02-06-2019, 05:03 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मुझे कभी लड़कियों में आकर्षण महसूस नहीं हुई, लेकिन लड़की दोस्तों से मैं अब नहीं कतराती थी क्योंकी इस तरीके से होने वाले ओर्गज्म का मज़ा काफी निराला होता था। मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मेरे डिस्चार्ज का मज़ा मेरी दोस्तों को भी आता है।
हम निशी के घर के इलावा एक-दो और जगहों पर भी जाने लगे, जहाँ लड़कों के होने के अहसास तो नज़र आते थे लेकिन हम लड़कियों के जाने पर वहाँ लड़कों का कोई वजूद नज़र ना आता। एक बंगलो ऐसा था जहाँ हम लड़कियाँ ऊपर वाले फ्लोर पर होती थीं रूम बंद करके, जबकि निशी और एक दूसरी फ्रेंड टेक्स्ट मेसेज आने के बाद नंगी ही नीचे चली जातीं और काफी देर के बाद वापिस आतीं।
मैं ऊपर सोचती रहती कि क्या ये पॉर्न की तरह एक ही लड़के के साथ दोनों मिलकर सेक्स करती हैं या दोनों का अलग-अलग लड़का होता है। बाद में इस टोपिक पर सोचना छोड़ दिया मैंने। पॉर्न फिल्में वहाँ इस तरह चल रही होती थी जैसे बच्चों को बहलाने के लिये माँ बाप टीवी पर कार्टून लगा देते हैं। दिन में वहाँ पर लैमब टिक्का की बड़ी-बड़ी कड़ाही आती और साथ कोल्ड-ड्रिंक्स के कैन्स।
मुझे ये अय्याशी बहुत अच्छी लगने लगी। हालांकी मेरी दोस्तों के अलग-अलग रिलेशन्स थे लेकिन वो कभी हमारी दोस्ती में दखलअंदाज नहीं हुए। मेरे लिये दोस्तों की ये गैदरिंग ही सबसे बड़ी अय्याशी थी जहाँ मेरी दोस्त मेरे जिश्म के साथ खेलना अपना फर्ज़ समझती थी, मेरी स्क्विर्टिंग पर खिलखिला के हँसती थीं। खैर… मुझे ये कभी महसूस ना हुआ कि मैं उनके लिये किसी किश्म की जिन्सी संतुष्टि का कोई ज़रिया हूँ। लड़कियाँ आपस में वैसे भी नहीं शरमातीं क्योंकी ये तो उनकी इन्सिटिक्ट में शामिल होता है, इसीलिये मुझे भी नंगा होने का मज़ा पड़ चुका था।
मैं उम्र के जिस हिस्से में थी उसमें वैसे ही लज़्जत का चस्का बहुत जल्दी पड़ जाता है। मेरी सब दोस्त जान गई थीं कि फिलहाल सिर्फ़ एक फुल ओर्गज्म ही मेरे जिश्म की ज़रूरत है इसलिए वो वक्त-बेवक्त मेरे जिश्म के साथ छेड़-छाड़ करती रहतीं और जैसे ही उनको लगता कि मेरा अराउजल लेवेल हाई हो रहा है वो दो या तीन मिलकर मेरे ऊपर चढ़ जातीं।
निशी मेरी टांगें खोलकर उनके बीच घुटनों के बल बैठ जाती और दूसरी या तो मेरी टांगें उठाकर पकड़ लेती या मेरे चुचियों को चूसती। मैं नहीं समझ पाई कि उनको इसमें क्या मज़ा आता होगा? लेकिन मुझे तो बहुत ज्यादा आता था। एक दफा तो मेरी चीखें निकल गई, जब निशी ने मेरी गान्ड में अपनी पूरी उंगली दे दी और दूसरे हाथ से मेरी चूत को रगड़ने लगी जबकि दूसरी फ्रेंड ने मेरी टांगें खोलकर और ऊपर करके पकड़कर रखी थीं। मैं शुरूर की कैफियत में तेज़ी से जा रही थी कि मेरी एक फ्रेंड मेरे फेस के ऊपर अपनी चूत लाकर बैठ गई। मुझे बहुत ज्यादा उलझन होने लगी।
लेकिन वो अपनी चूत मेरी नाक पर रगड़ने लगी। मेरी नाक उसकी चूत में जाने की वजह से मुझे साँस लेने में उलझन होने लगी, तो मैंने मुँह से जोर-जोर से साँस लेना शुरू कर दिया। चूत की स्मेल कुछ देर मुझे अजीब सी लगी, लेकिन कुछ देर बाद मैं उससे ज्यादा परेशान ना हुई। वो चाहती थी कि मैं उसकी चूत मुँह में लूँ जबकि मुझे ऐसा कोई शौक नहीं हो रहा था।
जब वो अपनी चूत मेरे होंठों पे लाती तो मेरी नाक उसकी गान्ड के सुराख में चली जाती और मेरी साँस बंद होने लगती। इस दौरान मेरी गान्ड में उंगली और चूत पर रगड़ाई से मेरी हालत अजीब सी हो जाती। जब मैंने फ्रेंड को गैर महसूस तरीके से फेस से हटाया, ताकी वो माइंड ना करे, तो इस दौरान मेरी हालत नीचे से गैर हो चुकी थी और मेरा इतना जोरदार ओर्गज्म हुआ कि स्क्विर्टिंग की वजह से निशी बहुत ज्यादा गीली हो गई। मेरी बॉडी ऐसी हो जाती जैसे बिजली के झटके लग रहे हों, और ओर्गज्म के बाद मैं काफी देर उल्टी पड़ी रहती। जिस तरह मेरी स्क्विर्टिंग निशी पर गिरती थी, इसी तरह अगर किसी और की मुझ पर गिरती तो मेरी हालत खराब हो जाती।
मैं ऐसी सिचुयेशन से अजीब कशमकश में पड़ जाती कि आख़िरकार लड़की की बॉडी में ये क्या राज छुपा हुआ है, मेरी हालत अचानक ऐसी क्यों हो जाती है और ओर्गज्म का इतना ज्यादा मज़ा क्यों आता है? मेरे लिये उस वक़्त यही सबसे बड़ा नशा था और अपने तौर पर मैंने खुशी का राज पा लिया था। 17 साल की उमर में मेरे लिये अय्याशी के सिर्फ़ तीन ही मयार थे:
1॰ बाजी का रूम
2॰ मॉडर्न ड्रेसिंग
3॰ दोस्तों की उंगलियों और होंठों के मज़े से होने वाला ओर्गज्म
4॰ मैं नहीं जानती थी कि मेरी इन मस्तियों में कई हादसे भी मेरे हमसफर हैं और ठीक वक़्त का इंतजार कर रहे हैं।
दोस्तों की उंगलियों से ठंडी होकर जब मैं घर जाती थी तो में अजीब हवाओं में होती और ऐसा लगता जैसे मेरे साथ चलने वाले हर इंसान को मुझे देखकर ये पता चल रहा है कि मैं भरपूर सेक्स का मज़ा लेकर आई हूँ, मैं अपने आप में ही उन सबसे शरमाती रहती। मेरी सेक्स लाइफ चूंकी लड़कियों के साथ थी, इसलिए मुझे अपने अंडरगारमेंट्स की बहुत फिकर लगी रहती। लेकिन मैं वो किसी से डिस्कस ना कर पाती। बाजी के थांग्ज और लिंगरी मैंने कई दफा छुप के ट्राई कीं, लेकिन हम बहनों के साइज़ में थोड़ा सा फ़र्क था। मैं कुछ इंच लंबी और बाजी फिटिंग में मुझसे दो पाइंट चौड़ी थीं।
|
|
02-06-2019, 05:03 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
रात में बाजी ओफिस से देर से आतीं और मेरी जल्दी सोने की आदत नहीं जाती थी। एक दिन हिम्मत करके मैंने कॉलेज के हाफ टाइम में बाजी को फोन किया और उन्हें कहा कि मैं कॉलेज से जल्दी निकल आई और आपके ओफिस के एरिया में हूँ इसलिए क्या मैं आपके ओफिस आ जाऊँ?
