Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:10 PM,
#79
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
अगर थोड़ा और इंतजार करती तो हो सकता था कि वो ही उसके पास आ जाते और भीमा भी एकदम से जहां था वहां ही रुक गया एक बार पीछे पलटकर देखा और धीरे-धीरे कामया की ओर बढ़ने लगा कामया तो जैसे जम गई थी वो लगातार भीमा चाचा को अपने पास आते हुए देखती रही और आते आते उनकी बाहों मे जैसे अपने आप ही पहुँच गई थी पीछे से जैसे ही भीमा चाचा ने उसे बाहों में भरा एक लंबी सी सिसकारी उसके होंठों से निकली और वो भीमा चाचा के शरीर से चिपक गई थी वो वही खड़ी रही और अपने महीन से गाउनके होते हुए भी भीमा चाचा के शरीर की गर्मी को अपनी स्किन पर महसूस करती रही वो धीरे से अपनी हथेलियो को भीमा चाचा के बड़े-बड़े और मजबूत हाथों के
ऊपर रखकर उन्हें सहलाने लगी थी वो धीरे से अपने सिर को पीछे करते हुए अपने समर्थन का और अपने समर्पण का इशारा दे चुकी थी हाँ… वो यहां आई ही इसलिए थी तो शरम कैसी उसे शांति चाहिए थी और परम आनंद के सागर में वो एक बार फिर से गोते लगाने को तैयार थी उसके अंदर की सारी झिझक और शरम ना जाने कहाँ हवा हो चुकी थी अब वो एक निडर कामया थी और एक सेक्स की भूखी औरत और उसके पास एक नहीं दो-दो मुस्टंडे थे उसके तन की आग को बुझाने को

बस उसे तैयारी करनी थी की कैसे और कितनी देर तक वो टिक सकती है और वो तैयार थी पूरी तरह से अपने होंठों को वो सिर को पीछे करते हुए भीमा चाचा के खुरदुरे गालों पर अपने से ही घिसने लगी थी छोटे छोटे बालों के होते हुए भी उसे कोई चिंता नहीं थी बल्कि उसे वो अच्छा लग रहा था साफ और चिकनी त्वचा अब उसे अच्छी नहीं लगती थी उसे तो जानवरों के साथ रहने की आदत पड़ चुकी थी और अपने को उसी हाल में खुश भी पाती थी भीमा चाचा की हथेलिया पीछे से होकर कामया के पेट से होते हुए उसकी चुचियों तक आ गई थी और धीरे धीरे उन्हें सहलाते जा रहे थे कामया के होंठ भीमा के होंठों से मिलने को आतुर थे और वो अपने सिर को बार-बार घुमाकर भीमा के होंठों के आस-पास अपने होंठों को घिसते जा रही थी भीमा भी कामया के इशारे को समझकर धीरे से अपने होंठों को उसके होंठों पर रखता हुआ
उसके होंठों को चूमने लगा था और बहुत ही हल्के और स्वाद लेता हुआ वो कामया के होंठों का रस अपने अंदर उतारता जा रहा था उसके हाथों पर आए कामया के शरीर के हर हिस्से को वो अपने कठोर हाथों से छूता और सहलाता हुआ ऊपर से नीचे और फिर ऊपर की ओर ले जाता था वो कामया के आतुर पन से वाकिफ नहीं था पर आज कुछ खास था वो नहीं जानता था कि क्या पर वो महसूस कर सकता था उसके किस करने की स्टाइल से और उसके शरीर से उठ रही तरंगो से उसकी सांसें फेकने के तरीके से और अपने शरीर को उसके हाथों के सपुर्द करने के तरीके से आज भीमा भी कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था अपने हाथों को ऊपर ले जाते हुए वो कामया की जाँघो के बीच से सहलाता हुआ उसके छोटे से गाउनको अपने हाथों के साथ ही उठाता चला गया और उसे नंगा करता चला गया भीमा के हाथों को अपने शरीर पर से घूमते हुए जब वो कामया के उभारों तक पहुँचे तो उसके निपल्स अपनी उत्तेजना को नहीं छुपा पाए थे वो इतने कड़े हो चुके थे कि एक हल्के से दबाब से ही कामया के मुख से निकली सिसकारी और झटके से पलटने की वजह बन गये थे वो झट से पलटकर भीमा के होंठों पर फिर से चिपक गई थी एक सीढ़ी ऊपर होने की वजह से