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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
धन्नो- “आपने दरवाजा क्यों बंद कर दिया?" अंदर दाखिल होते ही रवी ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया जिसे देखकर धन्नो ने परेशान होते हुए कहा।
रवि- “छोरी कुछ देर तक तो हमसे अकेले में बातें कर लो, या वो भी अपनी माँ के सामने करोगी...” रवी ने धन्नो की बात सुनकर चिढ़ते हुए कहा।
धन्नो- “नहीं हमारा वो मतलब नहीं था...” रवी की बात सुनकर धन्नो ने मुश्कुराते हुए कहा।
रवि- “वाह छोरी तेरी मुश्कान पर हमारी जान कुर्बान...” रवी ने दरवाजा बंद करने के बाद धन्नो के करीब आते
हुए कहा।
धन्नो- “नहीं जी आपकी जान पर हम कुर्बान...” धन्नो ने रवी के होंठों पर अपना हाथ रखते हुए कहा।।
रवि- “क्या छोरी हमसे इतना प्यार करती हो?” रवी ने धन्नो के हाथ को चूमते हुए कहा।
धन्नो रवी की बात सुनकर शर्मा गई और अपने हाथ को रवी के होंठों से अलग करने लगी। रवी ने धन्नो के हाथ को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे चूमते हुए धन्नो को अपने पास खींचते हुए अपने गले से लगा दिया।
धन्नो- “आप यह क्या कर रहे हो कोई आ जाएगा...” धन्नों ने रवी की बाहों में जाते ही छटपटाते हुए कहा।
रवि- “अरे छोरी दरवाजा तो अंदर से बंद है, कौन आएगा? कुछ देर हमें अपनी बाहों में रहने दो ना?” रवी ने धन्नो के नरम जिम और उसकी चूचियों को अपने सीने में दबने का मजा लेते हुए कहा।
धन्नो- “अगर किसी ने दरवाजा खटकाया तो वो क्या सोचेगा?” धन्नो ने फिर से अपनी चिंता जताते हुए कहा।
रवि- “छोरी अब तो तुम हमारी होने वाली धरम पत्नी हो। क्या हम अपनी पत्नी के साथ कुछ देर अकेले में नहीं रह सकते?" रवी ने धन्नो की बात सुनकर उसे समझाते हुए कहा।
धन्नो- “मगर आप......” धन्नो फिर से कुछ कहने वाली ही थी।
तभी रवी ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया, धन्नो का सारा जिश्म रवी के होंठों को अपने होंठों पर महसूस करके सिहर उठा। रवी धन्नो के दोनों होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। धन्नो कुछ देर तक रवी से छूटने की कोशिश करती रही मगर रवी के मजबूत बाहों से वो छूट ना सकी और आखीरकार हार मानते हुए उसने अपने आपको ढीला छोड़ते हुए रवी के चुम्बन का मजा लेने लगी। रवी ने धन्नो को ढीला देखकर उसके मुँह को खोलते हुए अपनी जीभ को धन्नो मुँह में डाल दिया।
धन्नो रवी की जीभ को अपने मुँह में घुसते ही गरम होते हुए उसकी जीभ को पकड़ते हुए अपने होंठों से चूसने लगी। रवी ने कुछ देर तक अपनी जीभ को धन्नो के मुँह में रखने के बाद, अपनी जीभ उसके मुँह से निकालते । हुए धन्नो की जीभ को खींचते हुए अपने मुँह में भर लिया और उसकी मीठी जीभ को बहुत जोर से चूसने लगा।
धन्नो रवी की हरकतों से बहुत गरम हो चुकी थी। उसकी चूत ने पानी टपकाना शुरू कर दिया था। इधर रवी का लण्ड भी उसकी पैंट में तनकर झटके मारने लगा था। रवी ने अचानक धन्नो की जीभ को चाटते हुए अपना एक हाथ धन्नो के आगे करते हुए उसकी एक चूची पर रख दिया और धन्नो की नरम चूची को साड़ी के ऊपर से
सहलाने लगा। धन्नो रवी के हाथों को अपनी चूची पर महसूस करके काँप उठी और झटके से रवी से अलग होते हुए दूर खड़ी हो गई।
रवि- “क्या हुआ छोरी?” रवी ने अचानक धन्नो को अपने आपसे अलग होने से चौंकते हुए कहा।
धन्नो- “जी हमें अब बाहर चलना चाहिये..." धन्नो ने अपनी साड़ी को ठीक करते हुए कहा।
रवि- “क्या छोरी इतनी जल्दी? चलो ठीक है कब तक हमसे भागोगी? वैसे भी अब शादी में ज्यादा समय नहीं है.” रवी यह कहता हुआ धन्नो के साथ बाहर आ गया।
मनीष और करुणा भी कुछ देर बाद बाहर आ गये। सोनाली अचानक उठते हुए अपने कमरे में जाने लगी और बिंदिया को भी अपने साथ बुला लिया।
बिंदिया- “क्या हुआ मम्मी आप परेशान हो रही हो?” बिंदिया ने अंदर दाखिल होते हुये कहा।
सोनाली- “बेटी हमारे घर में कुल मिलाकर 5 कमरे हैं, जिनमें हम सभी रहते हैं। अब ठाकुर और उनके दोनों बेटों के लिए हमें दो कमरे खाली करने पड़ेंगे...” सोनाली ने अपनी चिंता अपनी बेटी को बताते हुए कहा।
बिंदिया- “माँ ऐसा करते हैं की धन्नो को मैं अपने साथ सुला लेती हैं, और आप करुणा को अपने साथ कमरे में बुला लो...” बिंदिया ने सोचते हुए कहा।
