Antarvasna kahani रिसेशन की मार
07-10-2018, 12:36 PM,
#4
RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार
रिसेशन की मार पार्ट--4

गतान्क से आगे..........

आक्च्युयली बात यह भी तो है ना के आजकल की भाग दौड़ की ज़िंदगी मे और पैसे की ज़रूरत मे कोन्से हज़्बेंड को या किसके पेरेंट्स को पता चलता है या उनको इतनी फ़ुर्सत है के उसकी बीवी या बेटी बाहर क्या कर रही है और आजकल मेल्स भी नों वर्जिन गर्ल्स से शादी करने मे कोई प्राब्लम भी नही फील कर रहे है इसी लिए लड़कियाँ प्राइवेट सेक्रेटरीस वाले जॉब को इस लिए भी प्रिफर करती है के उनको डिफरेंट सिटीस के साइट सीयिंग के साथ ही पैसे भी मिलते रहते है, डिफरेंट बड़े बड़े होटेल्स मे ठहरने का, स्पेशल मील्स खाने का मोका मिलता है तो अब आप सोच लो के अगर आपको जॉब मिलती है तो क्या आप यह सब कर सकती हो. मैं ने पूछा के और अगर वो लड़किया प्रेग्नेंट हो जाती है तो क्या होता है तो उसने बोला के मार्केट मे ई-पिल्स मिलते है एक टॅबलेट लो और यू आर

सेफ कोई प्रेग्नेन्सी का चक्कर नही, चाहे जितनी टाइम सेक्स करना हो कर्लो कोई प्राब्लम नही होती. इतना सुनते ही मेरे पसीने छ्छूटने लगे मैं ने एक बार फिर से उस से पूछा आप सच बोल रहे हो क्या, प्राइवेट सेक्रेटरीस को यह सब करना पड़ता है क्या तो उसने बोला के किसी भी बड़े सिटी के लड़कियो के लिए यह जॉब किसी अड्वेंचर से कम नही है और आजकल की लड़कियाँ तो ऐसे जॉब के लिए कुछ भी करने को तय्यार रहती है. यह सुन के मेरा दिमाग़ और बदन एक दम से सुन्न हो गया और मैं सोचने लगी के अगर यह सब सच है तो मैं यह जॉब कैसे कर सकती हू, नही नही मैं यह सब नही करूगी, मैं सतीश के साथ बेवफ़ाई नही कर सकती मैं उस से बोहोत प्यार करती हू फिर ख़याल आया के अगर मुझे यह जॉब मिलती है और मैं आक्सेप्ट नही करती हू तो मुंबई आने जाने का खर्चा बेकार जाएगा और फिर से वोही परेशानी का दौर शुरू हो जाएग फिर पता नही क्या होगा. फिर मैं ने सोचा के चलो देखते है क्या होता है हो सकता है के एम.डी. कोई शरीफ आदमी हो या कोई ओल्ड मॅन हो जो ऐसा कुछ नही कर सकता यह सोच के मैं अपने दिल और दिमाग़ को तसल्ली देने लगी. मुझे ऐसे ख़यालो मे डूबे देख के उसने पूछा के अछा कब है इंटरव्यू तो मैं ने बोला के परसो है और मैं इसी लिए एक दिन पहले जा रही हू के उस ऑफीस के करीब ही कोई सस्ता सा अकॉमडेशन देख लू और उस ऑफीस का अड्रेस जान सकु. उसने पूछा के आपको पता भी है के फिर मैं ने उसको पूछा के आप मुंबई मे ही रहते हो या बॅंगलुर मे तो उसने बोला के आक्च्युयली मैं रहना और काम मुंबई मे करता हू पर हमारे ऑफीस की एक ब्रच बॅंगलुर मे है यहा मैं कुछ अफीशियल काम से आया था और अब वापस जा रहा हू. फिर उसने पूछा के आप अकेली क्यों जा रही हो तो मैं ने बोला के आक्च्युयली मेरे हज़्बेंड बीमार है तो उसने सर्प्राइज़ से पूछा के आप शादी शुदा हो तो मैं ने कहा के हा तो उसने बोला के अरे बट यू डॉन’ट लुक लाइक यू आर मॅरीड, यू लुक सो यंग तो मैं अपनी तारीफ सुन के मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया. मैं ने उसको बताया के कैसे रिसेशन की मार की वजह से सतीश का बिज़्नेस बंद हो गया और कैसे मार्केट से उसको अपनी पेमेंट वापस नही मिली और कैसे हालात खराब होने लगे और कैसे उसको जॉब करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अपने बारे मे सब कुछ बता दिया और बता ते बता ते मैं इतनी एमोशनल हो गई के मुझे पता ही नही चला के कब मेरी आँखो से आँसू निकलने लगे और कब मैं रोने लगी और मुझे पता भी नही चला के कब राज ने अपने हाथ मेरे शोल्डर पे रख दिए और कब मुझे अपनी बाँहो मे भर लिया और मेरे शोल्डर्स को थपक थपक के मुझे तसल्ली देने लगे के सब ठीक हो जाएगा डॉन’ट वरी ऊपेर वाले पे भरोसा रखो स्नेहा प्लीज़ रोना नही. मेरा सर राज के कंधे पे था और मेरे आँसू से उसका ट्रॅक सूट का शर्ट भीग चुका था. मैं बोहोत देर तक रोती रही और राज मुझे तसल्ली देते रहे. इतने दीनो से रुके हुए आँसू मेरी आँख से बह कर निकले और जब मैं जी भर के