कामया अपने आपकोआज थोड़ा सा उँचा महसूस कर रही थी और अपनी पूरी जान लगाकर भीमा चाचा के होंठों पर टूट पड़ी थी कामया की उत्तेजना से ही लगता था कि आज की रात एक कयामत की रात होगी और बहुत कुछ बाकी है जो कि पूरा करना है हाथों के स्पर्श से भीमा के हाथ उसके गाउनको उसके कंधों तक ले आए थे और धीरे धीरे उसकी गर्दन से बाहर करने की कोशिश में थे पर कामया के होंठ तो जैसे उसके होंठों से चिपक गये थे और कामया उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थी पर एक झटके से गाउन भी बाहर था और फिर भीमा के होंठ कामया की गिरफ़्त में थे

वो पागलो की तरह से अपने आपको भीमा चाचा की ओर धकेलती हुई और अपने को उनपर घिसती हुई उनपर गिरी जा रही थी और भीमा के चारो ओर किसी बेल की तरह से लिमटी हुई थी वो अपने टांगों को उठाकर भी भीमा की कमर के चारो ओर से उसे कसने की कोशिश करती जा रही थी अब उसके शरीर पर सिर्फ़ एक वाइट कलर की लेस वाली पैंटी ही थी पर उसे कोई चिंता नहीं थी इस घर की बहू सीढ़ियो पर अपने नौकर के साथ रात को अपने शरीर की आग को ठंडा करने की कोशिश में थी उसे कोई चिंता नहीं थी थी तो बस अपने शरीर की जला देने वाली उस आग की जो उसे हर पल अपने आपसे अलग करने की कोशिश करती थी वो परेशान हो चुकी थी अपने से लड़ते हुए और अपने पति के अनदेखे पन से वो अब फ्री है और वो अब अपने को नहीं रोकना चाहती थी इसलिए भी आज वो अपनी उत्तेजना को छुपाना नहीं चाहती थी बल्कि खुलकर भीमा चाचा का साथ दे रही थी जैसे अपने पति का साथ देती थी आज उसे कोई डर नहीं था और ना ही फिकर आज वो सब करेगी जो वो करना चाहती है और अपने आपको नहीं तड़पाएगी हाँ… अब और नहीं बहुत हो चुका है इसी सोच में डूबी कामया कब भीमा चाचा की गोद में चढ़कर आगे की ओर बढ़ने लगी थी उसे नहीं पता चला वो तो अपनी दोनों जाँघो को भीमा की कमर के चारो ओर कस के जकड़े हुए अपनी योनि को उसके लिंग के पास ले जाने की कोशिश में लगी हुई थी उसे पता ही नहीं चला कि कब भीमा की गोद में चढ़े हुए वो उसके कमरे में पहुँच गई वो तो लगातार भीमा को उत्तेजित करने में लगी थी कि जैसे भी हो उसका लिंग उसे छू जाए और वो हासिल कर सके पर एक आवाज ने उसे वर्तमान में ले आया पीछे से एक आवाज
- अरे
और फिर दो हाथों ने उसे पीछे से भी सहलाना शुरू कर दिया कामया समझ गई थी कि वो लाखा काका है और उसे इस तरह से देखकर उनके मुख से निकला होगा पर वो तो जैसे सबकुछ भूल चुकी थी वो लगातार भीमा चाचा के होंठों पर टूटी हुई थी और अपनी कमर को उसके पेट पर रगड़ रही थी पर एक जोड़ी हाथों के जुड़ने से उसकी मनोस्थिति कुछ और भी भड़क उठी थी वो हाथ उसके पीठ से लेकर उसके नितंबों तक जाते थे और फिर जाँघो को सहलाते हुए फिर से ऊपर की ओर उठने लगते थे अब तो होंठ भी जुड़ गये थे पीछे से और जहां जहां वो होंठों को ले जाते थे गीलाकरते हुए ऊपर या नीचे की ओर होते जाते थे कामया की कमर से धीरे-धीरे पैंटी का नीचे सरकना भी शुरू हो गया था वो अपने को भीमा चाचा के गोद से आजाद करते हुए पीछे के हाथों को आ जादी दे चुकी थी और फिर एकदम से वो भीमा चाचा के होंठों को छोड़ कर अपने होंठों को पीछे की ओर ले गई थी शायद सांसों को छोड़ने के लिए पर दोनों के बीच में फासी हुई कामया के होंठों को पीछे से लाखा काका ने दबुच लिया और अपने होंठों से जोड़ लिया था कामया की सांसें भी लाखा काका के अंदर ही छूट-ती चली गई थी और पूरा शरीर किसी धनुष की भाँति पीछे की ओर होता चला गया था लाखा काका के चुबलने से और भीमा काका के हाथों के सहलाने से वो अब अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रही थी
