Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:24 PM,
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
ऋषि-हाई भाभी हाई कितनी सुंदर लग रही हो आज साड़ी पहनी है सच में भाभी आप साड़ी में बहुत बहुत अच्छी लगती हो 
इतने में भोला अपनी सीट पर बैठ गया था उसकी नजर एक बार तो ऋषि की ओर पड़ी और फिर पीछे की ओर मेमसाहब पर और जो नजारा उसके सामने था वो वाकाई लाजबाब था एक मुश्कान उसके होंठों पर दौड़ गई थी वाह क्या नजारा है मेमसाहब और फिर ऋषि की ओर मुड़कर 
भोला- बड़े हैंडसम लग रहो भैया हाँ… 
ऋषि- 
भोला-क्या बात है बात नहीं करेंगा हमसे नाराज है क्या 

ऋषि- नहीं 
बड़े ही रूखे पन से जबाब दिया था उसने पर भोला को कोई फरक नहीं पड़ा था 

भोला- मर्क चलाई है कभी आपने भैया 

ऋषि और कामया की नजर एक साथ ही भोला की ओर उठी थी क्या कह रहा है यह भोला की नजर अब भी सामने की ओर ही थी पर नजर पीछे बैठी मेमसाहब पर भी थी 

कुछ कहते की भोला फिर कह उठा 
भोला- भैया चलाकर देखो कैसी चलती है 

ऋषि- क्यों आप क्या करेंगे 

भोला- अरे कुछ नहीं भैया बस हम तो सिर्फ़ पूछ रहे थे अगर चलाना हो तो बोलो आज के बाद मौका नहीं मिलेगा 

उसकी बातों में कुछ अर्थ था यह तो साफ था पर क्या यह ना तो ऋषि ही समझ पाया और नहीं कामया थोड़ा आगे बढ़ कर भोला ने गाड़ी एक पेड़ के नीचे रोक लिया और ऋषि की ओर देखने लगा 

कामया- गाड़ी क्यों रोकी 

भोला ने कोई जबाब नहीं दिया था बल्कि ऋषि की ओर देखते हुए 
भोला- आइए भैया मर्क भी चलाकर देख लो आज में थोड़ा सा पीछे बैठा हूँ 

और झट से डोर खोलकर पीछे की सीट की ओर बड़ा था ऋषि का चहरा सफेद हो गया था पर कुछ कहता इससे पहले ही भोला पीछे की सीट पर बैठा हुआ था कामया पास बिल्कुल बिना किसी ओपचारिकता के और नहीं किसी डर के 
ऋषि और कामया कुछ समझते 
भोला- अरे भैया चलो कोई देखेगा तो क्या सोचेगा 

ऋषि झट से ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था और एक ही झटके में गाड़ी आगे की ओर बढ़ गई थी उसकी नजर पीछे की सीट पर थी भाभी बड़ी ही डरी हुई लग रही थी और वो गुंडा उसे तो कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था कैसे पीछे सीट पर सिर टिकाए बैठा हुआ था चहरे पर कोई शिकन नहीं थी जानवर कही का लेकिन पीछे क्यों बैठा है वो 

और उधर कामया की हालत खराब थी पीछे जैसे भोला बैठा था वो कुछ बोल भी नहीं पाई थी जैसे उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी और उसने अपने कोट की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया वो कब धलक गया था उसे पता ही नहीं चला था यह तो जैसे भोला को न्योता देने वाली बात हो गई थी पर उसने कभी नहीं सोचा था कि भोला गाड़ी में ही अटेक कर लेगा उसने तो कभी जिंदगी में इस बात का ध्यान नहीं किया था 

लेकिन अब क्या भोला तो उसके पास बैठा हुआ एकटक उसकी ओर ही देख रहा था और वो बिना कुछ कहे बिल्कुल सिमटी हुई सी बैठी हुई थी जैसे मालिक वो नहीं भोला हो गया था पर भोला के शरीर से उठ रही वो स्मेल अब धीरे धीरे उसके नथुनो को भेद कर उसके अंतर मन में उतरती जा रही थी उसने अपनी सांसें रोके और आखें बाहर की ओर करके चुपचाप बैठी हुई अगले पल का इंतजार कर रही थी जैसे उसके हाथों से सबकुछ निकल गया है 

इतने में भोला की हल्की सी आवाज उसे सुनाई दी 

भोला- भैया आराम से चलिए और थोड़ा सा घूमकर चलिए आपका मन भी भर जाएगा और थोड़ा घूम भी लेंगे 

कामया की नजर एक बार भोला की ओर उठी थी पर उस नजर में एक जादू सा था बड़ी ही खतरनाक सी दिखती थी उसकी आखें भूखी और सख़्त सी थी और एक जानवर सा दिख रहा था वो सांसें भी उसकी फूल रही थी पर कर कुछ नहीं रहा था 
कामया का शरीर अब धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ रहा था पर वो बड़े ही , तरीके से बैठी हुई भोला को नजर अंदाज करने की कोशिश कर रही थी पर हल्के से एक उंगली ने उसके हाथ के उल्टे साइड को टच किया था चौंक कर उसने अपने हाथ को खींच लिया था वो एक नजर भोला की ओर ना देखती हुई सीट की ओर देखा था वहाँ उसकी हथेलिया थी मोटी-मोटी उंगलियां और गंदा सा हाथ था उसका मेल और काला पन लिए हुए वो फिर बाहर की ओर देखने लगी थी गाड़ी धीरे-धीरे चला रहा था ऋषि एसी के चलते हुए भी एक गरम सा महाल था अंदर 


