Hindi Kahani बड़े घर की बहू
06-10-2017, 02:25 PM,
#39
RE: Hindi Kahani बड़े घर की बहू
चाचा अभी भी कामया की चूचियां दरिंदे की तरह चूस रहे थे मुँह को रगड़ रहे थे उसकी इस हरकत से कामया के शरीर में एक बार फिर से जान आ गई थी और वो अपनी जाँघो को कसकर जकड़कर चाचा के हाथों को अपने में समेटने लगी थी वो चाचा की उंगलियों को अपनी योनि से निकलने नहीं देना चाहती थी और जाँघो के दबाब से यही लगता था कि वो उन्हें और भी अंदर की ओर ले जाना चाहती थी कामया का पूरा ध्यान चाचा की उंगलियों और अपनी चुचियों पर चाचा के भद्दे होंठ और खुरदुरे मुँह पर था और जो वो हरकत कर रहे थे उससे उसके शरीर में जो आग भड़की थी वो अब उसके लिए जान का दुश्मन बन गया था वो उठकर भीमा चाचा से लिपट जाना चाहती थी पर चाचा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो हिल भी नहीं पा रही थी 

भीमा चाचा की उंगली उसकी योनि के अंदर और अंदर उतरती जा रही थी और उसके अंदर के तूफान को और भी बढ़ा रही थी वो अब किसी तरह से अपने को छुड़ाने को कोशिश करती हुई भीमा चाचा के गालों तक अपने होंठों को पहुँचा सकी थी और होंठों को उनके गालों के टेस्ट करने को छोड़ दिया 

कामया- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज चाचा और नहीं प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज 
पर चाचा कहाँ मानने वाले थे वो तो बस अपने होंठों को बहू के पेट और चुचियों के चारो ओर घुमा कर उनका रस पान करते हुए अपनी उंगली को उसकी योनि के अंदर तक घुसाए हुए थे वो जानते थे कि बहू की हालत खराब है पर वो उसे और भी उत्तेजित करते जा रहे थे 

कामया- प्लीज चाचा और नहीं सहा जाता प्लीज अब करो प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज अंदर करो

भीमा- अभी कहाँ बहुउऊुुुुुउउ थोड़ा और मजा ले और क्या चीज है तू 

हहाआह्ह कामया की एक लंबी सी चीख निकल गई जब भीमा चाचा के दाँतों ने उसके निपल्स को कसकर काट लिया और उनकी उंगली उसकी योनि के बहुत अंदर तक पहुँच गई अब तो कामया अपने आपको और नहीं रोक पाई और वो झरने लगी और बहुत तेजी से झरने लगी थी उसने कस कर भीमा चाचा के हाथों को अपने अंदर समा लिया और अपनी कमर को उचका कर उनके हाथों के जितना नजदीक होते बना वो पहुँची और धम्म से निढाल होकर बेड पर गिर गई थी उसके शरीर में अब जान ही नहीं बची थी पर भीमा चाचा अब भी नहीं रुके थे जैसे ही बहू को झरते देखा उनके चेहरे पर एक विजयी मुश्कान दौड़ गई और बहू के कंधे को पकड़कर उसे अपनी ओर किया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और बहुत ही धीरे सेउसके होंठों को चूसने लगे उनकी उंगलियां अब भी बहू की योनि के अंदर-बाहर होती जा रही थी और एक बहशी पन भीमा के अंदर फिर से जागता जा रहा था उन्हें देखकर नहीं लगता था कि वो अभी बहू को छोड़ने वाले थे उनकी हरकत अब और भी जंगलियो की तरह होती जा रही थी बहू के होंठों को कसकर चूसने के बाद वो बहू को खींचकर बिठा लिया और अपने हाथ को उसकी जाँघो के बीच से निकालकर वही चादर पर पोंछ लिया और दूसरे हाथ से बहू को खींचकर उसके पैरों को बेड से नीचे लटका लिया 

