Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:20 PM,
#94
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
वो उस काया को निरंतर अपने हाथों से सहलाता हुआ उसकी जाँघो तक पहुँच गया था उसके हाथों में कोई उतावलपान नहीं था बल्कि एक जिग्यासा थी और वो जैसे अपनी जिग्यासा को परिणाम देने की कोशिश कर रहा था पर उसके छूने से और जिस तरह से वो धीरे-धीरे अपने आपको बढ़ा रहा था कामया के शरीर में एक ऐसी आग को जनम दे दिया था कि वो पागलो की तरह से बेड पर पड़ी हुई तड़प गई थी अपने हाथों से वो भोला को खींच तो रही थी पर अब तो खुद भी उसकी ओर होने लगी थी और लगातार उससे सटने की कोशिश करती जा रही थी पर भोला की पथराई हुई आखें उसकी जाँघो पर थी और अपने हाथों से वो सहलाता हुआ बिना कोई रोक टोक के आगे बढ़ता जा रहा था कामया के मुख से निकलने वाली सिसकारी और आहे भोला को और भी बिचलित करती जा रही थी और भोला अपने ख्यालो में खोया हुआ अपने हाथों को एक बार तो उसकी योनि तक लेगया था और फिर से नीचे की ओर सहलाता हुआ चला गया था पर उस टच ने एक बार फिर कामया को हिलाकर रख दिया था और वो उठकर बैठ गई और भोला के चेहरे को खींचकर अपने होंठों पर ले लिया था पर भोला तो कही और ही गुम था वो कामया की उत्तेजना को ना देखते हुए अपने काम में लगा रहा और कामया की जाँघो से होते हुए उसकी कमर पर पेटीकोट के नाडे पर अपने हाथ साफ करने के मूड में था और उसने किया भी और धीरे से उसकी साड़ी को खोलकर एकटक कामया की ओर देखता रहा 


कामया भोला के चेहरे को अपनी ओर खींचते हुए उसको किस करना चाहती थी और अपने एक हाथ से उसके गालों को सहलाती हुई उसका चेहरा अपनी ओर करने की कोशिस में थी भोला की नजर से नजर टकराते ही उसकी आखों में एक चमक सी दिखी जो कि एक आग्रह था कि जल्दी करो पर भोला के हाथ तो उसकी पेटीकोट को उतारने में लगे थे और कामया ने भी अपनी कमर को थोड़ा सा उँचा करके उसका साथ दिया था कमर के थोड़ा सा ऊँचा होने के कारण और भोला के झटके से पेटीकोट को उतारने के कारण कामया अपना बलेन्स खो कर वापस लेट गई थी और धीरे-धीरे अपने शरीर से पेटीकोट को अलग होते हुए देखती रही देखती क्या रही वो खुद अपने टांगों को सिकोड़ कर अपने शरीर से उस बोझ को अलग कर देना चाहती थी पेटीकोट के अलग होते ही कामया की सुडोल और चमकीली सी टाँगें बिल्कुल साफ-साफ भोला के सामने थी रोशनी से नहाई हुई कामया सिर्फ़ पैंटी और स्लीव्ले ब्लाउसमें बेड पर लेटी हुई तड़प सी रही थी उसकी टाँगो के साथ-साथ उसका शरीर भी किसी जल बिन मछली की तरह से बेड पर इधर उधर हो रहा था पर भोला सबकुछ भूलकर अपने सामने पड़ी हुई उस हसीना के हर अंग को अपने हाथों से सहलाता हुआ और अपने अंदर जो भी आभिलाषा थी उस नारी के लिए उसे वो कंप्लीट कर लेना चाहता था सोचते हुए वो लगातार उसके हर हिस्से को छूकर और कभी-कभी उत्तेजना बस उनको चूमकर भी देख लेता था पर कामया के शरीर में जो आग भड़क रही थी उसे उसने बिल्कुल नजर अंदाज कर दिया था पर कामया उसे अपनी ओर खींचते हुए बोली

कामया- प्लीज करो प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज 


पर भोला मूक दर्शक बना एकटक कामया की ओर देखता हुआ उसकी पैंटी की लाइनिंग के साथ अपनी उंगलियों को घुमानी लगा था और दूसरे हाथों से उसके ब्लाउसमें छुपे हुए चुचों को धीरे-धीरे मसलने लगा था कोई जोर नहीं और कोई जल्दी नहीं थी उसे वो तो आज उस हसीना के हर अंग को छूकर और सहला कर उसकी नर्मी और कोमलता आ और चिक्नेपन का एहसास अपने अंदर समेट कर रखना चाहता था कामया उसकी हर हरकत से एक झटके से, अपने शरीर को सिकोड़ती और एक ही झटके से धनुष जैसे अकड कर अपने आपको ऊपर की ओर उठाती जाती थी उसकी ब्लाउसमें फँसी हुई चूचियां अब थक गई थी वो बाहर आने को उतावली थी पर भोला तो सिर्फ़ अपनी आखें सेक रहा था और धीरे-धीरे उसको सहलाते हुए फिर से पेट और फिर उसकी पैंटी के साथ अपनी उंगलियों को घुमाता हुआ धीरे से अपनी जीब को उसकी नाभि के ऊपर रखकर उसको चाटने लगा था उसके चाटने से एक ऐसी बिजली सी कामया शरीर में दौड़ गई थी कि वो लगभग चिल्ला उठी और ‘


