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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
डैडी ने आखिर कांपती मम्मी को मुक्त कर दिया। उनका डरावना लंड किसी खम्बे की तरह हिल-डुल रहा था। डैडी ने फुफुसा कर मम्मी से कुछ कहा। मम्मी कुछ थकी हुई सी लग रहीं थीं। हमें डैडी और मम्मी के बीच हुए वो वार्तालाप नहीं सुनाई पड़ा।
डैडी ने पास की मेज़ से एक ट्यूब निकाल कर उसमे से सफ़ेद जैली जैसी चीज़ अपने लंड के ऊपर लगा ली और फिर ट्यूब की नोज़ल को मम्मी की गांड के छेद में घुस कर उसे दबा दिया। अक्कू और मैं अब बिलकुल अनभिज्ञ थे कि अंदर क्या हो रहा था।
डैडी ने अपना डरावना लंड मम्मी की गांड के ऊपर रख एक ज़ोर से धक्का दिया। डैडी का बड़े सेब से भी मोटा सूपड़ा एक धक्के में मम्मी की गांड के अंदर घुस गया।
"नहीईईईईन…… अंकु……. धीईईईईईईरे…….। हाय माँ मेरी गांड फट जायेगी…….," मम्मी की दर्द भरी चीख से उनका शयन कक्ष गूँज उठा।
मेरे और अक्कू के पसीने छूट पड़े। डैडी मम्मी को कितना दर्द कर रहे थे पर उनके चीखने पर भी रुकने की जगह डैडी ने एक और धक्का मारा। अक्कू और मेरी फटी हुई आँखों के सामने डैडी का मोटा लंड कुछ और इंच मम्मी की गांड में घुस गया।
मम्मी दर्द से बिलबिला उठीं और फिर से चीखीं पर डैडी बिना रुके धक्के के बाद धक्का मार रहे थे। बहुत धक्कों के बाद डैडी का पूरा लंड मम्मी की गांड में समां गया। मम्मी अब बिलख रहीं थीं। उनकी आँखों में से आंसूं बह रहे थे। उनका पूरा भरा-भरा सुंदर शरीर कांप रहा था दर्द के मारे।
डैडी ने अपने लंड को मम्मी की गांड के और भी भीतर दबा कर मुसराये , "निर्मु, बहुत दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ अपना लंड आपकी गांड से। "
अक्कू और मेरी हल्की सी राहत की सांस निकल पड़ी। आखिर डैडी को मम्मी पर तरस आ गया।
"खबरदार अंकु जो एक इंच भी बाहर निकाला। तुम्हारा लंड बना ही है मेरी चूत और गांड मारने के लिए। कब मैंने दर्द की वजह से मैंने तुम्हे लंड बाहर निकालने के लिए बोला है ," मम्मे की दर्द भरी आवाज़ में थोडा गुस्सा और बहुत सा उल्लाहना था।
"मैं तो मज़ाक कर रहा था निर्मू। मैं तुम्हारी गांड का सारा माल मथने के बाद ही अपना लंड निकालूँगा ," डैडी ने ज़ोर से मम्मी के भरे पूरे चौड़े चूतड़ पर ज़ोर से अपनी पूरी ताकत से खुले हाथ का थप्पड़ जमा दिया। मम्मी फिर से चीख उठीं।
मम्मी के आंसुओं से भीगे चेहरे पर दर्द के शिकन तो थी पर फिर भी हल्की से मुस्कराहट भी फ़ैल गयी थी , "हाय अंकु तुम कितना दर्द करते हो मुझे। अंकु मेरी गाड़ मरना शुरू करो और मेरे चूतड़ों को मार मार कर लाल कर दो। अंकु आज मुझे चोद-चोद कर बेहोश कर दो। "
मम्मी की गुहार से हम दोनों चौंक गए।
डैडी ने अपना आधे से ज़यादा लंड बाहर निकाला और एक धक्के में बरदर्दी से मम्मी की गांड में पूरा का पूरा अंदर तक घुसा दिया।
मम्मी की चीख इस बार उतनी तेज़ नहीं थी। डैडी ने एक के बाद एक तीन थप्पड़ मम्मी के चूतड़ों पर टिका दिये। इस बार मम्मी ने बस सिसकारी मारी पर चीखीं नहीं।
डैडी ने मम्मी के गांड में अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
डैडी कभी अपने पूरा लंड को, सिवाय सुपाड़े के बाहर निकाल कर, उसे निर्ममता से मम्मी के खुली गांड में बेदर्दी से ठूंस थे ।
कभी बस आधे लंड से मम्मी की गांड बहुत तेज़ी और ज़ोर से मारते थे। जब जब डैडी की जांघें मम्मी के चूतड़ों से टकराती थीं तो एक ज़ोर से थप्पड़ की आवाज़ कमरे में गूँज उठती थी। मम्मी का पूरा शरीर हिल उठता था।
मम्मी के विशाल भारी चूचियाँ आगे पीछे हिल रहीं थीं।
डैडी का लंड अब और भी तेज़ी से मम्मी की गांड के अंदर बाहर हो रहा था ,"अंकु और ज़ोर से मेरी गांड चोदो। ऑ…. ऑ…. अन्न…… मेरे गांड मारो अंकु……आन्ह……. और ज़ोर से……..माँ मैं मर गयी………. ," मम्मी की चीखें अब डैडी को प्रोत्साहित कर रहीं थीं।
डैडी के मोटे भारी चूतड़ बहुत तेज़ी से आगे पीछे हो रहे थे। उनके लड़ पर मम्मी की गांड के अंदर की चीज़ फ़ैल गयी थी।
"मैं आने वाली हूँ अंकु…… आंँह……. और ज़ोर से मारो मेरी गांड आँह….. आँह…..आँह…… आँह….. आँह….. ज़ोर से चोद डालो मेरी गांड अंकु…... फाड़ डालो मेरी गांड को…… ," मम्मी का सर पागलों की तरह से हिल रहा था। उनका चेहरा पसीने से नहा उठा। उनके सुंदर लम्बे घुंघराले केश उनके पसीने से लथपत चेहरे और कमर से चिपक गए।
अचानक मम्मी ने लम्बी चीख मारी और उनका सारा शरीर कुछ देर तक बिलकुल बर्फ की तरह जम गया और फिर पहले की तरह काम्पने लगा।
मम्मी एक बार फिर से झड़ रहीं थीं।
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
27
मम्मी ने अपनी जांघों के ऊपर अपने हाथ रख कर डैडी की मदद की। डैडी ने अपने बड़े हाथों से मम्मी की गोल
पिण्डिलयों को जकड के उनकी जांघों को पूरा फैला कर चौड़ा कर दिया। डैडी ने अपना लंड एक बार फिर मम्मी की
गांड के छोटे से छेद पर टिका कर मम्मी से पूछा ," ज़ोर से या धीरे धीरे निर्मू ?"
