Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:24 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
अक्कू ने मम्मी के लटकते गदराये उरोज़ों का मर्दन एक क्षण के लिए भी मन्दिम नहीं किया। मम्मी ने अपने नैसर्गिक भारी कोमल चूतड़ों को ऊपर नीचे पटक कर अक्कू के लंड से अपनी चूत के चुदाई निरंतर तीव्र करने लगीं। 

मेरी चूत के भीतर एक नन्हा मीठा सा दर्द और जलन भर चली थी। मैंने पापा के हाथों को अपने अविकसित कमसिन चूचियों के ऊपर और भी कस कर दबा दिया। पापा समझ गए और उन्होंने जिस बेदर्दी से मेरी दोनों नाज़ुक चूचियों को मसला और मड़ोड़ा उस से मेरी चीखें उबाल गयी। मेरे चूतड़ अविरत मेरी सूजी चूत को पापा के लंड के तनतनाते तने के ऊपर रगड़ रहे थे। 

मैं कुछ हे देर में चीख मर कर फिर से झड़ गयी। इस बार पापा ने मुझे रुकने नहीं दिया और मेरे चूचियों को जकड़ कर मुझे ऊपर नीचे कर कर मेरी चूत को अपने लंड पर रगड़ते रहे। 

मम्मी अब सिस्कारियां मार रहीं थीं ," उउन्न्न्न अक्कू बेटा और ज़ोर से मेरी चूत मारो।"

अक्कू ने अब इस नयी चुदाई की मुद्रा को समझ लिया था और उसने नीचे से अपने कूल्हों को उठा कर मम्मी की चूत अपने लंड मारने लगा। मम्मी और अक्कू ने अब एक अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली ले बना ली थी। 

जब मम्मी नीचे की ओर झटका मारती थी तब अक्कू अपने कूल्हों को पूरे ताकत से ऊपर की और धकेल देता था। अब मम्मी की यौनी से 'चपक-चपक' की मधुर अवाज़ें निकल रहीं थीं। 

मम्मी की सुबकाई अब और तेज़ हो गयीं, 'अक्कू, मैं अब आने वाली हूँ। उउन्न्नह अक्कू ऊ….. ऊ ……. ऊ ……ऊ ………। आन्न्न्न्न्ह्ह्ह अक्क ……. उउउउ …….. उउन्न्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह। "

मम्मी एक लम्बी चीख मर कर अक्कू के सीने के ऊपर ढलक गयीं। उनकी साँसे भारी और गहरी हो गयी थीं। अक्कू ने लपक कर मम्मी को अपने बाँहों में भर लिया और प्यार से उनके माथे पर से पसीने की बूंदों को चुम कर चाट लिया। 

मम्मी ने कुछ क्षणों बाद अक्कू को प्यार से चूमा, "मेरा बेटा कितनी काम उम्र में कैसा मर्द जैसा बन गया है?"

मम्मी की इस अलंकारिक विवेचना में गर्व, स्नेह और वात्सल्य कूट-कूट कर भरा हुआ था। 

"मम्मी प्लीज़ अभी और चोदिये प्लीज़ ," अक्कू ने बच्चों की तरह मम्मी से उलाहना किया। 

मम्मी ने भी माँ की तरह अपने आनंद को पूर्ण रूप से अंगीकार किये बिना फिर से अक्कू की इच्छानुसार उसके के लंड के ऊपर अपनी मोहक नैसर्गिक रेशम सी मुलायम चूत को फिर से कूटने लगीं। 

इस बार दोनों ने नादिदेपन तेज़ और भीषण चुदाई की। 

मैं अब फिर से झड़ रही थी। मैं निढाल हो कर पापा के सीने के ऊपर ढलक गयी। 

मम्मी और अक्कू ने हचक हचक कर उन्मत्त चुदाई करनी शुरू कर दी। 

मम्मे के चूतड़ बिजली के तेज़ी से अक्कू क लंड के ऊपर नीचे हो रहे थे। अक्कू भी लय में ताल मिला कर अपने चूतड़ों को सही समय पे ऊपर पटक कर मम्मी के चूत में अपना लंड जड़ तक धूंस देता था। मम्मी की सिस्कारियों में हल्की सी आनंदमयी पीड़ा की चीत्कार भी शामिल हो गयी। 

मम्मी कुछ मिनटों में ही फिर से चीख कर झड़ने लगीं ,"अक्कूऊऊऊ हाय मैं मर जाऊंगीं ऊऊह्ह्ह्ह अक्कूऊऊऊ उउउन्न्न्न्न आन्न्न्न्नग्ग्घ्ह्ह्ह्ह। "

मम्मी का सुहाना लाल चेहरा अब पसीने से नहा उठा था। 

मम्मी सुबकती हुई अक्कू के सीने के ऊपर ढुलक गयीं अकक्कु ने उन्हें बाँहों में जकड कर नीचे अपने लंड को मम्मी की चूत में पटकने लगा। 

"मम्मी मैं भी आने वाला हूँ आपकी चूत में। मम्मीईईईए मैं झड़ने ………," अक्कू ने ज़ोर की सिसकारी मार कर अपना लंड मम्मी की चूत में खोल दिया। 

मम्मी ने अपनी उर्वर कोख के ऊपर जैसे ही अपने बेटे की गरम जननक्षम वीर्य की फ़ुहार को महसूस किया वो फिर से झड़ गयीं। अक्कू , मुझे पता था, जब झड़ता है तो रुकने का नाम ही नहीं लेता। 

मम्मी और अक्कू एक दुसरे से लिपटे गहरी साँसों से भरे चुम्बनों की एक दुसरे के ऊपर बौछार कर रहे थे। 

"पापा आप भी मुझे चोदेंगे न ?" मैंने सुबक कर पापा से पूछा। 

"बिलकुल सुशी बेटा यदि तुमने अपना मन नहीं बदल दिया तो ," पापा ने मुझे चिढ़ाया। 

मैं मुड़ कर पापा से लिपट गयी। मैंने पापा के सुंदर चेहरे को अपने चुंबनों से गीला कर दिया। 

जब हमारा ध्यान मम्मी और अक्कू की तरफ गया तब तक अक्कू ने मम्मी को पलट कर बिस्तर पर लिटा दिया थे और उसका अतृप्य लंड पूर्ण तनतना कर मम्मी की चूत में धंसा हुआ था। 

"मेरे बेटे का अपनी माँ की चूत से अभी मन नहीं भरा ?" मम्मी की प्यार भरी गुहार में आकाश से भी विस्तृत वात्सल्य भरा हुआ था। 

"मम्मी पूरी ज़िंदगी में भी मन नहीं भरेगा," अक्कू ने मम्मी की सुंदर नासिका की नोक को काट कर कहा। 

अक्कू के वचन बिलकुल सत्य थे। आज तक मम्मी और अक्कू को कुछ हफ़्तों तक भी अलग रहना पड़े तो दोनों विचलित हो जातें हैं। 

"तो फिर अपनी माँ को भोगो न अक्कू। तेरी मम्मी अब सारी ज़िंदगी तू जब चाहे तेरे लिए समर्पित है ," मम्मी ने अपनी गुदाज़ भरी भरी बाँहों को अक्कू के गले का हार बना कर उसे अपने उरोज़ों के ऊपर जकड़ लिया। 

अक्कू ने मम्मी के मुंह के ऊपर अपना खुला मुंह दबा कर अपने लंड को सुपाड़े तक निकाल कर एक भीषण धक्के से जड़ तक मम्मी की चूत में ठूंस दिया। 

न चाहते हुए भी मम्मी की सुबकाई निकल गयी ," आह अक्कू कितनी बेदर्दी से अपनी माँ की चूत मरता है रे तू। "

मम्मी के शब्द उनके शरीर की प्रतिकिर्या को झुठला रहे थे। उन्होंने अपने चूतड़ों को बिस्तर से ऊपर उठा कर अपने बेटे के प्रचंड लंड का स्वागत सा किया। 

अक्कू ने जैसे वो बवंडर तूफ़ान की तरह मुझे गांड में चोदता था उसने उसी प्रकार की जानलेवा चुदाई प्रारम्भ कर दी। 
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02-10-2018, 12:24 PM,
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मम्मी के सिस्कारियां शुरू हुईं तो उन्होंने रुकने का नाम ही नहीं लिया। अक्कू के हर धक्के से मम्मी का सारा शरीर सर से पैर तक हिल उठा। 

"आअह अक्क्कूऊऊ ज़ोर से चोदो अक्कूऊऊऊ आअन्न्न्ह्ह आआह्ह्ह बेटाआआआआ ज़ोओओओओररर से चोदो मुझे। "

मम्मी अक्कू के धक्कों से बिलबिला उठीं पर उनके कामोन्माद की पराकाष्ठा वायु मंडल के भी दूर तक चली गयी। 

अक्कू ने अपने हाथो को बिस्तर पर टिका कर मम्मी की चूत का मर्दन स्नेह भरे निर्मम प्रचंड प्रहारों से जो प्रारम्भ किया उसके बाद उसने बिलकुल भी शिथिलता नहीं दिखाई। 

मम्मी अब अपने लाडले के हाथों में मोम की तरह पिघल गयीं। अक्कू जैसे चाहे मम्मी को तराश सकता था। 

अक्कू ने मम्मी को एक बार झाड़ा और फिर मम्मी की रति-निष्पति मानो एक लम्बी जंजीर बन गयी। 

जब अक्कू दुबारा मम्मी की चूत में झड़ा तब तक मम्मी अनगिनत अविरत चरमानंद के अतिरेक से अभिभूत हो बिस्तर पर निष्चल ढलक गयीं। 

मैं भी पापा के लंड के ऊपर अपनी चूत रगड़ते हुए अनेक बार चरम-आनंद की बौछारों से गीली हो गयी। 
मैं अपने अनगिनत चरम-आनन्दों की बौछारों से विचलित हो कर पापा से लिपट गयी। पापा ने दोनों उभरते उरोज़ों को अपने विशाल हाथों में भर कर मसलते हुए मुझे प्यार से चूमा। मेरे दमकते चेहरे पर पसीने की बूँदें फ़ैल गयीं थीं। रात की रानी की सुगंध हौले से कमरे में समा कर हमारे अगम्यगमनी सम्भोग के रस के महक से मिल गयी। 

अक्कू ने मम्मी के पसीने से चमकते सुंदर मुंह को चूम चूम कर और कर दिया। 

मम्मी ने मुस्करा कर कहा ,"मेरे लाडले का मूसल लंड अभी भी अपनी माँ की चूत में तनतना रहा है। अब अक्कू तू मेरे कर मुझे और चोद। "

मम्मी ने पलट कर अपना मांसल गदराया दैव्य सैंदर्य से भरा शरीर अक्कू के लिए पूरा खोल दिया। 

अक्कू ने मम्मी के गदराई जांघों को फैला कर अपना लंड मम्मी के मलाशय के छोटे से छेद पर लगा कर एक ज़ोर का धक्का मारा । 

