bahan sex kahani दो भाई दो बहन
04-10-2019, 04:19 PM,
#9
RE: bahan sex kahani दो भाई दो बहन
9

गतान्क से आगे.......

जैसे ही जय का लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर

घुसा रिया सिसक पड़ी..

." ओह जय ओह." रिया ने अपनी टांगे उसकी कमर इर्द गिर्द लपेट

उसे और अपने करीब करते हुए कहा. " ऑश जय चोदो मुझे अपने इस

घोड़े जैसे लंड से ऑश हां ज़ोर ज़ोर से चोदो."

जय अपने लंड को उसकी चूत की और गहराइयों तक पेलने लगा.

रिया शायद उसके प्यार को समझ नही पाएगी. आज जो कुछ उसने राज

के साथ किया वो गुस्सा तो काफूर हो चुका था, उसे पता था कि रिया

कभी उसकी नही हो सकेगी हमेशा और कई होंगे उसके लिए.

यही सब सोचते हुए वो अपने लंड को और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत के

अंदर बाहर करने लगा. जय उछल उछल कर धक्के मार रहा था.

उसने उसकी जाँघो को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.

"हाआँ जय..... ऑश ऑश हाां ऐसे हिी चूओड़ो ऑश हाआँ बहोट

अच्छा लग रहा हाऐी."

शायद जय के दिल मे अभी भी थोड़ा गुस्सा बाकी था, वो ज़ोर ज़ोर से

रिया की चूत मे लंड पेलने लगा. हर धक्के पर रिया का शरीर कांप

उठता. रिया की चुचियाँ उसके टॉप के अंदर काफ़ी फूल गयी थी और

उसके तने निपल जैसे बाहर को निकल रहे थे.

रिया ने अपनी टाँगे उसकी कमर मे लपेट ली और अपने होंठ उसके होंठो

पर रख बोली, "ऑश जय कितना आअच लग रहा हाआँ ऐसे ही अपने

लंड को मेरी चूओत मे अंदर तक घुसा डोओओओओओ ऑश हाआँ ज़ोर से."

"तुम मुझे छोड़ कर तो नही चली जाओगी ना? जय ने रिया से पूछा.

"अगर मुझे इसी तरह हमेशा चोदते रहे तो नही जाउन्गी," रिया ने

अपनी टाँगो को उसकी कमर से निकाल उसके कंधों पर रखते हुए कहा.

"अपने टॉप को उपर खिँचो में तुम्हारी ये मदमस्त चुचियों देखना

चाहता हूँ." जे ने कहा.

एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी रिया के चेहरे पर. उसने अपने टॉप को

उपर खींच अपनी चुचियाँ नंगी कर दी.

जय उसकी भरी हुई चुचियों को देखने लगा. उसके निपल तन कर

खड़े थे. जब भी वो ज़ोर का धक्का मारता तो उसकी चुचियाँ उछल

पड़ती. कितना सुन्दर बदन था उसकी बेहन का. उसकी चूत जब उसके

लंड को अपनी माँस पेशियाओं मे जकड़ती तो वो पागलों की तरह और ज़ोर

के धक्के लगाने लगता.

रिया ने अपनी दो उंगलियाँ अपने मुँह मे ली चूसने लगी, जब उसकी

उंगलियाँ उसके थूक से पूरी तरह गीली हो गयी तो उसने वो थूक अपने

निपल के चारों और मल दिया, इससे उसके निपल और तन कर चाँद की

रोशनी मे चमकने लगे. रिया किसी छीनाल की तरह अपने भाई को

रिझाने मे लगी थी.

'हाआँ इसीसी तरह करो ऑश." जय और ज़ोर के धक्के मारते हुए

बोला, "तब तक करती रहो जब तक कि तुम्हारा छूट नही जाता."

रिया ने देखा कि उसकी ये अदा उसके भाई को पसंद आ रही थी, अब जय

और जोरों से उसकी चूत मे लंड डाल रहा था. किसी घोड़े की तरह

उछल उछल कर वो धक्के मार रहा था.

रिया को लगने लगा कि उसकी चूत मे जैसे भूचाल आ गया हो और वो

उबल पड़ने को तैयार है. वो अपनी कमर और आगे को कर जय के लंड

को अंदर तक ले रही थी.

जय की साँसे तेज हो गयी थी. वो ज़ोर लगाकर अपनी बेहन को प्यार से

चोद रहा था. आज के पहले कभी उसने उसकी चूत को इतना गरम नही

पाया था. जैसे ही वो अपना लंड रिया की चूत मे घुसाता उसके

ख़यालों मे रोमा आ जाती. जितना वो रिया को चोद्ता उतनी ही चाह रोमा

को चोदने की बढ़ती जा रही थी.

रिया अपने भाई से अलग नही थी. जय के हर धक्के पर उसे राज की

याद आ रही थी. ओह्ह्ह क्या चुदाई की थी उसने आज उसकी. राज के

ख़यालों मे खो वो और ज़ोर से कमर आगे कर जय के लंड को अपनी

चूत मे ले लेती.

अचानक रिया का शरीर कंपा और उसकी चूत किसी लावे की तरह फट

पड़ी. जैसे कोई नदी का बाँध खोल किया जाता है उसी तरह उसकी

चूत पानी छोड़ने लगी.

थोड़ी देर बाद जब उसका शरीर थोड़ा शांत हुआ तो जय ने उसे पेट के

बल गाड़ी के बोनेट पर सुला दिया. उसे लगा कि जय अब पीछे से उसकी

चूत मे लंड डाल अपना पानी छोड़ देगा. लेकिन जय था कि उसके मन मे

तो कुछ और ही था, वो अपने गीले और तने लंड को रिया की गंद के

छेद पर घिसने लगा.