"हाय कैसे तरसाते हो अंकु। घुसा दो न अपने लंड को मेरी तड़पती गांड में ," मम्मी की कांपती हुयी आवाज़ में अजीब सी
याचनाथी।
"फिर न कहना …… ," डैडी ने गुर्रा कर कहा और पूरी ताकत से मम्मी की गांड की तरफ धक्का लगाया। मम्मी की
लम्बी चीख कमरे में गूँज उठी। डैडी का आधा लंड मम्मी की गांड में गायब हो गया। डैडी ने मम्मी की पहली चीख के
रुकने का इंतज़ार किये बिना दूसरा धक्का मारा और उनका डरावना लंड पूरा का पूरा मम्मी की गांड में जड़ तक घुस
गया।
डैडी ने अब जितनी ज़ोरों और तेज़ी से मम्मी की गांड चोदी उसे देख कर अक्कू और मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।
मम्मी की गांड से अजीब सी ' फच-फच ' की आवाज़ें निकल रहीं थीं। डैडी के हर धक्के से मम्मी का सारा शरीर सर से
पाँव तक हिल जाता था। उनकी चूचियां डैडी के धक्कों से उनकी छाती पर बड़े पानी भरी गुब्बारों की तरह ऊपर नीचे झूल
रहीं थीं।
डैडी की गुरगुराहट मम्मी की सिस्कारियों से मिल गयीं। डैडी जब गुराहट के साथ पूरे दम से अपना लंड मम्मी की गांड
में घुसाते थे तो मम्मी सिसकने से पहले सुबक उठती थीं।
मम्मी हर कुछ मिनटों बाद झड़ने लगीं, "अंकु चोद डालो मेरी गांड ……ज़ोर से…… अपने लंड से मेरी गांड फाड़ दो।
हाय माँ मैं फिर से झड़ने वाली हूँ। आज तो तुम मेरी जान ही ले लोगे। "
डैडी ने मम्मी की बातों की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया और बिना थके उनकी गांड मारते रहे। मम्मी न जाने
कितनी बार चीख कर ,सुबक कर , सिसक कर झड़ गयीं थीं।
"अंकु अब मेरी गांड में अपना लंड खोल दो। अब अपने लंड से मेरी गंदी गांड को नहला दो। आँ…… आँ………आँ….
आँ……..आँह…….. ऊँह……….. अंकू… ऊ …ऊ…. ऊ…. ऊ…………. , मैं फिर से आ रही हूँ," मम्मी का मीठा खुशी
का विलाप कमरे में गूँज रहा था।
डैडी ने तीन चार बार पूरे के पूरा लंड सुपाड़े से जड़ तक मम्मी की गांड में ठूंस कर उनके ऊपर गिर पड़े। मम्मी ने अपनी
टांगें डैडी की कमर के ऊपर गिरा दीं। उनकी सुंदर गोल बाँहों ने हाँफते हुए डैडी को प्यार से कस कर जकड़ लिया।
डैडी मम्मी के शरीर पसीने से लथपत हो चुके थे।
मम्मी ने प्यार से डैडी के पसीने से भीगे माथे को चूम लिया जैसे मैं और मम्मी अक्कू के माथे को चूमती थीं।
मम्मी के मुलायम नाज़ुक हाथ हाँफते हुए डैडी के सर के ऊपर प्यार से उनके बालों को सेहला रहे थे। मम्मी भी हांफ रहीं
थीं।
अक्कू और मैंने डैडी और मम्मी को प्यार से लिपटे हुए काफी देर तक देखा और फिर हम दोनों एक दुसरे का हाथ कस
कर पकड़ कर मम्मी और डैडी के शयन-कक्ष से धीरे से बाहर निकले और फिर मेरे कमरे की तरफ हलके पैरों से भागने
लगे।
कमरे में पहुँचते ही अक्कू और मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। कुछ ही क्षणों में हम दोनों पूर्णतया नंग्न थे। मैंने
बिना एक क्षण व्यतीत किये अपने घुटनों पर बैठ कर अपने छोटे भैया का गोरा चिकना सुंदर अपने हाथों में भर कर उसका
सुपाड़ा अपने मुंह में ले लिया। अक्कू का लंड लगभग पूरा खड़ा हो चूका था और जो भी कमी बची थी वो उसके लंड के मेरे
मुंह में जाते ही सम्पूर्ण हो गयी।
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02-10-2018, 12:21 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
मेरे दर्द भरी सिस्कारियों में एक नया आनंद था ज मैंने कभी भी नहीं महसूस किया था।
'अक्कू, हाय अक्कू और ज़ोर से मसलों अक्कू," मैं बिना सोचे बोल उठी।
अक्कू ने मेरी दोनों घुन्डियाँ और छाती के उभारों को मसलते हुए अपना मुंह मेरी जांघों के बीच में दबा दिया। जैसे ही मेरे छोटे
भाई का मुंह मेरे गुलाबी संकरी दरार पर लगा मैं चिहुंक गयी और मैंने ज़ोर से फुसफुसाया , "अक्कू मेरा अक्कू। "
अक्कू ने अपने जीभ से मेरे चूत की पूरी दरार को चूम कर चाटने लगा। पता नहीं कैसे प्राकर्तिक रूप से मेरी चूत की दरार के