"ह्ह्ह्य अक्कू कितने बेदर्दी से तुमने मेरी गांड में अपना मोटा लंड घुसा दिया ?" मम्मी के उल्हने में वात्सल्य, वासना की उमंग और अक्कू के सम्भोग-कौशल के लिए गर्व भी। 

अक्कू ने मुस्करा कर मम्मी के अध-खुले मीठे मुंह के ऊपर अपना मुंह दबा लिया और भीषण धक्कों से अपना पूरा लंड मम्मी के में जड़ तक ठूंस दिया। 

मम्मी बिलबिला उठीं पर उनकी चीखें अक्कू के मुंह में दब गयीं। 

मैंने तड़प कर पापा से कहा ,"पापा, अब मुझसे नहीं रहा जाता। प्लीज़ मुझे अब चोदिये। "

पापा ने मुझे प्यार से पलंग पर लिटा दिया और पलंग के पास की मेज पर राखी शीशी से द्रव्य अपने महाकाय लंड के ऊपर बूँद बूँद टपका कर उसे गोले के तेल से नहला दिया। मेरे शरीर और मन में सन्निकट पापा के विकराल लंड के आक्रमण के विचार से सनसनी फ़ैल गयी। ना चाहते हुए भी मेरे होंठों से मेरे मस्तिष्क में मचलते शब्द निकल गए ," पापा क्या मैं आपका इतना अपने चूत में ले पाऊंगीं 

? "

पापा ने मेरी गोल मांसल जांघों को पूरा फैला कर अपना लंड का अविश्विसनीय महाकाय सुपाड़ा मेरी कुंवारी अक्षतयोनी के तंग रति रस से लबलबाये संकरे द्वार के ऊपर टिका कर कोमलता से मुझे सान्तवना दी ," सुशी बेटा जितना लंड तुम आराम से ले पाओगी उतने से ही तुम्हे चोदूंगा। "

मेरे हृदय में हलचल मच उठी। मैंने अपने डर को दिखा कर पापा को मुझे मम्मी की तरह चोदने से संकुचित कर दिया। मैंने मन ही मन अपने को प्रतारणा दी और जल्दी से बोल उठी, "पापा मेरा वो मतलब नहीं था। मैं तो आपके आनंद के बारे में सोच रही थी। यदि आप मुझे मम्मी के समान नहीं चोद पाये तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। आप मुझे अपने पूरे लंड से चोदियेगा पापा, प्लीज़। यदि आपने अपना पूरा लंड मेरी चूत में नहीं डाला तो मैं आपसे कभी भी बात नहीं करूंगीं। 

पापा ने हलके से हंस कर मुझे कस कर चूमा , "मैं अपनी प्यारी बेटी को क्या कभी नाराज़ कर सकता हूँ। पर बेटा जब मैं लंड अंदर डालूँगा तो तुम्हे दर्द होगा। सुशी तुम अपने पापा को क्षमा कर दोगी न तुम्हे दर्द करने के लिए। "

"पापा, आप मुझे लड़की से स्त्री बना रहे हैं। पहली बार की चुदाई में दर्द तो होगा ही। उस दर्द में आपका मेरे लिए प्रेम भी तो मिश्रित होगा। आप मेरे दर्द की बिलकुल फ़िक्र न करें। " मैंने पापा के सुन्दर मुंह को चुम कर उन्हें उत्साहना दी। 

पापा ने अपना भारी विशाल शरीर से मेरा नन्हा अविकसित मुश्किल से किशोरावस्था के पहले वर्ष के विकास से भरा शरीर को धक दिया। 

पापा ने मेरे मुंह को अपने मुंह से दबा कर कर अपना महाकाय लंड का सुपाड़ा मेरी नन्ही कमसिन अविकसित चूत में दबाने लगे। मैं अपनी चूत को फैलता हुआ महसूस कर बिलबिला उठी। 

पापा ने मुझे अपने नीचे दबा कर निस्सहाय कर दिया था। मेरी चूत का संकरा गलियारा पापा के विकराल लंड के सुपाड़े के प्रभाव से फैलने लगा। पापा ने एक बेदर्द धक्के से पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में धकेल दिया। मेरी चीख मेरे रुआंसे मुंह से उबल पड़ी। 

मेरे नाख़ून पापा के बलशाली बाज़ुओं की त्वचा में गढ़ गए। पापा ने मुझे नन्ही बकरी के तरह दबोच कर एक और भीषण धक्का मारा। उनका विशाल अमानुषिक लंड के कुछ इंच मेरी चूत में उस तरह प्रवेश हो गए जैसे मस्त हाथी गन्ने के खेत में घुस जाता है। मैं दर्द के अधिकाय से बिलबिला उठी। मेरी आँखों में गरम आंसू भर गए। मेरी चीख पापा ने मुंह में भर गयी। 
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02-10-2018, 12:24 PM,
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पापा का भीमकाय सुपाड़ा मेरे कौमार्य के यौनिच्छिद के ऊपर ठोकर मार रहा था। पापा ने मुझे कस कर दबा कर एक और दानवीय धक्का मारा और मैं दर्द के आधिक्य से लगभग मूर्छित हो गयी। मुझे लगा मानो मेरी नन्ही चूत में किसी ने एक तपता हुआ लोहे का खम्बा घुसा दिया हो। 

मेरे शरीर में दर्द से भरी अकड़न ने मेरे कौमार्य-भांग की पीड़ा को और भी उन्नत कर दिया। 

मैं खुल कर दर्द से चीख भी नहीं पा रही थी। पापा ने मेरे कौमार्य की धज्जियां उड़ा दी। मैं दर्द से बिलबिला रही थी और मुझे पता भी नहीं चला और पापा ने निरंतर निर्दयी धक्कों से अपना आधे से भी ज़्यादा लंड मेरी नहीं चूत में ठूंस दिया था। पापा ने मुझे उतने लंड से ही चोदना शुरू कर दिया। मेरी आँखे दो नदियों की तरह बह रहीं थीं। मेरे सुबकाईयां पापा के मुंह में थिरक रहीं थीं। मुझे लगा की पापा का लंड मेरी जान ले लेगा। 

पापा ने मुझे निर्ममता से अपने विशाल शरीर के नीचे दबा कर अपने अमानुषिक लंड के प्रहारों से बोझिल कर दिया। पापा का लंड मेरी तड़पती चूत को छोड़ने के लिए व्याकुल था। पापा ने अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से मेरी चूत के ऊपर आक्रमण किया। मेरा सारा शरीर मेरे कौमार्य-भंग की पीड़ा से पसीने से नहा गया। मेरा मस्तिष्क मेरी योनि में से उपजे अविश्विसनीय पीड़ा से लस्त हो उठा। मेरे आँखों से अविरत गरम आंसूओं की धारायें बह रहीं थी। 

पापा ने दृढ़ संकल्प से एक भीषण धक्के के बाद दुसरे निर्मम धक्कों से मेरी चूत में अपना सम्पूर्ण विकराल लंड जड़ तक ठूंस दिया। मेरे सुबकाईयां मेरे दर्द की गवाही दे रहीं थीं। मेरी उम्र की कई लडकियां तो लंड के मारे में सोच भी पातीं जबकि मैं अपने पापा के महाकाय लंड के ऊपर फसी तड़प रही थी।

पापा ने मेरे आंसुओं की उपेक्षा कर अपने विशाल लंड से मुझे चोदने लगे। 

मेरी चूत में मानों आग जल उठी। मेरी नहीं चूत अभी भी पापा के महाकाय लंड को सँभालने में असमर्थ थी। पर पापा संकल्प से अपने लंड से मेरी चूत को खोलने के प्रयत्न में सलग्न हो गए। पापा ने मेरे तड़पने को अनदेखा कर अपने लंड को धीरे धीरे पर दृढ़ता से मेरी चूत में से बाहर निकाल कर उसे फिर से मेरी संतप्त योनि में जड़ तक घुसेड़ रहे थे। 

न जाने कितने समय के बाद अचानक पापा का लंड मेरी चूत में बहुत आराम से आवागमन करने लगा। मेरी चूत में अब भीषण दर्द की जगह अब बर्दाश्त करने जैसा दर्द हो रहा था जिसमे एक मीठापन भी मिश्रित हो गया था। 
पापा ने मेरे लाल वासना और दर्द से दमकते चेहरे को अपने विशाल हाथों में भर कर मेरे अधखुले सुबकते मुंह को अपने मुंह में भर लिया। उनके भारी मीठे होंठ मेरे फड़कते नाज़ुक होंठों को चूसने लगे। मैंने सुबकते हुए पापा को वापस चूमा। 

पापा ने अपना वृहत लंड मेरी चूत से निकाला। उनका विशाल लंड मेरे कौमार्य-भांग के प्रमाण के रस से लाल हो गया था। 

पापा ने एक लम्बे धक्के से अपना लंड एक बार फिर से मेरी संकरी कुछ क्षणों पहले कुंवारी योनि में जड़ तक ठूंस दिया। मैं बिलबिला कर फिर से सुबक उठी। मेरी नन्ही बाहें पापा के गले का हार बन गयीं। 

पापा ने अब बिना रुके मेरी चूत का मर्दन प्रारम्भ कर दिया। उनका अमानुषिक विकराल लंड मेरी चूत को मथने लगा। पापा के भारी कूल्हे हर धक्के के बाद और भी प्रयत्न और तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगे। उनके कूल्हों की ताकत उनके प्रचंड लंड को मेरी चूत में अविरल क्षमता से गूंद रही थी। 

"पापा ……. हाय ……….. बहुत …….. आअन्न्न्न्ह्ह्ह्ह …….पाआआ ………. पाआआ उउउन्न्न्न ……… मर्र्र्र्र गयीईई ………….. पाआआ ………………पाआआ ," मैं वासना, पीड़ा और पापा की ओर आदर के मिश्रण से बिलखती चीख उठी। 

पापा ने मेरी अपरिपक्व अभिभावों की उपेक्ष्ा कर मेरी चूत का मर्दन और भी भीषण धक्कों से करने लगे। 

मेरी सुबकाईयां शीघ्र सिस्कारियों में बदल गयीं। मेरी चूत में अब अनोखा दर्द हो रहा था। ऐसे दर्द का अनुभव मुझे मेरी गांड में भी हुआ था जब अक्कू ने मेरी कुंवारी गांड का लतमर्दन किया था। 

मेरी आँखे मम्मी और अक्कू की सिस्कारियों को सुन कर उनकी तरफ मुड़ गयीं। अक्कू मम्मी की मांसल भारी जांघों को उनके कन्धों की ओर मोड़ कर उनकी गांड भीषण निर्मम धक्कों से मर्दन कर रहा था। अक्कू के हर धक्के से मम्मी का सारा गदराया शरीर हिल उठता था। उनके भारी विशाल स्तन हर धक्के से हिल उठते थे। जब तक मम्मी के उरोज़ स्थिर हो पाते अक्कू का दूसरा धक्का उनको फिर से इतनी ज़ोर से हिला देता था मानों वो उड़ान के लिए तैयार थे। 