बाजी ने मुझे बुला लिया।
मैं काफी डर-डर के उनके ओफिस में घुसी, क्योंकी मुझे ओफिसर से हमेशा बहुत डर सा लगता था जैसे कि मैंने ड्रामों में देखा था कि उनके आते ही पूरा स्टाफ अलर्ट हो जाता है और वो हर किसी को डाँटते रहते हैं। मैं इसी तरह के कई डर अपने अंदर लिये बाजी के ओफिस में घुसी तो मुझे कोई नज़र ना आया। अंदर एक ग्लास-रूम में मुझे बाजी कंप्यूटर से कुछ प्रिंट लेते हुए नज़र आईं। मैं उनके केबिन में घुस गई और इधर-उधर किसी ओफिसर जैसी शख्सियत को तलाश करने लगी।
बाजी बिल्कुल ईज़ी थीं, कुछ देर बाद एक आदमी दूसरे केबिन में बैठकर फोन पे बातें करने लग। बाजी ने मेरे लिये कोल्ड-ड्रिंक और बर्गर मँगवाया तो मैंने खोफ्र्फ से निकलने की कोशिश में तेज़ी से बाजी से कहा कि मुझे कुछ चीज़ें चाहिए।
बाजी सारा काम छोड़कर चेयर खींचकर मेरे करीब बैठ गईं और प्यार से पूछा-“क्या चाहिए?”
मैंने कहा-“आप ब्रा और पैंटीस कहाँ से लेती हैं? और आपकी अलमारी में वो पीछे से पतली सी लाइन वाली जो पहनते है वो कहाँ मिलती है? और क्या वो किसी स्पेशल काम के लिये होती है? वो तो मुझे बाजार में नज़र नहीं आती…”
बाजी हँस पड़ी और बोली-निदा तुम्हें वो वाली चाहिए?
मैंने कहा-“हाँ…”
बाजी ने पूछा-और क्या-क्या चाहिए?
जिस पर मैंने कहा-“मुझे उनके नाम नहीं आते लेकिन रात को आपकी अलमारी में से बता दूँगी आपको। लेकिन आप जल्दी घर आयें मेरे सोने से पहले…”
बाजी मुश्कुरा दीं, उन्होंने अपना बैग उठाया और मुझसे कहा-“चलो, अभी घर चलते हैं, में आज की जॉब फिनिश कर देती हूँ…”
हम फौरन वहाँ से निकले तो ओफिस के गेट पर एक आदमी घुसता हुआ नज़र आया। बाजी ने उसे कोई ज्यादा लिफ्ट नहीं कराई और कहा कि वो जा रही हैं, इसलिए वो मेटीअसली की लिस्ट खुद ही उनके ऊपर वाली दराज से ले लें।
उस आदमी ने मुझसे हेलो हाई किया, लेकिन मैंने भी ज्यादा लिफ्ट नहीं कराई। जब हम ओफिस से निकले तो बाजी ने कहा-“ये जो आदमी अभी अंदर गया है, ये कंपनी का मालिक है…”
ये सुनकर मेरे तो जैसे तोते उड़ गये कि कुछ देर पहले मैं इतने बड़े ओफिसर से मिलकर आई और मुझे पता तक ना चला, कितना बुरा प्रभाव पड़ा होगा मेरा? मुझे बाजी के कोन्फीडन्स पर हैरत हुई कि वो तो किसी ओफिसर को भी जूते की नोक पे नहीं रहती थीं और बगैर किसी से पर्मीशन लिये घर को चल पड़ीं।
मैं काफी उत्तेजित थी। घर में घुसते ही मैं बाजी को सीधा उनके रूम में ले गई और उनकी वो पैंटी, ब्रा और लिंगरीस, जो मुझे पसंद थीं निकालकर बेड पे फैला दी और कहा-“मुझे ऐसी वाली चाहिए…”
बाजी ने कहा- “तुम अपनी पैंटी और ब्रा मुझे ला दो, ताकी मैं साइज़ नोट कर लूँ…”
मैंने बाजी से कहा-“मैं आपको आपकी वाली पहनकर दिखाती हूँ, इनमें से जो मुझ पे अच्छी लगे वो वाली बहुत सारी ले आना…” मैंने झट से कमीज़ और शलवार उतार दी और ब्रा भी उतारकर बाजी के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हो गई और ये सोच रही थी कि अब बाजी भी खुलकर मेरे जिश्म की तारीफ करेंगी।
जब बाजी अपना बैग खोलने में लग गईं और मेरे जिश्म को कोई तारीफ नहीं करी तो मैं बोली-“बाजी, मैं कैसी लग रही हूँ?”
मेरी ये बात सुनकर बाजी के चेहरे पर कुछ अजीब सा रंग आया और चला गया। बाजी खुद को संभालकर बोली-“बहुत प्यारी हो, सुपर मॉडल बॉडी है तुम्हारी…”
मैं जब बाजी की पैंटीस ट्राई करने लगीं तो बाजी ने अचानक पूछा-“निदा, तुम्हारा शादी करने को तो दिल नहीं चाह रहा?”
