non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
02-06-2019, 05:05 PM,
#21
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं नहीं जानती थी कि बाजी क्या करेंगी और क्या नहीं? लेकिन उस रात के बाद मेरी जिंदगी के उन हादसों ने अहिस्ता-अहिस्ता मेरे तरफ कदम बढ़ना शुरू कर दिया था, जिन्होंने मेरे शब-ओ-रोज का तहस-नहस कर देना था। मैं रात मुतमइन होकर सो गई और दिल में था कि अगर आँख खुली तो चेक करूँगी कि बाजी कहाँ हैं? और भाई रूम के अंदर हैं या बाहर? लेकिन मेरी आँख ही नहीं खुली। सुबह अज़ान के बाद उठी तो बाजी अपने बेड पर सोई हुई नज़र आईं। 

उस रोज कॉलेज में घर महसूस विूहात की बिना पर गुम-सुम सी रही। फ्रेंड ने एक दफा वजह पूछी, लेकिन मैं खुद वजह नहीं जानती थी। शायद आने वाले वक़्त का आगाज़ हो रहा था मुझे, जैसे किसी होने वाले हादसे का पेशगी खौफ। आज पहला दिन था जब कॉलेज से वापसी पर मेरा ध्यान अपने आपके बजाय आस-पास के माहौल पर था। 

आज मैं देख रही थी कि मेरे रास्ते में कुछ मनचलों के साथ-साथ खौफनक चेहरे भी मौजूद हैं, जैसे क्रिमिनल टाइप। मुझे जम के छेड़ा जाता था, आवाज़ें कसी जाती थीं, गंदी-गंदी बातें, पहले मैं उन पर ध्यान नहीं देती थी। 

लेकिन उस रोज वो मुझे बुरी तरह चुभ रही थीं, मैं अपमानित महसूस करने लगी थी और मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा कि कैसे ये इलाके के गुं डे रोज नज़रों ही नज़रों और अल्फ़ाज़ के लबादे में मेरे कपड़े उतारते थे और मैं खामोशी से गुजर जाती थी। 

मेरे गुस्से की वजह शायद ये भी थी कि अब वो आवाज़ें मुझे बहुत करीब से आने लगी थीं, जैसे उन लड़कों की हिम्मत बढ़ गई थी। मेरा दिल कह रहा था कि अगर मैंने इन लड़कों को बहुत इग्नोर किया तो कुछ ही दिनों में वो मुझ पर हाथ डाल देंगे। मेरे घर के रास्ते में काफी एरिया ऐसा था जहाँ बहुत कम दुकानें थीं या लोगों का आना-जाना इतना नहीं था। 4 लड़कों का एक ग्रुप मैंने ऐसा नोटीस किया जो ना सिर्फ़ मोटर साइकल्स पर मेरे साथ-साथ चलता, बल्की वो मेरी चुचियाँ, गान्ड, टाँगों और जिश्म के एक-एक उभार और कर्व पर खुली ज़ुबान में तारीफ भी करता। 

एक लड़के ने यहाँ तक कहा कि-“ आजा मेरी टंकी पे टांगें खोलकर बैठ जा, तेरे घर पहुँचने तक 5 मर्तवा छूट जाऊँगा, इतनी गरम है तेरी फुद्दी ओ मेरी गुड़िया…” 

मैं तेज-तेज कदम बढ़ती अपनी गली के महफूज मुकाम तक पहुँची और फिर मैंने जूते उतारकर घर की तरफ दौड़ लगा दी। मैं जानती थी कि बाजी तो घर पर होंगी नहीं और छोटे भाई को बताने का कोई फायदा नहीं क्योंकी वो खुद अभी बच्चा था। मेरे अंदर का खौफ चीख-चीख के किसी तूफान के आने की गवाही दे रहा था, लेकिन मैं उस दस्तक को समझ ना पाई। 

घर पहुँचने के कुछ देर बाद मेरा गुस्सा ठंडा होना शुरू हुआ और वोही कारण मेरे जेहन में आई कि लोफर लफंगों का काम ही यही होता है, ये लड़के तो आवाज़ें कस रहे थे, लेकिन मसरूफ जगहों में तो कोई-कोई आदमी मुझे उंगली करके चलते बनते थे, कोई कभी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका। अगर किसी मर्द के हत्थे चढ़ जाते तो उनकी पिटाई लग जाती, लेकिन दूसरे दिन वोही लोग दोबारा अपने काम पर लग जाते। रोज इन्हीं रास्तों से गुजरना है, अगर कोई फसाद कर दिया तो जिंदगी अजीर्ण हो जायेगी। मैं उस वक़्त लोफरी और जुर्म में फ़र्क नहीं कर पा रही थी। 

बाजी और अली भाई के रीलेशन, मेरे अंदर बढ़ती सेक्स इक्षा और कॉलेज से घर तक के रास्ते में पेश आती घटनाओं की वजह से मैं कुछ जहनी दबाओ में आ चुकी थी। कबाब में हड्डी बनने के रंज की वजह से बाजी के रूम में मेरा सुकून कम होता जा रहा था और अहिस्ता-अहिस्ता उसका असर मेरी नींद पे पड़ना शुरू हो गया। यही वजह थी कि उस दिन जब बाजी देर रात ओफिस से लौटीं तो मैं जाग रही थी। बाजी अक्सर खाना बाहर ही खाकर आती और रूम में आते ही चेंज करके कंप्यूटर पे अपना काम करने लगतीं। उस रोज मुझे जागता देखकर बाजी ने मेरे चेहरे पर परेशानी पढ़ ली थी। 

इसीलिये वो सीधा मेरे बेड पर आकर बैठ गईं और पूछा-“क्या बात है गुड़िया?” 

मैंने बाजी से कहा कि लाइट आफ करके मेरे पास आओ। बाजी ने फौरन लाइट आफ की, मेरे साथ कंबल में घुस गईं और सिरहाने से तकिया लगाकर मेरा सर अपने सीने पे रख दिया और पूछा-“अब बोलो…” 


मैंने कहा-“पहला सवाल… क्या मैं पूरी तरह जवान हो चुकी हूँ? मेरा मतलब है सेक्स के लिये तैयार?” मैं इस सवाल पर बाजी के एक्सप्रेशन्स तो नोट नहीं कर पाई लेकिन बाजी की कुछ देर खामोशी ने उलझन बढ़ा दी। 

फिर वो बोलीं-“हाँ, लेकिन अभी कच्ची हो, थोड़ी बच्ची हो…” 

मैंने इस ना समझ आने वाले जवाब पर अपना सवाल खतम करके दूसरा सवाल पूछा-“ये बताओ कि क्या आप और अली भाई रातों को सेक्स करते थे, और रोज करना चाहते हो?” मैंने इन सवालों में छुपे अपने खौफ को कम करने के लिये लाइट आफ करवाई थी और बाजी को अपने अंदर दबोच लिया था ताकी वो हर सवाल का पूरा जवाब दें। 

बाजी बोली-“हाँ… काफी टाइम से…” 

मैंने पूछा-“अब आप सेक्स नहीं कर पातीं तो क्या आप भी मेरी तरह बेचैनी महसूस करती हो?” ये बात कहते ही मुझे एहसास हो चुका था कि सवाल ग़लत हो गया। 

इसीलिये बाजी ने अचानक ऊपर उठकर मेरे चेहरे को जोर से पकड़ा और अंधेरे में फेस एक्सप्रेशन्स देखने की कोशिश करते हुए गुस्से से पूछा-“क्या तुम सेक्स कर चुकी हो, बताओ, फौरन?” 
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02-06-2019, 05:05 PM,
#22
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैंने कहा-“नहीं बाजी, सवाल ग़लत हो गया। मैंने अपने जवान होने का इसलिए पूछा पहले कि चूंकी मेरे अंदर ऐसी इक्षा पैदा हो रही है तो क्या आप में भी पैदा होती है क्योंकी आप तो आलरेडी सेक्स कर चुकी हो?” मेरे और बाजी के बीच हमेशा विश्वास का पर्दा रहा है। 



