09-17-2018, 01:33 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
यादें मेरे बचपन की
फ्रेंड्स आपके लिए एक और कहानी वैसे तो मैने इस फोरम पर कई कहानियाँ पोस्ट की है आज आपके लिए एक और कहानी पोस्ट करने जा रहा हूँ आशा करता हूँ ये कहानी आपको पसंद आएगी वैसे तो ये कहानी पुरानी है फिर भी मैं इसे इस फोरम पर पोस्ट कर रहा हूँ यह कहानी लगभग काफ़ी वर्ष पहले शुरू हुई जब मैं बहुत छोटा था।
मैं तब अपने मम्मी, डैडी के साथ अपने तीन मंजिला घर में रहता था। घर में कई कमरे होने के कारण मुझे अपने लिए अलग से कमरा मिला था जिसमें मैं पढ़ता, अपने दोस्तों के साथ खेलता और रात को सोता था।
रसोई और ड्राइंग रूम सबसे निचली मंजिल पर, मम्मी-डैडी का बैडरूम और एक गेस्ट रूम उसके ऊपर की मंजिल पर और मेरा कमरा व एक और गेस्ट रूम तीसरी मंजिल पर था।
उसके ऊपर सिर्फ़ बड़ी छत थी जहाँ मैं और मेरे दोस्त बैडमिन्टन खेला करते थे।
आपको बता दूँ कि तब हमारे देश में टेक्नोलॉजी का विकास होना शुरू ही हुआ था अर्थात् मोबाइल, इन्टरनेट, सीडी, डीवीडी प्रचलन में नहीं थे।
आज मोबाइल, इन्टरनेट और टीवी के बदौलत किशोरवय नौनिहाल भी सैक्स के बारे में सब जानते हैं। तब ऐसा नहीं था… हालांकि उस ज़माने के विपरीत मुझे सैक्स के बारे में ज्ञान मेरी कम उम्र में ही हो गया था जब एक दिन मैंने अपने डैडी की अलमारी में छुपा कर रखी सैक्स कहानियों की किताबों का खज़ाना देख लिया था।
पहली ही किताब में सैक्स का सचित्र विस्तृत ज्ञान था… लिंग, योनि, उरोज़, नितम्ब, हस्तमैथुन, सहवास, सम्भोग के विभिन्न आसन, रतिक्रिया, गर्भधारण, परिवार नियोजन आदि सैक्स के सभी विषयों पर सरल भाषा में बहुत अधिक साहित्य उस सीरिज़ की 4 किताबों में था जिसे पढ़ कर मैं दंग रह गया था।
जिस चीज़ को सभी बड़े, मम्मी, डैडी गंदी बात कह कर छुपाने की कोशिश कर रहे थे, वह तो मेरी जीवन का सबसे मनपसंद विषय बनने जा रहा था।
मैं एक-एक किताब लाता व पढ़ कर चुपचाप उसे अपनी जगह पर रख देता।
इस प्रकार मैंने एक-एक कर के वहाँ रखी सभी 27-28 कहानियों व सैक्सज्ञान की किताबें कई-कई बार पढ़ी।
इस साहित्य से मैं विद्वान तो नहीं बन गया पर सैक्स के विषय में आधारभूत ज्ञान मुझे हो गया था।
कुछ दिन बाद वहीं एक वीडियो कैसेट मिली जिस पर इंग्लिश मूवी का नाम व (A) लोगो था।
मुझे तुरंत याद आया कि एक बार दूरदर्शन पर शुक्रवार देर रात आने वाली मूवी को देखने की जिद करने पर (A) सर्टिफिकेट वाली मूवी बता कर मम्मी ने मुझे नहीं देखने दी थी और कहा था कि यह मूवीज बड़ों के देखने के लिए होती है।
आप तो जानते होंगें कि किसी चीज़ को जितना अधिक छुपाया जाए उतना ही उसे देखने, करने की उत्सुकता बच्चों के मन में उतनी ही अधिक होती है।
मैंने योजना बना कर वो वक्त चुना जब डैडी घर पर नहीं थे और मम्मी नीचे रसोई में व्यस्त थीं।
मैंने चुपचाप डैडी के बैडरूम के वीडियो प्लेयर में उस कैसेट को प्ले किया तो दंग रह गया।
वो इंग्लिश मूवी ना होकर साउथ की कोई हिंदी डब्ड मूवी थी जिसमें नायिका अपने पति के अलावा कई अन्य पुरुषों के साथ सैक्स करती है।
