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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
होली पे चुदाई --4
गतान्क से आगे..........
मैने फ़ौरन हाथ से चूत के फाँक खोली तो वह मेरी टाँगो के
बीच घुटने के बल बैठ एक हाथ से लंड पकड़ गरम सूपदे को
चूत के फाँक मे चलाने लगा. मुझे मज़ा आया. 8-10 बार सूपदे
को चूत पर रगड़ने के बाद बोला, "मज़ा आ रहा है?" "जी… हाअए
आआहह." "ऐसे ही फैलाए रहना बस निकलने ही वाला है."
उसने सूपदे को 5-10 बार चूत पर रगड़ा ही था कि गरम गरम पानी
दरार मे आया. उसका लंड फलफाला कर झड़ने लगा. गरम पानी
पाते ही मैं हाए आअहह करने लगी. वह सूपड़ा दबाकर 2 मिनिट तक
झाड़ता रहा. मेरी चूत लपलपा गयी पर लंड से निकले पानी ने बड़ा
मज़ा दिया. झड़ने के बाद उंगली को छेद पर लगा अंदर किया तो लंड
के पानी की वजह से पूरी उंगली सॅट्ट से अंदर चली गयी. जब पूरी
उंगली अंदर गयी तो मैं मज़े से टाँगो को अपने आप उठाती चूत को
उभारती बोली, "हाए रमेश बड़ा मज़ा आ रहा है. उंगली से खूब
करो." रमेश उंगली से चूत को चोद्ता बोला, "इस तरह फैलवा लोगि
तो लंड जाने मैं दर्द नही होगा. इतने प्यार से बिना फाडे कौन चोद्ता
तुमको." "हाए आप सच कह रहे हैं."
चूत मे सक्क सक्क अंदर बाहर आ जा रही उंगली बड़ा मज़ा दे रही
थी. हमको चुदवाने सा मज़ा आ रहा था. वह उंगली को पूरी की पूरी
तेज़ी के साथ पेलता ध्यान से मेरी फैल रही चूत को देख रहा था.
ज्यूँ ज्यूँ वह सेचासट चूत मे उंगली डालने निकालने की रफ़्तार
इनक्रीस कर रहा था त्यु त्यु मैं होली के रंगीन मज़े मैं खोती
अपना तनमन उसके हवाले करती जा रही थी. मैं शायद फिर पानी
निकालने वाली थी कि उसने एक साथ दो उंगली अंदर कर दी. मैं तडपी
तो वह निपल को चुटकी दे बोला, "फटेगी नही."
अब दो उंगली से चूत को चुदवाने मे और मज़ा आ रहा था. लगा कि
दूसरी उंगली से चूत फ़ौरन पानी फेंकेगी. तभी वह बोला, "पानी
निकला?" "जी हाए और चूसिए." "ज़्यादा चुसओगि तो बड़ी बड़ी हो
जाएँगी." "होने दीजिए. हमको पूरा मज़ा लेना है." "चूचियाँ तो
मीना भी खूब पिलाती है पर उसकी चूत मे ज़रा भी मज़ा नही है.
अब जिस दिन तुम नही चुद्वओगि, उसी दिन उसकी चोदेन्गे." "हम रोज़
चुदवाएँगे. घर खाली है, रोज़ आइए. रात मे मेरे घर पर ही
रहिएगा." "पहले आगे के छेद का मज़ा देंगे फिर तुम्हारी गांद भी
मारेंगे. मीना अब गांद भी खूब मरवाती है." उसने गांद के छेद
पर उंगली लगाई.