इसीलिये बाजी ने फौरन मेरी बात पर 100% बिलीव करते हुए कहा-“ये सच है…” बाजी बहुत नपे तुले जवाब दे रही थीं इस डर की वजह से कि कहीं में उनके किसी जवाब पर मिसगाइड ना हो जाऊँ। 



मेरा अगला सवाल-“क्या आप इस पर खुश होंगी, अगर मैं रात में कुछ देर के लिये दूसरे रूम में चली जाया करूँ और फिर जब आप कहें मैं वापस आ जाया करूँ? क्योंकी अगर आपने अली भाई से सिर्फ़ बातें ही करनी होतीं तो वो तो फोन पे भी हो सकती हैं…” 



बाजी ने कहा-“मैं अपनी किसी चीज़ की वजह से तेरी नींद खराब नहीं कर सकती, तुमने सुबह कॉलेज जाना होता है और मैं तो दोपहर तक पड़ी रहती हूँ…” 



मैंने कहा-“बाजी, बाहर बहुत सर्दी होती है, आप दोनों बीमार पड़ जायेंगे, मैं तो सो रही होती हूँ इसलिए अगर आप दोनों रूम में भी हों तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, आप समझ रही हैं ना मेरी बात?” 



बाजी ने कहा-“हाँ… देखते हैं 





मेरा दिल था कि बाजी को उन लड़कों का बताऊँ जिन्होंने कॉलेज के रास्ते में मेरी जिंदगी दूभर कर दी थी लेकिन रात की बातचीत की हैपी एंडर्ंग के वजह से उस वक़्त खामोश हो गई। बाजी ने मेरे बालों में उंगलियाँ फेरकर अगले लम्हे मुझे नींद के आगोष में पहुँचा दिया। 

सुबह कॉलेज जाते हुए मैं खुद को काफी रिलेक्स महसूस कर रही थी। 12:00 बजे के बाद मैं दोस्तों के साथ नशा और मस्ती पाटी के लिये उसी प्राइवेट बँगलो में चली गई, जहाँ दोस्त लोग अपनी प्यास अपने तरीके से और मेरी प्यास मेरी सीमा में रहकर बुझती थीं। पॉर्न देखना हमारी हाबी और हल्की-फुल्की वाइन की चुस्कियाँ महज एक फन था। मैंने अपनी दोस्तों पर जाहिर किया कि “अब तो मैं भी कल्पना करने लगी हूँ कि मेरे अंदर उंगली की बजाय किसी लड़के का लंड जा रहा है, बड़ा अच्छा महसूस होता है कसम से…” 



मेरी दोस्तो ने ये सुनते ही रूम में एक जोर से आवाज़ लगाई-“पव देखो, निदा जवान हो गई, ओ आज ही नथ खुलवाओ हुन्न…” 



मैंने दोस्त के कान में कहा-“ओ नहीं, मैं सिर्फ़ बता रही हूँ कि अब में क्या महसूस करती हूँ, तुम लोगों जैसा महसूस करती हूँ, जो इस मूवी में हो रहा है वो सब महसूस करती हूँ…” ये बताने की ज़रूरत नहीं अब की उस रूम में मेरी एक दोस्त के इलावा हम सब दोस्त पूरी तरह से नंगी रहती थीं। 


इसीलिये मेरी दोस्त मुझे पकड़कर टीवी के सामने ले गई, जहाँ ग्रुप सेक्स सीन चल रहा था काफी देर से। मुझे टीवी के सामने खड़ा करके वो पीछे चिपक कर खड़ी हो गई और अपने हाथ मेरे बाजुओं के नीचे से गुजारकर पहले मेरी चुचियों पर लाई और फिर अपना दायां हाथ मेरे फेस की तरफ लेजाकर उंगली मेरे मुँह में देकर बोली-“निदा, केवल महसूस करो इसे, समझो ये लंड है और इसे चूसो, जैसे वो लड़की चूस रही है, फिकर ना करो ये तेरे मुँह में नहीं छूटेगा…
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02-06-2019, 05:05 PM,
#23
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं भी मस्ती में उसकी उंगली चूसकर आआह्ह… अयाया… उफफ्र्फ… की एक्टिंग करती रही। कुछ सेकेंड के बाद मुझे भी उंगली का टेस्ट बदलता महसूस हुआ और मैं अब उसी अंदाज में चूस रही थी, जिस तरह मूवी में एक लड़की लड़के का लंड चूस रही थी। जब वो अपनी ज़ुबान लंड के टाप पर फेर रही थी तो मैंने भी फ्रेंड की उंगली की टिप पर ज़ुबान फेरना शुरू कर दिया। 

मूवी में जब लंड लड़की के मुँह में डिस्चार्ज हुआ तो मेरी दोस्त बोली-“मैं भी उंगली लंड तेरे मुँह में डिस्चार्ज कर दूँ, फिकर ना कर अभी बहुत सारे हैं?” 

मैं बोली-“कर दे, आज जो करना है कर दे, जितनी हैं सारे ले आ…” 

मेरी दोस्त की बड़ी-बड़ी चुचियाँ और टाइट होते निप्पल्स मुझे कमर और उंगली मुँह में अजीब मज़ा दे रहे थे, और मैं उंगली को ऐसे चाट रही थी जैसे मूवी में लड़की वीर्य भरे मुँह से लंड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी। मूवी में डिस्चार्ज वाला सीन खतम हुआ तो दूसरी लड़की को लड़के के लंड पर बैठा दिखाया गया। मेरी बॉडी खुद-बा-खुद रिएक्ट करना शुरू हो गई थी, खड़े-खड़े मैंने टांगें खोल दी और मेरी दोस्त चुचियों पर से हाथ हटाकर पीछे से मेरी चूत पर उंगलियाँ फेरने लगी। 


मैं अपने घुटनों पर हाथ रखकर झुक गई और बोली-“उफफ्र्फ… माइ गॉड… ये लंड इस लड़की को कितना मज़ा दे रहा होगा? काश… ये लंड इस वक़्त मेरे अंदर जा रहा होता। क्या आज कोई मुझे चोद सकता है?” 

मेरी दोस्त ने काफी हैरत से पूछा-“यही वाला लंड? तू तो कहती थी कि काफी बड़ा होता है, तेरे अंदर नहीं जा सकता…” 

मैंने तेज-तेज साँसों के साथ लंड के मज़े की कल्पना करते हुए कहा-“कमीनी, बातें ना चोद, मुझे चोद … अगर उस लड़की में जा सकता है तो मेरे अंदर भी जा सकता है…” 

ये सुनते ही साथ सोफा पर बैठी मेरी दोस्त ने ताली बजाते हुए कहा-“वावूओ… निदा की सेक्स फ़िलासफी में ये बहुत बड़ा बदलाव है। वावूओ…” 

मैंने उससे कहा-“हरामज़ादी, यहाँ तू मीसनी बनी बैठी रहती है और बाहर पता नहीं कितने लंडों पर नम्बर लगाती होगी?” 

