RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
दो दिन बस उधेड़बुन मे ही निकल गये और आख़िर वो दिन आ ही गया मेरी तरफ से सब तैयारी पक्की थी मेले वाले दिन मैने तड़के महादेव मंदिर मे पूजा की और महादेव जी से आशीर्वाद लिया आज तो जैसे सारा गाँव ही आरती मे उमड़ आया था हालाँकि मुझे अंदर ही अंदर घबराहट हो रही थी पर शायद ठाकूरो का खून मेरी नसों मे उबलने लगा था
मैने आज कुर्ता और धोती पहनी थी जिसमे बड़ा ही तेजस्वी लग रहा था ऐसा लक्ष्मी ने मुझे बताया था तो फिर मैं चल पड़ा वन्देव के मेले मे अब सुबह सुबह ही थी तो इतनी भीड़ भी नही थी पर मंदिर के कपाट खुले हुवे थे मैं मंदिर के अंदर गया और पुजारी को अपना परिचय दिया और अपने आने का उद्देश्य बताया तो वो कुछ सकुचाते हुए से बोले कि ठाकुर साहब नाहरगढ़ के लोग अब इस परंपरा को निभा रहे है
मैने कहा पर हक़ तो मेरा है ना तो फिर वो कुछ नही बोले मैने कहा आप बलि की तैयारी करवाईए अब पुजारी की कहाँ इतनी हिम्मत कि वो मुझे मना कर सके तो आख़िर मंदिर मे तूत्नि बज ही गयी ये संकेत था कि देवता के लिए बलि की तैयारिया शुरू हो गयी है आस पास के सारे इलाक़े मे इसी बात को लेकर बड़ा ही कौतूहल था तो धीरे धीरे पूरा प्रांगण ही भीड़ से भरता चला गया
ये बात मुझे भी महसूस हुई कि मेले मे लोगो का ध्यान ना होकर बस इसी बात मे था कि बलि कॉन चढ़ाएगा लक्ष्मी मेरे पास आई और बोली कि देव ना जाने क्यो मेरा मन बड़ा ही घबरा रहा है कल रात से मैने कहा तुम ऐसे ही टेन्षन ले रही हो सब ठीक ही होगा मैं और लक्ष्मी बाते कर ही रहे थे कि तभी एक सेव्ड सफ़ारी गाड़ी मंदिर की सीढ़ियो पर आकर रुकी
और एक मेरी ही उमर का नोजवान बड़े ही गुस्से मे उतरा और चीखते हुए बोला कि कॉन है देव ठाकुर जो यहाँ आया है अपना शीश दान करने मैने लक्ष्मी को पीछे किया और तेज तेज कदमो से सीढ़िया उतरने लगा और उसके सामने जाकर खड़ा हो गया मैने कहा मैं ही हूँ देव, और तू जो भी है तमीज़ से ठाकुर साहब बोल तो उसने अपनी बंदूक मेरे सीने से सटा दी और बोला तू मुझे तमीज़ सिखाएगा जानता भी है कि मैं कॉन हू
मैने शांत स्वर मे कहा बंदूक को हटा ले अगर तुझे चलानी होती तो आते ही सीधा फाइयर कर देता और वैसे भी ये देख कि तेरे सामने कॉन खड़ा है तो वो झुंझलाते हुवे बोला कि म मैं नाहरगढ़ का युवराज हू मैने कहा अच्छा तो तू है अफ़ीम की खेती वाला मेरा फार्महाउस तो चुपचाप वापिस कर गया था जा आज देवता का दिन है चला जा कहीं ऐसा ना हो कि देव के हाथो कुछ ग़लत हो जाए
तभी वो हंसता हुवा बोला तकदीर वाला हूँ जो कि अर्जुनगढ़ के आख़िरी ठाकुर का खून बहाने का सोभाग्य मुझेही मिलेगा आज तू देखना ये आसमान भी रुदन करेगा और मरने से पहले तू ज़रूर ये महसूस करेगा की कैसे मेरे खानदान ने तेरे घरवालो को तडपा तडपा कर के मारा था आज फिर से इतिहास दोहरा या जाएगा वो चीखते हुवे बोला कि गाँव वालो
