Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:10 PM,
#78
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामया- नहीं प्लीज
भोला-
कामया- नहीं प्लीज यहां नहीं कोई आ जाएगा प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
भोला- कोई नहीं आएगा मेमसाहब प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज मना मत कीजिए प्लीज थोड़ी देर और
कामया सिर्फ़ अपने माथे को हिलाकर ही मना कर पाई थी अब की बार जैसे उसकी आवाज गले में कही गुम हो गई थी रुआंसी सी भोला को एकटक देखती जा रही थी और भोला उसके नाडे को खोल चुका था और धीरे से अपने हाथों से उसके चूड़ीदार को ढीलाकरके थोड़ा सा नीचे कर दिया था उसकी सफेद कलर की डिजाइनर पैंटी की सिर्फ़ एक डोरी उसके सामने थी और सफेद कलर की लेस से उसके गोल्डन ट्राइंगल को नीचे तक ढँकी हुई थी अपनी उंगलियों के जोर से भोला ने अपने हाथों को फिर से कामया की जाँघो के बीच में पहुँचा दिया इस बार सलवार उसके बीच में नहीं थी और था तो सिर्फ़ पैंटी का महीन सा कपड़ा जो की उसकी उंगलियों को उसकी योनि के गीले पन को छूने से नहीं रोक पाया था एक उंगली से उसने उसे भी साइड में कर दिया था और झट से अपनी उंगली को कामया के भीतर तक समा दिया था कामया के मुँह से सिसकारी की लड़ी सी लग गई थी और शरीर को पीछे की ओर धकेल्ति हुई अपनी कमर को और आगे और आगे की और धकेलने की कोशिश करने लगी थी शायद वो भोला की उंगलियों के पास जाना चाहती थी पास और पास सांसों का एक तूफान सा उसके अंदर जनम ले रहा था और वो लगातार उसकी नाक और मुख से सिसकारी और आअह्ह के रूप में निकल रही थी गर्म हुई कामया की हथेलिया अब भोला के एक हाथ को और भी अपने अंदर की ओर इशारा कर रही थी और दूसरे हाथ में जो कुछ था हो उसे निचोड़ते हुए बहुत ही तेजी से अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी नमर नरम उंगलियों के स्पर्श से तो भोला अपने काबू से बाहर हो ही चुका था आज उसका दूसरा अनुभव था जब मेमसाहब की नाजुक ऑर कोमल उंगलियां उसके लिंग को समेटे हुए थी पर इतनी कामुकता जो मेमसाहब के अंदर छुपी थी वो आज वो पहली बार ही देख रहा था वो अपनी उंगलियों का स्पीड धीरे-धीरे उसकी योनि में बढ़ने लगा था उसके गीले पन से वो जान चुका था कि कामया ज़्यादा देर की मेहमान नहीं है पर वो तो अपने काम में लगा रहा और कामया को जितनी जल्दी शांत कर सकता था करने की पूरी कोशिश करने लगा और उधर कामया भी अपने शिखर पर पहुँचने ही वाली थी उसके शरीर में आचनक ही एक बड़ी सी उथल पुथल मची हुई थी जैसे वो लगातार अपनी योनि की ओर जाते हुए महसूस कर रही थी वो एक झटके से आगे बढ़ी, और झट से अपने एक हाथ को अपने दूसरे हाथ से जोड़ दिया और भोला के लिंग को पूरा का पूरा अपनी हथेलियो में समेटने की कोशिश करने लगी थी