जो फ्रेंड मुझे सेक्स का मज़ा दे रही थी वो बोली-“ये सिर्फ़ करेन्सी के सामने नंगी होती है, पैसे के साथ-साथ इसके कपड़े भी नीचे गिरते हैं, फिर नोटों की जितनी गड्डिया इसके पर्स में फेंको, उतने लंड इसके बॉडी में डालो। ओ इन्नु नोट दिखा, अईडा मूड बने…” 



सोफा पर बैठी फ्रेंड ने अपनी फाइल हमारी तरफ दे मारी। लेकिन इस दफा भी उसका निशाना चूक गया। मैं सेक्स के शुरूर और लंड को कल्पना करते-करते डोगी पोज़ीशन में चली गई थी और सोफा से कुर्सी खींचकर अपना चेहरा उसपर इस पोज़ीशन में रख दिया था कि टीवी पर भी मेरी नज़र रहे। मूवी में अब एक लड़की लंड चूस रही थी और दूसरी घोड़ी बनी हुई थी। मेरी आँखों में सेक्स का नशा भर चुका था और मैं बेइख्तयार बोले जा रही थी-“उफफ्र्फ… उफफ्फो चोदो मुझे प्लीज़, मुझे लंड से चोदो प्लीज़…” मेरी चूत डोगी पोज़ीशन में पीछे की तरफ झटके मार रही थी। 

और मेरी फ्रेंड मेरी चूत के होंठों खोलकर दो पतली सी उंगलियाँ थोड़ा सा मेरी चूत में डाल चुकी थी। मूवी में क्लोजप सीन था जिसमें लड़के का लंड पूरा लड़की की चूत में अंदर बाहर हो रहा था, ये देखकर मैं फ्रेंड से बोली-“काश… इस वक़्त तेरे पास भी लंड होता, मुझे बहुत शौक हो रहा है। इस वक़्त मैं कुछ भी ले लेती…” 

मेरी दोस्त बोली-“मेरे पास इस वक़्त लंड होता तो मैं दुनियाँ का सबसे खुशकिश्मत लड़का होती, जिन्सी बिल्ली तू अपना जिश्म तो देख ज़रा। ऐसा है कि दुनियाँ की सबसे खूबसूरत लड़की भी देखकर जेलस हो जाये। दूध जैसा गोरा जिश्म, रसमलाई जैसी मीठी चूत पर एक भी बाल नहीं, हम तो दिन भर शेव करते रहें तब भी कहीं ना कहीं बाल रह ही जाते हैं, पुस्सी के गुलाबी होंठ, पुस्सी जूस की मधुर खुश्बू और तेरी मोस्ट सेक्सी सुडोल गान्ड के अंदर ये लाइट पिंक सी ग्लोरी होल। ओह माई गॉड… कसम से लंड होता तो तेरे अंदर ही डिस्चार्ज होकर फौरन दोबारा खड़ा हो जाता। मैं लड़का होती तो तुम्हें उठा कर ले जाती, जंगल में झोपड़ी बनाती और दिन रात सिर्फ़ तुम्हें चोदती…”
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02-06-2019, 05:06 PM,
#24
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मेरी दोस्त बोली-“मेरे पास इस वक़्त लंड होता तो मैं दुनियाँ का सबसे खुशकिश्मत लड़का होती, जिन्सी बिल्ली तू अपना जिश्म तो देख ज़रा। ऐसा है कि दुनियाँ की सबसे खूबसूरत लड़की भी देखकर जेलस हो जाये। दूध जैसा गोरा जिश्म, रसमलाई जैसी मीठी चूत पर एक भी बाल नहीं, हम तो दिन भर शेव करते रहें तब भी कहीं ना कहीं बाल रह ही जाते हैं, पुस्सी के गुलाबी होंठ, पुस्सी जूस की मधुर खुश्बू और तेरी मोस्ट सेक्सी सुडोल गान्ड के अंदर ये लाइट पिंक सी ग्लोरी होल। ओह माई गॉड… कसम से लंड होता तो तेरे अंदर ही डिस्चार्ज होकर फौरन दोबारा खड़ा हो जाता। मैं लड़का होती तो तुम्हें उठा कर ले जाती, जंगल में झोपड़ी बनाती और दिन रात सिर्फ़ तुम्हें चोदती…” 







ये सब सुनकर मेरी गरमी बढ़ती जा रही थी, चूत काफी पानी छोड़ चुकी थी। लेकिन मूवी में नान स्टाप सेक्स देखकर मेरी इक्षा में कमी नहीं हुई, जब लड़के ने लड़की की चूत में ज़ुबान दी तो मैं फ्रेंड से बोली-“यार निशी के बैग में हेयर ब्रश होगा, वो निकाल ले…” 



ये सुनते है सोफा पर बैठी दोस्त बोली-“पागल हो गई है क्या? तेरी और निशी की बॉडी में ज़मीन आसमान का फ़र्क है…” ये कहकर उसने अपने पर्स से लाल कलर का बड़ा मार्कर निकाला और उसे मेरी दोस्त की तरफ फेंकते हुए कहा-“ये ले, इस जिन्नसी बिल्ली को फिनिश करके कपड़े पहना वरना ये लंड लंड करती रहेगी और तू अगले ही रोज अपनी जीन्स बदलने करने पहुँच जायेगी…” 



फिर उसने बैग से वैसेलीन की छोटी डब्बी भी निकालकर मेरी फ्रेंड की तरफ फेंकी और बोली-“तू इसकी बॉडी ज़रूरत जानती है, वैसेलीन लगाकर मार्कर पीछे डाल और इसकी गर्मी कम कर…” 



सेक्स का नशा मेरे सर चढ़कर बोल रहा था और मैं पॉर्न में होने वाले हर आक्ट को खुद के साथ होता महसूस कर रही थी, आँखें लाल हो गई थीं और लंड की कल्पना करने की वजह से मैं नॉर्मल से ज्यादा ओर्गज्म्स ले रही थी, वरना इससे पहले मेरे लिये इतना ही काफी होता था। मेरी फ्रेंड ने मार्कर पर थोड़ी सी वैसेलीन लगाई, उसके बाद वैसेलीन से मेरी गान्ड के सुराख पर धीरे-धीरे मसाज करने लगी और फिर अहिस्ता से उंगली अंदर डाल दी। 



मैं उस दिन हर चीज़ को लंड समझकर महसूस कर रही थी और मेरे मुँह से पॉर्न लड़की जैसी आवाज़ें निकल रही थीं। मुझे अपनी गान्ड के सुराख पर कुछ हार्ड सी चीज़ महसूस हुई। मेरी दोस्त ने दो उंगलियाँ थोड़ी सी मेरी चूत में डालकर उन्हें ऊपर की तरफ हल्का सा पुल किया और मार्कर धीरे-धीरे मेरी गान्ड में घुसाने लगी। नॉर्मल एहसास में शायद मैं इतना मोटा मार्कर ना ले पाती, लेकिन उस दिन मेरी बॉडी बड़ा साइज़ को रेस्पान्स दे रही थी। मेरी नज़र पॉर्न में होने वाली डबल पेनेट्रेशन पर थी और मेरे जिश्म में भी वेसी है फीलिंग्स चल रही थीं। कुछ सेकेंड में ही आधा से ज्यादा मार्कर मेरे अंदर जा चुका था। ज्यादा वैसेलीन की वजह से मेरी दोस्त जैसे ही मार्कर छोड़कर चूत को रगड़ती, मार्कर उछलकर गान्ड की सुराख से बाहर निकल जाता। वो दोबारा डालती तो मुझे इस फन का बहुत मज़ा आ रहा था। 



मैं पॉर्न की ज़ुबान में बोली-“वावूओ… वाट आ फक बेबी…” 



मेरी दोस्त चूत में उंगली घुमाते हुए बोली-“क्या तुम अब असल में लड़का और लड़की वाला सेक्स करना चाहती हो? 