पहली बार किसी को सैक्स करते हुए देखना सच में ज़बरदस्त अनुभव था। स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मैं अपना लिंग उँगलियों के पोरों से मसलने लगा और कुछ ही मिनिटों में लिंग में से कुछ लसलसा सा पदार्थ निकला और अजीब सी संतुष्टि या आनन्द का अनुभव हुआ।
वह मेरे जीवन का पहला हस्तमैथुन था।
सच में मज़ा आ गया… पर लगभग आधे घंटे की ही मूवी देख पाया था और मुझे मालूम था कि मेरे डैडी वो कैसेट वीडियो पार्लर से किराए पर लाये होंगें तो आज रात को देखकर अगले दिन लौटा देंगे और मैं उसे देखे बिना रह जाऊँगा।
गजब की उत्सुकता थी, इसलिए बहुत सोचने के बाद मैंने उनके बैडरूम और पास के गेस्ट-रूम के बीच की साझा खिड़की में एक छोटा सा छेद कर दिया और गेस्ट-रूम के दरवाज़े की कुण्डी खोलकर आ गया ताकि रात होने पर बिना आवाज़ किये वहाँ जाकर उस छेद में से मूवी देख सकूँ।
छेद बहुत बड़ा नहीं पर कामचलाऊ था आखिर कोई कारपेंटर तो था नहीं जो परफेक्ट छेद बना सकूँ।
रात हुई, हम तीनों ने खाना खाया, थोड़ी देर ड्राइंग रूम में बैठ कर हंसी-मज़ाक की, टीवी देखी और फिर सब अपने-अपने कमरों में सोने को चले गये पर मेरी आँखों से तो नींद कोसों दूर थी।
आधे घंटे बाद ही में चुपचाप ऊपर से निचली मंजिल पर आया और उनके कमरे की आवाजें सुनने की कोशिश की तो पता चला कि उन्होंने मूवी शुरु कर दी थी।
|
|
09-17-2018, 01:33 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मैं और अधीर हो उठा और धीरे से बिना आवाज किये गेस्ट-रूम का दरवाज़ा खोल कर उसमें दाखिल हुआ तो उसमें एक सुखद आश्चर्य मेरा इन्तजार कर रहा था।
जिस खिड़की में मैंने छेद किया आज मम्मी-डैडी ने वो खिड़की शायद गर्मी के कारण खुली रख छोड़ी थी।
मेरी तो लाटरी लग गई क्यूंकि मुझे आशंका थी कि उस छेद से मैं वो मूवी देख भी पाऊँगा या नहीं…
पर अब मैं केवल उसके परदे को थोड़ा सा खिसका कर ही मूवी देख सकता था तो बिना समय गंवाये मैंने धीरे से सही जगह पर बैठकर धीरे से पर्दा खिसका कर कमरे की स्थिति देखी।
बैडरूम में छोटा लैम्प जल रहा था, हल्का प्रकाश फैला था, जिससे सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था।
डैडी बैड पर सिल्क की लुंगी और बनियान में थे और मम्मी बाथरूम में नहाने लेने या शायद कपड़े बदलने गई थी।
कुछ ही देर में मम्मी गुलाबी रंग की स्लीवलैस नाईटी पहन कर निकली और बैड पर डैडी के पास बैठ कर मूवी देखने लगी।
तभी डैडी ने मम्मी की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया तो मम्मी थोड़ा ना नुकुर करने लगी पर डैडी अपने होंठों से मम्मी की गर्दन को चूमने लगे थे और थोड़ी ही देर में मम्मी भी उनका साथ देने लगी।
कहने में ठीक तो नहीं लगता पर मुझे भी टीवी पर चल रही मूवी से ज्यादा उनकी लाइव रतिक्रीड़ा देखने में आनन्द मिल रहा था।
मम्मी-डैडी एक दूसरे को होंठों से होंठ मिला कर चूम रहे थे।
कुछ देर बाद मम्मी उठी और डैडी ने उनके मौन इशारे को समझते हुए उनकी नाईटी की डोरियों को कंधे के ऊपर से सरका कर नाईटी को नीचे गिरा दिया।
एक ही पल में मेरी मम्मी मेरे सामने पूर्ण रूप से अनावृत खड़ी थी। अपने जीवन में पहली बार किसी महिला को इस रूप में देखा था और वो भी अपनी ही मम्मी को।
