Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 03:04 PM,
#72
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
कामेश- भोला आज अगर छूट गये तो एक बार फोन करदेना ठीक है 

भोला- जी भैया आप आज जा रहे हो 

कामेश--- पता नहीं धरम पल जी क्या कहते है 

भोला- मुझे भी चलना था क्या 

कामेश- नहीं यार अभी नहीं अभी तो तू यही रह देखता हूँ पहली बार होकर आता हूँ फिर 

भोला- जी भैया आप हुकुम करना में हाजिर हो जाऊँगा 

कामेश- हाँ… ठीक है और सुन छूटने के बाद मंदिर वाले घर पर ही जाना यहां साइट वाले कमरे में नहीं जाना 

भोला- क्यों 

कामेश- अरे मंदिर वाले घर के आस-पास बहुत लोग है और पंडितजी भी है तेरा खयाल रखेंगे साइट वाले कमरे में अकेला पड़ा रहेगा इसलिए 

भोला- नहीं भैया में तो साइट वाली कमरे में ही रहूँगा कम से कम थोड़ा बहुत देखता तो रहूँगा नहीं तो यहां मंदिर वाले घर में खाली भजन सुनते सुनते पागल हो जाऊँगा 

कामेश- क्या यार थोड़े दिन आराम कर लेता ठीक है पर ध्यान रखना और ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होना 

भोला- ठीक है भैया 

कामेश डोर बंद करके बाहर आ गया डाक्टर और कामया बाहर ही खड़े थे उसी का इंतजार करते डाक्टर से हाथ मिलाकर वो बाहर अपनी गाड़ी की ओर चल दिए 

कामया अब भी अपने को कंट्रोल करने में असफल थी उसकी हालत बहुत खराब थी उसके शरीर में एक भयानक सी आग लगी हुई थी जो कि उसे अपने आप में ही जला रही थी गाड़ी में बैठते ही 
कामया- आप क्या आज ही बाहर जा रहे है 

कामेश- पता नहीं धरमपाल जी का कोई फोन तो अब तक नहीं आया वही बताने वाले थे क्यों 

कामया- आज मत जाना, और अपने हाथों से पास बैठे कामेश के कंधे को सहलाने लगी थी कामेश भी मुस्कुराते हुए 
कामेश- क्यों मिस करोगी क्या 

कामया- (एक बहुत ही मधुर मुश्कान अपने होंठों में लिए ) हाँ… 

कामेश- तो अभी घर चले 

कामया- हाँ… चलिए 

कामेश- क्या बात है यार तुम तो कमाल की हो 

कामया- कमाल की क्या अपने पति को ही कह रही हूँ 

कामेश- हाँ… छोड़ो अभी तो शोरुम चलते है जल्दी निकल चलेंगे ठीक 

कामया- हाँ… 
और कामया अपनी जाँघो को अचानक ही बहुत जोर से आपस में भिच अकर बैठ गई जब से भोला के लिंग की गर्माहट उसके शरीर में पहुँची थी वो एक भूखी शेरनी हो गई थी उसे अब अपने पति के साथ थोड़ी देर के लिए अकेला पन चाहिए ही था 

वो अपने मन की इच्छा को एक उसके साथ ही पूरा कर सकती थी और वो भी बिना किसी रोकटोक के पर उसे यह भी पता था कि वो अभी पासिबल नहीं है अगर शोरुम नहीं जाते तो यह पॉसीबल था पर अभी कामया क्या करे रात का इंतेजार उूुउउफफफफ्फ़ तब तक तो वो पागल हो जाएगी पर कोई चारा नहीं था उसे इंतेजार करना ही था इसके अलावा कोई रास्ता उसे तो नहीं सूझ रहा था वो शोरुम में भी आ गई और कामेश अपने काम में लग गया और वो भी पर कामया तो रह रहकर अपने शरीर में एक सनसनाहट सी महसूस करती रही बार-बार बाथरूम में भी हो आई पर उसकी उत्तेजना में कोई कमी नहीं आई थी उसे रह रहकर भोला की आखें याद आ रही थी किस तरह से उसकी तरफ खा जाने वाली नजर से देख रहा था किस तरह से वो बिना किसी डर के कामया के हाथों को अपने लिंग तक पहुँचा दिया था और उसे मजबूर कर दिया था कि आओ उसके साथ उसी खेल में शामिल हो जाए और तो और वो भी कुछ नहीं कह या कर पाई थी तब बिना कुछ बोले और बिना कुछ कहे ही वो भी अंजाने में उस खेल में शामिल हो गई थी क्यों नहीं उसने मना किया या फिर खींचकर एक चाँटा मारती या फिर जोर से चीख कर सभी को बुला लेती 

