Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:25 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
एक बड़ा सा कपड़ा लिए खड़ी थी मनसा शायद उसे ढकने के लिए कामया अब थोड़ा सा बिंदास होने लगी थी वो भी एक झटके में उठी और नग्न अवस्था में ही से बाहर निकलकर मनसा के पास पहुँच गई थी 

पीछे-पीछे वो दासिया भी बाहर निकल आई थी और सिर झुकाए हुए धीरे-धीरे चलते हुए बाहर की ओर जाने लगी थी मनसा ने कामया को उस बड़े से कपड़े में लपेट लिया था पर कामया की नजर उन जाने वाली दसियो पर थी सभी वही सफेद कपड़ा पहने हुए थी पर पानी से वो कपड़ा उसके शरीर से चिपक गया था और 
उनका पूरा शरीर साफ-साफ दिख रहा था पर एक बात जो उसने देखी थी कि अभी-अभी जो कुछ भी घटा था उसका कोई जिकरा या कोई निशान तक उनके चेहरे पर नहीं था ना मनसा के ही चहरे पर कोई चिन्ह था 


कामया ने भी कुछ ना कहते हुए एक बार मनसा की ओर देखा मनसा ने उसे आगे बढ़ने को कहा एक के बाद एक पर्दे को छोड़ कर वो थोड़ा सा आगे बढ़े थे तो वहाँ कुछ अजीब सा स्मेल था और एक कुंड बना हुआ था और उसपर एक काला ग्रनाइट पत्थर आरपार रखा हुआ था कुछ काला था और उसपर तैरता हुआ जल भी काला था 

साफ था कमरे में कोई नहीं था पर जैसे ही कामया और मनसा उस कमरे में पहुँचे थे एक छोटा सा दरवाजा खुला और उसमें से 5 बोनी सी महिलाए निकलकर कुंड की ओर बढ़ी थी बड़े ही अजीब तरह का ड्रेस था कमर से कसा हुआ था कुछ कुछ जांघीए की तरह से और ऊपर सिर्फ़ एक कपड़ा बड़े ही टाइट तरीके से बँधा हुआ था 

कुछ ना कहते हुए एक बार कामया की ओर नतमस्तक होते हुए धीरे से कुंड में फिसलती हुई सी उतरगई थी सभी जैसे उन्हें सब पता था कि क्या करना है उतरते ही कुछ तेल सा लेकर अपने हाथों पर घिसने लगी थी और सिर झुकाए खड़ी रही 
मनसा- आगे बढ़िए रानी साहिबा 

कामया थोड़ा सा आगे बढ़ी तो मनसा उसके पास आके उसके ऊपर के कपड़े को हटा दिया था एक बार फिर पूरे कमरे में नग्न अवस्था में खड़ी थी नहाने के बाद उसका शरीर चमक रहा था और कही कही पानी की बूँद अब तक रुका हुआ था सुडोल और तराशे हुए शरीर का हर कोना देखने लायक था लंबी-लंबीटाँगें गोल होती हुई जब कमर तक जाती थी और जाकर फेल कर नाभि में उतर जाती थी तो उूउउफफ्फ़ चिपका हुआ सा पेट और फिर उसके ऊपर गोल गोल उभरे 
तने हुए निपल्स के ऊपर होते हुए गले के बाद गाल और फिर आखें तना हुआ सा सिर कयामत था उस समय कोई भी पुरुष उसे इस अवस्था में देखकर रोक नहीं पाता अपने आपको (मे तो नहीं ), थोड़ा सा सकुचा कर एक बार मनसा की ओर देखती हुई कामया आगे बढ़ी थी 

मनसा- किनारे पर बैठ जाइए रानी साहिबा फिर धीरे से नीचे सरक जाइए 

कामया ने यही किया किनारे पर बैठते ही धीरे से उस ग्रनाइट पर से फिसलती हुई और उन बोनी महिलाओं का सहारा लिए वो उस कुंड में धीरे से सरक गई थी अभी भी उसी प्लॅटफार्म पर ही बैठी थी कुछ गरम-गरम सा तेल था उन महिलयो ने उसे घुमाकर वापस उसके पैर को किनारे की ओर कर दिए थे और एक गोल सा तकिया रब्बर का था शायद उसके सिर के नीचे रख दिया था 

