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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
थोड़ी देर में जब मयूरी बाथरूम से वापिस आयी तो विक्रम भी पेशाब करने और अपने लंड को साफ़ करने बाथरूम गया और थोड़ी देर में नग्न ही वापिस भी आ गया.
मयूरी आते ही रजत के ऊपर चढ़कर बैठ गयी जो इस वक्त सोफे पर लेटकर मयूरी को अपनी ओर आते हुए देखकर आराम से अपने लंड को सहला रहा था. इतना ज्यादा थक जाने के बावजूद भी शायद वो इस वक्त आराम करने के मूड में नहीं थी. मयूरी रजत के सीने पर चढ़ी हुई थी और रजत ने अपने हाथ मयूरी के मस्त गोल-गोल बड़ी-बड़ी चूचियों को सहलाने और थोड़ी ही देर बाद उनको जोर-जोर से बड़ी ही बेदर्दी से मसलने में व्यस्त हो गया. रजत मयूरी के चूचियों से बहुत ही ज्यादा आकर्षित हो जाता था, शायद वो उनको बहुत ही ज्यादा पसंद थी, और उसका ये आकर्षण एकदम जायज था, मयूरी की जैसी चूचियाँ थी, उनकी तरफ किसी का भी तेज़ आकर्षण बहुत ही सामान्य था.
थोड़ी देर मयूरी की मस्त चूचियों से खेलने के बाद रजत ने मयूरी को सोफे पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया. अब वो मयूरी के ऊपर से उसकी चूचियों से खेल रहा था.
इतनी देर में विक्रम भी बाथरूम से आ गया और मयूरी की मस्त चूचियों से खेलने लगा. दोनों भाई अपनी बेहेन की चूचियों का साथ में मजा ले रहे थे और मयूरी अपने दोनों भाइयों को अपने से इतना प्यार करते हुए देखकर आनन्दित हुई जा रही थी.
थोड़ी देर ऐसे ही खेलने के बाद विक्रम ने रजत से कहा- छोटे … तो तू तैयार है अपनी बड़ी बेहेन को चोदने के लिए?
रजत- हाँ भैया… बिल्कुल…
विक्रम- तो मैं इसकी चूत को थोड़ा गीला कर देता हूँ, जिससे तुम दोनों को परेशानी काम और मजा ज्यादा आये.
और ऐसा बोलकर विक्रम ने मयूरी की चूत का रुख किया, वो उसकी चूत (जिसकी सील उसने थोड़ी देर पहले ही तोड़ी थी) को अपनी जीभ से चाटने लगा. उसके ऐसा करने से उसकी छोटी बेहेन की चूत दो कारणों से गीली होने लगी – एक तो उसके चूत के अंदर से थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा था और दूसरा विक्रम के मुँह से थूक निकलकर उसकी छोटी बेहेन की चूत गीली कर रहा था.
थोड़ी देर तक ऐसे ही करने के बाद जब बड़ा भाई आश्वस्त हो गया कि उसकी बेहेन की चूत एकदम गीली हो गयी है तो वो रजत का लंड अपने हाथ में लेकर बोला- मेरे भाई, अब तुम ये अपना लौड़ा अपनी बेहेन की इस खूबसूरत और गहरी मगर टाइट चूत में पेल सकते हो. ये एकदम तैयार है… मगर मेरे हिसाब से तुम्हें अपना लंड भी थोड़ा गीला कर लेना चाहिए.
रजत थोड़ी शैतानी से मुस्कुराते हुए- तो तुम कर दो गीला!
विक्रम आश्चर्य के साथ- मतलब?
रजत- अरे… जैसे तुमने दीदी की चूत को गीली किया, वैसे ही मेरा लंड अपने मुँह में लेकर इसको भी गीला कर दो…
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
तीनों जब इस घनघोर चुदाई के बाद थक गए तो एक साथ ही सोफे पर एक दूसरे पर गिर गए लेकिन थोड़ी ही देर में तीनों इस चुदाई के खेल के लिए फिर से तैयार हो गए.
एक और बार चुदाई के दौर से गुजरने के बाद तीनों भाई बहन नहाने के लिए बाथरूम में गए और एक साथ ही नहाने लगे. नहाते समय रजत विक्रम का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और तीनों फिर से नहाते-नहाते ही चुदाई करने लगे.
इस तरीके से अगले दो दिन में तीनों भाई बहिन के बीच चुदाई का सिलसिला चलता रहा. तीनों ने अपना कॉलेज और कोचिंग छोड़कर तब तक घर में रहने का निर्णय लेते हैं जब तक उनके माता-पिता वापिस नहीं आ गए और इस दौरान घर में बस चुदाई ही चुदाई चलती रही.
दो दिन बाद शीतल और अशोक वापिस आये. इसके बाद भी इन भाई बहन के बीच चुदाई बंद नहीं हुई. कारण था इन तीनों का घर में एक ही कमरा होना.
