07-19-2017, 10:48 AM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
मिनी और राज
मेरा नाम मिनी है. मैं भोपाल की रहने वाली हूँ. मेरा रंग गोरा, बदन स्लिम, बॉल एक दम काले और बहुत लंबे और आँखे भूरी हैं. मेरी शादी 6 महीने पहले 17 साल की उमर में दीपक के साथ हुई है. दीपक भी 19 साल का है. दीपक एक दम दुबला पतला और बहुत ही कमज़ोर है. दीपक का एक भाई, राज है जो उनसे उमर में 3 साल छ्होटा है. वो एक दम हटता कटता है और उसका बदन एक दम गातीला है. वो दिखाने में हॅंडसम है. शादी के बाद मैं ससुराल पहुचि. मैने दीपक के साथ सुहग्रत मनाया. सुहग्रात के दिन ही मेरे सारे ख्वाब टूट गये. मैं बहुत ही सेक्सी हूँ लेकिन दीपक सेक्स में भी बहुत कमज़ोर था. उनका लंड भी छ्होटा था और वो 2 मीं में ही झाड़ जाता था. मुझे उसके साथ सेक्स में पहली पहली बार ही मज़ा आया क्यों की मैं अभी तक कुँवारी थी. उसके बाद मुझे बिल्कुल भी मज़ा नही आता था.
शादी के 15 दीनो बाद दीपक बीमार पद गये. डॉक्टर ने उन्हे सेक्स के लिए बिल्कुल माना कर दिया. 10 दीनो बाद ही दीपक को 2 मंत के लिए हॉस्पिटल में भारती करना पड़ा. हॉस्पिटल में घरवालो को मरीज़ से केवल सुबह और शाम 1 घंटे के लिए ही मिलने की इज़ाज़त थी. वहाँ पर मरीज़ की देखभाल वहाँ के स्टाफ करते थे. दीपक को हॉस्पिटल में भारती हुए अभी 8-10 दिन ही हुए थे की मैं सेक्स की प्यास से एक दम पागल सी होने लगी. मेरे समझ में कुच्छ नही आ रहा था और मैं परेशन रहने लगी. घर पर में और मेरा ड्यूवर राज ही थे. वो अभी 11 क्लास में पढ़ता था.
एक दिन मेरे मान में ख़याल आया की क्यों ना मैं अपनी प्यास राज से मिटा लून. लेकिन मैने सोचा की राज तो अभी 16 साल का ही है. अभी तक वो मेच्यूर नही हुआ होगा. मैने ये ख़याल अपने दिमाग़ से निकल दिया. एक दिन सुबह के वक़्त मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगा तो मैं जल्दी जल्दी बातरूम गयी. मैने झटके से बातरूम का दरवाज़ा खोला तो अंदर राज पेशाब कर रहा था. वो चौक कर मेरी तरफ पलटा और मुझे देखकर शर्मा गया. मैने उसको सॉरी कहा. मेरी निगाह उसके लंड पर पड़ी तो मैं चौक गयी. मैने कभी सपने में भी नही सोचा था की 16 साल के लड़के का लंड ऐसा भी हो सकता है. उसका लंड 7" लंबा और बहुत ही ज़्यादा मोटा था. मैं वापस बाहर आ गयी और उसके बाहर निकालने का इंतेज़ार करने लगी. थोड़ी देर बाद वो बाहर आया तो मैं बातरूम चली गयी. बातरूम से वापस आने के बाद मेरे मान में फिर से ख़याल आया की राज से मेरी प्यास बुझ सकती है. मुझे राज को किसी तरह पटना पड़ेगा.
घर का सारा कम निपटने के बाद मैं नहाने के लिए गयी तो मैने बातरूम से ही राज को पुकारा. मैने बातरूम का डोर लॉक नही किया था. राज बाहर आया और उसने पुचछा, क्या बात है. मैने कहा, ज़रा मेरी पीठ पर साबुन लगा दो. वो शरमाते हुए अंदर आया. मैने केवल पेट्त्यकोआट पहन रखा था उसी से अपने बूब्स को धक रखा था. राज ने मेरी पीठ पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. राज से साबुन लगवाते वक़्त मैने जानबूझ कर अपना पेट्त्यकोआट हाथ से छ्चोड़ दिया तो मेरा पेट्त्यकोआट नीचे हो गया. मेरे बूब्स एक दम नंगे हो गये. वो मेरे बूब्स को ध्यान से देखते हुए चुप-छाप साबुन लगाने लगा. थोड़ी देर बाद वो बोला, मैने साबुन लगा दिया है, अब मैं जाऊं. मैने कहा, हन जाओ. वो चला गया.
मैं नहाने के बाद बातरूम से बाहर आई और बेडरूम में जा कर कपड़े पहन ने लगी. जब मैने ब्रा पहन ना शर किया तो मैने फिर राज को बुलाया. वो मेरे पास आया और बोला, अब क्या है. मैने कहा, ज़रा इसका हुक बंद कर दो. मेरा हाथ नही पहुच रहा है. वो मेरी पीठ को ध्यान से देखते हुए हुक बंद करने लगा. जब उसने हुक बंद कर दिया तो बोला, और कुच्छ करना है. मैने कहा, नही. उसकी आवाज़ इस बार कुच्छ बदली बदली सी लग रही थी.
कपड़े पहन लेने के बाद मैने नाश्ता बनाया. नाश्ता बनाने के बाद मैने राज को नाश्ता दिया और खुद भी नाश्ता करने लगी. वो मुझे तिरच्चि नज़रों से देखता हुआ नाश्ता कर रहा था. उसकी आँखों में भी मैने सेक्स की भूख देखी. मैं समझ गयी की अब मेरा काम आसानी से हो जाएगा.
दोपहर को मैं एक चादर ओढ़ कर लेती थी. मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और केवल ब्रा और पेट्त्यकोआट ही पहना हुआ था. वो मेरे पास आया और बोला, खाना नही बनाओगी. भूख लगी है. मैने कहा, मेरी कमर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है. थोड़ा सा बल्म लगा कर मालिश कर दोगे. वो बोला, घर पर मैं ही अकेला हूँ. अगर मई नही लगौँगा तो और कौन लगाने आएगा. उसने बल्म की शीशी उठाई और मेरे पास आ कर बैठ गया. मैं पेट के बाल लेट गयी और मैने अपने उपर से चादर हटा दिया. उसने मेरी कमर पर बल्म लगाना शुरू कर दिया. मैने उस से कहा, थोड़ा नीचे भी दर्द है. वहाँ पर भी लगा दो. इतना कह कर मैने अपना पेट्त्यकोआट थोड़ा और नीचे कर दिया जिस से मेरा छूतड़ उसे कुच्छ कुच्छ दिखने लगे. उसने और नीचे तक बल्म लगाना शुरू कर दिया. वो मेरे छूतड़ को ध्यान से देखता हुआ बल्म लगा रहा था. उसे भी जोश आने लगा था और उसका लंड खड़ा हो गया था. उसका लंड मेरे बदन से सता हुआ था. मैं उसके लंड को महसूस कर रही थी और मुझे भी जोश आ रहा था. मेरे सारे बदन में एक आग सी लगने लगी. बल्म लगते हुए वो मेरे छूतड़ को सहला भी रहा था.
धीरे धीरे उसका हाथ नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैने उसे माना नही किया. उसने अपनी उंगली मेरी गांद के च्छेद पर भी लगानी शुरू कर दी. मेरे बदन की आग और तेज़ होने लगी. मैने कभी गांद नही मरवाई थी, इस लिए मैने सोचा की क्यों ना पहले मैं राज से गांद ही मरवा लून. राज बड़े पायर से मेरी कमर और छूतड़ के पास बल्म लगते हुए मेरी गांद के च्छेद पर अपनी उंगली लगा रहा था. वो अपना लंड भी मेरे बदन पर लगा रहा था. मैने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और कहा, ये क्या है, बहुत चुभ रहा है. उसने शरमाते हुए कहा की, जो सब के पास होता है. मैने कहा, नही, मुझे कुच्छ दूसरा लग रहा है. ये तो बहुत बड़ा है. वो बोला, नही वही है जो सबके पास होता है. मैने कहा, मैं नही मान सकती. मैं देखूँगी. वो बोला, मुझे शरम आती है. मैने कहा, इस में शरमाने की क्या बात है. यहाँ और कोई दूसरा थोड़े ही है. मुझे दिकाहो. उसने कहा, भैया से तो नही कहोगी. मैने कहा, बिल्कुल नही. वो बोला, ठीक है, दिखा देता हूँ.
वो बहुत जोश में था. उसने अपने पंत की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकल कर मुझे दिखाते हुए बोला, देख लो, वही है जो सबके पास होता है. मैने उसका लंड अपने हाथ में ले लिया और बोली, सबके पास ये कहाँ होता है. ये तो बहुत बड़ा है. ऐसा तो किसी किसी के पास होता. उसने फिर से मेरे कमर पर बल्म लगाना शुरू कर दिया और मेरे छूतड़ को सहलाता हुआ मेरी गांद के च्छेद पर उंगली लगाने लगा.
मेरे हाथ लगाने से उसका लंड और भी ज़्यादा टाइट हो गया. उसने धीरे से कहा, मैं आपके पेट्त्यकोआट को थोड़ा और नीचे कर डून. मैने कहा, कर दो. उसने मेरा पेट्त्यकोआट और ज़्यादा नीचे कर दी. अब मेरी गांद एक दम नंगी हो गयी. वो अभी भी मेरी गांद को देखते हुए च्छेद पर अपनी उंगली लगा रहा था. वो बोला, आपकी गांद बहुत ही सुंदर है. मैने कहा, मैं गोरी हूँ ना, इसी लिए. मैने उसके लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, तुम्हारा लंड भी बहुत सुंदर है. मैं तुम्हारा लंड अपने मूह में ले लून. वो बोला, ले लो. मैने उसका हाथ पकड़ कर उसकी उंगली अपनी गांद च्छेद पर रख दी और कहा, तुम अपनी उंगली मेरी गांद के च्छेद में दाल दो और अंदर बाहर करो.