मैं इस सवाल का मतलब ना समझ सकी और बोली-“नहीं तो…”
बाजी के रूम का दरवाजा खुला हुआ था और मैं नंग-धड़ंग रूम में घूम रही थी, क्योंकी अब मुझे नंगा रहने या घूमने में शरम नहीं आती थी। मैं बाजी की उलझन को समझ ना सकी।
बाजी ने फौरन जाकर अपने रूम का दरवाजे लाक किया और मेरे साथ आकर बेड पे बैठ गई। वो मुझसे अंडरगारमेंट्स का पूछने लगीं, लेकिन उनकी नज़र मेरी चुचियों, गर्दन, और टाँगों पर थी। मैं खुश हुई कि सिर्फ़ दोस्तों को ही नहीं, बल्की मेरी बॉडी बाजी को भी आकर्षित कर रही है। जिसका मतलब है कि मुझमें कोई ऐसी बात है। मैं नहीं समझ पाई कि बाजी तरीके-तरीके से मेरे जिश्म का जायज़ा ले रही हैं क्योंकी कहीं कोई लव बाइटस तो नहीं हैं।
|
|
02-06-2019, 05:03 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी के रूम का दरवाजा खुला हुआ था और मैं नंग-धड़ंग रूम में घूम रही थी, क्योंकी अब मुझे नंगा रहने या घूमने में शरम नहीं आती थी। मैं बाजी की उलझन को समझ ना सकी।
बाजी ने फौरन जाकर अपने रूम का दरवाजे लाक किया और मेरे साथ आकर बेड पे बैठ गई। वो मुझसे अंडरगारमेंट्स का पूछने लगीं, लेकिन उनकी नज़र मेरी चुचियों, गर्दन, और टाँगों पर थी। मैं खुश हुई कि सिर्फ़ दोस्तों को ही नहीं, बल्की मेरी बॉडी बाजी को भी आकर्षित कर रही है। जिसका मतलब है कि मुझमें कोई ऐसी बात है। मैं नहीं समझ पाई कि बाजी तरीके-तरीके से मेरे जिश्म का जायज़ा ले रही हैं क्योंकी कहीं कोई लव बाइटस तो नहीं हैं।
कुछ सोचकर उन्होंने मेरी चुचियों के निप्पल्स को हाथों में लिया और निपल के सर्कल पे जो डॉट्स होते हैं उनको देखने लगीं। मेरे निप्पल्स चूंकी लाइट गुलाबी थे, इसलिए उन पे जो भी था वो साफ-साफ नज़र आ रहा था। बाजी मेरे जिश्म का एक्स-रे करने के बाद उठीं और कहा-“कि वो एक दो दिन में ऐसा सब कुछ मेरे साइज़ का ले आयेंगी, अलग-अलग रंगों और स्टाइल में…”
मैंने वो चूतड़ के अंदर घुसने वाली पतली लाइन वाली पैंटी (थोंग) की खास तौर से फरमाइस की तो बाजी हँस दीं और बोला सब मिल जायेगा।
मेरे लिये चूंकी दो दिन का मतलब दो दिन ही होता है इसलिए दूसरा दिन होते ही मैंने कॉलेज से बाजी को एस॰एम॰एस॰ कर दिया कि शाम में मेरी चीज़ें जल्दी ले आइयेगा।
कुछ देर बाद बाजी का जवाब आया और वो बोली-“अगर मैं कॉलेज से निकल सकती हूँ तो वो आधे घंटे में मुझे कॉलेज से पिक करने आ रही हैं…”
मैंने खुशी-खुशी ‘हाँ’ कर दिया। मेरे लिये उस वक़्त क्लास से ज्यादा इंपाटेंट वो अंडरगारमेंट्स थे।
तकरीबन 40 मिनट के बाद बाजी की काल आई कि वो कॉलेज के गेट पर मेरा इंतजार कर रही हैं। मैं जब गेट पर गई तो वहां कोई नहीं था। इधर-उधर देखने लगी तो बाजी एक लाल किश्म की कार से उतरीं और मुझे इशारे से बुला लिया। लाल कलर की उस बड़ी कार को देखकर तो जैसे मेरे होश उड़ गये। मेरी उस वक़्त बहुत ख्वाहिश थी कि मेरी कॉलेज दोस्त मुझे उस कार में बैठते हुए देख लें और उन्हें भी मेरे स्टेंडर्स का कुछ अंदाज़ा हो।
बाजी कार में पिछली सीट पर बैठी थीं, लेकिन मैं जानबूझ कर सामने सीट पे जाकर बैठ गई। कार चल पड़ी तो मैं इधर-उधर देखने लगी कि कोई कॉलेज की फ्रेंड नज़र आए तो मैं उसे देखकर हाथ हिला दूँ। दोस्तों की तो दूर की बात, गेट वाले काका की नज़र भी मुझ पे नहीं पड़ी। कुछ देर बाद मेरी ड्राइवर पे नज़र पड़ी तो ये वोही आदमी था, जो बाजी के ओफिस में साथ वाले केबिन में फोन पे किसी से बातें कर रहा था। मैं कंफ्यूज थी कि कि उसे ओफिसर समझूं या महज सहकर्मी?
मैंने बाजी से पूछा-“हम कहाँ जा रहे हैं?”
तो बाजी ने कहा-“पहले बैंक और फिर तुम्हें तुम्हारी चीज़ें लेकर देनी हैं…”
जब हम बैंक पहुँचते तो बाजी कार से निकल गईं और मैं बगैर किसी इन्विटेशन के उनके पीछे चल पड़ी। बाजी कैश काउंटर पे जाने की बजाय एक और डेस्क पे गईं और फिर बैंक मुलाजिम उन्हें अंदर एक रूम में ले गया। मैं भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी, अंदर जाकर पता चला कि वहाँ बहुत सारे लॉकर्स हैं। बाजी एक लाकर को खोलने लगीं तो मैं उनके पीछे खड़ी हो गई ताकी ये देख सकूँ कि लाकर में है क्या?
मुझे कुछ फाइल्स, कुछ ज्यूलरी के डब्बे और काफी सारे पीले लिफाफे नज़र आए। बाजी ने उनमें से एक लिफाफा उठाया और लाकर बन्द करके मेरे साथ बैंक से निकल गईं। हम लोग कार में बैठे और मुझे उम्मीद थी कि अगले चन्द मिनट में हम बाजार में होंगे। लेकिन कार कुछ देर बाद हाइवे पर फ़डराटे भरने लगी। मैंने बाजी से पूछा-हम कहाँ जा रहे हैं?
तो बाजी बोली-“तेरी शॉपिंग के लिये बाबा…”
तकरीबन एक घंटे के सफर के बाद हम लोग एक पोश किश्म की मार्केट में घुसे। मैं वहाँ पहले कभी नहीं गई थी। बाजी जिस शाप में घुसीं, मैं तो अपने पूरे साल की पाकेट मनी से सेविंग करके भी उस शाप से खरीदारी की कल्पना भी नहीं कर सकती थी। शाप में घुसते ही जैसे हमें लाल कालीन वेलकम हुआ। काउंटर पे खड़ा शाप असिस्टेंट फौरन बाजी की तरफ आया और उन्हें कहा कि वो मेनेज़र को बुलाकर लाता है। दो मिनट में ही मेनेज़र बाजी के सामने हाथ बाँधे खड़ा था।
बाजी ने उसे इंग्लिश में कुछ चीज़ों का बताया तो वो हम दोनों को शाप के बैक पोर्शन में ले गया जहाँ वो सारा सामान मौजूद था जिसकी मुझे ख्वाहिश थी। बाजी मेरे और अपने लिये अंडरगारमेंट्स ढूँढ़ती रहीं। मेरी नज़र पहले प्राइस टैग पे जाती थी। लेकिन बाजी ने कहा-“जो लेना है वो ले लो, प्राइस का वो डील कर लेंगी…”
|
|
02-06-2019, 05:04 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैंने हर किश्म का सेक्सी सामान उठा लिया, 5 तो मैंने थांग्ज लीं, वो भी ब्रांडेड। बाजी ने ब्रा फिटिंग रूम में लेजाकर मुझसे कहा की साइज़ ट्राई कर लो। मैंने आदत के अनुसार बगैर शरमाये कपड़े उतार दिए और एक-एक चीज़ पहनकर बाजी के सामने पोज़ बनाकर खड़ी हो जाती कि कैसी लग रही हूँ? अपने साइज़ का थोंग मैंने पहली दफा पहना था, इसलिए मैं घूम-घूमकर बाजी को दिखाती रही और फिर अपने चूचे हिला करके बाजी से पूछा-कैसी लग रही हूँ?
