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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
विशाल- “बात तो शायद आप सही कह रही हैं, मगर अब जमाने से ऐतबार टूट चुका है मेरा..” विशाल ने गाड़ी
को मोड़ते हुए कहा।
धन्नो- “विशाल ऐसा नहीं है... एक लड़की की वजह से तुम सारी दुनियां को दोष नहीं दे सकते, मुझे यकीन है। की अगर तुम कोशिश करोगे तो जरूर कोई ना कोई सच्चा साथी मिल जाएगा..." धन्नो ने अपना हाथ विशाल के कंधे पर रखते हुए कहा।
विशाल- “ठीक है धन्नो आज आपकी बातों की वजह से मैं अपनी जिंदगी को जीने की एक और कोशिश करता हूँ...” विशाल ने धन्नो की बातें सुनने के बाद कहा।
धन्नो- “बैंक्स विशाल, तुमने मेरी बात को समझा..” धन्नो ने विशाल की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
विशाल- “आप बताएं आपने अभी तक कोई साथी ढूँढा है या सिंगल ही हो?” विशाल ने धन्नो से पूछा।
धन्नो- “जी हमारी शादी बहुत जल्द होने वाली है...” धन्नो ने अपने बारे में सुनकर शर्माते हुए कहा।
विशाल- “अरेंज या लोव?” विशाल ने फिर से पूछा।
धन्नो- “जी लोव मैरेज है...” धन्नो ने अपना कंधा नीचे करते हुए कहा।
विशाल- “बधाईयां... आपको अपना प्यार मिल गया...” विशाल ने खुश होते हुए कहा।
ऐसे ही बातें करते हुए धन्नो अपने घर तक पहुँच गई और कार से उतारकर विशाल को बैंक्स कहा।
विशाल- “बैंक्स तो हमें करनी चाहिये की आपकी वजह से हमें नई जिंदगी शुरू करने का मौका मिला है..” विशाल ने हँसते हुए कहा।
धन्नो- “आप कभी आइए ना चाय पीने के लिए हमारे घर...” धन्नो ने विशाल को सलाह देते हुए कहा।
विशाल- “जरूर आएंगे हम। पर आपकी चाय उधार रही, मगर अब चलते हैं.." विशाल ने धन्नो को बाइ कहते हुए अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा दिया।
विशाल के जाते ही धन्नो सोचने लगी- “कितना अच्छा लड़का है, और एक लड़की जो उसका प्यार समझ ही ना सकी उसके लिए अपनी जिंदगी खराब कर रहा था। अच्छा हुआ जो वो मुझे मिल गया और मेरी बात को समझकर अपनी जिंदगी को फिर सही ढंग से जीने का फैसला किया..." धन्नो ने यह सोचते हुए अपने पर्स से चाबी निकालकर दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हो गई।
धन्नो अपने कमरे में जा ही रही थी की उसे अपनी चाची के कमरे से सिसकने की आवाजें सुनाई दी। धन्नो समझ गई की उसकी चाची अपनी चूत की खुजली मिटा रही है, और वो हँसते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ । गई। आज धन्नो बहुत खुश थी की उसकी वजह से बिंदिया की जिंदगी तबाह होने से बच गई थी और सब कुछ सही हो गया था। धन्नो अपने कपड़े उतारकर बाथरूम में चली गई और शावर ओन करके नहाने लगी। नहाते हुए उसने देखा की उसकी चूत उस काले सांड़ से चुदकर बहुत सूज और खुल चुकी थी। वो फ्रेश होकर एक नाइटी पहनकर अपने बेड पर आकर लेट गई। थोड़ी ही देर में धन्नो नींद के आगोश में चली गई।
बिंदिया- “दीदी उठो कितनी देर तक सोती रहोगी?” बिंदिया धन्नो को झंझोड़कर उठाने लगी उसे बहुत चिंता हो रही थी की धन्नो ने वो काम ठीक से किया होगा की नहीं? बिंदिया के ऐसा करने से धन्नो अपनी आँखें मलते हुए उठने लगी।
धन्नो- “क्या हुआ बिंदिया?” धन्नो ने एक अंगड़ाई लेते हुए पूछा।
बिंदिया- “धन्नो 11:00 बज रहे हैं और कितनी देर तक सोओगी मुझे चिंता हो रही है...” बिंदिया ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा।
धन्नो- “पगली मेरे होते हुए तुम पर कोई आँच नहीं आएगी, तुम यहीं रह, मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ..” यह कहते हुए धन्नो बाथरूम में घुस गई। धन्नो कुछ ही देर में फ्रेश होकर वापस आ गई और अपनी अलमारी में से वो फोटोस नेगेटिव के साथ और वीडियो कैसेट बिंदिया के हाथ में दे दी।