दोनों छोटे से होंठ अलग हो गए और अक्कू की जीभ ने मेरे चूत के अंदर के द्वार को चाटते हुए मेरे पेशाब के छेड़ को ले कर
मेरे चूत के ठेक ऊपर एक और मेरे छाती की घुंडी से भी छोटी घुंडी को अपने जीभ से संवेदन शील कर दिया।
मेरे चूतड़ पलंग से ऊपर उठ गए ," अक्कू यह तो बहुत अच्छा था। एक बार फिर से करो अक्कू। "
अक्कू ने अब बिना रुके मेरे छातियों को मसलते हुए मेरी चूत चटनी शुरू की तो तभी रुका जब मैं अचानक झड़ने लगी।
मेरी सांस मनो मेरे गले में अटक गयी। मेरा गोल मटोल शरीर तन कर कमान हो गया। अक्कू ने मेरे चूतड़ों को बिस्तर में
दबा लिया पर फिर भी मैं हवा में थी।
फिर मेरे नीचे के पेट में तेज़ दर्द उठा जो जल्दी से मेरी चूत में पहुँच गया। उसके बाद तो मानों मेरा पूरा शरीर बुखार से जलने
लगा।
मैं घबरा के चीखी , "अक्कू, मुझे कुछ हो रहा है। अक्कू……. अक्कू…. मेरा अक्कू ऊ.. ऊ… ऊ…. हाआआय….. ," और मैं
पलंग पर वापस शिथिल हो कर ढलक गयी।
अक्कू एक क्षण के लिए भी बिना रुके मेरी चूत चाटता रहा। मेरी चूत में उसके चाटने से एक अजीब सा दर्द हो रहा था।
अक्कू ने मेरी उसे रुक जाने की विनतियां को उनसुना कर दिया। अक्कू ने डैडी से एक रात में बहुत कुछ सीख लिया था।
और वातव में मैं भी मम्मी की तरह कुछ देर में मैं अक्कू को उकसा रही थी ,"अक्कू और ज़ोर से मेरी चूत चूसो। अक्कू अपने
जीभ अंदर डाल दो। "
अक्कू तो मेरी निर्देशों से भी आगे बढ़ गया। अक्कू अब मेरी गांड के छेद से ले कर मेरी पूरी चूत चाट रहा था। अब तक
मैं समझ गयी थी कि अक्कू ने मुझे झाड़ दिया था। मैं खुशी से दूसरी बार झड़ने की प्रतीक्षा करने लगी।
अक्कू की जीभ अब मेरे पूरे शरीर में आग सी लगा रही थी। मैं कुछ मिनटों में ज़ोर से चीख कर फिर से झड़ गयी। अक्कू ने
मेरे हाँफते हुए शरीर को बाँहों में भर लिया।
मैंने अक्कू के होंठों पर अनगिनत प्यार से भरी पुच्चियाँ जमां दीं।
हम दोनों दस पंद्रह मिनट तक अपनी साँसे ठीक होने का इंतज़ार करते एक दुसरे को हलके हलके चूम रहे थे। मैंने अक्कू के उन्नत
खम्बे जैसे खड़े लंड को सहला कर और भे सख्त कर दिया। मुझे अक्कू की रेशम जैसी चिकनी त्वचा का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा
था।
फिर मैंने अक्कू से पूछा ,"अक्कू तुम अब मेरी गांड मारने के लिए तैयार हो ? तुम्हे याद है न कैसे डैडी ने मम्मी की गांड मारी थी ?"
अक्कू ने थोडा डरते हुए कहा ," मम्मी को तो बहुत दर्द हुआ था , सुशी दीदी। " अक्कू मुझे बहुत प्यार करता है और तब वो और मैं
भी प्यार भरे दर्द और दर्द भरे दर्द के बीच के अंतर से अनभिज्ञ थे।
"अक्कू यदि मम्मी डैडी को गांड मारने से मज़ा आता है तो शायद दर्द भी उसके लिए ज़रूरी है। " मैंने छद्म-विज्ञान से उपजी
परिकल्पना का सहारा लिया।
अक्कू ने फिर मुझे कायल कर दिया ,"पर दीदी हमारे पास डैडी वाली ट्यूब कहाँ है ?"
मैंने माथा सिकोड़ कर सोचा। डैडी ने उस ट्यूब को अपना लंड और मम्मी की गांड को गीला करने के लिए इस्तेमाल किया था।
मुझे याद आया कि कितनी बार मम्मी जब अपनी अंगूठी आसानी से उतार नहीं पाती थीं तो वो अपनी उंगली को मुंह में ले कर गीला
कर लेती थीं और फिर उनकी अंगूठी आसानी से निकल आती थी।
मैंने खुश खुश इस समस्या का हल अक्कू को बता दिया।
"अक्कू मैं तेरे लंड को मुंह से गीला कर दूंगी और तू मेरी गांड गीली कर देना बस उस से काम बन चाहिए ," मैं अपने प्यारे भैया के
साथ आज की इकट्ठी की सारी शिक्षा का अभ्यास करने के लिए उतावली थी।
अक्कू ने मुझे मम्मी की तरह घोड़ी की तरह कोहनियों और घुटनों पर पलट दिया। उसने मेरे मुंह में अपना लंड घुसा दिया ,"दीदी,
थूक लगा दीजिये। मैं आपको कम से कम दर्द करना चाहता हूँ। "
मुझे तो मेरा अक्कू ,उसके पैदा होने के बाद से ही, अपनी जान से भी प्यारा है और तब मैं कहाँ से और प्यार लेके आती उसके लिए?