“मैंने कहा-“हाँ… तेरी माँ की कसम, अगर झूठ बोलूं तो सारा इलाका मिलकर तेरी माँ को चोदे…” 



मेरी दोस्त तो हँस पड़ी लेकिन सोफा पे बैठी फ्रेंड गुस्से से चीख के बोली-“निदा पागल मत बन, मज़ाक नहीं होता ये सब? ऐसा कुछ तेरे साथ भी हो सकता है। और जिस इलाके में तू रहती है ना, तेरी मोम लगता है ये सब भुगतती रही है। अंजुमन-ए-कुमरबाजन एंड मानशीयात-फरोशान के हेड ओफिस वहीं पर हैं। ऐय्याश मदों का ठिकाना है, कभी अकेली किसी के हत्थे चढ़ गई ना तो सारे मिलकर अपने हाथ और लंड तुम पे साफ कर देंगे…” 





ये बात सुनते ही मेरा सेक्स का नशा भक्क से उड़ गया, सुखद आँखों में आँसू तैरने लगे, मैं खुद को समेटते हुए टाँगों में सर देकर खामोशी से बैठ गई। रूम में सन्नाटा छा चुका था। हम दोस्त तो आपस में मज़ाक करते थे, सब एक दूसरे के साथ। लेकिन इस दफा मुझे गाली दी गई थी, बात ने मेरे दिल पे चोट किया था, मैं अपमानित महसूस कर रही थी। 



दोस्त ने फौरन टीवी आफ किया, मैंने जल्दी-जल्दी कपड़े पहनना शुरू कर दिया। इस दौरान दूसरी दोस्त ने कोई टेक्स्ट मेसेज भेजा और 15 सेकेंड में ही निशी और तीसरी फ्रेंड दौड़ते हुए नीचे से ऊपर आ गये। निशी ने दरवाजा झटके से खोलते हुये मुझे अपने साथ बिठाते हुए पूछा-“क्या हुआ है यहाँ?” 



जिस दोस्त ने ये बात की थी, उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। 



मैंने अपने आँसू साफ करते हुए कहा-“कुछ नहीं हुआ, आई नीड लिफ्ट। मुझे अपने गंदे इलाके में फौरन वापस जाना है…” 



निशी को सिचुयेशन का कुछ पता नहीं था। मैं ये कहकर अपना बैग उठाकर नीचे उतरने लगी तो मेरी दोस्त ने दौड़ते हुए आकर सीढ़ियों पर ही मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे पैरों में बैठकर रोने लगी। मैं फौरन उसके साथ ही सीढ़ियों पर बैठ गई और उसे बाजुओं के घेरे में ले लिया क्योंकी मैं जब रोती थी तो सोबिया मेरे साथ ऐसा ही करती थी। 



मेरी दोस्त रोते हुए बोली-“निदा, आई आम सारी प्लीज़…” मैंने जो कहा बिला वजह के गुस्से में कहा, झूठ कहा। तुम चाहो तो मुझे थप्पड़ मार दो, मेरे मुँह पे थूक दो, लेकिन खफा ना हो, माफ कर दो…” 


मैंने उसके गाल पर किस करते हुए कहा-“हम यहाँ जो करते हैं एक चारदीवारी में दोस्तों की आपस की मस्तियाँ होती हैं और फिर इस चारदीवारी के अंदर भी हर किसी की अपनी-अपनी चारदीवारी है। हमने आज तक नीचे के रूम में झाँक के देखने की कोशिश नहीं की, जहाँ निशी और जूबी होती हैं। कमरे में उनके साथ कौन होता है कौन नहीं? ना हमने कभी झाँका, ना कभी उन्होंने हमारे रूम में झाँका। सबकी अपनी-अपनी चारदीवारी है। मैंने सेक्स के नशे में जो कहा था वो बिल्कुल सच कहा था। अपनी असली फीलिंग्स बताई थी। सच बोलना कभी गुनाह नहीं होता। मैं तो गुनाह को ज्यादा जानती ही नहीं क्योंकी अपनी नज़र में आज तक मैंने कभी कोई गुनाह नहीं किया। औरों की नज़र में शायद मैं दुनियाँ की सबसे गुनहगार लड़की हूँ। अपनी-अपनी सोच और देखने का नज़रिया होता है। मेरे अंदर जो इक्षा जनम ले रही है वो सच्ची है और उसका इज़हार भी सच्चा है। तुम्हारी बात ने मेरे कानों में यकीनन जहर घोला है लेकिन उसी जहर ने शीशा बनकर मेरी आँखों के सामने से एक पर्दा हटा दिया है। इस चारदीवारी के अंदर जो है वो तो हम दोस्तों का अपना है और हम हमेशा दोस्त रहेंगी। इसी तरह रहेंगी, मस्तियाँ करेंगी। लेकिन आज तुम्हारी एक बात से मैं इस चारदीवारी से बाहर होने वाले एक जुर्म की दस्तक पहचान गई हूँ। वो जुर्म कब से मेरे दरवाजे पे दस्तक दे रहा था, लेकिन मैं समझ ना पाई। आज समझ गई हूँ इसलिए मुझे फौरन घर जाना है और अपनी बहन से हेल्प माँगनी है। हम सब अलग-अलग लड़कियाँ हैं इसलिए बात करने का अंदाज भी अलग-अलग है। अगले हफ्ते फिर मिलेंगे और इसी तरह मिलेंगे। नो माफी, जस्ट झप्पी एंड पप्पी…” ये कहते हुये मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर किस किया और निचले होंठ को हल्का सा काटा। 
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02-06-2019, 05:06 PM,
#25
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
हम दोनों मुश्कुरा दीं और मैं बाहर गेट की तरफ चल पड़ी। निशी ने लिफ्ट अरेंज कर दी थी इसलिए गेट खुला हुआ था और निशी का कजिन कार के पास खड़ा सिगरेट पी रहा था। 

मुझे देखते ही उसने फौरन सिगरेट फेंक दी और कार का दरवाजा खोलते हुए कहा-“आप बहुत लंबी हैं और कार छोटी। अगर कहें तो सन-रूफ खोल दूँ?” 

मैंने स्पॉट लुक के साथ उसकी तरफ देखा और कहा-“अगर ये मज़ाक था तो फिर कभी सुना देना। मैं जरूर हँसने की कोशिश करूँगी…” 

वो एकदम घबरा गया और मैं खिलाफ-ए-मामूल इस दफा कार की पिछली सीट पर बैठ गई। जिस बँगलो से मैं निकली थी, वो शहर से थोड़ा दूर था लेकिन मेरे लिये महफूज। क्योंकी हम दोस्तों में विश्वास का रिश्ता था। जो लड़के वहाँ होते, हम अक्सर सिर्फ़ पिक एंड ड्रॉप की वक़्त ही उनके चेहरे देख पाते थे। ये अलग किश्म के लोग थे। मैं उस वक़्त अकेली जवान लड़के के साथ कार में बैठी थी, लेकिन मज़ाल है कि उसने बैक मिरर से भी मुझे घूरने की कोशिश की हो। 

मुझे उस वक़्त अपनी एक दोस्त की बात याद आ रही थी जिसने कहा था-“निदा, हम तो तुम्हें देखते रहते हैं, कभी खुद को भी शीशे में देखो। ऐसी चीज़ हो तुम कि अगर तुम्हें महज देखने के लिये टिकिट लगा दिया जाये तो मर्द लोग एक मिनट में करोड़ों रूपये लुटाकर चले जायेंगे, सिर्फ़ एक दीदार के लिये। इसलिए लाइफ में हमेशा बहुत सावधान रहना…” 

लेकिन यहाँ दोस्ती का रिश्ता था, दुनियाँ का सबसे मजबूत रिश्ता और मैं सुनसान सड़क पर एक लड़के के साथ खुद को महफूज होने की कल्पना कर रही थी। कार जब शहर में दाखिल हुई तो डर ने मेरे जेहन को घेरना शुरू कर दिया। अपने इलाके की तरफ बढ़ते हुए मुझे वहशत हो रही थी। वो घटनायें जिन्हें मैं हमेशा इग्नोर करती थी आज मेरे जेहन में ताजा हो रहे थे। मुझे महसूस सा होने लगा था कि जुर्म के हाथ मेरे दामन को छूने वाले हैं। 

जब कार मेरे कॉलेज रूट के रास्ते पर आई तो मुझ पर खौफ छाने लगा। मुझे उन सड़कों पर खून दिखाई देने लगा, लाशें नज़र आने लगीं जैसी लोग एक दूसरे को मार रहे हों और मैं उनके बीच गुम-सुम खड़ी हूँ। मैं वहाँ से भागना चाहती थी लेकिन अचानक मेरे मुँह से निकला-“यहाँ कार रोकें ज़रा प्लीज़…” 

निशी के कजिन ने फौरन ब्रेक लगा दी और पीछे मुड़े बगैर पूछा-“जी, हुकुम करें। ख़ैरियत तो है?” 