सोनाली- “हाँ बेटी यह ठीक है। तुम जाओ उन दोनों को मेरे पास भेज दो, ताकी मैं उन्हें समझा सकू...” सोनाली ने अपनी बेटी की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
बिंदिया ने बाहर आकर धन्नो और करुणा को अंदर अपनी माँ के पास भेज दिया।
करुणा- “क्या बात है माँ?" करुणा ने अंदर दाखिल होते ही सोनाली से पूछा।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
सोनाली ने करुणा और धन्नो को सब कुछ समझा दिया। वो दोनों ने अपनी मम्मी की बात सुनकर अपने कमरों में जाकर अपना जरूरी सामान उठाकर बिंदिया और सोनाली के कमरे में रख दिया और बाहर आ गई।
सोनाली- “ठाकुर साहब आप लोग थक गये होंगे, चलिये हम आपको अपना कमरा दिखा दें...” सोनाली ने ठाकुर की तरफ देखते हुए कहा।
ठाकुर सोनाली की बात सुनकर उठ गया और सोनाली के साथ जाने लगा। बिंदिया ने ठाकुर का बैग उठाया और उसके साथ जाने लगी।
सोनाली- “ठाकुर साहब यह आपका कमरा है किसी भी चीज की जरूरत हो तो हमें बता दीजियेगा..." सोनाली ने ठाकुर के साथ कमरे में दाखिल होते हुए कहा।
ठाकुर- “ठीक है आपका शुक्रिया, मैं अभी नहाने जा रहा हूँ..” ठाकुर ने बेड पर बैठते हुए कहा।
सोनाली- “शुक्रिया किस बात का? यह तो हमारा फर्ज़ था...” सोनाली यह कहते हुए उसके कमरे से निकल गई, बिंदिया भी अपनी माँ के साथ बाहर आ गई।
ठाकुर उनके जाने के बाद दरवाजा अंदर से बंद करते हुए अपने कपड़े उतारते हुए बाथरूम में नहाने चला गया।
सोनाली- “बेटों तुम्हें एक ही कमरे में सोना होगा तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?” सोनाली ने बाहर आते ही मनीष
और रवी से कहा।
मनीष- “नहीं आँटी हम साथ में सो जाएंगे...” मनीष ने फौरन जवाब दिया।
सोनाली- “ठीक है तो आओ मैं तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा देती हूँ..” सोनाली ने उनसे कहा।
मनीष और रवी सोनाली की बात सुनकर उनके साथ जाने लगे।
सोनाली- “यह रहा तुम दोनों का कमरा..” सोनाली ने अंदर दाखिल होते हुए कहा।
मनीष- “आँटी यह तो करुणा का कमरा है...” मनीष ने अपना सामान अंदर रखते हुए कहा।
सोनाली- “उसका था, अब तुम दोनों का है। अब तुम फ्रेश हो जाओ, हम डिनर का इंतजाम करते हैं...”
सोनाली के जाने के बाद रवी पहले बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर बाहर आ गया। मनीष भी रवी के निकलने के बाद नहाने चला गया। सोनाली भी जल्दी से डिनर बनाने की तैयारी करने लगी। सोनाली खाना बनाते हुए अपनी दोनों बेटियों और धन्नो की मदद ले रही थी।
सोनाली- “बेटी तुम खाने को बाहर टेबल पर लगाओ, जब तक मैं ठाकुर और उसके दोनों बेटों को बुलाकर लाती हूँ..” सोनाली ने खाना बनाने के बाद अपनी बेटियों से कहा।
सोनाली किचेन से निकलते हुए सीधा ठाकुर के कमरे की तरफ जाने लगी। ठाकुर नहाने के बाद थकावट की वजह से सिर्फ अंडरवेर में ही बेड पर लेट गया था, और लेटे हुए शिल्पा के बारे में सोच रहा था। सोनाली ने ठाकुर के कमरे का दरवाजा खटकाया तो ठाकुर हड़बड़ाकर उठ गया।
ठाकुर ने उठते हुए पूछा- “कौन है?”
सोनाली- “ठाकुर साहब मैं हूँ सोनाली..” सोनाली ने ठाकुर की कड़क आवाज सुनकर डरते हुए कहा।
ठाकुर ने दरवाजे की तरफ जाते हुए दरवाजा खोल दिया। ठाकुर जल्दी में यह भूल गया की वो अपने घर में नहीं है, और वो सिर्फ अंडरवेर में है। एक और बात शिल्पा के बारे में सोचते हुए उसका लण्ड भी उठा हुआ था।
सोनाली- “ठाकुर साहब खाना बन गया है आप भी बाहर आ जाओ...” सोनाली ने ठाकुर के नंगे गोरे गठीले बदन को घूरते हुए हैरानी से कहा। सोनाली की नजर ठाकुर को घूरते हुए उसके अंडरवेर पर अटक चुकी थी।
ठाकुर- “ठीक है। मैं अभी कपड़े पहनकर आता हूँ..” ठाकुर ने सोनाली से कहा और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया। ठाकुर को अपनी गलती का अहसास हो चुका था मगर अब क्या हो सकता था।
सोनाली के दिमाग में ठाकुर के जाने के बाद भी उसके अंडरवेर का उभार घूम रहा था। सोनाली वैसे ही गुमसुम वापस किचेन में आ गई।
करुणा ने अपनी माँ को देखते ही पूछा- “मम्मी हमने खाना लगा दिया है आपने सबको बता दिया?”
सोनाली ने होश में आते हुए कहा- “क्या बेटी?”