मैंने अक्कू के लंड को अपने थूक से लिसलिसा कर पूरा गीला कर दिया।
अक्कू ने मेरी गांड के छेद को खूब अच्छे से चूसा और अपना थूक मेरी गांड के ऊपर उलेढ़ दिया।
अब मेरी गांड की चुदाई का समय आ गया था। मेरी तीव्र इच्छा के बावज़ूद भी मेरा दिल और भी तेज़ धड़कने लगा और मेरा गला
सूख गया। अक्कू का लंड बहुत ही मोटा है , मेरे दिमाग में से यह ख्याल निकल ही नहीं पाया।
मेरी गांड के नन्हे छेद के ऊपर अक्कू के गरम और गीले मुंह के प्रभाव ने मेरी अविकसित चूत में हलचल मचा दी। मुझे बिना किसी
पहले अनुभव के बिना भी अब अपनी गांड में कुछ अंदर लेने की इच्छा जागृत हो चली थी।
"अक्कू ,अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा दो, प्लीज़। वह मुझे बहुत है अब ," मैं अब जल रही थी पर मुझे बाद में पता चलेगा कि वो
कामवासना का ज्वर था।
अक्कू ने हमेश के तरह अपनी दीदी की इच्छा का पालन किया। अक्कू ने अपने मोटे लंड के सुपाड़े को मेरी थूक से सनी गांड के छिद्र
पर कस कर दबाया। मुझे ऐसा लगा कि अक्कू ने अपनी मुट्ठी मेरी गांड पर लगा दी हो। अक्कू ने और भी ज़ोर लगाया। पर मुझे सिर्फ
दर्द होने के अलावा, कुछ और नहीं हुआ।
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02-10-2018, 12:22 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
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"अक्कू डैडी ने जैसे ज़ोर से अपना लंड मम्मी की चूत के घुसाया था उसी तरह से प्रयास करो।मेरे दर्द की बिलकुल परवाह नहीं
करना। तुम्हें मेरी कसम है अक्कू भैया," मैंने अपना निचला होंठ दातों से कस कर दबाते हुए कहा।
पर अक्कू का लंड मेरी नन्ही गांड में घुस ही नहीं पा रहा था। अक्कू ने विफलता से कुंठित से हो कर अपना लंड मेरी गांड से
हटा लिया और जब तक मैं कुछ बोल पाती अपने तर्जनी एक झटके में मेरी गांड के अंदर घुसा दी।
मैं बिलबिला कर चीख उठी अक्कू ने मेरे निर्देशानुसार मेरी चीख की उपेक्षा कर दी। मेरी आँखों में आंसू भर गए। मैं अभी अक्कू
के एक उँगली के दर्द से सम्भली भी नहीं कि अक्कू ने अपने मझली उँगली भी तरजनी के साथ मेरी गांड में एक झटके से घुसा दी।
मैं फिर से दर्द के आधिक्य से बिलबिला कर चीख उठी। अक्कू ने बिना मेरे दर्द की परवाह किये मेरी गांड को अपनी दो उँगलियों
से मारने लगा। मेरी गाड़ में दर्द के अलावा उसके छल्ले पर बेहद जलन भी हो रही थी। अक्कू ने अपनी पूरी उंगलियां गांड में ठूंस
दीं। मेरी गांड में दर्द के साथ साथ एक नया संवेदन भी जाग उठा। जब अक्कू की उँगलियाँ मेरी गांड के बहुत भीतर के भाग को
कुरेदती थीं तो मेरे पेट में अजीभ से कुलबुलाहट पैदा हो जाती थी।
मेरा दर्द अब कम होने लगा। मुझे दर्द के बीच में एक नये आनंद की अनुभूति भी होने लगी।
अक्कू ने दस पंद्रह मिनटों तक दो उंगलीओं से मेरी गांड मारी अब मुझे गांड में से अनोखा आनंद आने लगा जिसने दर्द के तूफ़ान
को मंद कर दिया।
"अक्कू अब मुझे समझ आया कि मम्मी गांड मारने का दर्द बर्दाश्त कर रहीं थीं। अक्कू मैं तुम्हारे लंड का अपनी गांड में घुसने
का इंतज़ार नहीं कर सकती ," मैं अब एक दूसरी ही की 'पीड़ा ' से कुलबुला रही थी।
अक्कू ने मेरे हृदय की पुकार सुन ली और अपनी उंगलियां बाहर निकाल कर उन्हें मुंह में भर कर चाट लीं ,"उफ़ अक्कू यह क्या
कर रहे हो ? गंदी उंगलियां क्यों मुंह में डालीं? " मैंने दिखावे के लिए अक्कू को झिड़की दी थी पर मेरा दिल अक्कू की क्रिया से
पुलकित हो गया था।
अक्कू ने मुस्करा कर कहा ," दीदी आपने स्वाद लिया होता तो मुझे नहीं डाँटतीं,"
अक्कू का लंड का वृहत सुपाड़ा एक बार फिर से मेरी गांड के छेद पर दस्तक देने लगा। इस बार अक्कू ने पूरी ताकत लगा कर
एक ज़ोर से झटके जैसा धक्का मारा और मेरी गांड का छेद यकायक खुल गया और मेरे छोटे भैया का सुपाड़ा मेरी गांड को
चीरता हुआ मेरे मलाशय में घुस गया।
"अक्कू मैं माआआअर गयीईईई। ....," मैं असहाय दर्द से बिलबिलाती हुई चीख उठी। मेरी आँखों से तुरंत आंसू बहने लगे। मैंने
फिर भी अक्कू के मज़बूत हाथों से छुड़ने का कोई प्रयास नहीं किया।
अक्कू ने बिना मेरी चीख पर ध्यान दिए एक और भयंकर धक्का मारा और उसका लंड कुछ और मेरी कुंवारी गांड के भीतर
घुस गया। अब मेरी चीखें हमारे कमरे में गूँज रहीं थीं। मैं सुबक सुबक कर रो रही थी पर अक्कू ने एक के बाद एक ताकत भरे
धक्कों से आखिरकार अपना पूरा लंड मेरी गांड में जड़ तक ठूंस दिया।
अक्कू ने मेरी कांपती पीठ को प्यार से सहलाया ," सॉरी दीदी, आपने ही मुझे कहा था पूरा लंड डालने को। "
मैं अक्कू को आश्वासन देना चाहती थी पर दर्द से सुबकते हुए मेरे से कोई शब्द ही नहीं बन पा रहे थे। अक्कू ने पूछा, "दीदी
मैं रुक जाऊं या गांड मारना शुरू कर दूं ?"
बेचारा अक्कू एक तरफ तो अपनी दीदी के रोने से दुखी था और दूसरी तरफ उसे मेरे हुए दिए निर्देश का पालन भी करना था।
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02-10-2018, 12:22 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
मैंने बड़ी मुश्किल से अपना सर हिला कर उसे गांड मारने के लिए प्रोत्साहित किया। अक्कू ने अपना लंड बाहर निकाला और
उसकी घबराहट की सिसकी से मैं भी घबरा गयी। अक्कू को मेरी गांड में लंड घुसाते हुए लंड पर चोट तो नहीं लग गयी.
मैंने सुबकते हुए मुश्किल से फुसफुसा कर पूछा ," अक्कू, तुम्हारा लंड तो ठीक है ?"