वो बहुत जोश में था. उसने अपनी उंगली एक झटके से मेरी गांद में दाल दी. मेरे मूह से एक सिसकारी सी निकली तो वो बोला, क्या हुआ. मैने कहा, थोड़ा सा दर्द हुआ. ऐसा पहली पहली बार होता है. वो मेरी गांद में अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा. मैने उसका लंड मूह में ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर बाद वो बोला, मुझे कुच्छ हो रहा है. लग रहा है मेरे लंड से कुच्छ निकालने वाला है. मैने पहली बार उसके मूह से लंड सुना. मैने कहा, मेरे मूह में ही निकालने दो. मैं इसे पी जौंगी. तभी उसने मेरा सिर अपने हाथ से पकड़ अपने लंड की तरफ खीच लिया और उसके लंड का गरम गरम जूस मेरे मूह में निकालने लगा. मैने वो सारा जूस पी लिया. उसके लंड का सारा जूस पी जाने के बाद भी मैने उसके लंड को चूसना जारी रखा. वो मेरी गांद में बहुत तेज़ी के साथ अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था.
अब तक मेरी गांद कुच्छ ढीली हो गयी थी और मुझे मज़ा आने लगा था. मैने राज से कहा, अब तुम अपनी 2 उंगली दाल कर अंदर बाहर करो. उसने अपनी 2 उंगली मेरी गांद में दाल दी तो मुझे इस बार ज़्यादा दर्द हुआ. मेरे मूह से एक हल्की सी चीख निकल गयी. वो बोला, मैं रुक जाऊं क्या. मैने कहा, नही. तुम रूको मत. तेज़ी से अपनी उंगली मेरी गांद के अंदर बाहर करो. उसने बहुत ही तेज़ी के साथ मेरी गांद में अपनी उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी. वो बोला, गांद में उंगली करवाने से क्या होता है. मैने कहा, मैं तुम्हारा लंड अपने मूह में ले कर चूस रही हूँ. कैसा लग रहा है. वो बोला, बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा, इसी तरह गांद में उंगली करवाने से मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अभी थोड़ी देर बाद जब मैं तुम्हारा ये लंड अपनी गांद के अंदर लूँगी, तब तुम्हे और मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आएगा.
10 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैने राज से कहा, ड्रेसिंग तबले से कराएँ ले आओ. वो जा कर कराएँ ले आया. मैने कहा, थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के च्छेद पर लगा दो. उसने थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के च्छेद पर लगा दी. फिर मैने उसके लंड पर ढेर सारी कराएँ लगा दी और उस से कहा, अब अपना लंड मेरी गांद के च्छेद में धीरे धीरे घुसाओ. मेरा ये पहली बार आयी, इस लिए मुझे ज़्यादा दर्द होगा लेकिन तुम चिंता मत करना. अपना पूरा का पूरा लंड धीरे धीरे मेरी गांद में घुसा देना.
उसने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा और अंदर दबाने लगा. जैसे ही उसने थोड़ा सा दबाया तो मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और मेरे मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी. अभी तक केवल उसके लंड का टोपा ही मेरी गांद में घुसा था. वो बोला, रुक जाऊं. मैने कहा, मैने तुम्हे रुकने से माना किया था ना. अभी तो मुझे और ज़्यादा दर्द होगा. जब तक मैं ना कहूँ तब तक तुम रुकना मत, अपना लंड मेरी गांद में घसटे रहना. वो बहुत ही जोश में आ गया था और बोला, मेरा पानी फिर से निकालने वाला है. मैने कहा, निकालने दो. उसने जोश में आ कर 2-3 धक्के लगा दिए. मुझे इस बार बहुत तेज़ दर्द हुआ. 2-3 धक्को के बाद ही उसके लंड से पानी निकालने लगा. मैं जानती थी की वो अभी तक कुँवारा है, इस लिए वो ज़्यादा देर नही टिक सकता. मैने उस से पूचछा, तुम्हारा लंड कितना अंदर घुसा था. वो बोला, केवल 2". जब उसके लंड का पूरा पानी निकल गया तो उसने अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकल लिया.
उसके बाद वो मेरी बगल में लेट गया. मैं उसका लंड सहलाने लगी. उसने मेरे बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा, मैं इसे देखना चाहता हूँ. मैने कहा, मेरी ब्रा का हुक खोल कर इसे उतार दो, फिर देखो. उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा को उतार दिया और मेरे बूब्स को देखने लगा. वो बोला, मुझे ये बहुत अच्च्छा लग रहा है. मैने कहा, इसे अपने हाथ में ले कर ज़ोर ज़ोर से मस्लो. उसने मेरे दोनो बूब्स अपने हाथो मे ले लिए और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा. वो बोला, इसे मसालने में भी बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा, ठीक है. मसालते रहो और खूब मज़ा लो. राज ने अभी तक मेरी चूत को नही देखा था. वो मेरे बूब्स को मसल रहा था और मैं उसका लंड सहला रही थी.
10 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. मैने कहा, चलो अब अपना लंड मेरी गांद में डालो. मैं पीठ के बाल लेट गयी और वो मेरे उपर आ गया. उसने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा और अंदर दबाने लगा. उसका लंड जब 2" तक मेरी गांद में घुस गया तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ. उसने अपना लंड दबाना ज़ारी रखा. दर्द के मारे मैं चिल्लती रही थी लेकिन मैने उसे रोका नही. वो बोला, ये तो आपकी गांद में घुसता चला जा रहा है. मैने कहा, कितना घुसा है अब तक. वो बोला, अब तक 3" घुस चुका है. मैने कहा, ठीक है, तुम घुसते रहो. जैसे ही उसने थोड़ा और दबाया तो मेरा दर्द बर्दस्त से बाहर हो गया. मैने कहा, अब रुक जाओ और अंदर बाहर करना शुरू कर दो. और ज़्यादा अंदर मत घुसना. उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए और थोड़ी देर बाद बोला, इस बार तो बहुत मज़ा आ रहा है. मैने कहा, तुम मज़ा लेते रहो और तेज़ी से अनद्र बाहर करते रहो. मुझे भी अब कुच्छ कुच्छ मज़ा आ रहा है. अभी थोड़ी देर मैं जब मेरा दर्द कम हो जाएगा तो मुझे और ज़्यादा मज़ा आएगा.
वो धक्के लगता रहा. अभी मैं उसका पूरा लंड अपनी गांद के अंदर नही ले पाई थी की वो बोला, मेरे लंड से फिर से पानी निकालने वाला है. मैने कहा, निकालने दो. वो बहुत ज़्यादा जोश में आ गया था और उसने बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे. थोड़ी देर बाद राज मेरी गांद में ही झाड़ गया. मैने पूचछा, इस बार कितना घुस था. वो बोला, 4" तक घुसा था. मैने कहा, ठीक है, अगली बार पूरा घुस जाएगा. पूरी तरह से झाड़ जाने के बाद उसने अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकाला और बोला मैं और मज़ा लेना चाहता हूँ. मैने कहा, ज़रूर मज़ा लो. मैं थोड़े ही कहीं जा रही हूँ. अभी जब तुम्हारा लंड जब फिर से खड़ा हो जाएगा तब तुम फिर से मज़ा ले लेना. वो बोला, ठीक है.
वो मेरे बगल में लेट गया और मेरे बूब्स को मसालने लगा. मैं उसका लंड सहलाती रही. 10-15 मीं में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो कर लोहे जैसा हो गया. वो बोला, मैं फिर से मज़ा ले लून. मैने कहा, हन, ले लो. लेकिन इस बार अपना लंड पूरी तरह से मेरी गांद में दाल देना. अगर इस बार तुम पूरा लंड अंदर नहीं दाल पाए तो मैं तुम्हे फिर से मौका नहीं दूँगी. वो बोला, ठीक है. इस बार मैं पूरा दाल दूँगा. मैं फिर से पेट के बाल लेट गयी. मेरी गांद एक दम गीली थी. उसने अपना लंड मेरी गांद के च्छेद पर रखा और अंदर दबाने लगा. इस बार उसका लंड मेरी गांद में 4" तक आराम से घुस गया.
उसने अपना लंड मेरी गांद के अंदर और ज़्यादा दबाना शुरू किया. मैने कहा, ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर इसे पूरा अंदर दाल दो. मेरे चिल्लाने की चिंता मत करना. वो ताकतवर था ही. मेरा इशारा पाते ही उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मुझे दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी. उसने और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए तो मैं तड़प उठी. मेरा चेहरे पर पसीना आ गया. मेरी टाँगें तर तर काँपने लगी. वो बोला, अब मेरा लंड पूरा अंदर घुस चुका है. अब तो तुम मुझे ये मज़ा लेने का फिर से मौका डोगी. मैने कहा, तुम बहुत अच्च्चे हो. अब तुम जब चाहो मज़ा ले लेना. मैं तुम्हे कभी नही रोकूंगी. अब तुम तब तक ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते रहो जब तक तुमहरे लंड का पानी फिर से नही निकल जाता. वो बोला, ठीक है. अब मैं नहीं रुकुंगा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.
उसने मेरे सीने के नीचे अपना हाथ दाल कर मेरे बूब्स को पकड़ लिया. फिर मेरे बूब्स को मसालते हुए बहुत ही ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. मेरा दर्द कुच्छ ही देर बाद कम हो गया और मुझे भी मज़ा आने लगा. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते हुए मेरी गांद मार रहा था.
इस बार उसने लगभग 15 मीं तक मेरी गांद मारी और फिर झाड़ गया. झड़ने के बाद वो फिर से मेरे बगल में लेट गया. मैने कहा, तुम लेतो मत. इस बार मैं तुम्हे दूसरा मज़ा दूँगी. वो बोला, अब कौन सा मज़ा. मैने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा, अब तुम इसे जीभ से चतो. इस बार मैं तुम्हारा लंड इस च्छेद के अंदर लूँगी. वो मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी चूत को बड़े ध्यान से देखने लगा. फिर उसने मेरी चूत चटनी शुरू कर दी. मैने उसका लंड अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी.
उसकी जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही मैं और ज़्यादा जोश में आने लगी. थोड़ी देर बाद मेरी चूत से पानी निकालने लगा तो वो रुक गया. मैने कहा, रुक क्यों गये. वो बोला, तुम पेशाब कर रही हो. मैने कहा, पगले, ये पेशाब नही है. जैसे तुम्हारे लंड से पानी निकलता है वैसे ही जब औरत ज़्यादा जोश में आ जाती है ती उसकी चूत से भी पानी निकलता है. तुम इस पानी को छत लो. उसने अपनी जीभ से मेरी चूत का सारा पानी छत लिया.