हान्फते हुए कब वो भोला के ऊपर गिर पड़ी उसे पता ही नहीं चला और भोला के पसीने की बदबू या कहिए उस जानवर की खुश्बू जैसे ही उसकी नाक में टकराई वो एक असीम सागार में गोते लगाने लगी थी उसके हाथों की पकड़ अब धीरे-धीरे उस लिंग पर भी ढीली होने लगी थी पर भोला के हाथों की रफ़्तार अब भी कम नहीं हुई थी इसलिए अपने को संभालते हुए उसने भी अपनी पकड़ फिर से उस मजबूत से लिंग को फिर से अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बड़ी तेजी से जैसे कि भोला का हाथ चल रहा था उसे चलाने लगी अचानक ही भोला की उल्टे हाथ की गिरफ़्त उसके कंधों से लेकर अपने दूसरे कंधो तक पहुँच गई थी और वो झुकी हुई उसके सीने से चिपक गई थी और भोला के लिंग से गरम-गरम लावा सा उसकी कोमल उंगलियों को छूते हुए नीचे की ओर बह निकला भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि कामया की सांसें ही रुक गई थी नाक में ढेर सारी पसीने की बदबू के साथ ही उसके दाँत भी भोला के सीने में घुसने की कोशिश करने लगे थे मुख से सांसें लेने की और भोला की पकड़ के आगे लाचार कामया और कर भी क्या सकती थी दोनों थोड़ी देर के लिए वैसे ही पड़े रहे भोला की पकड़ भी सख्ती से कामया की गर्दन के चारो ओर थी और हर झटके में बहुत सा वीर्य वो निकलता जा रहा था कामया के कोमल हाथों की पकड़ भी उसके लिंग पर वैसे ही थी जैसे की पहले थी और वही भोला के पेट और सीने के बीच में अपने सिर का सहारा लिए हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ती हुई वो नार्मल होने की कोशिश कर रही थी भोला का भी यही हाल था


लेटे लेटे बहुत देर बार उनके कानों में एक साथ ही बाहर की हलचल की आवाजें उन तक पहुँचने लगी थी कामया एकदम से सचेत हो उठी और बड़ी ही डरी हुई नज़रों से भोला की ओर देखने लगी थी पर भोला को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था वो लेटे लेटे कामया के बालों के साथ खेल रहा था अपनी चौड़ी और खुरदरी हथेली को वो कामया के सिर पर घुमा रहा था और उसकी नाक से निकलने वाली सांसों को वो अपने शरीर में महसूस कर रहा था कामया के जोर लगाने से वो भी थोड़ा सा सचेत हुआ और कामया पर से अपनी पकड़ ढीली करदी


कामया थोड़ा सा स्ट्रॅगल करने के बाद उठकर अपनी चेयर पर ठीक से बैठने लगी और धीरे से अपनी हथेलियो को भी भोला के लिंग से आजाद कर लिया अपनी हथेलियों में लगा हुआ वीर्य उसने बेड की चादर पर ही पोन्छ लिया और अपनी चूड़ीदार को पकड़कर ठीक करने लगी उसकी नजर भोला पर नहीं थी पर हाँ बाहर की आवाज पर जरूर थी डर था कि कोई आ ना जाए अपने कपड़ों को ठीक करते हुए जब वो खड़ी हुई तो भोला की नजर चली गई वो एकटक उसे ही देख रहा था उसकी आँखों में अब भी वही भूख थी जो पहले थी अब भी उसकी नजर उसे खा जाने को तैयार थी पर कामया को जाना था आफिस अगर यहां किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा वो अपने चूड़ीदार को बाँधने के बाद अपनी चुन्नि को नीचे से उठाया और जैसे ही अपने को ढकने लगी कि भोला के एक हाथ ने उसे ऐसा करने से रोक लिया

