kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
09-17-2018, 01:34 PM,
#11
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
सोनी ने बात को अच्छे से सम्भालते हुए उसे उकसाते हुए ताना भी मारा तो मुझे भी लगा कि अब बात बन रही है इसलिए मैं भी आग में घी डालते हुए बोला- सच में अनु… बहुत मजा आता है इन बुक्स ओर सैक्स वीडियोज में… एक बार पढ़ो तो सही!
‘बुक्स तो एक-दो मेरी फ्रेंड ने मुझे दी थी तो मैंने भी पढ़ी है पर वीडियो कभी नहीं देखा… वीडियो में क्या होता है?’ उसने उत्सुकता से शरमाते हुए पूछा।
जैसा कि मैंने पहले बताया था… उस समय मोबाइल, कंप्यूटर, इन्टरनेट इतने प्रचलन में नहीं थे यहाँ तक कि सीडीज भी नई-नई ही आई थी इसलिए ये सब साहित्य आम लोगों और गरिमामयी परिवारों की पहुँच से थोड़ा दूर था और वैसे भी बड़ी बुआ के घर में काफी सख्ती थी इसलिए अनन्या को सैक्स का अपने सहेलियों से ज्ञान तो हो गया था पर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई थी।
मैं तुरंत मुद्दे पर आया- वीडियोज में लाइव सैक्स होता है… मस्त… कुछ में स्टोरी भी… बहुत अच्छा लगता है… तुम देखोगी?
तुरंत उसने गर्दन हिला कर अपनी स्वीकृति दी तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
‘चलो नीचे… मेरे रूम में चल के सैक्स का ज्ञान बांटते हैं… जैसा कि हमने कल किया था!’ मैंने सोनी की ओर देखते हुए कहा तो अनन्या बोली- तो तुमने कल भी ये सब किया था? तो ये थी तुम्हारे बचपन की बातें?
हम सब हंसने लगे और उठ कर छत की लाइट्स बंद कर मेरे कमरे में आये और बैड पर बैठ कर सैक्स की जानकारी का आदान-प्रदान करने लगे।
हालांकि वे दोनों श्रोता थीं और मैं वक्ता।
सोनी और अनन्या को आश्चर्य था कि मैं इस विषय में इतना ज्यादा कैसे जानता हूँ।
मैंने अनन्या को अपनी अब तक की पूरी कहानी सुनाई कि कैसे मैं सैक्स ज्ञान में इतना आगे हूँ फिर मैंने उसको हस्तमैथुन के बारे में पूछा तो उसने शर्माते हुए कहा कि वो कभी-कभी हस्तमैथुन करती है।
सोनी ने अनन्या को पूछा कि तुमने किसी का लिंग देखा है तो अनन्या ने ना कहा तभी बातों ही बातों में सोनी ने मुझे कहा- अभि… आज हम दोनों को अपना लिंग दिखाओ… !
तो मैंने भी कहा- ठीक है, मैं दिखाऊँगा पर एक शर्त है… तुम दोनों को भी मेरे साथ कपड़े खोलने पड़ेंगें… अगर तुम नहीं चाहो तो कोई तुम्हें टच भी नहीं करेगा… पर मैं अकेला कैसे कपड़े खोलूँ!
अनन्या की तरफ देख के बोला। 
सोनी ने कहा- ठीक है मैं तो तैयार हूँ… तुम क्या बोलती हो अनु?
‘सोनी… क्या बोल रही हो… एक दूसरे के सामने कपड़े खोलेंगे… नहीं मैं नहीं खोलूंगी कपड़े-वपड़े… बात करने तक ठीक है… थोड़ी तो शर्म रखो!’ अनन्या थोड़ी शरमाते हुए बोली।
सोनी पलट कर थोड़े गुस्से से बोली- अनु… खोल नहीं सकती… देख तो सकती हो… बाद में अगर तुम्हारा मन करे तो तुम भी आ जाना!
कह कर सोनी अपनी जींस खोलने लगी तो अनन्या बोली- मुझे नहीं देखना ये सब… मैं जा रही हूँ!
मैंने उसे रोका- ओके अनु… तुम अपने कपड़े मत खोलना… तुम वीडियो देखना चाहती थी ना… तुम खाली देखो… ये लाइव विडियो… प्लीज… कोई तुमको फोर्स नहीं करेगा कपड़े खोलने के लिए… फिर भी तुमको लगे कि यहाँ कुछ गलत हो रहा है तुम कभी भी उठ के जा सकती हो… ओके… प्लीज?
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09-17-2018, 01:34 PM,
#12
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
अब अनन्या भी उत्सुकतावश रुक गई और बैड के सामने सोफे पर जा कर बैठ गई। 

सोनी ने अपनी जींस उतारी तो मैंने उसे टॉप भी खोलने को कहा तो वो बोली- टॉप क्यों?

मैंने जवाब दिया- आज एक नई चीज सिखानी है!

