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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
खैर, मयूरी की सिसकारियों की आवाज़ अब और तेज़ हो गयी और उसकी तेज़ आहों और सिसकारियों की आवाज़ से शीतल को और जोश मिल रहा था उसे अपनी बेटी की चूत चाटने में. यह उसके लिए पहली बार था जब वो किसी औरत का चूत चाट रही थी, लंड तो वो कई बार चूस चुकी थी अपने पति का … पर यह अहसास थोड़ा अलग था और इसी वजह से उसको कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था.
उत्तेजना के कारण मयूरी अपनी माँ का मुँह अपने हाथ से अपनी चूत पर जोर जोर से दबा दे रही थी जिससे शीतल को कभी कभी साँस लेने में थोड़ी दिक्कत भी हो रही थी पर इस समय वो दोनों कुछ भी कर गुजरने को बिल्कुल तैयार थे. थोड़ी देर मयूरी की रसीली चूत को चाटने के बाद, अब तक मयूरी की चूत ने 3-4 बार पानी छोड़ दिया था और उसकी माँ ने उसकी चूत के पानी का एक-एक बून्द अपनी होंठों और जबान से चाट-चाट कर साफ किया.
अब शीतल ने अपनी बीच की उंगली मयूरी के चूत में डाल दी और मयूरी की चूत पहले से ही गीली होने की वजह से वो आराम से सरसराते हुए अंदर चली गयी. हालाँकि शीतल को उसकी चूत के टाइट होने का अहसास तब भी होता है.
मयूरी अचानक से चिहुंक सी गयी और इसी बीच शीतल अपने हाथ को आगे-पीछे करके मयूरी की चूत को चोदने लगी.
शीतल ने जोश में अब अपने हाथ को मयूरी की चूत में अंदर-बाहर करने की रफ़्तार को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया, मयूरी की सिसकारियां अब बहुत ही ज्यादा तेज़ हो गयी- आ… ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… माँ…
शीतल पूरे जोश में जोर से चिल्ला कर- मजा आ रहा है बेटी?
मयूरी- हाँ… माँ… बहुत मजा आ रहा है… आह… ह… और जोर से… करो माँ… आह… ऐसे ही… आ… बहुत मजा आ रहा है माँ… आ… ह…
शीतल अपनी बेटी को बहुत देर तक अपने हाथों से चोदती रही… फिर जबउसकी चूत से ढेर सारा पानी बाहर निकला, तब उसकी चूत का निकला हुआ पानी वो उसी के मुँह में डाल कर बोली- ले बेटा… अपनी चूत का पानी का स्वाद चख… बहुत मस्त है… मैंने इतनी देर में बहुत सारा पिया है ये स्वादिष्ट पानी!
मयूरी ने भी पूरे जोश में अपनी माँ के आदेश का पालन किया और वो सारा पानी चाट गयी.
अपनी माँ के द्वारा अपनी चूत-चटाई और उंगली से चुदाई के बाद मयूरी को अब अपनी योजना बहुत हद तक तो सफल होते हुए नज़र आ रही थी. पर वो इसके पहले की अपनी माँ के साथ अपने बेटों से चुदवाने की बात करे, वो पूरी तरह आश्वस्त हो जाना चाहती थी. इसलिए उसने इस माँ-बेटी के बीच का अनूठा प्यार को और आगे बढ़ाने की बात सोची.
उसने अपना अगली चल चली- माँ…
शीतल- हाँ बेटा?
मयूरी- अ… वो.. क्या मैं… मैं भी आपकी चूत…
शीतल- हाँ बेटा… बिल्कुल… मुझे बहुत ख़ुशी हुई यह बात जानकर कि तुम मेरा चूत चाटना चाहती हो.
मयूरी- तो आप अपने कपड़े उतार दो ना…
शीतल- जरूर…
और शीतल ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और उसके साथ ही साथ उसने अपनी काले रंग की ब्रा और पैंटी भी फटाफट से उतार दी जैसे उसको अपनी बेटी से चूत चटवाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी हो.