मैं बोली-“एक बात पूछूँ?” 

वो बोला-“हज़ार पूछो…” 

मैंने कहा-“अगर इस सड़क पर चार पाँच लड़के इस वक़्त मुझे बुरी तरह छेड़ रहे होते, हाथ डाल रहे होते तो आप क्या करते?” 

वो मेरी तरफ देखकर बोला-“ओके, मैं एक मामूली सा इंसान हूँ लेकिन अगर कोई आपको मेरे सामने कहीं भी हाथ लगाए या छेड़े तो अगर मैंने उसका हुलिया बिगाड़कर उसकी आंतें इस सड़क पर ना फेंक दीं तो रब की कसम आप मेरी नश्लों पर लानत भेजें। ये मज़ाक नहीं है, आजमा के देखना कभी…” 

मैंने अपने आँसू छुपाने के लिये सर झुका लिया। 
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02-06-2019, 05:06 PM,
#26
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैंने कहा-“अगर इस सड़क पर चार पाँच लड़के इस वक़्त मुझे बुरी तरह छेड़ रहे होते, हाथ डाल रहे होते तो आप क्या करते?” 

वो मेरी तरफ देखकर बोला-“ओके, मैं एक मामूली सा इंसान हूँ लेकिन अगर कोई आपको मेरे सामने कहीं भी हाथ लगाए या छेड़े तो अगर मैंने उसका हुलिया बिगाड़कर उसकी आंतें इस सड़क पर ना फेंक दीं तो रब की कसम आप मेरी नश्लों पर लानत भेजें। ये मज़ाक नहीं है, आजमा के देखना कभी…” 

मैंने अपने आँसू छुपाने के लिये सर झुका लिया। 

वो फिर बोला-“अगर कोई प्राब्लम है तो बताओ दोस्त। या तो वो प्राब्लम नहीं रहेगी, या मैं नहीं रहूँगा। आपको याद है निशी के घर पहली बार मैंने आपको देखा था। मेरे साथ दोस्त भी था। आपके चेहरे पर मामूली सी घबराहट महसूस करके मैंने फौरन अपने दोस्त को रूम ही नहीं बल्की बँगलो से ही बाहर निकाल दिया था। वो उस दिन दो घंटे बाहर मेरे इंतजार में खड़ा रहा। उस दिन के बाद क्या आपने उसे दोबारा कभी देखा? नहीं ना? मैंने उस दिन के बाद किसी भी फ्रेंड को आप लोगों के करीब तक नहीं फटकने दिया। ठीक है, हम ज्यादा बुरे और थोड़े अच्छे होंगे, लेकिन आप निशी की दोस्त हो और हम दोस्ती और इज़्ज़त रखना, निभाना और संभालना खूब जानते हैं…” 

मैंने कहा-“मुझे मेरी गली की नुक्कड़ तक ले जायें। पहले की तरह फासले पर ना उतारें…” 

उसने मुझे घर के बिल्कुल सामने उतार दिया और जाते हुए कहा-“कोई प्राब्लम हो, सिर्फ़ निशी को इशारा दे दें, वो अगले लम्हे मुझे बता देगी। कीप इन माइंड, यू आर इन हर हार्ट सो माइन। टेक केयर…” 

गली की नुक्कड़ से घर के दरवाजे तक का सफर भी मुझ पर भारी था, एक अंजाना खौफ मुझे सता रहा था। घर में घुसने तक निशी लोगों को पता चल चुका था कि मैं ख़ैरियत से पहुँच चुकी हूँ इसीलिये एक-एक करके सबके फोन आने शुरू हो गये। 

रात देर तक बाजी का इंतजार किया लेकिन जब 11:00 बजे तक भी वो ना आईं तो मैंने उनको काल मिला दी और फौरन पूछा-“बाजी आप कब आओगी? मैं इंतजार कर रही हूँ…”

बाजी ने पूछा-“ख़ैरियत तो है? मैं शहर से बाहर टूर पर हूँ, अम्मी को बता चुकी हूँ, मैं तो कल दिन में 12:00 बजे तक आऊँगी। कोई प्राब्लम या इमरजेंसी तो नहीं?” 

मैंने कहा-“नहीं, सब ठीक है, वैसे ही पूछ लिया था…” काल आफ हो गई क्योंकी बाजी शायद ट्रेवल में थीं। 

मैंने अली भाई को फोन मिलाया तो वो ओफिस में थे। मेरी काल देखकर वो शायद परेशान हो गये, इसीलिये फौरन पूछा-“गुड़िया ख़ैरियत तो है, तुम ठीक हो ना?” 

मैंने कहा-“हाँ, बस बाजी से बात कर रही थी लेकिन काल डिसकनेक्ट हो गई तो सोचा आपसे पता कर लूँ…” 

अली भाई बोले-“अगर कोई प्राब्लम है तो मुझे बता दो अभी या फिर मैं 12:00 बजे फिनिश करके आ जाऊँगा और वहीं बात कर लेंगे…” 


मैं बोली-“नहीं ऐसा कुछ नहीं, और आज बाजी भी शहर से बाहर हैं, रात को रूम में नहीं होंगी…” 

अली भाई बोले-“ओह्ह… थ्टट्स फाइन। कोई प्राब्लम हो तो बिला झिझक किसी भी वक़्त काल कर देना…” 

मैं रात देर तक जागती रही। बाजी के बेड पर लेटी रही, पता नहीं किस वक़्त आँख लगी, सारी रात सपने से बेचैन रही। सुबह जब आँख खुली तो मेरा जिश्म बुखार में तप रहा था। मेरा सर बाजी की गोद में था, अली भाई और अम्मी मेरे सिरहाने खड़े थे। मेरी आँख खुलते ही सबकी जान में जान आई। 

बाजी ने कहा-“शुकर है तुम जाग गई, हम कब से तुम्हें जगाने की कोशिश कर रहे थे और अली को इसीलिये बुलाया कि तुम्हें फौरन हॉस्पीटल ले जायें…” 

मेरा मोबाइल बाजी के पास था और कॉलेज से दोस्तों की कई काल्स आ चुकी थीं। 

बाजी ने मुझसे धीरे से पूछा-“कुछ ऐसा हुआ है जो तुम सिर्फ़ मुझे बताना चाहती हो?” 