सोनी ने वासना के वशीभूत होकर अपना टॉप भी उतर फेंका और बैड पर जाकर अधलेटी सी बैठ गई।

अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी और आज कल जितना शरमा भी नहीं रही थी।

मैं भी अपनी ट्रैक-पैंट, टी-शर्ट और बनियान खोल कर तुरंत बैड पर चढ़ गया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके कसे हुए उरोजों को दबाने लगा।

थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने धीरे से पीछे हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोलकर उसके गोरे-गोरे स्तनों को आजाद कर दिया और उसके गुलाबी चुचूकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

उसके कसे हुए उरोज़ों को पहली बार किसी पुरुष का स्पर्श मिला था इसलिए वो आँखें बंद कर के सिसकारियाँ भरने लगी।

मैंने कुछ देर चूसने के बाद अपने होंठ उसके रसभरे होठों पर रख दिए और उनका स्वाद लेने लगा तो वो भी अपनी जीभ से मेरी जीभ मिला कर मेरा साथ देने लगी।

उसके हाथ भी मेरे बदन पर चल रहे थे।

उधर उत्तेजना के मारे अनन्या का भी बुरा हाल था इसलिए उसने भी धीरे से अपनी जींस की ज़िप खोल कर उंगली डालकर अपनी योनि को सहलाना शुरू कर दिया था।

इधर मैंने हौले-हौले अपने होंठ सोनी के होठों से हटाकर कर उसके वक्षों और नाभि को चूमते हुए उसके कटिप्रदेश की ओर बढ़ा दिए और पैंटी के ऊपर उन्हें चूमने लगा फिर दोनों हाथों से पैंटी को नीचे कर उतार फेंका।

मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी की और अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी तो वो कसमसा उठी- वाओ… कितना अच्छा करते हो तुम… आह… इई… बहुत मज़ा आ रहा है… प्लीज करते रहो… रुकना मत… ओह्ह आउच… कम ओन…!

मैं उसकी योनि को चूस रहा था तभी मुझे अपनी पीठ पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने नज़र घुमा कर देखा।

पीछे अनन्या बिना कपड़ों के खड़ी मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी और हमारे आमंत्रण का इन्तजार कर रही थी।

उसके चेहरे पर अति उत्तेजना के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे।

