ब्रा वाली दुकान
06-09-2017, 01:48 PM,
#2
RE: ब्रा वाली दुकान
मैं अंकल को अपनी मुश्किल बताई और उनसे मदद मांगी तो वह कुछ देर सोचने के बाद बोले कि चिंता मत करो तुम्हारा काम हो जाएगा। कल सुबह तुम पहले मेरे घर आ जाना मैं तुम्हें अपने साथ ले चलूँगा और इकबाल साहब को अपनी गारंटी दे दूंगा। कुछ देर अपनी सेवा करवाने के बाद वापस घर आ गया और अगले दिन सुबह अंकल के घर जा धमका। अंकल पहले ही तैयार हो चुके थे, 10 बजने में अभी थोड़ा समय था, अंकल ने अपनी बाइक निकाली और सीधे हुसैन जागरूकता बाजार में प्रवेश करने के बाद इसी दुकान के सामने ले जाकर मैं बाइक रोकने को कहा। अंकल मेरे साथ दुकान में प्रवेश किया और इकबाल साहब को अपना परिचय करवाया और अपना रोजगार कार्ड निकालकर इकबाल साहब को दिखा दिया। मेरे यह अंकल वन विभाग में कार्यरत थे, सरकारी कर्मचारी का कार्ड देखकर ाकबा लिमिटेड साहब को संतोष हो गया और वे बोले कि आप बच्चे की गारंटी देते हैं तो मैं इसे रख लेता हूँ, दैनिक एक समय का भोजन करूंगा और शुरू में 6000 रुपये वेतन होगी अगर उसने मन लगाकर काम किया तो वेतन बढ़ा दी जाएगी। मैंने तुरंत हामी भर ली तो अंकल ने कहा ठीक है इकबाल साहब मैं चलता हूँ, बिन बाप के बच्चे है इसे अपना ही बच्चा समझेगा और एक सामयिक चक्कर लगाता रहूंगा उम्मीद है आपको इससे कोई शिकायत नहीं होगी। 

यह कह कर अंकल चले गए जबकि इकबाल साहब बे काउन्टर का एक छोटा सा दरवाजा खोलकर मुझे अंदर आने को कहा तो मैं अब काउन्टर केपीछे खड़ा था। काउन्टर के अंदर जाते हुए मेरी नज़र दुकान के इस हिस्से में पड़ी जहां कल कुछ महिलाओं खड़ी थीं तो मेरे 14 ्बक रोशन हो गए। वहां महिलाओं के अंदर उपयोग के कपड़े यानी बरीज़ईर पड़े थे। अब मुझे समझ लगी कि कल वह महिला अपने लिए बरीज़ईर खरीद रही होंगी तभी इकबाल साहब ने पर्दा गिरा दिया था। खैर मैं अंदर आ गया तो इकबाल साहब ने मुझे काम समझाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में दुकान में कुछ महिलाओं आईं तो इकबाल साहब ने कहा आप को चुपचाप देखना है कि ग्राहक से कैसे चर्चा की जाती है और उसे संतुष्ट किया जाता है। मैंने हाँ में सिर हिलाया, महिलाओं ने अपने लिए कुछ मेकअप उपकरण खरीदा है और मैं इकबाल साहब की डीलिंग पर विचार करता रहा। । इसी तरह पूरे दिन विभिन्न महिलाएँ कभी कभी आती रहीं और मैं चुपचाप इकबाल साहब को देखता रहा, दोपहर में वह अपने घर से खाना मंगवाया जो उनका एक छोटा बेटा देने आया था। मैं भी उनके साथ ही खाना खाया। पूरा दिन इसी तरह बीत गया। रात को 7 बजे इकबाल साहब ने मुझे छुट्टी दे दी तो मैं जल्दी से घर चला गया कि कहीं अंधेरा न हो जाए। 

अगले दिन फिर से ठीक बजे दुकान पर पहुंच गया तो उस समय दुकान में एक महिला खड़ी थीं, महिला ने अपना चेहरा थोड़े से दुपट्टे से ढक रखा था। अपने कद काठ से वह एक बड़ी औरत लग रही थी, इकबाल साहब को नमस्कार करके अंदर ही चला गया तो इकबाल साहब ने इशारे से मुझे अपने पास ही बुला लिया। मैंने देखा कि इकबाल साहब के हाथ में एक स्किन कलर के बड़े आकार का ब्रा था जो उन्होंने महिला के हाथ में था दिया। महिला ने ब्रा को अपने हाथ में पकड़ कर थोड़ा नीचे और काउन्टर की ओट लेकर उसको खोलकर देखने के बाद वैसे ही वापस दे दिया और बोली इससे बड़ा आकार दिखाएँ। इकबाल साहब थोड़ा नीचे झुके और वह ब्रा वापस अपनी जगह पर रखने के बाद साथ दूसरा ब्रा निकालकर महिला को पकड़ा दिया, फिर से महिला ने खोल कर देखा और फिर पूछा उसके कितने पैसे? तो इकबाल साहब ने 300 की मांग की। महिला ने अपनी चादर हटा कर अपनी कमीज में हाथ डाला और अपने विशेष लॉकर से एक छोटा सा पर्स निकाला और इकबाल साहब को 300 रुपये निकाल कर दिए और वो ब्रा अपने हाथ में मौजूद शापर में कपड़ों के नीचे छुपा कर त्वरित दुकान से निकल गईं। 

महिला के जाने के बाद इकबाल साहब ने मुझे फिर से वहां मौजूद चीजों के बारे में जानकारी दी और उनके रेट बताने शुरू कर दिए, साथ में एक सूची दे दी और मुझे कहा उसे याद कर लेना। मैं सारा दिन इस सूची को खाली समय में देखता रहा और चीजों के रेट मन नशीन करता रहा, जबकि ग्राहकों के आने पर में इकबाल साहब के साथ खड़ा होकर उनकी डीलिंग देखता। एक सप्ताह ऐसे ही बीत गया। एक सप्ताह बाद इकबाल साहब ने मुझे कहा कि बेटा अब जो महिलाओं शीर्षक पाउडर लेने आएंगी उन्हें आप डील करना है और जो कोई अपने अंदर के कपड़े लेने आएंगी उन्हें मैं देखूँगा। मैंने कहा ठीक है चाचा, लेकिन अगर मुझे कुछ परेशानी हो तो आप मेरी मदद करना। अंकल ने मेरे सिर पर हाथ फेरा और बोले चिंता नहीं करो यहीं मौजूद हैं। बेफिक्र होकर तुम आज काम शुरू करो। कुछ ही देर के बाद एक अधेड़ उम्र महिला दुकान में आईं जिनके साथ उनकी 2 बेटियां भी थीं। वह महिला इकबाल साहब के सामने जाकर खड़ी हो गईं और हल्की आवाज में बोली, बच्चियों के लिए आंतरिक कपड़े चाहिए। तो इकबाल साहब थोड़ा आगे होकर खड़े हो गए और छोटे आकार का ब्रा निकाल कर दिखाने लगे। उनकी एक छोटी बेटी भी आगे होकर देखना चाही तो आंटी ने उसे घूर कर देखा और पीछे रहने का निर्देश दिया, वह लड़की वापस मेरे सामने आकर खड़ी हो गई, मैंने उसके सीने की तरफ देखा तो मुझे पता चल गया था कि इस पर अभी ताजा ताजा जवानी आई है उसको सबसे छोटे आकार का ब्रा ही फिट आएगा। 
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RE: ब्रा वाली दुकान - by sexstories - 06-09-2017, 01:48 PM

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