ब्रा वाली दुकान
06-09-2017, 01:50 PM,
#7
RE: ब्रा वाली दुकान
अब लंड सही तरह से सलमा आंटी की गाण्ड में नहीं गया था, एक बार फिर से ब्रेक लगी तो अब मैं सलमा आंटी के साथ जुड़कर खड़ा हो गया और मुझे अपने लंड पर सलमा आंटी की गाण्ड का स्पष्ट एहसास होने लगा, लेकिन सलमा आंटी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया और ऐसे ही खड़ी रहीं। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ अपनी कमीज के नीचे किया और वहां से अपने लंड हाथ में पकड़ कर उसका रुख जो अब नीचे था उसको उठाकर सलमा आंटी के चूतड़ों की ओर कर दिया। जब मैं लंड उठाकर उसकी टोपी का रुख सलमा आंटी की गाण्ड पर किया तो सलमा आंटी थोड़ा कसमसाई लेकिन वह अपनी जगह से हिली नहीं तो मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं अब एक ही स्थिति में खड़ा रहा। ड्राइवर ने एक बार फिर से ब्रेक लगाई और मैं फिर सलमा आंटी से जा टकराया, अब मेरा लंड तो पहले ही उनकी गाण्ड को छू रहा था लेकिन अब की बार जो ब्रेक लगी तो मेरा सिर भी सलमा आंटी के कंधे तक गया और मेरे लंड की टोपी ने सलमा आंटी की गाण्ड पर दबाव बढ़ाया तो चूतड़ों ने साइड पर हट कर लंड को अंदर आने की अनुमति दे दी। और शायद मेरी टोपी सलमा आंटी की गाण्ड के छेद पर भी लगी जिसे उन्होंने देखा और बस उसपल जब मेरा सिर उनके कंधे पर जाकर लगा मैंने सलमा आंटी की हल्की से सिसकी सुनी। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं 

इस सिसकी ने मेरे लंड तक यह संदेश पहुंचा दिया कि आंटी मस्त हो रही हैं तो अपना काम जारी रख तभी बेफिक्र होकर वहीं पर खड़ा रहा और सलमा आंटी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा कड़ा कर मेरे लंड की टोपी को अपने चूतड़ों की लाइन में भींच लिया। मुझे अब अपना लंड उनकी गाण्ड में फंसा हुआ महसूस हो रहा था, मैंने थोड़ा पीछे होकर जाँच करना चाहा कि बाहर निकलता है या नहीं, मगर सलमा आंटी ने कमाल कौशल से मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसाकर दबा लिया था, मैंने कहा ठीक है जब आंटी खुद ही मस्त होकर मेरा लंड संभाल चुकी हैं तो मुझे क्या जरूरत है उसे बाहर निकालने की। तो मैं भी ऐसे ही खड़ा रहा और सलमा आंटी की गाण्ड के मजे लेने लगा। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि सलमा आंटी कभी अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ रही थीं और उसके बाद फिर से अपनी गाण्ड को टाइट करके इसमें लंड को दबा रही थीं। मुझे इस खेल में अब मज़ा आना शुरू हुआ था कि कमबख़्त ड्राइवर ने एक बार फिर ब्रेक लगाई और हम सब खड़ी सवारियां फिर आगे की ओर झुकी और फिर वापस पीछे की ओर हुईं तो इस दौरान सलमा आंटी की गांड की पकड़ मेरे लंड पर कमजोर पड़ गई और लंड उनकी गाण्ड से बाहर निकल आया, जैसे ही हम फिर संभलकर खड़े हुए सलमा आंटी ने हल्की सी गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और अनुमान लगाया कि उनसे कितना दूर खड़ा हूँ, फिर सलमा आंटी खुद ही धीरे से पीछे हुई और फिर उन्होंने अपने भारी भर कम चूतड़ मेरे मासूम से लंड पर रख दिए, मैं भी मौका उचित देख फिर से कमीज के नीचे हाथ किया और अपने लंड का रुख आंटी की गाण्ड की तरफ कर दिया। 

