औरत का सबसे मंहगा गहना
06-12-2017, 11:21 AM,
#11
RE: औरत का सबसे मंहगा गहना
अब स्कूटी सीखने के वक्त हम दोनों को बहुत चिपकना पड़ता था, जब वो मुझे सामने बिठा कर स्कूटी का हैण्डल पकड़ाता और खुद पीछे से झुककर हैण्डल पकड़ता और मुझे गाईड करता था, उस वक्त उसकी सांसें मेरे गालों पर महसूस होती थी, कभी वह मेरी कमर को थाम लेता तो कभी मेरे कंधों पर हाथ रख देता था, मैं रोमांचित हो उठती थी, मुझे अपने पिछवाड़े में कुछ चुभन सी भी होती थी।
अब मैं इस उम्र में तो पहुंच ही चुकी थी कि वह चुभन किस चीज की है जान सकूँ, अब तो बस मैं उस चुभन से लिंग के आकार का अनुमान लगाने की कोशिश करती थी और अंदर ही अंदर शरमा भी जाती थी, कभी कभी योनि भी खुशी में आंसू बहा देती थी।
लेकिन हम दोनों में से कोई भी आगे नहीं बढ़ रहा था।
छुट्टियों के दिन कब बीते, पता ही नहीं चला और अब हम फिर स्कूल जाने लगे।
छुट्टियों के दिन कब बीते पता ही नहीं चला। फिर स्कूल शुरू हो गये, मैं रेशमा और सैम पहले की ही तरह साथ स्कूल जाते थे, सैम स्कूटी चलाता था और कभी रेशमा बीच में बैठ जाती थी तो कभी मैं बीच में बैठ जाती थी।
एक दिन रास्ते के गड्ढे में गाड़ी उछली, उस दिन बीच में मैं बैठी थी गाड़ी के उछलते ही मैंने सैम को कस के पकड़ना चाहा और अपनी बाहें उसके कमर पे लपेट ली, तभी मेरे हाथों को कुछ उभार का अहसास हुआ मैंने जिज्ञासा वश उसे छुआ और दबा दिया।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय राम… यह क्या कर दिया मैंने.. यह तो सैम का लिंग था!
हालांकि ये सब सिर्फ कुछ क्षणों में हुआ था लेकिन सैम मेरी इस हरकत से हड़बड़ा गया और गाड़ी अनियंत्रित हो गई, हम गिरे तो नहीं क्योंकि सैम ने गाड़ी संभाल ली पर गाड़ी रास्ते से उतर कर झुक गई और हमें उतरना पड़ा।
मैंने कान पकड़ कर सॉरी कहा, सैम ने मुस्कुरा कर कहा- कोई बात नहीं!
पर अभी रेशमा को माजरा समझ नहीं आया था तो उसने कहा- भाई तुझे गाड़ी चलानी नहीं आती क्या? आज तो मार ही डाला था तूने हम दोनों को! और तू रे स्वाति… भाई की गलती पे तू क्यों सॉरी बोल रही है?
तो मैं मुस्कुरा दी और सैम ने कहा- तू चुप कर चल, बैठ गाड़ी पे, स्कूल के लिए देर हो रही है।
हम स्कूल पहुंच गये, वहां मौका मिलते ही रेशमा ने मुझे अकेले में फिर पूछा कि उस समय तू क्यों सॉरी बोल रही थी, तो मैंने उसे सारी बात बता दी। अब रेशमा मुझे छेड़ने लगी ‘आय हाय… तू तो बड़ी लक्की है रे, तुझे तो बैठे बिठाये लिंग मिल गया।’
मैंने भी आंखें तरेर के जवाब दिया कि मैं नहीं पकड़ने गयी थी तेरे भाई का बंबू, वो तो सिर्फ एक एक्सीडेंट था, और मुझे क्या मालूम था कि तेरा भाई अपना लिंग खड़ा करके गाड़ी चलाता है।
तो रेशमा ने फिर कहा ‘चल एक्सीडेंट ही सही, बता तो सही कि कितना बड़ा था कैसा लगा?’
मैं मुस्कुरा उठी, मेरी योनि भी चिपचिपा गई और उससे पीछा छुड़ा के जाते जाते मैंने कहा- कल तू बीच में बैठ जाना और पकड़ के देख लेना अपने भाई का लिंग!