करुणा- “माँ आपने सबको बता दिया की खाना लग चुका है टेबल पर?” करुणा ने फिर से अपनी माँ को कहा।
सोनाली- “अरे बेटी तुम जाओ मनीष और रवी को बुला लाओ, मैं तो सिर्फ ठाकुर को बता आई...” सोनाली ने अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा।
करुणा- “माँ तुम भी हद करती हो। चलो मैं बुला देती हूँ। आप लोग टेबल पर जाकर बैठ जाओ..” करुणा ने अपनी माँ की बात सुनकर ठंडी आह भरते हुए कहा। करुणा जल्दी से जाते हुए मनीष और रवी के कमरे में जाकर उनका दरवाजा खटकाने लगी।
रवि- “कौन है?" अंदर से रवी की आवाज आई।
करुणा- “मैं करुणा हूँ रवी...” करुणा ने अपने माथे से पशीने को पोछते हुए कहा। करुणा का पूरा जिम खाना बनाने की वजह से पशीने से भीगा हुआ था।
मनीष करुणा की आवाज सुनकर दरवाजा खोलने चला आया। दरवाजा खोलकर कहा- “क्या बात है करुणा?”
करुणा- “मनीष तुम और रवी बाहर आ जाओ खाना बन चुका है.”
मनीष- “जान बहुत पशीना निकला है, लगता है खाना बहुत टेस्टी होगा..” मनीष ने करुणा के जिश्म की तरफ देखते हुए अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिराते हुए कहा।
करुणा- “मनीष तुम सुधरोगे नहीं, जल्दी से आ जाओ..” करुणा यह कहते हुए वहाँ से चली गई।
करुणा जैसे ही टेबल के पास पहुँची उसने देखा की ठाकुर भी टेबल पर बैठ चुके थे। वो भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गई। मनीष और रवी भी कुछ देर में उधर आ गये और सब मिलकर खाना खाने में मसरूफ हो गये। सब लोग खाना खाने के बाद कुछ देर तक बातें करने के बाद अपने-अपने कमरों में चले गये और सभी सोने की तैयारी करने लगे।
रवि- “मनीष यह छोरी तो करीब ही आने नहीं देती...” रवी ने लेटते हुए अपने भाई से कहा।
मनीष- “रवी कब तक भागेगी? अब तो शादी होने वाली है फिर तो तुम जी भरकर उससे प्यार कर लेना...”
रवि- “हाँ भाई वो तो ठीक है मगर अब तब तक का इंतजार भी नहीं होता..” रवी ने ठंडी आह भरते हुए कहा।
मनीष- “छोटे इतना बेसबरा भी मत बन, अब तो शादी की तारीख जल्द ही पक्की हो जाएगी...” मनीष ने रवी को समझाते हुए कहा।
दोनों भाई आपस में कुछ देर तक बातें करने के बाद नींद की आगोश में चले गये। सब लोग सो चुके थे सिर्फ सोनाली अपने कमरे में ठाकुर के लण्ड के बारे में सोचते हुए करवटें ले रही थी और खुद ठाकुर भी शिल्पा की याद में सो नहीं पा रहा था। उसका लण्ड बार-बार शिल्पा की याद में झटके खा रहा था।
सोनाली अचानक उठते हुए अपने कमरे से निकलकर किचेन में आ गई और वो इधर-उधर देखकर कुछ ढूँढ़ने लगी। अचानक उसकी नजर वहाँ पर पड़ी एक मूली पर गई और उसने मुश्कुराते हुए मूली को उठा लिया। वो मूली 9 इंच लंबी और 3 इंच तक मोटी थी।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
सोनाली ने अपने जिश्म पर पहनी हुई नाइटी को वहीं पर उतार दिया। सोनाली ने नाइटी के नीचे कुछ भी नहीं पहना था, वो बिल्कुल नंगी थी। वो मूली को अपने मुँह के पास लाते हुए ऐसे चूसने लगी जैसे किसी के लण्ड को चूस रही हो। वो ऐसा करते हुए अपने दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को भी सहला रही थी। सोनाली कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मूली को अपने मुँह से निकालते हुए आगे से अपनी चूत के दाने पर रगड़ने लगी। ऐसा करते हुए सोनाली के मुँह से सिसकियां निकल रही थीं।
ठाकुर ने अपने लण्ड को अंडरवेर से निकाला और शिल्पा को याद करके उसे बहुत जोर से हिलाने लगा। कुछ ही देर में ठाकुर का जिश्म अकड़ने लगा और वो बहुत जोर से सिसकते हुए झड़ने लगा। ठाकुर को झड़ने के बाद बहुत सुकून महसूस हो रहा था, उसका गला खुश्क हो चुका था। ठाकुर ने उठकर पानी की बोतल उठाई और। अपने मुँह से लगा दी। मगर यह क्या बोतल तो खाली थी। ठाकुर ने गुस्से से बोतल को बेड पर फेंक दिया, और बेड से उठते हुए अपने कमरे से निकलकर किचेन की तरफ जाने लगा।
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सोनाली और ठाकुर का मिलन
किचेन में रात के 10:00 बज रहे थे। तीन दिन गुजर चुके थे, मोहित ने चुदाई नहीं की थी। उसका लण्ड अब बेकाबू हो चुका था और वो अपने कमरे में अपने लण्ड को जोर से हिलाकर मूठ मार रहा था। मोहित को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे? उसकी चुदाई के दोनों रास्ते बंद हो चुके थे। उसने सोच लिया के गाँव जाकर वो अपनी माँ से इस बार अपनी शादी कराने के लिए बहुत ज्यादा जोर देगा।
मोहित आज दूसरी बार मूठ मार रहा था वो अपने लण्ड को बहुत जोर से हिला रहा था। मोहित अपने लण्ड से वीर्य निकालने के बाद शांत होकर सो गया।