फिर लोहे जैसे मेरे हथियार के आसपास सलमा आंटी की नाजुक और कोमल नरम गाण्ड का एहसास होने लगा तो मुझे फिर से सलमा आंटी पर प्यार आने लगा। लेकिन जब हम बस में थे इसलिए अधिक हरकत नहीं कर सकते थे। लेकिन मैं अभी इतना समझ चुका था कि सलमा आंटी की गाण्ड में अब मेरा लंड जल्द ही जाने वाला है बस उचित अवसर का इंतजार करना होगा। कुछ देर तक ऐसे ही खड़े-खड़े अपने लंड पर सलमा आंटी के चूतड़ों की मजबूत पकड़ के मजे लेता रहा लेकिन फिर तुरंत ही कंडक्टर की आवाज़ आई जो कबीर वाला की सवारियों को आगे आने को कह रहा था, यह सुनते ही सलमा आंटी ने अपने चूतड़ों की पकड़ को ढीला कर दिया और थोड़ा आगे हुईं जिससे मेरा लंड उनके चूतड़ों से निकल गया और सलमा आंटी ने साथ वाली सीट पर बैठी हुई सायरा को बाहर आने को कहा। फिर हम चारों बस से उतर गए, इस दौरान मेरा लंड भी खतरा महसूस कर फिर से बैठ गया था, बस से उतर कर हमने एक रिक्शा पकड़ा और 5 मिनट में ही सलमा आंटी की बहन के घर पहुंच गए जहां खासे मेहमान आए थे और उनकी भांजी के ससुराल वाले भी मौजूद थे। सलमा आंटी ने मेरा भी परिचय करवाया और दूसरी आंटी जिनका नाम सुल्ताना था उन्होंने मुझे सिर पर प्यार दिया और कुछ ही देर बाद जब सलमा आंटी की मौजूदगी में उनकी भतीजी की शादी की तारीख रख ली गई तो हमें खाना खिलाया गया, और फिर सलमा आंटी अपनी बहन और भतीजी के साथ बैठ कर बातें करने लगीं जबकि सायरा और शमीना वहाँ अपनी हमउम्र कज़नों के साथ खेलने में व्यस्त हो गईं जबकि मैं एक साइड पर बैठकर बोरियत को एंजाय करने लगा। इसी दौरान मेरी आँख लग गई, जब आंख खुली तो सलमा आंटी मेरे पास खड़ी मुझे सिर हिलाकर उठाने की कोशिश कर रही थीं, उठ जाओ सलमान बेटा देर हो रही है। यह आवाज सुनकर मैंने आंखें खोलीं तो सलमा आंटी ने कहा चलो अब वापस चलें काफी देर हो गई है। मैं भी तुरंत उठा और कुछ ही देर में रिक्शे से हम फिर कबीर वाला मेन बस स्टॉप पर खड़े थे जहां से हमें पिंडी से आने वाली बस बस अड्डे पर ही खड़ी मिल गई, मैं बस में चढ़ा और मेरे पीछे सलमा आंटी भी बस में आ गई, लेकिन फिर सलमा आंटी ने मुझे वापस बुला लिया और कहा नीचे जाओ हम बस में नहीं जाएंगे। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

मैं सलमा आंटी को कहा क्यों आंटी बस में जगह है बैठने की, कंडेक्टर ने भी कहा मौसी जी बहुत सीटें पड़ी हैं, लेकिन खाली जी ने किसी की नहीं सुनी और चुपचाप नीचे उतर गईं जिस पर मुझे कंडेक्टर की जली-कटी बातें सुनना पड़ी, मगर मैं चुपचाप सलमा आंटी के पास जाकर खड़ा हो गया, वह बस चली गई तो मैंने आंटी से पूछा कि आंटी जगह थी तो सही बस में फिर हम बस में क्यों नहीं गए, लेकिन आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया, कुछ ही देर में एक और बस आ गई जो खचाखच भरी हुई थी, सलमा आंटी इस बस में सवार हो गईं और मैं भी उनकी इस हरकत पर हैरान होता हुआ उनके पीछे पीछे हो लिया। पहले की तरह फिर से इस बस में हमें कोई सीट उपलब्ध नही थी मगर इस बार शमीना और सायरा दोनों को ही सीट मिल गई जबकि आंटी और मैं दूसरी सवारियों के साथ बस में खड़े रहे। 