वापसी में मैंने बीच में बैठने में झिझक दिखाई तो रेशमा मेरी उलझन समझ कर बीच में बैठ गई, वो लोग मुझे घर पर उतार के चले गये और मैं कपड़े भी बदल नहीं पाई थी कि सैम मुझे गाड़ी सिखाने आ गया।
मैंने मम्मी से कहा- मैं आकर नाश्ता करूँगी।
और सैम के साथ निकल गई, इस साल हम लोगों ने शुरुआत से ट्यूशन नहीं किया था, फिर भी पिछले कुछ दिनों से गाड़ी सीखने का काम बंद था पर आज सैम क्यों आया है और इतना उतावला क्यों है मैं समझ सकती थी।
सैम ने एक गार्डन में ले जाकर गाड़ी रोकी, हम कोई सूनी जगह के बजाय पब्लिक के बीच में नीचे घास पर अगल-बगल बैठे, दोनों कुछ देर खामोश रहे फिर मैंने कहा- आज यहां कैसे लाये हो सैम, कोई खास बात है क्या?
उसने कहा- खास तो कुछ नहीं, बस यह बताओ कि तुमने कभी लिंग देखा पकड़ा नहीं है क्या?
मैं उसके अचानक इस सवाल से हड़बड़ा सी गई पर अब सैम से नजदीकी बढ़ गई थी इसलिए जल्दी ही संभल कर बोली- मैं कहां और किसका देखूँगी, और ऐसे भी कौन होगा जो लिंग खड़ा करके गाड़ी चलाता होगा।
तो उसने मेरे उरोजों की ओर इशारा करके कहा- जब किसी की पीठ में तुम्हारे बोबे रगड़े गये ना, तो बुढ्ढों के भी लिंग खड़े हो जाएँ! हाय राम… सैम सच कह रहा था… मेरे मम्मे रोज उसके पीठ पे रगड़ते थे पर मैंने कभी ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।
मैं शरमा गई और मुस्कुरा कर मस्ती में कहा- तब तो फिर तुम्हारी बहन रेशमा के मम्मे रगड़ने से भी तुम्हारा लिंग ऐसे ही फुंफकारता होगा, वैसे भी उसके मम्में मेरे से काफी बड़े भी तो हैं।
इतना सुन कर सैम ने अजीब सा मुंह बनाया और कहा- चलो घर चलते हैं।
मुझे लगा कि मैंने कुछ गलत कह दिया और सैम नाराज हो गया, मैं उसे मनाने की कोशिश करने लगी पर वो नहीं माना हम गाड़ी पर बैठ गये।
यहां पर आप लोगों को रेशमा के बारे में बता दूं, रेशमा बहुत गोरी.. 5’3″ की हाईट, बड़े भरे हुए मम्में, पिछाड़ी निकली हुई भरी हुई शरीर की, आंखों में काजल लगने पर मृगनैनी, होंठों पर लिपिस्टिक लग जाये तो गुलाब की पंखुड़ी, गाल भरे हुए, थोड़ी चंचल और हमेशा खुद को ढक कर रखने वाली लड़की थी।
मैं हमेशा चाहती थी कि उसके जैसे ही उभार मेरे सीने पर भी हों, इसीलिए मैंने सैम से रेशमा के मम्मों का जिक्र कर दिया, पर शायद सैम सच में नाराज था इसीलिए उसने आधे रास्ते तक कोई बात ही नहीं की।
तब मैं उसे मनाने के लिए व्याकुल हो उठी और मैंने थोड़े से सूने रास्ते में सैम के गाल पर किस कर दिया और उसके कान में मासूमियत से सॉरी कहा।
सैम ने मुस्कुरा के ‘इटस ओके’ कहा।
और बस जल्दी ही हम घर पहुंच गये।
उस पूरी रात मैंने सैम के सपने देख कर गुजारे, मेरी योनि ने रस भी बहाया और पता नहीं कब मेरे हाथ मेरी योनि की ओर बढ़ गए और मैं योनि को सहलाने लगी, मैंने लोवर उतारी नहीं बल्कि उसके अंदर हाथ डाल कर योनि को रस छोड़ने तक सहलाया और थक कर सो गई।