मैंने तुरंत घूम कर उसके बड़े और तने हुए स्तन अपने हाथों में ले लिए और उसके होंठों से होंठ मिलाकर चूसने लगा।
वो काफी स्मार्ट थी इसलिए तुरंत उसके हाथ मेरे अंडरवीयर पर चलने लगे और उसने मेरे लिंग को बाहर निकाल लिया।
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09-17-2018, 01:34 PM,
#13
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
मैंने उसे सुनीता के पास बैड पर लिटा दिया और घुटनों के बल बैठ झुककर उसकी क्लीन शेव्ड पुस्सी चूसने लगा, साथ ही मैंने अपने दांयें हाथ की उंगली सोनी की योनि में घुसा दी जिसे मैं अधूरा ही छोड़ आया था।
सोनी फिर से रंग में आने लगी थी और मादक आवाजें निकलने लगी थी।
कुछ देर चूसने के बाद मैं उठा और सुनीता की योनि को चूसने लगा। अब मेरे बाँये हाथ की उंगली अनन्या की योनि को छेद रही थी जिससे आने वाले आनन्द को वो नितम्ब उठा कर बयान कर रही थी।
मेरा दायाँ हाथ सुनीता के उरोज़ मसलने में व्यस्त था।
कुछ ही समय में सोनी स्खलित हो गई और निढाल पड़ गई।
मैं उठ कर अनन्या की टांगों के बीच बैठ गया और उसकी योनि को जीभ से और उंगली से मसल कर उत्तेजित करने लगा।
कुछ ही देर में मुझे लगा कि वो मेरा लिंग योनि में लेने को मना नहीं करेगी तो मैंने अपना कठोर लिंग उसकी योनि के छेद पर लगाया और उसे धीरे से पूछा- डालूँ?
वो शायद ना कह देती पर उस वक्त काफी उत्तेजित थी इसलिए कुछ नहीं बोली और उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
इसे उसकी मौन स्वीकृति समझ कर मैंने धीरे से अपना लिंग हाथ से पकड़कर उसकी गोरी, चिकनी योनी के अग्रभाग पर टिकाया और भीतर धकेल दिया।
एक ही झटके में लिंग आधी गहराई तक चला गया था और अनन्या की लगभग चीख सी निकल गई तो मैं भी डरकर रुक गया।
दर्द के मारे अनन्या की आँखों से आँसू निकल आये थे पर वो जानती थी कि पहली बार में दर्द होगा इसलिए अपने निचले होंठ को दांतों के बीच में दबाया और मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया तो मेरा हौसला बढ़ा और मैंने दूसरा धक्का लगा दिया।
अब लिंग पूरा अन्दर घुस गया था सो मैंने उसे धीरे-धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया।
मुझे स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था जबकि अनु अब भी हर धक्के के साथ दर्द से कराह रही थी।
मेरे मन में उसके दर्द के प्रति दया का भाव भी था पर हवस के मारे निर्दयी होकर मैंने अपने धीमे प्रहार जारी रखे।
लगभग दो-ढाई मिनटों में ही उसका दर्द कम हो गया और अब वह भी इस कामक्रीड़ा का आनन्द लेने लगी।
उसकी कराह अब मादक सिसकारियों में बदल गई थी।
पास बैठी सोनी भी हमारे लाइव सैक्स को देखकर अपनी योनि में उंगली डालकर अपनी क्षुधा शांत कर रही थी।
कुछ मिनटों में अनन्या चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलित हो गई तो मैंने भी अपने प्रहार तेज कर दिए और कुछ ही सेकेंडों के बाद मुझे भी लगा कि मैं फिनिश होने वाला हूँ तो मैंने अंतिम समय पर अपना लिंग बाहर निकाल लिया और हाथ से हिलाकर अपने कामरस की पिचकारी अनन्या के पेट पर छोड़ दी और उसके पास में लेट गया।
कामाग्नि ठंडी पड़ी तो उठ कर देखा कि मेरा हाथ व लिंग पर थोड़ा खून लगा था और बेडशीट पर भी खून के कुछ धब्बे थे।
मैंने सोनी को बाथरूम में जाकर अपने बदन को साफ करने को कहा तो वो उठी और बाथरूम में जाकर साफ करने लगी।
मैंने अनन्या के पास जाकर उसे चुम्बन किया और पूछा- बहुत दर्द हो रहा है? नहा कर आ जाओ फिर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा देता हूँ।
सोनी के आने के बाद अनन्या भी उठी और मेरा तौलिया लेकर बाथरूम में नहाने को गई पर उसे चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी।
कुछ देर में वो नहाकर आई तो मैं उठकर बाथरूम में गया, अपना लिंग धो कर आया और कपड़े पहनने लगा।
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09-17-2018, 01:34 PM,
#14
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
वो दोनों अपने कपड़े पहन चुकी थी और मैंने क्रीम के बारे में पूछा तो सोनी ने कहा- मैंने बोरोलीन लगा दी है… अब दर्द भी इतना नहीं है।
मेरी जान में जान आई… क्योंकि मैं तो डर गया था कि दर्द के कारण चाल में बदलाव किसी ने पकड़ लिया तो क्या होगा।
मैंने बेडशीट को बाल्टी में भिगो दिया और सोनी की मदद से नई चादर बिछा दी।
हम तीनों फिर से बैड पर अलग-अलग छोर पर बैठ गये, चुप्पी को तोड़ते हुए मैं शर्मिंदा होते हुए बोला- सोरी अनु… पर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया..!!