सोनाली ने कुछ देर तक मूली को अपनी चूत के दाने पर घुमाने के बाद मूली को सीधा जमीन पर अपने हाथों से खड़ा करते हुए अपनी चूत को नीचे झुकाते हुए मूली पर घिसने लगी। सोनाली के मुँह से मूली पर अपनी चूत को घिसते हुए बहुत जोर की “आहहह..” निकल रही थी।
ठाकुर अपने कमरे से निकलकर किचेन में जाने लगा। ठाकुर जैसे ही किचेन के करीब पहुँचा, उसे सोनाली की सिसकियों की आवाज सुनाई दी। ठाकुर अपने ही खयालों में किचेन की तरफ बढ़ रहा था। उसने जैसे ही किचेन की तरफ देखा, तो उसे बिजली का एक झटका लगा और वो फौरन किचेन के सामने से हटते हुए साइड में हो। गया। किचेन का दरवाजा खुला हुआ था और सोनाली बिल्कुल नंगी किसी चीज पर अपनी चूत को रगड़ रही थी। ठाकुर बस इतना ही देख पाया।
सोनाली की चूत से बहुत ज्यादा पानी निकल चुका था, जिससे मूली ऊपर से बिल्कुल गीली हो चुकी थी। सोनाली ने मूली को अपनी चूत के छेद पर सही तरीके से फिट करते हुए अपना वजन उसपर डालने लगीसोनाली के मुँह से बस “आहह्ह..” निकली, और मूली उसकी चूत में 4 इंच तक अंदर घुस गई।
ठाकुर सोनाली की इतनी बड़ी सिसकी सुनकर खुद को रोक नहीं पाया और किचेन के दरवाजे की एक साइड होकर चुपके से अंदर देखने लगा। अंदर देखते ही ठाकुर का दिमाग घूमने लगा, उसका लण्ड उसके अंडरवेर में फिर से उठकर उछाल कूद मचाने लगा। ठाकुर अब बड़े गौर से किचेन में देखने लगा।
सोनाली का गोरा जिश्म और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बल्ब की रोशनी में साफ नजर आ रही थीं। सोनाली अपनी चूत को उस मूली पर ऊपर-नीचे कर रही थी, और उसके मुँह से बहुत कामुक सिसकियां निकल रही थी।
ठाकुर की हालत बिगड़ती जा रही थी। उसका लण्ड अब उसके अंडरवेर में झटके मार रहा था। ठाकुर ने अपने हाथ से अपने लण्ड को अंडरवेर के ऊपर से पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा।
सोनाली अब मूली को अपनी चूत में अंदर-बाहर करते हुए बहुत जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी, जिस वजह से मूली सोनाली की चूत में और ज्यादा अंदर तक जा रही थी और वो मजे के मारे जोर से सिसक रही थी। सोनाली झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी इसलिए अब वो अपने वजन को बहुत जोर से मूली पर डाल रही थी, जिस वजह से अब मूली जड़ तक सोनाली की चूत में घुसकर फिर बाहर हो रही थी।
ठाकुर की हालत भी बिगड़ती जा रही थी। अब उसने अपने अंडरवेर को नीचे सरका दिया और बगैर किसी डर के किचेन के सामने आकर सोनाली को देखते हुये अपने लण्ड को सहलाने लगा।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
सोनाली ने अपनी दोनों टाँगों को आपस में से अलग करते हुए ठाकुर को उनके बीच अडज़स्ट कर लिया। ठाकुर का लण्ड अब बिल्कुल सोनाली की चूत के बीच में जोर से टक्कर मारने लगा, और ठाकुर भी सोनाली की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़कर जोर से दबाते हुए उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया।
सोनाली- “ओहह... ठाकुर आराम से करो दर्द होता है...”
ठाकुर ने सोनाली की एक चूची को अपने मुँह में लेते हुए उसकी दूसरी चूची को बहुत जोर से दबा दिया जिस वजह से सोनाली ने दर्द के मारे जोर से सिसकार कहा। ठाकुर अब सोनाली की दोनों चूचियों को बारी-बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। सोनाली की हालत बिगड़ती जा रही थी, उत्तेजना के मारे उसकी चूत से जाने कितना पानी निकल चुका था, और अब वो अपने हाथों को ठाकुर की गाण्ड में डालकर उसे अपनी चूत की तरफ धकेलने लगी। ऐसा करते वक़्त वो अपने चूतड़ों को जोर से ठाकुर के लण्ड की तरफ उछाल रही थी।
ठाकुर समझ गया की सोनाली उसका लण्ड अपनी चूत में लेना चाहती है, इसलिए वो भी अपने लण्ड से सोनाली की चूत पर धक्के मारने लगा।
मगर धक्के मारने से उसका लण्ड सोनाली की चूत में घुसने की बजाए इधर-उधर फिसल जाता। सोनाली ने अपना हाथ आगे करते हुए ठाकुर के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पर सही जगह पर रख दिया। ठाकुर ने। सोनाली का हाथ हटते ही एक जोर का झटका मारा और ठाकुर का लण्ड सोनाली की गरम चूत में आधे से ज्यादा अंदर घुस गया।
सोनाली अपनी चूत में ठाकुर का तगड़ा लण्ड एक ही झटके में आधा घुसने से मजे के मारे जोर से “आह्ह्ह...” करके सिसक पड़ी।
ठाकुर ने सोनाली की चूत में अपना लण्ड तीन-चार तेज धक्के मारते हुए पूरा अंदर घुसा दिया।
...” करके जोर से सिसकते हुए
सोनाली अपनी चूत में ठाकुर का पूरा लण्ड घुसते ही मजे के मारे “ओहह... इस्स्स्स अपने चूतड़ों को बहुत जोर से ठाकुर के लण्ड पर दबाने लगी।