रात को तीनों को चुदाई करने का पूरा मौका मिलता और तीनों इस मौके को कभी जाने नहीं देते, बस दुःख यह था कि तीनों खुलकर उस दिन जैसा चुदाई नहीं कर पा रहे थे. उनके माता-पिता को भनक तक नहीं थी कि उनके बच्चे आपस में भी चुदाई कर रहे हैं.
एक रात को तीनों के इस ख़ामोशी भरे चुदाई के बाद बातचीत शुरू हुई.
रजत मायूसी से- ऐसे तो अब मजा ही नहीं आ रहा यार…
मयूरी- ऐसे कैसे?
रजत- अरे.. मतलब अपनी ही बहन को अपने ही घर में चोदो मगर खुल के अपने मुँह से आवाज़ तक नहीं निकाल सकते?
मयूरी- रजत, तुम अपनी बहन को अपने घर में चोद रहे हो, किसी रंडी को नहीं…
विक्रम- छोटे, जब तुम अपनी बीवी को चोदना ना, तो जोर-जोर से चोदना और खूब आवाज़ निकालना…
रजत- अच्छा?
विक्रम- हाँ और क्या…
रजत- भैया, तुम भी आ जाना मेरे कमरे में… फिर दोनों भाई जैसे दीदी को चोदते हैं एक साथ, वैसे ही मेरी बीवी को भी चोदेंगे.
विक्रम- आईडिया बुरा नहीं है.
मयूरी- पर ये तब हो पायेगा जब तुम्हारी बीवी इस बात के लिए मानेगी… और हर लड़की तुम्हारी अपनी बहन मयूरी नहीं है… की तुम दोनों का लंड एक साथ लेने को तैयार हो जाएगी.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
शीतल अपने कमरे में जहाँ वो अशोक के साथ सोती थी और रोज़ अलग-अलग अंदाज़ में चुदवाती थी, वहाँ का बिस्तर ठीक कर रही थी. मयूरी पीछे से जाकर अपने माँ को गले लगाती है जैसे बच्चे अपनी माँ में लाड़-प्यार से चिपक जाते हैं. पर आज मयूरी के मन में वैसा प्यार नहीं बल्कि हवस और वासना ने जगह ले रखी थी.
शीतल अब भी बिस्तर ठीक कर रही थी, मयूरी शीतल से पीछे से चिपकते हुए उसके गर्दन वाले भाग पर प्यार भरा चुम्बन देते हुए बोली बच्चों की तरह ठुमकते हुए- माँ…
शीतल- हाँ बेटा, उठ गया मेरा बच्चा?
मयूरी- हाँ माँ… पर…
शीतल- हाँ.. बोलो बेटा…
मयूरी- माँ… आज मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है.
शीतल चिंतित होते हुए- क्या हुआ बेटा… सब ठीक है ना?
मयूरी- हाँ माँ.. बस थोड़ा बदन दुःख रहा है.
शीतल- मालिश कर दूँ तेरे बदन की?
मयूरी- हाँ माँ… प्लीज कर दो… बहुत दुःख रहा है.
शीतल- ठीक है… तुम कपड़े उतारो और लेट जाओ… मैं तेल लेकर आती हूँ.
मयूरी खुशी से- ओके मेरी प्यारी माँ…
और शीतल रसोई की तरफ बढ़ गयी.
इतनी देर में मयूरी ने अपना टॉप और शॉर्ट्स निकाल दिया. फिर उसके मन में कुछ ख्याल आया और उसने अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी और पास में पड़ा एक तौलिया लपेट लिया.
उसको पता है कि तौलिये में उसका शरीर और भी मादक और कामुक लगता है. उसकी ये विशाल चूचियां और ये बड़े-बड़े चूतड़ आधे से भी ज्यादा बाहर दिख रहे होते हैं. उसकी गोरी गोरी मांसल जांघें जैसे चमक रही होती हैं और इन सब चीजों पर से इंसान तो क्या फ़रिश्तों की भी नज़र नहीं हट सकती.
इतनी देर में शीतल रसोई से एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर कमरे में दाखिल हुई. शीतल मयूरी को ऐसे देख अवाक्-सी रह गयी. ऐसा नहीं है की उसने मयूरी को पहले कभी नंगी नहीं देखा था पर अभी पता नहीं क्यूँ वो बहुत ही कामुक लग रही थी और शीतल को इतनी हसीं लड़की को देखकर अपने शरीर में एक अलग तरह का गनगनाहट महसूस हुई, उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया.
मयूरी, उसकी अपनी बेटी आज उसको कुछ अलग ही तरह की खूबसूरत लग रही थी. वो उसके शरीर में कुछ नयी भावनाओं और तरंगों को जागते हुए महसूस कर पा रही थी.
इतनी देर एकटक देखने के बाद मयूरी ने अपने सवाल से शीतल की तन्द्रा तोड़ी- माँ… मैं लेट जाऊँ?
शीतल जैसे नींद से जागते हुए- ह.. हाँ… तुम लेट जाओ…
मयूरी अपनी माँ के इस व्यव्हार को अच्छे से नोटिस करती है और वो समझ गयी कि उसकी चाल एकदम सही दिशा में है.
