Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:05 PM,
#74
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
और पीछे से आवाज आनी बंद हो गई थी कामया सीढ़िया चड़ती हुई अपने कमरे में पहुँच गई थी और झट से डोर बंद करके बेड पर चित लेट गई थी वो फिर से उसे गर्त में नहीं गिरना चाहती थी वो नहीं चाहती थी अपने पति को धोखा देना वो बिल्कुल नहीं चाहती थी सो जल्दी से अपने आपको व्यवस्थित करते हुए वो बाथरूम में घुस गई और फ्रेश होने लगी थी चेंज करते समये उसने एक काटन का सूट निकाल लिया था जो कुछ ढीला ढाला था 

मिरर के सामने खड़ी अपने को संवारते समय भी अपना दिमाग हर उस चीज से हटाना चाहती थी जिससे कि उसके मन में कोई गलत ख्याल ना आए वो कोई गाना गुनगुनाते हुए बालों को संवारते हुए माथे में सिंदूर और बिंदिया लगाना नहीं भूली फिर टीवी चालू करके अपने कमरे में ही बैठ गई थी उसे इंतजार था पापाजी के आने का खाना खाके वो सो जाएगी और फिर कल घर से बाहर और फिर पूरा दिन घर से बाहर ही रहेगी इस घर में घुसते ही उसे पता नहीं क्या हो जाता है 
हमेशा ही उसे कामेश की ज़रूरत पड़ती है पर अभी तो कामेश है नहीं इसलिए वो भी जितना हो सके घर से बाहर ही रहेगी थोड़ी देर बाद ही घर के अंदर गाड़ी आने की आवाज हुई वो खुश हो गई थी चलो पापाजी के साथ खाना खाकर वो वापस अपने कमरे में आ जाएगी टाइम बड़े ही धीरे से निकल रहा था पता नहीं क्या हुआ था आज टाइम को बहुत अकेला पन सा लग रहा था बस पापाजी के डाइनिंग स्पेस में पहुँचने का ही इंतेजार था 

30- 40 मिनट बाद ही कमरे का इंटरकम बजा वो जानती थी कि पापाजी डाइनिंग रूम में पहुँच गये है जल्दी से फोन उठाया भीमा चाचा थे 
भीमा- जी बहू आ जाइए बाबूजी आ गये है 

कामया- जी 
और फोन रखते हुए वो डोर खोलकर जल्दी से सीढ़िया उत्तेरने लगी थी डाइनिंग स्पेस पर पहुँकते ही उसे पापाजी नहीं दिखे 
भीमा चाचा खड़े हुए प्लेट लगा रहे थे अचानक ही कामया और भीमा चाचा की नजर एक साथ ही टकराई कामया को बड़ा ही आश्चर्य हुआ पापाजी तो आए नहीं तो भीमा चाचा ने झूठ क्यों कहा 

कामया- पापाजी कहाँ है 
उसकी आवाज में गुस्सा और एक मालकिन का सा रोब था एकटक वो भीमा चाचा की ओर देखते हुए पूछा 

भीमा- जी वो आरहे है 

कामया- तो फिर झूठ क्यों कहा की पापाजी आ गये है 

पापाजी- अरे मैंने ही कहा था वो मोबाइल बज रहा था लेने चला गया था ले कामेश का है तेरा फोन बजके बंद हो गया तो मुझे लगाया 

कामया का सारा गुस्सा एकदम शांत हो गया हाथ में मोबाइल पकड़े हुए उसने एक बार भीमा की ओर देखा जो कि अपनी नजर झुकाए डाइनिंग टेबल से दूर जा रहा था 

कामेश- क्या हुआ अभी भी गुस्सा हो क्या फोन क्यों नहीं उठाया 

कामया- जी वो कमरे में रह गया था नीचे डाइनिंग रूम में हूँ 

कामेश- अच्छा चलो में तो पहुँच गया हूँ कल फोन करता हूँ और सुनो कल शाम को ही करूँगा ठीक है सुबह बहुत टाइट शेड्यूल है ओके… 

कामया- जी और खाना खा लेना 

कामेश- हाँ यार खा लूँगा पापाजी जी कहाँ है 

कामया- जी फोन दूं 

कामेश- अरे रूको नहीं वूवो 

कामया- जी क्या हुआ 

कामेश- अरे यार क्या पापाजी जी को किस करू हाँ… 

कामया का सारा शरीर एक बार फिर से उत्तेजना से भर गया उसके हाथों से फोन छूटते--छूटते बचा उस तरफ से एक लंबी सी किसकी आवाज आई 