मम्मी की सिस्कारियां संगीत के स्वरों की तरह रजनीगंधा की सुगंध की तरह कमरे में फ़ैल गयीं। 

मम्मी सिसक कर चरम आनंद के प्रभाव से विहल हो कर चीखीं ,"अक्कू और ज़ोर से मेरी गांड चोदो। मैं फिर से झड़ने वालीं हूँ। 

अक्कू ….ऊ…… ऊ…… ऊ। आआह……. बेटाआआ……..। "

मेरा ध्यान मेरे अपने रति-निष्पति के अतिरेक से अपनी चूत पर केंद्रित हो गया। मेरी बाहें पापा की गर्दन पे जकड़ गयीं, 

"पापाआआआ ……... आआअह ………… उउउन्न्न्न्न्न ………. मैं आआअह ………. पापाआआ……….। "

पापा का लंड अब फचक फचक की आवाज़ें बनाता हुआ मेरे चूत को रेल के इंजिन के पिस्टन की तरह रौंद रहा था। 

मम्मी पापा का कक्ष मेरी और मम्मी की सिाकारियों से गूँज उठा। हम दोनों की सिस्ज्कारियों में कभी कभी पापा और अक्कू की गुरगुराहट भी संगीत के सांगत की तरह शामिल हो जातीं थीं। 

अगले घंटे तक तक मेरी सिस्कारियां और आनंद भरे दर्द के सुबकाइयों ने मेरे कानों को भर दिया। जब अक्कू ने मम्मी की गांड में अपना लंड खोला तो उनकी चीख निकल उठी और वो एक बात फिर से झड़ गयीं। 
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02-10-2018, 12:25 PM,
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पापा ने मुझे झाड़ने के बाद अपने अमानवीय लंड के गाढ़े सफ़ेद जननक्षम वीर्य के बारिश से मेरी अविकसित चूत गर्भाशय को

सराबोर कर दिया।

मैं अचानक फिर से झड़ गयी और इस बार के रति-निष्पति के आधिक्य से मैं लगभग मूर्छित हो गयी। 



उस रात पापा ने मेरी गांड बड़ी देदर्दी से मारी। मैं पहले दर्द सी बिलबिला गयी पर वो मीठी आग में बदल गया। मम्मी ने

अक्कू और पापा के लंड इकट्ठे लिए, एक गांड दूसरा चूत में। उनके उफ़्फ़नते आनंद को देख कर मुझे जूनून चढ़ गया। जब पापा

का वृहत लंड मेरी चूत में समां गया तो अक्कू ने अपना लंड निर्ममता से मेरी गांड में जड़ तक ठूंस दिया। मैं दर्द से चीख उठी

पर पहले की तरह कुछ देर में मेरे दर्द की लहर आनंद की बौछार में बदल गयी।

उस रात पापा और अक्कू ने मम्मी मुझे सारी रात चोदा ।

उस दिन के बाद से शाम को स्कूल से आने के बाद जब हम दोनों स्कूल का कार्य निबटा लेते थे तब पापा मुझे जम कर चोदते

और मम्मी अक्कू से चुदवातीं थीं। रात को भोजन के बाद हमेशा की तरह अक्कू और मैं रात सोने से पहले घनघोर चुदाई करते

थे।

कुछ सालों में स्कूल हमारी दोस्ती इन महाशय से गयी, बुआ ने छोटे मामा को प्यार से चूम कहा , और फिर हमें पता चला कि

हमारी तरह एक और परिवार समाज के तंग प्रतिबंधों से मुक्त था। सुनी ( सुनीता, मेरी मम्मी), रवि भैया और आप अपने मम्मी

और डैडी के साथ पूर्ण रूप से हर आनंद में सलंग्न थे।

उसके बाद कहानी तो आप दोनों को खूब अच्छे से पता है।

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मैं दरवाज़े से लगी संस्मरण सुन कर न जाने कितनी बार झड़ चुकी थी। मेरी उँगलियों ने मानों अपने आप बिना मेरे निरणय के

मेरी चूत को सारे समय मठ दिया था। मैंने बिना सोचे अपने रति सराबोर लिसलिसी उँगलियों को अपने मुंह में डाल लिया और

मेरा मुंह मेरे रस की मिठास से भर गया। मैं मानसिक और शारीरिक शिथिलता से ग्रस्त हो चली थी। मैं व्यग्रता से अपने कमरे की

ओर भाग गयी। कमरे में पहुँचते ही मैंने अपने वस्त्र उत्तर कर बिस्तर में निढाल लुढ़क गयी। बिना एक क्षण बीते मैं निंद्रा देवी

गहन गोड में समा गयी।

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सारी रात मुझे एक के बाद एक वासना में लिप्त सपनों ने घेरे रखा। सारे स्वप्नों में मैं परिवार के एक या दुसरे सदस्य के साथ

सम्भोग में सलंग्न थी। आखिर के सपने में सुशी बुआ ने मुझे अपनी बाँहों में जकड रखा था और वो भी निवस्त्र थीं। 

"अरे प्यारी भतीजी जी अपनी बुआ के लिए अब तो ज़रा से अपने चक्षुओं को खोल दीजिये ," बुआ वास्तव में निवस्त्र

मुझे अपनी बाँहों में भरे हुए मुझे प्यार से चूम रहीं थीं।

मैंने शर्म से अपने लाल जलता हुआ मुंह बुआ के विशल मुलायम स्तनों के बीच छुपा लिया। बुआ ने मेरा मुंह ऊपर उठा

कर मेरे जलते होंठों पर अपने कोमल होंठ रख कर हौले से कहा , "अच्छा यह बताओ कल हमारे परिवारों की घनिष्ठता

की कहानी सुन कर तुम कितनी बार झड़ी थीं। "

मेरे आश्चर्य से खुले मुंह का लाभ बुआ ने उठाया और उनकी मीठी जीभ मेरे सुबह सवेरे के मुंह में प्रविष्ट हो गयी।

मेरी बाँहों ने भी स्वतः बुआ को घेर लिया। मैंने भी बुआ के जीभ से अपनी जीभ भिड़ा दी। बुआ की मीठी लार जैसे ही

मेरा मुंह भर देती मैं उसे सटक जाती। बुआ और मैं गहन भावुक चुम्बन में पूर्णतया सलंग्न हो कर हलके हलके 'उम' 'उम'

की आवाज़ें बनाते हुए एक दुसरे के सुबह के अनधुले मुंह के स्वाद के लिए

तड़प रहे थे।

आखिर बुआ ने मेरे पूरे मुंह को अपनी जीभ से तलाश कर संतुष्टि से मुझे हलके से चूमा।

"बुई आपको कैसे पता चला कि मैं दरवाज़े पर थी ?" मैंने बुआ पीठ हांथों से सहलाया।

"अपने बच्चों के लिए माँ की छठी इंद्री बहुत तीक्षण होती है ," बुआ ने मेरी नाक की नोक को चूमते हुए मुझे और भी

कास कर पकड़ लिया, "नेहा अब तो मुझे तुम्हारे सुबह के मीठे मुंह के स्वाद की आदत पड़ जाएगी। "

मैंने शरमाते हुए बुआ से कहा , "आप जब चाहें," फिर मुझे रात की एक बात याद आयी , "बुआ क्या दोनों मामा ने

आपको एक साथ उम.... चो.... चोदा ?" आखिर में 'च' शब्द मेरे मुंह से निकल ही गया।

"नेहा एक बार नहीं तीन बार। मेरी चूत और गांड दोनों के वीर्य से है। तुम्हारा मन हो तो मैं …… ," बुआ के अधूरे

प्रस्ताव से ही मेरी चमकती आँखे और अधखुले लालची मुंह ने मेरी तीव्र इच्छा का विवरण बुआ को दे दिया।

बुआ अंजू भाभी की तरह अपने दोनों घुटने मेरे दोनों ओर रख कर पहले रेशमी झांटों ढकी मेरे दोनों मामाओं सनी

चूत तो खोल कर मेरे खुले मुंह के ऊपर रख दिया। धीरे धीरे उनकी महकती चूत से लिसलिसी गाढ़ी धार मेरे खुले मुंह

में टपकने लगी। मैंने भी बुआ के चूत के कोमल सूजे भगोष्ठों को चूम कर उनके मोटे लम्बे भगशिश्न को जीभ से कुरेद

दिया। जब मैंने बुआ की चूत से सारा खज़ाना चाट लिया तो उन्होंने अपनी दूसरी गुफा के को मेरे मुंह के ऊपर। बुआ

के भारी विशाल गोरे नितिम्बों के बीच उनकी नन्ही सी गुदा का छिद्र उनके ज़ोर लगाने से खुल गया। उनकी अनोखी

मनमोहक सुगंध ने मुझे भावविभोर कर दिया। बुआ ज़ोर लगा कर अपनी मलाशय से गाढ़े वीर्य की लिसलिसी धार आखिर

में मेरे मुंह की ओर प्रवाहित करने में सफल हो गयीं। दोनों मामा के वीर्य का रंग और सुगंध बुआ की गांड के रंग और

सुगंध से मिल कर और भी मोहक हो गया था।

मैंने जितना भी खज़ाना बुआ की गांड से मिल सकता था उसे लपक कर चाट लिया और धन्यवाद के रूप में गांड को

अपनी जीभ लगी। बुआ की सिसकारी ने मुझे और भी प्रोत्साहित कर दिया कर दिया ।

बुआ जल्दी से मुड़ीं और शीघ्र वो मेरे ऊपर लेती हुईं थीं। अब उनका मुंह मेरी गीली चूत के ऊपर था। मैंने दोनों हाथों से

बुआ के प्रचुर नितिम्बों को जकड कर उनकी रसीली चूत ऊपर अपना मुंह दबा दिया। बुआ ने अपने होंठों में मेरे कोमल

छोटे भगोष्ठों को कस कर पकड़ कर चूसने लगीं। उनके मीठा दर्द हुआ और मैंने भी उनके बड़े मोटे भग-शिश्न को हौले

से दाँतों से चुभलाने लगी। हम दोनों की सिस्कारियां एक दुसरे को प्रोत्साहन सा दें रहीं थीं। मैंने अपने दोनों घुटने मोड़

कर फैला दिए जिस से बुआ को मेरी चूत और गांड और भी आमंत्रित कर रही थी। मैं अब बुआ के चूत की संकरी गुफा

को चोदने लगी। बुआ ने भी अपने एक गीली उंगली हलके से मेरी तंग गांड में सरका दी और ज़ोर से मेरे भग -शिश्न को

चूसने, चूमने और अपनी जीभ से चुभलाने लगीं।

उनकी देखा देखी अपनी तर्जनी बुआ की गांड में जोड़ तक डाल दी। अब हम दोनों एक दुसरे की गांड अपनी उंगली से

मार रहे थे और अपने मुंह से एक दुसरे मठ थे।

हम दोनों पहले से ही बहुत उत्तेजित थे। कुछ मिनटों में हम लगभग इक्कट्ठे हल्की से चीख मार झड़ने लगीं। बुआ कुछ