सच कहूँ तो एक तरफ मन में थोड़ा अपराधबोध जरूर था कि मैं यह क्या कर रहा हूँ पर दूसरी ओर मन में जिज्ञासा, हवस व उत्तेजना का भाव था जो कि अपराधबोध पर पूरी तरह से भारी था।
मम्मी मादकता से परिपूर्ण गौरवर्ण तन की स्वामिनी थी, ऊपरी भाग में तने हुए उनके अत्यंत मादक उरोज़ देख कर किसी का भी ईमान डोल सकता था।
उरोजों के ऊपर गुलाबी रंग के दो सुन्दर चुचूक थे जिन्हें डैडी थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों में लेकर मम्मी को उत्तेजित कर रहे थे।
कमर के निचले भाग में जांघों के बीच में योनि साफ नहीं दिख रही थी पर पर उसके ऊपरी उभार पर हल्के रोंये उगे हुए थे।
रिश्तों की ज्यादा समझ भी नहीं थी इसलिए बार-बार अपने मन को यह समझा रहा था कि डैडी अगर मम्मी के साथ ये सब… खुद कर सकते हैं तो क्या मैं देख भी नहीं सकता और फिर आज कुछ नया देखने को मिल रहा था।
यही सोच कर मैं उन दोनों की रतिक्रीड़ा में दर्शक के रूप में शामिल हो गया।
तभी डैडी ने रिमोट से वीडियो प्लेयर और टीवी को भी आफ़ कर दिया, वैसे भी अब हम तीनों में किसी को उसमें दिलचस्पी नहीं थी।
मम्मी ने भी डैडी के बनियान को पकड़ कर ऊपर किया जिसमे डैडी ने सहयोग करते हुए हाथ ऊपर उठा कर बनियान को उतार फेंका और बैड पर बैठे-बैठे ही अपनी दोनों टांगों के बीच खड़ी मम्मी के गोरे-गोरे उरोजों के ऊपर गुलाबी चुचूकों को हौले-हौले चूसने लगे।
मम्मी के मुख से मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं थी, वो भी उत्तेजक आवाजों के साथ डैडी का उत्साहवर्धन कर रही थी।
कुछ देर उरोज़ चूसने के बाद डैडी ने मम्मी को अपने पास बैड पर लिटा दिया और उठ कर अपनी लुंगी उतार फेंकी।
तब पहली बार मैंने उनका तना हुआ लिंग देखा।
हालांकि उसमें मेरी दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि उस जैसा एक छोटा टूल तो मेरे पास भी था।
मम्मी की टाँगें बैड के नीचे की ओर लटकी थी उसके बाद डैडी घुटनों के बल बैठे और अपने मुँह को मम्मी की जांघों के बीच घुसा कर उनकी योनि को जीभ से चाटने, चूसने लगे।
|
|
09-17-2018, 01:33 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
खैर… फिर से कहानी पर आता हूँ…
कुछ ही दिनों में मुझे काम-दर्शन का सिलसिला रोकना पड़ा क्योंकि छुट्टियों के कारण मेरी दो बुआ (डैडी की बड़ी बहनें) अपने बच्चों के साथ हमारे यहाँ रहने के लिए आ गई।
दोनों बुआ को एक लड़का और एक लड़की थी। मुंबई वाली बड़ी बुआ का लड़का राहुल 20 वर्ष का और लड़की अनन्या (अनु) राहुल से छोटी थी।
इसी तरह जयपुर वाली छोटी भुआ का लड़का सचिन 18 वर्ष का और लड़की सुनीता (सोनी) सचिन से छोटी थी।
दोनों भैया तो बड़े थे इसलिए वो मुझसे दूर ही रहते थे पर राधिका और सोनी की मेरे से बहुत पटती थी। हम तीनों साथ-साथ बैडमिन्टन खेलते, घूमने जाते, साईकिल चलाते, विडियो गेम्स खेलते और स्केटिंग करते थे।
कुल मिला कर हम हर गर्मी की छुट्टियों में बहुत ज्यादा मजे करते थे पर इस बार जब वो लोग आये तब एक बार तो मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि वो उसी गेस्ट रूम में रुके थे जिसकी खिड़की से मैं अपने मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था।