बिंदिया- “ओह... धन्नो.. तुम सच में बहुत महान हो। पर यह सब उन्होंने इतनी आसानी से कैसे दे दिया?" बिंदिया ने धन्नो से वो चीजें लेते हुए पूछा।।
धन्नो ने बिंदिया की बात सुनकर उसे शुरू से आखिर तक सारी बात बिंदिया को बता दी जो उसके साथ रात को हुआ था।
बिंदिया- “धन्नो मेरी खातिर तुमने यह सब किया? मैं सारी जिंदगी तुम्हारा अहसान नहीं उतार सकती...” बिंदिया ने धन्नो की बात सुनकर उसे गले लगाते हुए कहा।
धन्नो- “बिंदिया एक बहन की मदद उसकी दूसरी बहन ही करेगी क्या? अब तुम बेफिकर हो जाओ..” धन्नो ने बिंदिया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।
वो दोनों कुछ देर तक बातें करने के बाद बाहर आ गई और धन्नो के नाश्ता करने के बाद सब आपस में बातें करने लगे।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
शिल्पा और रवि की सवेरे-सवेरे चुदाई
शिल्पा सुबह-सुबह ठाकुर को चाय देने के बाद एक चाय का कप लेकर रवी के कमरे में जाने लगी। शिल्पा आज तक कभी भी रवी के कमरे में चाय लेकर नहीं गई थी। जाने उसके दिमाग में क्या चल रहा था, जो आज वो । रवी के कमरे में जा रही थी। शिल्पा ठाकुर के साथ रात को सो चुकी थी, इसलिए चाय देते वक़्त ठाकुर ने उसे कुछ नहीं किया।
शिल्पा रवी के कमरे का दरवाजा खोलते हुए अंदर दाखिल हो गई। उसने चाय का कप टेबल पर रखते हुए दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। शिल्पा ने आज सलवार कमीज पहन रखी थी और उसकी कमीज का गला बहुत बड़ा था। शिल्पा रवी के पास आकर उसे झुक कर हुए उठाते हुए कहा- “छोटे ठाकुर चाय...”
रवी ने जैसे ही अपनी आँखें खोली उसके सामने शिल्पा की दोनों आधी नंगी चूचियां आ गई। रवी की नजर शिल्पा की गोरी चूचियों पर ही अटक गई।
शिल्पा- “छोटे ठाकुर चाय टेबल पर है, दूध रात को पी लेना.." शिल्पा ने रवी को अपनी चूचियों की तरफ घूरता हुआ देखकर उसे टोकते हुए कहा।
रवि- “जब इतना मीठा दूध सामने हो तो कौन साला चाय पिएगा..” रवी ने शिल्पा की बात सुनकर उसे अपनी बाहों में भरते हुए बेड पर लेटाते हुए उसके ऊपर चढ़ते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। रवी ने कुछ देर तक शिल्पा के होंठों को चूसने के बाद उसे सीधा बिठाते हुए उसकी कमीज को उसके जिम से अलग कर दिया।
शिल्पा ने बगैर कोई विरोध किए अपनी कमीज उतारने के बाद कहा- “छोटे ठाकुर इस वक़्त यह सब ठीक नहीं,
कोई आ जाएगा..."
रवि- “कोई नहीं आएगा यहाँ...” रवी शिल्पा की गोरी-गोरी चूचियों को सिर्फ एक छोटी ब्रा में देखकर पागल हो। चुका था। उसने शिल्पा को सीधा लेटा दिया और उसके ऊपर आते हुए शिल्पा की ब्रा को उसकी कोमल चूचियों से अलग करते हुए शिल्पा की दोनों चूचियों को बेदर्दी से चूसने, चाटने और काटने लगा।
शिल्पा- “आअह्ह्ह.. ओईई... आराम से करो, मैं भाग तो नहीं रही हूँ..” शिल्पा ने रवी के मुँह में अपनी चूचियों
के जाते ही जोर से चिल्लाते हुए कहा।।
रवी तो जैसे पागल हो चुका था। वो शिल्पा पर भूखे शेर की तरह चढ़ गया था। रवी कुछ देर तक शिल्पा की
चूचियों को जोर-जोर से चूसने चाटने के बाद सीधा उठते हुए अपने अंडरवेर को अपनी टाँगों में से निकाल दिया। रवी का अंडरवेर उतरते ही उसका लंबा और मोटा लण्ड फनफनाता हुआ झटके खाने लगा।
शिल्पा- “छोटे ठाकुर क्या बात है आज आपका बहुत लंबा और मोटा लग रहा है?" शिल्पा ने रवी के लण्ड को देखकर हैरान होते हुए कहा।
रवि- “हाँ इसे कुछ दिन से खुराक नहीं मिली, इसलिए यह भूख की वजह से और ज्यादा भयानक लग रहा है..."