भोला- रुकिये ना मेमसाहब थोड़ी देर और

कामया- नहीं
भोला की गिरफ़्त चुन्नी से ढीली पड़ गई और कामया ने झट से अपने को ढँक लिया और खड़ी हो गई वो एक बार भोला की ओर देख रही थी और फिर बाहर के दरवाजे की ओर भी उसकी नजर चली जाती थी बाहर के शोर को सुनकर वो डरी हुई थी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कैसे जाए बाहर और यह बदमाश तो वैसे ही लेटा हुआ था जैसे कोई चिंता ही नहीं था पर कामया के चहरे पर चिंता की लकीरे साफ देखी जा सकती थी वो कभी भोला तो कभी दरवाजे की ओर ही देख रही थी वो थोड़ा सा चलती हुई दरवाजे तक पहुँची और उसकी गैप से बाहर की ओर देखने लगी थी वहाँ लेबर लोगों का हुजूम लगा हुआ था जो शायद वही रहते है कोई बीड़ी पी रहा था तो कोई कुछ कर रहा था पर हर कोई बाहर ही था कामया के तो होश उड़ गये थे वो पलटकर भोला की ओर देखने लगी चेहरा रुआंसा सा हो गया था रोने को थी वो अब कुछ पल
वो भोला को देखती रही जो अब भी अपने आपको ढके बिना ही वैसे ही लेटा हुआ था उसका मुरझाया हुआ लिंग भी इतना बड़ा था कि वो लगभग तैयार ही दिख रहा था पर कोई चिंता नहीं थी उसे

कामया- सुनो बाहर बहुत लोग है प्लीज़ उठो मुझे जाना है

भोला- मेमसाहब में तो यहां हूँ दरवाजा भी नहीं रोका है फिर

कामया लगभग दौड़ती हुई सी वापस बेड के पास पहुँची थी

कामया- प्लीज किसी ने देख लिया तो में मर जाऊँगी प्लीज मेरी मदद करो

जैसे भोला के शरीर में एक करेंट दौड़ गया था एक झटके से उठा और अपनी लूँगी को अपने कमर में बाँधने लगा एकटक नजर से वो कामया की ओर देखने लगता कामया डर के मारे थोड़ा सा पीछे की ओर हो गई थी

भोला-, मेरे होते मेमसाहब आप चिंता क्यों करती है साली पूरी दुनियां में आग लगा दूँगा लेकिन मेमसाहब आपको कुछ नहीं होने दूँगा ही ही ही

कामया डर के मारे अब तक सिहर रही थी उसकी आवाज उसके गले में ही अटक गई थी खड़ी-खड़ी उसकी टाँगें काँपने लगी थी कैसी मुसीबत में पड़ गई थी और यह भोला तो जैसे कुछ समझता ही नहीं सिर्फ़ डायलाग मार रहा है वो काँपती हुई सी खड़ी-खड़ी भोला की ओर बड़ी ही मिन्नत भरी नजरों से देख रही थी भोला उठकर उसके पास आया और अपने दोनों हाथो को जोड़ कर उसके गालों को अपने हथेलियो में भर लिया और एक नजर उस पर मार मारकर दरवाजे पर पहुँच गया और उसे खोलकर बाहर निकल गया कामया ने जल्दी से अपने को दरवाजे के सामने से हटा कर साइड में कर लिया और बाहर की आवाजें सुनने लगी कड़कती हुई भोला की आवाज ही सुनाई दे रही थी और फिर भगदड़ मची हुई थी

भोला- क्यों काम पर नहीं जाना क्या ################### साले दिहाड़ी माँगते समय तो साले सबसे आगे खड़े रहोगे चलो यहां से और मुझे सोने दो