इधर उसका लंड फ्िए से खड़ा हो चुका था. जब वो मेरी चूत का पानी छत चुका तो मैने कहा, अब अपना पूरा लंड मेरी चूत में दाल कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते हुए अंदर बाहर करो. उसने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के बीच रखा तो मैने अपना पैर उसके कंधे पर रख लिया. मैने कहा, इस बार जैसे तुमने मेरी गांद के अंदर पूरा लंड घुसा दिया था वैसे ही अब मेरी चूत में भी पूरा लंड घुसा देना. उसने एक जोरदार धक्का मारा तो मेरे मूह से चीख निकल गयी. वो बोला, इस मे तो आसानी से अंदर जा रहा है. मैने कहा, इस लिए आसानी से अंदर जा रहा है क्यों की टुमरे भैया भी इसके अंदर अपना लंड डालते हैं. उसने कहा, तब तो पूरा लंड आसानी से अंदर चला जाना चाहिए लेकिन फिर भी ये अब और ज़्यादा अंदर नही जा रहा है. मैने कहा, तुम्हारे भैया का लंड छ्होटा है और तुम्हारा बहुत बड़ा. इसी लिए ये आसानी से अंदर नहीं जा रहा है. तुम पूरी ताक़त के साथ धक्के लगाओ.
उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसका लंड लंबा होने के साथ साथ बहुत मोटा भी था. मैं दर्द से तड़पने लगी. वो धक्के लगता रहा. कुच्छ ही देर में उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया और मैं उसके लंड का टोपा अपने बच्चेड़नी के मूह पर महसूस करने लगी. वो बोला, मैने पूरा लंड अंदर दाल दिया है. इस च्छेद में तो और ज़्यादा मज़ा आ रहा है. मैने कहा, अब खूब तेज़ी से मेरी चूत में अंदर बाहर करो.
उसने बहुत ही ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. आज मेरी मुराद पूरी हो रही थी. 5 मीं में ही मैं झाड़ गयी. वो बोला, तुमहरि चूत से तो फिर से पानी निकल रहा है. मैने कहा, जब तक तुम्हारे लंड का पानी निकलेगा तब तक मेरी चूत से काई बार पानी निकलेगा. मेरी चूत गीली हो चुकी थी. वो धक्के लगता रहा. रूम में छाप-छाप की आवाज़ हो रही थी. उसकी स्पीड अब बहुत तेज़ हो गयी थी. मुझे भी आज पहली बार चुड़वाने में बहुत मज़ा आ रहा था. अभी 10 मीं भी नही बीते थे की मैं फिर से झाड़ गयी. मैं छूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देने लगी. वो पूरी मस्ती के साथ मेरी चुदाई कर रहा था.
लगभग 10 मीं तक और छोड़ने के बाद वो झाड़ गया. उसके साथ ही साथ मैं भी झाड़ गयी. जब उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैने इस बार उसका लंड अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी. जब मैने उसका लंड छत छत कर सॉफ कर दिया तो वो हट गया. वो मेरे बगल में लेट गया और बोला, मुझे इस च्छेद में ज़्यादा मज़ा आया.
थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं खाना बनाने चली गयी. मैं अभी खाना बना ही रही थी की वो किचन में आया और बोला, मुझे मज़ा लेना है. मैने कहा, मैं खाना बना लून तब तुम मज़ा ले लेना. वो बोला, मुझे अभी मज़ा चाहिए. देखो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है. मैं तो खुद ही प्यासी थी. मैं किचन में ही डॉगी स्टाइल में हो गयी. मैने उस से कहा, अब तुम मेरे पिच्चे आ जाओ, और मज़ा लो. मैं देखना चाहती थी की उसे मेरी चूत चाहिए या गांद. वो मेरे पिच्चे आया और अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा. मैं समझ गयी की उसे चूत को छोड़ने में ही ज़्यादा मज़ा आया था.
उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगते हुए अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू कर दिया. मेरी चूत अभी तक उसके लंड के साइज़ की नहीं हुई थी. मुझे दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी. लेकिन वो रुका नहीं, अपना लंड मेरी चूत में घुसता रहा. पूरा लंड घुसा देने के बाद उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मुझे इस बार ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
5 मीं की चुदाई के बाद मैं झाड़ गयी. वो मेरी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगता रहा. मैं भी आगे पिच्चे होते हुए उसका साथ देने लगी. 10 मीं और चुड़वाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. उसकी स्पीड और तेज़ हो चुकी थी. मेरी चूत छाप छाप कर रही थी. मेरी चूत ने उसके लंड को ज़ोर से जाकड़ रखा था. 10 मीं और बीते थे की मैं फिर से झाड़ गयी. लेकिन उसने अभी भी मेरी चुदाई जारी रखी थी. वो मुझे एक दम आँधी की तरह चोद रहा था. 5 मीं और बीते तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी गांद में घुसने लगा. मुझे तो पहले थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन फिर बहुत मज़ा आने लगा. वो बहुत तेज़ी से मेरी गांद मार रहा था.
लगभग 10 मीं मेरी गांद मरने के बाद उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में दाल दिया और इस बार बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा. मैने ऐसा मज़ा कभी नही पाया था. इस मज़े के लिए ही मैं तड़प रही थी. आज मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी. मैं जानती थी की मुझे अब ये मज़ा बहुत दीनो तक मिलने वाला है. उसे अब तक मुझे छोड़ते हुए 10 मीं और बीट चुके थे. मैं फिर से झाड़ गयी. वो बोला, तुम्हारी चूत से काई बार पानी निकल चुका है, अभी और कितनी बार निकलेगा. मैने कहा, जब तक तुम मुझे छोड़ते रहोगे तब तक काई बार निकलेगा. वो बोला, अभी तो मुझे नही लग रहा है की मेरा पानी निकालने वाला है. मैने कहा, जब तक तुम्हारा पानी नही निकलता तब तक तुम छोड़ते रहो.
अब तक मुझे चुड़वते हुए लगभग 50 मीं हो चुके थे. वो था की छोड़ता जा रहा था. मेरी चूत भी इतना लंबा और मोटा लंड अंदर लेते लेते कुच्छ सूज चुकी थी. मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था. 10 मीं और बीते तो वो बोला, अब लगता है की मेरा पानी निकालने वॉल है. इतना कह कर वो और ज़्यादा ताक़त के साथ धक्के लगाने लगा. उसके इस धक्के से मेरे बदन के सारे जोड़ हिलने लगे थे. 5 मीं बाद वो झाड़ गया और मैं भी फिर से उसके साथ ही साथ झाड़ गयी. इस बार उसके लंड से ढेर सारा पानी निकला. उसने जब अपना लंड बाहर निकाला तो मैने उसका लंड छत छत कर सॉफ कर दिया. वो बोला, इस बार मुझे जो मज़ा आया ऐसा मज़ा मुझे पिच्छली बार नहीं मिला.
मैने दीपक के हॉस्पिटल से वापस आने तक उस से जी भर कर चुडवाया. उसने मुझे खूब मज़ा दिया और उसे भी खूब मज़ा मिला. अब तक वो चोदने में एक्सपर्ट हो चुका था. उसने मुझे तरह तरह के स्टाइल में पुर घर में हर जगह छोड़ा. मेरी चूत की प्यास एक हद तक शांत हो चुकी थी.
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07-19-2017, 10:49 AM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
पेरेंट्स गॉन आउट
मैं अभी भी कॉलेज में पढ़ता हूँ. मैं अपने कॉलेज की
कयी लड़कियों को चोद चुका हूं. मेरे घर के पड़ोस में एक परिवार रहता था. उनके घर
मेरा आना जाना था. उनकी एक लड़की थी. उसका नाम मिनी था. उसकी उमर
लगभग 18 साल की थी. उनके घर पर एक कंप्यूटर भी था. मिनी बहुत
ही सेक्सी थी. मैं उसे चोदना चाहता था लेकिन कोई मौका नहीं मिल
पा रहा था.
ये उस समय की बात है जब मिनी के पेरेंट्स 1 मंथ के लिए यूके चले
गये थे. घर पर केवल मिनी ही अकेली थी. एक दिन मिनी ने मुझे घर
बुलाया. उसका कंप्यूटर खराब हो गया था. मैं कॉलेज जा रहा था
इसलिए मैने शाम को आने के लिए कह कर कॉलेज चला गया.
कॉलेज से वापस आने के बाद मैं मिनी के घर 5 बजे शाम को
पहुच गया. मैने कॉल बेल बजाई तो मिनी ने दरवाज़ा खोला. उसने
लाल रंग की स्कर्ट और ब्लॅक रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी. उसने
अंदर कुच्छ भी नहीं पहन रखा था. उसकी चूचियों के दोनो
निपल्स बाहर से ही महसूस हो रहे थे.
मैं घर के अंदर गया. वो मुझे कंप्यूटर के पास ले गयी. मैने
कंप्यूटर को ओं किया और चेक करने लगा. मिनी चाय बनाने चली
गयी. मैने एक फोल्डर को खोला जो मिनी ने हाइड की हुई थी. उस में
बहुत सारी अडल्ट पिक्चर्स की फाइल्स थी. मैं उन पिक्चर्स को देखने
लगा. थोड़ी देर बाद मिनी चाय ले कर आ गयी. उस समय कंप्यूटर
स्क्रीन पर जो फोटो थी उस में एक आदमी एक लड़की को डॉगी स्टाइल में
चोद रहा था. वो मेरे बगल में बैठ गयी और बोली, "प्लीज़ ये
फाइल्स बंद कर दो. इसे मत देखो." मैने कहा, "बहुत अच्च्ची पिक्चर
है." मिनी का चेहरा शरम से लाल हो गया. उसने माउस पकड़ कर उस
पिक्चर को बंद करना चाहा तो मैने कहा, "बहुत अच्छी पिक्चर
है. प्ल्ज़. मुझे देखने दो. तुमने इसे किस साइट से डाउनलोड किया है."
वो बोली, "प्ल्ज़. राज बंद कर दो इसे."