हालांकि कुछ दिन साथ रहने पर मुझे बैडमिन्टन खेलने, घूमने-फिरने, साईकिलिंग, स्केटिंग, छुपा-छुपी खेलने आदि में बहुत मजा आने लगा था।
वो लोग हमारे यहाँ लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा रुके और फिर अपने-अपने घर चले गये और मेरा सैक्स-दर्शन फिर से शुरू हो गया।
इस दौरान डैडी कुछ विडियो कैसेट्स भी लाते थे जिन्हें मैं छुप-छुपा कर देख ही लेता था।
समय गुजरने लगा… बातें करते एक साल बीत गया दोनों बुआ फिर छुट्टियों में आईं और चली गई।
अब मैंने स्कूल के अपने दोस्तों से भी सैक्स की चर्चा करना शुरू किया तो पता चला कि उनमें से कुछ ही सैक्स के बारे में जानते थे और जो जानते थे वो भी मुझ से बहुत पीछे थे।
हालांकि मैंने कभी किसी दोस्त को अपने मम्मी-डैडी की रति क्रीड़ा के बारे में नहीं बताया था।
एक बार एक दोस्त ने अपने घर पोर्न मूवी की विडियो कैसेट लाकर हम सब दोस्तों को दिखाई तो दूसरे सभी दोस्त ऐसी चीज पहली बार देखने के कारण अपने आप को धन्य समझ रहे थे और मैं मन ही मन अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था कि मैंने तो ये सब कई बार लाइव भी देखा है।
इस तरह जिंदगी बीत रही थी… अब मैं कभी-कभी ही मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था और वैसे भी केवल देखने से अब मन भर गया था… अब मैं कुछ नया करना चाहता था।
पलक झपकते ही एक साल और बीत गया और फिर छुट्टियाँ आ गई साथ ही मेरी बड़ी बुआ भी राहुल और अनन्या (अनु) के साथ हमारे घर रहने आईं।
इस बार छोटी बुआ किसी कारण नहीं आ पाई थी।
अब मैं भी बड़ा हो रहा था। मेरी नादानी समझें या उम्र का प्रभाव, अब मैं किसी भी सुन्दर लड़की या महिला को सैक्स की नज़र से ही देखता था चाहे वो कोई भी हो इसलिए इस बार मेरे मन में अनु के लिए भी सैक्स की भावनाएँ जागृत हो उठी थी।
पहली बार मैंने अनु के बदन को हवस की नजर से तो पता चला कि बढ़ते हुए उरोजों, मांसल टांगों, और पुष्ट नितंबों वाली अनु सैक्स करने के लिए परफेक्ट थी इसलिए उनके मन के सैक्स ज्ञान को टटोलने के लिए मैंने थोड़ी-थोड़ी द्विअर्थी बातें, जोक्स शुरू कर दिए थे।
खेलते समय मैं कभी-कभी जानबूझकर उसके उरोजों पर भी हाथ लगा देता था।
|
|
09-17-2018, 01:33 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मुझे महसूस हुआ कि मुंबई में रहने के कारण उसे सैक्स का थोड़ा ज्ञान तो था पर बहुत ज्यादा नहीं इसलिए वो जानने में इच्छुक नज़र आई।
हम सैक्स के बारे में थोड़ी बातें तो करते पर संकोची स्वभाव के कारण मैं ज्यादा आगे बढ़ नहीं पाया।
समय बीत गया, छुट्टियाँ ख़त्म होने वाली थी और मुंबई में एडमिशन की मारा-मारी थी इसलिए बुआ कम समय रुक कर जल्दी मुंबई चली गई।
मुझे बहुत दुःख हुआ कि मैं कुछ नहीं कर पाया पर अब कोई चारा नहीं था।
खेल-कूद, मम्मी-डैडी की रतिक्रीड़ा का दर्शन, पोर्न बुक्स, नई मूवीज, पढाई, ट्यूशन, एक्जाम्स, रिजल्ट, आदि… इन्हीं सब में यह साल भी बीत गया और फिर से गर्मी की छुट्टियाँ भी शुरू हो गई थी।