"दीदी, आपकी गांड से खून निकल रहा है। मैं क्या करुँ ?" अक्कू की आवाज़ की घबराहट में मेरे लिए प्यार और मेरी
हिफाज़त की फ़िक्र थी।
"अक्कू मम्मी के भी गांड से खून निकला होगा पर डैडी ने तो उसका ज़िक्र भी नहीं किया। तुम मेरी गांड डैडी की तरह मारो।
मम्मी की तरह मेरी गांड भी कुछ देर में ठीक हो जायेगी, " मेरा अक्कू को दिया आश्वासन पर खुद मुझे उतना भरोसा नहीं
था।
अक्कू ने मेरे कांपते चूतड़ों को कस कर पकड़ कर अपना लंड डैडी की नकल करते हुए बेदर्दी से मेरी गांड में एक धक्के के
बाद दुसरे धक्का मारते हुए फिर से जड़ तक ठूंस दिया। मैं चीख उठी और मेरी सुबकियां और भी ज़ोर से कमरे में गूंजने लगीं।
पर इस बार मेरे छोटे भैया ने अच्छे बच्चे की तरह मेरे निर्देशों का पालन करते हुए अपना लंड जल्दी से बाहर निकाल कर पूरी
ताकत से मेरी गांड में वापस घुसा दिया।
अक्कू ने मेरी गांड मारनी शुरू की तो बिना रुके उसने अपने लंड को मेरी तड़पती फटी हुए गांड में अंदर बाहर करने लगा।
मेरी चीखें बहुत देर बाद मद्धिम हो गयी पर मेरे सुबकियां तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं।
अक्कू का लंड मेरी जलती दर्द भरी गांड में तूफ़ान की तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था। मुझे दर्द से सुबकते हुए भी अपने नन्हे
भाई पर अभिमान आ रहा था कि कितनी जल्दी उसने डैडी की तरह मेरी गांड मारने की कला की दक्षता दिखाने में सफल हो
गया था।
दर्द और पीड़ा से मेरे माथे, ऊपर के होंठ पर पसीना आ गया था।
अक्कू ने मेरी गांड मारने की रफ़्तार को बिलकुल धीमा नहीं होने दिया। मैंने अब सुबकना बंद कर दिया था। मुझे अभी
तक गांड से उस आनंद का आभास नहीं हो रहा था जैसे अक्कू की उँगलियों से होने लगा था। फिर भी मेरी गांड में अब
दर्द बर्दाश्त होने लगा था। मुझे पहले दर्द और फिर अक्कू की आनंद भरी सिस्कारियों ने इतना तल्लीन कर लिया था कि
समय का कोई अंदाज़ ही नहीं रहा। पर मुझे थोडा अंदाज़ा था कि अक्कू मुझे एक घंटे से चोद रहा था।
"दीदी मेरे लंड से पहले की तरह का पानी निकलने वाला है ," अक्कू ने दांत किसकिसा कर कहा।
"अक्कू तुम झड़ने वाले हो। जैसे मम्मे और डैडी झड़े थे, और तुम स्नानगृह में झड़े थे ," मुझे गांड मरवाते हुए भी बड़ी
बहन के छोटे भाई की शिक्षा के उत्तरदायित्व का पूरा ख़याल था।
अक्कू के लंड ने गरम द्रव्य की फ़ुहार मेरी गांड में खोल दी। पहले तो मैंने हर बौछार को गिना पर अक्कू रुकने का नाम
ही नहीं ले रहा था और मैं गिनती भूल गयी।
अक्कू ने हाँफते हुए मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया , " दीदी आप भी झड़ गयीं ?"
मैं शुरू के दर्द से आने की स्थिति में नहीं थी पर मुझे न जाने कैसे समझ आ गया था कि अक्कू को यह सुन कर दुख होगा
, "क्या तुम बहाने ढूंढ रहे हो और अपनी बहन की गाड़ न मारने के ? यदि मैं आ गयी तो तुम मेरी गांड मारना बंद कर
दोगे ?"
अक्कू ने मेरी पसीने से भीगी पीठ को प्यार से चूम कर कहा ," दीदी आपकी गांड मारना तो मुझे इतना अच्छा लगा कि
मैं बता ही नहीं सकता। देखए मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा है। यदि आप थकी नहीं हो तो मैं दुबारा गांड मारना शुरू कर दूं ?"
नेकी और पूछ पूछ। मैंने खुशी से लपक कर कहा ," अक्कू तुम मेरी गांड जितनी देर तक और जितनी बार मारना चाहो
मारो। मैं तो चाहूंगी कि तुम रोज़ मेरी गांड मारो और मैं तुम्हारा लंड भी चूसूंगी। "
"दीदी, आप मुझे अपनी चूत और गांड भी चूसने देंगीं ना ?" अक्कू ने जल्दी से आश्वासन मांगा।
"बिलकुल मेरे भोले भैया ," मेरी छोटी से हंसी निकल गयी और एक क्षण बाद ही मेरी चीख। बात करते हुए अक्कू ने अपने लंड निकाल कर मेरी गांड मारने की तैयारी कर ली थी और दो तीन खुन्कार धक्कों से
अपना लंड मेरी गांड में ठूंस दिया।
इस बार मेरी चीख में दर्द के साथ विचित्र सा आनंद भी शामिल था ,"हाय अक्कू तुम्हारा लंड मेरी गांड में जाते हुए बहुत
अच्छा लग रहा है। भैया ज़ोर से अपनी बड़ी बहन की गांड मारो।
अक्कू ने अपनी बहन के निर्देश और निवेदन का अपने पूर्ण शक्ती से प्रतुत्तर दिया। अक्कू ने मेरी गांड का मर्दन भीषण
धक्कों से करना शुरू कर दिया। दर्द और आनंद के मिश्रित लहर मेरे शरीर में बिजली की तरह कौंध गयी। मेरी
सिस्कारियां मध्यम से तीव्र हो गयीं।
"अक्कू मेरे प्यारे भैया मेरी गांड और ज़ोर से मारो। अक्कू अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है, " मैं मम्मी के तरह
कामाग्नि से जल रही थी। हमारे अविकसित शरीर अब शारीरिक प्रेम की भूख से परिचित हो चले थे। थोड़े से ही अनुभव से