कामया- भोलाआ प्लीज करो ना प्लीज ईयीई इसे खोलो 

और अपने हाथ को अपने ब्लाउज के ऊपर रखकर उसे खींचने लगी थी उसके दूसरे हाथ में फँसी हुई भोला की टीशर्ट को वो खींचकर लगभग उसके कंधों तक ले आई थी वो उसे उतारना चाहती थी और अपने ब्लाउसको भी जो कि इस कदर उसके शरीर में फँसी हुई थी कि उसको सांसें लेने में आसुविधा हो रही थी भोला की एक नजर कामया से टकराई थी और, वो अपने को टीशर्ट से आजाद करके अपने आपको बेड के किनारे बिठा लिया था अभी तक वो नीचे बैठा हुआ उसके सामने कामया को सहलाता जा रहा था पर अब वो बेड पर बैठे हुए उस हसीना को एकटक देखते हुए उसके ब्लाउसको खोलने की कोशिश कर रहा था कामया की नजर एक कामुख और उत्तेजना से भरी हुई थी जो कि किसी भी इंसान तो क्या साधुसंत भी अगर हो तो उसके जीवन में भी एक जहर घोल दे और अपनी और आकर्षित कर ले पर भोला तो जैसे पत्थर का हो गया था नजर तो क्या उसके सामने जिस हालत में कमाया थी वो तो क्या अगर कोई भी होता तो अब तक उसे चीर कर रख देता पर यह कामया मेमसाब थी उसकी मेमसाहब जिसके लिए उसने कितनी तपस्या की थी और कितना इंतजार किया था वो उसके सामने थी पर वो कोई जल्दी नहीं करते हुए उसको गरम और गरम करते हुए एक ऐसे शिखर की ओर ले जा रहा था जिसे पार करना उसके बिना बिल्कुल नामुमकिन था 


धीरे धीरे कामया के शरीर से एक-एक कर खुलते हुए उसके हुक को खोलते हुए भोला उसके अंदर के चमत्कार को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था कामया की टाँगें और जांघे उसकी कमर के तड़पने से कई बार टकरा रही थी और उसके हाथ भी उसके हाथों पर ही थे जो कि उसे जल्दी करने को दिशा दे रही थी ब्लाउज के खुलते ही कामया अपने आप ही उठ कर अपने कंधों से जैसे जितनी जल्दी हो सके उस बंधन को आजाद कर लेना चाहती थी और साथ में अपने ब्रा को भी खोलना चाहती थी पर भोला के हाथों ने उसे ब्रा खोलने से रोक दिया और सिर्फ़ ब्लाउस खोलकर एक साइड पर रख दिया कामया का चहरा भोला के बहुत पास था वो अब नहीं रुक सकी और झट से उसके होंठों पर टूट पड़ी और जम के अपने होंठों के बीच में दबा कर चूसने लगी थी पर भोला को कोई जल्दी नहीं थी वो तो सिर्फ़ कामया के ब्लाउसको उतारकर उसे देख रहा था और अपने कठोर और मजबूत हाथो से उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से सहलाता हुआ एक बार एक नजर कामया के ऊपर डाली और हल्के से एक किस उसके होंठो में देकर वापस कामया को लिटाकर नीचे की ओर मुड़ गया अपनी उंगलियों को फिर से उसकी पैंटी लाइनिंग पर घुमाते हुए अपने होंठों को उसके चूचों पर से घुमाते हुए धीरे-धीरे उसके पेट से होते हुए नीचे की ओर चल दिया था और जैसे ही उसकी नाभि तक पहुँचा अपनी जीब को निकाल कर उसे खोदने लगा था कामया का सारा शरीर आकड़ कर धनुष जैसा हो गया था एक उंगली उसकी जाँघो के बीच से होते हुए उसकी योनि पर पहुँच चुकी थी वो अपनी कमर को थोड़ा सा ऊँचा करके उसकी उंगली को रास्ता देने की कोशिश करने लगी थी पर भोला तो जैसे आज उसे पागल करके ही मानेगा वो धीरे से अपनी उंगलियों को उसके योनि के लिप्स पर ही घुमाते जा रहा था और धीरे से उसे छेड़ते भी जा रहा था कामया का सबर टूट गया था 

कामया- उंगली नहीं प्लीज ए ए प्लीज जल्दी करो 
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