पर वो बिना कुछ व्यक्त किये चुपचाप बिस्तर पर सीधा लेट गयी जिससे उसका चेहरा, चूचियां और चूत ऊपर की दिशा में हों और शीतल को दिखाई दें.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
शीतल मयूरी में आज पता नहीं क्यूँ … पर अपनी वो छोटी सी, प्यारी-सी बेटी नहीं देख पा रही थी, बल्कि वो एक खूसबूरत नायब औरत देख रही थी जो उसकी काम-इच्छाओं को जागृत कर रही थी. उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे और वो इन भावों को दिखाना नहीं चाहती थी इसलिए उसने मयूरी को कहा- तुम उल्टी लेट जाओ.. पहले तुम्हारे पीठ की मालिश कर दूँ.
मयूरी- ठीक है माँ!
और मयूरी उल्टी होकर लेट गयी.
पर अब बात और भी बिगड़ने वाली थी क्योंकि पीठ की मालिश करने के लिए तौलिये को उतारना जरूरी था. शीतल पता नहीं क्यूँ … पर आज थोड़ा घबरा रही थी मयूरी से ये कहने में कि अपना तौलिया उतार दे.
पर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने हकलाते हुए धीरे से कहा- अ… अपना ये… ये… तौलिया… उतार दे.
मयूरी उसके भावों के बदलाव को अच्छे से नोटिस कर रही थी पर कुछ बिना व्यक्त किये हुए उसने अपना तौलिया उतार कर बगल में रख दिया. अब शीतल के सामने मयूरी एकदम आदमजात नंगी लेटी हुई थी. शीतल मयूरी की इस नायब शरीर का निरीक्षण करने में लग गयी कि ईश्वर ने कितनी फुर्सत से बनाया होगा. मयूरी की पीठ का आकार बहुत की प्रभावशाली था और उसकी गांड तो बस… कमाल की थी.
अपने भावनाओं को काबू करने की कोशिश करते हुए शीतल अपने हाथ में थोड़ा से तेल लेकर मयूरी के पीठ पर लगाकर मालिश करना शुरू किया. पर आज इस मालिश में शीतल को एक अलग ही प्रकार का आनन्द आ रहा था. एक तो वो समझ नहीं पा रही थी कि किसी स्त्री के प्रति उसका ये आकषण इतना तेज़ क्यूँ है… और वो भी अपने खुद की बेटी के ऊपर… पर जो भी हो, आज उसको मयूरी के पीठ की मालिश करने में एक अलग ही मजा आ रहा था.
इधर शीतल भी इसका सम्पूर्ण आनन्द ले रही थी.
थोड़ी देर पीठ की मालिश करने के बाद शीतल का हाथ अपने आप ही मयूरी के गांड की गोलाइयों पर चला गया और वो बड़े प्यार से उनका मालिश करने में लग गयी. उसे पता ही नहीं चला कि कब वो पीठ की मालिश करते करते मयूरी के गांड की तरफ मुड़ गयी और वो अपने धुन में उसकी गांड की मखमल जैसी सतह हो बड़े प्यार से मालिश करते-करते उसकी गांड की छेद में भी अपना हाथ डालने लगी. शीतल ने मयूरी के गांड के छेद वाले जगह की गर्मी को महसूस किया और इस से उसकी काम वासना और भी बढ़ रही थी.
इसी बीच उसने मयूरी की जांघों को भी मसलना शुरू कर दिया था. शीतल को एक बात का पूरा फायदा मिल रहा था कि मयूरी अभी उसके चेहरे का भाव नहीं देख पा रही थी और इस वजह से वो एकदम बिंदास होकर ये करने का आनन्द लेने में व्यस्त थी.
एक बार अनायास ही उसके एक उंगली मयूरी के गांड की छेद में डाल दी, इससे मयूरी चिहुंक सी पड़ी और शीतल को जैसे अपने पकड़े जाने का एहसास हुआ. उसने अपने भाव छुपाते हुए बात को बदलने के मन से मयूरी को तुरंत ही पलट जाने को कहा.
मयूरी तुरंत ही पलट गयी और अब शीतल के सामने जो नज़ारा था, वो उसको बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. अब वो मयूरी की दो विशाल चूचियों का बिकुल सामने से दर्शन कर पा रही थी, साथ ही साथ वो उसकी चूत और उसके आस-पास के क्षेत्र जैसे गोरी-गोरी जांघों को बिल्कुल सामने से देख पा रही थी. पर अपने स्थिति पर काबू करते हुए उसने अपने हाथ में तेल लेकर मयूरी के पेट पर लगाया और मालिश करने में लग गयी.
पर पेट पर वो कितनी देर तक मालिश करती, थोड़ी ही देर में उसको मयूरी की उन विशाल चूचियों का रुख करना पड़ा. जब शीतल ने मयूरी की चूचियों की मालिश शुरू की तो उसको बहुत ही ज्यादा आनन्द आ रहा था. पर इस बात से मयूरी भी अप्रभावित नहीं रह पायी और उसके मुँह से भी आनन्द के स्वर में आहें निकलने लगी.
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