हम दोनों बहन-भाई उस भूख को भुजाने की तरतीब भी समझ गए थे।
अक्कू का लंड मेरी गांड में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। उसके लंड पर मेरे कुंवारी गांड की पहली चुदाई का खून,
उसका वीर्य और मेरे गांड के रस का मोटा सा लेप चढ़ चूका था। कमरे में मेरी गांड की मनोहर महक फ़ैल गयी थी।
हम दोनों उस सुगंध से और भी उत्तेजित हो गए।
"दीदी, दीदी, मुझे आपकी गांड मारना बहुत अच्छ .......... हुन ," अक्कू ने हचक कर अपना लंड निर्मम प्रहार से मेरी
गांड में जड़ तक डालते हुए कहा।
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
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मेरी चेहरे पर पसीने की बूंदे छा गयी थीं, "मुझे भी तुम्हारा लंड अच्छा लग ….ओ……ओ……..ओ….. ओह …….. अक्कू मैं अब आने वाली हूँ ," अचानक मेरा शरीर मेरे रति निष्पति के द्वार पर खड़ा था।
मैं वासना के ज्वर से प्रताड़ित कांपते हुए चीखी ," अक्कू मेरी गांड फाड़ डालो पर मुझे झाड़ दो। अक्कू मेरे अक्कू मारो मेरी गांड …… आँ….. आँ…….. आँ………आँ……..आँ…….ओऊन्न्ग्ग्ग……..अाॅन्न्ह……..अक्कू ," मैं चीखते हुए झड़ने लगी।
मेरी छोटी से ज़िंदगी में वो सबसे प्रचंड रति-निष्पति थी। उसकी तीव्रता से मेरी सांस मेरे गले में अटक गयी। मेरे पेट में एक अजीब सा दर्द फ़ैल गया। मेरे सारा शरीर अकड़ गया और फिर मानों एक सैलाब मेरे शरीर में बाँध तोड़ कर बाढ़ की तरह सब तरफ फ़ैल गया।
मैं बेबस अपने चरम-आनंद के प्रचंड झोंकों से कांप-कांप कर अपने भाई को दुहाई दे रही थी ," अक्कू मेरे अक्कू मेरे प्यारे अक्कू मुझ और झाड़ो। "
अक्कू को उस कच्ची उम्र में भी मम्मी और डैडी की चुदाई देख कर समझ आ गया था कि अब उसकी बड़े बहन अनर्गल बक रही थी। उसने मेरे पसीने से लथपत कमर को सहला कर और भी ज़ोरों से मेरी गांड की बेदर्द निरंकुश चुदाई बिना थके और धीरे हुए अविरत जारी रखी।
मेरी गांड से अब 'फच-फच ' की आवाज़ें आ थीं। अक्कू का लंड अब बे रोक-टोक मेरी गांड में रेल के इंजन के पिस्टन की तरह सटासट दौड़ रहा था। मेरी साँसे अब हांफने में बदल गयीं थीं।
अक्कू को मेरी ज़ोर से गांड मारने की याचनाएं बेकार लग रहीं होगीं क्योंकी वो अब मेरी गांड उतनी हैवानियत से मार रहा था जितनी डैडी ने मम्मी की गाड़ मारते हुए दिखाई थी।
मैं फिर से आने वाली थी। मेरी सिस्कारियों में मेरे झड़ने की मीठी पीड़ा से सुबकने के मधुर स्वर भी शामिल हो गए ,"अक्कू …… अक्कू …….. अक्कू …….. अक्कू ………. आन्ह…… आन्ह……… अआह……… ओऊन्नन्न्न्न…….. उउउउन्न्न्न्न्न्म्म्म्म्म्म……. , “ मैं बिलबिला के झड़ने लगी।
अक्कू के मेधावी मस्तिष्क ने उसके सारे अनुभवों की विवेचना कर ली थी और अब उसे अपनी बड़ी बहन के निर्देशों की कोई भी आवश्यकता नहीं थी।
अक्कू ने मेरी पसीने से लथपत कमर कके ऊपर झुक कर ममेरी छाती के उभारों को अपनी बड़ी मुट्ठियों में जकड़ लिया। मेरी छाती से उपजे दर्द ने मेरी गांड से उबलते आनंद को और भी परवान चढ़ा दिया। अक्कू ने मेरी घुंडियों को बेदर्दी से मसला,खींचा और मड़ोड़ा। मैंने चीख कर, सुबक कर और सिसकारी मर कर बार बार झाड़ गयी।
इस बार अक्कू ने तो झड़ने का नाम ही नहीं लिया। मैं पांच के बात गिनती गिनना भूल गयी। अक्कू के एक भयंकर धक्के से मेरा रति-निष्पति से शिथिल शरीर पूरा हिल उठे और मैं मुंह के बल पलंग पर गिर गयी। अब मैं मुंह के बल पट लेती थी।
अक्कू ने एक पल के लिए भी अपना लंड मेरी फड़कती गांड में से नहीं निकलने दिया। पट लेटने से मेरी गांड और संकरी हो गयी। अक्कू का लंड मुझे और भी भीमकाय लगने लगा। उसके हाथ मेरी छाती के नीचे दबे हुए थे पर उनसे मेरी घुंडियों की प्रतारणा अविरत होती रही।
मैं बार बार झड़ने की मीठी यातना से थक कर चूर हो चुकी थी , " अक्कू अब तुम झड़ जाओ प्लीज़। मेरी गांड अब बहुत जल रही है। उसे अपने रस से ठंडा कर दो। "
अक्कू अब तलक मेरी गांड एक घंटे से भी ऊपर मार चूका था।
अक्कू ने कसमसा कर मेरी घुंडियों को कस कर निचोड़ दियस औऐर मेरी हल्की चीख और भी ऊंची हो गयी जैसे ही उसका गरम लंड का रस मेरी गांड में बौछारें मारने लगा। मैं बिलबिला उठी आनंद के अतिरेक से। अक्कू की आनंद भरी सिस्कारियों ने मेरे आनंद को को और भी उन्नत कर दिया। सिर्फ इस विचार से कि मेरे छोटे भैया को मेरी गांड मारने से इतना आनंद आ रहा है उससे मेरे आनंद के चरमसीमा अपरिमित असीमित सीमा में बदल गयी।
मैं एक बार फिर से झाड़ गयी पर इस बार मेरा रति-निष्पति ने मुझे लगभग बेहोश कर दिया। मैंने आनंद से अभिभूत हो आँखें बंद कर लीं और अक्कू का गरम लंड का रस मेरी जलती गांड को 'शीतल' करने का प्रयास कर रहा था।
