RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
"कुछ तो याद होगा की घर से तुम कहाँ गयी और तुम्हारे साथ क्या
हुआ?" रोमा ने पूछा.
रिया बिस्तर पर सीधी लेट छत की तरफ घूर्ने लगी.. पंद्रह
मिनिट सोचने के बाद उसने कहा, "में यहाँ से सीधी एक पब मे गयी
थी... और वहाँ मुझे एक बहोत ही प्यारा और अछा साथी मिल गया
था."
"तुम्हे पता है ना कि किसी अजनबी से दोस्ती करना कितना ख़तरनाक हो
सकता है... तुम्हारी हालत देख एक बार के लिए तो में घबरा ही
गयी थी... मुझे तो लगा कि किसी डॉक्टर को बुलाना ना पड़ जाए."
रोमा ने कहा.
"रोमा मुझे माफ़ कर दो.. और जो कुछ भी तुमने मेरे लिए किया उसके
लिए शुक्रिया." रिया ने धीमे से कहा.
"शायद हम साथ साथ रहते हैं इसीलिए ये सब हो रहा है... में
जानती हूँ कि तुम राज से बहोत प्यार करती हो.. और मेरा यहाँ
मौजूद होना तुम्हारी आज़ादी मे बाधा बन रहा है.... तुम फिर कोई
ग़लत कदम उठायो इससे बेहतर है कि में ही यहाँ से चली जाती
हूँ." रोमा ने कहा.
रोमा की बात सुनकर रिया झटके से पलंग से खड़ी हुई और उसे बाहों
मे भर रोने लगी... "प्लीज़ मुझे यूँ छोड़ कर मत जाओ.... तुम दोनो
ही तो मेरा परिवार मेरा सहारा हो.. और कौन है मेरा इस दुनिया
मे... "
अपनी सबसे अच्छी दोस्त को इस तरह रोते देख रोमा की आँखों मे आँसू
आ गये..... उसकी आँखों के आयेज रिया के साथ वो सब हसीन लम्हे
तैरने लगे जो उन्होने साथ साथ गुज़रे थे. उसे वो दिन याद आया जिस
दिन उसने राज की जगह घर का कचरा फैंका था और उसे राज की वो
कीताब हासिल हो गयी थी... जिसमे उसने वो सब लीखा था... उसका दिल
प्यार से भर उठा.. उसने रिया को जोरों से अपनी बाहों मे भींचा
और उसके होठों को चूम लिया.
"जब तुम यहाँ सो रही थी मेने काफ़ी कुछ हम सब के बारे मे
सोचा.... हम दोनो राज से बहोत प्यार करते है.. और राज भी हम
दोनो से बहोत प्यार करता है.... मुझे पता है कि मुझे कभी
कभी तुमसे जलन होती है और में हमेशा उसे तुमसे दूर रखने की
कोशिश करती रहती हूँ...अगर तुम मुझसे वादा करो कि रात जैसी
ग़लती दुबारा नही करोगी शायद में भी अपनी सोच बदल दूं
में....."
रोमा बड़ी मुस्किल से अपने आखरी शब्दों को रोक पाई... वो अपना सब
कुछ दाँव पर लगा रही थी.. ये उसे पता था.. "में तुम्हे और राज
को ज़्यादा से ज़्यादा वक्त साथ गुज़ारने का मौका दूँगी.... मेरा मतलब
है कि अगर तुम दोनो अकेले बाहर घूमने जाना चाहते हो तो जा सकते
हो... में बुरा नही मानूँगी और ना ही राज को तुम्हारे साथ जाने से
रोकूंगी... अब ठीक है ना."
रिया को विश्वास नही हो रहा था कि रोमा ऐसा भी कह सकती है...
क्या वो हक़ीकत मे अपने प्यार अपने भाई को मेरे साथ बाँटना चाहती
है... पर वो सोच रही थी.. आख़िर ये सब कितने दिनो तक
चलेगा..?"
"रिया एक बात और.. ज़रूरी नही कि राज हर रात मेरे साथ ही
सोए.... में जानती हूँ तुम्हारी खुद की भी ज़रूरतें है.." रोमा
की आँखों से लगातार आँसू बह रह थे... "मेरी समझ मे नही आ
रहा कि में और क्या कहूँ."
"तुम इतना सब कुछ मेरे लिए करने को तैयार हो.. में इसी मे बहोत
खुश हूँ... अब कभी मुझे छोड़ कर जाने की बात मत करना...."
रिया ने रोमा को गले लगा लिया.
दोनो एक दूसरे को बाहों मे भर आने वाले कल की कल्पना करते हुए
एक दूसरे को चूमने लगे.
राज और रोमा अपनी कॉलेज की कीताबें खोले डिन्निंग टेबल पर बैठे
थे.... गंदे बर्तन सींक मे धोने के लिए पड़े थे... वैसे तो रोज
इन बर्तनो को रोमा और रिया मिलकर सॉफ किया करती थी लेकिन आज
दोनो मे से किसी ने भी उन्हे सॉफ करने की जहमत नही दिखाई थी.
रिया किचन के दरवाज़े के बीच शेल्फ का सहारा लिए खड़े थी...
उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था कि आज वो ड्रिंक के लिए बाहर
जाना चाहती थी....पर उसने अपनी ज़ुबान से कुछ कहा नही... रोमा
सब समझ रही थी... पर उसे और उसके भावों को अनदेखा कर उसने
अपना चेहरा अपनी कीताब पर झुका रखा था. रोमा राज के दिल उठते
भावों से भी अंजानी नही थी... दोनो किसी छोटे बच्चो के तरह
थे जो बाहर जाकर खेलना चाहते थे.. लेकिन शायद अपने दिल की
बात कहते हुए डर रहे थे.
रोमा ने रिया के मुरझाए हुए चेहरे की तरफ देखा... एक बार फिर
उसके दिल मे जलन की भावना पैदा हो गयी.... पर तभी उसे ख़याल
आया कि उसने रिया से कोई वादा किया था..... उसने अपनी निगाह राज पर
डाली.
रोमा अपनी जगह से उठी और राज के पास आकर चूमा लिया और
कहा, "राज आज जो कुछ भी तुम कर रहे हो मुझे नाज़ है तुम्हारी
मेहनत और लगन पर....प्लीज़ ज़रा ये झूठे बर्तन सॉफ कर दो...
फिर तुम रिया के साथ बाहर जा सकते हो... लेकिन प्लीज़ रात को
ज़्यादा लेट मत करना... में अकेले बोर हो जाउन्गी."
"थॅंक्स रोमा" राज ने कहा.
रोमा तिर्छि नज़रों से दोनो को सींक पर खड़े हो कर बर्तन धोते
देखते रही.....दोनो आपस मे कुछ बातें कर रहे थे और बात बात
पर बच्चो की तरह हंस पड़ते थे..... राज ने कई बार रिया के
कुल्हों को उपर से सहला तक दिया था...
क्रमशः..................
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