08-08-2018, 12:07 PM,
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
पर आज तो मोम ने खुद ही अपने गाल उसकी तरफ किए ...बड़े प्यार से मुस्कुराया और काफ़ी देर तक उसके होंठों से अपने गाल लगाए रखा..उसकी मुस्कुराहट में भी एक चमक सी नज़र आई . शशांक को कुछ समझ नहीं आ रहा था ..आख़िर एक रात में ही क्या हुआ मोम को..???
शिव और शांति अपने बच्चों की तरफ हाथ हिलाते हुए बाहर निकल जाते हैं .....
पर जाते जाते शांति दोनों बच्चों को हिदायत देना नहीं भूलती " देखो तुम दोनों ज़रा ख़याल रखना ...और शिवानी तुम दिया वग़ैरह जला देना ..शशांक तुम भी शिवानी को हेल्प कर देना ..हो सकता है हमें आने में कुछ देर हो जाए .."
" यस मोम ...सब हो जाएगा डॉन'ट वरी " शिवानी बोलती है ...
जैसे ही पापा और मोम कार से निकलते हैं शिवानी से रहा नहीं जाता , वो उछलते हुए शशांक के गले से लिपट जाती है और अपने पैर उसकी कमर के गिर्द लपेटे हुए उसे चूमती है , बार बार , कभी गले को , कभी गाल को और कभी शशांक के होंठो को , वो पागल हो जाती है
" ओह भैया ,,भैया यू आर छो स्च्वीत ...आइ लव यू ....दीवाली मुबारक हो ...."
शशांक इस अचानक हमले से बौखला जाता है
" यह लड़की ..उफफफफ्फ़ ...पटाखे से भी ज़्यादा ही फट रही है ..."
" हां भैया ..तुम ने ठीक कहा पटाखे से भी ज़्यादा ... "
"ओके ओके ....आइ नो आइ नो " ..और वो भी एक प्यारा सा किस उसके होंठों पर जड़ देता है , उसे अपनी मजबूत बाहों से थामते हुए उसे पास रखी एक कुर्सी पर बिठा देता है ..और खुद भी एक कुर्सी खींच उसके बगल बैठ जाता है....
शिवानी उत्तेजना से हाँफ रही थी .....
शशांक भी शिवानी के इस प्यारे से हमले से अपने आप को पूरी तरह बचा नहीं पाया था, उसके उभरे हुए बॉक्सर का शेप इसकी बात की चीख चीख कर गवाही दे रहा था ...
थोड़ी देर तक कोई कुछ नहीं बोलता ...एक दूसरे को देखते रहते हैं ...
शिवानी की साँस नॉर्मल होती है ..शशांक चूप्पि तोड़ता हुआ बोलता है
" अच्छा शिवानी तू तो अब मेरी फिलॉसफर , गाइड और बेस्ट फ्रेंड है ना ...??" शशांक थोड़ा माखन लगाता है ..
" हां वो तो हूँ .." शिवानी अपना सीना तानते हुए कहती है ..
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शशांक खड़ा हो जाता है .. हाई उसे एक बच्चे की तरेह अपने गोद में उठा लेता है ....उसका सर अपने कंधे पर रख लेता है और उसके कान में फुसफुसाते हुए कहता है ..
" शिवानी .."
" हां भैया ..क्याअ .??." उसकी आवाज़ भर्राई हुई थी
" आइ लव यू टू..."
यह चार शब्द शिवानी को उसके होश-ओ - हवास खो देने पर मजबूर कर देते हैं..
शिवानी , शशांक से बूरी तरेह चीपक जाती है ..उसके कमर को अपने पैरों से और गले को अपने हाथों से और भी जाकड़ लेती है ... उस से ऐसे चिपकती है जैसे किसी पेड़ से लता ...शिवानी के स्लॅक्स इतने पतले हैं कि शशांक को अपनी कमर के गिर्द शिवानी की जांघों की गर्मी , उसका मुलायम और मांसल स्पर्श इस तरेह लगता है मानों वो नंगी है....
दोनों एक दूसरे को चूमते जा रहे हैं ....चाट ते जा रहे हैं ..कहाँ , कितना और कब किसी को कुछ होश नहीं रहता ..पागल हो गये हैं दोनों...
शिवानी हाँफ रही थी... तभी वो अपना एक हाथ नीचे करते हुए भैया के बॉक्सर पर ले जाती है और वहाँ कड़क उभार को जोरों से दबाती है ....मुट्ठी में भर लेती है , और अपनी उखड़ी उखड़ी सी आवाज़ में सर उठा कर शशांक की ओर देखते हुए कहती है
" भैया ..."