मैने कहा, "मैं कोई ग़लत काम थोड़े ही कर रहा हूँ. आख़िर तुम
भी तो ये पिक्चर देखती होगी. तुम भी जावन् हो और मैं भी. तुमने
कभी ट्राइ किया है." वो चुप रही तो मैने फिर पूछा. वो
बोली, "मैं अभी तक कुँवारी हूँ. मैने कभी किसी से नहीं करवाया
है." मैने उस से झूठ बोला और कहा, "मैने भी आज तक किसी लड़की
के साथ कुच्छ नहीं किया है. घर पर भी कोई नहीं है. चलो,
आज हम दोनो इसे ट्राइ करते हैं." उसने इनकार कर दिया तो मैने
पूचछा, "क्यों?" इस बार वो कुच्छ नहीं बोली और उसने अपना सर दूसरी
तरफ घुमा लिया. मैने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया
तो उसने मेरा हाथ झटक दिया. मैने फिर पूचछा, "हम दोनो ही
कुंवारे हैं और आज अच्च्छा मौका है. तुम भी जवान हो और मैं
भी. घर पर भी कोई नहीं है. हूमें ट्राइ करना चाहिए."
वो एक दम चुप रही. मैने उसकी जांघों पर हाथ फिरना शुरू कर
दिया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. उसने अपनी दोनो जांघों को एक
दूसरे पर रख कर ज़ोर से दबा लिया. मैने उसकी जांघों को सहलाते
हुए अपना हाथ उसकी जांघों के बीच घुसा दिया. मेरा हाथ सीधा
उसकी चूत पर लगा. उसने नीचे भी कुच्छ नहीं पहन रखा था. उसकी
चूत एक मुलायम और चिकनी थी. उसने इस बार मेरा हाथ नहीं हटाया.
मैं समझ गया की मेरा काम बन जाएगा. मैने उसकी चूत को सहलाना
शुरू कर दिया तो उसकी साँसें बहुत तेज़ चलने लगी और उसका चेहरा
एक दम लाल हो गया. वो कुच्छ नहीं बोली.
थोड़ी देर तक उसकी चूत सहलाने के बाद मैं उठा. मैने उसे गोद में
उठा लिया और बेडरूम में ले जाने लगा तो उसने अपना चेहरा मेरे
सीने में च्छूपा लिया. बेडरूम में ले जा कर मैने उसे बेड पर लिटा
दिया. मैने उसकी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार दी. उसके कपड़े उतरने के बाद
मैने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. मुझे नंगा होते देख उसने अपनी
आँखें बंद ली लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी. उसका
संगमरमर सा गोरा बदन एक दम नंगा मेरे सामने था. मुझे जोश आने
लगा. मैं उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक
होठों को चूमने के बाद मैने धीरे धीरे उसके चुचियों को, पेट
को, जांघों को और फिर उसकी चूत को चूमने लगा.
वो एक दम गरम हो गयी और सिसकारियाँ भरने लगी. मेरा लंड भी
खड़ा हो कर जोश से एक दम लोहे जैसा हो गया था और झड़ने वाला
था. मैने अपना लंड उसके मूह के पास कर दिया और चूसने को कहा.
वो कुच्छ नहीं बोली. मैने उसके मूह में अपना लंड घुसने की कोशिश
की तो उसने अपना मूह इधर उधर करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर ना
नुकुर करने के बाद आख़िर में उसने अपना मूह खोल दिया. मैने अपना
लंड उसके मूह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. मैं उसके उपर
लेट गया और मैने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी. 2 मिनिट बाद ही
मैं उसके मूह में झाड़ गया और उसने मेरे लंड का सारा पानी निगल
लिया. लंड का सारा पानी निगल जाने के बाद भी उसने मेरा लंड
चूसना ज़ारी रखा. वो भी अब तक बहुत जोश में आ गयी थी और
उसकी चूत से भी पानी निकालने लगा. मैने भी उसकी चूत का सारा
पानी चाट लिया. वो एक दम नमकीन और कुच्छ कुच्छ खट्टा था.
5 मिनिट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैं भी अभी तक
उसकी चूत को चाट रहा था और वो भी अपना चूतड़ उठा उठा कर मज़ा
ले रही थी. हम दोनो बहुत जोश में आ गये थे. मैं उसके उपर से
हट गया और उसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा. वो कुच्छ नहीं बोली
और चुप-छाप उठ कर डॉगी स्टाइल में हो गयी. उसने अपना सर तकिये
पर टीका दिया. मैं समझ गया की वो चुड़वाने के लिए एक दम बेकाबू
हो रही है. मैं उसके पीच्चे आ गया. मैने उसकी चूत को फेला कर
अपने लंड का सूपड़ा उसकी चूत के बीच रख दिया. वो कुच्छ नहीं
बोली. मैने अपना लंड थोड़ा सा अंदर दबाया. उसकी चूत बहुत टाइट
थी और केवल मेरे लंड का सूपड़ा ही उसकी चूत के अंदर घुस पाया.
मैने थोड़ा और दबाया तो वो पहली बार बोली, "प्ल्ज़. ज़रा धीरे."
मैं समझ गया की वो एक दम जोश में आ गयी है. मैने अपना लंड
थोड़ा और अंदर दबाया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. मेरा लंड उसकी
चूत में अब तक 2" घुस चुका था. मैने अपना लंड उसकी चूत में
धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसने भी अपना चूतड़
पीच्चे की तरफ दबाया और सिसकारियाँ भरने लगी, उफ़फ्फ़... विकी...
धीरे... प्ल्ज़. दर्द हो रहााआ है..... उईए.... म्माआआआ......
आआआहह... रुक्कककककक..... जाओ....... मैं रुक गया. वो
बोली, "राज, मैं पहली बार करवा रही हून. ज़रा आराम से धीरे
धीरे करो. बहुत दर्द हो रहा है." मैने कहा, "तुम घबराओ मत.
मैं धीरे धीरे और आराम से ही करूँगा. मैं जनता हून की तुम
अभी तक कुँवारी हो और तुम्हारी चूत एक दम टाइट है." मैने धीरे
धीरे अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
2-3 मिनिट तक छोड़ने के बाद उसे भी और ज़्यादा मज़ा आने लगा. वो
बोली, "राज, तुम अपना लंड तोड़ा सा और अंदर डाल दो. मैं तय्यार
हून." मैने तोड़ा सा और दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 3" तक
घुस गया. वो फिर बोली, "बस, रुक जाओ प्ल्ज़. दर्द हो रहा है. अभी
इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे." उसका सील टूट चुकी थी और वो
अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी. मैने उसे
धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया. 2-3 मिनिट में ही उसका दर्द जब
कुच्छ कम हुआ तो उसे मज़ा आने लगा. वो बोली, "राज, तोड़ा और अंदर
डाल कर और तेज़ी.... से चोदो... मुझे." मैने थोडा और अंदर दबाया
तो मेरा लंड उसकी चूत में 4" तक घुस गया. मैने अपनी स्पीड को
बढ़ते हुए उसे चोदने लगा. वो अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए
मेरा साथ दे रही थी.
5 मिनिट तक चोदने के बाद वो बहुत ज़यादा जोश में आ गयी और
बोली, "राज, और अंदर डालो अपना लंड मेरी चूत में. खूब तेज़
चोदो मुझे. अब रुकना नहीं, पूरा लंड अंदर घुसा देना. मैं एक दम
बेकाबू हो रही हून और मुझे बर्दस्त नहीं हो रहा है." मैने अपना
लंड थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 5" तक घुस
गया. मैने उसे धीरे धीरे चॉड्ना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैने एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया. मेरा
लंड उसकी चूत में 6" तक घुस गया. वो चिल्ला उठी लेकिन उसने मुझे
रुकने के लिए नहीं कहा. मैने एक फाइनल शॉट लगा दिया तो वो बहुत
तेज़ चिल्लाने लगी. मेरा 7" का पूरा लंड उसकी चूत में एक दम ज़द
तक घुस चुका था. वो बोली, "राज, तुमने आख़िर मुझे आज एक लड़की
से औरत बना ही दिया. मैने अपनी चूत में तुम्हारा पूरा लंड अंदर
ले ही लिया. बहुत दर्द हो रहा है. थोड़ा रुक जाओ, तब चोदना" मैं
रुक गया.
थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई तो उसने मुझसे चोदने के लिए कहा.
मैने मिनी की चुदाई शुरू कर दी. पहले बहुत धीरे धीरे उसके
बाद मैने बहुत तेज़ी के साथ चोदना शुसरू कर दिया. 5 मिनिट तक
उसे चुदवाने में थोड़ा दर्द हुआ लेकिन उसके बाद वो एक दम शांत हो
गयी और उसे मज़ा आने लगा. उसने अपना छूतड़ आगे पीच्चे करते
हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया. 2 मिनिट बाद ही वो बोली, "और
तेज़ छोड़ो, राज. ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ." मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी
और बहुत तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा. वो अब अपनी चूत में मेरा पूरा
लंड आराम के साथ अंदर ले रही थी. 2 मिनिट भी नहीं बीते की वो
फिर बोली, "राज, मुझे कुच्छ हो रहा है. लगता है मेरी चूत से
पानी निकालने वाला है. खूब ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाओ." मैं समझ
गया की वो झड़ने वाली है. मैने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी
चुदाई शुरू कर दी.
वो बोली, "आआआ... राज...... मैं.... आआआ... रही.... हून....
और तेज़ .... और तेज़..... ." उसकी चूत से पानी निकालने लगा और मेरा
सारा लंड भीग गया. मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता
रहा. लगभग 20 मिनिट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही
झाड़ गया. इस दौरान वो भी 3 बार झाड़ चुकी थी.
लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया.
हम दोनो तक गये थे. कुच्छ देर आराम करने लगे.
15 मिनिट बाद वो बोली, "राज, प्ल्ज़. एक बार और करो ना. मुझे बहुत
अच्च्ची लग रही थी यह चुदाई." उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर
दिया. 10 मिनिट में ही मेरा लंड एक दम तय्यार हो गया. मैने उसे
बेड पर लिटा दिया और उसके चूतड़ के नीचे 2 तकिये रख दिए. उसकी
छूट एक दम उपर उठ गयी. मैने उसकी चूत के बीच जैसे ही अपना
लंड रखा तो वो बोली, "राज, मुझे बहुत मज़ा आया था. इस बार तुम
अपना लंड एक ही धक्के में पूरा अंदर दल दो." मैने अपनी सासें रोक
कर अपने को थोड़ा तय्यार किया और पूरा ज़ोर लगते हुए एक करारा
धक्का मारा. मेरा पूरा लंड सनसंता हुए उसकी चूत में घुस गया.