कामया के शरीर में इतना जोर अब नहीं बचा था कि वो कुछ रेजिस्ट कर पाती पर चाचा के इस तरह से खींच ने से उसे स्पष्ट पता चल गया था कि खेल अभी बाकी है और भीमा चाचा का मन अभी नहीं भरा है पर उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वो कुछ मदद कर पाती वो तो बस निढाल सी भीमा चाचा के इशारे पर इधर-उधर होती जा रही थी जैसा भीमा चाचा चाहते वो वैसी हो जाती पर हर बार भीमा को उसे सहारा देना पड़ता 


भीमा बहू को जिस तरह से खींचकर उसे अपने लिए तैयार कर रहा था उसे देखकर एक बार लगता था कि उसे बहू की कोई चिंता नहीं है या फिर उसे किसी की भी चिंता नहीं है बहू के कमरे का दरवाजा वैसे ही खुला था उसने बंद नहीं किया था और ना ही उसने जरूरत ही समझी थी वो तो बस उस सुंदरता को भोगना चाहता था वो भी अब अपने तरीके से लगता था कि उसके अंदर के शैतान को उसकी हर अजाम के लिए एक खिलोना मिल गया हो और वो उस खिलोने से जी भरकर खेलना चाहता था उसे कोई रहम नाम की चीज नहीं दिख रही थी वो जानता था कि वो बहू को जैसे भी भोगेगा बहू ना नहीं कहेगी वो अपने मन में उठने वाली हर बात को जैसे अजाम तक पहुँचाने की जल्दी में था 


भीमा ने बहू को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और अपने लिंग को उसकी योनि तक पहुँचाने की कोशिश में लग गया था 
कामया जो कि भीमा चाचा के हाथों का खिलोना बन चुकी थी उसे भी भीमा की हरकतों का अंदाज़ा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी वो इतनी थक चुकी थी कि उसके हाथ पाँवो ने जबाब दे दिया था वो तो बस लटके हुए थे और किसी भी सहारे की तलाश में थे पर सहारा कहाँ वो तो अब भीमा चाचा की गोद में थी और उसकी जाँघो के बीच में उनका, मोटा लिंग फिर से अपनी लड़ाई लड़ता हुआ दिख रहा था वो जानती थी कि अब उसके शरीर को भेदने के लिए वो फिर से तैयार था और वो फिर से उस संघर्ष का हिस्सा है वो भी थोड़ा सा भीमा चाचा के कंधों का सहारा लेके आगे की ओर हुई थी कि झट से भीमा चाचा का लिंग उसे भेदता हुआ अंदर और बहुत अंदर तक पहुँच चुका था भीमा चाचा उसके बेड पर बैठे हुए थे और उनके पैर जमीन पर टिके हुए थे पर उनके धक्के इतने ताकतवर थे कि कामया हर बार किसी गेंद की भाँति ऊपर की ओर उछल पड़ती थी भीमा चाचा का लिंग अब पूरी तरह से अपना रास्ता खोजने में सफल हो गया था और उनके दोनों हाथ उसकी कमर के चारो ओर उसे जोर के जकड़े हुए थे उनका दाढ़ी वाला चेहरा उसके नरम और मुलायम कोमल सीने को छूता तो कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी भी निकलती 
कामया- ऊऊह्ह चाचा प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज धीरीईईईईईईईई 
भीमा- रुक जा बहू थोड़ा और बस 
कामया- मैं माअरर्र्ररर जाऊँगी और नहीं 
पर भीमा को कहाँ शांति थी वो तो एक हैवान बन चुका था उसके धक्के इतने जबरदस्त होते जा रहे थे कि हर धक्के में कामया उसके कंधों के ऊपर निकल जाती थी पर उसकी मजबूत पकड़ से आगे नहीं जा पाती थी लेकिन हर धक्कों के साथ वो फिर से जीवंत होने लगी थी अब धीरे-धीरे उसकी पकड़ भीमा चाचा के कंधों पर मजबूत होती जा रही थी और कस्ती जा रही थी 

उसके शरीर में एक और बार उमंग की लहरे दौड़ चुकी थी वो फिर से अपने अंदर की उथल पुथल को संभालने की चेष्टा कर रही थी वो अब हर धक्के पर कसकर भीमा चाचा को अपने शरीर के और पास लाने की कोशिश करती जा रही थी अब उसके पैरों में भी और हाथों में भी जोर आ गया था वो अब भीमा चाचा पर झुकी जा रही थी और हर धक्के को अपने अंदर तक महसूस कर रही थी 