बाहर फिर से एकदम सन्नाटा सा छा गया था उसकी बड़ी बड़ी गालियाँ जैसे ही उन तक पहुँची सब यहां वहां हो गये थे कुछ देर बाद ही उसे भोला अंदर आके फिर से दरवाजा बंद करते हुए दिखा यह क्या कर रहा है दरवाजा फिर से क्यों बंद कर रहा है उसे जाना है पर आवाज ही नहीं निकली वो एकटक भोला की ओर देखती रही भोला दरवाजा बंद करके एक बार फिर से अपनी लूँगी को खोलकर उसके सामने ही ठीक किया और धीरे-धीरे कामया की ओर बढ़ा कामया झट से थोड़ा पीछे हट गई दीवाल से टिक गई थी अपने पैर जितना पीछे कर सकती थी कर लिया था अब उसके पास जाने की कोई जगह नहीं थी दीवाल पर अपने हाथों से टटोल कर भी देख लिया हाँ दीवाल ही थी वो टिक कर खड़ी भोला की ओर देखती रही सांसें धमनियो को छूकर बाहर आ रही थी जोर-जोर से टिकने की वजह से और काँपने की वजह से धीरे-धीरे उसकी चुन्नी फिर से उसके कंधों से सरकने लगी थी और वो नीचे भी गिर पड़ती अगर भोला ने उसे संभाल नहीं लिया होता उसका सीना बिल्कुल भोला के सामने था और गोल गोल उभारों को अपने आप में छुपाने की कोई भी कोशिश नहीं थी कामया का सारा शरीर फिर से एक बार काँपने लगा था और सांसें रोक कर वो भोला ओर ही देख रही थी जाने क्या करेगा अब यहाँ कितनी देर हो गई है अगर कोई उसे ढूँढते हुए यहां तक आ गया तो वो क्या कहेगी पर भोला ने ऐसा कुछ नहीं किया आगे बढ़ कर धीरे से कामया की चुन्नी को उसके कंधे पर डालकर उसके कंधों को पकड़कर खड़ा हो गया और सीधे उसकी नजर से नजर मिलाकर
भोला- बहुत सुंदर हो मेमसाहब आप ऊपर वाले ने बड़े जतन से बनाया है आपको
और कहते हुए उसके हाथ धीरे से उसकी कमर पर से होते हुए धीरे धीरे उसके पेट पर जब उसकी हथेलिया पहुँची तो कामया थोड़ा सा और भी ऊँची हो गई साँसे बिल्कुल भोला के चहरे पर पड़ने लगी थी बड़ी मुश्किल से उसके मुख से आवाज निकली
कामया- प्लीज मत करो जाना है प्लीज ईईईई सस्स्स्स्शह

भोला- हमम्म्मममममम कितनी सुंदर हो कितनी मुलायम और मक्खन की तरह हो मेमसाहब

कामया- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज जाने दो बहुत देर हो गई है

भोला- हाँ मेमसाहब देर तो हो गई है पर मेमसाहब क्या करू छोड़ने का मन नहीं कर रहा है और उसके दोनों हाथ अब कामया के शरीर को बड़े ही आराम से सहलाते हुए घूमने लगे थे वो धीरे से एक हाथ से कामया के पेट से होते हुए उसकी पसलियों को छूता हुआ ऊपर की ओर उठ रहा था और दूसरा हाथ धीरे-धीरे उसके गोल गोल नितंबों को सहलाते हुए पीछे से ऊपर की ओर उठ रहा था कामया का सारा शरीर फिर से एक काम अग्नि में जल उठा था वो फिर से तैयार थी पर जैसे ही भोला की मजबूत और कठोर हथेलिया उसकी चुचियों को छूते हुए इधर उधर होने लगी थे उसका सारा सब्र टूट गया था दोनों हाथों से कस कर भोला की मजबूत बाहों को कस कर पकड़ लिया था और अपनी चुचियों को भोला के हाथों में और भी धकेल दिया था पर भोला ने उन्हें दबाया नहीं था पर बड़े ही हल्के हल्के से उन्हें सहलाते हुए उनके आकार प्रकार का जाएजा ले रहा था और उनकी कोमलता को सहजता हुआ उनकी नर्मी के एहसास को महसूस कर रहा था अपने चेहरे पर पड़ती हुई कामया की सांसें अब उसके होंठों पर और नथुनो पर पड़ रही थी वो हल्के से कराहता हुआ
भोला- हाँ… मेमसाहब रुकिये में देखता हूँ फिर आप निकल जाना नहीं तो देर हो जाएगी
और कहता हुआ अपनी जीब को निकालकर उसके गोरे गोरे गालों को चाट कर उसके नथुनो को भी चाटता रहा और उसकी खुशबू को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगा

भोला- कितनी प्यारी खुशबू है मेमसाहब आपकी हह, म्म्म्मममममम
और धीरे से कामया से अलग होते हुए उसकी दोनों चुचियों को हल्के से सहलाता रहा और दरवाजे की ओर चल दिया कामया की हालत खराब थी दीवाल पर टिकी हुई अपनी सांसों को कंट्रोल करती हुई वो भोला को दरवाजे की ओर जाते हुए देखती रही जैसे उसके शरीर में जान ही नहीं है सांसें रोके हुए वो अपने को ठीक से खड़ा करती तब तक तो भोला दरवाजा खोल चुका था और एक कदम आगे बढ़ाया ही था कि एक लाल रंग की गेंद उसके पैरों के पास लुढ़कती हुई आ गई थी भोला ने एक बार उस गेंद को देखा और एक जोर दार लात लगाई थोड़ी दूर से एक बच्चे की रोने की आवाज आने लगी थी
भोला- चुप यहां नहीं खेलना जाओ घर के अंदर

कामया को जैसे हँसी आई थी वो सिहर कर अपने आपको आगे की ओर धकेल्ति हुई दरवाजे तक आ गई थी भोला अब भी बाहर ही था पीछे की आवाज सुनकर वो पलटा और कामया की ओर देखकर मुस्कुराता हुआ फिर से उसकी ओर बढ़ा और बाहर खड़े हुए ही अपने हाथों को बढ़ा कर उसकी चुन्नी को उसके कंधे पर ठीक से रखता हुआ
भोला- आप साड़ी में ज्यादा सुंदर लगती हो मेमसाहब
उसके गाल में एक थपकी दी और आखों से इशारा करते हुए इस ओर से जाने को कहा कामया नज़र घुमाकर जैसे ही बाहर निकली भोला के हाथों का स्पर्श उसकी जाँघो से लेकर पीछे नितंबों तक होता चला गया था पर वो मुड़ी नहीं नाही इधर उधर देखा बस चलती चली गई और जब आखें उठाई तो अपने को कॉंप्लेक्स के पीछे की ओर पाया यहाँ से भी एक रास्ता अंदर कॉंप्लेक्स की ओर जाता था उसे अचानक वहां देखकर वहां काम करने वाले अचंभित हो गये थे और सिर्फ़ नजर झुका कर खड़े हो गये थे कामया जल्दी से उनको पार करते हुए अपने आफिस की ओर भागी पर रास्ते में उसके केबिन से पहले ही पीओन से उसे आवाज दे दी
पीओन- मेडम जी
कामया हाँ… उउउहह (खाँसती हुई ) हाँ…
पीओन- जी मेडम जी कोई आए हैं आपसे मिलने को में हर कही देख आया मेडम जी पर आप नहीं मिली
कामया- कौन है
पीओन जो कि उसके पीछे-पीछे ही चल रहा था बोला कोई लड़का है कह रहा था भाभी जी कहाँ है
कामया ने एक बार उसकी ओर देखा और पीओन उसके कमरे का दरवाजा खोलकर खड़ा हो गया