ठाकुर अब सोनाली की चूचियों को जोर-जोर से चूसते हुए उसकी चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। सोनाली तो मजे के मारे जन्नत का सैर कर रही थी। सोनाली ने अपनी दोनों टाँगों को ठाकुर की कमर में डालते हुए अपने चूतड़ों को बहुत जोर से उसके लण्ड पर उछालने लगी। ठाकुर सोनाली को आधे घंटे तक अलग-अलग तरीके से चोदने के बाद हाँफते हुए उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा।
सोनाली- “आह्ह... ठाकुर आह्ह्ह... मैं भी आई...” और सोनाली ठाकुर के लण्ड से निकलते हुए गरम वीर्य को अपनी चूत में गिरता हुआ महसूस करके तीसरी बार झड़ने लगी।
ठाकुर कुछ देर तक सोनाली की चूत में झड़ने के बाद हाँफता हुआ उसके ऊपर ढेर हो गया। सोनाली भी कुछ देर तक यूँ ही लेटे रहने के बाद ठाकुर को अपने ऊपर से उठाते हुए बाथरूम जाने लगी। ठाकुर भी उठते हुए सोनाली के पीछे बाथरूम में घुस गया।
सोनाली- “क्या हुआ ठाकुर हमें बहुत जोर से पेशाब लगी है...” सोनाली ने ठाकुर को बाथरूम में देखकर हैरान होते हुए कहा।
ठाकुर- “हमें पता है। मगर पहले हमारे लण्ड को साफ करो...” ठाकुर ने अपने वीर्य से सने हुए लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सोनाली समझ गई की उसे क्या करना है। इसलिए वो घुटनों के बल वहाँ पर बैठते हुए ठाकुर के ढीले लण्ड को अपनी जीभ निकालकर साफ करने लगी। सोनाली ने कुछ देर में ही ठाकुर के पूरे लण्ड को साफ कर दिया, और उठने लगी। मगर ठाकुर ने सोनाली के बालों में हाथ डालते हुए उसे उठने नहीं दिया। सोनाली हैरानी से ठाकुर की तरफ देखने लगी। तभी ठाकुर के लण्ड से पेशाब निकलने लगी जो सीधा सोनाली के मुँह पर गिरते हुए उसके पूरे जिश्म को गंदा करने लगी।
सोनाली को पहले तो बहुत गंदा महसूस हुआ, पर अचानक उसे जाने क्या हुआ की वो अपना मुँह खोलकर ठाकुर के लण्ड से निकलता हुआ पेशाब पीने लगी। थोड़ी ही देर में ठाकुर के लण्ड से पेशाब निकलना बंद हो गई।
सोनाली ने पेशाब खतम होने के बाद ठाकुर के लण्ड को एक बार अपने मुँह में लेकर जोर से चूसते हुए साफ कर दिया। सोनाली ने ठाकुर के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए उसे वहाँ पर सीधा लेटने के लिए कहा। ठाकुर सोनाली के कहने पर वहाँ सीधा लेट गया। सोनाली ने अपनी दोनों टाँगें फैलाते हुए अपनी चूत को ठाकुर के मुँह पर रख दिया।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
ठाकुर ने भी अपनी जीभ निकालकर सोनाली की चूत से निकलते हुए अपने और उसके पानी को चाटने लगा। सोनाली ने कुछ देर तक अपनी चूत को चुसवाने के बाद ठाकुर के मुँह पर ही मूतना शुरू कर दिया। सोनाली के मूतने से उसकी चूत से एक मधुर आवाज निकल रही थी। ठाकुर का पूरा मुँह सोनाली की पेशाब से गंदा हो चुका था और ठाकुर भी अपना मुँह खोलकर सोनाली की चूत से निकलती हुई पेशाब को चाट रहा था। सोनाली ने अब ठाकुर के ऊपर से उठते हुए शावर ओन कर दिया और खुद उसके नीचे नहाने लगी। ठाकुर भी उठते हुए सोनाली के साथ शावर लेने लगा।
ठाकुर ने बाथरूम में ही एक बार और सोनाली की चुदाई की और फिर नहाकार अपने बेड पर जाकर लेट गया। सोनाली भी दो बार की चुदाई से बहुत थक चुकी थी, वो भी ठाकुर के कमरे से निकलकर किचेन से कपड़े पहनकर अपने कमरे में जाकर लेट गई।
सोनाली की आँखें अलार्म की घंटी बजने से खुल गई, और वो जल्दी से उठते हुए बाथरूम में घुस गई। सोनाली ने नहाने के बाद अपने साथ लेटी हुई करुणा को उठा दिया और खुद धन्नो और बिंदिया को उठाने उसके कमरे में चली गई। सोनाली खुद किचेन में जाकर ठाकुर और उसके बेटों के लिए नाश्ते का इंतजाम करने लगी। सोनाली की दोनों बेटियां और धन्नो कुछ देर में फ्रेश होकर किचेन में आ गई और सोनाली को नाश्ता बनाने में उसकी मदद करने लगी।
सोनाली- “बेटी तुम यहाँ का खयाल रखो, मैं ठाकुर और उनके बेटों को उठाकर आती हूँ..” सोनाली यह कहते हुए किचेन से निकालकर सीधा ठाकुर के कमरे में जाने लगी।
सोनाली ने जैसे ही ठाकुर के कमरे के दरवाजे को हाथ लगाया वो खुल गया। शायद रात को चुदाई के बाद ठाकुर ने दरवाजा बंद नहीं किया था, और वो वैसे ही सो गया था। सोनाली अंदर दाखिल होते ही बेड के पास पहुँच गई और ठाकुर को देखने लगी। ठाकुर चादर ओढ़कर लेटा हुआ था। सोनाली ने ठाकुर के ऊपर ओढ़ी हुई चादर को। हाट दिया। ठाकुर ने कपड़े नहीं पहने हुए थे, चादर के हटते ही उसका तंबू की तरह सीधा खड़ा लण्ड सोनाली की आँखों के सामने आ गया।
सोनाली ने बगैर चादर को ठाकुर के ऊपर रखे उसे उठाते हुए कहा- “ठाकुर साहब उठिये सुबह हो गई है...”