वो बहुत तेज़ चीख पड़ी.
मैने बिना रुके उसकी चुदाई शुरू कर दी. 2 मिनिट में ही वो अपना
चूतड़ उठा उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी. मैने अपनी
स्पीड और बढ़ा दी. 5 मिनिट की चुदाई के बाद वो झाड़ गयी. उसकी
चूत एक दम गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत के पानी
से एक दम गीला हो चुका था. मैं रुका नहीं उसको चोदता रहा. रूम
में फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. इस बार मैने उसे बिना रुके
लगभग 35 तक चोदा और उसकी चूत में ही झाड़ गया. लंड का पूरा
पानी उसकी चूत में निकल देने के बाद मैं हट गया और उसके बगल
में ही लेट गया. इस बार की चुदाई में वो 4 बार झाड़ चुकी थी.
वो भी तक कर चूर हो गयी थी और एक दम निढाल हो गयी थी. वो
बेड पर ही पड़ी रही.
मैने उसे 1 मंत तक कभी अपने रूम पर और कभी उसके रूम पर
खूब चोदा. उसके और मेरे घर का कोई कोना नहीं बचा था जहाँ
मैने उसकी चुदाई ना की हो. वो खूब मस्त हो कर चुड़वाती थी. आज
भी मौका मिलते ही वो किसी ना किसी बहाने मेरे रूम पर आ कर मुझसे
चुड़वा जाती है
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07-19-2017, 10:49 AM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
राज ओर नौकरानी राधिका का प्यार
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका राज शर्मा एक ओर कहानी लेकेर आपकी सेवा मैं हाजिर हू दोस्तो कहानी पढ़कर एक कमेंट तो दे दिया करो
हमारे घर मे के औरत आती थी बर्तन मांझणे, उसका नाम था राधिका, बहुत ही खूबसूरत,
शादी शुदा,मैं भी शादी शुदा हून.ईत्नि खूबसूरत की देखते ही मान ललचाए,हमेशा घागरा चोली पहनती थी और उपर से एक चुनी,कई बार जब चुनी नीचे गिर जाती थी तो चोली के उपर से उसके उभरे दो बूबे दिख जाते थे,जो मुझे और भी गरम कर देते थे, लगता था की नीचे से ब्रसियर नहीं पहनी हो और किया चाल थी, पीच्चे से मैं उसे देखता ही रह जाता था, लचीले दो तारे जीली की काँपते. जी करता था पीच्चे से ही उसे अपनी बाहों मे जाकर लून, मगर तमन्ना दिल मे ही रह जाती थी, कई बार तो उसका ख़याल दिल मे लाकर मुट्ठी भी मार चुका था.
ऐसे ही एक बार मेरी औरत अपनी बहन के घर गयी हुई थी हमारे बचे के साथ लेकर और वहीं रात बिताने का वीछर थ.शाम का समय मैं अकेला था घर मे और राधिका आई बरतन मांझणे, मेरे दिल मे तेज़ गुदगुदी सी होने लगी, अकेला घर, उसमे वो और मैं अकेले, सोच रहा था काश उसको बाहों मे भर कर नंगा कर डून, और उसके खूबसूरत जिस्म को देख सकून.Mअगर हमेशा की तरह अपनी इच्छा को दबाए रखा, ऐसा करना ठीक नहीं था, वो शादी शुदा और मैं भी. पर ऐसे महॉल मेमैन बहुत ही गरम हो रहा था और अपने लंड को अपने आप ही मसलने लगा, राधिका रसोई मे बर्तन मांझ रही थी, रसोई के बाद बैठक थी और उसके बाद मेरा कमरा, जैसे की मुट्ठी मारने मे और भी मज़ा आए तो मैने कमरे मे रखे ड्रेसिंग तबले के आईने को घुमा कर ऐसे रखा जैसे की कमरे के दूसरे तरफ खरे होकर मैं बैठक का दरवाज़ा देख सकूँ जहाँ से राधिका बर्तन मांझणे के बात आती और मैं एक दम नंगा होकर अपने लंड से को मसालने लगा और आईने की तरफ देखता रहा, सोचा अगर उसने देख लिया और कुच्छ कहती भी है तो कह देता मैं तो अपने कमरे मे कापरे बदल रहा था और आईने की तरफ ध्यान नहीं गया की बाहर से दिख रहा है.
थोरी देर के बाद बर्तन ढोने की आवाज़ बंद हुई और मेरा दिल और भी ज़ोर से धरकने लगा, किसी भी समय वो आईने मे दिखे और ऐसा ही हुआ उसे देख कर मैं ऐसे करने लगा जैसे अपने कापरे बदल रहा हूँ, कुच्छ पल के बाद मैने अपनी आँखें उपर उठाई तो देखता ही रह गया, वो अभी तक आईने से दिख रही थी और उसका एक हाथ चोली के अंदर बूब्स से खेल रहे थे और दूसरा हाथ घग्रे के उपर से छूट पर रखा था, शायद उसने मुझे आईने से देख लिया था, मेरी धरकन और भी तेज़ होने लगी, समझ गया की आग उधर भी लगी थी, दो बार नहीं सोचा और धराकते दिल से वैसे ही नंगा मैं बाहर की तरफ गया, वो मदहोश आँखें बंद किए अपने जिस्म से खेल रही थी, मेरे आने की आहत से चौंक उठी और घबरा कर जल्दी से अपनी चुनी ठीक करने लगी और मैने उसके हाथ थाम लिए और कहा--"घबराव मत राधिका, मैं भी तुम्हे प्यार करने के लिए बेचैन हो रहा हूँ."
शरमाती घबराती कहने लगी--"आपको आईने मे नंगा देख कर अपने आप को रोक नहीं पाई, एक मीठी सी गुदगुदी होने लगी थी, मगर मैने नहीं समझा की आप मुझे देख लोगे." उसकी इस अदा ने मुझे और भी मदहोश कर दिया और कहा--"मैने जानभुज कर आईना ऐसे ही रखा था जैसे मैं तुम्हे देख सकूँ और शायद तुम भी मुझे देख सको." उसका कोमल चेहरा अपने दोनो हाथो मे लेते हुए आगे कहा--" तुम बहुत ही खूबसूरत हो राधिका, तुम्हारा यह चेहरा एक गुलाब के फूल जैसा सनडर है और तुम्हारे यह दो होंठ जैसे गुलाब की दो पंखुरियँ हो, चूमने को जी करता है." शरमाते हुए कहने लगी--"मुझे जाने दो बाबूजी, यह ठीक नहीं है, मुझे शरम आती है." उसकी अनसुनी करके मैने अपने तपते होंठ उसके काँपते होंठो पर रख दिए, कितने कोमल होंठ थे उसके, कितनी मिठास थी उन होंठो मे.
शरमाती, अपनी आँखें झुककर कहने लगी--"ऐसा मत कहिए बाबूजी, ऐसा मत कीजिए, मैं सह नहीं पवँगी, आज तक किसी ने मेरी तारीफ नहीं की, मैं तो खामोश अपने टन को राहत देना चाहती थी, आप का नंगा बदन,उठा हुअ...ंऐन तारप उठी, पर आप ने देख लिया."
मैने हैरानी मे पूचछा--"क्यूँ, तुम्हारा मर्द तुम्हारी तारीफ नहीं करता, इतनी हसीन,इतनी खुबुसरत हो तुम."
अपना सिर नीचा कर लिया उसने--"कहना नहीं चाहिए, पर मेरा मर्द तो शराब के नशे मे धुत रात को आता है और मेरी तरफ देखता भी नहीं, जब उसकी इच्छा होती है अपनी पतलून नीचे करके मेरा घग्रा उपर करके बस अपनी आग ठंडी कर लेता और मैं तारपति रह जाती हूँ, उसे भी कितने महीने हो गये, शराब के नशे मे आते ही सो जाता है, कभी कभी तो खाना भी नहीं ख़ाता, लरखरते हुए आता है और सीधा बिस्तर मे जाकर सो जाता है."
"तुम्हारा मर्द बदनसीब है, इतनी सनडर औरत और देखता भी नहीं, मैने तो जब से तुम्हे देखा है, फिदा हो गया हूँ तुम पर. जी करता है तुम्हे देखता ही रहूं, अपनी बाहों मे लेकर प्यार करूँ और तुम्हारा यह प्यारा मुखरा चूमता रहूं." कहते हुए मैने उसे अपने आगोश मे ले लिया. चुपचाप मेरी बाहों मे समा गयी और अपना सिर मेरे सीने पर रख लिया, उसे बहुत ही राहत मिल रही थी, उसका घबराना कुच्छ कम हुआ था. इन सभ बातों मे मेरा लंड भी तोरा सा मुरझा गया था, उसका खूबसूरत, कोमल जिस्म मेरी बाहों मे था, मुझे भी बहुत ही अच्छा लगा रहा था, थोरी देर तक ऐसे ही उसे आप्बी बाहों मे बँधे रखा और फिर उसके गाल को सहला कर उसका मुहन उपर किया, हमारी निगाहें मिली, प्यार भरा था उसकी आँखों मे, उसे अपना महसूस कर रहा था, शायद वो भी ऐसा ही महसूस कर रही थी इसीलिए वो भी बेफिकर मेरी बाहों मे बँधी थी, मैने उसका माता चूम लिया और उन प्यारी सी आँखों पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन दिया और कहा--"राधिका, आज मैं तुम्हे प्यार करके तुम्हारी यह तारप निकाल दूँगा, और तुम्हे महसूस करौंगा की तुम वाकई मे कितनी हसीन हो." कहते हुए मैने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए, इस बार वो नहीं हटी और मेरे चुंबन का जवाब अपने चुंबन से दिया, मैने अपने होंठ नहीं हटाए और उसका होंठ अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगा, जवाब मे उसने भी मेरा उपर का होंठ चूसने लगि.बिन होंठ हटाए कहने लगी--"मुझे पिघल दिया तुमने, बेताब थी ऐसे चुंबन के लिए, मेरा दिल इतना धारक रहा है की ऐसे लग रहा है की उच्छल कर बाहर आ जाएगा."
उसके गाल को चूम कर कहें लगा--"मैं भी सुनू कैसे धारक रहा है तुम्हारा दिल."