मनसा- आराम से लेट जाइए आप और इन्हें अपना काम करने दे बिल्कुल भी चिंता ना करे इन्हें सब आता है और बिल्कुल ढीला छोड़ दे अपने आपको 

कामया थोड़ा सा सहज हो चुकी थी अब उसे पता था कि उसे क्या करना था बस चुपचाप लेट गई थी और उन बोनी महिलयो को देख रही थी पर वो महिलाए कोई भी शिकन और नहीं कोई उत्सुकता लिए हुए कामया को शून्य की तरह निहार रही थी शायद उसके मन में कोई इच्छा नहीं थी या फिर वो अपने काम में इतना इन्वॉल्व थी की उनके पास समय ही नहीं था यह सब सोचने का 

कामया भी निसचिंत होकर एक बार इसको और एक बार उसको देखती हुई चुपचाप लेटी हुई थी कामया का शरीर का कुछ हिस्सा तेल में डूबा हुआ था और बाकी का हिस्सा ऊपर था वो औरते एक-एक कर अपने हाथों में तेल लगाकर धीरे से कामया के शरीर का स्पर्श किया छोटे छोटे हाथों में छोटी-छोटी उंगलियां और वो भी पत्थर के समान सख्त थे पर अपने काम में निपुण थे छूते ही उसकी उंगलियां कामया के शरीर में घूमने लगी थी जैसे किसी पिनो के टब्स को छेड़ रहे हो कामया के हाथों से लेकर बाहों तक और पैरों की उंगलियों से लेकर उसकी पिंदलियो तक उनकी उंगलियां घूमने लगी थी अभी-अभी कामया ने अनुभव किया था वो एक बार फिर जागने लगा था तेल में कुछ था जो कि उसके शरीर को छूते ही एक गुदगुदाहट पैदा करने लगा था उसके शरीर में और फिर इन हुनर से भरी हुई औरतों की उंगलियां बाकी का कमाल कर रही थी सिर के पास खड़ी हुई महिला उसके बालों को अच्छे से तेल से भिगो रही थी और धीरे धीरे उसके सिर की मालिश करना शुरू कर दिया था उसके हाथों में जादू था एकदम से कामया की आखें बंद होने लगी थी तेल का भारीपन और उस महिला के हाथ का स्पर्श इतना सुखद था की कामया अपने आप ही आखें बंद करती चली गई थी साइड में खड़ी हुई महिलाए एक-एक करके उसकी हाथों की उंगलियों को धीरे-धीरे तेल में डुबो कर उनकी मसलिश करती जा रही थी और नीचे खड़ी हुई महिलाए, उसकी टांगों का हर हिस्सा उनके सुपुर्द था कामया के मन में एक अजीब तरह की शांति थी कामया को कोई चिंता और कोई भी हिचक नहीं था उसके अंदर अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था उसने उसे अब यह अच्छा लगने लगा था वैसे भी सभी जो भी अब तक उसे मिला था उसे उसके नंगे पन से कोई एतराज नहीं था और नहीं शायद उसके लिए यह कोई नया था इसलिए कामया भी सहज होने में ज्यादा देर नहीं लगी वो लेटी हुई उबकी उंगलियों का स्पर्श अपने शरीर के हर हिस्से में महसूस करती रही और अपने अंदर धीरे धीरे उठ-ते हुए उफान को भी दबाने की कोशिश करती रही पर ज्यादा देर तक नहीं 


उसके मुख से धीरे-धीरे और मध्यम सी सिसकारी निकलने लगी थी एक नई उर्जा उसके अंदर जनम लेती जा रही थी सिसकारी के साथ-साथ हर अंग के अंदर फिर से एक आग भड़कने लगी थी कामया के अंगो के साथ जिस तरह से वो महिलाए खेल रही थी या कहिए मसल रही थी उससे उसके जेहन में उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी थी कामया के मुख से सिसकारी अब धीरे-धीरे आह्ह्ह में बदलने लगी थी और हाथ पाँव भी चलने लगे थे उसके उठने और गिरने से साथ में मालिश कर रही महिलाए भी थोड़ा सा बिचलित सी दिखाई दी पर शायद उन्हें आदत थी इसकी 