रो चुकी तो मेरे दिल को इतमीनान आ गया और मुझे सुकून महसूस होने लगा के चलो किसी ना किसी के साथ अपने गम को शेर तो किया और मेरा दिमाग़ हल्का महसूस होने लगा तो मैं ने बोला के सॉरी राज आपको मैं ने तकलीफ़ दी तो उसने बोला के अरे नही स्नेहा आप ने अछा ही किया जो मुझे सब बता दिया यू कॅन ट्रीट मी एज युवर फ्रेंड और मैं आपकी पूरी मदद करूगा और मैं अपने पूरे सोर्सस यूज़ करूगा और कोशिश करूगा के आपको आर.के इंडस्ट्रीस मे नही तो कही ना कही जॉब मिल जाए और कभी भी आपकी आँखो मे आँसू नही आए तो मैं मुस्कुरा दी और थॅंक्स बोला तो उसने बोला के एक बात और स्नेहा तो मैं ने पूछा क्या, तो उसने बोला के मुझे आप आप कह कर ना पुकारो मुझे तुम बोलना अछा लगता है तो मैं ने बोला के ठीक है तुम भी मुझे तुम बोलना और फिर हम दोनो एक साथ हंस दिए.

ऐसे ही बाते करते करते हमारी बस थोड़ी देर के लिए दवंगेरे पे रुकी और फिर थोड़ी देर हरिहर पर रुकी और फिर रात के ऑलमोस्ट 9 या 9:30 बजे हवेरी पोहोच चुकी थी. यह मील्स स्टेशन था यहा बस के ड्राइवर ने कहा के यह मील्स स्टेशन है यहा बस आधा घंटा रुकेगी आप लोग डिन्नर कर के आ जाए तो हम दोनो भी बस से नीचे उतर गये और सामने के होटेल मे चले गये. यहा छोटे छोटे फॅमिली कॅबिन्स भी बने हुए थे. एक कॅबिन मे हम दोनो आ गये. मैं वॉशरूम को जा के एक बार फिर से फ्रेश हो के आ गई थी और राज भी फ्रेश हो के आ गया था. आते आते राज ने डिन्नर का ऑर्डर कर दिया था. वेटर 2 स्पेशल थाली ले के आया और हम दोनो खाने लगे. खाना बोहोत ही मज़ेदार था मुझे भूक भी खूब लगी हुई थी इसी लिए मैं ने पेट भर के खाना खाया. डिन्नर के बाद एक एक कप कॉफी का भी पी लिया. अब मैं बोहोत ही फ्रेश महसूस कर रही थी. बॅंगलुर मे घर से निकलते हुए खाना खाया भी नही जा रहा था एक तो अकेले मुंबई जाने का डर और दूसरा मुंबई को देखने का और फर्स्ट टाइम इन लाइफ इंटरव्यू फेस करने का एग्ज़ाइट्मेंट और सतीश को छोड़ने का गम इसी लिए मुझे अछी तरह से खाना नही खाया गया था और अब जो इतना मज़ेदार खाना मिला तो पेट भर के खाना खाया और फिर कॉफी पीने के बाद तो तबीयत एक दम से फ्रेश हो गई. रात के इस समय यहा थोड़ी थोड़ी ठंडी हवा चलने लगी थी और मौसम एक दम से अछा हो गया था.