कहते हुए मैं नीचे हुआ और अपना कान उसके कोमल सीने पर रख दिया, एक लंबी साँस ली उसने, वाकई मे बहुत ही तेज़ धारक रहा था, मेरी बाहें उसकी कमर के इर्द गिर्द थी, साँस लेकर उसने अपना एक हाथ मेरी पीठ पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे बालों मे डाल कर अपनी तरफ हल्के से दबाया, उसकी धरकने सुन कर अपने होंठो से चोली के उपर से ही उसके बूबे चूमने लगा और उसकी एक निपल पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन दिया, वो सिसक उठी, पीच्चे हाथ करके उसकी चोली को ढीला करके चोली उतार दी, उसके तारपते दो कोमल पांच्ची आज़ाद होकर उच्छल कर बाहर आ गये, नंगे बूबों पर चूमा और फिर उसकी निपल अपने होंठो मे लेकर छुपने लगा, उपर होते हुए गले को चूमता हुआ फिर उसके होंठो पर अपने होंठ रख चूमा और अपनी जीभ से उसकी जीभ टटोलने लगा, उसने मेरा साथ देते हुए अपनी जीभ मेरी जीभ से मिला ली और दोनो एक दूसरे को चूमने और चूसने लगे.
मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा था, उसके बूब्स मेरे सीने से डब रहे थे, उसकी धरकन मेरी धरकन से मिल गयी थी, उसके घग्रे का नारा खोल दिया मैने, नारा ढीला होते ही घग्रा एक दम नीचे फर्श पर गिर गया, उसके तारे दबाते हुए और होंठ चूस्ते हुए मैने अपना एक हाथ उसके छूट पर रख दिया और नीचे होते हुए उसका कच्चा भी नीचे करने लगा,
घुटनो के बाल बैठ कर अपने होंठ उसकी छूट के बालों पर रख कर चूमा तो फिर सिसक उठी , अपनी जीभ से छूट के होंठ पर रख कर उसे गुदगुदी करने लग.उस्ने मेरे सिर को थाम कर अपनी छूट की तरफ दबाया और मैं उसकी छूट को चाटने लगा, मुझे भी इच्छा हो रही थी की राधिका भी मेरे लंड को अपने कोमल हाथो मे लेकर मसले और अपने नाज़ुक होंठो के बीच लेकर छुपे, मैं उठा और उसे नीचे घुटनो के बाल बिता कर अपने लंड को थाम कर उसके गालो पर सहलाने लगा, वो अपना मुहन खोलकर लंड को पाकरने की करने लगी, तोरा सा उसे तरपा कर मैने अपना लंड उसके होंठो पर रख दिया, चूमते हुए उसने आहिस्ता से जितना अंदर जेया सकता था उतना लंड मुहन मे डाल दिया और धीरे से बाहर निकालने लगी चूपते हुए, जब लंड की मुंधी पर पहुचि तो ऐसे छुपने लगी जैसे लॉली-पोप चूस रही हो, बहुत ही मीठी सी गुदगुदी होने लगी मुझे, फिर आहिस्ता से लंड को अपने मुहन मे वैसे ही डाला और फिर धीरे धीरे निकाल कर चूसने लगी, मैने उसका सिर थाम कर अपनी तरफ दबा कर उसके मुहन मे छोड़ने लगा, उसने एक हाथ मे मेरे बॉल्स पाकर लिए थे और धीरे से दबा कर सहला रही थिंऐने उसे उठाकर उसका हाता थाम कर कहा--" तुम्हारी खूबसूरती देखने दो राधिका"
अपने से तोरा सा डोर करके उसका खुबुसरत नंगा जिस्म देखने लगा--"वाकई मे तुम बहुत ही खुबुसरत हो, एक गुलाब के फूल की तरह हसीन और कोमल." शर्मा कर आँखें झुका ली और झट से मेरी बाहों मे समा गयी अपना सिर मेरे सीने पर रख कर, हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे मे समा गये थे, इतना ज़ोर से अपनी बाहों मे दबाया की उसकी साँस थमने लगी, अपने से अलग करके उसके होंठ और जीभ चूस्ते हुए अपनी बाहों मे उपर उठा लिया, उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर से बाँध ली, उसके बूब्स मेरे होंठो के करीब और मेरा उठा हुआ लंड उसकी छूट को छ्छूने लगा, उसके बूब्स चूपते हुए अपने लंड को उसकी गरम छूट पर सहलाने लगा, एक दूसरे की गर्माहट से दोनो मदहोश हुए जेया रहे थे, हल्के से मैं उसकी छूट के अंदर गया, मदहोशी मे बाल खाने लगी राधिका, और लिपट गयी वो मुझसे, एक झटके से लंड को और अंदर डाला तो उसके मुहन से एक चीख निकल आई, मैं उसे छोड़ने के लिए पागल होने लगा, दीवार का सहारा लेकर अपनी गोदी मे लिए उसे और ज़ोर से छोड़ने लगा, उसकी कोमल छूट की धरकन मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था जो मुझे और भी मदहोश किए जेया रही थी, उसे डाइनिंग तबले पर लिटा कर मैने उसकी टाँगे खोलकर उपर कर दी और झांगो को सहलाते थामे और फिर उसकी छूट को छुपने लगा, छूट के दोनो होंठो को साथ लिए अपने होंठो मे लेकर चूसा और जीभ से बीच मे सहलाने लगा, उसके सारे जिस्म मे गुदगुदी होने लगी थी और इधर से उधर बाल खाने लगी, मैं फिर खरा हुआ टॅंगो को खोले मैने अपना टाइट लंड उसकी छूट के उपर रखा, मगर अंदर नहीं डाला और दबाते हुए अपने दोनो हाथो से उसके दोनो बूब्स थाम कर दबाते हुए मसलता हुआ लंड को छूट से दबाते हुए आगे झुका और एक एक करके उसके बूब्स के निपल चूसे और फिर उसकी टॅंगो को थाम कर लंड को एक ही झटके मे छूट के अंदर डाला, एक और चीख निकली उसके मुहन से, दर्द से बिलख उठी, पर गुदगुदी भी बहुत हो रही थी, तबले को थामे और माँगने लगी--"और ज़ोर से चोद राज." उसके मुहन से मेरा नाम और भी अच्छा लगा, हमेशा बाबूजी कहती थी, तोरा और छोड़ा, लंड को छूट से निकाले बिना उसे उठाया और वैसे ही अपनी गोदी मे ले लिया, अपनी टाँगे मेरी कमर पर बाँध ली उसने और उसे अपने बेडरूम मे ले गया. बिस्तर पर सुला कर उसे सिर से पावन् तक चूमने लगा और रह रह कर जीभ से चाट भी रहा था, जब मेरे होंठ उसकी छूट पर रुके तो फिर सिसक कर बाल खाने लगी, इतनी तेज़ गुदगुदी होने लगी थी की अपनी टाँगे बंद करने लगी.
मैने उसकी दोनो टाँगे खोलकर उपर कर ली और छूट का हसीन नज़ारा देखने लगा, गुलाबी, गीला छूट उस पर काले, घुंघराले बॉल बहुत ही अच्छा लग रहा था, उसका लचीला जिस्म, टाँगे एक दम पीच्चे कर ली उपर उठाते हुए और मैने अपना टाइट लंड उसकी छूट मे डाल दिया, दर्द और मज़े से तारपने लगी, अपने सिर को आँखें बंद किए इधर से उधर करने लगी, उसके बॉल उसके चेहरे पर बिखरे,होंठ भींचे हुए उसे और भी खूबसूरत कर रहे थे, और मैं पàअग्लों की तरह उसे छोड़ने लगा, राधिका दर्द को सहन नहीं कर पा रही थी और मुझे नीचे उतार दिया, मैने उसके कोमल जिस्म से लिपट परा, दोनो के होंठ एक दूसरे से मिले, एक दूसरे को चूस्ते हुए उसे पलटा कर मैं नीचे हुआ और उसे अपने उपर कर दिया, मेरे होंठ चूमते हुए वो नीचे हुई और मेरे खरे लंड को अपने हाथ मे लेकर मसालते हुए अपने मुहन मे डाल दिया और ज़ोर से उपर नीचे करते छुपने लगी, इस बीच मे उसकी छूट का दर्द तोरा सा कम हुआ तो मेरे दोनो तरफ टाँगे करके छूट के अंदर लंड डाल कर उपर नीचे होने लगी, मैने भी उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को उपर नीचे करके उसे छोड़ने लगा, अब बर्दाश्त से बाहर था, लंड मे बहुत ही तेज़ गुदगुदी हो रही थी, उसे पलट कर फिर उसे नीचे करके मैं उसके उपर हुआ और ज़ोर से छोड़ने लगा, बस लंड और नहीं सहन कर पाया और एक पिचकारी निकली मेरे गरम पानी की और छूट को अंदर से भिगो दिया, मेरा गरम पानी अंदर महसूस करके वो भी ज़ोर से अपनी कमर को इधर उधर हिला कर मुझसे से और भी लिपट गयी अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर से लपेट कर अपने से चिपका लिया, उसका शरीर काँप रहा था. कितनी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों मे लपेटे सोए रहे, मेरे होंठ चूमते हुए उसने कहा--" राज, आज पहली बार अपने को एक औरत महसूस किया है, अभी तक तो ऐसे लगता था जैसे मैं अपने मारद का खिलोना हूँ, जब उसे जी चाहता है मेरे जिस्म से खेल लेता है, बिना यह सोचे की मैं किया चाहती हूँ."
होंठो से होंठ मिले रहे,"मुझे खुशी हुई की तुम्हे अच्छा लगा, मुझे भी तुमसे प्यार करके बहुत ही अच्छा लगा." मैने जवाब मे कहा.
"पहली बार महसूस किया है प्यार का मज़ा, पहली बार महसूस किया है सेक्स का आनंद, मुझे तो ऐसा महसूस लग रहा है जैसे मुझे पंख लग गये हो और मैं उरह रही हून.इत्न आनंद मिला की मेरा जिस्म काँप रहा था, ख़ासकर जब मेरी छूट चुप रहे थे, जब तुम्हारा गरम पानी अंदर गहराई मे महसूस किया, मैं तो अपने होश खो रही थी."
