Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:33 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
गुरुजी- कहो सखी कुछ कहना है 

कामया ने सिर्फ़ सिर हिला दिया था क्या कहती वो जो कुछ चाहिए था वो दे दो बस और क्या कामया थोड़ा सा सरक कर गुरुजी की और हो गई थी गुरुजी ने अपने हाथों के सहारे उसे अपने से सटा लिया था उसका शरीर कपड़े से बाहर झक रहा था लेफ्ट चूचियां तो पूरा ही बाहर था और सिर्फ़ निपल्स पर कपड़ा अटका था वो भी गुरु जी ने उतर कर अलग कर दिया 

गुरुजी के हाथों के सहारे कामया अपने शरीर को उनके सुपुर्द करते हुए उनके सहारे लेट गई थी उनके बहुत पास पर गुरुजी ने उसे और अपने पास खींचा और 

गुरुजी- आओ में तुम्हें सुला दूं इतना उत्तेजित क्यों हो क्या कमी है तुम्हें 

कामया- (अपने सांसों को कंट्रोल करते हुए ) बहुत मन करता है गुरुजी इसलिए रोक नहीं पाई 

गुरुजी- कोई बात नहीं सखी हमसे कैसी शरम 

कामया- इसलिए तो आ गई गुरुजी प्लीज मुझे शांत करो 

गुरु जी- हाँ… शांत में करूँगा पर ऐसे नहीं आज तुम्हें भी दिखाना होगा की तुम क्या हो और कितना चाहती हो सेक्स को ताकि हम दोनों इस खेल का आनंद ले सके 

कामया ने अपनी बाँहे गुरुजी के गले में पहना दी थी और उनके गालों को सहलती हुई धीरे-धीरे अपने होंठों को उनके पास ले गई थी 
कामया- जी गुरुजी जो आप कहेंगे में वही करूँगी 

गुरुजी ने अपने होंठ कामया के होंठो से जोड़ कर धीरे-धीरे उसके होंठों का रस्स पान करते रहे किसी को कोई जल्दी नहीं थी ना कामया और ना ही गुरुजी को पता था कि कोई रुकावट नहीं है कामया एक उत्तेजित और कामुक स्त्री थी और गुरुजी को भी उसके शरीर को चाह थी और अश्रांम का हर आदमी औरत उनके गुलाम थे 

बड़े ही अपने पन से दोनों ने यह खेल शुरू किया था कामया तो उत्तेजित थी ही अपना पूरा ध्यान गुरुजी को उत्तेजित करने में लगा रही थी कामया लेटी हुई अपने होंठों को गुरुजी से जोड़े हुए अपने हाथों को उनकी पीठ और उनके सीने पर घुमाती हुई नीचे की ओर ले जा रही थी उसके हाथों में जब गुरुजी की कमर पर बँधा कपड़ा अटका तो थोड़ी सी नजर खोलकर गुरुजी की ओर देखा था उसने गुरुजी की नजर भी खुली थी और एक मूक समर्थन दिया था उन्होंने कामया के हाथों ने उस कपड़े को खोलने में कोई देरी नहीं की और गुरुजी भी उसकी तरह से पूर्णता नग्न थे अब दोनों के शरीर एक दूसरे से जुड़े थे और एक दूसरे के शरीर का एहसास कर रहे थे कामया मूड कर गुरुजी की बाहों में समाती चली गई थी और गुरुजी भी उसे अपनी बाहों में कसते चले गये थे 