अब वो अपनी नंगी जवान बेटी के सामने खुद भी बिल्कुल नंगी थी.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
मयूरी ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि शीतल को अभी पता ना चले कि वो अपने दोनों भाइयों से पहले से ही चुद रही है और दोनों भाइयों को पता ना चले कि उसका अपनी माँ के साथ लेस्बियन सेक्स का रिश्ता स्थापित हो चुका है और वो उनकी माँ को अपने बेटों से चुदवाने के लिए तैयार कर रही है. मयूरी चाहती थी कि शीतल को पूरी तरह से यह लगे कि उसने अपने बेटों के लंड का शिकार खुद किया है और विक्रम और रजत को यह लगे कि वो अपनी माँ की चूत तक खुद अपने बलबूते पर पहुंचे हैं. वो अपने आपको इन सारी बातों से अलग रखना चाहती थी. पर सत्य तो यही था कि वो खुद ही इस पूरी कहानी की रचयिता थी.
खैर, शीतल अब अपने बेटों को रिझाने की तैयारी में लग गयी. वो अच्छे से तैयार हुई, उसने लो-कट ब्लाउज बैकलेस पहना जिसमें आगे से उसकी चूचियां आधी से भी ज्यादा नज़र आ रही थी और पीछे से उसका पीठ पूरा ही नजर आ रहा था.
उसने अच्छे से मेक-अप किया और एक बढ़िया सी गुलाबी रंग की साड़ी पहनी. शीतल पर गुलाबी रंग बहुत ही ज्यादा फबता था.
इन सब चीज़ों में लगभग दोपहर के डेढ़ बज चुका था. थोड़ी देर बाद विक्रम घर आ गया अपनी कोचिंग क्लास कर के … उसने दरवाजे की घंटी बजायी और मयूरी ने शीतल को दरवाजा खोलने को कहा और उसने बताया कि वो अपने कमरे में जा रही है, तो इस वक्त खुल कर अपने बड़े बेटे पर लाइन मार सकती है.
शीतल ने दरवाजा खोला और बड़े ही कामुक अंदाज में मुस्कुराते हुए उसने विक्रम का स्वागत किया।
शीतल- आ गया मेरा लाडला!
विक्रम- हाँ माँ…
और विक्रम हैरानी से अपनी माँ को देखता रह गया.
शीतल विक्रम को मुँह खोल कर उसको ताड़ते हुए देखती तो है पर जताती नहीं है.
शीतल- आओ अंदर आओ मेरे लाल…
विक्रम- जी माँ…
विक्रम खाने की टेबल पर बैठ गया. शीतल विक्रम के एकदम पास गयी, अपना सीना उसके इतने करीब लेकर गयी कि विक्रम को उसकी मखमली चूचियों का आराम से दर्शन हो सकें और वो उसको खाने को पूछने लगी- भूख लगी है मेरे बेटे को? कुछ खायेगा?
विक्रम तो एकटक बस शीतल की चूचियां देखने में व्यस्त था; अपनी नजरें शीतल की चूचियों पर से बिना हटाए वो बोला- ह… हाँ माँ…
शीतल ने अपने होंठों को अपने दांतों से बड़े ही कामुकता भरे अंदाज़ में काटते हुए पूछा- क्या खायेगा मेरा बेटा?
विक्रम कुछ समझ नहीं पाया और वो थोड़ा घबरा गया, हड़बड़ाते हुए बोला- माँ… जो चाहो वो खिला दो…
शीतल- मैं तो तुम्हें अपना सब कुछ खिला दूँ मेरे लाल…
और ऐसा कहते हुए उसने विक्रम की चेहरा अपने सीने से लगा लिया. विक्रम का चेहरा इस समय अपनी माँ की चूचियों के बीच था. वो शीतल की चूचियों का कोमलता का अहसास तो कर पा रहा था पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं कर पा रहा था. वो चाह तो रहा था कि इस समय उठे और अपनी माँ की चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह में भर ले… उनको जोर से उमेठ दे और अपनी माँ की रसीले लाल-लाल होंठों का सारा रस पी जाये.
पर वो ऐसा कुछ भी करने की हालात में नहीं था. वो अभी भी यही समझ रहा था कि यह उसकी माँ का उसके प्रति स्नेह है, हवस नहीं.
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