मैं बोली-“हाँ…” 

मेरे मुँह से ये सुनते ही कुछ लम्हे के लिये बाजी के चेहरे पर परेशानी के आसार आए, लेकिन उन्होंने फौरन मूड बदलते हुए कहा-“जो भी है, कोई बात नहीं। ट्रस्ट इन मी। मैं हूँ ना…” बाजी शावर लेने चली गईं और अली भाई मेरे पास बैठ गये। 

मैं कुछ देर उनको देखती रही फिर धीरे से बोली-“एंजाय युवर लाइफ, कोई बात नहीं। ट्रस्ट इन मी। मैं हूँ ना…” कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि उस वक़्त शायद मुझे ये अल्फ़ाज़ नहीं बोलने चाहिए थे। क्योंकी इन अल्फ़ाज़ के अगले दो तीन दिनों में मेरी बर्बादी का आगाज़ हो रहा था, बस मेरे घर से बाहर कदम रखने की देर थी अब और फिर उस निदा ने घर लोटना ही नहीं था जो मैं उस वक़्त तक थी।
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02-06-2019, 05:06 PM,
#27
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
***** *****अध्याय 04-खटमलनी 





किस दा दोष सी किस दा नईं सी 
आय गलान हूँ कारण दाइयन नईं 
वाइले लंग गये टोबा वाले 
रातन हूके पारण दाइयन नईं 
कुंज इंज वी रावें ओकियां सुन 
कुंज गाल विच घाम दा टोक वी सी 
कुंज शेर दे लोग वी जालउं सुन 
कुंज मैनउ मारन दा शौक वी सी 

मैं हमेशा देर कर देती हूँ या वक़्त से पहले मुँह खोल देती हूँ। जिंदगी के वो लम्हात जहाँ मुझे खामोशी इख्तियार करनी होती थी, मैं बागें देना शुरू कर देती थी और जहाँ खतरे को महसूस करके फौरन बताना होता था वहाँ मेरी ज़ुबान को ताले लग जाते थे। 

उस रोज जब मैंने अली भाई से कहा-“एंजाय युवर लाइफ, कोई बात नहीं। ट्रस्ट इन मी। मैं हूँ ना…” 

मुझे उसी लम्हे एहसास हुआ कि शायद मुझे ये नहीं कहना चाहिए था। क्योंकी उसके बाद अली भाई के चेहरे पर एक अजीब सी उलझन के भाव दिखना होना शुरू हो गये थे। वो ये फैसला नहीं कर पा रहे थे कि मेरे इस बचपने को किस तरीके से हेंडल करें। मुझे वक़्त गुजरने के साथ-साथ अली भाई से कुछ लगाव हो गई थी जिसकी एक वजह ये भी थी कि मैंने हर मुश्किल और तकलीफ के वक़्त में उन्हें बाजी की वजह से अपने आस-पास ही पाया। 

ताया से नफ़रत अहिस्ता-अहिस्ता अब ताया की शख्सियत तक ही सिमट चुकी थी। 

मैंने टोपिक बदलते हुए अली भाई से पूछा-“बाजी ने तो लेट आना था फिर वो इतनी सुबह-सुबह कैसे वापिस आ गईं?” 

अली भाई ने बताया-“आंटी (मेरी मोम) ने सुबह तेरी तबीयत खराब होने पर सोबिया को फोन किया, जिस पर वो बिज्निस मीटिंग अधूरी छोड़कर घर आ गई…” 

मुझे अचानक याद आ गया कि मेरी तबीयत क्यों इतनी खराब हो गई थी, एक लम्हे के लिये सोचा कि अली भाई को सब बता दूँ लेकिन फौरन ये खयाल अपने जेहन से झटक दिया कि इस काम के लिये बाजी से बेहतर कोई नहीं हो सकता। 

अली भाई कुछ देर मेरे साथ बैठे रहे फिर बाजी के कंप्यूटर पर टाइम पास करने लगे। बाजी शावर लेकर आईं तो उन्होंने अली भाई की रूम में मौजूदगी के बावजूद एक कोने में जाकर ड्रेस चेंज किया और कुछ देर बाद वो दोनों बाहर कहीं चले गये। मेरी सब दोस्तों की काल आई, वो मुझसे मिलने आना चाहती थीं। लेकिन मैंने सबको मना कर दिया क्योंकी कॉन्स्टरेक्सन की वजह से घर की हालत कोई ऐसी शानदार नहीं थी। 

मैं बाजी की वापसी का इंतजार करती रही ताकी उनसे अपनी प्राब्लम डिस्कस कर सकूँ। दो बजे के करीब बाजी मेरे लिये कुछ जूसेज और मेडीशन लिये जब वापिस आईं तो उनके चेहरे पर थकावट के असर नुमाया थे, शायद बिज्निस टूर की वजह से वो रात भर सो नहीं सकी थीं। इसीलिये वो आते ही मेरे साथ बिस्तर में घुसीं और सो गईं। बाजी ने एक आध घंटा ही आराम किया होगा। जॉब से उन्होंने आफ की और घर के कामों में अम्मी का हाथ बटाने ऊपर चली गईं 

सर्दी का मौसम था और सर-ए-शाम ही हमारे घर में सन्नाटा छा जाता था। मैं कोई ऐसी बीमार भी नहीं थी कि बिस्तर से लग जाती। लेकिन आराम करना अच्छा लग रहा था। डिन्नर के बाद बाजी लाइटस आफ करके मेरे पास आईं, और मुझे अपने पहलू में समेटकर बोलीं-“अब सुकून से बता कि प्राब्लम क्या है?” 
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02-06-2019, 05:06 PM,
#28
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मेरे साथ बाजी ज्यादातर लाइटस आफ करके बातचीत करती थीं ताकी रोशनी और उनके चेहरे के एक्सप्रेशन्स की वजह से मैं कुछ बताने में हिचकिचाहट महसूस ना करूँ। उनका ये तरीका हमेशा कामयाब रहा। इसीलिये उस रोज भी मैंने बाजी को सब कुछ बता देने का फैसला कर लिया। 

मैंने अपनी बात कुछ यूँ शुरू की-“कभी मुझे बहुत सुहाने ख्वाब आते थे लेकिन अब सपने आने लगे हैं और इसकी वजह शायद ये है कि मेरे आस-पास का माहौल बदल रहा है। कॉलेज आते जाते मैं खुद को गैर महफूज कल्पना करने लगी हूँ, सुबह के वक़्त तो कोई खास प्राब्लम नहीं होती लेकिन वापसी पर लड़कों के कई ग्रुप मेरा पीछा करते हैं और आवाज़ें कसते हैं। अगर बात किसी हद तक रहती तो मैं बर्दाश्त कर लेती लेकिन अब पानी मेरे सर के ऊपर से गुजर रहा है और मैं खौफ का शिकार होने लगी हूँ। वो कोई आम लड़के नहीं बल्की प्रॉपर गुंडे लगते हैं…” 

बाजी ने मुझसे मेरा काले रूट पूछा और कहा-“ओके, दो दिन इंतजार करो, मैं कुछ करती हूँ…” 

बाजी ने फिर पूछा-“सिर्फ़ यही कुछ था या कुछ ऐसा भी है जो तुम बताना चाहो और ना बता पा रही हो? देखो इसीलिये मैंने लाइट आफ की है ताकी तुम खुलकर बोल सको…” 

मैंने कहा-“ऐसा तो कुछ नहीं फिलहाल…” 

“कोई लड़का वड़का?” बाजी ने फुसफुसाकर पूछा। 

मैंने कहा-“अभी तो नहीं है, कोई हुआ तो बता दूँगी…” 

बाजी ने काफी हैरत से पूछा-“ढूँढ़ रही हो क्या?” 

मैंने कहा-“ढूँढ़ तो नहीं रही लेकिन जवान हो गई हूँ, अब लड़कियों से थोड़ी काम चलता है…” 
बाजी ये बात सुनकर चौंक उठी और फौरन पूछा-“लड़कियों से काम? कौन सा काम और किनके साथ?” 

मैंने ब्रीफ़ सा जवाब देते हुए कहा-“छोड़ें बाजी, बस हम कॉलेज दोस्तों है आपस में मस्ती कर लेती हैं थोड़ी बहुत…” 

बाजी ने पूछा-“कुछ अंदर तो नहीं डाला ना?” 