कामया- करो प्लीज जल्दी करो

भीमा और लाखा को जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दिया था वो अपने काम में लगे हुए थे उस हसीना के शरीर के हर हिस्से को अपने हाथों और होंठों से छूते हुए बिना किसी रोकटोक के बिंदास घूम रहे थे आज का खेल उनके लिए बड़ा ही अजीब था वो इस घर की बहू अपने अंदाज में आ गई थी और जल्दी से अपने शरीर की आग से छुटकारा पाना चाहती थी कामया का एक हाथ लाखा काका को पीछे से अपने ओर खींचे हुए था और एक हाथ से वो भीमा चाचा की गर्दन के चारो ओर किए उन्हें भी खींच रही थी शरीर के हर हिस्से पर उनके हाथों और चुभन के चलते वो अब और नहीं रुक पा रही थी लगातार वो अपने मुख से एक ही आवाज सिसकारी के रूप में निकालती जा रही थी
कामया- करो प्लीज जल्दी करूऊऊऊ उूुुउउफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआह्ह
पर दोनों मूक बने हुए थे पर कब तक आज उस शेरनी के सामने सबकुछ बेकार था एक ही झटके में लाखा काका और भीमा चाचा के सिर के बाल उसकी नरम नरम हथेलियो के बीच में थे और लगातार खींचते हुए वो उन्हें अपने होंठों के पास लाती जा रही थी और लगातार रुआंसी सी उसके मुख से आवाज निकलती जा रही थी
कामया- करो ना प्लीज जल्दी करो नाआआआआ
और एक ही धक्के में भीमा थोड़ा सा पीछे की ओर क्या हुआ कामया ने पलटकर अपनी बाँहे लाखा काक की गर्दन के चारो ओर कस लिया और बिना किसी चेतावनी के ही अपने हाथों से उनकी लूँगी को खींचने लगी थी लाखा को जैसे करेंट लग गया था उसने कामया को इतना उत्तेजित नहीं देखा था पर खुशी थी कि आज मजा आ जाएगा (एक नौकर का मान) बिना किसी अड़चन के लका काका की लूँगी एक ही झटके में नीचे थी उन्होने बड़ा सा अंडरवेर पहेना था वो पर उसका लिंग उसमें से बाहर आने को लगातार झटके ले रहा था बिना कोई शरम के कामया की हथेलिया उसके लिंग के चारो ओर कस्स गई थी और पीछे खड़े हुए भीमा चाचा की कमर के चारो ओर भी भीमा तब तक अपने कपड़ों से आजाद हो चुका था और जैसे ही वो कामया के पास खिचा था उसके लिंग ने कामया के नरम और नाजुक नितंबो को स्पर्श किया तो जैसे कामया का भाग्य ही खुल गया था वो फिर से पलटी और भीमा चाचा के होंठों से जुड़ गई और अपनी एक जाँघ को उसकी कमर पर फँसा दिया उसका एक हाथ अब भी लाखा काका के लिंग को उसके अंडरवेर के ऊपर से कस कर पकड़ रहा था और एक हाथ से भीमा चाचा की गर्दन को खींचकर अपने होंठों से जोड़े रखा था पर भीमा चाचा तो फिर से उसके होंठों का रस्स पान करने में व्यस्त हो गये थे पर कामया को तो कुछ और ही चाहिए था वो फिर से अपनी जाँघ को नीचे करती हुई थोड़ा सा पीछे हटी और अपने दूसरे हाथ से भीमा चाचा के लिंग को भी कस्स कर अपनी हथेली में पकड़ लिया था उधर लाखा तब तक अपने अंडरवेर से आजाद हो चुका था पर कामया की गिरफ़्त में उसके लिंग के होने से वो उसे उतार नहीं पाया था उसकी हथेली ने जैसे ही कामया की हथेली को छुआ तो कामया का ध्यान उसकी ओर गया और फिर नीचे की ओर बालों के गुच्छे को देखकर उसने अपनी हथेलियो की गिरफ़्त को ढीला छोड़ा और तुरत ही वापस कस्स कर उस लिंग को अपने हाथों में जकड़ लिया जैसे कि वो नहीं चाहती थी कि वो उसके हाथों से जाए अब वो दोनों के बीच में आगे पीछे की ओर होकर अपने को अडजस्ट करती हुई खड़ी हो गई और, अपनी हथेली को कस कर जकड़ी हुई सी उन लिंगो को अपने नितंबो पर और अपने पेट और उसके नीचे की ओर ले जाने की कोशिश करने लगी थी भीमा और लाखा दोनों कामया के इस रूप से थोड़े से अचंभित तो थे पर उनकी हालत भी अब खराब होने लगी थी उनकी उत्तेजना के सामने कामया की उत्तेजना कही ज्यादा ही थी कामया की पकड़ के सामने वो दो जैसे मजबूर थे पर जो अहसास उसके शरीर को छूने में और उसकी नरम हथेलियो से उन्हें मिल रहा था वो एक स्वर्गीय एहसास था
