RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
मैं एकदम से दीदी के रूम से बाहर आकर ऊप्पर मेरे रूम में चला गया।
अभी जो भी मेरे मन मे खयाल आये थे उनपर विचार करने लगा । रीटा दीदी को भी शायद मर्द की जरूरत थी। अब मैने अपने सपने को सच करने की सोच लिया था कि अगर दीदी को अगर सेक्स की तलब होगी तो मैं उसको पूरा करुगा।
उनकी जिंगदी में बाहरी किसी भी आदमी को नही आने दूंगा।
लेकिन पहले मुझे मेरे घर मे उसको ढूंढना था जोकि बाहर सेक्स करने वाली थी। उसके लिए मैने अपनी बहनों के और करीब जाने की सोचने लगा और प्लान बनाने लगा।
सब सोचकर में नीचे आ गया। सब खाने के लिए बैठे थे और रोशनी और किरण दीदी खाना परोस रही थी।
मैं भी जाकर अपनी जगह बैठ गया। रीटा दीदी मेरे सामने बैठी थी और अजीब नजरो से मुझे देख रही थी।
मैं उनको इग्नोर करके खाना खा कर वापिश ऊपर अपने रूम में आ गया । और सिगरेट पीने लगा।
कुछ देर बाद मै बिस्तर पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा।रात को मुझे नींद में प्यास लगि तो मैं ने देखा कि आज दीदी शायद पानी रखना भूल गयी थी 11:30 बजे थे जब मैने समय देखा तो। मैं उठा और बाहर आकर निच्चे पानी के लिए जाने लगा तो दीदी के रूम के सामने से गुजरा तो मैंने देखा कि उनके रूम की लाइट जल रही है। मैं ने दरवाजे के की होल से देखा अंदर दीदी बेड पर न्नगी लेटी अपनी चुत में उंगली कर रही थीं। उनकी लाल फुली हुई चुत देखकर मेरा लण्ड सलामी देने लगा।
तभी मुझे लगा कि नीचे कोई जगा है तो मैं वहाँ से हट गया और निच्चे चला गया।
जब में रसोई में पहुचा तो देखा कि मम्मी थी जोकि फ्रीज के पास खड़ी थी और फ्रीज में कुछ देख रही थी।
मेरी आहत पाकर मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा और मुझे देखकर चौक गयी।
मम्मी--संजू सोया नही अभी तक। यहा क्या कर रहा है
मैं--- मम्मी प्यास लगी थी तो पानी लेने आया था शायद आज दीदी पानी रखना भूल गयी होगी।
मम्मी साइड हट गई। मैने पानी की बोतल ली और पानी पीने लगा। मम्मी वही पास ही खड़ी थी।
मम्मी ने मैक्सी डाली हुई थी और नीचे से ऐसे लग रहा था कि अंदर उन्होंने कुछ नही पहना हुआ है।
उनकी मोटी मोटी चुचिया मैक्सी में साफ दिख रही थी।
मैंने देखा कि मम्मी अपने हाथ मे कुछ लेकर मैक्सी की आड़ में छुपा रही है। मैंने पानी पिया और बोतल लेकर ऊपर आने लगा । मम्मी भी अपने रूम में चली गयी। मैं वापिश नीचे आया और मम्मी के रूम में झांकने लगा।
मम्मी बेड पर लेट् चुकी थी और अपनी मैक्सी ऊपर उठा ली थी नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी । उनकी चुत सफाचट थी बाल का नामोनिशान नही था। फिर मैंने देखा की उनके हाथ मे एक लंबा मोटा खीरा था और वो अपनी चुत में गुसाणे लगी।
बिल्कुल सीधा और मोटा … एक बार मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, मेरे लंड की तरह ही मोटा और लंबा था जोकि मम्मी की जरूरत को पूरी करने वाला था। उसको चुत के अंदर बाहर करने के बाद मम्मी को चुदाई वाली फीलिंग आ रही थी, यही सोच कर मम्मी खुश हो रही थी। उसी खुशी में उस खीरे को मम्मी चुत से निकाल कर अपनी जीभ से चाटने लगी, जैसे कि वह खीरा न हो लंड ही हो।
चाटते हुए मम्मी अपने मुँह को खोल कर खीरे को चूसने लगी जैसे मानो उस लंड रूपी खीरे को ब्लो जॉब दे रही हो।