अगले दिन जब स्कूल जाने के लिये वे दोनों भाई बहन मेरे घर के पास आये, तब मैं ही बीच में बैठना चाहती थी पर रेशमा ने जगह नहीं दी।
ऐसा ही दो दिन लगातार हुआ और दूसरे दिन सैम ने मुझे कहा कि तुम बीच में क्यों नहीं बैठती हो, तुम उस दिन से नाराज हो क्या? मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, रेशमा ही बैठने नहीं देती।
तो सैम ने सिर्फ ‘झूठ…’ कहा और चला गया।
अगले दिन स्कूल जाने के लिए वो लेट आये, पूछने पर बताया कि अब्बू को आफिस के काम से आठ-दस दिनों के लिए बाहर जाना था तो अम्मी भी घूमने के लिए साथ चली गई है, अब हम दोनों ही घर पर हैं तो लेट हो गए।
मैंने मुस्कुरा कर ‘कोई बात नहीं’ कहा और सब कुछ सामान्य सा रहा।
वे लोग अगले दो दिन और लेट आये, चौथा दिन रविवार था, मैंने घर के कामों में दिन बिताया।
अगले दिन सोमवार को जब वो स्कूल जाने के लिए मेरे घर पहुंचे तो रेशमा गाड़ी से उतर कर मेरे घर में घुसी और मम्मी से कह दिया कि आज हम लोग स्कूल से सीधे हमारे घर जायेंगे, और स्वाति रात का खाना हमारे घर से खाकर आयेगी।
मैं कुछ समझ नहीं पाई पर कुछ नहीं कहा, क्योंकि मुझे लगा कि रेशमा की कोई प्लानिंग होगी।
और वैसा ही हुआ सैम ने स्कूल का रास्ता छोड़ कर दूसरा रास्ता पकड़ा, अपने घर की ओर गाड़ी घुमाई। मैंने तुरंत टोका- ये हम कहां जा रहे हैं?
तो रेशमा ने कहा- आज स्कूल की छुट्टी और घर पर मौज!
मुझे यह बात अच्छी नहीं लगी और सच कहूँ तो अचानक प्लानिंग की वजह से हड़बड़ा रही थी, ऐसे ही ना नुकुर में हम एक दूसरे रास्ते से उनके घर पहुंच गये।
घर का दरवाजा रेशमा ने खोला और अंदर किचन में चली गई, इतने में सैम ने मेरे सामने आकर अपने दोनों कानों को हाथों में पकड़ कर सॉरी कहा, मैं मुस्कुरा उठी, मेरा गुस्सा नखरा सब काफूर हो गया और ‘कोई बात नहीं’ कहते हुए मैं घर के अंदर आकर सोफे पर बैठ गई।
सैम ने दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में चला गया, रेशमा पानी लेकर आई, हमने पानी पिया और रेशमा के कमरे में आ गये।
अब मैंने धीरे से रेशमा को कहा- यार बात क्या है? मुझे लग रहा है कि तुम लोग मुझ से कुछ छुपा रहे हो?
तो रेशमा ने कहा- मैं तुम्हें यहां कुछ बताने के लिए लाई हूँ, यार भाई का लिंग सच में बहुत बड़ा है..!
मैंने आश्चर्य से रेशमा को देखा और कहा- तुमने कब देख लिया? और भाई के बारे में ऐसी बात करते शर्म नहीं आती।
तो रेशमा ने बड़ी बेशर्मी से कहा- अब शर्म वर्म गई भाड़ में… बस मन हुआ तो छू लिया, देख लिया, चूस लिया, और अंदर भी डलवा लिया।
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06-12-2017, 11:22 AM,
#12
RE: औरत का सबसे मंहगा गहना
इतना सुन कर मेरा चेहरा तो गुस्से से तमतमा गया क्योंकि अब सैम को मैं चाहने लगी थी, और योनि में झुरझुरी सी महसूस हुई, मैंने तुरंत सवालों के कई गोले दागे- कब, कहां, कैसे? तुम्हें डर नहीं लगा, कहां से सीख गई, कोई जान लेगा तो?