कामेश- यह तुम्हारे होंठों के लिया था और करूँ हाँ… 

कामया- रखू वो पापाजी सामने ही है बता दूँगी ठीक है 

और वो झट से अपनी नजर बचाकर खाँसते हुए फोन काट दिया और पापाजी की ओर थोड़ी देर बाद देखते हुए 

पापाजी- क्या बोल रहा था 

कामया- जी वो कह रहे थे कि कल पापाजी के साथ ही चले जाना 
पापाजी- 
कामया को नहीं समझ में आया कि क्या कहे पर किसी तरह से अपने को संभाल कर जो मन में आया कह गई और सिर नीचे करते हुए अपने खाने की प्लेट पर टूट पड़ी थी 

उसका ध्यान खाने में काम फिर से उठ रहे अपने शरीर की हलचल पर ज्यादा था कामेश ने फिर से उसके मन में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी कितने मुश्किल से उसने अपने आपको संभाला था फिर कामेश ने ऐसी बात क्योंकी जब वो यहां नहीं है तो कम से कम इस बात का ध्यान रखना था उसे . कामया ने खाना खाते हुए कई बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको संतुलित करने की कोशिश करती जा रही थी 

पर काम अग्नि कोई दबाने की चीज है वो तो जितना भी अपने को काबू में रखने की कोशिश करती जा रही थी वो और भी उत्तेजित होती जा रही थी उसके मन में पता नही कहाँ से अचानक ही सुबह की घटना भी याद आ गई 

भोला के साथ हुई उस घटना की कैसे वो बिल्कुल असहयाय सी उस वक़्त महसूस कर रही थी और उस सांड़ ने जो चाहा किया वो कुछ ना कर पाई थी पर वो तो शांत हो गया था पर कामया के अंदर एक भयानक सी आग को जनम दे गया था 

वो आग अब अचानक ही एक ज्वालामुखी की तरह उसके शरीर को जला दे रही थी वो खाना तो खा रही थी पर अपने को बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी पापाजी भी कुछ कह रहे थे वो सिर्फ़ हाँ या ना में ही जबाब दे रही थी 
बहुत ही धीरे-धीरे टाइम निकल रहा था खाना है कि खतम ही नहीं हो रहा था और पापाजी भी सामने बैठे हुए पता नहीं उससे क्या-क्या बोले जा रहे थे उसका ध्यान बिल्कुल नहीं था पर वो तो अपने आप में ही मस्त होती जा रही थी उसकी नजर के सामने बहुत कुछ घूमने लगा था पता नहीं क्या-क्या भोला से शुरू होकर भीमा तक कैसे भीमा ने उसके साथ पहली बार किया था फिर उसके कमरे में 


फिर लाखा ने गाड़ी चलाते हुए वो तो बिल्कुल ही अनौखा खेल था असल में उसने ही शुरू किया था फिर आज भोला ने तो जैसे उसे पागल ही कर दिया था उस आग में वो अब भी जल रही थी फिर लाखा और भीमा ने मिलकर आआआआआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह उसके शरीर में एक लंबी सी सिहरन के साथ मुख से सिसकारी निकल गई थी खाना खतम तो नहीं हुआ था पर उसका मन भर गया था पापाजी की नजर भी उसके ऊपर टिक गई थी 

पापाजी- क्या हुआ खाना नहीं खाया कुछ सोच रही हो 

कमाया- जी नहीं ऐसे ही 

पापाजी- अरे बहू पहली बार गया है ना इसलिए तुझे ऐसा लग रहा होगा तुझे एक काम कर आराम से जाके सो जा एक ग्लास गरम दूध पीले अच्छी नींद आएगी 

कामया- जी पापाजी 

पापाजी- और ज्यादा मत सोचा कर कल से काम में फिर से लग जाएगी तो देखना रात को नींद कैसे आ गई पता ही नहीं चलेगा 

इसी तरह किसी तरह से कामया ने पापाजी के साथ खाना खतम किया और लगभग एक नशे की हालत में लड़खड़ाती हुई अपने कमरे में पहुँची थी वो झट से बाथरूम में घुसी और सलवार उतार कर पोट पर बैठ गई और अपने को रिलीस करने में उसे थोड़ी सी शांति मिली 