कामया की आवाज अब थोड़ा सा वहशी सी हो गई थी
कामया- चाचा करो आअब नहीं तो तोड़ दूँगी आआआआअह्ह प्लीज ईईईईईईईईईई
भीमा जैसे सपना देख रहा था वो कुछ करता पर इससे पहले ही वो कामया के धकेलने से नीचे गिर पड़ा और कामया उसके ऊपर
कामया- करो चाचा नहीं तो मार डालूंगी सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह करूऊऊऊऊऊऊऊऊओ
और पता नहीं कहाँ से कामया के अंदर इतना दम आ गया था कि भीमा के बैठते ही वो खुद भी एक झटके से उसके मुख के सामने खड़ी हो गई थी और एक झटके में उसके सिर के बालों को कस कर पकड़ते हुए अपनी योनि के पास लेआई थी अब भीमा चाचा की नाक उसके पेट के नीचे की ओर थी और भीमा चाचा के सामने एक ही रास्ता था कि वो अपनी जीब को निकाल कर कामया की योनि को संतुष्ट करे और उन्होंने किया भी वो अपने सामने कामया की उत्तेजना को देख सकता था वो जिस तरह से गुर्राती हुई सी सांसें ले रही थी और एक वहशी सी आवाज से बोल रही थी उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि कामया की हालत क्या थी कामया की हथेली में अब भी लाखा काका का लिंग मजबूती से कसा हुआ था और वो खड़े-खड़े कामया को भीमा को धकेलते हुए और उसके चेहरे के पास इस तरह से जाते हुए भी देख रहे थे वो भी अचंभित थे कि आज कामया को क्या हो गया था आज वो इतना कामुक क्यों है पर उसे क्या वो तो जकड़ना चाहता था उसके साथ उसका तो पूरा समर्थन था ही सो वो भी थोड़ा सा मुस्कुराता हुआ कामया को अपनी जाँघो को खोलकर भीमा के चहरे पर धकेलते और उसके बालों को खींचकर अपनी योनि से मिलाते हुए देख रहा था कामया के धक्के से और खींचने से भीमा का चेहरा कामया की जाँघो के बीच में गुम हो गया था और लाखा काका किसी कुत्ते की तरह से अपने लिंग को खीछे जाने से कामया की ओर ही बढ़ गये थे पर कामया की उतेजना को आज शांत करना इतना सहज नहीं था वो भीमा चाचा को खींचते हुए और अपनी जाँघो को खोलकर उन्हें लगातार धकेलते हुए नीचे गिरा चुकी थी और अपने योनि को उनके चहरे पर लगातार घिसती जा रही थी भीमा भी अपने आपको बचाने में असमर्थ था और अपनी जीब से कामया की योनि को लगातार चाट-ता हुआ अपने जीब को उसके योनि के अंदर और अंदर घुसाने की कोशिश करता जा रहा था उसके इस हरकत से कामया के अंदर का ज्वार अब दोगुनी तेजी से बढ़ने लगा था और पास खड़े हुए लाखा काका के लिंग को भी अब वो खींचते हुए अपने चेहरे पर मलने लगी थी उसकी कामुक आवाज एक बार फिर निकली
कामया- आआया इधार सस्शह आयो सस्शह
हाँफती हुई सी वो लाखा काका के लिंग को धीरे से अपने होंठों के अंदर लेजाकर बड़े ही प्यार से एक बार चुबलने के बाद ऊपर लाखा काका की ओर बड़ी ही कामुक दृष्टि से देखा लाखा तो जैसे पागल ही हो गया था हर एक टच जो उसके लिंग पर हो रहा था वो अपने आपको नहीं रोक पा रहा था और थोड़ा सा और आगे की ओर होता हुआ अपनी हथेलियो को कामया के सिर पर रखता हुआ उसे ऑर पास खीचने लगा था