न जाने कितनी देर बाद दोनों हाँफते भाई-बहन फिर दुबारा जीवित संसार के सदस्य बने।
"दीदी, आई लव यू ," अक्कू ने धीरे से फुसफुसा कर मेरे कान की लोलकी [इयर-लोब्यूल] को चूसते हुए फुसफुसाया।
मैं अक्कू के अपनी गांड की चुदाई से इतनी थक चुकी थी कि बस पलंग की चादर में दबे अपने होंठों की मुस्कान से ही अपने प्यार को दर्षा पाई।
दोनों बहन-भाई ना जाने कितनी देर तक एक दुसरे से उलझे ऐसे ही लेते रहे।
"दीदी, क्या अब मैं आपको सीधा लिटा कर आपकी गांड मारूं ?" अक्कू डैडी की सारी क्रियाओं का प्रदर्शन करना चाह रहा था।
मैंने खिलखिला कर हंस दी ," अक्कू , मेरे प्यारे भैया , तुम जब जैसे भी मेरी गांड मार सकते हो। अब यह गांड तो तुम्हारी है
, पर तुम्हारा लंड अब मेरा है। "
अक्कू भी अपनी उम्र के बच्चों की तरह खिलखिला उठा , "दीदी यह अदला बदली तो मुझे स्वीकार है। इस तरह तो मैं आपके गांड जब चाहे मार सकता हूँ। "
मैंने भी हँसते हुए कहा ," मेरे बुद्धू छोटे भैया , यह ही तो मैंने पहले कहा था। "
अक्कू ने मेरा मुंह मोड़ मैंने मेरी फड़कती नासिका को चूम लिया ," दीदी मुझे अब आपकी गांड आपका मुंह देखते हुए मारनी है। "
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
अक्कू के शब्दों में एक विचित्र सी परिपक्वता थी और मैंने उस का प्रस्ताव आदर से स्वीकार कर लिया।
अक्कू ने जब अपना लंड मेरी गांड में से निकाला तो मेरी गांड में से ज़ोर का दर्द हुआ और मैं न चाहते हुए भी चीख उठी।
अक्कू ने मेरे हिलने से पहले मेरे चूतड़ों को फैला केर मेरी गांड और चूतड़ों को प्यार से चूम चाट कर साफ़ कर दिया।
मैंने मम्मी की देखा देखी जब मुड़ी तो अक्कू का लंड अपने मुंह में लेकर चूस चाट कर साफ़ करने लगी। अक्कू के लंड पर उसके लंड के रस और मेरी गांड के रस का मिश्रित लेप मेरे मुंह के स्वाद को बहुत भाया।
अब मैं अपने पीठ पर अपने गोल मटोल मोटी टांगें फैला कर अपने छोटे भाई का इंतज़ार करने लगी। अक्कू ने मेरी जांघों को मेरे कन्धों तक पीछे झुका कर मेरे चूतड़ों को पलंग से ऊपर उठा दिया। उसका लंड मानों थकने का नाम ही नहीं ले रहा था। अक्कू ने अपना लंड ने मेरी गांड बिना उसके हाथ की मदद से ढूंड ली। फिर उसने अपना लंड, एक बार अपने सुपाड़े को मेरी गांड में फंसा कर, दो जान लेवा धक्कों से मेरी गांड में ठूंस दिया।
मैं मीठे दर्द से चीख उठी। अक्कू ने मेरी गांड की चुदाई बेदर्दी से शुरू की और तब तक मेरी गांड चोदता रहा जब तक मैं अनगिनत बार झड़ कर बेहोश नहीं हो गयी।
उस रात अक्कू ने मेरी गांड पांच बार और मारी। हम दोनों भाई-बहन देर सुबह तक सोते रहे।
मेरा सारा शरीर दर्द कर रहा था। मेरी छाती के उभार सूज कर लाल हो गए थे। अक्कू ने मेरे मुंह को चूम कर कहा
,"दीदी, मैं आपका सारी ज़िंदगी ख्याल रखूंगा। आई लव यू दीदी,"
अक्कू सुबक कर बोला और मैंने उसके खुले मुंह पर अपने मुंह दबा दिया. हम दोनों एक दुसरे सुबह के बासी मुंह के स्वाद से परिचित होने लगे। मुझे अक्कू के मुंह का स्वाद बहुत ही अच्छा लगा और वो भी मेरे मुंह में अपनी जीभ दाल कर मेरे मुंह के हर कोने को चूस चाट रहा था।
हम दोनों स्नानघृह में तैयार होने के लिए चल दिए। अक्कू ने मुझे पेशाब और पाखाना करते हुए ध्यान से देखा। जब अक्कू पेशाब कर रहा था तो मैंने उसका लंड पानी में घूमाने लगी। अक्कू ने शैतानी से अपने लंड को मेरी ओर मोड़ कर मुझे अपने पेशाब से नहला दिया। कुछ मेरे खुले हँसते हुए मुंह में भर गया और मैंने उसे प्यार से सटक लिया।
"अक्कू तेरा पेशाब तो बहुत मीठा है," मैं हँसते हुए बोली।
"दीदी, आपका तो बहुत ही मीठा है। मुझे भी आपका पेशाब पीना है ," अक्कू ने आग्रह किया।
"पगले, अभी तो मैंने अपना पूरा पेशाब खाली किया है , अब अगली बार मुझे आयेग तो चख लेना " मैंने प्यार से अक्कू को चूमा।
हम दोनों जब तैयार हो कर नीचे नाश्ते के लिए पहुंचे तो तब हमें पता लगा कि हम कितनी देर से नीचे आये थे।
मम्मी डैडी बहुत देर से हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। हम दोनों सर झुका कर सॉरी बोले और नाश्ते पे जुट पड़े। डैडी और मम्मी हमारी भूख देख कर हंस पड़े।
हम दोनों ने रोज़ के हिसाब से बहुत ज़्यादा खाया। हम दोनों का पेट भर कर फ़ैल गया। अक्कू के मुंह से हल्की सी डकार निकल पड़ी। अक्कू ने शर्मा कर सबसे सॉरी कह कर माफी मांगीं। मम्मी ने हँसते हुए अपने लाडले बेटे को ममता भरे प्यार से चूम लिया।