बहू के जोर के आगे अब भीमा भी झुक गया और, उसने अपने को बिस्तर पर गिरने दिया अब बहू उसके ऊपर थी और वो नीचे पर उसका काम चालू था अब उसकी पकड़ बहू की चुचियों पर थे और अपनी हथेलियो को कसकर उनके चारो ओर पकड़े हुए था उसके हाथों के सहारे ही बहू ऊपर की ओर उठी हुई थी और वो नीचे लेटे हुए बहू की सुंदरता को देख रहा था और उसे जम कर भोग रहा था उसके शरीर की आख़िरी शक्ति को भी वो लगाकर उस सुंदरता को उछाल रहा था और नीचे पड़े हुए बहू को आनंद के सागर में गोते लगाते हुए देखा रहा था और कामया भी अब अपने को उचका कर भीमा चाचा के हर धक्कों को अपने अंदर तक ले जाती थी और फिर उसके कानों में भीमा चाचा की आवाज टकराई 
भीमा- क्यों बहू मजा आया ना उूुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम 
कामया- हाँ… हाँ… आआआआआह्ह और तेज और 
भीमा- हाँ… और हाँ… 
और एक तूफान सा उठ रहा था उस कमरे में बहुत तेज तूफान जिसकी गति का अंदाज़ा उस कमरे में रखी हर चीज को महसूस हो रह था एक दूसरे की सिसकारी से कमरा भर उठा था और जिस तेजी से वो बह रही थी उसे देखकर लगता था कि एक कोई बिनाश के संकेत है पर कोई भी झुकने को तैयार नहीं था भीमा की हर चोट अब कामया के लिए एक बरदान था और उसके शरीर की गरिमा थी वो अपने आपको उस इंसान का शुक्रगुज़ार मान रही थी , कि उसने उसे इस चरम सीमा तक पहुँचने में उसकी मदद की अचानक ही उसके अंदर का उफ्फान अपनी गति से अपने शिखर पर पहुँचने लगा था और उसके अंदर एक तुफ्फान सा उठने लगा था जो कि वो नीचे पड़े हुए चाचा की ओर एक कामुक दृष्टि के साथ ही उनके ऊपर झुक गई और भीमा चाचा के होंठों पर टूट पड़ी और कस कर अपने दोनों हाथों से उनके चेहरे को पकड़कर उनके होंठों से गुथ गई वो अपने जीब को उनके मुख के अंदर तक घुसाकर उनसे गुजारिश करने लगी थी 

कामया- और जोर से चाचा और जोर से 

भीमा- हाँ… हाँ… हाँ… और और 

कामया- हाँ… हाँ… और और उूुुउउम्म्म्मम सस्स्स्स्स्स्स्स्शह ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और वो झड़ने लगी बहुत तेज जैसे एक समुंदर सा उसकी योनि से बाहर निकल गई हो पर वो रुकी नहीं उस समुंदर को वो अपने शरीर से बाहर निकालना चाहती थी बाहर और बाहर उसने अब भी चाचा के ऊपर उचक कर अपना समर्थन जारी रखा और भीमा चाचा को और तेजी से करने का आग्रह करने लगी थी 

कामया- और चाचा और तेज मार डालो मुझे ईईईईईईईई
और बस धम्म से वो चाचा के ऊपर गिर पड़ी अब वो उस स्वर्ग लोक में थी जहां कि वो भीमा चाचा के साथ निकली थी और अब वो वहां पहुँच गई थी और भीमा चाचा के होंठ अब उसके चेहरे के हर कोने में वो महसूस कर रही थी और उनकी पकड़ भी अब उसे सांस लेने को रोक रही थी पर कामया कुछ नहीं कर सकती थी वो लगभग मर चुकी थी उसके शरीर में अब इतनी जान भी नहीं बची थी कि वो अपने को छुड़ा सके और लंबी सांसें भी ले सके वो वैसे ही निढाल सी भीमा चाचा के ऊपर गिरी पड़ी थी और वो एक लंबी नींद के आगोश में समा गई थी
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