तो बाजी ने कहा के एकदम सुपर स्टार मॉडल। वहाँ मुझे पैंटीस की अलग-अलग किस्मों का पता चला। जब बाजी ने मेनेज़र से कहा-“हमें सारा सामान बिना वी॰पी॰एन॰ चाहिए…”
मैंने बाजी से पूछा-“ये बिना वी॰पी॰एन॰ क्या होता है?
जिस पर बाजी ने बताया-“बिना पवजिबल पैंटी लाइन…” यानी ये पैंटीस पहनकर कपड़ों के नीचे पैंटी की शेप नज़र नहीं आती और वो बॉडी का हिस्सा बन जाती हैं…” बाजी को अपने साइज़ का अनुभव था इसलिए उन्होंने सिर्फ़ ब्रा ट्राई की।
ये सब शॉपिंग करके हम लोग फ्रंट पोर्शन की तरफ आए, जहाँ बाजी ने मेरे लिये कुछ पैंटस और शर्टस खरीदी और फिर हम लोग काउंटर पे चले गये। मैं सोच रही थी कि अब बाजी एक-एक चीज़ की कीमत पर झगड़ा करेंगी मेरी तरह। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, काउंटर पे उन्हें बिल मिला और बाजी ने पर्स में से पैसे निकालकर दे दिए।
मैं इतने ढेर सारे बैग्जस उठाने के लिये तैयार थी। लेकिन बाजी ने कहा-“तुम छोड़ो, ये लोग खुद कार में रखवा देंगे। उस शाप से निकलकर हम साथ वाली शाप में घुसे जहाँ मेकप का समान था। मुझे मेकप में कुछ ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकी मैं जानती थी कि लाइट मेकप में भी मैं बहुत प्यारी लगती हूँ। मैंने वहाँ बाजी से पूछा-बिल कितना बना था?
बाजी ने मेरे इस सवाल को टाल दिया। मेरे बार-बार पूछने पर वो बोलीं-“83000 रुपये (एटी थ्री थाउजेड रुपये)…”
मैं तो ये सुनकर जैसे बेहोश होते-होते रह गई। मेकप शाप में बाजी ने क्या शॉपिंग की मुझे कुछ समझ नहीं लगी क्योंकी मेरे जेहन में तो 83000 का फिगर घूम रहा था। फिर मैंने अपने जासूसी दिमाग की महारत दिखाते हुए बाजी से पूछा-कार में जो आदमी बैठा है वो कौन है?
बाजी ने कहा-“ओफिस का एंप्लायी है और इस वक़्त सिर्फ़ उनका ड्राइवर, जबकि ये कार ओफिस की है…”
मैंने दिल ही दिल में शुकर अदा किया कि मैंने गलती से उस ड्राइवर को ओफिसर का प्रोटोकोल तो नहीं दे दिया। मेकप शाप से निकलकर मैं बाजी को दोबारा उसी शाप में ले गई जहाँ से अंडरगारमेंट्स लिये थे और बाजी से कहा-“मुझे अच्छा सा हाथबग भी ले दें…”
जो हाथबग मुझे पसंद आया उसकी कीमत 16000 थी जो, बाजी ने बखूशी ले दिया। मैं घर आकर बेचैनी से सुबह होने के इंतजार करने लगी कि कब कॉलेज जाऊँगी और दोस्तों को अपनी नई आउटफिट बता पाऊँगी। रात इसी वजह से पहली दफा मुझे नींद नहीं आ रही थी, बार-बार आँख खुल जाती और बाजी को कंप्यूटर पर कुछ करते हुए पाती। लाइफ स्टॅंडर्ड के साथ-साथ मेरे ख्वाब भी बदल रहे थे, और अब मैं ख्वाबों में खुद को लेविश ड्रेस पहने छोटे-छोटे ग़रीब लोगों के बाजार में घूमता हुआ देखती।
आधी रात को जब मेरी दोबारा आँख खुली तो मैंने बाजी से पूछा-“अगर हम लोग इतनी अच्छी चीज़ें खरीद सकते हैं तो फिर हम इस घर को पूरा नया क्यों नहीं बना लेते या फिर ये फटीचर मोहल्ला छोड़ क्यों नहीं देते?”
बाजी मुश्कुरा के बोली-“ये घर बहुत पुराना और सिर्फ़ 2½ मरला का है। इतनी तंग गली में घर तोड़कर दोबारा बनाना बहुत मुश्किल है, बस कुछ ही साल सबर करो और फिर हम लोग एक बड़े से नये घर में शिफ्ट हो जायेंगे और मैं वो घर सिर्फ़ तुम्हारे और छोटे भाई के नाम पे खरीदूंगी…”
ये सुनकर दोबारा आँख लगते ही मेरे ख्वाबों का स्टॅंडर्ड बहुत हाई हो गया और अब मैं खुद को बड़े-बड़े बंगलोस में स्वीमिंग करते हुए और बिकनी में घूमते हुए देखने लगी।
सुबह उठते ही मैंने शावर लिया और लाल जाली वाली थोंग और उसी के साथ की जाली वाली ब्रा पहनकर नई ड्रेसिंग की और कॉलेज के लिये तैयार हो गई। जिस रूम में मेरी आँख खुलती थी और जिन गलियों और सड़कों से गुजर के मैं कॉलेज पहुँचती थी, वहाँ मेरे लिये अस्साब के साए अहिस्ता-अहिस्ता गहरे होते जा रहे थे। लेकिन मैं इस हकीकत से बेगाना अपनी ही धुन में चलती रहती। मैं नहीं जानती थी कि कुछ अरसा बाद मैं सिर्फ़ डरावने ख्वाब ही देखा करूँगी।
मेरे कॉलेज के रास्ते में मेरे साथ-साथ कई कहानियाँ चल रही थीं। मुझे हमेशा से रास्ते में बहुत ज्यादा तंग किया जाता रहा और लड़के बहुत गंदी-गंदी आवाज़ें कसते, यहाँ तक कि वो अपने ज़हरीले अल्फ़ाज़ में मेरे जिश्म का पूरा नक़्शा खींचकर अपनी राह लेते और फिर दोबारा मेरे इंतजार में खड़े हो जाते। सोनी टीवी के शो क्राइम पेट्रोल में अक्सर सुनती थी कि जुर्म हमेशा दस्तक देता है। लेकिन मुझे उस वक़्त ऐसी कोई दस्तक सुनाई नहीं दे रही थी।
उस रोज भी सबसे सेक्सी पैंटी और ब्रा पहनकर जब मैं कॉलेज में घुसी तो ऐसा सोच रही थी कि हर लड़की को जैसे खुद ही पता चल जायेगा कि आज मैंने कपड़ों के नीचे क्या पहन रखा है? लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पहली दो क्लासेस लेने के बाद जब मैं कँटीन में अपने ग्रुप के साथ इकट्ठी हुई तो मैंने उन्हें अपनी शॉपिंग की पूरी कहानी सुनाई। मेरी उत्तेजना देखकर मेरी दोस्त भी उत्तेजित हो गईं और हम लोगों ने डिसाइड किया कि ऊपर खाली रूम में जायेंगे, जहाँ मैं उन्हें अपना सामान दिखाऊँगी।
हम लोग चोरों की तरह नज़रें बचाकर ऊपर लैबोरेटरी की तरफ चले गये। अंदर घुसते ही निशी ने दरवाजे की कुण्डी लगाई और मुझसे बोली-“जल्दी से दिखाओ…”
मैंने बिल्कुल बेशर्मो की तरह अपनी शलवार उतार दी और शर्ट ऊपर करके उनकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई।
मेरी दोस्त हैरत में डूब गईं-“वावु, सुपर क्लास यार, कहाँ से मिली इतनी हाट पैंटी?”