कहकर रवी शिल्पा के पेट पर बैठ गया, और अपना फनफनाता हुआ लण्ड शिल्पा की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों के बीच में फंसा दिया और उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से पकड़कर अपने लण्ड पर दबाते हुए अपना लण्ड उसकी चूचियों में आगे-पीछे करने लगा। रवी के ऐसा करने से उसका लण्ड शिल्पा की चूचियों से निकलकर । उसके होंठों से टकरा रहा था और रवी ऐसा करते हुए बहुत जोर-जोर से सिसक रहा था।
रवि- “आअह्ह्ह... शिल्पा इसे अपने मुँह में लेकर गीला करो, ताकी तुम्हें इसे लेने में तकलीफ ना हो...” रवी ने अपने लण्ड को शिल्पा की चूचियों के बीच जोर से अंदर-बाहर करते हुए कहा।
रवी की बात सुनकर शिल्पा ने अपना मुँह खोल दिया और जैसे ही रवी का लण्ड उसके मुंह के पास आता वो उसे अपने मुँह में लेकर होंठों से चूस लेती, और कहती- “आअह्ह्ह... हाँ ऐसे ही करो...”
रवी अपना लण्ड शिल्पा के मुँह में जाने से जोर-जोर से सिसक रहा था। शिल्पा की चूत भी ऐसा करते हुए अब गीली होने लगी थी। रवी ने अचानक अपना लण्ड शिल्पा की चूचियों में से निकाल लिया और उसके ऊपर से। उठते हुए उसकी टाँगों के बाच आ गया। रवी ने शिल्पा की सलवार को उसके जिम से अलग कर दिया और उसकी गीली पैंटी को देखते हुए उसे भी उसके जिम से अलग कर दिया। शिल्पा की चूत अब नंगी होकर रवी के सामने आ चुकी थी। रवी ने नीचे झुकते हुए एक चुंबन शिल्पा की चूत पर दिया और उसकी टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
शिल्पा- “आअहह्ह... ओहह...” रवी का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ता हुआ महसूस करके शिल्पा बहुत जोर से सिसक रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे बहुत ज्यादा पानी निकल रहा था।
रवी ने अपना लण्ड शिल्पा की चूत के छेद पर टिका दिया और एक जोर का धक्का मार दिया।
शिल्पा- “आअह्ह्ह... छोटे ठाकुर...” एक ही झटके में रवी का फनफनाता हुआ लण्ड आधे से ज्यादा शिल्पा की चूत में घुस गया, जिस वजह से उसके मुँह से मजे और मीठे दर्द के अहसास से हल्की की सिसकी निकल गई।
रवी का आधा लण्ड शिल्पा की चूत में घुसते ही, उसे उसकी चूत में जोर-जोर से अंदर-बाहर करते हुए जोर के धक्के मारने लगा। रवी के ऐसा करने से उसका पूरा लण्ड शिल्पा की चूत में जड़ तक घुस गया।
शिल्पा- “आअह्हह... ओईई.. इस्स्स्स ... हाँ बहुत मजा आ रहा है। आज आपका लण्ड बहुत ज्यादा कड़क और
मोटा लग रहा है.” रवी का पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसते ही शिल्पा ने जोर से सिसकते हुए कहा।
रवी को अपना लण्ड शिल्पा की चूत में अंदर-बाहर होता हुआ बहुत मजा दे रहा था, इसलिए वो पागलों की तरह अपना लण्ड बड़ी तेजी के साथ शिल्पा की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। शिल्पा को भी अपनी चूत में रवी के लण्ड की रगड़ बहुत ज्यादा मजा दे रही थी, जिस वजह से उसने अपनी दोनों टाँगों को रवी की कमर में फँसा दिया, और उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछालकर जोर से सिसकते हुए रवी के लण्ड को अपनी चूत में लेने लगी।