"ये तुम क्या कर रहे हो जय?" रिया ने चौंकते हुए पूछा.

"मुझे पता है में क्या कर रहा हूँ." जय ने अपने लंड को और

घिसते हुए कहा.

"लेकिन जय मेने पहले ऐसा कभी नही किया है." रिया ने कहा.

"टेन्षन मत लो सब अच्छा होगा." जे ने गंद के छेद को फैलाते हुए

कहा.

रिया के मुँह से कराह निकल पड़ी जब जय का लंड उसकी गंद के छेद

के अंदर घुसा. जैसे जैसे लंड गंद के छेद मे घुसता गया उसकी

कराहतें सूबकियों मे बदल गयी.

"ओह मर गयी......" रिया कराह रही थी.

जय अपने लंड को और अंदर तक घुसाते हुए धक्का मारने लगा.

थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने रिया की गंद को अपने वीर्य से भर

दिया. जब उसके लंड से वीर्य का एक एक कतरा भी निकल गया तो उसने

अपने लंड को बाहर निकाल लिया.

"ये सब क्या था?" रिया ने गुस्से मे जय से पूछा.

"ओह्ह... रिया अब ये मत कहना कि तुम्हे मज़ा नही आया." जय ने कहा.

"अगर मुझे पहले से मालूम होता कि तुम मेरी गंद मरोगे तो शायद

बात अलग होती." रिया ने कहा. "अगली बार करने से पहले मुझसे पूछ

लेना ये नही कि जो तुम्हारे मन मे आए तुम करोगे. पूरी रात खराब

कर के रख दी."

"मुझे माफ़ करदो रिया...." जय ने माफी माँगी, "चलो घर चलते

हैं."

"हां यही ठीक रहेगा." रिया अपने कपड़े दुरुस्त करते हुए बोली.

रोमा अपनी सहेली गीता के साथ बस के पीछे की सीट पर बैठी थी.

बस करीब करीब खाली थी. आज गुरुवार था हफ्ते की छुट्टियाँ आने

वाली थी. दोनो ये सोच रही थी कि इस शनिवार और रविवार को क्या

किया जाए.

"अगर तुम कहो तो शनिवार को में थोड़ी देर के लिए आ सकती हूँ."

गीता ने रोमा से कहा.

गीता की बात सुनकर रोमा को अस्चर्य हुआ. उसने तो यही समझ लिया

था कि पीछले दिनो गीता के साथ जो कुछ हुआ था उससे गीता उसके

भाई मे दिलचस्पी छोड़ लेगी. और अब तो वो राज को बिल्कुल भी गीता

मे इंटेरेस्ट नही लेने दे सकती थी. जो कुछ भी उन दोनो के बीच हुआ

था उसके बाद राज सिर्फ़ उसका था सिर्फ़ उसका.

"हाँ देखते है," रोमा ने उसे टालते हुए कहा, "लेकिन राज कह रहा

था कि शायद उस दिन हम जय और रिया के घर जाएँ."

जब घर नज़दीक आ गया तो रोमा की आँखें राज को ढूँढने लगी. राज

को कहीं भी ना पाकर उसका दिल डूबने लगा. उसके दिल चाह रहा था

कि राज उसके पास होता तो वो उसका हाथ पकड़ तालाब किनारे टहलने

जाती. कितना अच्छा लगता है राज का हाथ पकड़ने मे. कितने दिन बीत

गये थे उसे और राज को साथ साथ मे.

"में तुम्हे बाद मे फोन करती हूँ गीता." रोमा ने कहा.

"ठीक है रोमा, राज को मेरा प्यार देना," गीता ने कहा और दोनो

सहेलियाँ हँसने लगी.

अपने कॉलेज की बॅग को बगल दबाए रोमा घर मे घुसी और सीधे

अपने कमरे की ओर बढ़ गयी. अपनी बॅग को टेबल पर रख कर जैसे ही

वो बिस्तर की तरफ मूडी उसने देखा कि एक बुक पड़ी थी. जिस पर कुछ

लीखा हुआ था.

"ओह्ह्ह राज..... तुम मेरे लिए लिख रहे थे. " रोमा ने उस किताब को

उठाया और सीने से लगा झूम गयी. रोम ने मन ही मन राज को माफ़

कर दिया की उसने तीन दिन से उसकी तरफ देखा भी नही था.

रोमा कमरे का दरवाज़ा बंद कर घूमते हुए बिस्तर के नज़दीक आई

और पेट के बल लेट गयी. पीछे से उसने अपनी संडाल उतार कर फैंक

दी. फिर उसने अपनी जीन्स के बटन खोल ढीला कर दिया शायद कोई

ज़रूरत पड़ जाए. उसने काँपते हाथों से उस किताब को खोला.... राज

ने कहानी को कोई नाम नही दिया था.

.......... में कितना अकेला हूँ इसलिए तुम्हे ढूंड रहा हूँ.

तुम्हारे बेडरूम मे देखा तो तुम वहाँ भी नही थी. तभी मुझे

बाहर से म्यूज़िक की आवाज़ सुनाई देती है, में तुम्हारे बेडरूम की

खिड़की पर आता हूँ और देखता हूँ कि तुम एक चादर पर अपनी रेड

बिकनी पहने तालाब के किनारे लेटी हो. तुमने अपने कानो पर इयरफोन

लगा अपने पोर्टबल सीडी प्लेयर जो मेने तुम्हे दिया था शायद कोई

गाना सुन रही थी........
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