ये वो… ये वो… मैं बहुत कुछ लगातार बोलती रही, उसने मेरे मुंह पे हाथ रखा और कहा- बस मेरी अम्मा, बस कर, तुझे आज सब कुछ बताने सिखाने के लिए ही तो यहां लाई हूँ।
सिखाने शब्द को सुन कर मैं फिर चौंकी- सिखाने से तुम्हारा क्या मतलब है मैं ये सब नहीं करने वाली हूँ।
तो रेशमा ने कहा- वाह री शरीफजादी…! ये सब तेरी ही लगाई आग तो है।
अब मैं परेशान सी होकर सोचने लगी कि मैंने क्या किया।
तब रेशमा ने कहा- तू चिंता मत कर, मेरी बात सुन, तुझे सब समझ आ जायेगा।
तब मेरी जान में जान आई।
और फिर रेशमा अपनी सैक्स स्टोरी सुनाने लगी। 
पिछले कुछ दिनों से मैं मोबाइल में अश्लील मूवी देख रही थी, जिसके कारण मैं हमेशा उत्तेजित और व्याकुल रहने लगी थी और जब उस दिन जब तूने मुझे कहा कि तेरे भाई का लिंग कितना बड़ा है तू खुद ही पकड़ के देख लेना, तब मैंने सोचा कि यह तो सही बात है अगर मेरा काम घर में ही हो जाये तो क्या बुरा है। और मैं बहाने से भाई के लिंग को छूने टटोलने लगी। और तुमने भाई को भी तो कह दिया था कि ‘तुम्हारी बहन की चुची पीठ में रगड़ती हैं तब तुम्हारा लिंग खड़ा नहीं होता क्या’ करके, तो अब तुम्हारे कहने के बाद से भाई ने भी समय देख कर मेरे मम्मों और पिछवाड़े में हाथ मारना शुरू कर दिया, और इसी बीच अम्मी अब्बू का बाहर जाना हो गया मानो कि खुदा ने हर मुराद पूरी कर दी हो।
जिस दिन अम्मी अब्बू गये, उसी रात को मैं कमरे में अपने मोबाइल पर अश्लील मूवी देखते हुए लेटी थी, मेरा एक हाथ टीशर्ट के ऊपर से ही मम्मों को सहला रहा था।
तभी भाई कमरे में आया, मैंने हड़बड़ा कर मोबाइल बंद किया और बिस्तर पर बैठ गई।
भाई सामने आकर बैठ गया और कहा- रेशमा, मैं एक बात कहूँ… तुम्हें मेरी मदद करनी होनी.. मैं स्वाति को चाहता हूँ और मैं यह भी जानता हूँ कि तुम मेरे साथ जो हरकतें कर रही हो, वो अनजाने में नहीं हो रही हैं। अगर तुम किसी को पसंद करती हो तो बता दो, मैं तुम्हें उससे मिलवा दूँगा पर बदले में तुम मुझे स्वाति से मिलवा दो। मैं चाहूँ तो मैं खुद ही स्वाति से ये बातें कह सकता हूँ पर मैं स्वाति को खोने से डर रहा हूँ, कहीं वह किसी बात को बुरा ना मान जाये। बोलो मेरी मदद करोगी ना?
अब मैंने सोचा की यही मौका है कि मैं भी अपनी बात कह दूँ- देख भाई, मैं किसी को नहीं चाहती और अगर किसी से मेरा संबंध हो भी जाए तो हमारे घर की बदनामी है, अगर तुम चाहो तो तुम मेरा एक काम कर सकते हो, तुम मुझे वो खुशी दे दो जिसकी मुझे तलब है और मैं तुम्हें वो खुशी दिला सकती हूँ जिसकी तुम्हें तलब है।
सैम ने आश्चर्य, खुशी, गुस्से, कौतूहल के मिले जुले स्वर में कहा- यह तुम क्या कह रही हो, तुम्हें पता है?