हम वापस बस का अंदर आ गये फिर सब लोगो के आने के बाद बस स्टार्ट हो गई और चल पड़ी. मैं अब विंडो वाली सीट पे बैठी थी और राज पॅसेज की सीट पे. बाहर से आती हुई ठंडी हवा का झोंके मुझे बोहोत आछे लग रहे थे और मेरे बदन मैं थिन मेटीरियल के कपड़े पहने होने की वजह से कुछ ठंडी जैसी लग रही थी और हवा से मेरी शर्ट मेरे निपल्स से जिस तरीके से

टच कर रही थी जिस से मेरे नेकेड निपल्स खड़े हो गये थे मुझे बोहोत अछा लग रहा था, वैसे भी मैं बता चुकी हू के मेरे निपल्स बोहोत ही सेन्सिटिव है हल्का सा टच भी मुझे मज़ा देता है.

ड्राइवर ने बताया के कुछ पॅसेंजर्स हुबली मैं उतरने वाले थे और हुबली का सफ़र हवेरी से ऑलमोस्ट डेढ़ घंटे का था. रात हो चुकी थी पर आकाश मे चंदमा नही था तो मुझे याद आया के परसो ही तो अमावस की रात थी इसी लिए आज की रात अछी ख़ासी अंधेरी थी. कभी कभी कोई छोटा मोटा गाओ आजाता तो थोड़ी देर के लिए रोशनी दिखाई देती उसके बाद फिर से काली अंधेरी रात. मैं विंडो वाली सीट पे बैठी थी और बाहर की हवा की वजह से मेर बाल हवा से उड़ के राज के मूह से लग रहे थे तो मैं ने अपने बालो को गोल मोड़ लिया और एक राउंड सा जुड़ा बना के बालो को लपेट लिया तो राज ने हंस के बोला के अरे रहने देती आपके बालो से भीनी भीनी खुश्बू बोहोत अछी लग रही है तो मैं शर्मा गई. हम फिर इधर उधर की बातें करने लगे. मैं ने पूछा के आपकी शादी हो गई है तो उसने बोला के हा अभी 6 महीने पहले ही शादी हुई है पर उसकी वाइफ किसी कंपनी मे एग्ज़िक्युटिव है तो वो भी मोस्ट्ली टूर पे ही रहती है. कभी अचानक उसका टूर निकल आता है और कभी अचानक वो वापस आ जाती है उसका कोई टाइम सेट नही है. फिर हम अपने स्कूल्स की और कॉलेजस की बातें करने लगे, फ्रेंड्स की बातें करने लगे, कभी जोक्स भी सुनाने लगे और हम एक दूसरे से घुल मिल गये और हमे ऐसा लगने लगा जैसे हम जनम जनम के के साथी हो. ओफ़कौर्स हम बातें आहिस्ता ही कर रहे थे ता कि दूसरे पॅसेंजर्स को डिस्टर्ब ना हो.

तकरीबन सभी पॅसेंजर्स ने पेट भर के खाना खाया था इसी लिए अब ऑलमोस्ट सभी पॅसेंजर्स सो गये थे जिनके खर्रातो की आवाज़ें आने लगी थी. ठंडी हवा चेहरे पे लगने से मुझे भी नींद के झोंके आने लगे थे और मैं अपने सर को सीट के हेड रेस्ट पे लगा के सो गयी. कभी कभी मेरा सर स्लिप हो के राज के शोल्डर पे आ जाता तो मैं फिर से ठीक कर लेती. एक दो टाइम ठीक किया तो राज ने बोला के रहने दो ना तुम सो जाओ ऐसे ही और मैं उसके कंधे पे अपना सर रख के गहरी नींद सो गयी. बाहर का वेदर बोहोत ही प्लेज़ेंट था और मेरी नींद गहरी हो गई. जैसे ही मेरी नींद गहरी हुई मुझे लगने लगा के मैं कॉलेज मे हू और हमारे लास्ट के 3 पीरियड्स फ्री हो गये है तो मैं ने रवि को फोन किया वो भी अपनी क्लास ख़तम कर के बाहर आ गया और फिर हमने प्लान बनाया के कॉलेज से फिल्म देखने चलते हैं और हम एक इंग्लीश फिल्म देखने चले गये. फिल्म ला नाम का तो पता नही पर एक दम से मस्त और सेक्सी फिल्म थी. शाम का मॅटिने शो था इसी लिए थियेटर इतना ज़ियादा फुल नही था, बस हमारे जैसे कुछ स्टूडेंट्स जो कॉलेज को बंक करके आए थे बॅस उतने ही लोग थे. और वैसे भी आजकल लोग घरो मे ही सीडी लगा के पिक्चर्स