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
होली ने मेरी खोली पार्ट--1
हेल्लो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए होली के अवसर पर होली की एक मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ
इस होली पर मम्मी पापा बाहर जा रहे थे. रीलेशन मैं एक डेथ हो गयी थी. माँ ने पड़ोस की आंटी को मेरा ध्यान रखने को कह दिया था. आंटी ने कहा था कि आप लोग जाइए सुनीता का हम लोग ध्यान रखेंगे. माँ ने हमे समझाया और फिर चली गयी. पड़ोस की आंटी की एक लड़की थी मीना जो मेरी उमर की ही थी. वह मेरी बहुत फास्ट फ्रेंड थी. वह बोली कि जब तक तुम्हारे मम्मी पापा नही आते तुम खाना हमारे घर ही खाना.
मैं खाना और समय वही बिताती पर रात मैं सोती मीना के साथ अपने घर पर ही थी. दो दिन हो गये और होली आ गयी. सुबह होते ही मीना ने अपने घर चलने को कहा तू मैं रंग से बचने की लिए बहाने करने लगी. मीना बोली,
"मैं जानती हूँ तुम रंग से बचना चाहती हो. नही आई तू मैं खुद आ जाओंगी."
"कसम से आओंगी."
मैं जान गयी कि वह रंग लगाए बगैर नही मानेगी. मैने सोचा कि घर पर ही रहूंगी जब आएगी तू चली जाऊंगी. होली के लिए पुराने कपड़े निकल लिए थे. पुराने कपड़े छ्होटे थे. स्कर्ट और शर्ट पहन लिया. शर्ट छ्होटी थी इसलिए बहुत कसी थी जिससे दोनो चूचियों मुश्किल से सम्हल रही थी. बाहर होली का शोरगुल मच रहा था. चड्डी भी पुरानी थी और कसी थी. कसे कपड़े पहनने मैं जो मज़ा आ रहा था वह कभी शलवार समीज़ मैं नही आया. चलने मैं कसे कपड़े चूचियों और चूत से रगड़ कर मज़ा दे रहे थे इसलिए मैं इधर उधर चल फिर रही थी. मैं अभी मीना के घर जाने को सोच ही रही थी की मीना दरवाज़े को ज़ोर ज़ोर से खटखटते हुवे चिल्लाई,
"अरी सुनीता की बच्ची जल्दी से दरवाज़ा खोल." मैने जल्दी से दरवाज़ा खोला तू मीना के पीछे ही उसका बड़ा भाई रमेश भी अंदर घुस आया. उसकी हथेली मैं रंग था. अंदर आते ही रमेश ने कहा,
"आज होली है बचोगी नही, लगाउन्गा ज़रूर." मीना बचने के लिए मेरे पीछे आई और बोली,
"देखो भयया यह ठीक नही है." मेरी समझ मैं नही आया कि क्या करूँ. रमेश मेरे आगे आया तो ऐसा लगा कि मीना के बजाय मेरे ही ना लगा दे. मैं डरी तो वह हथेली रगड़ता बोला,
"बिना लगाए जाउन्गा नही मीना."
"हाए राम भयया तुमको लड़कियों से रंग खेलते शरम नही आती."
"होली है बुरा ना मानो. लड़कियों को लगाने मैं ही तो मज़ा है. तुम हटो आगे से सुनीता नही तू तुमको भी लगा दूँगा." मैं डर से किनारे थी. तभी रमेश ने मीना को बाँहों मैं भरा और हथेली को उसके गाल पर लगा रंग लगाने लगा. मीना पूरी तरह रमेश की पकड़ मैं थी. वह बोली,
"हाए भयया अब छ्चोड़ो ना."