मैंने जवाब दिए बगैर फौरन अपनी शर्ट सामने से उठाकर उनको ब्रा दिखाना शुरू कर दिया घूम-घूमकर। मेरे सब दोस्त तो ये सब देखकर जैसे भौचक्का हो गईं। मेरी एक फ्रेंड मेरे करीब आई और उसने मेरी गान्ड पे हाथ फेरते हुए चूतड़ के अंदर से पैंटी की वो पतली सी लाइन निकाली और उंगली मुँह से गीली करके मेरी गान्ड के अंदर फेरी।
मैंने उससे पूछा-इस पैंटी के साथ कैसा लग रहा है?
तो वो वाली-“कमीनी, तेरी पैंटी बदली है लेकिन गान्ड तो वोही है ना…”
मैंने कहा-“अच्छा छोड़, ज़रा उंगली दे, मैं भी देखूं कि इस पैंटी के साथ उंगली लेने का कैसा मज़ा आता है?”
उसने हँसते-हँसते उंगली दोबारा गीली की और मेरी गान्ड के सुराख में घुसा दी।
मैंने कहा-“वावओ… इस पैंटी के साथ तो उंगली का एक अलग स्वाद है…”
मेरी फ्रेंड दूसरी उंगली मेरी चूत में घुसाने लगी तो मैं फौरन बोली-“ओ गस्ती रांड़, चूत के अंदर उंगली ना डालना, गुलाब की पंखुड़ियों जैसी नाज़ुक है, कहीं तेरी उंगली से डिस्चार्ज ना हो जाये?”
|
|
02-06-2019, 05:04 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मेरी फ्रेंड दूसरी उंगली मेरी चूत में घुसाने लगी तो मैं फौरन बोली-“ओ गस्ती रांड़, चूत के अंदर उंगली ना डालना, गुलाब की पंखुड़ियों जैसी नाज़ुक है, कहीं तेरी उंगली से डिस्चार्ज ना हो जाये?”
मेरी दोस्त हँस पड़ीं और निशी फौरन बोली-“निदा, यार तू राज़ी हो बस एक दफा और इसी हफ़्ते तेरी नथ खुलवाते हैं, पता नहीं कितने लंड तेरे अंदर जाने को तरस रहे होंगे…”
मैंने कहा-“वो सारे तरसे हुए लंड तुम ठंडे कर लो, तुम्हारे अंदर वैसे भी काफी स्पेस है, पॉर्न की तरह लेटी रहो, एक लंड चूत में, एक गान्ड में और एक मुँह में…”
मेरी दूसरी फ्रेंड फौरन बोली-“और दो लंड हाथों में भी…”
निशी बोली-“हमारी ऐसी किश्मत कहाँ? इतने सारे लंड तो हमारी इस सेक्सी गुड़िया की ही पूजा कर सकते हैं…” ये कहते ही निशी मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगी और पीछे से मेरी शर्ट उठा ली। शलवार तो मेरी आलरेडी उतरी हुई थी।
मेरी दूसरी फ्रेंड पीछे से मेरे साथ लग के मेरी गान्ड में उंगली देने लगी। मैं चूंकी उनसे लंबी थी इसलिए थोड़ा सा मुड़ गई। निशी मेरे होंठ नहीं छोड़ रही थी और दूसरी फ्रेंड को उंगली देने का मज़ा आ रहा था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, इसलिए मेरी फ्रेंड ने चूत के पानी से उंगली गीली करके मेरी गान्ड में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। एक फ्रेंड साथ खड़ी ये तमाशा देखकर मुश्कुराती रही। मेरा बहुत दिल था कि यहीं कपड़े उतारकर टेबल पे लेट जाऊँ और दोस्त उसी तरह मेरा ओर्गज्म करें।
जो फ्रेंड मुझे उंगली दे रही थी वो बोली-“निदा, तू एक मर्तवा लंड का मज़ा ले ले, यकीन जान तू उंगली लेना भूल जायेगी…”
मैंने निशी से अपने होंठ छुड़ाकर कहा-“मेरे अंदर लंड नहीं जाता, देख तो सही की कितने छोटे छेद हैं मेरे?”
निशी बोली-“अरी पागल, जाता है, हर जगह जाता है, अगर तुम राज़ी हो तो हम भी उस वक़्त तेरे साथ रहेंगी और फिल्मों की तरह एक ही ग्रुप में अपने-अपने लड़के का लंड एंजाय करेंगी…”
मैंने कहा-“लेकिन फिल्मों में तो एक लड़का दूसरी लड़की को भी चोदता है और एक लड़की में दो-दो लड़के घुसा देते हैं…”
निशी बोली-“हाँ… ऐसा होता तो है, लेकिन ज़रूरी नहीं की तू भी वो करे जो दूसरे करें, हर किसी की अपनी-अपनी लिमिट होती है…”
मेरी जो फ्रेंड साथ खड़ी थी वो फौरन बोली-“निशी तेरा दिमाग खराब हो गया है, क्यों इसको खराब कर रही हो, ऐसी बातें और तरकीब देकर?”