अपनी साँसे सँभालते हुए फिर से मुड़ कर मुझे बाँहों में ले कर लेट गयीं।

"नेहा बिटिया , अब तो तुम्हारा सारा परिवार तुम्हारे प्यारे सौंदर्य के प्रसाद के लिए उत्सुक है ," बुआ ने मेरे मुंह को

चूमते हुए कहा। हम दोनों का रति रस एक दुसरे के मुंह के ऊपर लिसड़ गया।

"बुआ , मुझे शर्म आती है ," मारी लज्जा अभी भी मुझे रोक रही थी।

"अरे बड़े मामा के हल्लवी लंड को तो कूद कूद के लेने से नहीं हिचकिचाई अब शर्म किस बात की ?" बुआ ने मेरी

सारी नाक अपने मुंह में ले कर उसे चूमने और काटने लगीं।

"बुआ मैं बड़े मामा के बाद किस के पास जाऊं ?" मैंने आखिर अपनी ईच्छाओं के लिए अपनी लज्जा को समर्पित

करने का निर्णय ले लिया।

"नेहा बेटी निर्णय तो तुम्हारा है पर जब तुमने पूछा है शायद नानाजी को तुम्हारा इंतज़ार बहुत दिनों से है ," बुआ ने

मेरे दोनों कस कर कहा।

मैं ने शरमाते हुए सर हिला दिया।

"पर अभी सिर्फ मेरी हो ," बुआ ने प्यार से दांत किचकिचाते हुए मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
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02-10-2018, 12:25 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
हम दोनों कुछ शयन कक्ष से लगे स्नानगृह में। गुसलखाने में बुआ ने फुसफुसा कर कहा , "नेहा बिटिया अपने बुआ को

अपना मीठा प्रसाद नहीं दोगी जिसके स्वाद के तुम्हारे बड़े मामा पुजारी बन गए हैं। "

मैं बुआ का तात्पर्य शर्मा गयी , "जरूर बुआ पर मुझे बिना रोके-टोके पूरा प्रसाद देंगीं। " मैं हल्की से मुस्कान शर्त रख

दी।

बुआ ने भी मुस्करा कर हामी भर दी। पहले मेरी बारी थी। बुआ ने बिना एक बूँद खोये मेरी पूरी सारा सुनहरी गर्म भेंट

सटक ली। उनके चेहरे पर एक अनोखी संतुष्टी थी। मैंने भी नदीदेपन से बुआ की गीली खुली चूत पर मुंह लगा कर

उनका मोहक सुनहरा प्रदार्थ बिना हिचके घूंट घूंट लिया।

फिर हम दोनों ने एक दुसरे को नहलाया। बुआ ने एक बार फिर से अपनी उँगलियों से मुझे झाड़ दिया।

नाश्ते की मेज पर हमेशा की तरह चुहल बाजी एक शुरू हुई तो धीमे होने का नाम ही नहीं लिया। सबकी बारी लगी।

नेहा नंबर आया तो बुआ ने मोर्चा संभाला, "भाई नेहा ने नानाजी का भरपूर ख्याल रखने का वायदा किया है। "

दादाजी ने हँसते हुए कहा ,"इसका मतलब है नेहा बेटी अपने दादा जी को बिलकुल भूल जाएगी ?"

बुआ जी ने हंस कर कहा , "पापाजी नेहा बहुत समझदार है। मुझे विश्वास है वो आपका ख्याल जितना रखेगी। नहीं

नेहा बेटी? "

मेरे शर्म से लाल मुंह को देख कर सब हंस दिए।

उसके बाद सबने टीम्स बना कर टेनिस का टूर्नामेंट खेलने का निर्णय बनाया। अंतिम चरण [फाइनल] में मैं और छोटे

मामा की टीम का मम्मी और नानाजी की टीम से मुकाबला था। मैं और छोटे मामा बड़ी मुश्किल से मम्मी और नानाजी

पाये।

हम सब पसीने से भीग गए थे। नानाजी ने मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया। जब मैं खिलखिला कर हंस दी और बोली

,"नानू अब मैं छोटी बच्ची तो नहीं हूँ। "

नानाजी ने मेरे पसीने से भीगे शरीर को अपने उतने ही गीले शरीर से कस कर बोले ," नेहा बेटी नानू और दादू के

लिए तो तुम हमेशा बच्ची हे रहोगी। पर हमें कब दिखाओगी की तुम कितनी बड़ी हो गयी हो ?"

नानाजी के मीठे छुपे तात्पर्य से न चाहते हुए भी शर्मा गयी। मैंने अपना मुंह नानू की गर्दन में से कहा , "जब आप चाहें

नानू। "

नानू ने मेरी पीठ सहलाते हुए कहा , "आज रात्रि के भजन के बाद हम दोनों तुम्हारा पूराना खेल क्यों नहीं खेलते ?"

मैं और शर्म से लाल हो गयी। नानाजी मेरे बचपन के जिस खेल का ज़िक्र कर रहे थे उसका नाम 'डंडी कहाँ छिपायी '

था। यह खेल गोल छोटी डंडी को बोर्ड के छेद में छिपा कर दुसरे खिलाड़ी के अनुमान के ऊपर आधारित था। जब सही

अनुमान होता तो उस छेद पर लिखे अंकों को उस खिलाड़ी खाते में जोड़ दिया जाता था। यह खेल बहुत छोटे बच्चों

के लिए बना था जिस से उन्हें गड़ना आ जाए। नानू और दादू जब मैं तीन चार साल थी तो हम वो खेल बहुत खेलते थे।

"जैसा आप चाहें नानाजी, " सांसें तेज हों गयीं। मैंने नानू को कस कर पकड़ लिया।

************************************************

दोपहर के भोजन के ठीक उपरांत डैडी और दोनों मामा के गहरे दोस्त का फोन आया। कुछ मेरी सहेली शानू फोन पर

उलाहने दे रही थी। शानू, यानि शहनाज़, मुझसे एक साल छोटी थी। जो परिवर्तन मुझमे किशोरावस्था के सालों ने

किया था वो शानू में सिर्फ दो सालो में आ गया था।

"नेहा साली आप की शादी में नहीं आयी इम्तेहान के वजह से पर अब तो आ जा। आपा और भैया मधुमास [हनीमून] से

वापस आ गए हैं। नसीम दीदी तुझे कितना हैं। " शानू मेरी गिनी चुनी दोस्तों में से है जो खुल कर मुझे गालियां दे

सकती है।

"शानू, यार मेरा मन भी बहुत कर रहा है पर आज शाम को मुझे ज़रूरी काम है। मैं कल सुबह आ जाऊंगीं। " मैंने

बिना सोचे नानू के साथ हुए वायदे को अत्यंत महत्व दे दिया।

"अबे साली तू अब मेरे दिल और दीदी के दिल को तोड़ रही है। ज़रूरी काम है यह। मैं कुछ नहीं सुनने वाली,

तैयार हो जा और अंकल को बोल ड्राइवर को तैयार कर दें, " शानू अब पूरे प्रभाव में थी।

बुआ जो पास हीं थीं बोलीं ," नेहा शानू का दिल नहीं तोड़ो। तैयारी कर देंगें। "

मैंने फोन के ऊपर हाथ रख कर धीरे से कहा ," बुआ आज मुझे नानू का ख़याल रखना था। "

बुआ ज़ोर से हंस दी ," डैडी यदि मैं आपका ख्याल रखूँ तो आप नेहा को जाने देंगें न ?"

नानू भी हंस दिए , "नेहा बिटिया दोस्ती बहुत मत्वपूर्ण होती है। सुशी को मेरा ख्याल रखना अच्छे से आता है। "
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02-10-2018, 12:26 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
मैं शर्मा गयी और हड़बड़ाहट में जल्दी से शानू से बोली , " ठीक है। मैं वहां पहुँच जाऊँगी। "

शानू ने अपने विशिष्ट अंदाज़ में कहा, "और सुन यदि तूने एक हफ्ते से पहले वापस जाने को बोला तो मुझसे कुट्टी ," मैं अब बेबस थी। 



बुआ ने मेरी तैयारी में मदद की, "नेहा बेटी तुम्हें ज़रूरी काम करना पड़ेगा। अकबर भैया बहुत अकेले पड़ गएँ हैं। शब्बो

दीदी भी बहुत अकेली हैं। "

अकबर अंकल विधुर हैं और उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को अपनी बहिन शबनम आंटी की मदद से पाला पोसा। शबनम

आंटी भी विधवा हैं। उनके इकलौते बेटे आदिल की शादी नसीम दीदी से उन दोनों के प्यार को देख कर हुई थी।

"तुम्हारा जादू यदि उस परिवार पर चल गया तो उनकी खुशी कई गुना बड़ जाएगी। मैं अचानक बुआ की योजना को

समझ गयी।

"बुआ मैं अकबर अंकल से सीधे सीधे कैसे बात कर पाऊंगीं ?" मैं सीख रही थी पर अभी भी बुआ जितनी चतुर नहीं बन

पाई थी।

"अकबर भैया और तुम्हारे दोनों मामा और मैंने कई बार इकट्ठे सम्भोग किया है। अकबर भैय्या का किसी को तो ध्यान

रखना था ना ! पर शब्बो दीदी का प्यार उनके दिल में ही घुट कर रह जायेगा। जब तुम अकबर भैया को अकेला पाओ तो

पाओ तो उनको कहना कि तुम्हे मैंने उनका ख्याल रखने के लिए कहा है। यदि इस से उन्हें सब समझ नहीं आया तो मुझे

कहना," बुआ ने मुझे जादू की चाभी थमा दी - अकबर अंकल के लिए उनका निजी खत।

*************************************

अकबर चाचू का घर शहर से बाहर था। दो घंटों में ड्राइवर ने उनके विशाल भवन के सामने गाड़ी रोक दी। शानू बाहर

ही मेरा इंतज़ार कर रही थी।

शानू का शरीर पहले से भी और भर गया था। उसके गदराया शरीर मेरी तरह ही उस से कई साल बड़ी लड़कियों को

शोभा दे सकने दे सकने के लायक था। हम दोनों को देख कर कई लोग हमें हमारी वास्तविक उम्र से कई साल बड़ा

समझते थे। शानू मेरे से ग्यारह महीने छोटी थी। मैं तब किशोरावस्था के दो साल पूरे कर चुकी थी। शानू तब दुसरे साल के

प्रारम्भ में थी। मैंने दसवीं पूरी कर ली थी और शानू ने दसवीं में प्रवेश किया था।

हम दोनों दौड़ कर एक दुसरे से लिपट गए और बिना वजह के दोनों रूआँसे हो गए।

शानू और मैं जल्दी से शानू के कमरे की ओर दौड़ पड़े। घर के नौकरों और ड्राइवर ने सामान संभल लिया।

"शानू सब लोग कहाँ हैं ?" मैंने शानू को अपने से अभी तक जकड़ रखा था।

"अब्बु अभी काम पर हैं. मैंने उन्हें फोन नहीं किया। शाम को उन्हें सरप्राइज़ देंगें। नसीम आपा की दोस्त की मम्मी बीमार हैं