कामया- हाथ हटाओ काका प्लीज हाथ हटाओ सिर सीईईईई
लाखा की जान निकल गई थी कामया की भारी और भयानक सी आवाज सुन के वो नीचे की ओर देख रहा था और कामया को अपने लिंग से खेलते हुए देखा कामया भी अपने मुख को खोलकर उसके लिंग को अंदर ले जाती और कभी उसे बाहर निकाल कर अपने जीब से चाट-ती और कभी , होंठों को जोड़ कर अपने हाथों में लिए उस लिंग को बड़े ही प्यार से चूमती हर एक हरकत लाखा के लिए जान लेवा थी लाखा अपनी कमर को आगे किए हुए और अपने दोनों हाथों को अपने नितंबो पर रखे हुए कामया की हर हरकतों को देखता जा रहा था और अपने आपको तेजी से दौड़ता हुआ अपने शिखर की ओर बढ़ता जा रहा था और नीचे भोला तो जैसे अपने आपको बचाने की कोशिश छोड़ कर अपने को कामया के सुपुर्द ही कर दिया था वो अपने हाथों को कामया के नितंबो से होता हुआ उसकी कमर को कस्स कर पकड़ रखा था और अपनी जीब को लगातार उसकी योनि में चलाता जा रहा था वो जानता था कि कामया किसी भी क्षण झड जाएगी पर वो अपने काम में लगा रहा उसके चहरे पर कामया की योनि अब भयानक रफ़्तार के साथ आगे पीछे हो रही थी और धीरे-धीरे उसके अंदर से एक धार सी निकलने लगी थी और कामया के शरीर का हर हिस्सा जिस आग में झुलस रहा था वो एक बार फिर से उसके योनि की ओर जाते हुए लग रहा था वो अपने होंठों को जोड़े हुए लाखा काका के लिंग को चूसती जा रही थी और अपनी कमर को हिलाते हुए कभी-कभी ज़ोर का झटका देती थी भीमा का चहरा उस झटके में पूरा का पूरा ढँक जाया करता था पर कामया के मुख से निकले वाली सिसकारी और आहों की आवाजो के बीच में यह खेल अब अपने चरम पर पहुँच अचुका था लाखा भी और कामया भी नहीं तो सिर्फ़ भीमा जिसका की लिंग अब तक खंबे की तरह खड़ा हुआ अपने आपको सलामी दे रहा था
कामया- और जोर से चाचा करो प्लेआस्ीईईईईई और जोर से
और अपने मुख में लिए लाखा काका के लिंग को उसी अंदाज में चुस्ती रही और एक पिचकारी सी उसके मुख के अंदर उतर गई

उूुउऊह्ह करते हुए उसने अपने मुख को उसके लिंग से हठाया पर छोड़ा नहीं कस्स कर पकड़े हुए लगातार अपनी हथेलियो से उसके लिंग को झटक रही थी और ऊपर खड़े हुए लाखा काका की ओर देखती हुई मदहोशी सी आखें बंद किए हुए अपने आपको रेस्ट करने लगी थी वो भी झड चुकी थी पर हटी नहीं थी अब भी वो अपनी कमर को झटके देकर अपने आखिरी ड्रॉप को भीमा चाचा के मुख में डालने की कोशिश करती जा रही थी लाखा थक कर खड़ा था उसने ही धीरे से कामया के हाथों से अपने लिंग को छुड़ाया था और हान्फता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए घिसक गया और धम्म से नीचे नंगा ही बैठ गया था भीमा चाचा अब भी कामया की जाँघो की गिरफ़्त में थे और लाखा काका के छूटने के बाद कामया ध्यान भीमा चाचा पर गया था वो अपने जाँघो को खोलकर धीरे से पीछे की ओर हटी थी और एकटक नीचे पड़े हुए भीमा चाचा की ओर सर्द सी आखों से देखती जा रही थी भीमा हान्फता हुआ अपने चहरे को पोंछ रहा था और एकटक कामया की ओर ही देख रहा था कामया हाफ तो रही थी पर एक नजर जब भीमा चाचा के खड़े और सख़्त लिंग पर पड़ी तो जैसे वो फिर से उत्तेजित हो गई थी झट से वो भीमा चाचा के ऊपर कूद गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था एक टाँग को ऊपर करते हुए वो उनपर सवार हो चुकी थी उसकी योनि में अब भी गर्मी थी और अब वो और भी करना चाहती थी जैसे ही वो भीमा चाचा के ऊपर सवार हुई अपनी चूची को भीमा चाचा के होंठों पर घिसने लगी थी भीमा भी अपने होंठों को खोलकर उसे