कामया की नजर बाहर जरूर थी पर ध्यान पूरा अंदर था और भोला जो उसके पास बैठा था क्या करेगा आगे सोच रही थी तभी उसकी कमर के साइड में उसे भोला के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ था वो सिहर उठी थी और अपने आपको हटाना चाहती थी उसके छूने से पर कहाँ वो बस थोड़ा सा हिल कर ही शांत हो जाना पड़ा था उसे क्योंकी भोला की उंगलियां उसके पेटीकोट के नाडे पर कस्स गई थी थोड़ी सी जगह पर से उसने अपनी उंगली को अंदर डालकर उसे फँसा लिया था वो कुछ ना कर सकी बल्कि सामने की ओर एक बार ऋषि की ओर देखा और फिर भोला की ओर 

पर भोला की पत्थर जैसी आखों में वो ज्यादा देर देख ना सकी सीट पर सिर टिकाए हुए वो कामया की ओर एक कामुक नजर से देख रहा था वही नजर थी वो जो उसने पहली बार और जाने कितनी बार देखा था उस नजर के आगे वो कुछ नहीं कर सकती थी चाहे वो कही भी हो वो क्या कर सकती है अब यह जानवर तो उससे गाड़ी में ही सबकुछ कर लेना चाहता है और ऋषि भी कुछ नहीं कह रहा है वो तो एक अबला सी नारी है वो कैसे इस जानवर से लड़ सकती है कैसे इस वहशी को बाँध सकती है पर उसकी हालत भी खराब थी उसके टच ने ही उसे इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो अपने गीले पन को रोक नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी वो अपनी जाँघो को खींचकर आपस में जोड़ रखा था पर भोला को मना नहीं कर पाई थी और नहीं शायद वो मना करना चाहती थी उसे भी वो सब चाहिए था और वो अभी तो सिर्फ़ भोला ही दे सकता था और उसने भी अभी उसने हाथों को बढ़ाकर एक आखिरी ट्राइ करने की कोशिश की और उसके उंगलियों को अपने पेटीकोट के नाडे पर से निकालने की कोशिश की पर यह तो उल्टा पड़ गया था भोला ने उसकी हाथों को कस्स कर पकड़ लिया था और उसे अपनी ओर खींच लिया था एक ही झटके में वो भोला के ऊपर गिर सी पड़ी थी ऋषि जो कि गाड़ी कम चला रहा था पीछे नजर ज्यादा थी थोड़ा सा गाड़ी धीरे कर दी थी उसने पर जैसे ही भोला की आवाज उस तक पहुँची थी वो फिर से गाड़ी चलाने लगा था 

भोला- अरे यार इतना भी धीरे मत चलो थोड़ा घुमाते हुए चलो ना भैया और आगे देखो 

और भोला ने अपने मजबूत हाथों के सहारे कामया को उठाया था और दूसरे हाथों से उसकी कमर को पकड़कर अपने पास खींच लिया था बहुत ही पास लगभग अपनी गोद में और अपनी हाथों का कसाव को निरंतर बढ़ते हुए उसे और पास खींचते जा रहा था कामया जितना हो सके अपने आपको रोकती जा रही थी अपने कोहनी से वो भोला को अपने से दूर रखना चाहती थी पर भोला की ताकत उससे ज्यादा थी ऋषि भी कुछ नहीं कर रहा था 
कामया- प्लीज नहीं 

भोला कुछ ना कहते हुए उसे एक झटके से अपने ऊपर अपनी जाँघो पर सीने के बल लिटा लेता है कामया भी कुछ नहीं कर सकी उसकी जाँघो के सहारे लेट गई हाई भगवान उसने अपने लिंग को कब निकाला था अपने पैंट से आआह्ह अपने सीने पर उसके लिंग का गरम-गरम स्पर्श पाते ही कामया हर गई थी वो और भी उसके लिंग से लिपट जाना चाहती थी पर उसकी जरूरत नहीं थी भोला का लिंग इतना सख़्त था कि वो खुद ही उसके ब्लाउज के खुले हुए हिस्से को आराम से छू सकता था और वो कर भी यही रहा था भोला के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे और उसके अंदर के हर तार को छेड़ते हुए उसके हर अंग में एक उत्तेजना की लहर भर रहा था वो अपने आपको उसके सुपुर्द करने को तैयार थी वो भूल गई थी कि वो गाड़ी में है और सामने ऋषि गाड़ी चला रहा है 

वो अब अपने आप में नहीं थी एक सोते हुए शेर को भोला ने जगा दिया था और वो अब रुकना नहीं चाहती थी भोला उसकी पीठ के हर हिस्से को जो की खुला हुआ था अपने सख़्त हाथों से सहलाते हुए उसकी कमर तक जाता था और फिर उसके पीठ पर आ जाता था उसके हाथों का जोर इतना नहीं था कि वो उठ नहीं सकती थी पर वो उठी नहीं और भोला के लिंग का एहसास अपनी चुचियों के चारो ओर करती रही वो गरम-गरम और अजीब सा एहसास उसे और भी मदमस्त करता जा रहा था वो उठती क्या बल्कि उसकी हथेली धीरे-धीरे भोला के लिंग की ओर बढ़ने लगी थी एक भूख जो कि उसने दबाकर रखा था वो फिर जाग गया था और वो अब आगे ही बढ़ना चाहती थी उसका हाथ धीरे से भोला की जाँघो से होता हुआ उसके लिंग तक पहुँच चुका था और धीरे से अपनी गिरफ़्त में लेने को बेकरार था और उस गरम-गरम और सख़्त चीज को उसने अपने नरम और कोमल हाथों के सुपुर्द कर दिया 

भोला- आआआआह्ह ऐसे ही मेमसाहब वाह 
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