सो उनकों न चाहते हुए भी शहर जाना पड़ा। आदिल भैया टेनिस से वापस आने वालें हैं। "

"अरे अभी भी तू आदिल भैया को अभी भी भैया कहती है। अब तो वो जीजू हैं। मेरे भी और तेरे भी। अरे अब तो तू और मैं

उनकी आधी घरवाली हैं। उनका हम दोनों पर पहला हक़ है और वो जब चाहें उस हक़ से हमें अपना सकते हैं ," मैंने शानू

के गुलाबी होंठों को चुम कर उसे ताना दिया।

"नेहा मैं क्या करूँ ? मेरे मुंह से इतने सालों की आदत की वजह से भैया ही निकल पाता है, " शानू ने भी मुझे चूमा और

फिर खिलखिला के हँसते हुए बोली , "तुझे तो मैं बता सकतीं हूँ कि नसीम आपा भी जब भैया ….. मेरा मतलब है जीजू

जब उनकी जम कर चुदाई करतें हैं तो वो भी भूल जातीं हैं कि आदिल भैया उनके खाविंद हैं और 'भैया और ज़ोर से

चोदो, भैया चोदो मुझे ' चीख पड़ती हैं। "

"खैर अब मैं आ गयीं हूँ। तुझे जीजू का पूरा ख्याल कैसे रखतें हैं सीखा कर जाऊंगीं ," मैंने शानू ने भरी उभरे नितिम्बों

को कस कर दबाया।

"तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुझे सब पता है ," शानू ने जवाब में मेरे भरे पूरे नितिम्बों को मसल दिया।

मैंने भेद भरी मुस्कान कायल कर दिया और उसे सारी कहानी विस्तार से सुना दी। मैंने उस से कुछ भी नहीं छुपाया।

शानू भौचक्की रह गयी और फिर मुझे लिपट गयी और हम दोनों खुशी से रो पड़े।

शानू सुबक कर बोली, " हाय रब्बा रवि और सुरेश चाचू ने तुझे बिलकुल भी नहीं बक्शा ? उनके मोटे लण्डों ने तेरी चूत

या गाड़ फाड़ दी होती तो क्या होता ?"

"मेरी प्यारी शानू यह ही तो सम्भोग का आनंद है । बड़े मामा और सुरेश चाचू के हाथी जैसे लंड लेने में मेरी तो जान ही

निकल गयी। पर जितना भी दर्द हुआ और मैं जितना भी बिबिलायी पर जितना आनंद उनके लंड को अपने भीतर लेने में

आता है उसके आगे वो दर्द कुछ भी नहीं है। नम्रता चाची जैसे कहतीं हैं कि जब तक लड़की के चूत या गांड मरवाते समय

चीख ने निकले तो लंड की इज़्ज़त खतरे में है। " मैंने शानू के फड़कते नथुनों को चूम कर उसे कस कर जकड लिया।

जब हम दोनों शांत हुए तो मैं बोली , "जीजू कब आने वाले हैं ?"

शानू ने लाल गीली आँखों से मुस्करा कर कहा , "शायद आने वालें ही होंगें। "

"तो फिर तैयार हो जा, " मैं उसके उभरते उरोज़ों को मसल कर कहा , " आज तेरी चूत का उद्घाटन होने वाला है जीजू के

लंड से। "

"हाय नेहा नसीन आपा ख़ूबसूरत हैं और भ........ आईय़ा …… जीजू इतने हैंडसम हैं मैं तो बच्ची जैसी दिखती होंगी

उनको । तू उनको तो बड़ी आसानी से फंसा सकती है ," शानू के दिल की पुकार उसके बेचैन आंदोलित मस्तिष्क के

ऊपर काबू पाना चाह रही थी।

"अच्छा अब बकवास बंद कर और जल्दी से कपडे बदल ले। आज तेरी चूत का उद्घाटन जीजू के लंड से ज़रूर होगा। तू

चाहे या न चाहे। ," मैंने शानू को खींच कर बिस्तर से उतारा।

******************************************

शानू और मैंने तंग टी शर्ट और छोटे शॉर्ट्स पहन लिए। हालांकि शानू और मैं किशोरावस्था के द्वार से एक और दो साल

ही दूर थे पर उस समय किसी ऋषि का मन भी डाँवाँडोल हो जाता।

जब आदिल भैया मेरा मतलब जीजू दाखिल हुए तो मेरी भी सांस रुक गयी। जीजू उस समय बाईस साल के थे और छह

फुट से ऊंचे गोरे सुंदर और बहुत मांसल हो गए थे। भैया पसीने से नहाये हुए थे हुए थे। मुझे देख कर उनकी खुशी रुक

नहीं पा रही थी। मैं दौड़ कर उनकी बाँहों में समा गयी।

"आदिल भैया, आदिल भैया ," मैं खुद शानू को दी हुई सलाह को भूल गयी।

जीजू ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर हवा में उठा लिया, "ऊफ़ मुझसे गलती हो गयी। अब तो आप मेरे जीजू हैं, " मैंने

इठला कर आदिल भैया को चुम लिया।

"नेहा अब तुम शानू को समझाओ ना ," आदिल भैया ने मुझे कस कर भींचा और खुद फिर से मेरे होंठों को चूम लिया।

जैसे ही आदिल भैया ने मुझे नीचे रखा मैंने शानू को उनकी तरफ धकेला , "जीजू अब चलिए अपनी दूसरी साली को भी

किस कीजिये। "

आदिल भैया ने शर्माती शानू को बाँहों कर और बोले, "एक बार तो जीजू बोल दो शानु। "

"जीजू ," शानू ने शरमाते हुए फुसफुसाया। और दुसरे ही क्षण आदिल भैया के होंठ शानू के होंठों से चिपक गए।

आदिल भैया ने हांफती हुई कमसिन शानू को नीचे उतारा और बोले , "मैं जल्दी से नहा कर तैयार होता हूँ फिर बाहर खाने

चलते हैं। "

"जीजू अब आपकी दो दो सालियां है। नहाने में मदद की ज़रुरत हो तो हमें बुला लीजियेगा ," मैंने इतराते हुए कहा।

आदिल भैया की आँखों ने सच बोल दिया और उन्होंने ने हम दोनों को घूर कर देखा, "सच में शायद मुझे मदद की

ज़रुरत पड़ ही जाये। "

शानू और मैं शर्म से लाल हो गए। मैंने भैया को अपने कमरे की ओर जाता देखा।

"शानू की बच्ची यह ही मौका है ," मैंने शानू को जगाया। वो बेचारी आदिल भैया को लाचार प्यार भरी निगाहों से दूर जाते

हुए घूर रही थी।

हम दोनों ने पांच मिनट इंतज़ार किया और फिर धीमे क़दमों से आदिल भैया के कमरे में घुस गए। भैया के कपड़े पलंग पर

बिखरे थे और कमरे से संलग्न स्नानगृह से स्नान के फौवारे आवाज़ साफ़ सुनाई पड़ रही थी। हम दोनों का ध्यान बिस्तर

पर पड़ी तौलिया की तरफ गया और दोनों ने मुस्करा कर विजय की पताका फेहरा दी।
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02-10-2018, 12:26 PM,
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मैंने बेसब्री से शानू को फुसफुसाई, " चल अब जल्दी से कपडे उतार। यही मौका है जीजू को फ़साने का। "

शानू की कुछ क्षणों की झिझक देख कर मैंने उसकी टी शर्ट खींच कर उतार दी। शानू अपने शॉर्ट्स खुद ही खोलने लगी, "हाय नेहा मेरा दिल

लग रहा है कि जैसे फट पड़ेगा।"

मैंने शानू के होंठों पे उंगली रख उसे शांत रहने का निर्देश दिया और जल्दी से सरे कपड़े उतार कर शानू की तरह निवस्त्र गयी।

"शानू जैसे मैं सुझाऊं वैसे ही करना ," शानू को निर्देश देते हुए मैं शांत क़दमों से स्नानगृह ओर अग्रसर हो गयी। शानू धीमे धीमे चल रही थी,

मैंने अधीरता से उसका हाथ पकड़ कर अपने पीछे खींचने लगी।

आदिल भैया का पुष्ट मांसल शरीर पानी से भीग और भी सुहाना लग रहा था। उनकी बड़ी बड़ी मांस-पेशियां उनकी हर गतिविधि मनमोहक रूप से

आंदोलित हो रहीं थी। उनका लम्बा मोटा वृहत लंड तब शिथिल था। पर उसके शिथिल अवस्था में भी इतना लम्बा,मोटा और भारीपन था कि

उसके तन्नाये होने पर भैया का लंड घोड़े जैसा महाकाय हो जाने का अहसास शीघ्र आसानी से दर्शित हो रहा था ।

"जीजू अरे आप इतनी मेहनत क्यों कर रहें हैं। आपकी दो दो सालियां क्या मर गयीं हैं ? " मैंने जल्दी से बोली क्योंकि मैं भैया के आश्चर्य को

छितराने के लिए उत्सुक थी। भैया मेरे उल्हाने को सुन कर अपनी दोनों छोटी बहनों को नंगा देख कर जिस अचम्भे में पड़ गए थे उस से शीघ्र ही

उभर गए।

"छोटी साली साहिबा, आपने हमें कोई इशारा तो किया था पर जब आप दोनों नहीं आये। इसीलिये हमें लगा की खुद ही अपनी मदद नहीं की तो

सारी ज़िंदगी इंतज़ार में निकल जाएगी। " भैया भी कम नहीं थे।

"क्या जीजू, क्या हम दोनों को नहीं पता की आपको अपनी नुन्नी धोने के लिए मदद की ज़रुरत पड़ती है। यहाँ ना तो शब्बो बूई हैं और ना ही

नसीम आपा हैं। फिर आपकी नन्ही सी चुन्मुनिया को कौन साफ़ करेगा ? " मैंने लपक कर भैया के हाथ से साबुन छीन कर उनके लुभावने

मांसल शरीर के ऊपर झाग बनाने लगी।

शानू की आँखे भैया के विकराल लंड को देख कर फटी की फटी ही रह गयीं। भैया का लंड अभी मुश्किल से खड़ा होना प्रारम्भ भी नहीं हुआ था।

भैया भी कम नहीं थे। उन्होंने मुझे तेज़ी से बहते फव्वारे के नीचे खींच कर पूरे तरह से गीला कर दिया। मेरे कंचन जैसे भरे पूरे अविकसित शरीर

पर पानी की लहरें मेरे गदराये घुमावों को उभारते हुए मेरी मांसल झांगों लहरती हुईं फर्श पर मचलने लगीं।

भैया ने लपक कर नसीम आपा का चन्दन महक से भरपूर सुगन्धित साबुन मेरे शरीर पर शरीर पर सहलाने लगे , "साली जी हमें भी तो आपकी

सेवा करने का मौका दीजिये। "