चूसने लगा था वो अपनी जीब को और अपने होंठों को कसे हुए फिर से एक बार अपनी प्यारी बहू को अपने आगोश में लेने के लिया लालायित था उस सुंदर तन को उस सुंदर काया को और नरम और मखमली चीज को वो फिर से अपने शरीर के पास रखने को लालायित था अपने होंठों से से कसे हुए भीमा उसकी चूचियां धीरे-धीरे चूसता जा रहा था और अपनी कमर को उसकी योनि की ओर धकेलता जा रहा था पर उसे ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ी क्योंकी कामया की एक नरम सी हथेली ने और उसकी पतली और नरम उंगलियों ने एक सहारा दिया था उसके लिंग को और वो झट से अपने रास्ते पर दौड़ पड़ा था एक ही झटके में वो अंदर और अंदर समाता चला गया था और कामया ने जैसे ही अपने अंदर उस गरम सी सलाख को जाते हुए पाया एक लंबी सी आह उसके मुख से निकली और वो एकदम सीधी बैठ गई और जम कर झटके देने लगी थी वो अपने अंदर तक उस लिंग के एहसास को ले जाना चाहती थी और भीमा तो जैसे उस हरकत के लिए तैयार ही नहीं था आज तक उसके लिंग को इस तरह से किसी ने नहीं निचोड़ा था जिस तरीके से कामया कर रही थी वो अपने को उसके ऊपर रखे हुए अपनी योनि को अंदर से सिकोड़ती जा रही थी और अपनी जाँघो के दबाब से उसके लिंग को जैसे चूस रही हो वो हर झटके में अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाती पर गिरती ज्यादा थी ताकि उस लिंग का कोई भी हिस्सा बाहर ना रह जाए और जैसे ही वो पूरा का पूरा अंदर चला गया वो एक बार फिर से भीमा चाचा के ऊपर लेट गई और अपने होंठों को उनके होंठों पर रखे हुए उन्हें चूसने लगी पर अचानक ही वो अपनी जाँघो को भीमा चाचा के दोनों ओर से खिसका कर सीधा कर लिया और उसके लिंग को अपनी जाँघो में कस लिया लगभग क्रॉस करते हुए और धीरेधीरे अपनी कमर को हिलाने लगी भीमा तो जैसे पागल हो गया था और अपनी उत्तेजना को ज्यादा देर नहीं रोक पाया और अपनी गिरफ़्त में आई बहू को कस्स कर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसते हुए कस्स कर अपनी कमर को ऊपर की ओर चलाने लगा पर हर झटके में वो अपने आपको झड़ता हुआ पा रह था और हुआ भी ऐसा ही वो ज्यादा देर रुक नहीं पाया और बहू के अंदर और अंदर तक अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हो गया पर बहू तो जैसे आज संतुष्ट नहीं होना चाहती थी वो अब भी अपनी कमर को उसी तरीके से चलाती जा रही थी और फिर थोड़ी देर बाद वो भी निढाल होकर उसके ऊपर फेल गई थी उसकी साँसे अब भी तेज चल रही थी पर हाँ… एक शांति थी बहुत ही शांत शांत होते हुए भी उसके हाथ और शरीर ऊपर पड़े होने के बावजूद भीमा के शरीर से घिस रही थी कामया और अपने हाथों से भी उसके बाहों को सहलाते हुए अपने आपको शांत कर रही थी


भीमा भी नीचे से कामया के शरीर को सहलाते हुए नीचे की ओर जाता था और अपने हाथों को उसकी हर उँचाई और घहराई को छेड़ते हुए ऊपर की ओर आ जाते थे कामया के मुख से एक हल्की हल्की सी सिसकारी के साथ अब बहुत ही धीरे-धीरे और हल्के से आवाजें आने लगी थी पर समझ में कुछ नहीं आरहा था पर हाँ… इतना तो पता था कि वो संतुष्ट है थोड़ी देर तक अपने को संभालने के बाद कामया साइड की ओर हुई और धीरे से उस गंदे से बेड पर वैसे ही नंगी लेट गई उसका चहरा अब दीवाल की ओर था


और भीमा चाचा और लाखा काका उसके पीछे थे क्या कर रहे थे उसे पता नहीं और नहीं वो जानना चाहती थी वो वैसे ही पड़ी रही और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश करती रही और पीछे लाखा काका अपने आपको दीवाल के सहारे बैठे हुए भीमा की ओर देखता रहा लाखा ने अपने ऊपर अपनी लूँगी को डाल लिया था पर बाँधी नहीं थी

