Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:20 PM,
#13
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
भीमा कामया पर से अपनी पकड़ ढीली करता जा रहा था और अपने को उसके ऊपर से हटाता हुआ बगल में लुढ़क गया था वो भी अपनी सांसों को संभालने में लगा था रूम में जो तूफान आया था वो अब थम चुका था दोनों लगभग अपने को संभाल चुके थे लेकिन एक दूसरे की ओर देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे भीमा वैसे ही कामया की ओर ना देखते हुए दूसरी तरफ पलट गया और पलटा हुआ अपनी धोती ठीक करने लगा अंडरवेर पहना और अपने बालों को ठीक करता हुआ धीरे से उठा और दबे पाँव कमरे से बाहर निकल गया कामया जो कि दूसरी और चेहरा किए हुए थी भीमा की ओर ना उसने देखा और ना ही उसने उठने की चेष्टा की वो भी चुपचाप वैसे ही पड़ी रही और सबकुछ ध्यान से सुनती रही उसे पता था कि भीमा चाचा उठ चुके हैं और अपने आपको ठीक ठाक करके बाहर की चले गये है कामया के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी उसके चेहरे पर एक संतोष था एक अजीब सी खुशी थी आखों में और होंठों को देखने से यह बात सामने आ सकती थी पर वो वैसे ही लेटी रही और कुछ देर बाद उठी और अपने आपको देखा उसके शरीर में सिर्फ़ पेटीकोट था जिसका की नाड़ा कब टूट गया था उसे नहीं पता था और कुछ भी नहीं था हाँ… था कुछ और भी भीमा के हाथों और दाँतों के निशान और
उसका पूरा शरीर थूक और पसीने से नहाया हुआ था वो अपने को देखकर थोड़ा सा मुस्कुराइ आज तक उसके शरीर में इस तरह के दाग कभी नहीं आए थे होंठों पर एक मुस्कान थी भीमा चाचा के पागलपन को वो अपने शरीर पर देख सकती थी जो की उसने कभी भी अपने पति से नहीं पाया था वो आज उसने भीमा चाचा से पाया था उसकी चुचियों पर लाल लाल हथेली के निशान साफ दिख रहे थे वो यह सब देखती हुई उठी और पेटीकोट को संभालते हुए अपनी ब्लाउस और ब्रा को भी उठाया और बाथरूम में घुस गई जब वो बाथरूम से निकली तो उसे बहुत जोर से भूख लगी थी याद आया कि उसने तो खाना खाया ही नहीं था 

अब क्या करे नीचे जाने की हिम्मत नहीं थी भीमा चाचा को फेस करने की हिम्मत वो जुटा नहीं पा रही थी पर खाना तो खाना पड़ेगा नहीं तो भूख का क्या करे घड़ी पर नजर गई तो वो सन्न रह गई 2 30 हो गये थे तो क्या भीमा और वो एक दूसरे से लगभग दो घंटे तक सेक्स का खेल खेल रहे थे कामेश तो 5 से 10 मिनट में ही ठंडा हो जाता था और आज तो कमाल हो गया कामया का पूरा शरीर थक चुका था उसे हाथों पैरों में जान ही नहीं थी पूरा शरीर दुख रहा था हर एक अंग में दर्द था और भूख भी जोर से लगी थी थोड़ी हिम्मत करके उसने इंटरकम उठाया और किचेन का नंबर डायल किया एक घंटी बजते ही उधर से 
भीमा- हेलो जी खाना खा लीजिए 

भीमा की हालत खराब थी वो जब नीचे आया तो उसके हाथ पाँव फूले हुए थे वो सोच नहीं पा रहा था कि वो अब बहू को कैसे फेस करेगा वो अपने आपको कहाँ छुपाए कि बहू की नजर उसपर ना पड़े पर जैसे ही वो नीचे आया तो उसके मन में एक चिंता घर कर गई थी और खड़ा-खड़ाकिचेन में यही सोच रहा था कि बहू ने खाना तो खाया ही नहीं 

मर गये अब क्या होगा मतलब कामया को खाना ना खिलाकर वो तो किचेन साफ भी नहीं कर सकता और वो बहू को कैसे नीचे बुलाए और क्या बहू नीचे आएगी कही वो अपने कमरे से कामेश या फिर साहब को फोन करके बुला लिया तो कही पोलीस के हाथों उसे दे दिया तो क्या यार क्या कर दिया मैंने क्योंकिया यह सब वो अपने हाथ जोड़ कर भगवान को प्रार्थना करने लगा प्लीज भगवान मुझे बचा लो प्लीज अब नहीं करूँगा उसके आखों में आँसू थे वो सच मुच में शर्मिंदा था जिस घर का नमक उसने खाया था उसी घर की इज़्ज़त पर उसने हाथ डाला था अगर किसी को पता चला तो उसकी इज़्ज़त का क्या होगा गाँव में भी उसकी थू-थू हो जाएगी और तो और वो साहब और माँ जी को क्या मुँह दिखाएगा सोचते हुए वो 
खड़ा ही था की इंटरकम की घंटी बज उठी डर के साथ हकलाहट में वो सबकुछ एक साथ कह गया पर दूसरी ओर से कुछ भी आवाज ना आने से वो फिर घबरा गया 
भीमा- हेल्लू 

कामया- खाना लगा दो 

और फोन काट दिया कामया ने उसके पास और कुछ कहने को नहीं था अगर भूखी नहीं होती तो शायद नीचे भी ना जाती पर क्या करे उसने फिर से वही सुबह वाला सूट पहना और नीचे चल दी सीढ़िया के ऊपर से उसे भीमा चाचा को देखा जो की जल्दी-जल्दी खाने के टेबल पर उसका खाना लगा रहे थे वो भी बिना कुछ आहट किए चुपचाप डाइनिंग टेबल पर पहुँची कामया को आता सुनकर ही भीमा जल्दी से किचेन में वापस घुस गया कामया भी नीचे गर्दन किए खाना खाने लगी थी जल्दी-जल्दी में क्या खा रही थी उसे पता नहीं था पर जल्दी से वो यहां से निकल जाना चाहती थी किसी तरह से उसने अपने मुँह में जितनी जल्दी जितना हो सकता था ठूँसा और उठ कर वापस अपने कमरे की ओर भागी नीचे बेसिन पर हाथ मुख भी नहीं धोया था उसने 


कमरे में आकर उसने अपने मुँह के नीवाले को ठीक से खाया और बाथरूम में मुँह हाथ धोकर बिस्तर पर लेट गई अब वो सेफ थी पर अचानक ही उसके दिमाग में बात आई कि उसे तो शाम को ड्राइविंग पर जाना था अरे यार अब क्या करे उसका मन तो बिल्कुल नहीं था उसने फोन उठाया और कामेश को रिंग किया 

कामेश- हेलो 

कामया- सुनिए प्लीज आज ना में ड्राइविंग पर नहीं जाऊँगी कल से चली जाऊँगी ठीक है 

कामेश- हहा ठीक है क्यों क्या हुआ 

कामया- अरे कुछ नहीं मन नहीं कर रहा कल से ठीक है 

कामेश- हाँ ठीक है कल से चलो रखू 

कामया- जी 

और फोन काट गया 
कामया ने भी फोन रखा और बिस्तर पर लेटे लेटे सीलिंग की ओर देखती रही और पता नहीं क्या सोचती रही और कब सो गई पता नहीं चला
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