"अरे जीजू आपको कौन रोक रहा है। चाहे सेवा कीजिये या लूट लीजिये आपकी मर्ज़ी है ," मैंने इठला कर भैया को खुला निमंत्रण दिया , " नहीं

रे शानू ?" मैंने शानू को भी खींचने किया।

"हाँ ठीक है नेहा ," शानू ने कांपती आवाज़ में कहा।

"भाई हमें नहीं लगता हमारी दूसरी साली का मन आप से इत्तेफ़ाक़ कर रहा है ," आदिल भैया ने शानू को चिढ़ाया। बेचारी आँखे एकटक उनके

हिलते लंड को घूर रहीं थीं। भैया को शानू की तड़पन अच्छे से समझ आ रही थी।

मेरे हाथ भैया की भारी भरकम मांसल जांघों के बीच मस्त हाथी की मोटी सूंड जैसे हिलते डुलते लंड के ऊपर पहुँच गए। मैंने उनका मोटे सेब

जैसा विशाल सुपाड़ा अपने दोनों हाथों में भर कर उसे साबुन के झागों से ढकने लगी। आखिर भैया की 'मुनिया' को साफ़ करने ही तो हम दोनों

आये थे।

भैया के सुपाड़े के ऊपर बड़े मामा के लंड की तरह त्वचा नहीं थी।

भैया साबुन लगाने के उपक्रम के बहाने मेरे बड़े स्तनों को सहलाने लगे।

आदिल भैया का लंड बहुत तेज़ी से तनतनाने लगा। भैया ने मेरे स्तनों को साबुन के झागों से ढक दिया। शानू मेरे और जीजू बनाम भैया के बीच

होती मादक भौच्चकेपन से एकटक घूर रही थी। मैं यह ही तो चाहती थी।

आदिल भैया के हाथों ने मेरे दिन ब दिन बड़े होते गदराये मोटे उरोज़ों को कस मसलना प्रारम्भ दिया। मेरे अधखुले मुंह से सिसकारी उबल उठी। 


मेरे नाज़ुक दोनों हाथ बड़ी मुश्किल बड़ी मुश्किल से आदिल भैया के तन्नाये हुए विकराल लंड के घेरे को नाप पा रहे थे। उनका हाथ भर लम्बा बोतल

जैसा मोटा लंड मेरे दोनों हाथों को और भी नन्हेपन का आभास दे रहा था। मैंने सारी शर्म ताक पर रख कर आगे झुक कर भैया को विशाल सुपाड़ा मुंह

में ले लिया। शानू पहले से ही फटी आँखें भी खुल गयीं।

आदिल ने मेरे दोनों चुचूकों को कर निर्दयता से मड़ोड़ कर खींचा और मेरी सिसकारी से उत्साहित हो कर मेरे स्तनों का मर्दन और भी ज़ोरों से करने

लगे।

"नेहा ऐसे ही ……… मेरा लंड चूसो ………," आदिल भैया भी सिसक उठे।

मैंने उनका सुपाड़ा और उनके भीमकाय लंड की एक और इंच मुंह में बड़ी मुश्किल से समाते हुए उनके गोरे मोटे लंड की उपासना में सलंग्न हो गयी।

घुसल खाने में मानव से भी पुरातन सम्भोग के पहले का नृत्य का शुभारम्भ हो गया।

ना जाने कितनी देर बाद मैंने आदिल भैया के मेरी लार से सने चमकते लंड को आज़ाद किया। मेरी जलती आँखें भैया के वासना के डोरों से लाल

आँखों से उलझ गयीं।

शानू आँखे फाड़ फाड़ कर अपने भैया और अब जीजू और मेरे बीच में सम्भोग की पूर्वक्रिया के अश्लील दृशय के प्रभाव में ज़ोर ज़ोर से सांसे भर रही

थी।
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02-10-2018, 12:26 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
आदिल भैया ने अपनी सम्मोहक बहिन और साली उसकी गहरी साँसों से के ऊपर नीचे होते उन्नत वक्षस्थल के मनमोहक दृश्य के प्रभाव में आ कर मेरे

घुंघराले बालों में उंगलियां डाल कर मेरे सर को जकड़ लिया और अपने विशाल मांसल कूल्हों को हचक हचक कर आगे पीछे कर अपने मूसल लंड से

मेरे मुंह की निर्मम चुदाई करने लगे. मेरी आँखों से आंसू बह चले। जीजू का लंड हर धक्के से मेरे हलक के पीछे की दीवार पर ठोकड़ मार रहा था। मेरी

घुटी घुटी उबकाई सामान 'गों-गों 'की आवाज़ें विशाल स्नानगृह में गूँज उठीं।

मेरा मुंह जीजू के भीमकाय लंड की विशाल परिधि के ऊपर पूरा खुला हुआ था। मेरे मुंह के दोनों कोने मानों चिरने वाले थे। आदिल भैया, …

नहीं..नहीं…, आदिल जीजू के महा लंड बड़े मामा और सुरेश चाचू लंड से तक्कड़ ले रहा था। मेरे मुंह के चिरते कोनों से मेरी लार बह चली। आदिल

जीजू ने बेदर्दी से मेरे मुंह की चुदाई करके मेरे चूत को रति-रस से भर दिया।

बड़े मामा ने मुझे अपरिपक्व उम्र में ही सीखा दिया था कि कोई भी लड़की या स्त्री अपने पुरुष के प्यार भरे हावीपन को सहर्ष स्वीकार कर लेती है।

आखिर प्रेम में एक दुसरे के ऊपर अपने को न्यौछावर करना ही तो प्रेम की घोषणा है।

पंद्रह मिनट जीजू के महाकाय लंड को अपने गीले रिस्ते मुंह-चोदन का आनंद दे कर मैंने अपना दुखता मुंह उनके थूक से सने गीले लंड से उठा लिया ,

"जीजू अब आप मुड़ जाइये। "

मेरे शब्दों का तात्पर्य आदिल भैया जल्दी से समझ गए। उन्होंने अपने दोनों बलशाली मांस पेशियों से भरी बाज़ुओं को स्नानगृह की संगमरमर से ढकीं

दीवारों पे रख कर अपने मतवाले मांसल विशाल नितिम्बों को पीछे उभार कर निहर गए।

"शानू चल अब भैया ….. मेरा मतलब है जीजू का लंड चूस," मैंने हाँफ़ती हुई आवाज़ में शानू को प्रोत्साहित किया। शानू की सांस भी मेरे निरंकुश

आदिल भैया के लंड -चूषण के प्रभाव से भारी हो चलीं थीं।

शानू ने झिझकते हुए घुटनों के बल बैठ कर अपने कांपते नन्हे हाथों से अपने आदिल भैया और जीजू का लंड संभाल लिया, जो अब तनतना कर और

भी बड़ा और मोटा लग रहा था। मैंने शानू के शर्म से लाल गालों को देख कर अपनी पहली सम्भोग-शिक्षा के स्म्रित्यों के मीठे संवेदन को याद कर अपने

गदराये शरीर में दौड़ती सनसनी को महसूस किया।

शानू तो मेरे से भी एक साल छोटी थी तब। मैं तो किशोरावस्था के पहले दो सालों में बिलकुल नासमझ थी। यह तो मामाजी का प्रताप था कि

किशोरावस्था के तीसरे साल में उन्होंने मुझे सम्भोग और रति क्रिया के अनेक आनन्दों से न केवल परिचित करवा दिया था बल्कि उस वर्जित और निषिद्ध

रसों के कई सोपान भी चढ़ा दिए थे।

शानू ने कांपते और शरमाते हुए अपने जीजू के विकराल लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर लिया। आदिल भैया के लंड का सुपाड़ा कोई ऐसे वैसे

सामान्य लंड का सुपाड़ा तो था नहीं। आदिल भैया के भीमकाय लंड का मोटा लाल सेब के सामान बड़ा सुपाड़ा बड़ी मुश्किल से कमसिन नाबालिग शानू

के मुंह में समां पाया।

मैंने आदिल भैया की सिसकारी सुन कर एक मीठी मुस्कान से सजे अपने मुंह को उनके बालिष्ठ नितिम्बों की और झुका दिया। अपने हाथों से उनके दोनों

मर्दाने मांसल विशाल चूतड़ों को चौड़ा कर उनकी गुदा के तंग सिलवटदार भूरे मानों पलक झपझपाते छिद्र के ऊपर टिका दिया। पहले मैंने उनके

बलशाली बालों से भरे नितिम्बों को प्यार से चूमा फिर उनके बीच की दरार में छुपे गुदा द्वार को अपने होंठो से चुम लिया।आदिल भैया के मुंह से निकली

सिसकारी ने मुझे और शानू को और भी उत्तेजित कर दिया।

अब आगे शानू अपने आदिल भैया उर्फ़ जीजू के फिर से लोहे के स्तम्भ जैसे तन्नाये लंड को नदीदेपन से चूस रही थी। और मैं पीछे बैठी आदिल भैया के

गुदा छिद्र को अपने जीभ की नोक से कुरेदने लग गयी थी। आदिल भैया के आनंद का अंदाज़ उनके मचलते चूतड़ों और उनकी अविरत सिस्कारियों से

लग रहा था।

मैंने दिल लगा कर आदिल भैया के तंग मांसल मलाशय के द्वार को अपनी झीभ से कुरेद और चाट कर अंत में पराजित कर दिया। आदिल भैया की

सुहानी गांड के छेद ने आखिर में हार मान ली और धीरे धीरे वो ढीला होते हुए खुल गया। मैंने चहक कर अपनी गोल घुमाई हुई जीभ की नोक को उनकी

गुदा में घुसा दिया। 


शानू अब अपने जीजू के लंड को दिल लगा कर चूस रही थी और मैं अपनी जीभ से आदिल भैया की गांड मार रही थी। स्नानघर में दो

अपरिपक्व कन्याओं के प्यार के आलोक में दमकते आदिल भैया की सिस्कारियां गूँज उठी।

आखिर में मर्द ही जल्दी मचाते हैं। आदिल भैया ने सिसकते हुए पुकार लगाई , "अब मुझे अपना लंड चूत में डालना है। नेहा अब

रुका नहीं जा रहा। "

मैंने उनके भूरे गांड के द्वार को आखिरी चुम्बन से शोभित कर चिढ़ाया , " यह आपकी कुंवारी छोटी साली तो अपनी चूत आपके हाथी

जैसे लंड से अभी तो नहीं मरवाएगी। पर यदि आप वायदा करे कि आज के दिन के सूरज के डूबने से पहले आप शानू की चूत के

कौमार्य को विच्छेद कर उसकी चूत को फाड़ डालेंगे तो आपकी बड़ी साली की चूत और गांड आपकी सेवा में हाज़िर है। "

शानू ने अचक कर अपने जीजू बनाम आदिल भैया के थूक से लिसे लंड को मुक्त कर जल्दी से बगल में खड़ी हो गयी ," नेहा, पहले मैं

देखूंगी कि तुम कैसे आदिल भैया ओह सॉरी .... जीजू के मोटे लंड को कैसे झेलती हो फिर ही मैं मुत्मुइन हो पाऊँगी। हाय अल्लाह

जीजू का लंड तो मेरे हाथ से भी बड़ा और मोटा है। "

आदिल भैया ने अचम्भे से शानू की बात को अनसुना कर कहा ,"नेहा तुम अपनी गांड भी मरवाओगी ?"