‘रोक तो मैं भी अपने आप को नहीं पाई… पर यह अच्छा नहीं हुआ… हमको यह नहीं करना चाहिए था..’ अनन्या ने भी नज़रें नीची झुका कर कहा।
उसके चेहरे पर अपराध-बोध साफ दिखाई दे रहा था तो मैंने बात को हल्का बनने के लिए धीरे से कहा- पर सच कहना… मज़ा आया या नहीं…? मुझे तो बहुत मज़ा आया… तुम बहुत अच्छी हो अनु…!
अब अनन्या ने धीरे से मुस्कुरा कर मेरी बात में अपनी सहमति दर्शायी।
‘अभी तुम लोग अपने कमरे में जाकर सो जाओ… कल हम डैडी को कह कर उनका नया सीडी प्लेयर और पोर्टेबल टीवी अपने कमरे में मंगा लेंगें और फिर मेरे पास रखी पोर्न सीडी देखेंगे… सच में सीडी में गजब की क्लेअरिटी होती है।’ मैंने बात बदलते हुए कहा।
‘ठीक है… कल दोपहर में हम ये वीडियो देखेंगे… जब घर में सब सो रहे होंगे… ओके..?’ सोनी ने चहकते हुए कहा और दोनों एक-एक करके उठ के अपने कमरे की ओर चल दी।
अगले दिन सुबह मैं नित्यकर्म से निवृत हो कर नीचे पहुँचा, तब तक सब आ चुके थे।
मैंने अनन्या को इशारे में दर्द के बारे में पूछा पर उसने थोड़ा जोर से जवाब दिया- ठीक है अब… मैंने मम्मा को सब सच-सच बता दिया!
यह सुन कर मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई कि अनन्या ने बुआ को क्या सच-सच बता दिया पर अगले ही पल उसी ने बात सँभालते हुए कहा- मैंने मम्मा को बता दिया है कि कैसे तुमने चीटिंग करके मुझे नीचे गिरा दिया जिससे मेरे पैर में चोट लग गई… ठीक से चला भी नहीं जा रहा… खैर, तुमको माफ किया, आज मैं तुमको गिराऊँगी!
मेरी जान में जान आई और साथ में मैंने मन ही मन अनन्या के दिमाग की दाद भी दी कि कैसे उसने अपनी चाल के बारे में स्थिति को संभाल लिया।
थोड़ी देर में मैंने सोनी को डैडी से बात कर के पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर को मेरे कमरे में ले जाने के लिए के लिए मनाने को कहा क्योंकि मैं जानता था कि डैडी उसकी बात नहीं टालेंगे।
एक ही मिनट में उसने डैडी को मना लिया और डैडी ने उसे कहा कि वो दोपहर में ऑफिस से किसी आदमी को भेजेंगे जो टीवी और सीडी प्लेयर मेरे कमरे में लगा जाएगा।
हम तीनों बहुत खुश थे कि सब अच्छे से हो रहा था।
तीनों ने चाय पी, मेरे कमरे में गये और बैठकर बातें करने लगे। सोनी सैक्स के बारे में जानने को बहुत ज्यादा उत्साहित थी तो मैं उसे मौखिक ज्ञान देने लगा।
दोनों मुझे एकाग्रता और उत्सुकता से सुन रही थी।
काफी देर सैक्स पर चर्चा होती रही और फिर मम्मी डांटने लगी तो हम तीनों ने दोपहर की योजना बनाई और सब ख़ुशी-ख़ुशी नहाने चले गये।
नहाकर मैं अपने दोस्तों के साथ फुटबाल खेलने चला गया, लगभग एक बजे वापिस आया और मम्मी-डैडी के रूम टीवी देखने लगा।
कुछ ही देर में मम्मी ने लंच करने के लिए आवाज लगाई तो मैं उठ
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09-17-2018, 01:34 PM,
#15
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
अनन्या और मम्मी ने हमें परोसा और खुद भी हमारे साथ खाने आ गई।
हम सबने बातें करते हुए लंच का आनन्द लिया और उठ कर लिविंग रूम में बैठ कर गप-शप करने लगे।
तभी ऑफिस का इलेक्ट्रीशियन भी आ गया और मैं उसे अपने कमरे में ले गया जहाँ उसने नीचे से पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर ला कर फिट कर गया।
कुछ देर बाद एक-एक कर के दोनों बुआ और मम्मी अपने कमरे में रेस्ट करने चली गई तो हम तीनों भी अपने मिशन पर चल पड़े।
ऊपर जाकर मैंने अपने रूम को अन्दर से लॉक किया, दोनों को बैड पर बैठने को कहा… टीवी ऑन किया और सीडी को प्लेयर में डाल कर रिमोट लेकर मैं भी बैड पर बैठ गया।
प्ले का बटन दबाते ही स्क्रीन पर इंग्लिश मूवी शुरू हो गई।
दो लड़के और दो लड़कियाँ ‘स्ट्रिप पोकर’ (ताश का एक खेल) खेल रहे थे जिसका पत्ता कटता उसे फाइन के रूप में अपना एक कपड़ा उतारना होता था।
धीरे-धीरे सब के कपड़े उतरने लगे और इसी तरह उनमें सैक्स शुरू हो गया, चारों एक-दूसरे में गुत्थम-गुत्था हो गये थे।
मैं यह सीडी डैडी के रूम में देख चुका था पर उत्तेजना के मारे अपने आपको रोक नहीं पाया और अपने ट्रैक पैंट के अन्दर हाथ डालकर लिंग को मसलने लगा।
बैड पर ही अनन्या और सोनी बिना पलक झपकाए एकटक टीवी की तरफ देख रहीं थीं।
थोड़ी देर देखने के बाद मैंने सोनी की पीठ पर हाथ फिराना शुरू किया तो वो भी पीछे मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं धीरे-धीरे उसके उरोजों को मसलने लगा था और वो भी हल्की-हल्की सिसकारियों के साथ मेरा साथ दे रही थी।