कामया के पूरे शरीर में धीरे-धीरे अकड़न सी भरती जा रही थी सिर पीछे की ओर होने लगा था और हाथ पास खड़ी हुई महिलाओं के शरीर को छूने की कोशिश करने लगी थी अब तो उन महिलाओं के हाथ भी उसके नाजुक अंगो तक पहुँच गये थे पास खड़ी हुई दोनों महिलाए उसके सीने पर उसके गोल गोल चुचो को धीरे से मसलती हुई और पेट तक का हिस्सा अपने कब्ज़े में ले चुकी थी और नीचे खड़ी हुई महिलाए उसकी जाँघो से लेकर उसकी योनि तक फ्रीली अपने हाथों को घुमा रही थी उंगली छूती जरूर थी पर सख्त थी और कोई नाजूक्ता नहीं थी उनमें योनि की दरार पर उनकी उंगलियां तेल की मालिश करते हुए धीरे से ऊपर की ओर उठ जाती थी और फिर से एक बार घूमकर योनि में धीरे से सहलाकर नीचे की ओर उतर जाती थी 


कामया इस हरकत पर एक सिसकारी छोड़ती हुई अपने शरीर को मोड़कर हर हरकत का जबाब देती जा रही थी 
धीरे-धीरे उन महिलयो के मालिश के तरीके में थोड़ा सा चेंज आने लगा था अब वो कामया के शरीर के अंदूनी पार्ट या कहिए उसके सीक्रेट पार्ट्स को आजादी से छूने लगे थे नीचे की महिलाए तो कुछ ज्यादा ही उनकी उंगलियां योनि के दोनों पार्ट्स को कुछ ज्यादा ही खोलकर उसके अंदर तक तेल लगा रही थी तेल से कामया का पूरा शरीर चमक रहा था एक-एक अंग में तेल ने वो खेल रचा था कि अगर कोई देख लेता तो शायद अपने आपको रोक नहीं पाता उस ब्लैक ग्रनाइट के प्लॅटफार्म में लेटी कामया एक अप्सरा के समान लग रही थी काले रंग के ग्रनाइट पर दूध के समान गोरी और तेल में डूबी हुई कामया सच में किसी आलोकिक सुंदरता का प्रतीक ही लग रही थी और उसपर उत्तेजना की जो लहर उसके अंदर जनम ले रही थी वो उसे कही का नहीं छोड़ रही थी उसके शरीर का मचलना अब भी बरकरार था इधर उधर होते हुए वो अपनी कमर को उठा देती थी तो कभी अपने सिर को कभी साथ में खड़ी हुई महिला को खींच लेती थी तो कभी अपने सिर के पास खड़ी हुई महिला के पेट में सिर टिका लेती थी कुछ ऐसी ही हालत थी उसकी जब भी नीचे खड़ी हुई महिला उसकी योनि के आस-पास भी छूती थी तो एक लंबी सी सिसकारी उस कमरे में फेल जाती थी

कामया के पैर अपने आप खुलते और बंद होने लगे थे जाँघो के खुलने और बंद होने से उन महिलाओं को थोड़ा सा अड़चन होती थी पर फिर तो जैसे उन महिलाओं ने ही अपने हाथों में सबकुछ ले लिया था जो काम अब तक धीरे-धीरे और नजाकत से चल रहा था वो एक अग्रेसिव हो गया था दोनों महिलाए जो की उसके पैरों के पास खड़ी थी अचानक ही उसके ऊपर आगई थीऔर हाथों के साथ-साथ अपने शरीर को भी कामया के शरीर पर घिसने लगी थी बोनी होने के कारण वो कामया की जाँघो से ऊपर तक नहीं आपाती थी और साथ में खड़ी हुई महिलाए भी उसके ऊपर चढ़ गई थी और एक एक कर उसके चूचो पर कब्जा जमा लिया था 
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