अंदर एक लड़का बैठा हुआ था बहुत ही दुबला पतला सा गोरा सा और नाजुक सा बड़ी-बड़ी आखें और किसी लड़की की तरह से दिखने वाला उठकर जल्दी से अपने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया कामया घूमकर जब अपने सीट पर बैठी और उस सख्स को देखने लगी
कामया- जी कहिए
- जी में ऋषि हूँ धरम पाल जी का लड़का
कामया- ओहो हाँ… हाँ… अच्छा तुम हो
और एक मुस्कुराहट सी उसके होंठों में दौड़ गई थी कामेश ने सच ही कहा था बिल्कुल लड़की छाप है लड़कियों के साथ पला बढ़ा है इसलिए शायद
कामया- हाँ… ठीक है कैसे आना हुआ
और अपने बालों को ठीक करने के लिए जैसे ही पीछे अपने हाथ ले गई तो उसके बालों से क्लुचेयर गायब था पता नही कहाँ गिर गया था खेर अपने साइड के बालों को लेकर बीच में एक गाँठ बाँध लिया उसने और ऋषि की ओर देखती हुई फिर से बोली
कामया- हाँ… बताओ
ऋषि- जी वो पापाजी ने कहा था कि आपसे मिल लूँ
क्माया के होंठो एक मधुर सी मुस्कान फेल गई थी
कामया- हाँ… और मिलकर क्या करूँ हाँ…
ऋषि- हिहिहीही जी पापा कर्हते है कि भाभी बहुत स्मार्ट है उनके साथ रहेगा तो सब सीख जाएगा हिहिहीही
कामया- हिहिहीही क्या सीख जाओगे हाँ…
ऋषि झेप कर इधर उधर देखने लगा और फिर से हिहीही कर उठा
कामया- हाँ… आज तो मुझे जाना है एक काम करो तुम कल आ जाओ हाँ… फिर देखते है ठीक है
ऋषि किसी स्कूली बच्चे की तरह से झट से खड़ा हो गया और हाथ बाँध कर जी कह उठा
ऋषि- तो में जाऊ
कामया- हिहीही हाँ… कहाँ जाओगे हाँ…
वो भी ऋषि को एक बच्चे की तरह ही ट्रीट कर रही थी
ऋषि-, जी घर और कहाँ और आप
कामया- घर क्यों
ऋषि- फिर कहाँ जाऊ
कामया- हाँ… अभी तो आए हो फिर घर चले जाओगे तो कोई पूछेगा तो क्या कहोगे
ऋषि- घर पर में ही हूँ और सभी तो दीदी के यहां गये है
कामया- हाँ… हाँ… याद आया तो चलो ठीक है
और अपना मोबाइल उठाकर पापाजी का नंबर डायल करने ही वाली थी कि
ऋषि- आप कहाँ जाएँगी भाभी
कामया- में शोरुम जाउन्गी क्यों
ऋषि- कैसे गाड़ी चलानी आती है आपको
कामया- नहीं ड्राइवर को बुला लूँगी इसलिए पापाजी को फोन कर रही हूँ
ऋषि- में छोड़ दूं आपको में वही से तो जाऊँगा
कामया- हाँ ठीक है लेकिन तुम्हे तकलीफ तो नहीं होगी
ऋषि- हिहीही नहीं क्यों कौन सा मुझे आपको उठाकर ले जाना है हिहिहीही
कामया को भी हँसी आ गई थी उसके लड़कपन पर हाँ… बिल्कुल बच्चा था बस बड़ा हो गया था शायद लड़कियों के साथ पालने से ही यह ऐसा हो गया था घर में सभी बड़े थे यही सबसे छोटा था इसलिए शायद वो अपना पर्स उठाकर ऋषि के साथ बाहर निकली और उसी के साथ शोरुम की ओर बढ़ चली

रास्ते में ऋषि भी उससे खुलकर बातें करता रहा कोई अड़चान नहीं थी उसे भाभी के साथ बिल्कुल घर जैसा ही माहॉल था उसके साथ इस दोरान यह भी फिक्स हो गया कि कल से वो ही भाभी को लेने आएगा और दोनों कॉंप्लेक्स का काम देखेंगे और दोपहर को वो ही भाभी को शोरुम भी छोड़ देगा

कामया को भी ऋषि अच्छा लगा और दोनों में एक अच्छा रिस्ता बन गया था पापाजी से भी मिलवाया ऋषि थोड़ी देर तक बैठा हुआ वो भी उनके काम को देखता रहा और बीच बीच में जब उसकी आखें कामया से मिलती तो एक मुश्कान दौड़ जाती उसके चहरे पर

