RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा को कुछ झिझक नहीं थी। कॉलेज के दिनों में दोनों सहेलियों ने अनेक बार एक दूसरे की चूत चाटी थी और एक ही बिस्तर पर दूसरे मर्दो के साथ चुदाई की थी। और फिर अपनी सहेली, जो कि गधों से चुदवाती हो, उसके सामने उसे क्यों शरम या झिझक होती।
तेरी चूत पूरी तरह गीली नहीं हुई है, नजीबा ने झूठ कहा। शाजिया की बाढ़ की तरह बहती हुई चूत से ज्यादा गीली कोई चूत कैसे हो सकती थी। नजीबा का मुखड़ा और नीचे झुका और वो होंठ खोल कर अपनी सहेली की चूत को चूमते हुए राल निकालने लगी। उसका थूक शाजिया की सख्त क्लिट पर से होता हुआ गधे के लंड के घेरे पर बहने लगा। उसकी जीभ इधर-उधर फिसलती हुई कभी शाजिया की चूत के फैले हुए होंठों को चाटने लगी, कभी गधे के लंड पर सुडकती और फिर शाजिया की फनफनाती हुई क्लिट पर चाबुक की तरह फिरती। अपनी जीभ और होंठ गधे के लंड और शाजिया की चूत पर रगड़ते हुए वो लगातार अपने हाथों से गधे के लंड को खींच रही थी।
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नजीबा ने अपना सिर उठाया। उसके सुंदर मुखड़े का निचला हिस्सा अपने थुक, शाजिया के चूत-रस और गधे के वीर्य के मिश्रण से लिसड़ा हुआ चमक रहा था।
“ये साला चोद लंड मुझसे नहीं हिल रहा, वो फुसफुसायी, “यहाँ साइड से मेरी सही | पकड़ नहीं बन पा रही हड़ी' जब नजीबा ने अपनी सहेली के घबराये हुए चेहरे पर नज़र डाली तो नजीबा की आँखों में वासना और शरारत झलक रही थी। मेरे ख्याल से मुझे तेरे ऊपर आ कर झुकना पड़ेगा, राँडा'
नजीबा ने अपनी एक टाँग उठा कर शाजिया के दूसरी तरफ खिसका दी और उसके कमान की तरह मुड़े हुए धड़ पर बैठ गयी। उसकी स्वयं की धधकती चूत शाजिया के चेहरे के ठीक ऊपर थी। उसका चूत-रस उसकी सुडौल हँगों से नीचे बह रहा था और उसकी चूत के आस-पास का हिस्सा उसके चूत-रस और कुत्तों के वीर्य के मिश्रण से भिगा हुआ था। शाजिया के मुँह में पानी आ गया और गर्दन ऐंठ गयी और स्वतः ही उसका सिर उस मलाईदार चूत की तरफ उठ गया।
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योगित गधे के लंड को दोनों हाथों से खींचती हुई कसमसायी। लंड को खींचते वक्त उसकी चूत नीचे खिसक कर शाजिया के चेहरे के ठीक ऊपर आ गयी। नजीबा की चूत के होंठ चौड़े खुले हुए थे और उसमें से मलाईदार द्रव्य बह रहा था। शाजिया की जीभ बाहर निकल कर नजीबा की क्लिट पर फड़फड़ाने लगी और फिर उसकी चूत में घुस गयी।
ऊऊऊऊऊह - बहुत मज़ा आ रहा है... शाजिया, नजीबा बिल्ली की तरह घुरघुरायी।
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