रवी के तेज धक्कों से शिल्पा का पूरा जिश्म कांप रहा था और वो जोर-जोर से हाँफ रही थी। शिल्पा का पूरा जिम पशीने से भीग चुका था और वो झड़ने के बिल्कुल करीब थी।
शिल्पा- “छोटे ठाकुर जोर से करो, मैं झड़ने वाली हैं। हाँ ऐसे ही जोर से अंदर-बाहर करो..” शिल्पा अचानक अपनी टाँगों को रवी की कमर में जोर से हँसाते हुए चिल्लाते हुए कहने लगी।
रवी शिल्पा की बात सुनकर उसकी चूत में अपना लण्ड बहुत तेजी के साथ अंदर-बाहर करने लगा और शिल्पा भी पूरी तेजी के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसके लण्ड को अपनी चूत में लेने लगी।
शिल्पा- “आअह्हह... छोटे ठाकुर मैं झड़ रही हूँ ओहह..." शिल्पा के मुँह से अचानक निकला और उसकी चूत ने रवी के लण्ड को कसकर दबोच लिया और झटके खाते हुए झड़ने लगी।
शिल्पा ने झड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और रवी की कमर में अपनी टाँगों को कसकर हँसा लिया। रवी अपने लण्ड को शिल्पा की चूत में वैसे ही तेजी के साथ अंदर-बाहर कर रहा था। रवी को शिल्पा की चूत के कसे होने के कारण अपना लण्ड अंदर-बाहर करते हुए अपने लण्ड पर जोर की रगड़ पड़ रही थी, जिस वजह से वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँच चुका था।
रवि- “आअह्ह्ह... शिल्पा ओह्ह... मैं भी झड़ रहा हूँ, तुम्हारी चूत बहुत टाइट है..” रवी का बाँध भी टूट गया और वो अपने लण्ड को बहुत जोर के साथ शिल्पा की चूत में अंदर-बाहर करते हुए झड़ने लगा।
शिल्पा अपनी चूत में रवी का वीर्य गिरते ही मजे से सिसकते हुए अपने चूतड़ों को उसके लण्ड पर उछालते हुए अपनी आँखें खोल दी। रवी के लण्ड से जाने कितनी देर तक पिचकारियां निकलकर शिल्पा की चूत को भरने लगी। रवी पूरा झड़ने के बाद शिल्पा के ऊपर ढेर हो गया।
शिल्पा रवी को अपने ऊपर ढेर होते ही उसके होंठों को चूमने लगी, और रवी को अपने ऊपर से उठाकर साइड में करते हुए कहा- “मैं चाय गरम करके लाती हूँ..” ।
रवि- “शिल्पा सुबह-सुबह इतना बड़ा नाश्ता हो गया, चाय की क्या जरूरत है? फिर से अपना दूध ही पिला दो...” रवी ने शिल्पा का हाथ को पकड़ते हुए कहा।
शिल्पा- “धत्त आप तो बड़े बदमाश हैं...” शिल्पा ने शर्माकर अपना हाथ रवी से छुड़कर बाथरूम में चली गई।
कुछ ही देर में शिल्पा बाथरूम से निकलकर अपने कपड़े पहनकर चाय का कप लेते हुए किचेन में आ गई। शिल्पा ने किचेन में आते ही चाय का कप रख दिया और दूसरी चाय बनाने लगी। शिल्पा ने किचेन में रखा एक डब्बा उठाया और उसमें से एक गोली निकालकर चाय में डाल दी, और चाय कप में लेकर रवी के कमरे में जाने लगी। शिल्पा ने कमरे में दाखिल होते ही चाय का कप रवी को दे दिया।
रवि- “वाह... चाय तो बहुत बढ़िया बनाई है, किस दूध से बनाई है?” रवी ने चाय की एक चुस्की लेते हुए कहा।
शिल्पा- “आप भी ना... चुप करके चाय पियो...” शिल्पा ने रवी की बात सुनकर शर्माते हुए कहा। शिल्पा रवी के
चाय पीने के बाद जाकर कप उठाने लगी।
रवी ने शिल्पा को कप उठाने से पहले ही पकड़ते हुए अपनी गोद पर बिठाते हुए कहा- “एक बार और हो जाए?"