उत्तेजना में खीरे को मुँह में से निकालकर अपने जांघों पर रगड़ने लगी। उसका वह ठंडा स्पर्श मम्मी की उत्तेजना और बढ़ाने लगा। मैंने खड़े खड़े ही अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठियाने लगा और मम्मी खीरे को चुत पर रगड़ने लगी। जैसे जैसे उसको मम्मी चुत पर घिस रही थी मुझे अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी।
वह खीरा मुझे पागल करने लगा था, मैं सोचने लगा कि खीरे को हटाकर अपना लण्ड मम्मी के हाथों में दे दु।
धीरे से मम्मी मैक्सी को चुत से अलग करके खीरे को अपने चुत की दरार पर घिसने लगी, अब मम्मी को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया। और अपने पैर फैलाकर खीरे को अपनी चुत के अंदर दबाने लगी तो मेरे रोंगटे खड़े होने लगे। उसी प्रयास में मम्मी ने अपनी मैक्सी ऊपर उठायी,
अब खीरे का रास्ता साफ था मम्मी ने पैर फैलाकर एक हाथ से अपनी चुत की दरार को खोल दिया और दूसरे हाथ से खीरे को अपनी चुत में घुसाने लगी।
“आहऽऽऽ… ऊई माँऽऽऽ… हम्म…”
खीरा चुत में घुसते ही उसके ठंडे स्पर्श की वजह से मम्मी सिसक उठी, धीरे धीरे उसको चुत में घुसाते वक्त मम्मी को काफी उत्तेजना महसूस हो रही थी। पिछले काफी समय से मम्मी की चुत में लंड नहीं घुसा होगा और खीरा लंड से थोड़ा मोटा था तो अंदर जाते वक्त मम्मी की चुत को फैला रहा था, मैं भी कामज्वर से पागल हो रहा था।
धीरे धीरे मम्मी ने आधे से ज्यादा खीरे को अपनी चुत में घुसाया, फिर चुत को सिकोड़ते हुए अंदर खीरे को लण्ड की तरह महसूस किया। यह आईडिया मुझे पहले क्यों नहीं आया था कि मम्मी भी लण्ड को तरस रही होगी। वह खीरा से अपनी चुत को लंड वाली फीलिंग दे रही थीं।
मम्मी बेड के नीचे दोनों पैरों को करीब लाते हुए खड़ी हुई और खड़े खड़े दाये पैर की उंगलियों पर खड़ी हुई, फिर एड़ी को नीचे लाते हुए बांयें पैरों की उंगलियों पर खड़ी हुई, मम्मी की जांघें एक दूसरे से रगड़ने लगी थी पर उस खीरे के मम्मी की चुत की दीवारों से घिसने से अजीब से सुरसुराहट हुई। न चाहते हुए मम्मी अपनी आँखें बंद करते हुए दोनों पैरों से कदमताल करने लगी- दाहिने बायें… दाहिने बायें …
उस वजह से खीरा चुत की दीवारों पर घिसते हुए अजीब सा सुख दे रहा था मम्मी को। पैर करीब होने से वह मम्मी की चुत के दाने को भी रगड़ खा रहा होगा , कदम ताल की वजह से खीरा धीरे धीरे नीचे की ओर सरक रहा था और अंत में चुत से सटक कर जांघों से नीचे गिर गया।
मम्मी ने नीचे झुकते हुए उसको उठा लिया, बलब की रोशनी की वजह से खीरे पर लगा मम्मी की चुत का रस चमक रहा था। मम्मी फिर से उसे अपने चुत में घुसा कर कदमताल करने लगी,
तभी किसी ने मेरे कंधे को थपथपाया
मैंने पीछे देखा तो किरण दीदी खड़ी थी।
मेरी तो हालत खराब हो गयी, एक तो मैं मम्मी के रूम के बाहर चोरी से खड़ा था और उप्पर से मेरा लंड खड़ा और वो भी मेरे हाथ में, वो बोली क्या कर रहा था और उसकी निगाहें मेरे लंड पर थी.
मैने पहले तो लंड पे से अपना हाथ हटाया और उसके सवाल का जवाब तो मेरे पास था पर उसे क्या बोलता मैने अपनी टीशर्ट से लंड ढकते हुए।
मेरी तो वॉट लग गयी थी क्यूकी किरण ने मुझे रंगे हाथ पकड़ा था अब वो मम्मी से बोलती और मेरी तो वाट लगने वाली थी.
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