गुरुजी के साथ-साथ कामया की सांसें बहुत तेज चल रही थी और दोनों एक दूसरे के होंठों को अच्छे से और पूरे जी जान से चूमने में और चाटने में लगे थे ऐसा लग रहा था कि कोई भी एक दूसरे को छोड़ने को तैयार नहीं था गुरुजी के हाथ अब धीरे से कामया की चूचियां पर आके टिक गये थे कामया भी अपने हाथों को जोड़ कर उन्हें उत्साहित करने लगी थी कामया अपने सीने को और आग बढ़ा कर उन्हें अपनी चुचियों पर पूरा जोर लगाने को कह रही थी और गुरुजी भी अपनी ताकत दिखाने में लग गये थे गुरुजी का रूप अभी थोड़ा सा अलग था जैसा पहले कामया ने देखा था उससे अलग थोड़ी सी उत्सुकता थी उनमें और उत्तेजना भी क्योंकी जिस तरह से वो कामया को प्यार कर रहे थे वो एक मर्द की तरह ही था नकी कोई महात्मा या फिर वो गुरुजी जो उसने देखा था 

कामया खुश थी की उसने गुरुजी को उत्तेजित करना सीख लिया था और गुरुजी को उसके तन की इच्छा भी है जिस तरह से अपना जोर लगाकर उसे चूम रहे थे या फिर उसकी चूचियां मसल रहे थे वो अलग था 

कामया का शरीर तो जल ही रहा था अब गुरुजी भी अपने आपसे बाहर होती जा रहे थे उनकी उत्तेजना भी नजर आने लगी थी वो भी लगातारर कामया की चूचियां दबाते हुए धीरे से उसके गले तक पहुँच गये थे कामया तो आधी टेडी लेटी हुई गुरुजी के मुँह में अपनी चूचियां लाने की जद्दो जहद में थी ही और गुरुजी भी आतुर थे झट से कामया की चुचि को अपने होंठों के अंदर ले लिया था उन्होंने 

कामया- आआआह्ह और जोर से गुरुजी बहुत अच्छा लग रहा है बस चूस्ते जाओ और जोर-जोर से 

गुरुजी अपने आपकामया के इशारे पर चले ने लगे थे निपल्स मुँह में आते ही उनकी जिब और होंठों ने अपना काम शुरू कर दिया था और कस कर कामया के निपल्स को चूसते जा रहे थे कामया निरंतर गुरुजी को उकसाने में लगी थी और बहुत जोर से गुरुजी को अपनी बाहों में लेकर कस्ती जा रही थी उसके हाथों में गुरुजी का सिर था जिसे वो अपनी चुचियों के अंदर घुसाने की कोशिश में लगी थी वो कामया की उत्तेजना को देखकर लगता था की अब उसे किसी बात की चिंता नहीं थी और नहीं ही कोई शरम बिंदास गुरुजी को उत्साहित करती वो इस खेल का पूरा मजा लेने में जुटी थी कामया की आवाज उस कमरे में गूंजने लगी थी 

कामया- उूुउउफफफ्फ़ गुरुजी बहुत अच्छा लग रहा है और जोर से दबयो और जोर से चुसू प्लीज गुरुजी प्लीज ईईईईई
गुरुजी अपने मन से उसे पूरा संतुष्ट करने की कोशिश में लगे थे पर कामया इस तरह से मचल रही थी कि उसे संभालना गुरुजी के लिए थोड़ा सा मुश्किल पड़ रहा था गुरुजी ने अपने हाथों को कसते हुए उसे अच्छे से जकड़ लिया और अपने होंठों को कस्स कर उसकी चुचियों पर टिकाए रखा था अपनी हथेलियों को उसके नितंबों पर घुमाकर उसकी गोलाई का नाप भी लेते जा रहे थे और उसकी जाँघो की कोमलता को भी अपने अंदर समेट-ते जा रहे थे कामया गुरुजी के हाथों के साथ-साथ अपने शरीर को मोड़कर और खोलकर उनका पूरा सहयोग कर रही थी कोई भी जगह उनसे बच ना जाए यह सोचकर गुरुजी के हाथ उसके जाँघो से होकर एक बार फिर से उसकी चुचियों पर आके रुक गये थे और कामया को धीरे से अलग करते हुए उन्होने उसकी आँखों में झाँका था कामया इस तरह से गुरुजी के अलग होने से थोड़ा सा मचल गई थी पर एकटक गुरु जी को अपनी ओर देखते हुए पाया तो पूछ बैठी 