शिल्पा- “नहीं बाबा मैं रात को आऊँगी, दिन में ठीक नहीं है। तुम्हारा तो पता ही नहीं, पेट ही नहीं भरता। अभी किया है और फिर भी खड़ा है..” शिल्पा ने रवी की गोद से उठने की कोशिश करते हुए कहा।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
रवि- “ठीक है मगर रात को जरूर आना..” रवी ने शिल्पा को अपनी गोद से उठाकर सीधा करते हुए उसके होंठ पर एक चुंबन देते हुए कहा।
शिल्पा- “ठीक है बाबा, जैसा हुक्म मेरे आका...” शिल्पा ने कप उठाकर वहाँ से जाते हुए एक अदा से मुश्कुराकर रवी से कहा और वहाँ से निकल गई।
* * * * * * * * * *
मनीष-करुणा, और रवी-धन्नो की रिश्ते की बात ।
इधर रवी मनीष के कमरे में बैठकर उससे बातें कर रहा था। रवि ने कहा- “भैया मुझे तो छोरी की बहुत याद आ रही है बापू से कहो ना की रिश्ते के लिए शहर चलें। इसी बहाने उनसे मुलाकात तो हो जाएगी...” रवी ने अपने भाई से बात करते हुए कहा।
मनीष- “क्यों रे तुम्हें कैसे इश्क़ लग गया? तुम तो आजाद पंछी थे, हमेशा कहते थे की मैं अपनी बीवी को अपने जूते की नोक पर रखूगा। अब क्या हो गया?” मनीष ने हँसकर अपने भाई का मजाक उड़ाते हुए कहा।
रवि- “भैया कह तो सच रहे हो मगर तब मैं नादान था। उस छोरी से मिलने के बाद तो मेरा दिमाग ठिकाने आ गया है की औरत को जूते की नोक पर नहीं दिल में रखा जाता है...” रवी ने अपने भाई की तरफ देखकर कहा।
मनीष- “तो ठीक है तुम्हारी खातिर मैं बापू से बात करता हूँ..” मनीष ने रवी की बात सुनकर कहा।
रवि- “भैया अब यह बात भी सही नहीं है, सिर्फ मेरी खातिर। तुम्हारे दिल में भी तो उस छोरी के लिए गुटरगू हो रही है...” रवी ने अपना भैया को चिढ़ाते हुए कहा।
मनीष- "रवी तुम सुधरोगे नहीं..” मनीष ने हँसते हुए कहा।
रवि- “क्यों भैया मैं झूठ बोल रहा हूँ?” रवी ने अपने भैया की आँखों में देखते हुए कहा।
मनीष- “नहीं यार, तुम सच बोल रहे हो, मेरा दिल भी कर रहा है कि तुम्हारी भाभी से मिलूं...” मनीष ने ठंडी साँसें लेते हुए कहा।
रवि- “तो भैया चलो ना डैडी के कमरे में चलकर बात करते हैं...” रवी ने खुश होते हुए कहा।
मनीष- "ठीक है चलो...” यह कहते हुए मनीष रवी के साथ उठकर अपने बापू के कमरे में जाने लगा।
ठाकुर- “क्या हुआ बेटों कोई परेशानी है क्या?” ठाकुर ने अचानक रात को अपने दोनों बेटों को एक साथ अपने कमरे में देखकर कहा।
मनीष- “नहीं बाबूजी ऐसी कोई बात नहीं। बस आपसे कुछ बात करनी थी..” मनीष ने वहाँ पर पड़ी एक बड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा।
ठाकुर- “हाँ बोलो बेटा क्या बात है?” मनीष और रवी के बैठते ही ठाकुर ने उनसे कहा।
मनीष- “बाबूजी, वो रवी कह रहा था की क्यों ना कल शहर चलें?” मनीष ने शर्माते हुए कहा।
ठाकुर- “क्यों बेटे क्या काम है शहर में?” ठाकुर समझ गया था की उसके बेटे क्या चाहते हैं? मगर फिर भी उन्हें सताने के लिए कहा।
मनीष- “वो बाबू हमारा रिश्ता माँगने के लिए...” मनीष ने हकलाते हुए बोल दिया।
ठाकुर- “हम्म... तो यह बात है। मगर तुम दोनों को इतनी जल्दी क्या है?” ठाकुर ने मुश्कुराते हुए कहा।
रवि- “तो क्या बापू जब हम बूढ़े हो जाएंगे तब हमारा रिश्ता माँगने चलोगे क्या?” रवी से सबर नहीं हुआ और वो बीच में ही बोल पड़ा।
ठाकुर- “बाप रे बाप... अच्छा तो तुम दोनों को कल ही चलना है..” ठाकुर ने रवी की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
“जी बाबूजी...” दोनों के मुँह से एक साथ निकला।
ठाकुर- “ठीक है बेटों जब दोनों हो राजी तो क्या करेगा काजी। तुम उन्हें फोन करके बता दो की हम कल आ रहे हैं..” ठाकुर ने यूँ ही मुश्कुराते हुए कहा।।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
मनीष- “रवी तुम तैयार हो गये?” मनीष ने अपने भाई के कमरे में दाखिल होते हुए कहा।
रवी तो कब से तैयार होकर बैठा था। रवी ने अपने भाई से पूछा- “बाबूजी तैयार हो गये हैं?”