"यह ऑर्गॅज़म था जो तुम्हे इस तरह कंपन दे रहा था तुम्हारे जिस्म मे." मैने उसके बॉल सहलाते हुए, चूमते हुए कहा.
"अब मुझे जाना चाहिए, और भी भर हैं जहाँ काम करना है."
"जी तो करता है, ऐसे ही मेरी बाहों मे समय रहो, मुझे अच्छा नहीं लगता की तुम दूसरे के घर मे बर्तन मांझणे का काम करो, अगर मैं तुम्हारे लिए कुच्छ कर सकूँ तो सिर्फ़ कहने की देर है." मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उस से प्यार हो गया हो.
"मेरी फिकर मत करो, मुझे कुच्छ भी ज़रूरत होगी तो मैं तुम्हे कह दूँगी." मेरे होंठ चूमते हुए उसने कहा और मुझसे अलग होकर उठी और कापरे पहनने लगी और मैं चुपचाप उसे देखता रहा, उसे देख कर मेरी दिल की धरकन मेरे काबू मे नहीं थी और प्यार करने को जी कर रहा था, शायद राधिका ने मेरे दिल की बात सुन ली थी और कहने लगी--"जब भी मौका मिलेगा और अगर नहीं मिलेगा तो ढूँढ लेंगे इसी तरह प्यार करने के लिए.
कपड़े पहन कर जाने लगी, मगर जाने से पहले हम एक बार फिर एक दूसरे की बाहों मे बन्ध गये.
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07-19-2017, 10:49 AM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
शरमाजी की साली
. मेरे पड़ोस मे शरमाजी रहते है. उनके परिवार मे
उनकी मा, उनकी बीबी और उनके 2 बच्चे रहते है. भाभिजी बहुत
सुंदर और अच्च्ची है, एक बार उनके घर मे एक फंक्षन था शरमाजी
ने मेरे को बोला की परेश मेरी साली लखनऊ मे रहती है, उनके पति
वाहा पर सरकारी नौकरी मे है, वो अभी आ नही सकते तो तुम जाकर
मेरी साली को लेकर आओ. मैं उनकी साली से पहले कभी नही मिला था,
मैं उसको लेने लखनऊ चला गया, उनकी साली के घर पर मेरी बहुत
आवभगत हुई, शरमाजी की साली बहुत खूबसूरत थी, उसका कसा हुआ
बदन, बड़े बड़े बूब्स, प्यारा सा चेहरा, मोटी सी गांद उसकी शादी को
अभी 6 महीने ही हुए थे, उनके पति वाहा अच्च्ची सरकारी नौकरी मे
है. वो मीडियम पेर्सेनाल्टी के आदमी है और अपने कम मे ज़्यादा बिज़ी
रहते है. उन्होने वापसी के लिए हमारी टिकेट बना दी जो दो दिन आगे
की थी और उसी दिन उनको ऑफीस के कम से दिल्ली जाना पड़ा, उन्होने कहा
की मुझे 3-4 दिन लगेंगे आप लोग जॅयैपर चले जाना, उस दिन मैं ट्रेन
मे आने की वजह से थका हुआ था और सो गया, रात को 8 बजे नीली
(शर्मा जी की साली) ने मुझे जगाया मैं उठकर फ्रेश हुआ और हॉल मे
आकर सोफे पर बैठ गया.
घर पर मैं और नीली दोनो ही थे नीली ने कहा परेशजी खाना खा ले
मैने कहा अभी क्या जल्दी है चलो थोड़ा घूम कर आते है मुझे
लखनऊ घूमा दे, उसने कहा चलो, उसने पुचछा की आपको मोटरसाइकिल
चलानी आती है क्या? मैने कहा हा तो उसने कहा की मेरे पति की
मोटरसाइकिल पर चलते है, मैने उसके पति की मोटरसाइकिल निकली, उसने
@जीन्स और टाइट टी शर्ट पहन रखी थी और वो मेरे पिच्चे मोटरसाइकिल
पर बैठ गई, हम लोग बेज़ार मे घूम कर आए हम दोनो ने ही कुच्छ
शॉप्पंग करी और इधर उधर घूमने लगे, एक जगह रोड खाली थी
मैं स्पीड से मोटरसाइकिल चला रहा था अचानक एक स्प्पेड ब्रेकर आया
मैने बहुत ज़ोर से ब्रेक लगाया जिससे नीली पूरी मेरे उपर आ गई उसकी
चुचियो से मेरा बॅक डब गया उसने बोला की एसए क्या चला रहे हो
मैने कहा स्पीड ब्रेकर आ गया था, लेकिन यह अच्च्छा हुआ तुम मेरे
करीब तो आई वरना मैं तो सुबह से तुम्हारे करीब आने की सोच रहा
हू. उसने कुच्छ नही कहा और मेरी कमर मे हाथ दाल कर मुझसे चिपक
कर बैठ गई मेरी हिम्मत और बढ़ी मैं हर थोड़ी देर मे ब्रेक लगता
और वो मेरे से और चिपक जाती, उसकी बूब्स की गर्मी मे अपनी पीठ पर
महसूस कर रहा था, करीब 10 बजे हम घर पर आ गये और चेंज
करके खाना खाया फिर टV देखने लगे और बहुत सारी बताईं होती रही.
करीब 1 बजे उसने कहा की चलो सोते है, गरमी का टाइम था उनके
घर मे उनके बेडरूम मे आC लगा था उसने मुझे कहा की आप बेडरूम मे
सो जाओ मे दूसरे रूम मे सो जाती हू, मैने कहा की तुम भी यही स जाओ
उसने माना किया और दूसरे रूम मे जाकर सो गई, मैं सोने की कोशिश
करने लगा लेकिन मुझे नींद नही आ रही, बार बार मे नीली का गुलाबी
हुस्न आँखो के सामने आ रहा था, लगभग एक घंटे के बाद अचानक मेर
रूम का दरवाजा खुला और उसमे से नीली अंदर आ गई उसने कहा की गर्मी
बहुत है वाहा पर नींद नही आ रही है, मैने कहा की मैने तो
पहले ही कहा था, उसने गुलाबी कोल की पारदर्शी निघट्य पहन रखी
थी जिसमे से उसकी ब्लॅक पनटी और ब्रा दिख रही थी, उसने कही की
मैं बेड कीसीदे मे बिस्तर लगा का सो जौंगी, मैने कहा नही तुम बेड
पर सो जाओ मैं कूच भे नही करूँगा वो बेड पर एक साइड मे सो गई
और एक साइड मे मैं. थोड़ी देर मे मुझे नींद आ गई, अचंक मेरी आँख
खुली तो मैने देखा की वो मेरे नज़दीक सोई हुई है और उसकी निघट्य
उसके घुटनो के उपर हो गई थी उसकी गोरी सफेड जांघे देख कर मेरा
लंड तन गया, मैने उसे हाथ से पकड़ लिया और सहलाने लगा और
दूसरा हाथ धीरे से उसके बूब पर रख दिया उसके बूब एकदम गरम थे.
मैने महसोस किया की वो जाग रही थी, मैने अपने हाथो को उसके निघट्य
के उपर से उसके बूब्स पर घूमने लगा, मैने देखा की वो आँख खोल
कर यह सब देख रही थे मैने उसकी निघट्य के सामने के बुत्तन खोल कर
अपन हाथ उसकी ब्रा के उपर घूमने लगा अचंक उसने मेरा हाथ पकड़
कर ज़ोर से अपने सिने पर मसलने लगी, मैने उसे बाहो मे भर लिया ओर
अपने होतो को उसके होतो के उपर रख दिया उसकी साँसे तेज़ी से चल रही
थी उसने मेरे कपड़े उतार दिए मैने भी उसकी निघट्य उतार दी ब्लाक ब्रा
और पनटी मे वो गजब ढा रही थी, मैं उसे उपर से नीचे तक चूमता
रहा उसने मेरे लंड को सहलाना जारी रखा, मैने उसे चूमते हुए उसकी
ब्रा और पनटी भी उतार कर फेंक दी वो मेरे आमने एडम नंगी थी उसके
उस दूधिया बदन को देख कर मेरा लंड एकदंम राक क तरह हो गया,
उसके बूब्स को एक हाथ से दबाते हुए दूसरे बूब को मैं चूसने लगा
उसके बूब बहुत कड़क थे उसने भी मेरे शरीर को चूमे हुए मेरे लंड
को अपने मूह मे ले लिया, धीरे धीरे उसे और मुझे जोश आने लगा मैने
उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी छू को चूमने लगा वो अपने पेर ज़ोर ज़ोर
से पतकने आगी और कहा की आब देर मत करो मुझे चोद डालो मैं भी
रेडी था मैने अपने लंड को उसकी चूत के मूह पर र्खा और एक धक्का
दिया मेरा आधा लंड उसके चूत मे चला गया उसने कही की तुम्हारा लंड
बहुत मोटा उसके पति का इतना मोटा नही है, मैं उसके बूब्स को
मसलता रहा और उसके हठो को चूमते हुए ए और धक्का लगाया मेरा
पूरा लंड उसकी चूत मे चला गया वो ज़ोर से चिल्लई धीरे करो डरा हो
रहा है, मैं उसके होतो को चूमता हुआ 2-3 मिनूत्स उसके उपर लेता
रहा उसके शांत होने पर मैने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू
किया अब उसे भी मज़ा आने लगा करीब 5 मिनूट मे उसने पानी छ्चोड़ दिया
अब मेर लंड स्की चूत मे तोड़ा ईज़ी हो गया उसे भी मज़ा आने लगा वो
अपनी गंद उठा उठा कर अपनी चूत मरने लगी, करीब 20 मिनूट की
चुदाई मे वो 4 बार झाड़ चुकी थी अब तो मेरे लड ए भी जबाब दे दिया
मैने कहा की मेरा पानी निकालने वाला है उसने कहा की वो भी झड़ने
वाली है हम दोनो एक साथ ही झाड़ गये, मैं उसके उपर लेता रहा
करीब 10 मिनूट के बाद हम फिर रेडी थे, उस रत मैने उसे 5 बार
चोदा और हू सो गये.