ठाकुर सोनाली की आवाज सुनकर हड़बड़ाकर अपनी आँखें मलते हुए उठने लगा। ठाकुर ने जैसे ही अपनी आँखें खोली उसे अपने सामने सोनाली नजर आई। ठाकुर ने बगैर कुछ कहे ही सोनाली को बाजू से पकड़ते हुए नीचे झुका दिया और उसके होंठों को चूमने लगा।
सोनाली- “ठाकुर साहब छोड़िये सुबह हो गई है। कोई आ गया तो मुशीबत हो जायेगी..” सोनाली ने ठाकुर के होंठों से अपने मुँह को दूर करते हुए कहा।
ठाकुर- “सोनाली इतनी सुबह कौन आएगा? जरा इसे तो देखो कैसे तुम्हें देखकर खुशी से नाच रहा है...” ठाकुर ने यह कहकर फिर से सोनाली को बाजू से पकड़ते हुए अपने होंठों को उसके गुलाबी होंठों पर रख दिया।
सोनाली के बाल खुले हुए थे। उसने इस बार ठाकुर के होंठों से अपने होंठों को हटाकर अपने खुले हुए बालों को उसके चहरे पर जोर से मारते हुए उठकर दूर खड़ी हो गई- “ठाकुर साहब उठकर नहा लीजिए नाश्ता बाहर है... यहाँ कुछ नहीं मिलेगा..” सोनाली ने मुश्कुराते हुए कहा और ठाकुर के कमरे से निकल गई।
ठाकुर का लण्ड बहुत जोर से झटके खा रहा था। ठाकुर बेड से उठकर सीधा बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होने लगा।
सोनाली- “बेटों उठो, सुबह हो गई है नाश्ता तैयार होने वाला है। तैयार होकर बाहर आ जाओ..” सोनाली ठाकुर के कमरे से निकलकर अपने दोनों दामदों के कमरे के बाहर खड़ी होकर उनके दरवाजे को खटकाते हुए कहने लगी।
मनीष- “मम्मी ठीक है। मैं अभी रवी को उठाकर फ्रेश हो जाता हूँ..” मनीष आवाज सुनकर आँखें मलता हुआ उठ गया और अपनी होने वाली सास को जवाब देते हुए कहा।।
सोनाली- “ठीक है बेटा...” सोनाली यह कहते हुए वापस किचेन में आ गई।
सोनाली ने कुछ ही देर में नाश्ता बना लिया और अपनी बेटियों की मदद से वो टेबल पर लगाने लगी। ठाकुर । और उसके बेटे भी तैयार होकर वहाँ पर आ चुके थे। सोनाली नाश्ता पूरी तरह टेबल पर लगाने के बाद खुद भी अपनी बेटियों के साथ वहीं पर बैठकर उन सबके साथ नाश्ता करने लगी।
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08-05-2019, 01:17 PM,
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
ठाकुर- “सोनाली जी हमें अपनी बेटियों की कुण्डलियां दे दें, ताकी हम उन्हें पंडित को दिखाकर जल्द से जल्द इनकी शादी कर सकें..." ठाकुर ने नाश्ता करने के बाद कहा।
सोनाली- “ठाकुर साहब, कुण्डलियां तो हम दे ही देंगे मगर आप इतनी जल्दी वापस जा रहे हैं? कुछ दिन तो। ठहरते...” सोनाली ने ठाकुर से बात करते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी चूचियों से हटाकर फिर से उनके ऊपर रखते हुए कहा।
ठाकुर- “सोनाली आप तो जानती हैं की हमारे पीछे हामारा सारा कारोबार और जमीनें देखने वाला कोई नहीं है। इसलिए हमें आज ही जान होगा...” ठाकुर ने सोनाली की चूचियों को देखते हुए अपनी मजबूरी बताते हुए कहा।
सोनाली- “जैसा आप ठीक समझें ठाकुर साहब। हम मोहित से कहकर आपके जाने की टिकटें बुक करा देते हैं...” ठाकुर की बात सुनकर मायूस होते सोनाली ने हुए कहा।
ठाकुर- “मोहित बेटे, कोशिश करना की दोपहर की ही टिकटें हों...” ठाकुर ने मोहित की तरफ देखते हुए कहा।।
मोहित- “जी ठाकुर साहब मैं पूरी कोशिश करूंगा” मोहित ने ठाकुर की बात सुनकर जल्दी से कहा।
मोहित- “आँटी मैं भी ठाकुर के साथ चला जाऊँ? वैसे भी छुट्टी है तो मैं यहाँ रहकर क्या करूंगा?” मोहित ने सोनाली की तरफ देखते हुए कहा।
सोनाली- “मोहित जैसे तुम्हें अच्छा लगे..” सोनाली ने मोहित को जवाब देते हुए कहा।
मोहित- “आँटी मैं अभी टिकटों का इंतजाम करके आता हूँ.” मोहित ने खुश होकर उठते हुए कहा।
सोनाली- “ठाकुर साहब, आप अपने कमरे में आराम करें। मैं कुण्डलियां लेकर आती हूँ..” सोनाली ने मोहित के जाने के बाद कुर्सी से उठते हुए कहा।
ठाकुर- “ठीक है मैं कमरे में जाता हूँ..” ठाकुर ने भी कुर्सी से उठते हुए कहा।
सोनाली और ठाकुर के जाने के बाद सभी लड़कियां मनीष और रवी से उनके कमरे में जाकर बातें करने लगी।
बिंदिया ने रवी को सिर्फ धन्नो की तरफ घूरता हुए देखकर टोकते हुए कहा- “जीजाजी धन्नो तो अब सारी जिंदगी आपके साथ रहने वाली है, जरा अपनी साली पर भी नजर डालिए..”