मनीष- “पता नहीं चलो चलकर देखते हैं...” मनीष ने रवी से कहा और दोनों अपने बाप के कमरे में दाखिल हो। गये। ठाकुर उस वक़्त नहाकर बाथरूम से निकले थे।
ठाकुर- “अरे बेटों तुम तैयार हो गये?” ठाकुर ने अपने दोनों बेटों को अपने सामने देखकर कहा।
रवि- “जी बाबूजी मगर आप तो अभी तक तैयार नहीं हुए हैं...” रवी ने अपने बापू की तरफ देखकर मुँह बनाते हुए कहा।
ठाकुर- “अरे बेटा मेरा क्या है, बस मैं तैयार हूँ। तुम जाकर ड्राइवर से कहो की गाड़ी निकाले, मैं अभी आता हूँ...” ठाकुर ने हँसते हुए कहा।
रवी अपने बाप की बात सुनकर फौरन बाहर आ गया और ड्राइवर से गाड़ी निकलवा दी। रवी वापस अपने बाप के कमरे में दाखिल होते हुए बोला- “बाबूजी गाड़ी तैयार है..”
ठाकुर- “बेटा तुम अपना सामान तो उठा लो...” ठाकुर ने अपना बैग उठाते हुए कहा।
रवि- “बाबूजी मैंने सब सामान गाड़ी में रख दिया है अपना भी और मनीष का भी..." रवी ने अपने बाप के हाथों से बैग लेते हुए कहा, और वो अपने भाई और बाप के साथ बाहर आकर गाड़ी में बैठ गये।।
रवि- “बाबूजी हम ट्रेन से क्यों जा रहे हैं? अपनी गाड़ी से चलते तो ज्यादा मजा आता..." रवी ने गाड़ी के चलते ही अपने बाप से कहा।
ठाकुर- “बेटा इतना लम्बा रास्ता है। हम ड्राइव नहीं कर पाते, और ड्राइवर को मैं वहाँ नहीं ले जाना चाहता। इसलिए हम ट्रेन से जा रहे हैं..” ठाकुर ने अपने बेटे को जवाब देते हुए कहा।
ड्राइवर ने गाड़ी को स्टेशन पर लाकर रोक दिया। ठाकुर और उसके दोनों बेटे गाड़ी से उतरकर अपनी ट्रेन में आकर बैठ गये।
मनीष ने अपने लिये एक एसी कम्पार्टमेंट की टिकेट ली थी जहाँ पर उनके इलावा कोई भी सफर नहीं कर रहा था। अंदर दाखिल होते ही सामान रखने के बाद सभी सुकून के साथ बैठ गये।
मनीष- “डैडी मैं करुणा को फोन करके बता देता हूँ की हम शाम तक पहुँच जाएंगे..” मनीष ने ठाकुर की तरफ देखते हुए कहा।
ठाकुर- “बेटा जैसे ठीक समझो। मुझे तो नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ..” ठाकुर ने अपने बेटे से कहा और खुद सीधा होकर वहाँ पर लेट गया।
मनीष ने करुणा को फोन करके अपने पहँचने का टाइम बता दिया, और खुद रवी के साथ बातें करने लगा। ऐसे ही टाइम गुजरता गया और कब शाम होने लगी पता ही नहीं चला।
करुणा- “माँ चलो ना, हमें स्टेशन जाना है। अभी टाइम ही क्या बचा है?” करुणा ने अपने माँ के कमरे में दाखिल होते हुए कहा।
सोनाली- “हाँ बेटी बस चलते हैं." सोनाली ने अपनी बेटी की बात सुनते ही अपने आपको आईने में देखते हुए कहा और अपनी बेटी के साथ बाहर आ गई।
मोहित- “आँटी गाड़ी ले आया...” मोहित ने सोनाली की तरफ देखते हुए कहा। मोहित के आते ही सोनाली उसकी दोनों बेटियां, धन्नो और मोहित सभी बाहर निकलते हुए गाड़ी में बैठ गये, और स्टेशन की तरफ ठाकुर का स्वागत करने के लिए जाने लगे।
करुणा- “माँ हम वापसी में कैसे आएंगे?” करुणा ने अपनी माँ से पूछा।