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
"दरवाज़ा बंद कर दो सुनीता मानेगा नही." मीना की आवाज़ भारी हो रही थी. चेहरा भी तमतमा रहा था. रमेश ने देखने की बात कर मेरे बदन मैं सनसनी दौड़ा दी थी. मेरी चूत भी चुन्चुनाने लगी थी. तभी रमेश उसकी चूचियों को सहलाकर बोला,
"बंद कर दो आज अपनी सहेली के साथ मेरी होली मन जाने दो." रमेश की बात ने मेरे बदन के रोए गन्गना दिए. मैने धीरे से दरवाज़ा बंद कर दिया. जैसे ही दरवाज़ा बंद किया, रमेश उसको छोड़ आँगन मैं चला गया. उसके जाते ही अपनी सिकुड़ी हुई फ्रॉक ठीक करती मीना मेरे पास आ बोली,
"सुनीता किसी से बताना नही. भाय्या मानेगे नही. देखा मेरी चूचियों को कैसे ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे." उसका बदन गरम था. मैं गुदगुदते मैं से बोली,
"हाए मीना तुम चुदाओगि क्या?" मीना मेरी चूचियों को दबाती मेरे बदन मैं करेंट दौड़ा बोली,
"बिना चोदे मानेगा नही. कहना नही किसी से."
"पर वह तो तुम्हारा बड़ा भाई है.?"
"तू क्या हुवा. हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं."
"ठीक है नही कहूँगी."
"हाए सुनीता तुम कितनी अच्छी सहेली हो." और मीना मेरी दोनो चूचियों को छ्चोड़ मुस्करती हुई अंगड़ाई लेने लगी. हर सीन के साथ मेरी चूचियों और चूत का वोल्टेज इनक्रीस हो रहा था. रमेश अभी तक आँगन मैं ही था. मीना की दबाई गयी चूचियाँ मेरी चूचियों से ज़्यादा तेज़ी से हाँफ रही थी. उसकी फ्रॉक बहुत टाइट थी इसलिए दोनो निपल उभरे थे. अब मेरी कसी चड्डी और मज़ा दे रही थी. मैं होली की इस रंगीन बहार के बारे मैं सोच ही रही थी कि मीना मुस्करती हुई बोली,
"सुनीता तुम्हारी वजह से आज हमको बहुत मज़ा आएगा."
"बुला लो ना अपने भाय्या को."
"पेशाब करने गया होगा. देखा था मेरी चूचियों को दबाते ही भाय्या का फनफना गया था. हाए भाय्या का बहुत तगड़ा है. पूरे 8 इंच लंबा लंड है भाय्या का." मस्ती से भरी मीना ने हाथ से अपने भाई के लंड का साइज़ बनाया तो मुझे और भी मज़ा आया. अब खुला था कि सहेली अपने भाई से चुदवाने को बेचैन है.
"हाए मीना मुझे तो नाम से डर लगता है. कैसे चोद्ते हैं." अब मेरे बदन मैं भी चीटियाँ चल रही थी.
"बड़ा मज़ा आता है. डरने की कोई बात नही फिर अब तू हम लोग जवान हो गये हैं. तू कहे तो भाय्या से तेरे लिए बात करूँ. मौका अच्छा है. घर खाली ही है. तुम्हारे घर मैं ही भाय्या से मज़ा लिया जाएगा. जानती है लड़को से ज़्यादा मज़ा लड़कियों को आता है. हाए मैं तो दबवाते ही मस्त हो गयी थी." मीना ऐसी बाते करने मैं ज़रा भी नही शर्मा रही थी. उसके मुँह से चुदाई की बात सुन मेरी चूत तड़पने लगी. मेरा मंन भी मीना के साथ उसके भाई से मज़ा लेने को करने लगा. मीना की बात सही थी कि घर खाली है किसी को पता नही चलेगा. मैं मीना को दिल की बात बताने मैं शर्मा रही थी. तभी मीना ने अपनी दोनो चूचियों को अपने हाथ से दबाते हुवे कहा,
"अपने हाथ से दबाने मैं ज़रा भी मज़ा नही आता. तुम दब्ाओ तो देखें." मैने फ़ौरन उसकी दोनो चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ कर दबाया तो मुझे बहुत मज़ा आया पर सहेली बुरा सा मुँह बनाती बोली,
"छोड़ो सुनीता मज़ा लड़के से दबवाने मैं ही आता है. तुमने दबवाया है किसी से?"