कुछ ही मिनटों में मैंने उसका टी-शर्ट ऊपर कर उतार फेंका और ब्रा के हुक खोल उसके खिलते स्तनों को आजाद कर हौले-हौले उसके गुलाबी चुचूकों को चूसने और मसलने लगा।
वो भी उत्तेजना के मारे आँखें बंद किये स्तनों के मर्दन का आनन्द लेने लगी थी।
अब अनन्या भी मूवी देखते हुए अपनी स्कर्ट में हाथ डाल कर अपनी योनि को मसलने लगी थी।
मैंने थोड़ा उठ कर अपना टी-शर्ट और बनियान खोला और सोनी को बाँहों में भरकर उसके होंठ चूमने लगा, वो भी मुझे भींच कर मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी।
कुछ देर चूमने के बाद मैं फिर से उठा और अपनी ट्रैक-पैंट को उतार कर एक तरफ रख कर सोनी की जींस के बटन खोलने लगा।
टाइट होने के कारण मुझे उसके जींस के बटन खोलने में परेशानी हुई तो उसने तुरंत उठ कर अपने हाथों से जींस को खोल कर एक तरफ पटक दिया और अपनी टांगों को चौड़ा करके अपनी गुलाबी योनि को मेरे आगे परोस कर मेरे आगे लेट गई।
मैंने भी तुरंत दोनों हाथों से उसकी पैंटी को खोल कर नीचे किया और अपना मुँह उसकी टांगों के बीच लगा कर उसके भगोष्ठ चूसने लगा।
आज ही उसने अपनी योनि को साफ किया था जिससे उसकी गुलाबी उभरी हुई योनि गजब की लग रही थी।
कुछ ही सेकेंडों में सोनी की योनि गीली हो गई थी और उसकी सिसकारियाँ भी तेज हो गई थी तो मुझे लगा कि अब सहवास का सही समय आ गया है।
मैंने उठ कर उसे एक तकिया अपने नितंबों के नीचे लगाने को दिया और अपना अंडरवीयर उतार फेंका।
वो लिंग लेने के लिए पूरी तरह से तैयार थी इसलिए मैंने अपने लिंग पर खूब सारा थूक लगाया और हाथ से पकड़ कर सोनी की योनि के मुख पर धीरे से रख कर दबा दिया।
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09-17-2018, 01:35 PM,
#16
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
उसकी चीख सी निकल गई थी और साथ ही आँखों से आँसू भी… पर अब उसे भी पता था कि वह जीवन के असीमित आनन्द से कुछ ही कदम दूर है इसलिए आँख बंद किये सहती रही और शायद वो अपने आप को अनन्या से बेहतर भी साबित करना चाहती थी इसलिए दर्द को सहन कर गई।
मेरी हिम्मत फिर से बढ़ी और मैंने एक और धक्का देकर लिंग को सोनी की योनि में अन्दर तक धकेल दिया और अपने कूल्हों को ऊपर-नीचे कर के हौले-हौले उसकी चुदाई करने लगा।
कुछ ही मिनटों के दर्द के बाद सोनी भी अपनी टाँगें मोड़ कर मेरे कूल्हों पर टिका कर मेरा साथ देने लगी।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था इसलिए अब उसकी सिसकारियाँ मादक आवाजों में बदल गई थी- आह्ह… अब दर्द कम हो गया है… तुमने सच ही कहा था… पहले दर्द होता है पर बाद में जो मज़ा आता है… वो स्वर्ग के आनन्द से भी बढ़ कर है… करते जाओ… रुकना नहीं… प्लीज… और जोर से… वाओ… फ़क मी.!
मुझे लगा कि मैं अकेला सोनी को संतुष्ट नहीं कर पाऊँगा इसलिए रुक गया और अनन्या को आवाज लगाते हुए कहा- अनन्या… प्लीज आओ ना… हमारी हेल्प करो ना..!
अनन्या भी अब उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए तुरन्त अपने सारे कपड़े खोल कर हमारे खेल में शामिल हो गई और जैसा अभी मूवी में देखा था वैसे ही घुटनों के बल झुक कर सोनी के पास बैठ कर उसके उरोज़ चूसने लगी।
अनन्या की योनि अब मेरी तरफ थी इसलिए मैंने अपनी दायें हाथ की उंगली उसकी योनि में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
अब सोनी के साथ अनन्या की मादक सिसकारियाँ रूम में गूंजने लगीं थी।
मैंने सोनी की योनि में अपने प्रहार तेज कर दिए थे।
कुछ ही मिनटों के बाद सोनी तेज उत्तेजक आवाजों के साथ अकड़ कर स्खलित हो गई और मुझे लिंग बाहर निकालने को कहा।
मेरा काम अब तक पूरा नहीं हुआ था इसलिए मैंने अपना खून से सना लिंग सुनीता की योनि में से निकाला और घोड़ी बनी अनन्या के पास जाकर उसकी योनि पर हाथ से पकड़कर टिका दिया और हल्का सा धक्का दिया।
अनन्या एक बार चौंक कर लगभग चीख उठी पर अगले ही पल सब समझ कर अपनी सहमति जताते हुए अपने गोरे-गोरे नितम्बों को हिला कर मेरे लिंग को अन्दर आने का न्यौता देने लगी जिसे मेरे लिंग ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
मैंने उसके दोनों नितम्बों पर अपने हाथ रखा और अपने लिंग को अनु की योनि पर रख अन्दर घुसा दिया।
अनन्या धीरे से चीख उठी पर हल्के से दर्द के बाद आनन्द से मेरे लिंग को अपनी योनि में लेकर अपने नितम्बों को आगे-पीछे कर के उसे अन्दर-बाहर करने लगी तो मैं भी अपने हाथों से इसमें उसकी मदद करने लगा।