कामया-क्या हुआ गुरुजी- 

गुरुजी- कुछ नहीं तुम्हें देख रहा हूँ बहुत उत्साहित हो उत्तेजित हो तुम कुछ नहीं करोगी अपने गुरुजी के लिए 

कामया- जी गुरुजी बहुत कुछ करूँगी अब मेरी बारी है आप लेटो 

गुरुजी- ( मुस्कुराते हुए) हाँ… दिखाओ तुम कितना प्यार करती हो हम से 


कामया एकदम से उठकर बैठ गई थी एकटक गुरुजी की ओर देखते हुए अपनी आखों को बड़ा बड़ा करके गुरुजी की ओर एकटक देखती रही उसकी आखों में एक नशा था एक चाहत थी एक खुमारी थी जो कि गुरुजी को साफ नजर आ रहा था उसकी आखों में बहूत बातें थी जो की गुरुजी पहली बार इतना पास से देख रहे थे कामया देखते ही देखते अपने शरीर को एक अंगड़ाई दी और उठकर घुटनों के बल थोड़ा सा आगे बढ़ी और गुरुजी के सामने अपनी चुचियों को लेजाकर थोड़ा सा हिलाया और उनके चहरे पर घिसते हुए 

कामया- देखो गुरुजी इन्हें देखो और खूब जोर-जोर से चुसू इन्हें आपने होंठों की जरूरत है प्लीज ईई

गुरुजी अपने होंठों को खोलकर उसके आमंत्रण को ग्रहण किया और उसके चूचियां को चूसने लगे थे फिर से उनके अंदर एक अजीब तरीके का उत्साह देखने को मिला था कामया जिस तरह से वो उसकी चूचियां चूस रहे थे उनके दाँत भी उसके निपल्स को लग रहे थे 

कामया जानती थी कि गुरुजी की उत्तेजेना बढ़ रही है एक के बाद दूसरी चूंची को उसने गुरुजी के मुख में ठूंस दिया था और उनके सिर को कसकर जकड़कर पकड़ रखा था अपने हथेलियों को धीरे-धीरे उनके पीठ पर भी घुमाने लगी थी झुकी हुई कामया अपने शरीर का हर हिस्सा गुरुजी से छुआने में लगी थी अपने घुटनों को खोलकर उसने गुरुजी के दोनों ओर कर लिया था उसकी योनि में ज्वार आया हुआ था और गुरुजी के लिंग का ही सिर्फ़ इंतजार था एक झटके में गुरुजी को बेड पर धकेल कर कामया उसके पेट से लेकर उनके लिंग तक एक बार में ही पहुँच गई थी उसके लिंग का आकार थोड़ा सा बड़ा था औरो के लिंग की तरह नहीं था पर था अभी भी टेन्शन मुक्त वो झुकी और गुरुजी के लिंग को अपने जीब से चाट्ती हुई अपने मुख के अंदर तक उसे ले गई थी और धीरे से गीलाकरते हुए बाहर की ओर ले आई थी एक नजर गुरुजी के ऊपर ढलती हुई फिर से अपने काम में लग गई थी उनके लिंग को कभी अपने मुख के अंदर तो कभी बाहर करते हुए कामया उसे
अपने हाथों से भी कसकर पकड़ती थी और अपने होंठों के सुपुर्द कर देती थी बहुत देर तक करते रहने के बाद उसे लगा था कि गुरुजी अब तैयार हो गये है वो गुरुजी के लेटे में ही उनके ऊपर चढ़ गई थी और खुद ही उनके लिंग को अड्जस्ट करते हुए अपनी योनि के अंदर ले गई थी उसके बैठ-ते ही गुरुजी की कमर भी एक बार हिली और उन्होंने भी एक हल्का सा धक्का लगाकर अपने लिंग को कामया के अंदर पहुँचने में मदद की 