फिर वो मुझसे मुखातिब होकर बोली-“निदा, ऐसा कुछ भी नहीं है, तुम इनकी हर बात ना सुना करो, ये मज़ाक कर रही हैं…”
मैं भी कौन सा सीरियस थी।
माहौल बदला तो हम लोग लैबोरेटरी से नीचे क्लास की तरफ चल पड़े। मैं उस दिन कॉलेज खतम होने तक यही सोचती रही कि पॉर्न फिल्मों में जो होता है वो असली में नहीं हो सकता। उसके लिये मेरे जेहन ने ये उदाहरण दिया था कि जिस तरह स्पाइडरमैन और सुपरमैन की फिल्मों में जो कुछ दिखाते हैं, कि सुपरमैन हवाओं में उड़ रहा है और स्पाइडरमैन बिल्डिंग्स पर छलांगे लगा रहा है, वो असली दुनियाँ में नहीं हो सकता, इसी तरह पॉर्न भी सब झूठ और एक्टिंग होता है, असली लड़कियाँ ऐसा कुछ नहीं कर सकतीं और ना ही उन्हें करना चाहिए।
जिस तरह सुपरमैन को देखकर कोई बिल्डिंग से छलाँग नहीं लगा लेता, उसी तरह पॉर्न देखकर भी वैसा कुछ ट्राई करने का नहीं सोचना चाहिए। वो तो बहुत बड़े-बड़े लंड होते हैं। अगर उंगलियों से जिश्म खुश होता है तो फिर इत्ता बड़ा लंड लेने की पता नहीं लड़कियों को क्या ज़रूरत पड़ी होती है।
|
|
02-06-2019, 05:04 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं कॉलेज से घर जाते हुए भी सारे रास्ते में इसी गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रही थी। घर पहुँची तो दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। मैं अपनी चाबी से दरवाजा खोलकर अंदर चली गई और बाजी के रूम में जाकर कपड़े उतारकर नंगी ही उनके बेड के अहसास को एंजाय करने लगी। मैंने कुछ इंग्लिश फिल्मों में देखा था कि लड़कियाँ रात को नंगी सोती हैं। इसलिए उस वक़्त मेरा भी मन कर रहा था, इसलिए मैंने हीटर फुल स्पीड पे लगाकर बाजी के बेड पे नंगी ही इधर-उधर करवटें लेती रही।
फिर सोचा कि शावर ले लेती हूँ। मैं बड़ा सा तौलिया फिल्मों की हीरोइन की तरह अपने गिर्द लपेटकर वाशरूम में घुस गई। सोचा था जिश्म पर पानी डालने से बेचैनी कुछ कम होगी, क्योंकी कॉलेज में दोस्तों ने उंगलियों और किसिंग से मेरे जिश्म को छेड़ दिया था। जिसकी वजह से मुझे ओर्गज्म का शौक हो रहा था। इससे पहले मैं कुछ मर्तवा खुद ही अपनी चूत को रगड़कर ट्राई कर चुकी थी। लेकिन मुझे कभी वो मज़ा ना आया जो दोस्तों के साथ आता था।
मैंने जिश्म पर बहुत सारा शावर जेल लगाकर अपनी चूत पर उंगलियाँ फेरते हुए मज़ा लेने की कोशिश की। फिर सोचा कि अगर गान्ड में उंगली भी दे दूँ तो शायद ज्यादा मज़ा आए?
मैंने एक हाथ पीछे लेजाकर अपनी गान्ड में उंगली अंदर की और दूसरे हाथ से चूत को रगड़ने लगी, लेकिन फिर भी मुझे कुछ तसल्ली नहीं हो रही थी। अचानक मेरे जेहन में खयाल आया, और मैंने पुरानी टूथ-ब्रश को खूब धोया और उसका पिछला हिस्सा अपनी गान्ड में आधा घुसा दिया और ब्रश वाली साइड वाशरूम की दीवार से टिकाकर मैं इस अंदाज में टांगें खोलकर और झुकके चूत को रगड़ने लगी, जैसे पीछे से कोई मुझे चोद रहा हो, और चूत में उंगलियाँ दे रहा हो। मैं अपनी गान्ड को दीवार के साथ जोर से मलती रही जिससे टूथ-ब्रश काफी सारा मेरे अंदर चला गया। अब अहिस्ता-अहिस्ता ये कल्पना मेरे जेहन में आने लगी फिर जैसे किसी लड़के का लंड मेरे अंदर जा रहा है और मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।
मेरा बहुत दिल था कि चूत के अंदर उंगली दूँ, लेकिन डर था कि कहीं कुछ नुकसान ना हो जाये और फिर मैं डॉक्टर को बता भी ना सकूँ कि मैंने ऐसा क्या किया है? मैं अभी वाशरूम में अपनी उंगलियों के मज़े ले रही थी कि किसी ने जोर-जोर से घर का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया। मैंने फौरन गान्ड में से टूथ-ब्रश निकालकर उसे सिंक में डाला और पानी खोल दिया।
फिर वाशरूम का दरवाजा खोलकर आवाज़ लगाई-“कौन है?”
मेरे छोटे भाई ने जवाब दिया-“मैं हूँ, दरवाजा खोलो…”
मैंने उसे दो मिनट रुकने को कहा और जिश्म पर पानी डालकर तौलिया लपेटकर दरवाजे पर गई, भाई से कहा-“मैं दरवाजा खोलती हूँ और तुम 10 सेकेंड के बाद अंदर आना…” और मैं दरवाजा खोलकर वाशरूम की तरफ भाग गई और फौरन शावर लेकर चुपके से बाजी के रूम में घुसकर जल्दी से कपड़े पहन लिये।
बाजी दिन में किसी भी वक़्त ओफिस चली जाती थीं और रात को अक्सर लेट आती, जब मैं सो रही होती, लेकिन उस दिन सेक्सी पैंटी और ब्रा के खयालात और फुल ओर्गज्म ना होने की वजह से मैं जाग रही थी और सुबह कॉलेज से भी छुट्टी थी। घर में रात को सब 10:00 बजेतक सो जाते थे, सर्दियों की रातें थीं। लेकिन बाजी किस वक़्त घर आती थीं, ये किसी को पता नहीं चलता था।
उस रोज रात को बाजी के रूम में मेरा मन था कि मेरे पास कोई पॉर्न डीवीडी होती और मैं बड़े टीवी पर लगाकर देखती। मेरा सेक्स देखने को दिल कर रहा था और पॉर्न में जो कुछ होता था वो सब मेरे जेहन में आ रहा था।
तकरीबन 11:00 बजे बाजी घर आईं तो मुझे बैठे हुए देखकर हैरान रह गईं और पूछा-“किसी खुशी में जाग रही हो या परेशानी में?”
मैंने उनकी बात का जवाब दिए बगैर कहा-“बाजी, मैंने फिल्मों में देखा है कि लड़कियाँ रात को नंगी सोती हैं…”
बाजी मेरे इस सवाल पर परेशान हो गईं और पूछा-“कौन सी फिल्मों में और कहाँ देखा?”
मैंने कहा-“केबल पर जो आती हैं उन्हीं में देखा…”
|
|
02-06-2019, 05:04 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी मेरा चेहरा पढ़ने की कोशिश करते हुए बोली-“हाँ, सोती हैं, इसमें कोई बुराई नहीं…”
मैंने पूछा-आप भी सोती हैं?