हम दोनो दोपहर को 2 बजे उठे और रेडी होकर मार्केट के लिए निकल
गये. शाम को घर आकर हुँने खाना खाया और टV देखते रहे रत को
करीब 10 बजे मैने उसे बहो मे लेकर चूमना शुरू कर दिया उसने
अपने कपड़े उतार दिए और मेरे कपड़े भी उतार दिए मैइनेसए चूमते हुए
कैईब आधा गाँते तक चोदा, उसके बाद हुँने VCऱ पर एक क्षकशकश मोविए लगा
दी उसमे एक लड़का एक लड़की की गांद मार रहा था, मैने उसे कहा चलो
मे तुम्हरी गंद मे मेरा लंड डालता हू उसने कह मेरी गंद फॅट जाएगी
मैने कहा कुच्छ नही होगा थोड़ा सा दारद होगा मेरे लिए ये करना ही
परेगा. उसने कहा की दीरे धीरे करना मैने उसे घुटनो के बाल बैठा
डियै और उसकी गंद पर थोड़ा सा क्रीम लगाया और मेरे लंड को उसकी गांद
पर लगाया, आर थोड़ा सो अंड उसकी गंद मे डाला उसी गंद एकदम फ्रेश थी
मैं उसकी गंद की सील तोड़ रहा था, मैने और तिदा सा धक्का दिया
मेरा लंड करीब 2"उसकी गंद म गया वो बोली रहने दो दारद हो रहा
है मैने उसकी कम्र से कस कर पकड़ लिया और एक ज़ोर का धक्का मारा
मेरा पूरा लंड उसकी गांद मे गया, वो ज़ोर से छीची उसकी आँखो मे आसू
आ गये मई वही पर रुक गया और उसके चुही को दबा दबा कर उसे
मसलता रहा उसे जोश आने लगा और वो आगे पिहहे होने लगी मैने
अपने लंड को अंदर भर कारण शुउ किया अब उसे ही मज़ा आने लगा, मैं
और वो गांद मारी का मज़ा लेते रहे आईने कहा की मैं झदाने वॉल हू तो
उसने कहा की सारा पानी वो पीना चाहती है मैने अपना लंड उसकी गांद
मेसए निक्र कर उसके मूह मे दे दिया वो प्यार से मेरे लंड को आम की तरह
चूसने लगी थोड़ी देर मे मेरे लंड से ढेर सारा पानी निकला और वो सारा
पानी पी गई, उस रात भे मैने उसे 5 ब्र चोदा दूसरे दिन हम ट्रेन से
जॅयैपर आ गये वाहा पर भी मैने 7 दिन मे करीब 7-8 बार चोदा.
उसके बाद मैं चेन्नई आ गया करीब एक साल बाद उसके पति का ट्रान्स्फर
चेन्नई हो गया, मेरा उनके गहर मे आना जाना रहता है मैं आज भी
मज़े से जब ह्यूम मोका मिलता है उसे चोदता हू , आज वो एक प्यारे से बेटे
की मा है.
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07-19-2017, 10:50 AM,
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RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
गुलाम चुदाई का
मैं अत्यंत गर्म औरत हूँ। वैसे मेरी शादी हो चुकी है पर मुझे सिर्फ़ अपने पति से संतुष्टि नहीं मिलती इसलिए मैंने पड़ोस के एक हट्टे कट्टे मोटे लंड वाले लड़के को अपना बॉय फ्रेंड बना रखा है। वह मेरा गुलाम बना रहता है। उसे मैंने कैसे फंसाया इसकी घटना आप सबको बताती हूँ।
मैं अपने पति संग अकेली रहती हूँ और वो हमेशा अपने ऑफिस के काम से बाहर जाते रहते हैं। उनके नहीं रहने पर मैं रात में मोटे बैंगन से अपनी चूत की खुजली शांत करती थी।
एक दिन मेरी नजर बगल के २६ वर्ष के लड़के सुमन पर पड़ी। उसका शरीर अत्यन्त गठीला था और उस दिन वह मेरे घर के बाउंड्री के बगल में पेशाब कर रहा था। मैं छत पे बैठी थी और वो बिल्कुल मेरे सामने नीचे लंड निकाले पेशाब कर रहा था। उसने मुझे देखा नहीं था और मैं उसके लंड को सामने से देख रही थी और मुझे लगा कि सुमन का लंड बहुत मोटा है।
उसी दिन से मैं उसके लंड से चुदने का प्लान बनने लगी। मैं उससे नजदीकी बढ़ाने के लिए उसे बाजार से कुछ सामान लाने को कह देती थी। वह मुझे भाभी कहता था और खुशी से सामान ला देता था। मैंने उसका मोबाइल नंबर भी ले रखा था।
मैं चूँकि ३२ साल की सेक्सी औरत हूँ सो उसका भी आकर्षित होना स्वाभाविक था पर वह डर या शर्म से कुछ बोलता नहीं था पर उसकी नजर मेरी चुचियों और गांड पर अक्सर रहती थी। और फ़िर एक सप्ताह बाद मैंने उसे फंसा ही लिया।
उस दिन मैंने उसे फोन करके दोपहर के बाद २-३ बजे घर बुलाया। मैंने इसके बाद अपनी चूत के बालों को हेयर रिमूवर क्रीम से साफ़ किया और लगभग १ बजे तक पूरी तरह तैयार हो चुकी थी। मैंने साड़ी पहनी पर अंदर न तो पैंटी पहनी और न ही ब्रा। ब्लाउज भी स्ट्रिप वाली थी जिसमें लगभग पूरी पीठ दिखाई पड़ती थी। लगभग ढाई बजे सुमन मेरे दरवाजे पर खड़ा था, मैंने जैसे ही खिड़की से उसे आते देखा मैं पेट के बल अपने बेड पर लेट गई, अपनी साड़ी को इस कदर उठा लिया की मेरी पूरी जांघ दिख रही थी और अगर कोई झुक कर देखता तो उसे मेरी गांड की भी झलक मिल जाती। पीठ पर भी मैंने साड़ी नहीं रहने दी थी और बगल में एक डेबोनेयर पत्रिका खोल कर रख दी थी, ऐसा लग रहा था मानो मैं पत्रिका पढ़ते हुए सो गई थी।
सुमन को मैं पहले ही बोल चुकी थी कि अगर दरवाजा खुला रहे तो कालबेल बजाने कि जरुरत नहीं है बस आवाज देकर अन्दर आ जाना। दरवाजा मैंने खुला छोड़ कर ही रखा था और सुमन अन्दर आ गया। उसने आवाज लगाई पर मैंने कोई जबाब नहीं दिया।
मेरे बेडरूम में बज रही हलकी म्यूजिक की आवाज सुनकर वह इस ओर बढ़ गया और फ़िर वही हुआ जिसका मुझे इंतजार था।
उस स्थिति में देखकर उसने पहले तो धीरे से आवाज लगाई और कोई जबाब नहीं मिलने पर मेरी बगल में आहिस्ते से बैठ गया। उसने धीरे से मेरी साड़ी जांघो पर से उठा दी और मेरी गोरी-गोरी चूतड़ उसके आँखों के सामने थी।
उसने धीरे से मेरी चूतड़ों को एक दूसरे से अलग कर गांड का छेद देखने की कोशिश की और मैंने अपनी टांगों को जानबूझ कर इस कदर फैला लिया की उसे मेरी चूत भी दिखने लगा। उसने अपनी ऊँगली से मेरी चूत को छूना शुरू किया और मैंने जागने का नाटक किया और बोली- "सुमन यह क्या कर रहे हो?"
वह घबरा गया और मेरे पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाया- "भाभी मुझे माफ़ कर दो आप जो कहोगी मैं करूँगा।" वह डर चुका था।
मैं बोली कि ठीक है माफ़ करुँगी पर मेरा कहा मानोगे तब।
उसने हां में सर हिलाया।
मैं उसे दरवाजा बंद कर आने को बोली और वह दौड़ कर दरवाजा बंद कर आया। तब मैं उससे बोली-"देखो, तुमने मेरी चूत देखी है और इसके बदले मैं तुम्हें पूरा नंगा देखना चाहती हूँ।" सुमन ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मैं उसके लंड का आकार देखकर उत्तेजित हो उठी। उसका लंड लगभग ७ इंच लंबा था पर उसकी मोटाई ज्यादा थी।
मैंने उसके लंड को पकड़कर उसके सुपाड़े की चमड़ी को नीचे कर दी। फ़िर मैंने उसे अपनी चूत चूसने को कहा और मैं अपने पैर मोड़कर बेड पर लेट गई। वह मेरी चूत चूसने और चाटने लगा, मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह मेरे चूत का रस मस्त होकर पी रहा था।
फ़िर मै उसे रोककर अपने कपड़े उतारने को बोली और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों नंगे थे। मैंने उसे अपनी चूचियां सहलाने और चूसने को कहा और उसने ऐसा ही करना शुरू किया। मैं सी सी सी, की आवाज निकाल रही थी। फ़िर मैंने सुमन को अपने क्लिटोरिस को चाटने को कहा और उसने चाटना शुरू किया मैं आनंद के असीम सागर में गोते लगा रही थी।
मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी मैंने उसके मोटे लंड को पकड़ कर उसे चूत में डालने का इशारा किया और वह मेरे पैरों के बीच बैठ कर लंड को चूत के छेद पर रगड़ रहा था और फ़िर उसने एक धक्के के साथ अपने लंड को मेरी चूत में धंसा दिया पर उसका मोटा लंड मेरी चूत में फंस रहा था, मैंने अपने पैरों को थोड़ा और फैलाया और उसने एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चिकनी चूत में उतार दिया और फ़िर धक्के लगाकर चुदाई करने लगा।
मेरी चूत सुमन के मोटे लंड की रगड़ से मस्त हो रही थी और मैंने अपनी चूत उठाकर सुमन का साथ देना शुरू कर दिया। लगभग २२-२५ धक्कों के बाद सुमन ने अचानक चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और उसका लंड मेरी चूत में वीर्य छोड़ने लगा, गर्म वीर्य, लंड के फूलने सिकुड़ने और सुमन के मजबूत जकड में मुझे चुदाई का असीम आनंद मिल रहा था और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैं झड़ रही थी।
इसके बाद लगभग ३-४ मिनट तक हम वैसे ही पड़े रहे इसके बाद मैंने सुमन को तौलिया से अपने चूत को पौंछ कर साफ़ करने को कहा और उस दिन से मेरे हाथ सुमन के रूप में एक चुदाई का गुलाम प्राप्त हुआ जो मेरी इच्छानुसार आकर मेरी चुदाई कर मेरी चूत को तृप्त करता है।
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