मैंने कहा-“वो तो जब आपकी उमर पे पहुँचूंगी तब की बात होगी। आप तो अली भाई से ही शादी करोगी ना? अन डाक्युमेन्टेड तो हो चुकी है। डाक्युमेन्टेड कब करवाओगी? मैं तो वैसे ही आजकल कबाब में हड्डी बनी हुई हूँ…” 

बाजी हँस पड़ी और कहा-“तू कबाब में हड्डी नहीं बल्की पूरा कबाब है। डोंट वरी, गुजारा हो जायेगा हमारा…”
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02-06-2019, 05:07 PM,
#29
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी ने पूछा-“कुछ अंदर तो नहीं डाला ना?” 



मैंने कहा-“वो तो जब आपकी उमर पे पहुँचूंगी तब की बात होगी। आप तो अली भाई से ही शादी करोगी ना? अन डाक्युमेन्टेड तो हो चुकी है। डाक्युमेन्टेड कब करवाओगी? मैं तो वैसे ही आजकल कबाब में हड्डी बनी हुई हूँ…” 



बाजी हँस पड़ी और कहा-“तू कबाब में हड्डी नहीं बल्की पूरा कबाब है। डोंट वरी, गुजारा हो जायेगा हमारा…”







मैंने बाजी से कहा-“मैं तो वैसे भी घोड़े बेचकर सोती हूँ और अली भाई को भी पता है कि मैं सब जानती हूँ। इसलिए आप लोग अगर ईज़ी महसूस करें तो अपनी लाइफ जारी रखें…” 

बाजी ने कहा-“ओके मेरी अम्मा, अब अपने बेड पे जा और सो जा अगर नींद आ रही है तो…” 

मैं जागना चाहती थी लेकिन ना चाहते हुए भी मेरी आँख लग गई। रात के तकरीबन ढाई बजे मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे बालों में उंगलियाँ फेर रहा है। मैं एक झटके से मुड़ी तो बाजी को अपने सिरहाने खड़ा पाया और अली भाई उनके बेड पे बैठे हुए थे। अली भाई ने मुझसे उन लड़कों के बारे में कुछ डर्टेल पूछी और फिर कहा-“फिकर ना करो, वो कुछ लोगों की ड्यूटी लगा देंगे जो पहले उन लड़कों को ट्रेस करेंगे कि वो हैं कौन और उसके बाद उनका इलाज सोचेंगे…” 



बाजी ने मुझसे कहा-“पहले उन लड़कों का पता लग जाने दो, और तुम फिकर ना करो, अभी कुछ दिन तुम्हें कॉलेज जाने की कोई ज़रूरत नहीं, तबीयत बेहतर हो जाये तो फिर जाना…” 



मैंने बाजी को नाइटी में देखकर बात जल्दी खतम करने की कोशिश की, मुझे अंदाज़ा हो गया था कि बाजी अब मेरी मौजूदगी में ईज़ी महसूस करने लगी हैं। मेरे जेहन पे अभी नींद का नशा सवार था, लेकिन मैं कुछ देर छुप के जागना चाहती थी। रूम की लाइट आफ हो गई, बाजी और अली भाई सोफा पे बैठकर फुसफुसाकर बातें करने लगे। 



मैं उनको देख नहीं सकती थी क्योंकी बाजी का बेड तो मेरे बेड के बराबर में है, कुछ फासले पर लगा था लेकिन सोफा पैरों की तरफ पड़ा था और उसके साथ कंप्यूटर टेबल। मैं जानती थी कि उनकी नज़र यकीनन मुझ पर होंगी इसलिए देखने की कोशिश करके मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहती थी। मुझे कुछ देर में नींद के झोंके आना शुरू हो गये लेकिन मैं जबरदस्ती का जाग रही थी। कुछ देर के लिये शायद मेरी आँख लग गई थी लेकिन दिमाग अलर्ट होने की वजह से जब आँख खुली तो बाजी का बेड अभी तक खाली था और मुझे अलमारी के पीछे से कुछ सरगोशियाँ और मूव्मेंट महसूस हो रही थी। 



मैं बहुत चाहते हुए भी उठकर देखने की हिम्मत ना कर पाई। कुछ लम्हों बाद मैंने बाजी की अलमारी और फिर दराज खुलने की आवाज़ सुनी। जो उन दोनों की लोकेशन थी वहाँ वो लोग जो भी कर रहे थे यकीनन खड़े होकर ही कर रहे थे, क्योंकी बैठने और लेटने की कोई जगह नहीं थी। मेरा जेहन कह रहा था कि बाजी या तो लंड चूस रही होंगी या फिर अलमारी की साइड पर दीवार की तरफ चेहरा करके खड़ी होंगी और अली भाई जो भी कर रहे थे वो पीछे से कर रहे होंगे। 



में फुसफुसाकर होने वाली बातें ज्यादा अच्छी तरह नहीं सुन पाती थी इसलिए उस रात भी मैं बाजी के कुछ अल्फ़ाज़ ही समझ पाई थी जब उन्होंने कहा-“अयाया ज़रा आराम से। इधर से पकड़, बहुत नीचे जा रहा है…” मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी लेकिन मैं अपने बिस्तर पर हिल तक नहीं सकती थी कि कहीं वो लोग डिस्टर्ब होकर रुक ना जायें। 



तकरीबन 5 मिनट तक अजीब-अजीब आवाज़ें सुनाई दीं और उसके बाद बाजी बिल्कुल नंगी अपने बेड की तरफ आईं, उन्होंने हीटर आफ किया क्योंकी कमरा गर्मी से तप रहा था और वो उसी हालत में अपने लिहाफ़ में घुस गईं। मैंने फौरन अपना मुँह छुपा लिया। कुछ लम्हों बाद मुझे महसूस हुआ कि अली भाई भी उनके साथ लिहाफ़ में घुस गये थे। 



जैसा कि मैं पहले कह चुकी हूँ कि इस कहानी में मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखना जिसकी मैं आइ विटनेस नहीं हूँ। मैंने अपने अंदा जे और कल्पना की बुनियाद पर कोई बात नहीं करनी। ये मेरी उमर का वो दौर था जिसके बारे में कहते हैं कि सूली पर भी नींद आ जाती है। इसीलिये कुछ लम्हों में दोबारा मेरी आँख लग गई। 



सुबह जब उठी तो बाजी का रूम ऐसा मंज़र पेश कर रहा था जैसे यहाँ कुछ हुआ ही नहीं। शायद यही वजह थी कि मैं जब अपने रूम में रहती थी तब घर में किसी को भी भनक नहीं पड़ी थी कि बाजी के रूम में रात भर क्या होता रहता है। 



इश्क़ के सबूत मिटाने में बला की महारत थी बाजी में। 



मैं आज भी कॉलेज नहीं गई थी। दोस्तों के फोन आते रहे और मैंने यही कहा कि कल जरूर आऊँगी कॉलेज। बाजी दिन के दो बजे तक सोती रहीं। सोचा बाजी जब जागेंगी तो उनके साथ कुछ फ्रैंक होने की कोशिश करूँगी। लेकिन जागते ही उनको एहसास हुआ कि वो ओफिस से बहुत लेट हो चुकी हैं इसलिए शावर लेकर जब वो ओफिस के लिये निकलने लगीं। 



तो मैंने पूछा-“बाजी मैं कल कॉलेज जाऊँ या नहीं?” 