पूरा दिन कब निकल गया कामया को पता भी नहीं चला और शोरुम बंद करने का टाइम भी आगया रात को जब वो वापस घर पहुँची तो सबकुछ वैसा ही था जैसा जाते समय था कोई बदलाब नहीं पर जब कामया डाइनिंग रूम को क्रॉस कर रही थी तो अचानक ही उसकी नजर टेबल पर रखे ताजे और लाल पीले फूलो के गुच्छे पर पड़ी और वो चौक गई थी

पापाजी की नजर भी एक साथ ही उन गुलदस्ते पर पड़ी यह यहां कौन लाया और क्यों भीमा के अलावा और कौन रहता है इस घर में

पापाजी की ओर देखते हुए वो कुछ कहती पर
पापाजी- अरे भीमा
एक उची आवाज गूँज उठी थी भीमा जो की किचेन में था दौड़ता हुआ बाहर आया और नजर नीचे किए वहां हाथ बाँधे खड़ा हो गया

भीमा- जी
पापाजी- यह फूल कौन लाया

भीमा- जी वो फूल वाला दे गया था बाबूजी कह रहा था मेमसाहब के लिए भिजवाया है

पापाजी- अच्छा हाँ…
और वो अपने कमरे की ओर चल दिए पर कामया वही खड़ी रही मेमसाहब मतलब वो नजर उठाकर एक बार भीमा की ओर देखा तो वो गर्दन नीचे किए

वापस किचेन की ओर जाते दिखा वो जल्दी से उन फूलो के पास पहुँची और किसने भेजा था ढूँढने लगी थी कही कोई नाम नहीं था पर एक प्रश्न उसके दिमाग में घर कर गई थी किस ने भेजा उसे फूल आज तक तो किसी ने नहीं भेजा है कौन है

इसी उधेड़ बुन में वो अपने कमरे में पहुँची और चेंज करने लगी थी बाथरूम से जल्दी से तैयार होकर निकली थी कि नीचे जाकर खाना खाना है पर मोबाइल पर रिंग ने उसे एक बार फिर से जगा दिया शायद कामेश का फोन है सोचते हुए उसने फोन उठा लिया पर वो किसी नंबर से था

अरे यार यह कंपनी वाले भी ना रात को भी परेशान करने से नहीं चूकते, बिना कुछ सोचे ही उसने फोन काट दिया पर फिर वो बजने लगा क्या है कौन है वो हाथों में सेल लिए सीढ़ियो तक आ गई थी नीचे डाइनिंग स्पेस पर पापाजी भी आते दिख रहे थे
कामया ने आखिर फोन उठा लिया
कामया- हेलो
- फूल कैसे लगे मेमसाहब
कामया-
कामया जैसे थी वैसे ही जम गई थी यह और कोई नहीं भोला था इतनी हिम्मत तो सिर्फ़ वही कर सकता था और फोन भी राक्षस है शैतान है वो वही खड़ी हुई सकपका गई थी और कुछ सूझ नहीं रहा था पर नीचे से पापाजी की आवाज उसके कानों में टकराई तो वो संभली और झट से फोन काट कर जल्दी से डाइनिंग रूम में आ गई थी खाने खाते समय वो सिर्फ़ भोला के बारे में ही सोच रही थी क्या चीज है वो और कितनी हिम्मत है उसमें

जरा भी डर नहीं कि मुझे फोन कर ले रहा है वो भी रात में पर कामया के शरीर में एक तरंग सी दौड़ गई थी जैसे ही भोला का नाम उसके जेहन में आया था वो खाना तो खा रही थी पर उसे उस समय की घटना फिर से याद आ गई थी ना जाने क्यों बार-बार मन को झटकने से भी वो सब फिर से उसके सामने बिल्कुल किसी पिक्चर की तरह घूम रहा था