सोनाली- “अरे दो टैक्सी कर लेंगे, तुम परेशान क्यों होती हो?” सोनाली ने अपनी बेटी से कहा।
गाड़ी स्टेशन पर आकर रुक गई। गाड़ी के रुकते ही सभी उसमें से निकलते हुए ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे। थोड़ी ही देर में जिस ट्रेन से ठाकुर और उसके बेटे आने वाले थे, वो ट्रेन स्टेशन पर आकर रुक गई और उसमें से पैसेंजर निकलने लगे। ठाकुर और उसके दोनों बेटे भी ट्रेन से निकलकर इधर-उधर देखते हुए आने लगे।
मोहित- “मनीष हम इधर हैं.” मोहित ने ठाकुर और उसके दोनों बेटों को अपने सामने देखकर चिल्लाकार उन्हें बुलाते हुए कहा।
मनीष ने मोहित और करुणा को देख लिया और अपने भाई और बाप के साथ उस तरफ आने लगा। ठाकुर के अपने पास आते ही करुणा और धन्नो ने उसके पैर पकड़कर उनसे आशीर्वाद लिया।
ठाकुर- “जीती रह बेटी..." ठाकुर ने अपनी दोनों बाहों को अपने पैरों से उठाते हुए कहा।
करुणा ने ठाकुर और उनके दोनों बेटों का परिचय अपनी माँ और अपनी बहन से कराया। ठाकुर और उसके दोनों बेटे सोनाली को देखकर हैरान रह गए। सोनाली ने ब्लैक रंग की साड़ी पहन रखी थी जिसमें से उसका गोरा जिश्म और निखर कर चमक रहा था। कुछ देर तक वहाँ पर सभी एक दूसरे से मिलने के बाद दो टैक्सियों में बैठकर घर की तरफ आ गये। ठाकुर के साथ टैक्सी में मोहित बैठ गया और सभी घर पहुँचकर टैक्सियों से । निकलकर घर में अंदर दाखिल हो गये। घर में सभी लोग बाहर हाल में बैठे थे।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
सोनाली ने चाय बनाई और धन्नो और करुणा के हाथों ठाकुर और उसके दोनों बेटों को देने के लिए भेज दिया। चाय देने के बाद सभी वहाँ पर टेबल के चारों तरफ बैठकर आपस में बातें करने लगे।
ठाकुर- “सोनाली जी आपकी बेटियों ने आपको बता दिया होगा। फिर भी हम आपको फिर से बता दें की हम
आपकी बेटी और भतीजी का अपने बेटों के लिए रिश्ता माँगने आए हैं। अगर आप अनुमति हो तो हम इनकी कुण्डलियां मिलाकर इनकी शादी के लिए कोई शुभ दिन का पता लगाएं...” ठाकुर ने चाय पीने के बाद कप को टेबल पर रखते हुए कहा।
सोनाली- “ठाकुर साहब हमारे लिए हमारी बेटियों की खुशी ही सबसे ज्यादा जरूरी है, और आपके बेटों का रिश्ता ठुकराने की मेरे पास कोई वजह नहीं है, तो आप जब चाहें हमारी बेटियों को अपनी बहू बना सकते हैं..."
ठाकुर- “फिर देर किस बात की? हम कल ही अपनी बहू की कुण्डलियां पंडित जी को दिखाकर कोई शुभ मुहूर्त निकलवाएंगे..." ठाकुर ने खुश होते हुए कहा।
अचानक रोहन ने वहाँ आते हुए सोनाली को नमस्कार करते हुए कहा- “नमस्कार आँटी...”
सोनाली- “नमस्कार बेटे। तुम यहाँ... चलो अच्छा हुवा... आओ इनसे मिलो यह है ठाकुर प्रताप सिंह और यह इनके दोनों बेटे, बड़ा मनीष और छोटा रवी...” सोनाली ने रोहन को जवाब देते हुए उसका परिचय ठाकुर और उसके दोनों बेटों से करा दिया।
रोहन ने ठाकुर और उसके दोनों बेटों को देखकर उनसे कहा- “प्रणाम ठाकुर जी, हेलो रवी और मनीष..."