भीमा भी धीरे से उठा और लाखा की ओर देखता हुआ एक बार पास लेटी हुई कामया की ओर नजर दौड़ाई और फिर लाखा की ओर और फिर नज़रों के इशारे से बातें
भीमा- क्या और कामया की ओर इशारा करते हुए
लाखा- पता नहीं पूछ
भीमा- बहू
और धीरे से अपनी हथेलियो को उसकी पीठ पर रखा और धीरे-धीरे सहलाते हुए कमर तक ले जाता रहा कामया के शरीर में एक हल्की सी हरकत हुई और उसका दायां हैंड पीछे की ओर हुआ और भीमा चाचा की हथेली को पकड़कर सामने की ओर अपनी चुचियों की ओर खींच लिया और अपनी बाहों से उसकी कालाई को कस कर अपने साइड और बाहों के बीच में कस्स लिया भीमा चाचा की हथेली अब कामया की गोल गोल चुचियों पर थिरक रही थी और अपनी मजबूत हथेली से उनकी मुलायम और सुदोलता का धीरे-धीरे मर्दन कर रही थी कामया तो जैसे अपने आपको भूल चुकी थी वो वैसे ही लेटी हुई भीमा चाचा के हाथों को बगल में दबाए हुए अपने शरीर पर उनके हाथों को घूमते हुए एहसास करती रही थोड़ी देर में ही कामया का रूप चेंज होने लगा था वो जैसे उकूड़ू होकर सोई हुई थी धीरे-धीरे सीधी होने लगी थी उसके शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना भरने लगी थी आज वो बिल्कुल फ्रेश थी उसे इन दोनों ने निचोड़ा नहीं था बल्कि उसने इन दोनों को निचोड़ कर रख दिया था वो दोनों अपने को अब तक संभाल रहे थे पर भीमा तो फिर से कामया की गिरफ़्त में पहुँच चुका था और अपना खेल भी खेलना चालू कर चुका था और कामया का पूरा साथ भी मिल रहा था कामया का शरीर एक बार फिर से तन गया था और वो आखें बंद किए हुए ही धीरे-धीरे अपने आपको भीमा की ओर धकेल रही थी कामया की पीठ अब भीमा के सीने से चिपक गई थी और भीमा का हाथ उसके शरीर के सामने से घूमते हुए उसके हर उतार चढ़ाव को समझते और एहसास करते हुए फिर से उसकी योनि की ओर जाने लगा था भीमा अपने हाथों को घुमा ही रहा था कि नीचे पड़े बिस्तर पर एक जोड़ी पाँव ने भी दखल दिया वो लाखा काका थे वो भी अपना हिस्सा लेने आए थे और धीरे से कामया के पास ही बैठ गये और अपने हाथों से उसकी जाँघो को सहलाते हुए धीरे-धीरे ऊपर चलाने लगे थे कामया अब धीरे-धीरे सीधी होती जा रही थी और अपने को भीमा चाचा के साथ सटा-ते हुए वो अब पीठ के बल लेट गई थी


पूरी तरह से आखें बंद किए अपने शरीर पर दो जोड़ी हाथों को घूमते हुए पाकर कामया शरीर एक बार फिर से उत्तेजना के सागार में गोते लगाने लगा था वो अब पूरी तरह से लाखा काका और भीमा चाचा के साथ अपने आपको फिर से उस खेल का हिस्सा बनाने को तैयार थी अपने एक हाथ से उसने भीमा चाचा की हथेली को अपनी चुचियों के ऊपर पकड़ रखा था और दूसरे हाथों को लाखा काक की जाँघो पर घुमाने लगी थी लाखा काका भी अपने आप पर हो रहे इस तरह के प्यार को नहीं झुठला सके और नीचे होकर अपनी प्यारी बहू के होंठों को अपने होंठों में दबाकर उनको थोड़ी देर तक चूसते रहे कामया ने भी कोई शिकायत नहीं की बल्कि अपने होंठों को खोलकर काका के सुपुर्द कर दिया और उनके चुबलने का पूरा मजा लेती रही भीमा चाचा भी कामया की चुचियों को दबाते दबाते अपने होंठों को उसकी चुचियों तक लेआए और उसकी एक चुचि को अपने होंठों के बीच में दबा के चूसने लगे कामया की नरम हथेली भीमा चाचा के बालों पर से होते हुए उन्हें अपनी चुचियों पर और अच्छे से खींचती रही और अपने दूसरे हाथों से काका को अपने होंठों के पास दोनों के हाथ अब कामया के पूरे शरीर पर घूमते रहे और कामया को उत्तेजित करते रहे कामया की जांघे अपने आप खुलकर उन दोनों की उंगलियों के लिए जगह बना दी थी ताकि वो अपने अगले स्टेप की ओर बिना किसी देर और रुकावट के जा सके