कामया- आआआआअह्ह उूुुुउउम्म्म्मममममम 

झूम गई थी कामया जिसका इंतजार था वो उसके पास और इतना पास था कि वो झूम उठी थी अपने शरीर को उठाकर एक बार फिर से और नीचे कर लिया था ताकि गुरुजी का लिंग पूरी तरह से अंदर समा जाए 

कामया- उूुुउउफफफ्फ़ आआह्ह उूउउम्म्म्म 
करती हुई खुशी से निढाल हो गई थी और थोड़ी थोड़ी देर में ही अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर करके धम्म से उनके लिंग में बैठ जाती गुरुजी भी एकटक उसे देखते हुए अपने लिंग को हर बार उसके अंदर तक उतार चुके थे अब वो भी थोड़ा बहुत उत्तेजित से नजर आते थे और नीचे से अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपर करते थे कामया के अंदर लिंग के प्रवेश करते ही वो गुरुजी के ऊपर गिर गई थी और उसके साथ-साथ हिलते हुए अपनी योनि के ज्वार को शांत करने में जुट गई थी गुरुजी की बाँहे भी अब कामया को सहारा देने के लिए उठ गई थी और उसे कस्स कर पकड़ते हुए 

गुरुजी- अपना रस पान कराओ सखी 
कामया ने झट से सिर घुमाकर अपने होंठ गुरुजी की और कर दिए और वो भी गुरुजी का रस पान करने लगे थी दोनों की जीब एक दूसरे से लड़ते हुए योनि और लिंग का खेल खेलते रहे और उस कमरे में आए हुए तूफान को देखते रहे 

कामया- उउउम्म्म्म और जोर-जोर से गुरुजी निचोड़ दो मुझे मार डालो प्लीज 

गुरुजी- नहीं सखी मारूँगा क्यों तुम तो मेरी आत्मा हो मेरी सखी हो तुम्हारे जिश्म की खुशबू तो सारे संसार के लिए है में तो पहला हूँ और हमेश ही रहूँगा तुम तो मेरी हो 

जाने क्या-क्या उत्तेजना में कहते जा रहे थे गुरुजी 

कामया अपने आप में खुश थी उसने गुरुजी को जीत लिया था गुरुजी अब उसके साथ में थे वो और जोर से अपनी कमर को हिलाकर उसके लिंग को अपनी जाँघो को को जोड़ कर निचोड़ने लगी थी गुरुजी भी आवेश में आ गई थे एक झटके में कामया को नीचे करते हुए वो खुद अब उसके ऊपर आ गये थे और उसके योनि को लगातार कई झटके देने के बाद रुक गये थे एक नजर उसकी और डालते हुए जोर से उसके होंठों को चूम लिया और धक्के पर धक्के मारते रहे उनकी गति इतनी तेज थी की हर धक्का उसकी योनि के आखिरी द्वार पर लगता था और पकड़ भी इतनी मजबूत थी कि कामया से और नहीं रहा गया कस्स कर गुरुजी को पकड़कर वो उनसे लिपट गई थी 

कामया- हाँ… गुरुजी बस करते रहिए रुकिये नई आआअह्ह उ उ उूुुुुुुुउउम्म्म्मममममम करते हुए वो शांत हो गई थी पर गुरुजी अब भी शांत नहीं हुए थे कमी आपने आपको रोक नहीं पाई थी शायद उत्तेजना उनसे ज्यादा थी 

गुरुजी- बस हो गया सखी इतना ही प्यार है हमसे अभी तो हम बहुत बाकी है 
हान्फते हुए गुरुजी के मुँह से निकला था 