बाजी बोलीं-“सोती हूँ कभी कभार, जब अकेले रूम में होती हूँ लेकिन अब तो तुम होती हो साथ…”
मैंने कंबल हटाकर बाजी को बताया-“देखो मैंने तो अपने वाला नाइट ड्रेस पहना हुआ है…”
बाजी ये सुनकर मेरे करीब आईं और मेरे बालों में हल्की सी उंगलियाँ फेरकर बोलीं-“सो जाओ बेटा…”
मैं सोने की कोशिश में लग गई लेकिन दिमाग में सेक्स के दृश्य चल रहे थे। कुछ देर बाद जब बाजी ने लाइट आफ की तो मैंने कंबल के अंदर ही खामोशी से अपनी नाइट ड्रेस उतार दिया और नंगी सो गई। रात के तकरीबन दो बजे सूसू की वजह से मेरी आँख खुली और मैं अंधेरे में ही कपड़े पहनकर वाशरूम की तरफ चली गई। वापसी पर मुझे लगा जैसे बाजी का बेड खाली है।
मैंने नींद के खुमार में बाजी का बेड टटोला, बाहर जाकर भी देखा, लेकिन बाजी का कोई नाम-ओ-निशान नहीं था। मैं वापिस जाकर अपने बेड पर लेट गई। लेकिन कुछ देर बाद गौर करने पर मुझे कुछ सरगोशियाँ सुनाई दीं। ये सरगोशियाँ बॅकयार्ड की तरफ से आ रही थीं। मैं खामोशी से उठी और बाजी के रूम से बॅकयार्ड की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। मेरी हमेशा से किश्मत खराब रही है, जब भी मैं किसी की आहट लेने की कोशिश करती हूँ, मुझे सुनाई देना बंद हो जाता है।
मुझे रात को बॅकयार्ड में जाने से हमेशा डर लगता था। मेरे जेहन में ये होता था कि हमेशा वहाँ कोई मेरे इंतजार में बैठा होगा और मेरा गला दबा देगा। लेकिन इस मर्तवा बाजी की आवाज़ से मेरी हिम्मत बँधी और मैंने रूम का दरवाजा खोल दिया। बाहर मुझे दो साए नज़र आए। एक बाजी का था और वो सर्दी की वजह से अपनी शाल लपेटे मेरी तरफ देख रही थीं, जब बाजी मेरी तरफ बढ़ीं तो उनके पीछे खड़े शख्स को देखकर मेरे होश उड़ गये और मैं अंधेरे में एक झटके के साथ पीछे की तरफ गिर गई।
|
|
02-06-2019, 05:05 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
***** *****अध्याय 03-जुर्म की दस्तक
अली भाई को इस तरह आधी रात को बॅकयार्ड में छुपकर बाजी से बातें करते देखकर मेरे तो होश उड़ने ही थे। सर्दी जो नफ़रत का था।
बताना ही पड़ेगा कि मेरे एक ताया हुआ करते हैं। हाँ मेरे पिता के बड़े भाई। खून के रिश्ते में अपनी एक चाहत होती है लेकिन मैंने जब से होश संभाला, मैं अपने ताया से तन-ओ-मन और दिल की अनत गहराईओं से नफ़रत करती थी। वो एक नंबर के लुच्चे और बेगैरत इंसान हैं। हमारा उनसे भला क्या लेना देना? लेकिन मेरी एक बहुत प्यारी ताई अंकल की करतूतों की भेंट चढ़ चुकी थी। मुझे उस ताई से बहुत मोहब्बत थी लेकिन फिर एक दिन पता चला कि अंकल अचानक दूसरी बीवी घर ले आए।
दूसरी बीवी भी अंकल ने इंनतहा सावधानी से तलाश की थी, बहुत छान-बीनकर उन्होंने अपने जैसी ही इंनतहा बेगैरत औरत से शादी की। मेरी ताई तो दूर की बात, खुद हमारे जहनो पर ग़म के साए छा गये। अंकल के घर में एक कोहराम मच गया था और मेरी अच्छी वाली ताई ये ग़म सह ना सकी और 3 महीने के अंदर ही इस दुनियाँ से रुखसत हो गई।
इससे पहले कभी मुझे किसी को मरा हुआ देखकर रोना नहीं आता था, बल्की में तो मैय्यत पर औरतों को रोते देखकर दिल ही दिल में वो मंज़र काफी एंजाय करती थी। लेकिन उस दिन मेरी भी वोही हालत हो गई थी। बाकी औरतें तो कभी बन और कभी एक दूसरे से कॉमेडी कर रही थीं। लेकिन अंकल को देखकर मेरा खून खौल रहा था, दिल चाहता था कि जूता उतारकर उनकी खूब पिटाई लगाऊँ। वो दिन और आज का दिन, जब भी अंकल को देखती हूँ मुझे उनके चेहरे पर मनहूसियत के इलावा कुछ नज़र नहीं आता।
अंकल महफ़िलों में कहते थे कि मैंने कोई धर्म के खिलाफ काम थोड़ी किया है।
मैं छोटी थी, शरीयत का तो कुछ पता नहीं था, लेकिन इतना मैं जरूर जानती थी कि वो कौन सी शरीयत हो सकती है जो एक औरत का घर बर्बाद कर दे, उसे इतना ग़म देकर कि वो अपनी जिंदगी ही हार जाये? मेरा अल्लाह कभी ऐसी शरीयत नहीं भेज सकता, मेरा अल्लाह जालिम हो ही नहीं सकता।
अली भाई से मुझे जाती तौर पर कभी कोई शिकायत नहीं रही लेकिन मैं जब भी उनको देखती, मेरी आँखों के सामने अंकल का मनहूस चेहरा घूमने करने लगता। इसीलिये रात के अंधेरे में बाजी के साथ अली भाई को छुपकर बातें करता देखकर मेरे होश उड़ गये, मैं पीछे की तरफ गिरी तो बाजी ने लपक कर मुझे उठा लिया और रूम की लाइट ओन करके देखने लगी कि मुझे कोई चोट तो नहीं लगी?
अली भाई दरवाजे पर ही खड़े रहे, उनके चेहरे पर एक रंग आ रहा था, एक जा रहा था। बाजी ने अली भाई को अंदर बुलाकर दरवाजा बंद कर दिया क्योंकी सर्दी आ रही थी। मैं हाँफ रही थी, इसलिए बाजी मुझे पानी पिलाते हुए बोली-“क्या हुआ गुड़िया, अंधेरे में डर गई क्या? या तुम समझी कि घर में कोई चोर घुस आया है?” मुझे खामोश पकड़कर बाजी मेरे साथ बैठ गईं और मुझे सीने से लगा लिया।
वो यही समझ रही थीं कि मैं या तो ख्वाब में डर गई या उन्हें अचानक देखकर घबरा गई हूँ।
बाजी ने कहा-“वो मेरे लिये दूध गरम करके लाती हैं…”
बाजी के जाने पर मैं गर्दन झुकाए बेड पर बैठी रही।
तो फौरन अली भाई बोले-“तेरा कॉलेज कैसा चल रहा है गुड़िया?”
|
|
02-06-2019, 05:05 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली-“आपको रात को अपने घर में कोई नहीं चाहता क्या?”
अली भाई अपनी घबराहट छुपाते हुए बोले-“मोम के बाद अब घर में मैं दिल ज्यादा नहीं लगाता…”
मैंने कहा-“घर में दिल ज्यादा नहीं लगता या दिल कहीं और ज्यादा लगता है?”
अली भाई बोले-“क्या तुम्हें मेरा यहाँ आना बुरा लगता है?”
मैंने कहा-“हरगिज़ नहीं। बात हमारे घर आने की नहीं है, बात छुप-छुप कर आने की है…”
अली भाई बोले-“सोबिया मेरी कजिन है, उससे मिलना कोई जुर्म नहीं, हम बाहर शदीद सर्दी में बाहर इसलिए खड़े रहे कि हमारी छोटी शहज़ादी की नींद ज़रा सी भी खराब ना हो…”
मैंने चाहा कि मैं पूछूँ कि अगर इस वक़्त मैं इस रूम में ना होती तो वो और बाजी कहाँ होते? बाहर खड़े होते या रूम के अंदर होते? लेकिन मामला चूंकी बाजी का था इसलिए मैं अपनी सीमायें जानती थी।
बाजी ग्लास में गरम-गरम दूध लाई, उन्होंने अपने हाथों से मुझे दूध पिलाया फिर लाइट आफ करके मेरे बिस्तर में घुसकर मुझे अपनी बगल में लिटा लिया और मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगीं।
अली भाई बाजी का कंप्यूटर ओन करके बैठ गये और मैं कुछ ही देर बाद नींद की गोद में चली गई। मुझे नहीं पता चल सका कि बाजी किस वक़्त मेरे बेड से उठकर गईं और कब अली भाई अपने घर वापिस चले गये।
सुबह आँख खुलने पर कुछ देर तक तो रात वाली घटना मेरी मेमोरी में नहीं थी, फिर कुछ-कुछ याद आया तो मैं सोचने लगी कि वो मेरा ख्वाब था या हकीकत?