हर वर्ष की तरह इस बार भी छुट्टियों में दोनों बुआ एक साथ अपने मायके आ गई थी, दोनों भैया अब बड़े हो गये थे और अपने डैडी के बिजनेस में हाथ बंटाते थे इसलिए वो नहीं आये।
बड़ी बुआ के साथ अनु और छोटी बुआ के साथ सुनीता (सोनी) ही आई।
सोनी के बदन में यौवन ने दस्तक दे दी थी जबकि अनु के तन पर यौवन प्रफुल्लित पुष्प की तरह खिला हुआ था और होता भी क्यों नहीं… अनु अब 20 वर्ष की और सोनी 18 वर्ष की हो गई थी।
मैं भी 18 साल का हो चुका था और अब रिश्तों की समझ तो आ गई थी पर वासना उस समझ पर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी इसलिए मैंने गर्मजोशी से दोनों का स्वागत किया और मन ही मन उनसे सैक्स करने की योजना बनाने लगा।
डैडी की सैक्स साहित्य की एक-दो बुक्स हमेशा मेरे रूम की अलमारी में भी रहती थी जिसमें मेरे क्रिकेट बैट, बाल, बैडमिन्टन रैकेट्स, शटल कोक्स, नैट आदि गेम्स के सामान भी रखे थे।
हालांकि उन बुक्स को मैं कॉमिक्स के बीच छुपा कर रखता था और उस अलमारी पर लॉक भी रखता था जिससे कभी साफ-सफाई के दौरान भी मम्मी को वो बुक्स नहीं मिलें।
उस दिन हम तीनों ने डिनर के बाद छत पर बैडमिन्टन खेलने का प्लान बनाया क्योंकि दिन की धूप में यह संभव नहीं था।
वो दोनों खाना खाने के बाद सभी बड़ों को परोस रहीं थी, तब तक मैं छत पर पहुँचा और लाइट्स जला कर दिन भर की धूप से गर्म छत पर पानी का छिड़काव करने लगा।
इतने में अनु आ गई और छिड़के हुए पानी को फैला कर सुखाने में मेरी मदद करने लगी।
ये सब निपटा करके हम वहीं कुर्सियों पर बैठ कर बचपन की बातें करने लगे।
कहानी से हट के बता रहा हूँ… कि वो सब काम जो बचपन में हम किया करते थे उनसे जो छोटी-छोटी खुशियाँ मिलती थीं आज बड़े-बड़े क्लब्स में और 5 स्टार रेस्टोरेंट्स में खाना खाकर और एन्जॉय करके भी नहीं मिल पाती हैं।
खैर… पुनः कहानी पर आता हूँ…
काफी देर सुनीता (सोनी) नहीं आई तो अनु ने कहा- मुझे तो नींद आ रही है… इसलिए थोड़ी देर मामी के साथ टीवी देख के मैं सो जाऊँगी… सोनी को मैं अभी ऊपर भेज देती हूँ… तुम दोनों आज बैडमिन्टन खेल लो!
उसके जाते ही नीचे से सोनी के कदमों की आवाज़ आई तो मैं तुरंत उठ कर सीढ़ियों की ओर गया और उसे आवाज़ लगाते हुए बोला- सोनी… मेरे रूम के वार्डरोब से रैकेट्स, शटल का बॉक्स और नैट ले कर आ जाओ… लॉक की चाबी वहीँ टेबल की ड्रावर में पड़ी है!
|
|
09-17-2018, 01:33 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
काफी देर तक सोनी नहीं आई तो मैंने फिर से उसे आवाज लगाई- सो गई क्या… जल्दी आ…
तभी सामने सोनी नजर आई जिसके हाथ में बैडमिन्टन के सामान की जगह दो पोर्न बुक्स थीं।
मैं बिलकुल हक्का-बक्का रह गया कि यह चीज़ छुपाना मैं कैसे भूल गया और अब क्या होगा।
उसने ऊपर आकर मुझे पूछा- यह क्या है?
मुझसे जवाब देते भी नहीं बन रहा था फिर भी स्थिति को सम्भालते हुए मैंने उससे वो बुक्स छीनने की नाकाम कोशिश की और उसे डांटते हुए कहा- ये बुक्स तुम्हें कहाँ से मिली… ये तुम्हारे काम की नहीं… और ये मेरी भी नहीं… किसी दोस्त से ली है… इन्हें अभी के अभी मुझे वापिस दो नहीं तो मैं तुम्हारी शिकायत मामा (मेरे डैडी) से कर दूँगा!