तो मैंने कहा- हाँ भाई, बहुत अच्छे से पता है, अगर हम समाज की नजरों में अच्छा बना रहना चाहते हैं और तन मन को भी शांत रखना चाहते हैं तो यही तरीका सबसे उपयुक्त है।
और सैम के कुछ कहने से पहले ही मैंने अपना टीशर्ट उतार दिया, सफेद ब्रा में कसे हुए मेरे उरोज आजाद होने को व्याकुल नजर आ रहे थे, कमरे में पर्याप्त रोशनी थी, बिस्तर पर गुलाबी रंग की चादर बिछी हुई थी, भाई की नजरों में असमंजस और वासना एक साथ नजर आने लगी थी।
मैंने थोड़ा आगे बढ़ कर भाई के गले में बाहों का हार डाला और भाई को अपने बगल में लुढ़का लिया।
भाई लेटा हुआ अभी भी कुछ सोच रहा था, पर मैंने उसके शर्ट के बटन खोल दिये, उसके सीने पर एक चुम्बन अंकित कर दिया और भाई से कहा- भाई, तुम नहीं चाहते तो जा सकते हो क्योंकि अब मैं इससे ज्यादा बेशर्म नहीं हो सकती।
तो भाई ने कहा- नहीं, रेशमा ऐसी बात नहीं है, बस पांच मिनट का समय दे, मैं बाथरूम से आता हूँ।
उसके इतना कहते ही मैं खुशी से उछल पड़ी और भाई बाथरूम चला गया।
इस बीच मैंने अपनी लोवर उतार दी और अम्मी की हाट गाऊन पहन कर भाई का इंतजार करने लगी।
भाई जब आया तो मुझे देखता ही रह गया।
मैंने बिस्तर से उतर के भाई को गले लगाकर उसका स्वागत किया और कान में कहा- भाई तुम नर हो और मैं मादा, हम सृष्टि के नियम के विपरीत कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
और भाई की भुजाओं की पकड़ मेरे शरीर में बढ़ती चली गई। भाई मुझसे लंबा था 5.8 इंच की हाईट, चौड़ा सीना ज्यादा गोरा नहीं था पर कसरती शरीर था, अभी पूरा जवान नहीं हुआ था इसलिए शरीर पर बाल नहीं थे, सर पे लंबे बाल थे, चेहरा लंबा था और हमेशा क्लीन शेव रहता था।
उसके लिंग को आज तक मैंने खुली आँखों से आजाद नहीं देखा था पर ऊपर से उसका नाप लगभग सात इंच का होगा, ऐसा मेरा अनुमान था, भाई ने मेरा चेहरा अपने हाथों में थामा और कहा- रेशमा, तुम बहुत अच्छी हो, मैं भी इंसान हूँ, मेरी भी हसरतें हैं पर मैंने स्वाति के कहने से पहले तुम्हें इस नजर से कभी नहीं देखा था, पर अब तुम मुझे बहुत खूबसूरत और कामना की देवी नजर आ रही हो, अब मैं इन आँखों और काम सागर में तब तक डूबा रहना चाहता हूँ जब तक दिल के सारे अरमान पूरे ना हो जायें।
मैंने भाई को जकड़ लिया और कहा- हाँ भाई, मैं भी यही चाहती हूँ!
भाई ने मेरे माथे को चूमा, फिर गालों को और फिर कब मेरे नाजुक होंठों से अपने होंठ सटा दिये, पता ही नहीं चला।
मेरे 32 साईज की चुची कठोर होकर 34 की हो गई थी जो भाई के सीने में दबी हुई थी, भाई का हाथ मेरी पीठ कमर और कूल्हों को सहलाने लगा, मेरे हाथ भाई की पीठ पर चल रहे थे, अम्मी का गाऊन साटन का था इसलिए भाई को गाऊन के ऊपर से भी बहुत आनन्द आ रहा था।
मेरी मदहोशी तब टूटी जब भाई ने मेरा गाऊन उतारना चाहा। हालांकि मैंने भी भाई का सहयोग किया पर पहली बार अपने भाई के सामने बिना कपड़ों के दिखने से मैं शर्म से दोहरी हो गई और मैंने भाई के सीने में अपना मुँह छुपा लिया।
मुझे नीचे कुछ चुभन सी हुई, मुझे समझते देर ना लगी कि मुझे नंगी देख कर भाई का लिंग लोवर को फाड़ने आतुर हो गया है, भाई ने मुझे खुद से चिपकाये रखा और मेरे कानों में मेरी तारीफ शुरू कर दी- रेशमा तुम तो जवान हो गई हो, तुम्हारे सीने के उभार तो किसी भी मर्द को आहे भरने पर मजबूर कर देंगे और अभी अनछुये हैं तो ऊपर की ओर उठे हुए हैं। रेशमा तुम जानती हो हम लड़कों को इस तरह की शेप वाले मम्मे बहुत पसंद हैं। हाँ तुम्हारा पेट थोड़ा और अंदर होना था पर तुम्हारी मखमली त्वचा और नितम्ब और मांसल जांघों को देख कर तुम परिपूर्ण कामुक स्त्री सा अहसास देती हो। रेशमा अब चलो ना अपनी चूत के भी दर्शन करा दो…
मैं तो अपनी तारीफें सुन कर सातवें आसमान में उड़ रही थी, फिर भी मैंने भाई के मुंह में उंगली रखकर चुप कराते हुए कहा- चुप… कोई ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है क्या?