सैक्स की इस मुद्रा में पुरुष को स्त्री से अधिक आनन्द मिलता है और पुरुष का लिंग स्त्री की योनि में अधिक भीतर तक भेदन करता है।
चुदाई करते हुए मैंने थोड़ा झुककर अपने हाथों से अनन्या के लटकते उरोजों को पकड़ लिया और मसलने लगा जिससे उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी।
कुछ ही देर में मैं थक गया इसलिए लिंग बाहर निकाल कर सीधा लेट गया और अनन्या को अपने ऊपर आने को कहा।
अनन्या घूम कर मेरे ऊपर सवार हो गई और उसने मेरे तने हुए लिंग को अपनी योनि पर सेट कर भीतर ले लिया और सैक्स की कमान अपने हाथों में ले ली।
उसने अपने हाथ मेरे सीने पर रख लिए और नितम्ब उचका-उचका कर सैक्स के एक दक्ष खिलाड़ी की भांति अपनी योनि का भेदन करने लगी।
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09-17-2018, 01:35 PM,
#17
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
अब उसकी चुप्पी भी टूटी और वो उत्तेजना से वशीभूत हो मादक आवाजें निकलने लगी- आह्ह… अभी… यह बहुत अच्छा है… आज दर्द भी नहीं और मज़ा भी बहुत आ रहा है… वाओ… आईई… यू आर सो नाईस अभी… कम ओन… मेरी ब्रेस्ट्स को मसलो… प्लीज अभी… निचोड़ दो इनको..!
कह कर उसने मेरे हाथ अपने उरोजों पर रख लिये और मैं उसके कठोर उरोजों को दोनों हाथों से बुरी तरह से मसलने लगा जिसमें उसे असीम आनन्द मिल रहा था।
स्त्रियों को वैसे भी ऊपर रहकर सैक्स करने की मुद्रा में ज्यादा आनन्द आता है क्योंकि इसमें पुरुष पर और अपने सभी अंगों पर उनका खुद का नियंत्रण रहता है।
कुछ मिनटों तक चली इस मादक रतिक्रीड़ा के बाद दोनों के चरमोत्कर्ष का समय निकट आ गया था इसलिए मैं अनन्या को नीचे कर उसके ऊपर सवार हो गया और अपने लिंग से अनन्या के यौवन का तेजी से भेदन करने लगा और पहले अनन्या और कुछ सेकेंडों के बाद मैं भी स्खलित हो गया।
मैं स्खलित होकर उसके ऊपर ही लेट गया था और हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे। जब वासना का ज्वार थोड़ा शांत हुआ तो पता चला कि मेरा वीर्य उसकी योनि में ही छूट गया है।
वो तुरंत उठकर टॉयलेट की ओर भागी और अपनी योनि को अच्छी तरह से धो कर आई और सुबक-सुबक कर रोने लगी तो जैसे-तैसे हम दोनों ने उसे चुप कराया, पर सच में तीनों बहुत डर गये थे कि कहीं अनन्या प्रेग्नेंट नहीं हो जाए।
उन दिनों प्रेग्नेन्सी टेस्ट के लिए आज जैसे आसान किट भी अपलब्ध नहीं थे जिनमें स्त्री-मूत्र की एक बूँद डालने से प्रेग्नेन्सी टेस्ट हो जाता है इसलिए हम तीनों की हालत ख़राब थी कि अब क्या होगा।
तीनों अपने-अपने कमरे में चले गये पर सारा मज़ा काफूर हो गया था, तीनों भविष्य के बारे में सोच-सोच के परेशान हो रहे थे कि जिस खेल को आसानी से चुपचाप खेल रहे थे उसका अब सबको पता चलने वाला था।
जैसे-तैसे एक दिन निकला… हम तीनों एक दूसरे से कटे-कटे रहने लगे थे। हालांकि तीनों तब भी दोपहर में घंटों मेरे कमरे में बैठकर आगे क्या करना है, उसके बारे में चर्चा करते रहे पर कुछ खास हल नहीं निकला।
यह दिन भी बहुत तनाव भरा निकला पर अगले दिन सुबह-सुबह ही अनन्या और सोनी दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझे खुशखबरी सुनाई कि अनन्या को पीरियडज़ आ गए हैं, तब हम तीनों की जान में जान आई कि थैंक गॉड… आज तो आपने हमें बचा लिया।
खैर… अब सब समस्या का निवारण हो गया था और अब हम तीनों आपस में काफी खुल गये थे इसलिए फिर से नई सीडी देखने की योजना बनाने लगे क्योंकि पोर्टेबल टीवी और सीडी प्लेयर फिर से डैडी के कमरे में चला गया था।
किस्मत से उसी दिन दोपहर बाद दोनों बुआ और मम्मी शॉपिंग करने निकलीं तो उन्होंने सोनी और अनन्या को भी अपने साथ चलने को कहा पर दोनों कुछ बहाना बनाकर मना कर दिया।
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09-17-2018, 01:35 PM,
#18
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
अब हम तीनों घर में अकेले थे इसलिए आज हमने डैडी के रूम में ही सीडी देखना तय किया और सबसे पहले घर का मुख्य द्वार अन्दर से लॉक किया और डैडी के कमरे में जाकर एसी ओन किया और डैडी की अलमारी से कई मस्त इंग्लिश मूवीज की सीडीज निकाली।
हर सीडी की मूवी मैं देख चुका था इसलिए मैंने उनमें से सबसे अच्छी सीडी निकाली और जल्दी से चला कर बिस्तर पर आकर बैठ गया।
दोनों बैड पर ही बैठी थी लेकिन आज डर से कुछ दूरी बनाये हुए थी।
हालांकि मुझे पता था कि जल्दी ही यह दूरी खुद मिट जायेगी।
मूवी शुरू हुई… स्टोरी कुछ खास नहीं थी और बहुत जल्दी सैक्स शुरू हो गया।