कामया- नहीं गुरुजी में साथ हूँ अब रोको नहीं करते रहे में पूरा साथ दे रही हूँ 

और कहते हुए कामया ने गुरुजी को कस कर पकड़ते हुए उन्हें चूमने लगी थी अपने आपको उनका साथ देते हुए वो यह दिखाना चाहती थी कि वो अब भी उत्तेजित है पर गुरुजी तो जान गये थे वो सिर्फ़ उनको दिखने के लिए ही उनका साथ दे रही थी ‘कामया अपनी कमर को बहुत तेजी से उचका कर गुरुजी से रिदम मिलाने की कोशिश में थी कि गुरुजी ने अपने लिंग को उसके योनि से निकाल लिया और कामया को घुमा लिया था अब कामया उनके नीचे थी और सोच रही थी की अब क्या 

गुरुजी ने अपने हाथों को जोड़ कर कामया की कमर को खींचकर ऊपर उठाया और अपने लिंग को उसके गुदा द्वार पर रख दिया था कामया एक बार तो सिहर उठी थी उसने अभी-अभी देखा था और सिर्फ़ एक बार भीमा के साथ वहां किया था पर, गुरुजी की उत्तेजना के सामने वो कुछ नहीं बोल सकी बस वैसे ही कमर उठाए हुए गुरुजी को अपना काम करने देने की छूट दे दी थी और गुरुजी तो आवेश में थे ही एक धक्के में ही उनका लिंग आधा फस गया था कामया की गुदा में 

कामया--------- आआआआआआआआयययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हमम्म्ममममममममममममममममममम द्द्द्द्द्द्दद्धीईईरर्र्र्रररीईईईईईईई 
कामया की चीख उस कमरे में गूँज गई थी, , पर गुरुजी कहाँ रुकने वाले थे थोड़ा सा रुक कर एक जोर दार धक्का फिर लगा दिया था 

कामया- आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईई उूुुउउमम्मूँमुमूमूमूंम्म्मममममम 

करते हुए रोने लगी थी दर्द के मारे वो नहीं रुक सकती थी बहुत दर्द होने लगा था उसे गुरुजी थोड़ा सा रुके और अपने लिंग को बाहर खींच लिया कामया थोड़ा सा बहाल हुई थी पर फिर से झटके से जैसे चाकू किसी मक्कन की स्लाइस पर घुसता था वैसे उसके गुदा द्वार पर घुसता चला गया था गुरुजी की हैवानियत अब उसके सामने थी बिना रुके कामया के अंदर तक उतर कर ही दम लिया गुरुजी ने 

कामया रोते हुए उनसे रुकने की मिन्नत करती रही पर गुरुजी नहीं रुके लगातार धक्के के साथ ही अपने लिंग को पूरा का पूरा उसके अंदर उतारने के बाद ही रुके वो रुक कर एक बार कामया को जी भर कर चूमा था उन्होंने कामया अटकी हुई और दर्द से बहाल गिर पड़ी थी बेड पर और रुक रुक कर उसके कहराने की आवाज उसके गले से निकल रही थी 

गुरुजी- क्या हुआ सखी थक गई 

कामया- प्लीज गुरुजी मर जाऊँगी प्लेआस्ीई उूउउम्म्म्मममम 
रोते हुए कामया के मुख से निकाला 

गुरुजी- क्यों अभी तो कह रही थी कि मार डालो अब क्या हुआ बस थोड़ा सा और फिर देखना कितना मज आता है 
और ये कहते हुए गुरुजी ने कामया को एक बार उठाकर फिर से अपने लिंग को उसके गुदा द्वार से थोड़ा सा बाहर र्निकाला और फिर धक्के के साथ अंदर पिरो दिया था 

कामया- (दाँत भिचते हुए ) उउउम्म्म्ममाआ आह्ह करती रही और गुरुजी के हाथों का खिलोना बनी हुई अपने आपको दर्द के सहारे छोड़ कर निढाल होकर घुटनों के बल और कोहनी के बल बैठी रही गुरुजी का लिंग जो कि अभी तक फँस कर जा रहा था अब आराम से उसके गुदा के अंदर तक जा रहा था अब उसे थोड़ा कम तकलीफ हो रही थी पर हर धक्का इतना तेज और आक्रामक होता था कि वो हर बार गिर जाती थी 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:33 PM

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