बाजी ने कहा-“वो रात में बता देंगी और अगर वो लेट हुईं तो मुझे टेक्स्ट या काल कर देंगी…” 

मैंने बाजी को जाते-जाते इतना जरूर कहा कि वो काफी फ्रेश और खुश लग रही हैं। बाजी ने काफी हैरत से मेरी तरफ देखा और फिर मुश्कुराते हुए मेरे गाल पर चुटकी भर के ओफिस के लिये निकल गईं। 


मैंने बाजी की इस एड ओफिस टाइमिंग्स और मीटिग्स की वजह जानने की कभी कोशिश नहीं की, ना ही मुझे ज़रूरत थी। मेरी सोच का दायरा खुद मेरे गिर्द ही घूमता था। सर्दी की शामों में अंधेरा छाते ही मैं बोरियत का शिकार होना शुरू हो गई। जेहन में ताजासूस्स, खादशात और ख्वाहिशत एक साथ गर्दिश करते हुए एक दूसरे से गड्डमड्ड हो रहे थे।
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02-06-2019, 05:07 PM,
#30
RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं बाजी के रूम का दरवाजा लाक करके उनके बिस्तर में घुस गई और टीवी देखने लगी। लेकिन टीवी पर जो चल रहा था वो देखने में कुछ मज़ा नहीं आ रहा था। मूवी मेरे पास कोई थी नहीं जो देखती। सोचा बाजी की अलमारी को एक मर्तवा फिर खंगालती हूँ, हो सकता है कोई डीवीडी हाथ आ जाये क्योंकी बाजी अगर इस रूम में सेक्स करती थीं तो वो पॉर्न भी देखती होंगी। 

उनकी मजबूत ताले वाली दराज को खींचकर खोलने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रही। थक हार के बेड पे दोबारा लेटी तो जिश्म में सेक्स की ख्वाहिश ज्यादा जोश के साथ सर उठाने लगी। फ्रेंड के साथ देखा गया पॉर्न, लड़कियों की आपस की मस्तियाँ और फिर बाजी के सेक्स की कल्पना मेरे जिन्सी जज़्बात को बहुत बढ़ावा दे रहा था। मैं समझने लगी थी कि अगर लड़की का होंठों और उंगलियों से ही काम चलता तो लड़कियाँ शादी या लड़कों के साथ सेक्स का रिस्क ही क्यों लेतीं और बाजी इस तरह अली भाई को रूम में ना बुलातीं। लड़के का कुछ ना कुछ ऐसा मज़ा यकीनन होगा जो लड़कियों में नहीं है और फिर लड़की तो एक साथ तीन- तीन लड़कों के साथ सेक्स कर रही होती है। 

ऐसे खयाल ज्यों-ज्यों बढ़ते गये मेरी सेक्स की तलब बढ़ती गई। लेकिन मुझे खुद को संतुष्ट करने की कोई राह नहीं सूझ रही थी। मैंने आत्म-संतुष्टि की कोशिश कई दफा की थी लेकिन वो मैं कभी एंजाय नहीं कर पाई, वजह शायद ये हो कि मैं अपनी चूत में कुछ अंदर नहीं करती थी और महज उंगली से चूत पर रगड़ाई के साथ लड़के के लंड का कल्पना मेरे जेहन में आ नहीं पाती थी। रात के 10:00 बजते ही मेरी बेचैनी बढ़ने लगी और मैं अपने कपड़े उतारकर बाजी के लिहाफ़ में लेट गई। 

टीवी के चनेल काफी इधर-उधर घुमाए लेकिन वैसा कुछ नहीं आ रहा था जो मैं उस वक़्त देखना चाहती थी। अपनी चूत पर काफी देर तक उंगलियाँ फेरकर ये सोचती रही कि लंड अंदर जाने का कितना मज़ा होता होगा और बाजी कितना एंजाय करती होंगी। इसी उलझन में रात के 11:00 बज गये और मैं सोचने लगी कि बाजी को फोन करूँ कि अगर सुबह कॉलेज जाना है तो अपनी चीज़ें अभी से तैयार कर लूँ। 

नंबर मिला ही रही थी कि अली भाई की काल आ गई और उन्होंने कहा-“सोबिया के रूम का पीछे का दरवाजा खोलो क्योंकी वो बाहर खड़े हैं…” 

मैं परेशान हो गई कि बाजी हैं नहीं तो फिर उनका मेरे साथ भला क्या काम? और मैं रूम का दरवाजे क्यों खोलूं? सोचा कि बाजी को फोन करके पर्मीशन ले लूँ लेकिन फिर ये इरादा इस वजह से तकद कर दिया कि अली भाई को पता चल गया तो वो मेरी इस हरकत को बहुत माइंड करेंगे। मैंने अपना नाइट ड्रेस पहना और दरवाजे का लाक खोलकर अपने बेड में घुस गई। 

अली भाई रूम में आते ही मेरे पास बैठ गये और कहा-“सोबिया से मेरी बात हो गई है, तुम कल कॉलेज चली जाना। वो खुद तो कल लोकल नहीं होंगे लेकिन मास्क के नीचे एक लड़का है जिसका नाम पीरू है, उसके साथ उनकी अच्छी सलाम दुआ है और वो आस-पास के क्षेत्रों के लड़कों को भी जानता है। उन्होंने पीरू से बात कर ली है और वो कल कॉलेज से वापसी पर मुझ पर नज़र रखेगा और जो लड़के तंग करते हैं उनको ट्रेस करके सारी इन्फमेशन निकालेगा। फिर मैं उन लड़कों का कोई इलाज ढूँढ़ लूँगा, तुम बेफिकर सुबह कॉलेज जाना, कोई तुम्हें हाथ नहीं लगा सकेगा…” 

मैं कुछ बौखलाई हुई थी इसलिए ज्यादा तफसील नहीं पूछ सकी। 

अली भाई ने ये कहकर प्यार से मेरे सर पे हाथ रखा और बाहर की तरफ चल पड़े। 

मैंने रोकते हुए पूछा-“बाजी किस वक़्त आयेंगी?” 

उन्होंने कहा-“वो उसको लेने जायेंगे आधी रात के बाद…” 

मैंने पूछा-“आप फिर उनके साथ आयेंगे?” संकलन 

अली भाई ने इस सवाल का जवाब देने की बजाय कहा-“गुड़िया, तुम सो जाओ अब, सुबह कॉलेज भी जाना है तुमने…” ये कहकर वो रूम से निकल गये। 

मुझे कभी कभार काफी उलझन होती थी कि इतनी बड़ी घोड़ी होने के बावजूद परिवार के लोग मुझे बच्चों की तरह क्यों ट्रीट करते हैं? खैर… मैंने कॉलेज के लिये ड्रेस निकाला, बैग तैयार किया और अपने बिस्तर में घुस गई। जेहन में उलझनें बढ़ने की वजह से मेरी नींद दिन-बा-दिन कम होती जा रही थी। अब मैं वो निदा नहीं रही थी, जो बिस्तर पर गिरते ही ख्वाब-ए-खरगोश में चली जाती थी। मेरे जेहन पर सेक्स सवार रहता था, कभी उसका लुत्फ उठाने और कभी खुद सक्ता फरार के रास्ते ढूँढ़ती रहती। मुझे जब से नंगा रहने का मज़ा पड़ा था तब से अब तक मुझे नंगा होने का बहुत ज्यादा शौक है। 

उस रात भी मैंने बिस्तर में घुसते ही ट्राउजर उतार दिया। अभी जेहन सेक्स की तरफ घूम ही रहा था कि घर में कुछ आहटें महसूस हुईं और फिर कुछ लम्हों में बाजी रूम में दाखिल हो गईं। मैं उनसे बात के लिये उठने का सोच ही रही थी कि वो लाइट ओन के बगैर रूम के पिछले दरवाजे की तरफ बढ़ीं, जहाँ अली भाई उनका इंतजार कर रहे थे।
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