देखने के आदि हो गये है इसी लिए थियेटर्स मे भीड़ भाड़ नही होती और ऑलमोस्ट खाली ही होते है. हम सब से पीछे वाली सीट पे बैठ गये. हमारे अंदर आने तक फिल्म के स्टार्ट होने से पहले के आने वाली फ़िल्मो के कुछ ट्रैलोर्स चल रहे थे, आक्चुयल फिल्म अभी चालू नही हुई थी. हम अंदर आने से पहले कुछ पॉपकोर्न्स भी ले के आए थे के टाइम पास होगा. एक मैं ने अपनी गोदी मे रखा और दूसरा रवि की गोदी मे और दोनो ने डिसाइड किया के रवि मेरे पॅकेट मे से खाएगा और मैं रवि के पॅकेट से और हम एज पर डिसिशन एक दूसरे के पॅकेट्स से पॉपकॉर्न खाने लगे. पॅकेट्स उतने बड़े भी नही थे और सेक्सी रोमॅंटिक इंग्लीश फिल्म के चलते पॉपकॉर्न जल्दी ही ख़तम हो रहे थे. मैं ने रवि के पॅकेट मे हाथ डाला तो वाहा पॅकेट तो नही था पर उसका खड़ा लंड मुझे महसूस हुआ तो मैं ने इधर उधर टटोला तो पता चला के वो तो ख़तम हो गया है और जब मेरा हाथ उसके लंड से लग ही गया था तो उसने मेरे हाथ पे अपना हाथ रख दिया और अपने लौदे को मेरे हाथो से दबा दिया. मैं इस से पहले भी बोहोत बार उसके लौदे को पॅंट के ऊपेर से ही पकड़ चुकी थी इसी लिए मैं ने माइंड नही किया और अपना हाथ वही रखा और फिल्म देखने मे बिज़ी हो गई. थोड़ी ही देर मे रवि का हाथ भी मेरी झंगो पे आ गया, मेरा पॅकेट भी खाली हो चुका था जिसको मैं नीचे गिरा चुकी थी तो मेरी झांग भी फ्री थी. रवि मेरे थाइस को सहलाने लगा तो मेरे पैर ऑटोमॅटिकली खुल गये और रवि ने इशारा समझ लिया और मेरी चूत को रगड़ने लगा. जैसे जैसे फिल्म मे सेक्सी सीन्स आने लगे हम दोनो गरम होने लगे और रवि का हाथ लगने से तो मेरी चूत मे आग ही लग रही थी और फुल गीली हो चुकी थी. मुझे पता ही नही चला के कब रवि ने अपने पॅंट की ज़िप को खोल दिया था और मैं उसके नेकेड लंड को पकड़ के दबा रही थी और बिना सोचे ही उसके लंड का मूठ जैसे मार रही थी. मैं तो फुल जोश मे आ गई थी. रवि ने भी अपना हाथ ऊपेर कर के मेरी एलास्टिक वाली सलवार से अपना हाथ अंदर डाल दिया था और मेरी नंगी गरम चूत को मसाज कर रहा था. रवि की फिंगर मेरी क्लाइटॉरिस का मसाज कर रही थी और कभी मेरी चूत के सुराख मैं भी चली जाती तो मैं बेचैन हो जाती थी. मैं तो इतनी मस्त हो गई थी के मेरी आँखें बंद हो गई थी और मैं रवि के फिंगर फक्किंग के मज़े ले रही थी और अपनी सीट पे कुछ सामने की ओर मूव हो गई और अपनी टाँगो को फैला लिया था और रवि को अपनी चूत का फुल आक्सेस दे दिया था और फिर मेरे बदन मे सनसनाहट शुरू हो गई और मेरी चूत से जूस निकलता ही चला गया और मैं इतनी मदहोश हो गई थी के मस्ती मे रवि के लंड को इतनी ज़ोर ज़ोर से मास्टरबेट कर रही थी के रवि के लंड से कब मलाई की पिचकारी निकली मुझे पता ही नही चला. उसके लंड से मलाई निकलने के बाद भी मैं कितनी ही देर तक तो उसके लंड को मास्टरबेट करती ही रही मेरा हाथ उसकी क्रीम से लत पथ हो गया था और फिर जब मेरी चूत से जूस निकलना बंद हो गया और मैं कंप्लीट झाड़ चुकी