"हाय मेरे राम आदिल भैया तो क्या आपने…… अभी तक नसीम आपा ने अपनी गांड नहीं सौंपी आपको ?" मैंने उनके थरथराते हुए

दानवीय लंड को सहलाया अपने दोनों हांथों से। मेरे जीवन में अभी तक कोई भी लंड मेरे एक हाथ में नहीं समा सकता था। मेरी नन्ही उम्र

में सारे लंड विकराल और दानवीय आकार के थे।

"नहीं, नेहा। नसीम ने अपनी गांड को एक खास मौके के लिए कुंवारी छोड़ रखा है। यदि तुम अपनी गांड मुझे मारने दो तो मैं वायदा

करता हूँ कि तुम्हारी छोटी बहिन और मेरी छोटी साली की चूत की आज तौबा मचा दूंगा। " आदिल भैया ने मेरे मोटे भारी पर अल्प-

विकसित उरोज़ों को कस कर मसल दिया।

मैंने सिसकारते हुए उलहाना दिया, "आदिल भैय.……… जीजू यह तो मेरा सौभाग्य होगा कि मेरी गांड आपके लंड के लिए पहली गांड

होगी। पर यदि आप मेरी छोटी बहिन के कुंवारेपन का मर्दन करने का वायदा करें तो मेरी गांड आपके लंड की गुलाम हो जाएगी। "

"नेहा हमारा वायदा आपके हाथ में है ," आदिल भैया ने अपने लंड को मेरे हाथों के बीच हचक कर हिलाया।

"देख शानू आज तेरी चूत की तौबा होने वाली है। गौर से देखना कैसे जीजू का हाथ भर का लंड तेरी चूत फाड़ेगा।" मैंने शानू के

फड़कती चूचियों को बेदर्दी से मसल दिया।

"इसका मतलब है कि मेरी चूत के मसले में मेरी कोई भी राय नहीं है ," शानू वैसे तो इतरा रही थी पर उसकी आँखों में आदिल भैया

के लंड की प्यास साफ़ ज़ाहिर हो रही थी।

मैंने आदिल भैया की तरह अपने हाथों को दीवार पर जमा कर अपनी दोनों टाँगें चौड़ा कर आगे घोड़ी की तरह झुक गयी।

आदिल भैया ने अपने विकराल तनतनाते लंड को बड़ी मुश्किल से आसमान की ओर से आगे की तरफ झुकाया, "छोटी साली साहिबा

गौर से देखिएगा। नेहा की चुदाई के बाद आपकी चूत की बारी है। "

शानू आदिल भैया के लंड की विशालता से मेरे बारे में शायद घबरा रही थी ," आदिल भैया मेरे प्यारे जीजू प्लीज़ आराम से नेहा की

चूत मारिएगा। प्लीज़ उसको दर्द नहीं कीजिएगा। "

मैं लगभग हंस दी थी पर हंसी दबा कर मैंने ज़ोर से कहा ," अरे शानू जब तक मर्द का लंड लड़की की चीख न निकल दे तो किस काम

का। आदिल भैया आपको कोई रोक टोक नहीं है। आज अपनी छोटी साली को दिखा दीजिये कैसे आपने हमारी नसीम आपा की चूत

को पहली बार मारते हुए उनकी हालत ख़राब कर दी होगी। "

आदिल भैया भी मेरे बात समझ गए ," शानू रानी अब आप देखना कैसे लड़की की चूत को खुदा ने ऐसा बनाया है कि वो कैसा भी

छोटा, मोटा पतला और लम्बा लंड हो उसे अपने अंदर ले लेती है।"

"जीजू अब आप अपने घोड़ी बनी साली की चूत का भी तो ख्याल रखिये। " मैंने अपने भरे हुए गुदराज़ चूतड़ मटकाये।

आदिल भैया ने अपने मोटे सेब सामान सुपाड़े को मेरी चूत की दरार पे रगड़ा। मेरे रेशम जैसी झांटे मेरे रति रस से भीगी चूत के भगोष्ठों

पे चुपक गयीं थीं। 


आदिल भैया के विकराल लंड के सुपाड़े ने मेरी भाग-शिश्न को रगड़ कर मेरी कामांगनी को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया। आदिल भैया के

महालंड के दानवीय आकार के सुपाड़े ने मेरी कमसिन योनिमार्ग के द्वार को ढूंढ लिया और उसे आने वाले आनंद के प्रलोभ से फुसला कर उसके

द्वार के पर्दों को चौड़ा कर खोल दिया। अब मेरी चूत आदिल भैया के विशाल भीमकाय लंड के रहमोकर्मों पर थी।

आदिल भैया ने मेरी नीची कमर को अपने बड़े मर्दाने हाथों से भींच कर मुझे जकड लिया और एक गहरी सांस भर कर अपनी चौड़ी मांसल

बलशाली कमर और नितिम्बों के बल से उपजी शक्ति से अपने लंड को मेरी चूत में एक झटके में ही जड़ तक डालने का इरादा बना लिया।

मेरी चीख न चाहते हुए भी स्नानघर में गूँज उठी। आदिल भैया अपनी छोटी साली शानू को अपने लंड की मर्दाग्नी से प्रभावित करने में कोई भी

कसर नहीं छोड़ने वाले थे।

जब तक मेरी पहली चीख शांत हो पाती आदिल भैया ने एक और जानलेवा प्रहार से अपने लंड की कुछ और इंचे मेरी चूत में घुसेड़ दीं। मेरी

उबलती चीखों और शानू की आखें-फाड़ फ़िक्र को नज़रअंदाज़ कर आदिल भैया ने तीन और चार चूत के चिथड़े उड़ाने में सक्षम धक्कों से अपना

विशाल लंड जड़ तक मेरी फड़कती चूत में दाखिल कर दिया।

"हाय जीजू, क्या आपने अपनी बड़ी साली की चूत को फाड़ डालने के इरादा बना लिया है? अपने हाथी जैसे लंड को थोड़ा काबू में कीजिये।

ये आपकी नन्ही साली की चूत है, नसीम आपा की चूत नहीं। " मैंने सुबकते हुए आदिल भैया को उलहाना दिया।

"साली साहिबा अभी तो आप अपने छोटी बहिन को चूत की सही तरीके से चुदाई के गुर समझा रहीं थीं अब आप अपने जीजू के लंड लेने में

इतना इतरा रहीं हैं। " आदिल भैया ने मेरे दोनों हिलते चूचियों को कस कर उमेठा और मसल दिया।

"हाय जीजू मैं इतरा नहीं रहीं हूँ। आखिर मैं आपको रोक थोड़े रहीं हूँ। मैं तो आपके हाथी जैसे लंड की ताकत का इज़हार कर रहीं हूँ ," जब

तक मैं पूरी बात बोल पाऊँ आदिल भैया ने अपना वृहत लंड सुपाड़े तक निकल कर एक विघ्वंसक धक्के से एक बार फिर मेरी कमसिन तंग रेशम

जैसी चिकनी चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया।

मैं न चाहते हुए भी वासनामय दर्द से सुबक उठी, "हाय जीजू। …बड़ा मोटा लंड है आपका … आज तो आप मेरी चूत फाड़ कर ही मानेंगें। "

आदिल भैया ने शानू के लाल मुंह और भौचक्की आँखों से वासना की फुहार को भांप कर ज़ोर से बोले , " छोटी साली जी देख लो कैसे आपकी

चूत में मेरा लंड जाएगा। अपनी चूत को मेरे लंड के लिए तैयार कर लीजिये। "

"जीजू अब तो मैं क्या कर सकती हूँ ? यदि आप ने नेहा की गांड भी मार ली तो मुझे अपनी चूत को आपके लंड के ऊपर कुर्बान करना ही

पड़ेगा ," शानू ने कांपती हुई आवाज़ में फुसफुसाते हुए हुए अपने जीजू से टक्कड़ लेने की कोशिश की।

मेरे शरीर में बिजली सी कौंध रही थी। आदिल भैया का भीमकाय लंड मेरी चूत तो अविश्विसनाय आकार में फैला कर मुझे दर्द और आनंद के

मीठे मिश्रण से बेताब कर रहा था।
Reply
02-10-2018, 12:26 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
36



"जीजू अब आप इस साली की चूत का ख्याल कीजिये। इसकी चूत अब आपके लंड के ऊपर न्यौछावर है। पहले उसकी प्यास बुझा

दीजिये फिर दूसरी साली की बारी लगाइएगा। " मेरी पुकार सुन कर आदिल भैया ने मेरी गोल कमर को जकड़ के अपने मूसल लंड को

गोल-गोल मेरी चूत में घुमा कर सुपाड़े तक बाहर खींच कर दो अस्थि-पंजर हिला देने वाले धक्कों से मेरी पिघलती चूत को फिर से भर

दिया।

स्नानघर में बड़ी पुरातन सम्भोग के मीठे स्वरों का संगीत एक बार फिर से गूँज उठा। उस में मेरी वासना से लिप्त सुब्काइयां , कराहटें , और

हल्की चीखें उस संगीत के स्वरों को और भी रोचक और आनंदमय बना रहीं थी।

"जीजू …….. जीजू ….. मेरी चूत मारिये। अपना पूरा लंड मेरी चूत में दाल दीजिये। फाड़ डालिये इस निगोड़ी को ," मैं अब आदिल भैया

के लंड के हर प्रहार से सर से पैर तक कांप रही थी।

आदिल भैया का लंड मेरी चूत में अब इंजन के पिस्टन की तरह पूरे क्षमता और तेज़ी से अंदर बाहर आ जा रहा था। मेरे रति रस से लिसड़े

उनके विकराल लंड को अब मेरी चूत को बेदर्दी से मारने में और भी आसानी हो गयी थी।

आदिल भैया कभी पूरे लंड से लम्बे ताकतवर धक्कों से मेरी चूत मारते तो कभी सिर्फ कुछ इंचों से बिजली सामान रफ़्तार से मेरी चूत की

तौबा बुला देते थे।

"जीजू मुझे चोदिये उउन्न्न्न्न्न …… उम्म्म्म्म्म्म मैं अब आने वाली हूँ ....... आअन्न्न्ह्ह्ह चोदिये मुझे आआआआअ……..,” मैं सुबक उठी

अपने पहले रति-निष्पति से। मुझे पता था कि ये उस चुदाई का मेरा अकेला चार्म-आनंद नहीं होगा।

आदिल भैया के लंड ने अब और भी रफ़्तार पकड़ ली। स्नानघर में सम्भोग की अश्लील 'पचक पचक' के संगीत ने मेरी चूत के बिना

हिचक की चुदाई की घोषणा कर दी।

आदिल भैया के विशाल स्पॉत जैसे कठोड लंड का हर प्रहार मेरे शरीर को हिला कर रोमांचित कर रहा था। मेरे खुले मुंह से उबलती