सोनी ने शांत भाव से जवाब दिया- कूल डाउन… कूल डाउन… शिकायत तो मैं तुम्हारी… मामा से करूँगी अगर तुम मुझे इसके बारे में नहीं बताओगे…
मैं डर गया कि अगर सोनी ने मेरी शिकायत डैडी से की तो क्या होगा… क्योंकि वो बुक्स उन्हीं की अलमारी से लाई हुई थी इसलिए धीरे से बोला- क्या जानना चाहती हो?
‘यही… जो इसमें लिखा है… यह चुदाई क्या होती है… इतनी गन्दी गालियों वाली बुक्स तुम पढ़ते हो… वेल… ABC से स्टार्ट करो… मुझे कुछ भी नहीं मालूम…’ सोनी ने उत्सुकता से एक बुक के पन्ने पलटते हुए कहा।
मुझे यह सुन कर आश्चर्य हुआ कि उसे सैक्स का बिलकुल ज्ञान नहीं था और बहुत अधिक उत्सुकता थी।
मैंने उसकी सैक्स क्लास शुरू की, मैंने पूछा- तुम जानती हो… तुम्हारा जन्म कैसे हुआ?
सोनी- हाँ… मम्मी के पेट से…
मैं बोला- वो तो ठीक है… पर तुम वहाँ कैसे पहुँची?
वो जवाब देते-देते रुक गई और बोली- ठीक है… तुम ही बताओ…
मैं बोला- जिसे तुम गन्दी गालियाँ कह रही हो… वो लाइफ की सबसे सुन्दर हकीकत है… आदमी और औरत के शारीरिक सम्बन्ध को सहवास, सम्भोग, चुदाई या fucking कहते हैं।
सोनी मेरी बात काट कर बोली- शारीरिक सम्बन्ध… मीन्स शादी ना?
‘मेरी बात सुनो… बीच में मत बोलो…’ मैंने उसे रोका और बोला- शादी तो एक तरह का रजिस्ट्रेशन है कि लड़का-लड़की या आदमी-औरत एक दूसरे से बेरोकटोक सैक्स कर सकते हैं!
उसकी चूत की तरफ इशारा करते हुए मैंने कहा- तुम्हारे पास जो नीचे ये है ना… जिससे तुम यूरिन पास करती हो उसे योनि कहते हैं… सैक्स की भाषा में इसे चूत, फोकी, भोसड़ी, बूर, पुस्सी और फुद्दी जैसे कई नामों से जानते हैं… और मेरे पास मतलब सभी लड़कों, आदमियों के पास जो टूल नीचे होता है उसे लिंग कहते हैं… सैक्स की भाषा में इसके भी लंड, लौड़ा, डिक, कॉक जैसे कई नाम है… आदमी और औरत के बीच एक अजीब आकर्षण होता है… जो नेचुरल है… किसी सुन्दर लड़की या औरत को देख कर लड़के का लिंग कड़क खड़ा हो जाता है इसी तरह किसी स्मार्ट और सुन्दर आदमी या लड़के को देख कर किसी भी लड़की की योनि हल्की गीली हो जाती है… इसी तरह सैक्स की बातें सुन कर या सैक्स को देख कर भी ये सब होता है… इसे ही सैक्स की इच्छा कहते हैं… सच बताना… तुम्हारी योनि हल्की गीली फील नहीं हो रही… ?
|
|
09-17-2018, 01:33 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मैंने अचानक पूछा तो उसने झट से नीचे देखा… जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो… पर कुछ नहीं बोली।
मैंने अपनी बात जारी रखी- सैक्स में लड़का अपना कड़क लिंग लड़की की गीली योनि में डालता है और अन्दर बाहर करता है… इसे चुदाई… सहवास… सम्भोग कहते हैं… तुम मानो या मत मानो यह दुनिया का सबसे बड़ा मज़ा है… कुछ देर बाद लड़की और लड़का आनन्द के चरम पर पहुँच कर स्खलित हो जाते हैं जिसे चरमसुख या ओर्गेज्म कहते हैं… इसमें लड़के के लिंग में से वीर्य या सीमन निकलता है और लड़की की योनि में से रस के रूप में उसके अंडे स्खलित होते हैं… अगर वीर्य के शुक्राणु और योनि रस के अंडे, लड़की की योनि में आपस में मिल जाएं तो लड़की प्रेग्नेंट हो सकती है…
मैंने उसे पूछा- अब तुम बताओ इसमें गन्दा क्या है… सोचो अगर सैक्स नहीं होता तो तुम, मैं, मम्मी, डैडी, बुआ, राहुल, अनु, सचिन कोई भी नहीं होते… यहाँ तक कि सब जानवर, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे भी सैक्स करते हैं… इस चीज को एक्सेप्ट कर लो कि सब सैक्स करते हैं तभी दुनिया आगे बढ़ती है… मैं भी करूंगा… तुम भी करोगी… सुन रही हो ना?