तो उसके लंड से अपना हाथ हटाया और हम दोनो एक दूसरे को झुक के किस करने लगे और रवि ने मेरे कान मे बोला के आज तो मस्त मज़ा आगेया मेरी जान तो मैं ने कहा के मुझे भी बोहोत ही मज़ा दिया आज तुमने रवि मुझे भी बोहोत ही मज़ा आया थॅंक. रवि की क्रीम से निकली क्रीम से अपने सने हुए हाथ को मैं ने अपने सलवार के अंदर वाले पोर्षन जो चूत के पास होता है उस पोर्षन से उसकी क्रीम को पोंछ लिया क्यॉंके उसके पॅंट पे लगा होता तो सब को दिखाई देता और मेरी सलवार के ऊपेर तो शर्ट आ जाती थी तो किसी को दिखाई नही देता था इसी लिए मैं ने अपनी चूत के साथ वाले पोर्षन पे अपनी सलवार से उसकी क्रीम को पोंछ लिया. अब हमारा मन फिल्म मे नही लग रहा था. मेरी चूत मैं अभी भी आग लगी हुई थी मे चाह रही थी के आज रवि के लंड को अपनी चूत के अंदर ले लू और उस से चुदवा लू पर फिर अपने संस्कार और मर्यादा याद आई तो खामोश हो गई और अपनी चूत को तसल्ली देने लगी. फिल्म का इंटर्वल हुआ पर हम बाहर नही गये वही अपनी चेर्स पे बैठे रहे. हम दोनो के चेहरे जोश मे लाल हो गये थे. रवि ने पूछा के कॉफी लाउ क्या तो मैं ने उसका हाथ पकड़ के बोला के नही रवि कही ना जाओ प्लीज़ यही बैठे रहो मेरे पास और फिर हम एक दूसरे का हाथ पकड़ के बैठे रहे. थोड़ी ही देर मे थियेटर मे फिर से अंधेरा छा गया और फिल्म स्टार्ट हो गई.

इंटेरनवाल के बाद से तो यह फिल्म कुछ ज़ियादा ही सेक्सी हो गई थी. आक्च्युयली सीन तो हिडन ही थे पर कभी कभी पॅशनेट किस्सिंग के और चुदाई के ऐसे भी सीन्स थे जिस्मै लड़के का लंड लड़की की चिकनी चूत मे अंदर जाता और बाहर आता दिखाई दे रही थी रियल चुदाई दिखाई दे रही थी. हम दोनो एक बार फिर से गरम हो गये थे. रवि कंटिन्यू मेरी चूत का मसाज कर रहा था मेरी चूत से जूस तो कंटिन्यू निकल रहा था और अब इस टाइम मैं ने खुद ही रवि के पॅंट की ज़िप को खोला और उसके लौदे को जो लोहे जैसा सख़्त हो चुका था बाहर निकाल लिया और उसको बड़े प्यार से दबाने लगी. हम दोनो आज अपनी सारी पुरानी लिमिट्स क्रॉस कर चुके थे. एक ऐसे ही चुदाई के मस्त सीन को देख के अचानक रवि अपनी सीट से उठा और मेरी टाँगो के बीच मे बैठ गया और अपने हाथो से मेरी सलवार को नीचे खेच लिया. सलवार मे तो एलास्टिक था और मैं ने भी अपनी गंद को थोड़ा उठा लिया और मेरी सलवार स्लिप हो गई और मेरी टाँगो के बीच आ गई. मेरी नंगी गंद सीट पे थी और रवि मेरी टाँगो के बीच बैठ गया. किसी को भी अब रवि दिखाई नही दे सकता था. उसने मेरी थाइस पे किस किया तो मैं पागल हो गई और उसके सर को पकड़ के अपनी गंद को सीट पे आगे मूव कर दिया और उसके सर को पकड़ के अपनी चूत मे घुसा लिया. मैं अपनी सीट पे ऑलमोस्ट लेटी हुई थी और रवि मेरी चूत को चाट रहा था. मैं अपनी गंद उठा के अपनी चूत को उसके मूह से दीवानो की तरह ज़ोर ज़ोर से

रगड़ रही थी. रवि के दाँत भी मेरी क्लाइटॉरिस से लग रहे थे और इन्नर चूत से भी और फिर मैं अपने आप को ज़ियादा देर तक रोक नही पाई और रवि के सर को अपनी चूत मे दबा के पकड़ लिया और मैं उसके मूह मे झड़ती ही चली गई मेरे मूह से हमम्म्ममममममम आआआअहह ऊऊऊफफफफफफफफफ्फ़ जैसी आवाज़ें निकल रही थी और मैं झाड़ रही थी, मेरी साँसें बड़ी तेज़ी से चल रही मेरी गंद अभी भी अपनी सीट से ऊपेर उठी हुई थी. मेरा ऑर्गॅज़म बड़ा ज़बरदस्त था और जैसे ही ऑर्गॅज़म ख़तम हुआ और मेरी चूत से जूस निकलना बंद हुआ मैं किसी बेजान डॉल की तरह से अपनी सीट पे गिर गयी और मेरे हाथ पैर ढीले हो गये.

क्रमशः......................
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RE: Antarvasna kahani रिसेशन की मार - by sexstories - 07-10-2018, 12:36 PM

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