सिस्कारियां उन्हें और भी उत्तेजित कर रहीं थीं। आदिल भैया ने कसमसा के अपने लंड के पीछे और भी ताकत लगनी शुरू कर दी। उनका

दैत्य-लंड मेरी चूत को फैलाते हुए जब बहुत अंदर तक जाता और मेरे गर्भाशय को बेदर्दी से धक्का मार के उसे और भी अंदर धकेल देता तो

मेरी कराहट में मीठा दर्द भी शामिल हो जाता। उस दर्द से मेरे शरीर में अजीब से विकृत इच्छा जग गयी और मैं आदिल भैया के लंड से उपजे

वासना भरे दर्द की प्रतीक्षा कर रही थी।

आदिल भैया ने मेरी चूत को हचक हचक भीमकाय लंड से बेदर्दी से मर्दन करते हुए मेरे दोनों उरोज़ों को इतनी ज़ोर से मसलते कि मैं आशय

अवस्था में कराह उठती ," आदिल भैया ……जीजू हाआआय उउन्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग आआअन्न्न्न्ह्ह्ह्ह चोदो मुझे। जी.……जूऊऊ मेरी चूत फिर से

झड़ने वाली है। "

आदिल भैया ने अपने लंड के रफ़्तार में और भी इजाफा कर मेरी चूत के लतमर्दन अपनी पूरी क्षमता से करने लगे।

मैं अब लगभग लगातार झड़ रही थी। आदिल भैया का लंड मेरी चूत को रेलगाड़ी के इंजन की रफ़्तार से चोद रहा था। न जाने कितनी देर

बाद आदिल भैया ने गुर्रा कर कहा ,"नेहा अब मैं आपकी चूत में आने वाला हूँ। "

कोई भी लड़की जब उसकी चूत चोदने वाले के मुंह से यह शब्द सुनती है तो उसकी वासना और भी प्रज्ज्वलित हो उठती है।

मैं भी कामानन्द के जवार से जलते हुए सुबकी, "हाँ आदिल भैया मेरे जीजू भर दीजिये मेरी चूत अपने वीर्य से। मैं फिर से झड़ रहीं हूँ।

आआआह्ह्ह्ह्ह हाय माआआं भैयाआआआ .......... उउन्न्न्न्न्न। "

मैं अपने चर्म-आनंद के अतिरेक से कपकपा रही थी। आदिल भैया ने अपना विकराल लंड कई बार बेदर्दी से मेरी चूत में धूंस से मेरी दोनों

चूचियों को वहशियों की तरह मड़ोड़ दिया। उन्होंने अपने लंड को जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया। उनके लंड का विस्फोट मानों मेरी चूत

को जला रहा था। आदिल भैया के जनन-क्षम वीर्य की गरम बौछार ने मेरे अविकसित गर्भाशय को नहला दिया।

न जाने कितनी बार उनके लंड ने अपने उर्वर वीर्य की फुहार से मेरी चूत को भर दिया।

मैं अब हाँफते हुए अपनी साँसों को काबू में करने का प्रयास कर रही थी। आदिल भैया ने मेरी भीगे कमर को प्यार से चूमा। उनकी साँसें भी

भारी हो चली थीं।

उनका लंड अभी भी मेरी चूत फड़फड़ा रहा था। यदि उनका लंड थोड़ा सा भी ढीला हुआ तो मुझे अहसास नहीं हुआ।

हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे से लिपटे वैसे ही खड़े रहे।

तब हम शानू की भरी साँसों को सुन कर वापस ज़मीं पर आ गए। 


"जीजू आपने तो नेहा की जान ही निकाल दी होती। कैसी बेदर्दी से आपने उसकी चूत मारी ," शानू ने मेरी फ़िक्र का इज़हार किया

अपने उल्हाने से।

"शानू ऐसी चुदाई तो बड़ी खुशनसीबी से मिलती है। तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे जीजू जैसा मुस्टंड लंड घर में ही मिल गया।
Reply
02-10-2018, 12:27 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
कई लड़कियां इस लंड को अपनी चूत में लेने के लिए मरने मारने के लिए तैयार हो जायेंगीं ," मैंने आदिल भैया का साथ दिया।

"तो नेहा अब तू अपनी गांड भी मरवाएगी?" शानू ले खुले होंठ सूजे से लग रहे थे।मेरे और आदिल भैया के आनन्दायक प्रचंड सम्भोग

के वासनामयी प्रभाव से शानू की साँसे भरी हो थी। उसकी चूचियाँ अपने आप ही थिरक और फड़कने लगीं। उसके अविकसित चूचियों

के छोटे छोटे चुचूक सख्त हो गए।बेचारी शानू अभी मुश्किल से किशोरावस्था के दूसरे साल में अभी संभल भी नहीं पायी थी। मेरी

तरह उसे बड़े मामा और सुरेश चाचू के वृहत लण्डों से अपने कौमार्यभंग का सौभाग्य नहीं मिला था। पर आज उसके आदिल भैया

उर्फ़ जीजू उसका कौमार्यभंग करने वाले थे। शानू की नाबालिग जीवन में सम्भोग का अध्याय अगम्यागमन की रति - क्रिया से शुरू

होने वाला था।

" शानू यदि मैं जीजू से अपनी गांड नहीं चुदवाऊँगी तो मेरा जीजू को दिया वचन झूठा हो जायेगा। जीजू फिर तेरी चुदाई करने के

वायदे से मुकर सकने के लिए स्वंत्रत हो जायेंगे। तू बता यदि तू अपनी कुंवारी चूत को हमारे जीजू के लंड को नहीं सौंपना चाहती है

तो मैं क्यों अपनी नन्ही गांड की सहमत बुलवाऊं जीजू के घोड़े जैसे लंड से चुदवा कर ? बोल ना क्या कहती है ? तेरी कुंवारी चूत का

द्वार खोलने के लिए ही तो मैं अपनी गांड जीजू को भेंट कर रही हूँ। " मैंने जीजू की ओर मुस्करा कर शानू को और भी चुदाई की तरफ

धकेला।

शानू के वासना से लाल चेहरे पर विचित्र व्याकुलता की अभिव्यक्ति साफ़ साफ़ जाहिर होने लगी। शानू ने अपने होंठ को चुभलाते हुए

हलकी आवाज़ में कहा।, " नेहा मेरी वजह से तुम झूठी मत बनो। तूने जीजू से अपनी गांड मरवाने का वायदा मेरे सामने किया है।

अब तो तुझे उनसे गांड मरवानी ही पड़ेगी। वैसे भी जीजू आज पहली बार किसी लड़की की गांड मारेंगे। वायदा निभा और मेरी फ़िक्र

मत कर। मैं जीजू से अपनी कुंवारी चूत चुदवाने से पीछे नहीं हटूँगीं। "

मैंने हंस पड़ी , "चलिए जीजू अब आप अपनी बड़ी साली की गांड फाड़ने के लिए तैयार हो जाइये। आपकी छोटी साली की कुंवारी

चूत का उदघाट्न करने की ज़िम्मेदारी भी आपको मिल गयी है। "

आदिल भैया का जितना मोटा और हाथ भर लम्बा लंड मेरी चूत में फंसा फड़क रहा था, " अरे साली साहिबायों, जीजू का लंड तो

सालियों की मुलाज़मत करने के लिए ही तो अल्लाह मियां ने सारे जिजायों को नवाज़ा है। बस सालियों की रज़ामंदी की ज़रुरत है। "

" जीजू सालियां तो बचपन से ही तैयार होतीं है जीजू का लंड लेने के लिए। उनकी ना नुकर तो बस इठलाने जैसा है। जीजा को उस

के इठलाने की फ़िक्र नहीं करनी चाहिए। बस पकड़ कर साली के चूत और गांड फाड़ कर उसे सम्पूर्ण स्त्री बनने में मदद करनी

चाहिए। " मैंने अपने गदराये चूतड़ों को गोल गोल घुमा कर आदिल भैया के लंड के ऊपर अपनी चूत घुमाई, "जीजू अब आप अपनी

साली की गांड को अपने लंड के गांड-कौमार्य का तोहफा देंगे या बस हम बातें रहेंगे ? "

आदिल भैया ने अपना लंड सुपाड़े तक बाहर निकल और मेरी गुदाज़ कमर को कस कर पकड़ कर एक विध्वंसक झटके में जड़ तक

मेरी तंग चूत में ठूंस दिया। मेरी न चाहते हुए भी मेरी चीख निकल गयी , " देखा साली साहिबयों जीजू के लंड की ताकत। जब गांड

में धकेलूंगा तो बिलबिला कर रो पड़ोगी ? शानू रानी तुम्हारी कुंवारी चूत भी इसी लंड के ऊपर कुर्बान होने वाली है। "


"जीजू यदि साली की मरवाते हुए उसकी चीखें न निकलें , उसकी आँखों से आंसुओं की गंगा न बहने लगे, उसकी सुबकियों के संगीत से वातावरण न भर

उठे और उसकी गांड से लाल खून का टिका जीजू के लंड पर न लगे तो जीजू की ताकत की बस बेइज़्ज़ती ही तो होगी। इसी लिए जीजू आप दोनों सालियों

की चीखों का संगीत बजवा दीजिये आज।”

मैंने आदिल भैया को और भी चढ़ाया। आदिल भैया हमारे बड़े भाई हैं और हमेशा अपनी छोटी बहनों की हिफाज़त करने की उनकी स्वाभाविक आदत शानू

की बेहिचक चुदाई में बाधा बन सकती थी।

"शानू चल जीजू का लंड चूस और मेरी गांड के लिए तैयार कर ," मैंने भौचक्की शानू को जगाया।

आदिल भैया ने अपना मेरे रति रस से लिसा चमकता लंड मेरी फ़ैली चूत से निकाला और घुटनो पर जाती शानू की ओर बढ़ा दिया। शानू ने बेहिचक मेरे रति

रस से लिप्त जीजू को लंड को अपने नन्हे हाथों में संभल कर चूसने, चूमने और चाटने लगी। शानू और मेरे दोनों नन्हे हाथ आदिल भैया के मोटे लंड की

परिधि को पूरा मापने में असक्षम थे। हमारे परिवार की स्त्रियों के सौभाग्य में वृहत विकराल लण्डों अधिशेष और प्राचुर्य था।

शानू के थूक ने जीजू के लंड के ऊपर मेरे चूत के रस का स्थान ले लिया। शानू ने अपने आप ही मेरे गदराये गोल चौड़ा कर मेरी गुलाबी नन्ही गुदा को जीजू

के दीदार के लिए प्रस्तुत कर दिया। जीजू नीचे झुक कर मेरी गांड पूजा का निस्चय बना लिया। जीजू और शानू ने मेरे प्रभूत गदराये चुत्तडों को चूमना, काटना

शुरू कर दिया। फिर दोनों ने बरी बरी से मेरी गुदा को चूमे चाटने लगे।
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