भाई ने कहा- कौन क्या कहता है, मुझे नहीं पता पर मैं तो चूत और लंड या लौड़ा ही जानता हूँ।
मैंने फिर मुंह में उंगली रख कर शरमा कर कहा- नहीं ना भाई, लिंग या योनि कहो ना..!
भाई ने हम्म कहा और मेरी उंगली जो उसके मुंह पर रखी थी उसको मुंह के अंदर लेकर चूसने लगे।
मैं पागल सी होने लगी।
फिर भाई ने मुंह से उंगली निकाली और मुझे उठा कर बैड में लेटा दिया। मैंने आँखें बंद कर ली पर मुझे लगा कि भाई अपनी पैंट निकाल रहा है। और फिर भाई ने मेरी नाभि में किस किया, मैंने आँखें खोली तो भाई अब बनियान और चड्डी में था।
भाई ने मेरी पीठ की ओर हाथ डाला मैंने थोड़ा उठकर उसका साथ दिया और भाई ने दूसरे ही पल मेरे उरोजों को आजाद कर दिया।
मैंने चादर को कस के पकड़ लिया और मुंह एक ओर कर लिया, आँखें अपने आप बंद हो गई और होठों में शर्म भरी लज्जत मुस्कान और कामना की तरंगें तैरने लगी, मैं इंतजार कर रही थी कि कब भाई मेरे उरोजों को गूंथे, दबाये, चूमे सहलाये।
यहाँ पर आप लोगों को बता दूं कि लड़की मम्मों के आजाद होने के बाद उसको सहलाने दबाने का इंतजार करती है, पर उसे तड़पाने का मजा ही अलग होता है। यहाँ भी वही हुआ, सैम ने उरोजों को टच ही नहीं किया और नीचे सरक कर जांघों को चूम लिया, पेट पर हाथ फिराये और पेंटी की इलास्टिक पर उंगली फंसा कर नीचे खींचने लगे।
मैंने अपने हाथों से चेहरे को ढक लिया और कूल्हों को उठा कर भाई की मदद की।
ऐसे तो मैं हर महीने जंगल साफ करती हूँ पर अभी साफ किये दस दिन हो गये थे तो काले भूरे रोयें के साथ मेरी इज्जत से नकाब उतरने लगा, भाई ने ओहह आहहह की आवाज के साथ मेरे संपूर्ण योनि प्रदेश को एक ही साथ हाथों में दबोच लिया।
मैं थोड़े दर्द और मजे के साथ सिहर उठी। मेरा एक हाथ भाई के बालों पर चला गया और दूसरा हाथ अपने उरोजों को मसलने लगा।
तभी भाई ने मेरी योनि में एक चुम्बन अंकित किया, मुझे लगा कि योनि में जीभ फिराने का भी आनन्द मिल ही जायेगा पर भाई ने कुछ नहीं किया।
मैं झल्ला उठी- भाई तुम ना तो मेरे मम्में दबाते हो ना योनि चाटते हो, तुम्हें सेक्स करना नहीं आता क्या?
तो भाई ने जवाब दिया- मैंने थोड़ा बहुत नेट में देखा है, ज्यादा नहीं जानता। अगर तुम्हें आता है तो तुम सिखाओ ना?
मैंने कहा- हाँ नेट देख कर ही तो मैं भी सीखी हूँ पर शायद तुमसे ज्यादा जानती हूँ।
भाई ने कहा- वाह रे मेरी लाडो रानी, चुदाई में तू कबसे हुई सयानी?
मैं मुस्कुरा दी और भाई को घुटनों में करके उसकी बनियान निकाल दी, और उसे अपने बगल में लेटा लिया, फिर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बौछार दोनों तरफ से होने लगी।
मेरी योनि गीली हो चुकी थी और उत्तेजना में फूल कर बड़ी भी हो गई थी।
अब भाई बिना कहे ही मेरे मम्मों से खेलने लगा, काटने, चूसने, चाटने लगा।
भाई ने कहा- मैंने आज तक जितनी भी सैक्स मूवी देखी हैं, उनमें तुम्हारे मम्मों जितनी खूबसूरत कभी नहीं देखी। ये भूरे मिडियम निप्पल तुम्हारे सुडौल गठीले दूधिया उरोजों को और भी निखार रहे हैं।
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