बाजी खिलाफ-ए-मामूल किचन में अम्मी के साथ नाश्ता बना रही थीं लेकिन मेरी आहट सुनकर वो रूम में आईं और मुझे प्यार से अपने साथ बिठाकर पूछने लगीं-“मैं रात को इतनी ख़ौफजदा क्यों हो गई थी?”
मैंने पूछा-“क्या रात को अली भाई यहाँ आए थे या वो मेरा ख्वाब था?”
बाजी ने कहा-“अरे बेटा, कोई ख्वाब नहीं था, तुम्हारी नींद खराब ना हो, इसलिए मैं अली के साथ बॅकयार्ड में खड़ी हो गई…”
मैं बोली-“आपको तो पता है कि मुझे अंकल जहर लगते हैं…”
बाजी ने कहा-“अंकल तो हर इंसान को जहर लगते हैं सिवाए उस चुड़ैल के। लेकिन देखो बेटा, ये ज़रूरी तो नहीं कि अगर अंकल बुरे हैं तो उनके बेटे भी उन्हीं जैसे होंगे? हम तो बचपन से एक साथ खेलते आए हैं, अंकल की करतूत अंकल जानें, हम बाकी के रिश्ते तो खतम नहीं कर सकते ना?”
मुझे उस वक़्त ये बात कुछ ज्यादा हजम नहीं हुई, लेकिन मैं खामोश रही। बाजी और मेरे बीच बचपन से एक अनरिटन इनबिल्ट अग्रीमेंट रहा है कि हमें एक दूसरे से ये कहने की ज़रूरत नहीं रहती कि-“ये बात किसी को नहीं बताना और राज रखना है…”
|
|
02-06-2019, 05:05 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी को ये बात पता थी कि उनकी कोई बात अगर मुझे पता लगे तो वो कभी किसी और को पता नहीं लगे गी, या मेरी कोई बात बाजी तक पहुँचती तो बाजी तक ही रहती, इसलिए उस वक़्त ये टोपिक खामोशी से बंद हो गया, लेकिन मैं दिन भर इस बात पर सोचती रही। मैं जानती थी कि जवानी में लड़के और लड़की के इस तरह मिलने का मतलब क्या होता है? निशी का भी कजिन था और वो दोनों सेक्स भी करते थे, इसी तरह मेरी जिस फ्रेंड का भी कजिन या किसी लड़के के साथ मिलना मिलाना था तो उसका मकसद या रिजल्ट सेक्स की सूरत में ही सामने आता था। मैं जब बाजी के रूम में नहीं थी तब यकीनन अली भाई सुबह तक बाजी के साथ ही होते होंगे, और जाहिर है कि जवान लड़का और लड़की रात को एक ही रूम में लूडो थोड़ी खेलते होंगे।
मैंने चूंकी जवानी में कदम रखते ही सेक्स को पॉर्न में देख लिया था, इसलिए लड़के लड़की का सेक्स करना मेरे लिये कोई इतनी बड़ी बात नहीं थी। मेरे जेहन में ये था कि अगर लड़का लड़की सेक्स नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे भला? गुनाह-सवाब, सही-ग़लत, जायज़-नाजायज़ ये सब बातें मेरे जेहन में नहीं थीं। मैं सेक्स का टेस्ट सिर्फ़ देखने और उंगलियों होंठों से महसूस करना ही जानती थी। लेकिन जिस लड़की के पास अपनी पसंद का लड़का होता उसे खुश किश्मत समझती थी। इसीलिये शाम होते-होते मेरे जेहन से बाजी और अली भाई से संबंधित बहुत सारे बादल छट चुके थे और मैं उन्हें दो प्रेमियों की शक्ल में देखने लगी थी।
बाजी की कहानी पता चलते ही मेरा अपना सेक्स का नशा हिरण हो चुका था। मेरे रूम की छत पर अभी काम शुरू भी नहीं हुआ था, बिल्डर ने छत को पिलर से सहारा देकर सारा सामान निकलवा दिया था, जिसमें कुछ अम्मी अब्बू के रूम में और कुछ नीचे बैठक में पड़ा था। मैं चाहती थी कि बाजी का रूम उनके लिये छोड़ दूँ
लेकिन वो सब मुमकिन नज़र नहीं आ रहा था। बाजी के विहेबियर में कोई बदलाओ नहीं था लेकिन मैं खुद को रूम में अजनबी समझने लगी।
मैंने रात में हिम्मत करके बाजी से पूछ ही लिया-“क्या अली भाई तब भी आपसे मिलने आते थे जब मैं ऊपर अपने रूम में सोती थी?”
बाजी ने कहा-“हाँ…”
“क्या आपका गर्लफ्रेंड-बायफ्रेंड वाला सर्दी है?” मैंने हिम्मत करके जल्दी से पूछ लिया कि कहीं डर के मारे पूछ ही ना पाऊँ।
बाजी ने मेरी तरफ एकदम से देखा और बोली-“हाँ…”
मैंने पूछा-“क्या आप चाहती हैं कि मैं ये रूम छोड़ दूँ?”
बाजी एकदम मेरे करीब आईं और प्यार से बोलीं-“कभी भी नहीं, तुम मेरी लाइफ का सबसे इंपाटेंट हिस्सा हो, तुम्हें मैं रूम से क्यों निकालूं?”
मैं- “तो क्या आप इतनी सर्दी में रोज बाहर खड़ी रहेंगी कांपती ठिठुरती?”
बाजी बोली-“तो क्या हुआ?”
मैंने कहा-“मैं तो अपने टाइम पे सो जाती हूँ, आप उन्हें अंदर बुला लिया करें…”
बाजी ने बे-मन से टोपिक खतम करने के अंदाज में कहा-“ठीक है बुला लिया करूँगी, तुम फिकर ना करो…”
मैं नहीं जानती थी कि बाजी क्या करेंगी और क्या नहीं? लेकिन उस रात के बाद मेरी जिंदगी के उन हादसों ने अहिस्ता-अहिस्ता मेरे तरफ कदम बढ़ना शुरू कर दिया था, जिन्होंने मेरे शब-ओ-रोज का तहस-नहस कर देना था। मैं रात मुतमइन होकर सो गई और दिल में था कि अगर आँख खुली तो चेक करूँगी कि बाजी कहाँ हैं? और भाई रूम के अंदर हैं या बाहर? लेकिन मेरी आँख ही नहीं खुली। सुबह अज़ान के बाद उठी तो बाजी अपने बेड पर सोई हुई नज़र आईं।
|
|
|