दोनो ने अपने हिस्से की कामया को बाँट लिया था दायां साइड भीमा चाचा के पास था और लेफ्ट साइड लाखा काका के पास था जो कि अपने आपको जिस तरह से चाहे अपने होंठों और हथेलियो को उसके शरीर पर चला रहे थे हथेलियो के संपर्क में आते हर हिस्से का अवलोकन और सुडोलता को नापने के अलावा उसकी नर्मी और कोमलता का मिला जुला एहसास भीमा और लाखा के जेहन तक जाता था कोई मनाही नहीं ना कोई इनकार बस करते रहो और करो और कोई सीमा नहीं किसी के लिए भी पूरा मैदान साफ है और कोई चिंता भी नहीं बस एक बात की चिंता थी कि कब और कैसे


कामया लेटी लेटी अपने शरीर पर घुमाते हुए दोनों के हाथों का खिलोना बनी हुई थी और अपने शरीर पर से उठ रही तरंगो को सिसकारी के रूप में बाहर निकालते हुए अपने दोनों हाथों से भीमा और लाखा को अपने पास और पास खींचती जा रही थी भीमा और लाखा की उंगलियां कामया की योनि में अपनी जगह बनाने लगी थी और एक के बाद एक उसकी योनि के अंदर तक उतर जाती थी और कामया को एक और स्पर्धा की ओर धकेल-ती जा रही थी वो कामातूर हो चुकी थी एक बार फिर दोनों के चुबलने से और उंगलियों के खेल से


दोनों की उंगलियां बीच में भी कई बार आपास्स में टकरा जाती थी और फिर जो जीतता था वो अंदर हो जाता था पर एक समय ऐसा भी आया जब एक साथ दो उंगलियां उसकी योनि में समा गई थी और कामया को कोई एतराज नहीं था उसने अपनी जाँघो को और खोलकर उन्हें निमंत्रण दे दिया और अपने होंठों को पता नही कौन था उसके होंठों में रहा ही रहने दिया अपने चूचियां को सीना तान कर, और भी उँचा कर दिया ताकि वो पूरा का पूरा उसके हथेलियो में समा जाए अंदर गई उंगलियां अपना कमाल दिखा रही थी और कामया के मुख से एक बार फिर से
कामया- अब करो जल्दी प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज
भीमा- (जो कि उसके होंठों को अब चूस रहा था ) हाँ बहू बस थोड़ा सा रुक
कामया- नहीं करो जल्दी
एक अजीब सी गुर्राहट उसके गले से निकली जो कि भीमा और लाखा दोनों के कानों तक गई थी उनकी उंगलियां योनि के अलावा उसके थोड़ी सी दूर उसके गुदा द्वार से भी खेल रही थी और वो एक अजीब सी, आग कामया के शरीर में लगा रही थी वो अपनी गुदा द्वार को सिकोड़ कर वहाँ कोई आक्रमण से बंचित रखना चाहती थी पर
शायद दोनों की उंगलियां वहाँ के दर्शन को भी आतुर थी और धीरे से एक उंगली उसके गुदा द्वार से भी अंदर चली गई कामया एक बार अपने को नीचे दबाए हुए भी और नहीं किसी खेल को मना करती हुई एक आवाज उसके मुख से निकली
कामया-, नहीं वहां नहीं प्लीज वहां नहीं
हाँफती हुई सी उसके मुख से निकली थी पर उसके आग्रह का कोई भी असर उसे दिखाई नहीं दिया पर हाँ… उसका इनकार कमजोर पड़ गया था और उत्तेजना की ओर ज्यादा ध्यान था उसके शरीर को अब और इंतेजार नहीं करना था
एक ही झटके से वो उठ बैठी और दोनों की ओर देखती हुई लाखा काका पर लगभग कूद पड़ी लाखा काका जब तक कुछ समझते, वो उनके ऊपर थी और उनके सीधे खड़े हुए लिंग के ऊपर कामया और धम्म से वो अंदर था
कामया- अहाआह्ह
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:10 PM

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