वो खाते खाते अपने आपको भी संभाल रही थी और अपने जाँघो के बीच में हो रही हलचल को भी दबाने की कोशिश करती जा रही थी पर वो थी कि धीरे-धीरे रात के घराने के साथ ही उसके शरीर में और गहरी होती जा रही थी वो एक बार फिर से कामुक होने लगी थी खाना खाना तो दूर अब तो वो अपने सांसों को कंट्रोल तक नहीं कर पा रही थी उसका दिल धड़क कर उसके धमनियो से टकराने लगा था पर किसी तरह से अपना खाना पूरा करके वो भी पापाजी के साथ ही उठ गई थी
पापाजी- कुछ सोच रही हो बहू
कामया- जी नहीं क्यों
पापाजी- नहीं खाना नहीं खाया ठीक से तुमने
कामया- जी वो भूख नहीं थी पता नहींक्यों
पापाजी---वो चलते समय काफी पी ली थी ना शायद इसलिए
कामया- जी
कामया ने पापाजी को झूठ बोला था पर क्या वो सच बता देती छी क्या सोचती है वो पर अब क्या वो तो अपने कमरे में जाने लगी थी पर क्या करेगी वो कमरे में जाकर कामेश तो है नहीं फिर

नहीं वो नहीं जाएगी कही वो जल्दी से अपने कमरे में घुस गई और सारे बोल्ट लगा दिए और कपड़े चेंज करने लगी थी पर बाथरूम में घुसते ही फिर से भोला का वो वहशी पन वाला चेहरा उसके सामने था उसके लोहे जैसा लिंग और हाथों का स्पर्श उसके पूरे शरीर में एक बार फिर से धूम मचा रहे थे वो बार-बार अपने को उस सोच से बाहर निकालती जा रही थी पर वो और भी उसके अंदर उतरती जा रही थी

वो फिर से उसी गर्त में जाने को एक बार फिर से तैयार थी जिससे वो बचना चाहती थी पर हिम्मत नहीं थी अपने कमरे में चेंज करने के बाद बैठी हुई कामेश के फोन का वेट करती रही पर उसका फोन नहीं आया वो एक बार दरवाजे के पास तक हो आई कि कोई आवाज उसे सुनाई दे तो कुछ आगे बढ़े पर शायद खाने के बाद सब सो गये थे पर लाखा और भीमा क्या वो भी क्या उन्हें भी इंतजार नहीं था पर क्या वो उनके पास चली जाए या क्या करे उनका इंतजार
हां इंतेजार ही करती हूँ आएँगे वो वो एक बार फिर उठी और हल्के से दरवाजे को अनलाक करके वापस आके बेड पर लेट गई और इंतजार करने लगी बहुत देर हो गई थी लेटे लेटे कामया का पूरा शरीर जल रहा था वो लेटे लेटे भोला के बारे में सोच रही थी और उसी सोच में वो काम अग्नि की आग में जलती जा रही थी और वो उसे शांत करने का रास्ता ढूँढने भी लगी थी पर कहाँ लाखा और भीमा तो जैसे मर गये थे कहीं पता नहीं था आखिर थक कर कामया खुद ही उठी और अपना बेड छोड़ कर धीरे से अपने कमरे के बाहर निकली महीन सा गाउन पहने हुए अपने आपको पूरा का पूरा उजागार करते हुए वो खाली पाँव ही बाहर आ गई थी

वो सीढ़ियो पर उतरती हुई और गर्दन घुमाकर ऊपर भी देखने की कोशिश करती रही पर कोई नहीं दिखा और नहीं कोई हलचल वो अपने आपको संभालती हुई बड़े ही भारी मन से अपने को ना रोक पाकर धीरे-धीरे अपने तन की आग के आगे हार कर सीढ़ियाँ चढ़ रही थी हर एक कदम पर वो शायद अंदर से रोती थी या फिर वापस लोटने की कोशिश करती थी पर पैरों को नहीं रोक पा रही थी वो कुछ ही सीढ़िया शेष बची थी कि पीछे से एक आहट सी हुई उसने पलटकर देखा तो भीमा चाचा ऊपर की ओर ही आ रहे थे यानी भीमा चाचा का काम खतम नहीं हुआ था अब ख़तम हुआ है यानी कि उसे भी जल्दी थी
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:10 PM

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