सोनाली- “ठाकुर साहब यह हमारी बड़ी बेटी के होने वाले पति हैं..." सोनाली ने रोहन का परिचय ठाकुर से कराते हुए कहा।
ठाकुर- “हेलो बेटा क्या हाल है?” ठाकुर ने रोहन के बारे में सुनते ही उसे हाय करते हुए कहा।
सोनाली- “रोहन... ठाकुर साहब अपने बेटों के लिए हमारी बेटी और धन्नों का रिश्ता माँगने आए हैं...” सोनाली ने। रोहन के बैठते ही कहा।।
रोहन- “यह तो बहुत खुशी की बात है...” रोहन ने खुश होते हुए कहा।
सब लोग आपस में बैठकर बातें करने लगे।
अचानक करुणा ने उठते हुए कहा- “माँ मैं मनीष को अपना कमरा दिखाकर आती हूँ...”
सोनाली- “हाँ बेटा जाओ। धन्नो तुम भी रवी को अपना कमरा दिखाकर आओ.." सोनाली ने करुणा की बात सुनकर धन्नो को देखते हुए कहा।
सोनाली की बात सुनकर वो दोनों जोड़े एक दूसरे के साथ अपने-अपने कमरों में चले गये। सोनाली उनके जाते ही ठाकुर से बातें करने लगी।
रोहन ने अचानक उठते हुए कहा- “आँटी मैं चलता हूँ मुझे देर हो रही है."
सोनाली- “ठीक है बेटा जैसे तुम्हारी मर्जी...' सोनाली ने रोहन को इजाजत देते हुए कहा।
* * *
करुणा अपने कमरे में दाखिल होते ही दरवाजा अंदर से बंद करते हुए मनीष से लिपट गई और उसके पूरे मुँह को जगह-जगह चूमने लगी। मनीष ने करुणा के सिर को पकड़ते हुए उसकी आँखों में निहारते हुए अपने होंठों को करुणा के होंठों पर रख दिया।
करुणा का पूरा जिश्म मनीष के होंठों को अपने होंठों पर पड़ते ही सिहर उठा। वो मनीष को बहुत जोर से अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठों से अपने होंठों को चुसवाने लगी। दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के होंठों को चूमने के बाद एक दूसरे से अलग होते हुए आपस में बातें करने लगे।
करुणा ने बेड पर जाकर बैठते हुए कहा- “तुम्हें तो हम याद ही नहीं था, एक फोन तक नहीं क्या तुमने...”
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मनीष ने भी करुणा के पास बैठते हुए कहा- “करुणा तुम क्या कह रही हो? तुम तो मेरी जान हो और मैं क्या अपनी जान के बगैर जी सकता हूँ?”
करुणा- “अब झूठ मत बोलो... फिर फोन क्यों नहीं किया?" करुणा ने वैसे ही मुँह बनाते हुए कहा।
मनीष- “तुम्हारा रिश्ता माँगने के लिए डैडी को राजी कर रहा था, इसलिए फोन नहीं किया। मगर अब तो तुम मेरी धरम पत्नी बनने वाली हो, फिर नाराज क्यों हो रही हो?” मनीष ने करुणा को अपनी बाहों में लेते हुए अपनी गोद में बिठा दिया।
करुणा- “छोड़ो ना क्या कर रहे हो?" करुणा को मनीष की गोद में बैठते ही उसका लण्ड अपने चूतड़ों पर दबता हुआ महसूस हुआ, जिससे वो चौंककर अपने आपको मनीष से जुदा करने की कोशिश करते हुए बोली।
मनीष- “क्यों क्या हुवा?” मनीष ने करुणा को वैसे ही अपनी गोद पर बिठाए हुए उसके कंधे को चूमते हुए कहा।
करुणा ने मनीष से जुदा होने की कोशिश करते हुए- “मनीष छोड़ो... तुम्हारा वो नीचे लग रहा है.”
मनीष- “क्या लग रहा है डार्लिंग?” मनीष ने मस्ती में आकर करुणा को चिढ़ाते हुए कहा।
करुणा- “आह्ह.. मनीष छोड़ो ना बदमाश... मुझे वो चुभ रहा है...” करुणा ने मनीष से छूटने की एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा।
मनीष अपने हाथों से करुणा को जोर से पकड़ते हुए कहा- “नहीं छोड़ता... पहले बताओ क्या चुभ रहा है?"
करुणा- “मनीष तुम नहीं मानोगे... वो तुम्हारा लण्ड लग रहा है नीचे...” करुणा ने आखीरकार हार मानकर कहा।
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