वो वही बैठी रही बहुत देर तक और पता नहीं क्या सोचती रही पर बैठी बहुत देर तक रही उसे अपना सिर घूमता हुआ सा लग रहा था खाना खाने बाद भी वो भूखी थी बहुत भूकी सलवार उतारकर वो कमरे में आई और बेड पर लेटी रही फेल कर पर ज्यादा देर नहीं धीरे-धीरे अपने को सिकोड़ती चली गई जैसे अपने को ही अपनी बाहों में भरने की कोशिश करती जा रही हो 

वो ऐसे सिकुड़ कर अपने बिस्तर पर लेटी थी कि जैसे बेड पर जगह ही ना हो अपनी जाँघो को कस कर पकड़े हुए कामया अपना मुँह को उसमें छुपाए हुए थी सांसों को कंट्रोल करती हुई वो अपनी टांगों को भी हिलने से रोके हुए थी पर नहीं इससे कोई फायदा नहीं हुआ 

आआआआआअह्ह, एक लंबी सी सांस छोड़ कर कामया फिर से उठ बैठी पर इस बार अपने कुर्ते को भी उतार दिया और झपट कर अपने तौलिया को उठाकर बाथरूम में फिर से घुस गई थी 

अच्छे से नहाकर अपने को संभालना चाहती थी गरम गर्म पानी से नहाते हुए वो एक अजीब से सुख के सागर में गोते लगाने लग गई थी अच्छे से मल मल कर नहाती रही गरम-गरम पानी उसके शरीर पर गिरते हुए उसे अच्छा लग रहा था बहुत देर तक अपने को शावर के नीचे रखने से थोड़ा सा आराम मिला पर जैसे ही अपने शरीर को अपने हाथों से घिसने लगी अपने शरीर के कसेपन का एहसास फिर से उसे याद आ गया जिस आग को बुझाने की जरूरत थी वो धीरे-धीरे उसके हाथों के स्पर्श से ही बढ़ने लगा था 

वो बहुत ही काबू में रहने की कोशिश करती जा रही थी पर हर बार बात उसके हाथों से निकलती जा रही थी अपने को घिसते हुए वो शावर में ही सिर उठाकर सांसों को छोड़ रही थी अपने चुचियों को धोते हुए वो अब जोर-जोर से उनके आकार के अनुरूप सहलाते हुए ऊपर-नीचे कर रही थी अपने पेट की ओर हाथ ले जात हुए भी उसे बड़ी बेचैनी सी हो रही थी अपने शरीर में उठ रही सिहरन को वो नजर अंदाज करते हुए अपने आपको सहलाने में जो मजा उसे मिल रहा था वो आज तक उसे नहीं मिला था हर कोने को अपने हाथों से सहला रही थी और दूसरे हाथों को वो धीरे-धीरे अपनी जाँघो के बीच में लेजा रही थी बालों के गुच्छे को छूते ही एक लंबी सी आअह्ह, उसके मुख से निकलकर पूरे बाथरूम में गूँज गई थी हाथों को और नीचे नहीं ले जा पाई थी जाँघो को जोड़ कर माथे को वाल पर टिकाए हुए वो अपने शरीर को सिकोड़ती जा रही थी खड़े होना उसके लिए दुभर हो गया था टांगों में शक्ति ही नहीं बची थी घुटनों के पास से पैरों को मोडते हुए वो शावर को चलते छोड़ कर ही बाथटब के किनारे बैठ गई थी बुरी तरह से हाफ रही थी एक हाथ से अपनी चुचियों को सहलाते हुए और दूसरे हाथ से अपनी जाँघो के ऊपर से बालों के गुच्छे को सहलाती रही और हान्फते हुए बहुत देर हो गई थी सांसों को ठीक करने की बहुत कोशिस करने के बाद भी वो उसकी गिरफ़्त में नहीं आई थी थकि हुई सी कामया ने अपनी सांसों को कंट्रोल करना छोड़ कर एक हाथ बढ़ा कर तौलिया को अपनी ओर खींचा और अपने शरीर को ढँकते हुए धीरे-धीरे पोछने लगी बड़ी मुश्किल से उठकर शावर बंद करके तौलिया को लपेट कर धीमे धीमे बाथरूम डोर खोलकर बाहर निकली तौलिया अब तक उसके शरीर के चारो ओर लपेटा हुआ था पर आँखें और चहरे को देख कर लगता था कि किसी जंग से आ रही है 
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