05-06-2019, 11:46 AM,
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा को एहसास था कि वो स्वयं भी नशे में धुत्त थी पर गधे के दिव्य लंड की छवी उसे आगे बढ़ने के लिये प्रेरित कर रही थी। दिन में शायद उसे ऐसा मौका ना मिले, इसलिए वो आज रात को ही अपनी विकृत मनोकामना पूरी कर लेना चहा रही थी। बाहर आकर अंधेरे में वो डगमगाती छप्पर की तरफ बढ़ी।
उसे गधे के रेंकने और घरघराने की आवाज़ सुनायी दी तो वो मुस्कुरा दी। “बेचारा उपेक्षित जानवर'' उसने सोचा, “जरूर मेरी दहकती चूत की कामुक गंध हवा में फैल कर गधे को उत्तेजित कर रही है।”
आ नशे में चूर नजीबा अपनी चूचियाँ झुलाती और अपने नंगे चूतड़ मटकाती हुई और तेजी से आगे बढ़ी तो हाई-हील के सैंडलों में संतुलन नहीं रख सकी और धड़ाम से लुढ़क गयी। पर नशे और वासना में उसे किसी बात की परवाह नहीं थी। वो फिर उठ कर झूमती
और गिरती- पड़ती आगे बढ़ी।
उसने छप्पर के बाहर कदम रखा - और बुत की तरह जम गयी। “मादरचोद?” नजीबा ने गहरी साँस ली। वो टकटकी लगा कर एक अदभुत दृश्य देख रही थी। वहाँ उसकी कामुक सहेली, बिल्कुल नंगी, सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने, गधे के नीचे उस जानवर का विशाल लंड अपनी चूत में फँसाये हुए थी। शाजिया उस गधे के लंड पर झटकती और जोर-जोर से हिलती हुई चुदाई शुरू करने की बेकरारी से कोशिश कर रही थी। नजीबा फौरन अपनी सहेली शाजिया की समस्या समझ गयी। नजीबा के सुंदर मुखड़े से विस्मय के भाव दूर हो गये और उसके होंठों पर कामुक और कुटिल मुस्कुराहट आ गयी।
गर्दभ राज से चुदवा रही है... हँह, राँड’’ नजीबा लम्पटता से बोली।
शाजिया का सिर पीछे की तरफ चटक गया और उसने गर्दन घुमा कर अपनी सहेली को देखा। उसका चेहरा शरम से लाल हो गया। उसके होंठ फड़फड़ाये पर कोई शब्द नहीं निकले। ऐसी परिस्थिति में वो क्या कह सकती थी।
नजीबा अपनी सहेली की लंड भरी चूत पर नज़रें टिकाये उसके नज़दीक बढ़ी। उस औरत की चूत के गुलाबी होंठ गधे के धड़कते लंड के चारों तरफ चौड़े फैले हुए थे और उसका चूत-रस बह कर उसके चूतड़ों की दरार को भिगो रहा था और बूंद-बूंद करके जमीन पर टपक रहा था। नजीबा को अपनी सहेली से ईष्र्या होने लगी। वो अपनी स्वयं की चूत उस गधे के लंड से चुदवाना चाहती थी। परंतु उसे साफ दिख रहा था कि गधे को शाजिया की चूत से लंड बाहर निकालने के पहले शाजिया की चूत में झड़ना पड़ेगा और उसके बाद ही उसे वो लंड चखने का मौका मिलेगा।
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तू.. तू.. क-क्या..." शाजिया हकलायी। उसे लगा कि इस हालत में उसे देख कर नजीबा बड़ा मुद्दा बना लेगी पर फिर उसने देखा कि नजीबा स्वीकृति से मुसकुरा रही थी। साथ ही उसने ध्यान दिया कि नजीबा सिर्फ अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी ही वहाँ आयी थी।
लगता है कि तुझे कुछ मदद की जरूरत है, शाजिया!”