कुछ ही देर बाद मेरी हैरानगी तब खत्म हो गई जब आंटी खुद ही मेरे शरीर के साथ लग कर खड़ी हो गईं, लेकिन इस समय मेरी सोच कहीं और थी और लंड सोया हुआ था, आंटी को जब अपनी गाण्ड पर कुछ भी महसूस नहीं हुई तो उन्होंने पीछे मुड़ कर मेरे लंड को देखा जहां आराम ही आराम था, फिर आंटी ने लज्जित होकर मुंह आगे कर लिया और थोड़ा आगे होकर खड़ी हो गईं। लेकिन मुझे समझ लग गई थी कि सलमा आंटी खाली बस में क्यों नहीं बैठी उन्हें वास्तव में लंड का आनंद लेना था, यह संकेत मिलते ही मेरे लंड ने सलवार में सिर उठाना शुरू कर दिया। चूंकि यह रात 9 बजे का समय था और बाहर हर तरफ अंधेरा था, और बस भी चूंकि पिंडी से मुल्तान आ रही थी तो ज्यादातर यात्री सो रहे थे इसलिए बस के अंदर की रोशनी भी बंद थी और बस में करीब करीब पूरा अंधेरा था बैठी हुई सवारियाँ ज़्यादातर सो रही थी और बस में पूरा सन्नाटा भी था। सलमा आंटी की मांग को तो मैं समझ ही गया था इसलिए अब मैंने सोचा कि अब जरा पहले कुछ अधिक होना चाहिए और सलमा आंटी की गाण्ड का सही मज़ा लेना चाहिए। इसी सोच के साथ मेरा लंड फिर से अपने जोबन पर आ चुका था, मैंने कमीज के नीचे हाथ डालाऔर अपनी कमीज को साइड से हटा दिया उसके बाद थोड़ा आगे गया और बड़ी सावधानी के साथ सलमा आंटी की कमीज भी उनकी गाण्ड से साइड पर खिसका दी, जब मैंने सलमा आंटी की कमीज साइड पर हटाई तो उन्होंने एकदम पीछे मुड़ कर देखा कि यह क्या हो रहा है? फिर उन्होंने मेरे लंड देखा जहां से मैं कमीज हटा चुका था और मेरा मोटा ताजा लंड सलवार के अन्दर ही खड़ा होकर अपने आकार का अनुमान दे रहा था जो इस समय मेरे हाथ में था, लंड पर नज़र पड़ते ही सलमा आंटी की आँखो में एक चमक आई और उन्होंने मुझसे नजरें चार किए बिना ही फिर मुंह आगे कर लिया, और मैं भी इधर उधर से संतुष्ट होकर अपना लंड सलमा आंटी के चूतड़ों में फंसा दिया जिस पर सलमा आंटी पीछे हो गईं। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं 

चूंकि हर तरफ अंधेरा था और किसी को भी पता नहीं था कि यहाँ क्या खेल चल रहा है, मैंने अधिक हिम्मत की और अपना एक हाथ सलमा आंटी की मोटी गांड पर रख कर उसको थोड़ा खोला और अपना लंड और अधिक अंदर फंसा दिया जिसको सलमा आंटी ने तुरंत अपनी मजबूत पकड़ में जकड़ लिया। अब मैंने अपना एक हाथ सलमा आंटी के नितंबों पर रख लिया और पूरी तरह से अपने लंड का दबाव सलमा आंटी की गाण्ड में बढ़ाने लगा। जाहिर सी बात है मैं अपना लंड सलमा आंटी की गाण्ड के छेद में तो प्रवेश नहीं करा सकता था, मगर उनकी गांड लाइन में लंड फंसाकर उन्हें मज़ा दे सकता था, और आंटी भी मस्त होकर पूरा पूरा मज़ा ले रही थी। मैंने अपने हाथ से सलमा आंटी के नितंबों दबाया तो उन्होंने अपने चूतड़ों को पीछे करके फिर से पकड़ मज़बूत कर ली और फिर इसी तरह पकड़ मज़बूत करते हुए थोड़ा आगे हुई तो मुझे अपने लंड की टोपी पर उनकी गाण्ड की रगड़ महसूस हुई , तो फिर से सलमा आंटी ने अपनी गाण्ड की पकड़ कमजोर कर गांड पीछे की और फिर से पकड़ मज़बूत कर अपनी गाण्ड को आगे करने लगीं। सलमा आंटी ने करीब 5 मिनट तक यह काम जारी रखा जिससे अब मुझे अपार मज़ा आने लगा था, उनकी नरम नरम मोटी गाण्ड में लंड बहुत मजे में था। 

फिर सलमा आंटी ने अपना हाथ पीछे किया और अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसकी मोटाई का आकलन करने लगी, तो उन्होने अपने हाथ से मेरे लंड को गाण्ड से बाहर निकाला और उसका रुख थोड़ा सा नीचे कर के दोबारा गाण्ड के छेद में प्रवेश किया। उफ़ ......... क्या मजे की हरकत की थी सलमा आंटी ने एक तो उन्होंने जब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा मुझे उसका ही बेहद मज़ा आया तो उन्होंने गाण्ड में फिर लंड को दाखिल किया मगर उसका रुख नीचे किया तो लंड की टोपी पर सलमा आंटी की गीली चूत लगते ही मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। सलमा आंटी की चूत न केवल गीली थी बल्कि वह इस हद तक गर्म थी कि मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड की टोपी पर गर्म गर्म कोयला रख दिया हो। सलमा आंटी ने एक बार फिर मेरा लंड अपने चूतड़ों को टाइट करके अपनी लाइन में कसकर जकड़ लिया और फिर हौले हौले झटके ले लेकर आगे पीछे हो कर मेरे लंड की टोपी को अपनी चूत पर मसलने लगी। चूंकि बस भी चल रही थी जिसकी वजह से खड़ी सवारियां थोड़ा बहुत हिलती हैं इसलिए हमारी इस हरकत पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। 
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RE: ब्रा वाली दुकान - by sexstories - 06-09-2017, 01:50 PM

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