नाइट बिल्कुल भी नींद नही हुई थी, शाम के ऑलमोस्ट 4 बज रहे थे और अभी भी बाहर से गरम हवा लग रही थी इसी लिए मुझे नींद आने लगी तो मुझे वॅसलीन मिक्स कोल्ड क्रीम की बॉटल याद आई तो मैं ने पर्स से निकाल के अपने चेहरे पे और हाथो पे क्रीम लगाई और क्रीम को पर्स मे वापस रख कर वैसे ही बैठे बैठे बोहोत देर तक तो राज के बारे मे सोचती रही के वाह क्या शानदार मर्द है कितना हंडसॅम है, लड़कियाँ तो इस पर मरती होंगी पता नही कितनी लड़कियाँ इस हॅंडसम से चुदवा चुकी होंगी पता नही कितनी गर्ल फ्रेंड्स होगे इसके पता नही शादी शुदा है या अभी ऐसे ही ज़िंदगी के मज़े ले रहा है एट्सेटरा एट्सेटरा ऐसे ही मेरे दिमाग़ मे सावालात गूंजते रहे फिर मैं कुछ देर तक मॅगज़ीन के पिक्चर्स देखती रही और ऐसे ही देखते देखते सो गयी. आँख खुली तो शाम के ऑलमोस्ट 6 या 6:30 बजे का टाइम था. मुझे लगा जैसे मुझे एक घंटे की नींद लगी थी इसी लिए मैं तोड़ा फ्रेश फील कर रही थी. बस चित्रदुरगा टाउन मे पोहोच रही थी. मेरी आँख खुली तो देखा के राज भी सो चुका था और जैसे ही बस चित्रदुरगा के आउट्स्कियर्ट के टी स्टॉल पे एक हल्के से झटके से रुकी तू राज की आँख भी खुल गई और हम दोनो एक दूसरे को देख के विदाउट एनी रीज़न मुस्कुरा दिए उसने सजेस्ट काइया के नीचे उतरते है और चाइ कॉफी पीते है तो मैं भी एक ही पोज़िशन मे इतनी देर से बैठे बैठे थक चुकी थी इसी लिए मैं भी नीचे उतर के थोड़ी वॉकिंग करके अपने मसल्स को रिलॅक्स करना चाहती थी इसलि लिए मैं भी नीचे उतर गई. राज ने मुझ से पूछा के क्या लेगी आप चाय या कॉफी तो मैं ने बोला के कॉफी ही ठीक रहेगी तो उसने 2 नेस्केफे का ऑर्डर दिया. कॉफी बोहोत अछी और बोहोत ही टेस्टी थी. शाम के टाइम मे गरमा गरम कॉफी बोहोत अछी लग रही थी मैं अपना पर्स खोल के कॉफी का पेमेंट करने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला के नही पेमेंट तो मैं करूगा, प्लीज़ बे मी गेस्ट फिर भी मैं ने इन्सिस्ट किया तो उसने मुझे रोक दिया और खुद ही पेमेंट किया तो मैं ने उसको थॅंक्स बोला तो उसने बोला के नो फॉरमॅलिटीस प्लीज़. उसने जब मेरे हाथो को अपने गरम हाथो से पकड़ा तो मेरे अंदर एक करेंट सा दौड़ गया और मेरे माथे पे थोड़ा सा पसीना भी आगेया.
थोड़ी देर के अंदर वाहा पे सब पॅसेंजर्स यरिनल्स को जा के वॉशरूम से फ्रेश हो गये और कॉफी या कोल्ड ड्रिंक्स ले के वापस बस मे आ गये थे. मैं भी वॉशरूम को जा के आ गई थी तो यूरिनरी ब्लॅडर जो यूरिन से फुल हो गया था अब रिलॅक्स हो गया था और मैं भी ईज़ी फील कर रही थी. तकरीबन आधे
घंटे के बाद बस फिर से चलने लगी. इतनी देर से बहेर की गरम हवा लगने से मेरे गोरे गोरे चीक्स लाल हो गये थे तो राज ने बोला के स्नेहा आपके चेहरे पे धूप ने अपना कमाल दिखा दिया और आपके गालो को कश्मीरी सेब का कलर दे दिया तो मैं ऐसे फर्स्ट क्लास कॉमेंट्स के लिए मुस्कुरा दी. मुझे उसका यह ब्यूटी का आडमाइर करने का स्टाइल बोहोत अछा लगा. मैं ने बोला के नही ऐसी कोई बात नही मैं आक्च्युयली रात मे सोई नही थी इसी लिए मुझे नींद आ गई और मुझे पता भी नही था के मैं सन के डाइरेक्षन मे बैठी हू और बोला के राज आप इधर विंडो सीट पर आ जाइए मैं उधर आ जाती हू और मैं अपनी सीट से उठने लगी तो वो भी अपनी सीट से उठ गया और हम ने सीट्स का एक्सचेंज कर लिया अब मैं उसके लेफ्ट साइड मे बैठी थी. यह आसले वाली सीट मुझे विंडो सीट से ज़ियादा ठीक लगी के मैं अपने लेग्स को थोड़ा स्ट्रेच कर सकती थी. राज ने मुझ से पूछा के आप कहा रहती हो मुंबई मे तो मैने बोला के ओह नही मैं मुंबई मे रहती नही आक्च्युयली मे मुंबई को बिल्कुल फर्स्ट टाइम जा रही हू तो उसका मूह हैरत से खुल गया और बोला के आप अकेली जा रही हो मुंबई और वो भी फर्स्ट टाइम तो मैं ने बोला के हा एक कंपनी मे मेरा इंटरव्यू है तो उसने पूछा के कैसा इंटरव्यू तो मैने बोला के मैं ने सिक्रेटेरियल पोस्ट के लिए अप्लाइ किया था और मुझे कॉल आई है इंटरव्यू के लिए तो उसने पूछा के कोन्सि कंपनी का है तो मैं ने बोला के है कोई आर के इंडस्ट्रीस जिस्मै एमडी को प्राइवेट सेक्रेटरी कम अकाउंट्स वाली असिस्टेंट चाहिए तो उसने बोला के आपको पता है किसी एमडी की प्राइवेट सेक्रेटरी होने का मतलब क्या होता है तो मैं ने पूछा के नही, क्यों, क्या होता है उसका मतलब, तो उसने बोला के मुंबई या और दूसरे बिग सिटीस मैं जो भी किसी भी कंपनी के एमडी या एग्ज़िक्युटिव्स होते है वो बड़े ही हरामी होते है, अपनी सेक्रेटरीस को अपने साथ टूर पे भी आउट ऑफ सिटी ले जाते है जहा कभी कभी तो दोनो को एक ही रूम शरीर करने पड़ता है, और ऑफीस मे उनके साथ लेट बैठना भी पड़ता है कभी कभी तो उनके रूम मे घंटो तक भी बैठना पड़ता है और ऑलमोस्ट ऑल प्राइवेट सेक्रेटरीस के उनके बॉसस के साथ इल्लीगल रिलेशन्स होते है तो मेरा मूह हैरत से खुला का खुला रह गया और मैं ने पूछा आप सच बोल रहे हो तो उसने कहा के हाँ एक दम से सच.
क्रमशः......................
Recession Ki Maar part--3
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