"हां शिवानी बोल ना .." शशांक भी उसकी आँखों में झाँकता हुआ कहता है..
शिवानी और जोरो से उसके बॉक्सर के उभार को दबाती हुई बोलती है
" मुझे यह चाहिए ..मेरी दीवाली गिफ्ट , दो ना भैया..." अपनी ज़ुबान में जितनी मीठास , प्यार और चाहत ला सकती थी शिवानी ने लाते हुए कहा ...और फिर नज़रें झूका लीं ...
शशांक पहले तो आँखें तरेरते हुए उसे देखता है .....फिर उसके चेहरे को अपनी हथेली से थामते हुए अपने चेहरे के सामने करता हुआ कहता है
" शिवानी ..अभी नहीं ..अभी नहीं .....मेरी बहना ....अभी नहीं ....तुम्हें बहोत दर्द होगा ..मैं यह दर्द तुम्हें नहीं दे सकता ...प्लीज़ अभी नहीं.."
" प्लीज़ भैया ..मैं यह दर्द हंसते हंसते झेल लूँगी .. आप का दिया दर्द भी तो मेरे लिए दवा से भी बढ़ के है .." शिवानी उसकी मिन्नत करती है ....
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शशांक का पूरा बदन झन झना उठता है...सीहर जाता है , उसकी रही सही रुकावट का बाँध फूट जाता है ....
वो आआहएं भरता है " आआआआआआः ..शिवाााआआआआआअनी..."
और फिर वो भी उसे अपने में जाकड़ लेता है पूरी तरेह...शिवानी उसकी जाकड़ में खो जाती है ...अपने आप को भूल जाती है उसकी मजबूत बाहों में..... ..कुछ देर तक उसके सीने पर अपना सर रखे उसे निहारती रहती है ...फिर कुछ सोचती है ..और .शिवानी अपने को अलग करती है , एक झटके में अपना टॉप और स्लॅक्स उतार देती है ....
नंगी हो जाती है बिल्कुल...और घूटनों के बल , जंघें फैलाए शशांक के सामने बैठ जाती है ..
शशांक के सामने उसकी गदराई और अनछुइ जवानी बे-परदा है ...सिर्फ़ शशांक के लिए ....सिर्फ़ शशांक से मिलनेवाले मीठे दर्द के अहसास के लिए ...
थोड़ी देर दोनों एक दूसरे को देखते हैं ..दोनों की आँखों में आग सुलग रही थी ... एक ऐसी आग जिसकी लपट में दोनों झुलसने को बेताब हो उठ ते है...यह थी जवानी की आग.....
शशांक के सामने शिवानी का मक्खन जैसा पेट , जांघों के बीच टाइट फाँक , फाँक के बीच गीलापन , कड़क उछलती हुई गथीली चूचियाँ , फड़कते हुए रस से भरपूर होंठ ...बड़ी बड़ी आँखें हसरत , ललक और चाहत से भरी .....
शिवानी ने अपने को पूरी तरेह उसके सामने रख दिया.....कुछ भी बाकी नहीं था अब ...यह .शशांक की मर्दानगी को शिवानी की चुनौती थी ....
शशांक उठ ता है और खुद भी नंगा हो जाता है .. वो भी घूटनों के बल शिवानी के सामने बैठ जाता है...
उसकी मर्दानगी भी नंगी हो जाती है ... ऐसी मर्दानगी जिसके आगोश में कोई भी औरत हंसते हुए अपना सब कुछ लुटा दे ..शिवानी बस आँखें फाडे उसे देखती है ..चौड़ा सीना , गठिला बदन ..मजबूत बाहें और फनफनाता और कडेपन से हिलता हुआ 8" का लंड ..
शशांक ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली ....
वो उस से लिपट जाती है ...उसके सीने पर सर रखे , अपनी बाहों से उसे जाकड़ लेती है ...आँखें बंद और सर सीने में छुपा ....उसकी औरत ने आत्मसमर्पण कर दिया उस मर्द को ....शिवानी कांप रही थी
शशांक उसे फिर से अपनी गोद में उठाता है ..और उसे लिटा देता है ...
पहली बार दोनों को नंगे शरीर से स्पर्श का अद्भुत और रोमांचक अनुभव होता है ...नंगे शरीर की गर्मी , उसकी कोमलता , उसकी मांसलता का अहसास होता है.... शिवानी इस आनंद से चीख उठ ती है ....