शाजिया अविश्वास से कराह उठी।
“कसकर फंस गया है ना?” नजीबा खिलखिलायी, “मैं तेरी मदद करती हैं।
- नजीबा अपनी सहेली की बगल में घुटनों के बल बैठ गयी। शाजिया लाचारी से गधे के लंड
से चिपकी हुई ऊपर-नीचे झटक रही थी। गधा तो मुर्ख जानवर था - उसे क्या पता की इन औरतों के साथ चुदाई करना विकृति थी - इसलिए उसने अपने कुल्हे आगे पिछे हिलाना जारी रखा। नजीबा ने शाजिया की चूत के ठीक बाहर गधे के उस मोटे लंड को । अपने दोनों हाथों में वहाँ से पकड़ लिया और चुदाई की क्रिया शुरू करने की कोशिश में उसे खींचने और ढकेलने लगी। वो अपनी सहेली के पेट पर झुकी तो उसकी सम्मोहित नज़रें शाजिया की लंड-भरी चूत पे टिक गयीं। नजीबा के काले लंबे बाल भी शाजिया की चूचियों पर लुढ़क गये। नजीबा अभी भी मुस्कुरा रही थी पर उसके कामुक होंठ अब काँपने लगे थे।
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा को कुछ झिझक नहीं थी। कॉलेज के दिनों में दोनों सहेलियों ने अनेक बार एक दूसरे की चूत चाटी थी और एक ही बिस्तर पर दूसरे मर्दो के साथ चुदाई की थी। और फिर अपनी सहेली, जो कि गधों से चुदवाती हो, उसके सामने उसे क्यों शरम या झिझक होती।
तेरी चूत पूरी तरह गीली नहीं हुई है, नजीबा ने झूठ कहा। शाजिया की बाढ़ की तरह बहती हुई चूत से ज्यादा गीली कोई चूत कैसे हो सकती थी। नजीबा का मुखड़ा और नीचे झुका और वो होंठ खोल कर अपनी सहेली की चूत को चूमते हुए राल निकालने लगी। उसका थूक शाजिया की सख्त क्लिट पर से होता हुआ गधे के लंड के घेरे पर बहने लगा। उसकी जीभ इधर-उधर फिसलती हुई कभी शाजिया की चूत के फैले हुए होंठों को चाटने लगी, कभी गधे के लंड पर सुडकती और फिर शाजिया की फनफनाती हुई क्लिट पर चाबुक की तरह फिरती। अपनी जीभ और होंठ गधे के लंड और शाजिया की चूत पर रगड़ते हुए वो लगातार अपने हाथों से गधे के लंड को खींच रही थी।
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नजीबा ने अपना सिर उठाया। उसके सुंदर मुखड़े का निचला हिस्सा अपने थुक, शाजिया के चूत-रस और गधे के वीर्य के मिश्रण से लिसड़ा हुआ चमक रहा था।
“ये साला चोद लंड मुझसे नहीं हिल रहा, वो फुसफुसायी, “यहाँ साइड से मेरी सही | पकड़ नहीं बन पा रही हड़ी' जब नजीबा ने अपनी सहेली के घबराये हुए चेहरे पर नज़र डाली तो नजीबा की आँखों में वासना और शरारत झलक रही थी। मेरे ख्याल से मुझे तेरे ऊपर आ कर झुकना पड़ेगा, राँडा'
नजीबा ने अपनी एक टाँग उठा कर शाजिया के दूसरी तरफ खिसका दी और उसके कमान की तरह मुड़े हुए धड़ पर बैठ गयी। उसकी स्वयं की धधकती चूत शाजिया के चेहरे के ठीक ऊपर थी। उसका चूत-रस उसकी सुडौल हँगों से नीचे बह रहा था और उसकी चूत के आस-पास का हिस्सा उसके चूत-रस और कुत्तों के वीर्य के मिश्रण से भिगा हुआ था। शाजिया के मुँह में पानी आ गया और गर्दन ऐंठ गयी और स्वतः ही उसका सिर उस मलाईदार चूत की तरफ उठ गया।
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योगित गधे के लंड को दोनों हाथों से खींचती हुई कसमसायी। लंड को खींचते वक्त उसकी चूत नीचे खिसक कर शाजिया के चेहरे के ठीक ऊपर आ गयी। नजीबा की चूत के होंठ चौड़े खुले हुए थे और उसमें से मलाईदार द्रव्य बह रहा था। शाजिया की जीभ बाहर निकल कर नजीबा की क्लिट पर फड़फड़ाने लगी और फिर उसकी चूत में घुस गयी।
ऊऊऊऊऊह - बहुत मज़ा आ रहा है... शाजिया, नजीबा बिल्ली की तरह घुरघुरायी।
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