रवि- “साली साहिबा आप कोई चिंता मत करो हम जानते हैं की साली भी आधी घर वाली होती है इसलिए हम आपका भी खास खयाल रखेंगे..” बिंदिया की बात सुनकर रवी ने झट से उसकी तरफ देखते हुए जवाब दिया।
रवी की बात सुनकर सभी हँसने लगे। बिंदिया को अपनी बात अपने गले में पड़ गई और वो भी शर्म से सबके
साथ हँसने लगी।
करुणा- “जीजाजी एक बात है, जब धन्नो दीदी आपको छोड़ेगी तभी तो आप हमें टाइम देंगे। मगर हमें तो। लगता है की धन्नो आपको हमसे बात करने का टाइम भी नहीं देगी...” करुणा ने अचानक रवी को देखते हुए कहा और सभी फिर से हँसने लगे।
सोनाली, धन्नो और करुणा की कुण्डलियां लेकर ठाकुर के कमरे में जाने लगी। सोनाली जैसे ही दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हुई, ठाकुर ने जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद करते हुए सोनाली को अपनी बाहों में उठा लिया। यह सब इतनी जल्दी हुआ की सोनाली को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला।
सोनाली- “ठाकुर साहब आप क्या कर रहे हो, आप पागल तो नहीं हो गये?" सोनाली ने ठाकुर की बाहों में ही हैरानी से कहा।।
ठाकुर- “हाँ जानेमन तुमने तो हमें पागल ही बना डाला है.." ठाकुर ने सोनाली को बेड पर लेटाते हुए कहा।
सोनाली- “ठाकुर साहब इस वक़्त यह सब ठीक नहीं कोई आ गया तो?” सोनाली ने बेड से उठते हुए कहा।
ठाकुर- “कोई नहीं आएगा जानेमन, बस हम जल्दी से कर लेते हैं..” यह कहते हुए ठाकुर सोनाली की साड़ी को पकड़कर उतारने लगा।
सोनाली भी जानती थी ठाकुर ऐसे नहीं मानेंगे, और वो खुद भी यह सब चाहती थी। मगर यह सब उन्हें जल्दी करना था। ठाकुर ने सोनाली की साड़ी उतारने के बाद अपनी पैंट को उतारकर अपने अंडरवेर को भी उतार दिया, सोनाली ने तब तक अपने पेटीकोट और पैंटी को अपने जिम से अलग कर दिया। ठाकुर ने जैसे ही सोनाली की तरफ देखा तो उसका लण्ड सोनाली की चूत की झलक देखकर झटके खाने लगा। सोनाली की चूत भी ठाकुर के लण्ड को झटके खाता हुआ देखकर रस टपकाने लगी।
ठाकुर ने सोनाली को उल्टा लेटा दिया और सोनाली के गोरे-गोरे भारी चूतड़ों को देखकर उनपर अपना मुँह रखते हुए उन्हें अपने दाँतों से काटने और होंठों से चूसने लगे।
सोनाली- “ओईईए.. ठाकुर साहब इतना टाइम नहीं है जल्दी से जो करना है करो..” सोनाली ने ठाकुर के दाँतों को अपने नरम चूतड़ों पर पड़ने से चिल्लाते हुए कहा।।
ठाकुर ने जल्दी से सीधा होते हुए अपना लण्ड सोनाली की चूत में पीछे से घुसा दिया।
सोनाली- “आअहह्ह.. ठाकुर..." एक ही झटके में ठाकुर का पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसने से सोनाली के मुँह से। तेज सिसकी निकल गई, और वो अपने चूतड़ों को बहुत तेजी के साथ ठाकुर के लण्ड पर दबाते हुए पीछे धकेलने लगी।
ठाकुर ने सोनाली को उसके चूतड़ों से पकड़ते हुए बहुत तेजी के साथ उसकी चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा। ठाकुर इतनी तेजी और उत्तेजना में सोनाली को चोद रहा था की उसका वीर्य 10 मिनट में ही सोनाली की चूत में गिरने लगा और वो हाँफते हुए झड़ने लगा।
सोनाली- “आहह्ह... ठाकुर ओह्ह..” सोनाली भी ठाकुर के गरम वीर्य को अपनी चूत में गिरता हुआ महसूस करके दूसरी बार झड़ने लगी।
ठाकुर पूरी तरह झड़ने के बाद सोनाली से अलग होते हुए अपने कपड़े पहनने लगा। सोनाली ने भी ठाकुर के हटने के बाद अपनी चूत को वहाँ पर पड़े एक कपड़े से पोंछते हुए अपनी पैंटी और पेटीकोट को पहनते हुए अपने कपड़ों को ठीक कर लिया।
सोनाली- “ठाकुर यह रही कुण्डलियां। हम जाते हैं बाहर बहुत काम करना है...” सोनाली यह कहते हुए ठाकुर के कमरे से बाहर निकल गई।
सोनाली जैसे ही बाहर निकली उसे सामने से मोहित आता दिखाई दिया- “मोहित तुम आ गये?” सोनाली ने मोहित को देखते हुए कहा।
मोहित- “हाँ आँटी। दोपहर एक बजे की टिकटें हैं..” मोहित ने सोनाली की तरफ देखते हुए कहा।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
सोनाली- “मोहित जाओ जल्दी से तीनों लड़कियों को किचेन में भेज दो 10:00 तो बज ही गये हैं, अभी खाने का इंतजाम करना है...” सोनाली ने परेशान होते हुए कहा।