पर कहाँ वो तो बल्कि उसका साथ देने लगी थी उसके लिंग को सहलाते हुए उसे सुख का एहसास देने की कोशिश करती जा रही थी और तब भी जब भोला ने अपने हाथों को उसके कमर के चारो ओर घेर लिया था तो भी वो उसके लिंग को अपने हाथों से सहलाते जा रही थी क्यों आखिर क्योंकिया उसने वो तो अब सबकुछ भूलकर फिर से पूरी कामया बनना चाहती थी सिर्फ़ पति और घर पर आज जो कुछ हुआ क्या उसे एक इतने बड़े घर की बहू को शोभा देता है अगर कोई देख लेता तो 
और अगर किसी को पता चल जाता तो वो तो अच्छा हुआ कि कामेश और डाक्टर आते हुए बाहर थोड़ी देर के लिए रुक कर हँसते हुए अंदर आए थे अगर एक झटके से दरवाजा खोलकर अंदर आ जाते तो तो क्या होता सोचते सोचते कामया की हालत खराब हो गई थी पशीनापशीना हो गई थी कामेश और पापाजी अपने काम में लगे हुए थे उसकी ओर ध्यान नहीं था पर कामया के पसीना पसीना होने के पीछे जो भी कारण था वो वो खुद भी नहीं जानती थी शायद डर के मारे या फिर सेक्स के उतावले पन की खातिर कुछ भी हो कामया की हालत ठीक नहीं थी उसे कामेश के साथ थोड़ी देर का अकेला पन चाहिए ही था 
वो एकदम से 
कामया- सुनिए आज थोड़ा जल्दी चलिए ना 

कामेश- कहाँ 
कामया-- यहां से 
कामेश जो कि अभी तक अपने काम में इतना उलझा हुआ था कि गाड़ी में हुई छेड़ छाड़ को बिल्कुल भूल चुका था और एक अजीब से तरीके से कामया की ओर देखता हुआ बोला 
कामेश- पर जाना कहाँ है 

कामया- (पापाजी की ओर देखते हुए और थोड़ी आवाज को मंदा करते हुए ) घर और कहाँ अपने तो कहा था अभी गाड़ी में 
कामेश- (मुस्कुराते हुए पापाजी की ओर देखता हुआ जो कि अपने काम में व्यस्त थे एक आँख कामया को मारकर ) कहो तो यही कर लेते है 

कामया- धत्त जल्दी कीजिए ना प्लीज 

कामेश- हाँ… 5 30 बजे तक चले घर फिर डिनर पर भी चलते है 
अब तो कामया के पास और कोई चारा नहीं था सो वही बैठकर इंतजार करने के सिवा टाइम निकलता जा रहा था कामया की जिंदगी का यह पहला टाइम था जब वो इतनी उत्तेजित थी और वो कुछ नहीं कर पा रही थी आज उसकी योनि, मे जो हलचल मची हुई थी वो उसके जीवन में कभी नहीं हुई थी आज पहली बार उसे पता चल रहा था कि तन की अग्नि में जलना क्या होता है पहले भी उसके साथ ऐसा हुआ था पर तब या तो लाखा या फिर भोला ने उसकी आग भुजाई थी और फिर उसका पति तो था ही 


पर आज की स्थिति कुछ और थी वो यहां शोरुम मेबैठी हुई अपने पति के फ्री होने का इंतजार कर रही थी और उसके पास कोई चारा नहीं था 
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RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू - by sexstories - 06-10-2017, 03:04 PM

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