आज अर्जुन गढ़ का आख़िरी ठाकुर भी हलाल हो जाएगा क्या किसी ने इसे नही बताया था कि कैसे इसके चाचा का सर काट कर हम ने दरवाजे पर टांक दिया था मैं ही बचा हुआ था पर आज इसको मारकर मैं भी अपना पराक्रम साबित कर दूँगा उसकी बाते सुनकर मेरे जिस्म का अंग अंग गुस्से से फड़कने लगा था , क्रोध की ज्वाला से मैं जलने लगा था
मैने एक मुक्का उसके मूह पर दे मारा तो वो पीछे की ओर फीक गया और ठीक उसी पल मैं उसकी छाती पर सवार हो गया और उसके चेहरे पर मुक्को की बरसात कर दी मेरी आँखो मे जैसे खून सा उतर आया था पर उस टाइम वो झड़प कुछ ही देर मे ख़तम हो गयी क्योंकि थानेदार साहब ने हम को अलग कर दिया पोलीस हमारे बीच आ गयी थी मैने कहा कसम है महादेव जी की बलि तो मैं ही चढ़ाउंगा और कोई रोक सके तो रोक ले ये ठाकुर देव की ज़बान है अगर नाहरगढ़ मे किसी माँ ने कोई सूरमा पैदा किया है तो आए देव की तलवार आज बरसो की प्यास को बुझाएगी क्रोध से मेरा अंग अंग कांप रहा था थानेदार मुझे समझाते हुए बोला ठाकुर साहब मेरी विनती है आप बात को ना बढ़ाइए इतनी फोर्स भी नही है और फिर लड़ाई का काला माथा आप जाने दीजिए ,मैने कहा ना जी ना अब तो जो होगा वो होकर ही रहेगा ये साला इतिहास को दोहराएगा ये हवेली की शान मे गुस्ताख़ी करेगा मुझे पता ही नही था कि गुस्से मे मैं क्या क्या बोल रहा था
तभी कुछ और गाडिया आकर रुकी तो मेरा ध्यान उधर ही चला गया तो मैने देखा कि गाड़ी से एक पुरुष और महिला उतरी तो लक्ष्मी मेरे पास दौड़ते हुए आई और बोली देव तुम्हारे मामा और मामी जी है बेशक दुश्मन है पर तुम पहली बार मिल रहे हो तो थोड़ा जज्बातो पर काबू रखना
मामा मामी के चेहरे तेज से चमक रहे थे वो सीढ़िया चढ़ते हुए मेरी ही ओर आ रहे थे थानेदार ने उनको सलाम ठोका और बोला वो ठाकुर साहब वो वो ………… ………….. …….. तो उन्होने अपना हाथ उठा कर उसे चुप करवा दिया और सीधा मुझसे मुखातिब होते हुए बोले देव…….. आँखे ही तरस गयी थी तुम्हारी एक झलक देखने को और उन्होने अपना हाथ मेरे सर पे रख दिया तो मैने लक्ष्मी की तरफ देखा उसने मुझे शांत रहने को इशारा किया मामा बोले देव बिल्कुल ही अपने पिता की तरह दिखते हो बस आँखे तुम्हारी माँ जैसी है, पता तो लग गया था कि तुम आ गये हो, कब से इच्छा थी कि तुम्हे देखें पर आ ही नही सके पर मैं शांत खड़ा रहा तभी पुजारी ने आकर कहा कि बलि का समय हो गया है
मैने कहा चलिए पुजारी जी, और मैं दो कदम ही बढ़ा था कि पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर रोक लिया , मैं मुड़ा तो मामा जी ने कहा कि रूको देव बलि चढ़ाने का हक़ तुम्हारा नही है बल्कि तुम्हारे भाई का है और अपने बेटे को बुला लिया मैने उनका हाथ अपने कंधे से हटाया और उनकी आँखो मे देखते हुवे बोला कि मामा जी बलि तो मैं ही चढ़ाउंगा बाकी आप जाने
मामा बोले बच्चे ज़िद नही करते जाओ लौट जाओ मैने कहा देव को बात दोहराने की आदत नही है बलि तो आज ठाकुर वीरभान का बेटा ही चढ़ाएगा किसी मे दम है तो रोक ले तो उन्होने कहा तो फिर ठीक है आज फ़ैसला हो ही जाएगा दोनो घरानो के युवराज इधर ही है तो फिर हो ही जाए मुक़ाबला ज़रा हम भी तो देखे की हवेली के अंतिम चिराग मे कितनी लौ बाकी है
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