RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शशांक फिर से धक्का लगाता है अब पूरा लंड जड़ तक अंदर है , शिवानी का शरीर अकड़ जाता है ...
शिवानी की जाँघ थरथरा रही हैं ... चूत की फांके फडक रही हैं ... आँखों से आँसू बह रहे हैं और होंठों पे फिर भी मुस्कान है.... दर्द भरी मुस्कान
शशांक उसे अपने सीने से लगाए उसे चूम रहा है ..लंड अंदर ही है ...
अंदर ही अंदर चूत रिस रहा है ..खून और रस से भरा .... शशांक का लंड और गीला होता है और उसकी चूत थोड़ी और ढीली हो जाती है ...
शशांक अपना लंड आधा बाहर निकालता है और फिर धीरे धीरे अंदर करता है ..इस बार उतनी कसी नहीं थी ,लंड पतली फाँक को चीरते हुए पर आराम से अंदर जाता है ...
शिवानी का दर्द कम होता जा रहा है ....
उफ़फ्फ़ यह कैसा दर्द है ....दवा से भी ज़्यादा कारगर ...
अब शशांक के धक्के ज़ोर पकड़ते हैं ....शिवानी सिहर उठ ती है ... हर धक्के पर , कांप उठ ती है
शशांक की कमर को अपने पैरों से जाकड़ लेती है ..और अपनी चूत की तरफ खींचती है ...बार बार चूतड़ उपर करती है ....शशांक के धक्कों से ताल मिलाते हुए ...
शशांक अब उसकी चूतड़ को नीचे से थामता हुआ थोड़ा और ज़ोर लगाता है अपने धक्के में ....शिवानी अब उछल रही है
शशांक को चूत के अंदर की गर्मी , उसके फांकों की कसी हुई पकड़ , और शिवानी का यह मचलता , मदमाता और मस्ती से भरा रूप पागल कर देता है उसे....
उसके धक्के ज़ोर और तेज हो जाते हैं ...शिवानी भी पागल हो जाती है ..वो जैसे हवा में तैर रही थी ...हर धक्के में उछल जाती और चीत्कार उठ ती .है ...दर्द और मस्ती के मिले जुले अहसास से ...
शशांक के हर धक्के में वो आनंद विभोर हो उठती है......दर्द अपनी सीमायें लाँघता हुआ अब एक आनंद से भरी अनुभूति की ओर पहूंचता है ..शिवानी मस्ती की उँचाइयों पर है ....
शशांक के धक्के तेज होते हैं और तेज ..शिवानी को कुछ होश नहीं रहता .वो किल्कारियाँ लेती है ,कभी सिसकियाँ लेती है ..कभी चिल्ला उठ ती है ...उसे समझ नहीं आता यह कैसा दर्द है जिसमें सिर्फ़ मस्ती ही मस्ती है ....उफफफफ्फ़..यह क्या हो रहा है ......और वो जोरों से फिर से चिल्लाति है .."भैय्ाआआआआआआआअ ..ऊओह....."
शशांक भी शिवानी की मस्ती से पागल हो उठ ता है ...
दोनों एक दूसरे से लिपट जाते हैं ...शशांक अंदर ही अंदर चूत में झटके खाते हुए झाड़ता जाता है ..झाड़ता जाता है ....
शिवानी आँखें बंद किए अपने भैया के गर्म गर्म वीर्य की फूहार को महसूस करती है अपनी चूत में .इस गर्म से अहसास से शिवानी का पूरा शरीर गंगना उठता है ...उसका भी रस निकलता है ...चूतड़ उछलते है ..टाँगें काँपति हैं ..जंघें बार बार थरथराती हैं..
दोनों एक दूसरे से लिपटे ...हान्फते हुए .. एक दूसरे की बाहों में सारी दुनिया से बेख़बर पड़े हैं ..मानों उन्हें सब कुछ मिल गया हो .... सब कुछ ...एक चरम सूख की अनुभूति है उनकी आँखों में...उनके चेहरे में ...
खोए हैं , सब कुछ भूल कर ...इस पल उन्हें सिर्फ़ एक दूसरे का अहसास है ...हम तुम और कुछ नहीं...
सारा संसार बस उन दोनों में सिमट कर रह गया है...
थोड़ी देर बाद दोनों वापस हक़ीकत की दुनिया में लौट आते हैं ...
शशांक , शिवानी के थके थके से पर मुस्कुराते चेहरे पर नज़र डालता है ..उसके होंठों को चूमता है
" बहुत दर्द हुआ...???" शशांक पूछता है , उसकी आवाज़ में शिवानी के दर्द का अहसास भरा था ..
" भैया ...." शिवानी का गला रुंधा हुआ था और उसकी आँखों में फिर आँसू थे ....पर यह दर्द के नहीं , चरम सूख के आँसू थे .. " यह दर्द जब तुम्हारे जैसे मर्द से मिलता है ना ....इस दर्द का अहसास उस औरत की जिंदगी का सहारा बन जाता है भैया .....ऊओह भैया ..भैया आइ लव यू सो मच.."
और शिवानी अपने भैया से फिर से लिपट जाती है ..उसके सीने में सर रखे सिसकती है और यह सिसकना अपने आप हो जाता है ..उसकी अंदर की भावना फूट पड़ती है ..एक औरत अपने को पूरी तरह समर्पित कर देती है ...अपने मर्द का आभार मानती है ....
शशांक उसके सर पर हाथ फेरता है ..उसका चेहरा अपनी हथेली से थामता हुआ उपर उठाता है ,उसके होंठ चूम लेता है , उसकी आँखों से आँसू पोंछता है उसे गले लगाता है और बोलता है..
" आइ लव यू टू , शिवानी ....आइ लव यू सो मच ...."
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