उसकी चूत से पानी रिस रहा था ..उसकी चूचियाँ शशांक के हाथों के स्पर्श मात्र से कड़ी हो गयी थी...उसकी घुंडिया कड़ी हो गयी थी...
शशांक उसके उभरे स्तन को मुँह मे लेता हुआ घूंड़ी के उपर अपनी जीभ फिराता है..शिवानी कांप उठ ती है .... उसका सर दबाती है अपनी चूची की तरेफ ....शशांक उसे अपने मुँह में भर लेता है ..चूस्ता है ..शिवानी को ऐसा महसूस होता है उसका सब कुछ अब बाहर निकल जाएगा '..उसके चूतड़ अपने आप उछल पड़ते हैं .... शशांक का लंड शिवानी की जांघों के बीच टकराता जाता है ...
शशांक का भी बूरा हाल है....
उसका कडपन अब उस से सहेन नहीं होता ..उसे लगता है इसे अब गर्मी चाहिए ...उसे अब किसी कोमल घर्षण की ज़रूरत है ..और यह कोमल और मुलायम घर्षण उसे शिवानी के अंदर ही मिल सकता है ...उफ़फ्फ़ यह कितना नॅचुरल रिक्षन था ...किसी को बताने की ज़रूरत नहीं होती ..अपने आप होता जाता है...
वो शिवानी के चूतड़ो को उठाता है ..उसके नीचे तकिया रखता है ..शिवानी पैर फैलाती है ..उसकी कसी चूत में पतली सी फाँक दीखती है ..गुलाबी फाँक ...बिल्कुल गीली ...
शशांक उसकी जांघों के बीच आ जाता है , अपना कड़क हिलता हुआ लंड हाथों में लेता है ..शिवानी अगले कदम की कल्पना से सीहर उठती है ..आँखें बंद कर लेती है ..
शशांक सुपाडे को उसकी पतली फाँक पर लगाता है .... लंड की गर्मी शिवानी को महसूस होती है ..चूत बहोत गीली है , बहोत फिसलन है , बहोत कसी है ..लंड पर ज़ोर लगाता है शशांक , सुपडा अंदर जाता है ....शिवानी की जाँघ फैल जाती हैं ... शशांक थोड़ा थूक लगाता है ....और ज़ोर लगाता है ...शिवानी भी टाँगें पूरी फैला देती है....चूतड़ उपर उठाती है ...उसका लंड और भी अंदर जाता है ...
उफफफफफ्फ़ कितनी गर्म है , कितना टाइट है शिवानी की चूत , शशांक को ऐसा महसूस होता है मानो किसी के हथेलियों ने उसके लंड को बूरी तरेह जाकड़ रखा हो ..करीब आधे से ज़्यादा लंड अंदर है ...
शिवानी की आँखों में पीड़ा है ..दर्द है पर होठों पर मुस्कान ..दर्द भरी मुस्कान ...
शिवानी की आँखों से दर्द से भरे आँसू टपकते हैं ..पर होठों पर अभी भी मुस्कान है ....दर्द आख़िर मीठा है ना ....
शशांक उसकी ओर देखता है .....उसके आँसू को चूम लेता है ..चाट जाता है ...
शिवानी आत्मविभोर है ....
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शशांक फिर से धक्का लगाता है अब पूरा लंड जड़ तक अंदर है , शिवानी का शरीर अकड़ जाता है ...
शिवानी की जाँघ थरथरा रही हैं ... चूत की फांके फडक रही हैं ... आँखों से आँसू बह रहे हैं और होंठों पे फिर भी मुस्कान है.... दर्द भरी मुस्कान
शशांक उसे अपने सीने से लगाए उसे चूम रहा है ..लंड अंदर ही है ...
अंदर ही अंदर चूत रिस रहा है ..खून और रस से भरा .... शशांक का लंड और गीला होता है और उसकी चूत थोड़ी और ढीली हो जाती है ...
शशांक अपना लंड आधा बाहर निकालता है और फिर धीरे धीरे अंदर करता है ..इस बार उतनी कसी नहीं थी ,लंड पतली फाँक को चीरते हुए पर आराम से अंदर जाता है ...
शिवानी का दर्द कम होता जा रहा है ....
उफ़फ्फ़ यह कैसा दर्द है ....दवा से भी ज़्यादा कारगर ...