मोहित- “ठीक है आँटी मैं अभी भेजता हूँ..” मोहित ने मनीष और रवी के कमरे की तरफ जाते हुए कहा।
सोनाली और उसकी बेटियों ने मिलकर खाना तैयार कर दिया। ठाकुर और उसके बेटे खाना खाने के बाद सभी से इजाजत लेते हुए मोहित के साथ स्टेशन जाने लगे। सोनाली इतना ज्यादा काम करने की वजह से बहुत थक गई थी। वो अपने कमरे में जाकर फ्रेश होकर सो गई। ठाकुर अपने बेटों और मोहित के साथ एसी कंपार्टमेंट में आ गया और वो सब ट्रेन में बैठकर आराम से बातें करने लगे।
इधर सोनाली के सोने के बाद बिंदिया, करुणा, और धन्नो के साथ बातें करने लगी।
ऐसे ही टाइम ट्रेन में सफर करते हुए ठाकुर और सभी अपने स्टेशन पर उतरने लगे। ठाकुर को लेने के लिए उसकी कार आ गई थी, जिसमें बैठकर वो अपने घर पहुँच गये। ठाकुर ने अपने ड्राइवर से कहकर मोहित को उसके घर तक छोड़ने को कहा, और खुद अपने कमरे में जाकर नहाकर फ्रेश होने लगे। ठाकुर नहाने के बाद जैसे ही बाहर निकले, तो सामने शिल्पा चाय लेकर खड़ी थी। ठाकुर ने चाय का कप लेकर टेबल पर रखते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया।
शिल्पा- “ठाकुर जी इतना बेसबरा मत बनिये, मैं रात को जल्द ही आ जाऊँगी..” शिल्पा ने अपने आपको छुड़ाते हुए कहा।
ठाकुर भी जानता था की इस वक़्त यह सब ठीक नहीं होगा। इसलिए वो शिल्पा को छोड़कर चाय पीने लगा। ठाकुर के चाय पीने के बाद शिल्पा कप उठाकर बाहर चली गई। ठाकुर ने चाय पीने के बाद अपने आदमियों को भेजकर पंडित को बुलाने के लिए कहा और खुद अपने बेटों के साथ बैठकर गप्पें मारने लगा।
पंडितजी- “नमस्कार ठाकुर साहब..” कुछ देर बाद ही पंडित ने अंदर आकर ठाकुर को प्रणाम करते हुए कहा।
ठाकुर- “नमस्कार पंडितजी सब कुछ ठीक ठाक तो है?” ठाकुर ने पंडित के प्रणाम का जवाब देते हुए उसका हाल चाल लेते हुए कहा।
पंडितजी- “ठाकुर साहब आपके होते हुए हमें किस बात की चिंता हो सकती है?” पंडित ने वहाँ पर पड़ी एक कुर्सी पर बैठते हुए कहा।
ठाकुर- “पंडित जी यह रही हमारी दोनों बहुओं की कुंडलिया, हमें जल्दी से अपने बेटों की शादी के लिए कोई शुभ मुहूर्त बताइए..” ठाकुर ने कुंडलियों को पंडित की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
पंडितजी- “ठाकुर साहब मनीष की शादी में तो कोई रुकावट नहीं है, पर रवी की कुंडली धन्नो के साथ मेल नहीं खा रही है...” पंडित कुंडलियों को खोलकर कुछ देर तक गौर से देखने के बाद अपनी नजर वहाँ से हटाते हुए बोला।
ठाकुर- “क्यों क्या परेशानी है?” ठाकुर ने संजीदा होते हुए कहा।
पंडितजी- “ठाकुर साहब वैसे तो जीवन मृत्यु भगवान के हाथ में है। मगर रवी की कुंडली के हिसाब से अगर उसने उस लड़की से शादी की तो वो शादी की रात ही मर जाएगा...” पंडित ने अपनी बात बताते हुए कहा।
रवी ने अचानक बीच में बोलते हुए कहा- “क्या बक रहे हो पंडित? मैं इन अंधविश्वासों पर यकीन नहीं करता...”
पंडितजी- “बेटा मैं तो बस इन कुंडलियों के हिसाब से बता रहा हूँ, वैसे जीवन मृत्यु मेरे हाथ में नहीं है...” पंडित ने रवी को समझाते हुए कहा।
रवि- “बापू इनसे कहिए हामारा भी मनीष भैया के साथ शादी का कोई मुहूर्त निकालें..” रवी ने अपना मुँह बनाते हुए ठाकुर से कहा।
ठाकुर- “बेटे यह तुम्हारी जिंदगी का सवाल है...” ठाकुर ने कुछ देर तक संजीदा रहने के बाद कहा।
मनीष- “बाबूजी आप भी इस बकवास पर यकीन करते हैं?” अचानक मनीष ने बीच में बोलते हुए कहा।
ठाकुर- “बेटे शायद तुम सच कह रहे हो। पर मैं कोई रिस्क नहीं ले सकता..." ठाकुर ने मनीष की बात का जवाब देते हुए कहा।
रवि- “बापू जब हम खुद शादी के लिए तैयार हैं, तो आप क्यों परेशान होते हैं? और वैसे भी जीवन मृत्यु भगवान के हाथ में है, इस पंडित के साथ में नहीं...” रवी ने फिर से अपने बापू को समझाते हुए कहा।।
मनीष- “बापू रवी सच कह रहा है। आप बस शादी की तारीख पूछे इससे..” मनीष ने भी अपने भाई की बात सुनकर उसकी हिमायत करते हुए कहा।
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