उसमें भी दो लड़कियों के साथ एक लड़का था पर दोनों कहानियों में ये फर्क था कि वहाँ वो लड़कियाँ उस लड़के को सैक्स करने के लिए उकसा रही थी और यहाँ ये दोनों लड़कियाँ सैक्स करने से डर रही थी।
उनको उकसाने के लिए मैंने अपना लिंग बाहर निकल लिया और उनके सामने ही हस्तमैथुन करने लगा।
जल्दी ही मेरा लिंग स्खलित भी हो गया तो मैं उठ कर टॉयलेट में गया और लिंग को धो कर आया तो देखा कि सुनीता सोनी भी अपने अंतःवस्त्रों में हाथ डाल कर अपनी क्षुधा शांत करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
मैंने धीरे से उसे कहा- मेरे पास कंडोम है… आज कोई गड़बड़ नहीं होगी..!
सोनी ने अनन्या की ओर देखा तो अनु ने कहा- मेरी तरफ क्यों देख रही हो… मैं तो वैसे भी पीरियड में हूँ… पर बी केयरफुल… हम्म..!
सोनी जैसे अनु की अनुमति के इंतज़ार में ही थी इसलिए तुरंत उठ कर कपड़े उतारने लगी।
मैं भी तुरंत उठा अपनी पीछे की पॉकेट से कंडोम का पैकेट निकाल कर बिस्तर पर रखा और अपनी पैंट, टी-शर्ट निकाल कर सोनी पर टूट पड़ा।
सोनी केवल पैंटी में बैड पर लेटी थी इसलिए मैं उसके उरोजों को चूसने लगा।
कुछ देर चूसने के बाद मैं धीरे-धीरे उसकी नाभि पर जीभ लगा कर चाटने लगा तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने धीरे से नीचे की ओर बढ़ते हुए उसकी पैंटी पर अपना मुख रखा और ऊपर से ही उसे चूमने लगा।
कुछ ही सैकेंड में उसकी योनि में से यौवन-रस बहने लगा और उसकी पेंटी भी हल्की गीली हो गई।
तो मैं धीरे से उँगलियों से उसकी पेंटी को खोलने लगा।
उसने तुरंत अपने नितम्ब उठा कर पेंटी को खोलने में सहमति प्रदान की, मैंने पेंटी को खींच कर उतार फेंका फिर धीरे से उसकी टांगों को चौड़ी कर के उसकी उभरी हुई योनि के खड़े गुलाबी भगोष्ठ को अपनी उंगली से हल्का सा फैलाया और अपनी जीभ उस पर टिका कर उसे चूसने लगा।
उसने अपने हाथों से चादर को भींच लिया था और फिर एक हाथ मेरे सिर पर फिराने लगी।
अब उसकी योनि चूसना मुझे भी अच्छा लगने लगा था इसलिए उसकी योनि में जीभ डाल कर चूसने लगा।
वैसे भी रति-क्रीड़ा में अपने साथी को आनन्द देना ही सही रूप में रति-क्रीड़ा का आनन्द उठाना है।
कुछ मिनटों बाद मैं बैड पर लेट गया और उसे 69 पोजीशन में आने को कहा तो वो उठकर मेरे ऊपर आई और घुटनों को मेरी छाती के पास रख कर अपनी योनि को मेरे मुख के पास सेट कर घोड़ी बन कर बैठ गई।
मैं चाहता था कि वो मेरे लिंग को हाथ में पकड़े व मुँह में लेकर चूसे पर उसे कहने में संकोच कर रहा था और वैसे भी मैं कुछ ही देर पहले स्खलित हुआ था इसलिए लिंग पुनः पूरी तरह से उत्थित नहीं हो पाया था।
आखिर अपने संकोच को छोड़कर मैंने उसे अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिलाने का आग्रह किया तो उसने मेरे लिंग को हाथ में पकड़ लिया और उसके खोल को ऊपर नीचे करने लगी।
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09-17-2018, 01:35 PM,
#19
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
उसके हाथ में लेते ही मेरा लिंग पुनः उत्थित होकर कठोर हो गया जिससे वो ऐसे खेलने लगी जैसे कोई बालक अपने पसंदीदा खिलौने से खेलता है।
अनु भी उत्सुकतावश उठकर हम दोनों के पास आई और मेरे लिंग को मुट्ठी में भर कर ऊपर नीचे करने लगी।
उन दोनों के हाथों का स्पर्श सच में बहुत आनन्ददायक था।
मैंने अनु को कहा- अनु… प्लीज इसको मुँह में लो… तुमको भी बहुत अच्छा लगेगा… मम्मा भी डैडी का हमेशा मुँह में लेती हैं। मैं इसको अभी क्लीन करके ही आया हूँ… प्लीज… लो ना..!
अनु ने सोनी की ओर देखा, मुस्कुराते हुए मेरे लिंग के अग्रभाग को पहले जीभ से चाटा और फिर अपने होठों में भर कर चूसने लगी।
पहली बार में उसे उबकाई सी आ गई पर कुछ ही क्षणों में वो किसी अनुभवी खिलाड़ी की भांति मेरे लिंग को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी।
उन पलों का स्वर्ग का वो अहसास आज भी मेरे मन में ताज़ा है।
आनन्द के सागर में गोते लगाता मैं उसी समय स्खलित हो जाता पर अभी कुछ ही देर पहले हस्तमैथुन कर चरमोत्कर्ष पाया था इसलिए अपने आप मेरा स्टेमिना बढ़ गया था।
कभी भी अधिक देर तक सैक्स के मैदान में अपने साथी के सामने टिका रहना हो अथवा एक से अधिक साथियों को संतुष्ट करना हो तो पहले दौर के कुछ पहले हस्तमैथुन कर लेने से अगला दौर काफ़ी लम्बा हो जाता है और शारीरिक थकान भी नहीं रहती।
खैर… पुनः कहानी पर आता हूँ!
सोनी अनु को लिंग चूसते बड़ी उत्सुकता से देख रही थी, साथ ही वो खुद भी मादक सिसकारियाँ निकाल रही थी क्योंकि 69 पोजीशन में उसकी योनि में मेरी जीभ छेदन कर रही थी।