"नही मीना." मैं उसकी चूचियों को छोड़ बोली तो मीना मेरे गाल मसल बोली,
"तो आज मेरे साथ मेरे भाय्या से मज़ा लेकर देखो ना. मेरी उमर की ही हो. तुम्हारी भी चुदवाने लायक होगी. हाए सुनीता तुम्हारी तू खूब गोरी गोरी मक्खन सी होगी. मेरी तू सावली है." मीना की इस बात से पूरे बदन मैं करेंट दौड़ा. मीना ने मेरे दिल की बात कही थी. मैं मीना से हर तरह से खूबसूरत थी. वह साधारण सी थी पर मैं गोरी और खूबसूरत. मैने सोचा जब रमेश अपनी इस बहन को चोदने को तैय्यार है तो मेरी जैसी गदराई कुँवारी खूबसूरत लौंडिया को तो वह बहुत प्यार से चोदेगा.
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RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
"ठीक है भयया आज मेरे साथ सुनीता को भी. अगर इसे मज़ा आया तो फिर बुलाएगी. आजकल इसका घर खाली है."
"तू फिर आज पूरी नंगी होकर मज़ा लो. कसम मीना जितना मज़ा हमसे पओगि किसी और से नही मिलेगा."
"ओह्ह भाय्या मुझे क्या बता रहे हो मैं तो जानती हूँ. राजा कितनी बार तो तुम चोद चुके हो अपनी इस बहन को. पर भाय्या आजकल घर मैं मेहमान आने की वजह से जगह नही. वो तो भला हो मेरी प्यारी सहेली का जिसकी वजह से तुम आज अपनी बहन के साथ ही उसकी कुँवारी सहेली की भी चोद सकोगे. भाय्या इस बेचारी को भी…"
"कह तो दिया. पर इसे समझा दो कि शरमाये नही. एक साथ नंगी होकर आओ तो तुम दोनो को एक साथ मज़ा दे. दो एक सहेलियों को और बुला लो तो चारो को चोद्कर मस्त ना कर दूँ तू मेरा नाम रमेश नही." सहेली के भाई की बात से मेरा पारा चढ़ता जा रहा था.
"ओह्ह मीना तुम कपड़े उतारो देर मत करो. तुम्हारी सहेली शर्मा रही है तो इसे कहो कि कमरे से बाहर चली जाए तो तुमसे होली का मज़ा लूँ." इतना कह रमेश ने मीना की चूचियों से हाथ हटा अपनी पॅंट उतारनी शुरू की तो मैने सनसनकर मीना की ओर देखा तो वह मेरे पास आ बोली,
"इतना शर्मा क्यों रही हो? बड़ा मज़ा आएगा आओ मेरे साथ." अब मीना की बात से इनकार करना मेरे बस मैं नही था. चूत चड्डी मैं गीली हो गयी थी. चूचियों के निपल मीना के निपल की तरह खड़े हो गये थे. रमेश ने जिस तरह से मुझे बाहर जाने को कहा था उससे मैं घबरा गयी थी. तभी मीना मेरा हाथ पकड़ मुझे रमेश के पास ले जाकर बोली,
"मैं बिस्तर लगाती हूँ भाय्या जब तक तुम सुनीता को अपना दिखा दो." मैं सहेली के भाई के पास आ शरमाने लगी. तभी रमेश बेताबी के साथ अपनी पॅंट उतार खड़े लाल रंग के लंबे लंड को सामने कर मेरे गाल पर हाथ लगा मुझे जन्नत का मज़ा देता बोला,
"देखो कितना मस्त लंड है. इसी लंड से अपनी बहन को चोद्ता हूँ. तुम्हारी चूत इस'से चुद्वकर मस्त हो जाएगी." मैं पहली बार इतनी पास से किसी मस्ताये खड़े लंड को देख रही थी. नंगे लंड को देखने के साथ मुझे अपने आप अजीब सी मस्ती का अनुभव हुवा. उसका लंड एकदम खड़ा था. मीना ने जैसा बताया था, उसके भाई का वैसा ही था. लंबा मोटा और गोरा. पहली बार जवान फँफनाए लंड को देख रही थी. रमेश पॅंट खिसका प्यार से लंड दिखा रहा था. मीना चुदवाने के लिए नीचे ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी. गुलाबी रंग के सूपदे वाले गोरे लंड को करीब से देख मेरी कुँवारी चूत मैं चुदाई का कीड़ा बिलबिलाने लगा और शर्ट के अंदर दोनो अनार ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे.
