Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:21 PM,
#99
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
वो अपने आपको कामया के और भी करीब ले गया था और बहुत ही कस कर उसको अपने से भींच लिया था उसके हाथ अब भी उसके दोनों चुचों पर कब्जा किए हुए थे और एक जाँघ को उठाकर कामया की जाँघो पर रख दिया था कामया जो की अपनी जाँघो पर भोला की सख़्त सी जाँघ का स्पर्श पाकर और भी निढाल हो गई थी वो थोड़ा सा अपने शरीर को साधने लगी थी ताकि भोला की जाँघ का पूरा स्पर्श अपनी जाँघो पर ले सके सख़्त और बालों से भरा हुआ गरम सा मर्दाना जाँघ का स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था और उसे साथ-साथ उसके गरम-गरम लिंग का स्पर्श भी उसकी जाँघो के आस-पास जिस तरह से हो रहा था वो और भी पागल करदेने वाला था कामया की जाँघो के साथ-साथ उसकी कमर ने भी हरकत करना शुरू कर दिया था और वो थोड़ा सा और पीछे की ओर होती हुई अपनी कमर के नीचे उसके लिंग को अपने नितंबों से छूने की कोशिश करने लगी थी हर टच उसके लिए एक जान लेवा साबित हो रहा था 


जहां वो सोने का नाटक करने की कोशिश करने वाली थी वही अब अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वो भोला के अपनी चूचियां पर से हाथों को भी रोकना चाहती ही और भोला को अपने और भी पास भी खींचना चाहती थी एक हाथ को भोला के हाथों पर रखते हुए उसके दाए हाथ को पीछे की ओर ले गई थी कामया और भोला की कमर को छूकर और फिर अपनी कोमल उंगलियों से उसे धीरे से अपनी ओर खींचने लगी थी अपनी कमर को थोड़ा सा उचका करके उसे रास्ता भी दिखाने की कोशिश करने लगी थी योनि के अंदर एक भूचाल सा आने लगा था सांसें फिर से रफ़्तार पकड़ने लगी थी उसका दिल धड़कनों को छूने लगा था और चूचियांतनकर और भी बाहर की ओर हो गई थी भोला की पकड़ से वो कभी-कभी छूट जाती थी उसकी हरकतों के कारण पर भोला की पकड़ वैसे ही सख़्त थी जो कि कामया की कमर से होकर और कामया के कंधे से होकर गये उसके हाथो में थी कामया को हिलने के लिए बहुत जोर लगाना पड़ रहा था 


पर शरीर में उठ रही उत्तेजना के ज्वार के आगे और काम अग्नि में जल रही कमाया को भोला की पकड़ भी नहीं रोक पा रही थी वो भोला की कमर को और भी अपनी ओर खींचती हुई अपने नितंब को लगातार उसके लिंग पर घिसने लगी थी भोला भी पीछे से उसके नितंबों को अच्छे से अपने लिंग से छूता हुआ अपना दायां हाथ धीरे से नीचे की ओर ले आया था और कामया की जाँघो के बीच में ले गया था कामया की जांघे अपने आप ही भोला की दाई जाँघ पर उठ गया था और उसने भोला के लिए जगह बना दी थी अपनी उंगलियों को धीरे से उसने कामया की योनि में डाली ही थी कि एकदम से कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और उसका मुख थोड़ा सा घूमकर भोला की ओर आ गया था अधखुले होंठों से और नथुनो से निकलने वाली खुशबू से भरी उसकी सांसें अब भोला की नाक से टकराने लगी थी वो घूमकर शायद अपने होंठों पर कब्जा जमाने को कह रही थी 



सो भोला भी अपने पकड़ को थोड़ा सा ढील देकर ऊपर उठा और पीछे से ही उसके होंठों को छू लिया और फिर धीरे से अपनी जीब को एक बार उसके होंठों पर फेर दिया कामया की सिसकारी और भी तेज होती जा रही थी और वो अपने आपको घुमाने की कोशिस करती जा रही थी पर एक हाथ उसकी चुचियों पर और एक हाथ उसकी जाँघो के बीच में होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पाई थी पर हाँ घूम तो थोड़ा सा गई थी और अपने होंठों को और भी खोलकर भोला को प्रेज़ेंट कर रही थी भोला ने भी उस उत्तेजना में जल रही अपनी मेमसाब को और नहीं तड़पाया और झट से उसके होंठों पर कब्जा जमा लिया था और धीरे-धीरे उसके होंठों का रस्स पान करने लगा था एक मदहोशी सी थी उसके होंठों में वो क्या किस करता उससे कही ज्यादा और उसके कही ज्यादा तेजी थी कामया की जीब और होंठों की उसके होंठों को खींच खींचकर वो छूती और अपनी जीब को उसके मुख के अंदर तक घुमाती जा रही थी 


भोला को ऐसा किस आज तक किसी ने नहीं किया था आज तक जो भी मिला वो सिर्फ़ होंठों को देकर चुपचाप अपना काम करने देता था पर आज बात कुछ और थी भोला को जितनी जरूरत मेमसाब की थी शायद उससे कही ज्यादा मेमसाब को उसकी जरूरत ज्यादा थी भोला का अंदर बैठा हुआ शैतान अब धीरे-धीरे जाग रहा था और उसकी पकड़ के साथ-साथ उसकी आक्टिविटी भी वायलेंट होने लगी थी उसकी पकड़ का कोई तोड़ नहीं था इतनी कस गई थी कि कामया का हिलना तो दूर सांस भी लेना दूभर हो रहा था पर कामया को जिस बात की चिंता थी वो थी अपनी काम अग्नि को शांत करने की भोला का जानवर वो जगा चुकी थी अब सिर्फ़ उसे रास्ता दिखाना है सो वो अपनी कमर को झटकने लगी थी उसके हाथों के साथ साथ और मुख से अजीब सी आअहहे और सिसकारी भरती हुई भोला को और भी उत्तेजित करने लगी थी कामया के शरीर का हर पार्ट अब इस खेल में शामिल था उसके हर अंग से एक अजीब सी मादक सी खुशबू निकलकर भोला को पागल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी 


भोला भी मेमसाहब की उत्तेजना में बराबर का हिस्से दार बन गया था और हर कदम में मेमसाहब का बराबर का साथ देने को तैयार था वो कामया को अपनी बाहों में कसे हुए अपनी उंगलियों को उसकी जाँघो के बीच में तेजी से चलाने लगा था और अंदर और अंदर तक जहां तक वो जा सकता था जा रहा था कामया की जांघे भोला की जाँघो के ऊपर होने की वजह से एकदम खुल गई थी और वो लगातार सिसकारी भरती हुई भोला को और भी उकसा रही थी उसकी सिसकारी में कोई गुस्सा व मनाही नहीं थी बल्कि, भोला को और भी आगे बढ़ने की तथा ऑर भी रफ होने की फरमाइश थी भोला की उंगलियाँ अब तक वो कमाल काफ़ी बार कर चुकी थी पर भोला के शरीर का सबर अब टूट गया था वो कामया को अपने तरीके से भोगना चाहता था अब तक जो उसने किया था एक सुंदर और खूबसूरत नारी का सम्मान किया था और अब जो वो करने जा रहा था वो एक भोला को करना था जो कि औरतों के बीच में पहचाना ही जाता था अपने दरिंदगी के कारण 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:21 PM

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