कुछ मिनटों के बाद मैंने उसके कूल्हे पर चपत लगाकर उठने का इशारा किया और उसे नीचे लिटाकर उसके नितम्बों के नीचे एक तकिया लगा दिया।
मैं घुटनों के बल बैठ गया और पास पड़ा कामसूत्र का पैकेट खोलकर कंडोम को अपने लिंग पर चढ़ा लिया।
मुझे आज भी याद है कि कामसूत्र नाम का कण्डोम बाज़ार में नया आया था और पुराने फ़िल्म अभिनेता कबीर बेदी और प्रोतिमा बेदी की पुत्री पूजा बेदी ने इस कण्डोम के विज्ञापन में पूर्ण नग्न दृश्य दिये थे।
किसी अनुभवहीन के लिए लिंग पर कंडोम चढ़ाना बहुत मुश्किल काम होता है पर मैं पहले कई बार कंडोम पहन कर हस्तमैथुन कर चुका था इसलिए मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
अनु और सोनी दोनों उत्सुकतावश मुझे यह करते देख रही थीं।
कंडोम चढ़ाकर मैंने सोनी की टांगों के बीच अपनी पोजीशन ली, अपनी तर्जनी उंगली को उसकी योनि में घुसाकर गीलापन चैक किया।
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09-17-2018, 01:35 PM,
#20
RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
कामातुर सोनि की योनि पर्याप्त गीली थी इसलिए मैंने अपने लिंग को उसकी भगनासा पर सेट किया और धीरे से लिंग को उसकी योनि में प्रवेश कराया जिसे उसने आनन्द और दर्द मिश्रित सीत्कार के साथ भीतर ले लिया।
मैंने अपने दोनों हाथ उसकी छाती के दोनों ओर बिस्तर पर रखे और पुश-अप्स (एक प्रकार की कसरत) करने के अंदाज़ में अपने लिंग को उसकी योनि के अन्दर-बाहर करने लगा।
कंडोम की वजह से उसे काफ़ी दर्द हो रहा था और हर धक्के के साथ उसकी चीख सी निकल रही थी पर उसने सोचा कि शायद शुरू में ऐसा होता होगा और जल्दी ही अच्छा लगने लगेगा पर ऐसा हुआ नहीं।
मैं भी असहज़ महसूस कर रहा था पर मैं कंडोम हटाने की बात करके उन दोनों को नाराज़ नहीं करना चाहता था इसलिए बे-मन से धक्के लगाता रहा।
कुछ मिनट दर्द सहन करने के बाद सोनी ने कहा– अभि… कंडोम बिल्कुल कम्फ़र्टेबल नहीं…बहुत दर्द हो रहा है…प्लीज इसे हटा कर करो!!
मैंने अपना लिंग बाहर निकाला और कंडोम निकलते हुए बोला– हाँ… मुझे भी अजीब लग रहा है… बिल्कुल मज़ा नहीं आ रहा…!
उसकी योनि सूख गई थी इसलिए मैंने पहले उंगली से और फिर झुककर अपनी जीभ उसकी योनि में घुसाकर फिर से गीला करने लगा।
आजकल चॉकलेट, स्ट्राबेरी, ऑरेंज, पाइनएप्पल और ना जाने किन-किन फ्लेवर के कंडोम आने लगे हैं पर उन दिनों कामसूत्र में एक ही गन्दी बदबू वाला कंडोम होता था जिसकी बदबू काफ़ी देर तक लिंग और योनि से जाती नहीं थी।
सोनी की योनि चूसने से उसे तो अच्छा लगने लगा था पर मुझे उसकी योनि से कंडोम की गन्दी बदबू आ रही थी इसलिए जल्दी ही उठकर मैंने फिर से पोजीशन ली, अपने लिंग पर थूक लगाकर गीला किया और उसकी प्यासी योनि पर रखकर हल्का सा धक्का दिया।
इस बार पूरे आनन्द के साथ उसने मेरे लिंग को स्वीकार किया और मादक सिसकारियाँ निकाल अपने कामातुरता प्रदर्शित की।
मुझे भी इस बार स्वर्ग का सा सुख मिल रहा था इसलिए लिंग को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
सोनी ने अपने दोनों पैर उठाकर मेरे कूल्हों पर रख दिए थे और उत्तेजक सीत्कारों के साथ रतिक्रीड़ा में मेरा सहयोग करने लगी– वाओ… अभि… ये बहुत अच्छा है… ऐसे ही करते रहो… हर दिन मज़ा बढ़ता ही जा रहा है… यह मज़ा पहले क्यूँ नहीं मिला… आह्ह… कम ओन… चोदो मुझे अभि… और जोर से…!!
ऐसी आवाजों से जोश मिलता है और मैं पूरे जोश के साथ सोनी को चोद रहा था।
थोड़ी देर में कुछ थकावट महसूस हुई तो सोनी के बदन पर लेट सा गया और अपने होठों से उसके होठ व जीभ चूसने लगा।
मेरे दोनों हाथ अब उसके स्तनों के गुलाबी निप्पल मसल रहे थे।
कुछ मिनट चूसने के बाद मैं बैड पर लेट गया और सोनी को ऊपर आने का इशारा किया।
सोनी मेरे ऊपर सवार हुई मेरे लिंग को हाथ से पकड़कर अपनी योनि के मुख पर सेट किया और होठों को भींच कर अपने भीतर प्रविष्ट करा दिया।
मैंने अनु को भी हमारी रति-क्रीड़ा में शामिल होने का न्यौता दिया जिसे उसने स्वीकार करते हुए अपने टॉप और ब्रा उतार फेंके और हमारे खेल में शामिल हो गई।

अनु सोनी के आगे मेरे सीने पर सवार हो गई और मेरे हाथ पकड़कर अपने उरोजों पर रख लिए जिन्हें मैं बेदर्दी से मसलने लगा।
दोनों के उरोज़ पूरी तरह से कसे हुए और अनछुए थे पर सोनी की तुलना में अनन्या के उरोज़ बड़े होने के कारण उनको मसलने और मुंह में चूसने में ज्यादा मज़ा आता था।
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