लंड को मेरे सामने नंगा कर रमेश ने फ़ौरन शर्ट के उपर से ही दोनो चूचियों को पकड़कर मसला. मसलवाते ही मैं मज़े से भर गयी. सच बड़ा ही मज़ा था. चूचियों को उसके हाथ मैं दे मैं उसकी ओर देखा तो रमेश सिसकारी ले बोला,
"बड़ा मज़ा आएगा. जवान हो गयी हो. मीना के साथ आज इस पिचकारी से रंग खेलो. अगर मज़ा ना आता तो मेरी बहन इतना बेचैन क्यों होती चुदवाने के लिए." एक हाथ को लपलपते नंगे लंड पर लगा दूसरे हाथ की चूची को कसकर दबाते कहा तो मैं होली की रंगिनी मैं डूबने की उतावली हो फिर उसके लंड को देखने लगी. उसके नंगे लंड को देखते हुवे चूचियाँ दबवाने मैं ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. चूचियाँ टटोलवाने मैं चड्डी की गदराई चूत के मुँह मैं अपना फैलाव हो रहा था. पहले केवल सुना था पर करवाने मैं तो बड़ा मज़ा था. तभी चूची को और ज़ोर ज़ोर से दबा हाथ के लंड को उभारते बोला,
"ऐसा जल्दी पओगि नही. देखना आज तुम्हारी सहेली मीना को कैसे चोद्ता हूँ. कभी मज़ा नही लिया तुमने इसीलिए शर्मा रही हो. तुमको भी बड़ा मज़ा आएगा हमसे चुदवाने मैं." रमेश चूची पर हाथ लगाते अपने मस्त लंड को दिखाता जो होली की बहार की बाते कर रहा था उससे हमें ग़ज़ब का मज़ा मिल रहा था. मस्ती के साथ अपने आप शरम ख़तम हो रही थी. अब इनकार करना मेरे बस मैं नही था. अब खुद शर्ट के बटन खोल दोनो गदराई चूचियों को उसके हाथ मैं दे देने को बेचैन थी. बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नज़रे हिनहिनाते लंड पर जमी थी. तभी मीना ज़मीन पर बिस्तर लगा पास आई और रमेश के लंड को हाथ मैं पकड़ मेरी मसली जा रही चूचियों को देखती बोली,
"भयया हमसे छ्होटी हैं ना?"
"हां मीना पर चुदवाएगी तो तुम्हारी तरह इसको भी प्यार से दूँगा पर अभी तो तुम्हारी सहेली शर्मा रही है. तुम तो जानती हो कि शरमाने वाली को मज़ा नही आता." और रमेश ने मेरी चूचियों को मसलना बंद कर मीना की चूचियों को पकड़ा. हाथ हटा ते ही मज़ा किरकिरा हुवा. मीना अपने भाई के लंड को प्यार से पकड़े थी. मैं बेताबी के साथ बोली,
"हाए कहाँ शर्मा रही हूँ."