वो मुझे बिना पलक झपकाए उत्सुकता से सुन रही थी। उसके रोंगटे खड़े हो गये थे तो मुझे वो दिन याद आ गया जब मैंने पहली बार सैक्स की बुक को पढ़ा था… तब मेरी भी वही हालत हुई थी जो आज सोनी की थी।
उसकी उत्सुकता को देखते हुए मैं फिर बोला- तुम जानती हो मुझे ये बुक्स कहाँ मिली… मेरे डैडी की अलमारी में ऐसी 30-35 बुक्स हैं… वहाँ सैक्स के वीडियो कैसेट्स भी है… मैं इसे वहीं से लाया… तुम जानती हो मेरे मम्मी-डैडी हर बुधवार और शनिवार को सैक्स करते हैं… मैंने उन्हें कई बार सैक्स करते हुए देखा है।
अचानक सोनी की ट्यूबलाइट जली और वो मेरी बात काटते हुए बोली- अब भी… अगर वो अब भी सैक्स करते हैं तो मामी प्रेग्नेंट नहीं होती?
‘गुड क्वेश्चन… ज्यादा तो मुझे मालूम नहीं पर मेरे ख्याल से उन दोनों में से किसी एक ने अपना ऑपरेशन करवा लिया है… मीन्स… डॉक्टर्स एक छोटे से ऑपरेशन से आदमी के शुक्राणु की नली को बाँध देते हैं और उसके बाद उसके वीर्य से कोई औरत प्रेग्नेंट नहीं हो सकती इसे नसबंदी कहते हैं… ऐसा ही ऑपरेशन औरत के साथ भी किया जा सकता है… हालांकि इसके अलावा भी बहुत सारे तरीके होते है प्रेगनेंसी से बचने के लिए!’
सोनी ने पूछा- जैसे?
‘जैसे कंडोम, माला-डी टेबलेट्स और ओर्गेज्म के समय लिंग को बाहर निकाल देना जिससे वीर्य योनि में नहीं गिरे…’ मैंने जवाब दिया।
सोनी- कंडोम क्या होता है?
‘रुक… मैं आता हूँ!’ कह मैं उठा और दौड़ कर अपने रूम में से कामसूत्र कंडोम का पैकेट ले आया और खोल कर उसे दिखाया- यह एक तरह का कवर है जो कि लड़के के लिंग पर चढ़ा देते हैं… ओर्गेज्म के समय जो वीर्य निकलता है वो इसमें जमा हो जाता है… और योनि में नहीं पहुँच पाता… यही सबसे पोपुलर और आसान तरीका है।
सोनी ने कंडोम को हाथ में लेकर पूछा- तुम्हारे पास ये कहाँ से आया… क्या… तुमने कभी सैक्स किया है?
मैंने कहा- किया नहीं… और करना तो चाहता हूँ… पर किससे करूँ?
सोनी ने शरमाते हुए कहा- एक बात बोलूँ… मुझे तुम्हारा लिंग देखना है… मैंने आज तक किसी बड़े लड़के का लिंग नहीं देखा।
मुझे लगा कि अब काम बनने वाला है इसलिए बिना शर्माए मैंने कहा- सोनी… हम लोग छत पर हैं… मेरे रूम में चलो… वहाँ चल के दिखाऊँगा।
हम दोनों उठे और छत की लाइट्स बंद कर के मेरे कमरे में गये और लाइट्स ओन करके मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया और उसे बिस्तर पर मेरे पास बैठने को कहा।
फिर मैंने अपनी पैंट के हुक्स खोले और दोनों हाथों से अंडरवियर और पैंट को नीचे करते हुए अपने लिंग को पकड़ कर बाहर निकाल दिया जो कि उत्तेजना के मारे पहले से ही कड़क था।
|
|
|