अब शशांक के धक्के ज़ोर पकड़ते हैं ....शिवानी सिहर उठ ती है ... हर धक्के पर , कांप उठ ती है
शशांक की कमर को अपने पैरों से जाकड़ लेती है ..और अपनी चूत की तरफ खींचती है ...बार बार चूतड़ उपर करती है ....शशांक के धक्कों से ताल मिलाते हुए ...
शशांक अब उसकी चूतड़ को नीचे से थामता हुआ थोड़ा और ज़ोर लगाता है अपने धक्के में ....शिवानी अब उछल रही है
शशांक को चूत के अंदर की गर्मी , उसके फांकों की कसी हुई पकड़ , और शिवानी का यह मचलता , मदमाता और मस्ती से भरा रूप पागल कर देता है उसे....
उसके धक्के ज़ोर और तेज हो जाते हैं ...शिवानी भी पागल हो जाती है ..वो जैसे हवा में तैर रही थी ...हर धक्के में उछल जाती और चीत्कार उठ ती .है ...दर्द और मस्ती के मिले जुले अहसास से ...
शशांक के हर धक्के में वो आनंद विभोर हो उठती है......दर्द अपनी सीमायें लाँघता हुआ अब एक आनंद से भरी अनुभूति की ओर पहूंचता है ..शिवानी मस्ती की उँचाइयों पर है ....
शशांक के धक्के तेज होते हैं और तेज ..शिवानी को कुछ होश नहीं रहता .वो किल्कारियाँ लेती है ,कभी सिसकियाँ लेती है ..कभी चिल्ला उठ ती है ...उसे समझ नहीं आता यह कैसा दर्द है जिसमें सिर्फ़ मस्ती ही मस्ती है ....उफफफफ्फ़..यह क्या हो रहा है ......और वो जोरों से फिर से चिल्लाति है .."भैय्ाआआआआआआआअ ..ऊओह....."
शशांक भी शिवानी की मस्ती से पागल हो उठ ता है ...
दोनों एक दूसरे से लिपट जाते हैं ...शशांक अंदर ही अंदर चूत में झटके खाते हुए झाड़ता जाता है ..झाड़ता जाता है ....
शिवानी आँखें बंद किए अपने भैया के गर्म गर्म वीर्य की फूहार को महसूस करती है अपनी चूत में .इस गर्म से अहसास से शिवानी का पूरा शरीर गंगना उठता है ...उसका भी रस निकलता है ...चूतड़ उछलते है ..टाँगें काँपति हैं ..जंघें बार बार थरथराती हैं..
दोनों एक दूसरे से लिपटे ...हान्फते हुए .. एक दूसरे की बाहों में सारी दुनिया से बेख़बर पड़े हैं ..मानों उन्हें सब कुछ मिल गया हो .... सब कुछ ...एक चरम सूख की अनुभूति है उनकी आँखों में...उनके चेहरे में ...
खोए हैं , सब कुछ भूल कर ...इस पल उन्हें सिर्फ़ एक दूसरे का अहसास है ...हम तुम और कुछ नहीं...
सारा संसार बस उन दोनों में सिमट कर रह गया है...
थोड़ी देर बाद दोनों वापस हक़ीकत की दुनिया में लौट आते हैं ...
शशांक , शिवानी के थके थके से पर मुस्कुराते चेहरे पर नज़र डालता है ..उसके होंठों को चूमता है
" बहुत दर्द हुआ...???" शशांक पूछता है , उसकी आवाज़ में शिवानी के दर्द का अहसास भरा था ..
" भैया ...." शिवानी का गला रुंधा हुआ था और उसकी आँखों में फिर आँसू थे ....पर यह दर्द के नहीं , चरम सूख के आँसू थे .. " यह दर्द जब तुम्हारे जैसे मर्द से मिलता है ना ....इस दर्द का अहसास उस औरत की जिंदगी का सहारा बन जाता है भैया .....ऊओह भैया ..भैया आइ लव यू सो मच.."
और शिवानी अपने भैया से फिर से लिपट जाती है ..उसके सीने में सर रखे सिसकती है और यह सिसकना अपने आप हो जाता है ..उसकी अंदर की भावना फूट पड़ती है ..एक औरत अपने को पूरी तरह समर्पित कर देती है ...अपने मर्द का आभार मानती है ....
शशांक उसके सर पर हाथ फेरता है ..उसका चेहरा अपनी हथेली से थामता हुआ उपर उठाता है ,उसके होंठ चूम लेता है , उसकी आँखों से आँसू पोंछता है उसे गले लगाता है और बोलता है..
" आइ लव यू टू , शिवानी ....आइ लव यू सो मच ...."
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