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"नही शरमाएगी भयया इसको भी चोद्कर मज़ा देना." मीना ने कहा तो रमेश बोला,
"चोदने को हम तुम दोनो तैय्यर हैं. घर खाली है जब कहोगी यहाँ आकर चोद देंगे पर आज तुम दोनो को आपस मैं मज़ा लेना भी सिखाएँगे." और एक हाथ मेरी चूची पर लगा दूसरे हाथ से मीना की चूची को पकड़ लंड को मीना के हाथ मैं दे एक साथ हम दोनो की दबाने लगा. मेरा खोया मज़ा चूचियों पर हाथ आते ही वापस मिल गया. तभी मीना उसके खड़े लंड पर हाथ फेर हमको दिखाती बोली,
"शरमाओ नही सुनीता मैं तो आज भाय्या से खूब चुदवँगी."
"नही शर्मौन्गि."
"तो लो पाकड़ो भाय्या का और मज़ा लो." और मीना अपने भाई के लंड को मेरे हाथ मैं पकड़ा खुद बगल हटकर दबवाने लगी. रमेश के लंड को हाथ मैं लिया तो बदन का रोम रोम खड़ा हो गया. सचमुच लंड पकड़ने मैं ग़ज़ब का मज़ा था. तभी रमेश बोला,
"हाए मीना बड़ा मज़ा आ रहा है तुम्हारी सहेली के साथ."
"हां भाय्या नया माल है ना."
"कहो तू इसका एक बारपानी निकाल दे." और मीना के चूचियों को छ्चोड़कर एक साथ मेरी दोनो चूचियाँ दबाता लंड को मेरे हाथ मैं पक'डा कर खड़ा हुवा. तभी मीना मुझसे बोली,
"सुनीता रानी इसका पानी निकाल दो तब चुदवाने मैं मज़ा आएगा. अब हमलोग रमेश भाय्या की जवानी चूस्कर रहेंगे. हाए तुम्हारे अनार मीस कर भाय्या मस्त हो गये हैं." रमेश आँखे बंदकर तमतमाए चेहरे के साथ मेरी चूचियों को शर्ट के ऊपर से इतनी ज़ोर ज़ोर से मीस रहा था कि जैसे शर्ट फाड़ देगा. मेरी चूत सनसना रही थी और लंड पकड़कर मीसवाने मैं ग़ज़ब का मज़ा मिल रहा था. अब तो मीना से पहले उसकी पिचकारी से रंग खेलने का मंन कर रहा था. रमेश ने लंड मेरी चड्डी से चिपका दिया था. अब रमेश धीरे धीरे दबा रहा था. चड्डी से लगा मोटा गरम लंड जन्नत का मज़ा दे रहा था. उसने एक तरह से मुझे अपने ऊपर लाद लिया था. मीना धीरे से अपनी चड्डी खिसकाकर नंगी हो रही थी. मीना ने अपनी चूत नंगी कर मस्ती मैं चार चाँद लगा दिया था. अब मैं रमेश की गोद मैं थी और ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. मीना की चूत साँवली और फाँक बड़े से थे पर मेरी फाँक से उसकी फाँक बड़े थे. मैं सोच रही थी कि मीना चूत नंगी करके क्या करेगी. मैं सहेली की नंगी चूत को प्यार से देखती अपने दोनो अमरूद को मीस्वा रही थी. तभी मीना आगे आई और चूत को उचकाती बोली,
"देखो सुनीता इसी तरह से तुमको भी चटाना होगा."
"ठीक है." फिर वह अपनी चूत को अपने भाई के मुँह के पास ला तिर्छि होकर बोली,
"ले बहन्चोद चाट अपनी बहन की चूत." रमेश एक साथ हम दोनो सहेलियों का मज़ा लेने लगा. मुझे सहेली की अपने ही भाई को बहन्चोद कहना बड़ा अच्छा लगा. मीना बड़े प्यार से उंगली से अपनी साँवली सलोनी चूत के दरार फैला फैलाकर चटवा रही थी. सहेली का चेहरा बता रहा था कि चूत चटवाने मैं उसे बड़ा मज़ा मिल रहा था.
कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त ...................................क्रमशः..................
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