"भाई तुम दोनों का क्या विचार है। बाहर लंच खाना है या फिल्म देखनी है या दोनों करने का ख्याल है ," डैडी ने स्नेह से हमारा शनिवार का प्लान के बारे में पूछा।
अक्कू ने मेरे पैर पर अपना पैर मारा। मैंने कुछ सोच आकर कहा ," डैडी, आज हम दोनों घर पर ही रहेंगें। अक्कू को मुझे बायोलॉजी के कुछ पाठ समझने है। "
मुझे जो जल्दी से समझ आया वो मेरे मुंह से निकल पड़ा। अक्कू मेरे द्विअर्थिय प्रस्ताव से बिना हँसे नहीं रह सका। मैंने ज़ोर से उसकी टांग पर थोकड़ मार दी। उसने सिसकारी मार कर हसना बंद कर दिया।
मम्मी ने मुझे एक नई निगाह से घूर कर देखा और मेरी जान सूख गयी। हम दोनों को डैडी से ज़्यादा मम्मी से डर लगता था।
डैडी ने हँसते हुए कहा ," चलो तो फिर मम्मी और हम भी आलसीपने से फिर से बिस्तर में घुस जाते हैं। "मम्मी की आँखे भी चमक उठीं।
अक्कू और मैं छुपके मम्मी-डैडी के शयन-कक्ष में चोरी से देखते रहे जब तक मम्मी ने नंगे हो कर डैडी के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसना नहीं शुरू कर दिया। तब हमें पता था की अब दोनों घंटों के लिए चुदाई में व्यस्त हो जायेंगें।
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अक्कू और मैं बिना एक क्षण खोये अपने कपडे उतार कर एक दुसरे से लिपट गए। इस बार कोई भी हिचक और संदेह नहीं था। अक्कू ने मेरे शरीर का नियंत्रण ले लिया। उसने मेरी चूत और गांड चूस कर मुझे चार बार झाड़ने ने के बाद मुझे पलट कर मेरी गांड में अपना लंड घुसा दिया। मेरी चीख ने उसके लंड का स्वागत किया। अक्कू ने घंटे से भी ऊपर मेरी गांड की धज्जियां उड़ाने के और मुझे अनगिनत बार झाड़ने के बाद मेरी गांड में अपने लंड के रस के पिचकारी खोल दी।
मैंने अक्कू के अपने गांड के रस से लिपे लंड को चूस कर दो बार झाड़ा। अक्कू ने भी मेरी चूत और गांड को चूस कर मुझे के बार झाड़ कर मेरी गांड में अपना अतृप्य लंड जड़ तक ठूंस कर विध्वंसक चुदाई प्रारम्भ कर दी। फिर अक्कू ने मेरी गांड की तौबा मचा दी। जब तक अक्कू ने मेरी बेदर्दी से चुदी गांड में अपना लंड खोला तब तक मैं अनगिनत बार झड़ चुकी थी। जब अक्कू मेरी गांड में आया तब तक में होश खो बैठी थी।
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
अक्कू और मैं भाग कर घुसलख़ाने घुस गए। अक्कू ने चिल्ला कर कहा ,"दीदी इस बार मुझे भी आपका पेशाब से नहाना है। मैं खिलखिला कर हंस दी। अक्कू मेरी टांगों के बेच में बैठ गया और मैंने अपने गरम सुनहरी मूत की धार अक्कू के सर के ऊपर खोल दी। फिर अक्कू ने जो किया उस से मैं चकित रह गयी। अचानक अक्कू ने अपना मुंह खोल कर मेरे मूत्र से भर लिया और उसे मुस्करा कर सटक गया।
मैंने उसे झिड़की सी दी ," अक्कू तू कितने गंदी बात करता है। भला पेशाब भी पीने की चीज़ होती है ," पर मैं वास्तव में अक्कू की क्रिया से रोमांचित हो गयी थी।
मैंने अपनी धार अक्कू के मुंह से दूर कर उसके सीने पर केंद्रित कर दी ," दीदी , आपने अपना पेशाब चखा तो हैं नहीं।
आपको क्या पता की यह कितना स्वादिष्ट है। " अक्कू ने मेरी झिड़की को धराशायी कर दिया।
उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मेरे मूत्र की धार को एक बार फिर से अपने खुले मुँह की तरफ मोड़ कर अपना मुंह भर लिया और उसे लाळीचेपन से निगल गया।
मेरे सारे शरीर में रोमांच की सिरहन कौंध गयी ,"अक्कू तुम भी मुझे अपना मूत्र पीने दोगे?" मैं फुसफुसा के बोली।
अक्कू ने अपने मेरे पेशाब से भरे मुंह को हिला कर सहमती दे दी।
अक्कू मेरे सुनहरे गरम पेशाब से पूरा भीग गया था और उसने न जाने कितने बार मुंह भर कर पेरा पेशाब भी पी लिया था। अब मेरी बारी थी। अक्कू के लंड का फायदा मुझे अपनी गांड मरवाने के आलावा उस स्थिति में और भी लाभदायक हुआ।
मैंने अक्कू का लंड का सुपाड़ा अपने खुले मुंह में रख लिया। अक्कू की गर्म सुनहरी मूत्र के धार ने मेरे मुँह को दो क्षणों में भर दिया। मैंने उसे अपने मुंह में हिला कर गटक लिया। अक्कू सही कह रहा था। मुझे अपने छोटे भैया का सुनहरी मूत्र बहुत स्वादिष्ट लगा।
जब तक मैं दुबारा मुंह खोलूं अक्कू ने मुझे मूत्र स्नान करवा दिया। पर मैंने उसके लंड को अपने मुंह में भर कर मन भर अक्कू का मूत्रपान किया।
अक्कू से गांड मरवाने के बाद मुझे अपनी गांड बहुत भरी-भरी लगती थी। मैं जल्दी से कमोड पर बैठ गयी।
अक्कू से गांड मरवाने के बाद मेरी गांड में खलबली मच उठी थी। मुझे अपने मलाशय को खोलते हुए उसमें बहुत जलन और दर्द हुआ और मेरी हल्की सी चीख निकल गयी। पर मैं अक्कू के गंभीर चेहरे की ओर एक तक निहार कर मुस्कुरा दी, उसे आश्वासन देने के लिए।
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