(10-16-2019, 07:27 PM)sexstories Wrote: next part दोनो ही हतप्रभ कुच्छ देर तक बस एक दूसरे को घूरते रहे.., इस समय वर्षा देवी के बदन पर दिन वाली साड़ी ब्लाउस नही थे, वो अपने सोने वाली ड्रेस में उसके सामने खड़ी थी..,
मात्र एक वन पीस झीने से कपड़े के गाउन में जोकि उनके घुटनो तक भी नही पहुँच पा रहा था.., गावन् के चौड़े और डीप गले से उनके उभारों की गहरी घाटी काफ़ी गहराई तक दिखाई दे रही थी.., कुलमिलाकर इस समय वो किसी भी मर्द का ईमान डिगा ने में सक्षम दिख रही थी…,
शायद विश्वामित्र भी उर्वशी के कुच्छ ऐसे ही रूप को देखकर अपनी तपस्या भंग करने पर मजबूर हो गये होंगे.., वर्षा देवी इश्स समय शंकर के सामने काम की देवी बनी खड़ी थी…!
उन्हें रात के इस प्रहार में इस रूप में देखकर शंकर के पूरे बदन में वासना की एक तेज लहर दौड़ गयी.., वो अंदर तक हिल उठा…, उसकी नज़र कितनी ही देर तक उपर से नीचे तक लगातार उनके इस मनोहारी…हाहकारी मादक बदन पर ठहर गयी…!
उधर शंकर भी इस समय कामदेव से कम नही लगा उनको.., उपर से उसका वो बलशाली बलिश्त लंड जिसे वो एक बार देख कर आजतक भुला नही सकी थी.., ना जाने कितनी रातें उसकी याद में करवट बदलते हुए काटी थी..,
ना जाने कितनी बार उसकी छवि अपने मन मस्तिष्क में बिठाकर उन्होने अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर अपनी वासना को शांत करने की कोशिश की है.., लेकिन वो तो मुई वजाए कम होने के और भड़कती ही गयी…,
वो इस समय अपने फुल फॉर्म में था और पाजामा में बड़ा सा तंबू बनाए हुए था…!
गनीमत थी की शंकर नीचे अंडरवेर भी पहने था वरना तो वो शायद पाजामा को फाड़ ही डालता…,
जहाँ शंकर की नज़र मामी के पूरे बदन का अवलोकन करके उनके मादक दूध जैसे गोरे.., और सुडौल वक्षों पर आ टिकी थी वहीं मामी एकटक उसके लंड के उभार को ही ताके जा रही थी…!
ना जाने कितनी ही देर तक वो दोनो एक दूसरे को देखते रहे…, एक दूसरे में जैसे खो गये.. ना जाने और कितनी देर वो ऐसे ही एक दूसरे में खोए रहते की तभी….,
ना जाने कहाँ से एक छोटी सी चुहिया वर्षा देवी के पाँव के उपर से गुज़री… वो एकदम से डर गयी…, चुहिया को अपने पैर से चिटक कर हड़बड़ाते हुए आगे को गिरने ही वाली थी कि शंकर की बलिष्ठ बाहों ने उन्हें थाम लिया….!
मामी ने अपने दोनो हाथ मोड़ कर शंकर की चौड़ी छाती पर टिका दिए.., इसके बावजूद भी उनके मक्खन से भी मुलायम बड़े-बड़े पूर्ण रूप से तने हुए स्तन शंकर की छाती में जाकर धँस गये…!!
जैसे ही मामी को ये आभास हुआ कि वो अब सेफ हाथों में उन्होने अपने शरीर को शंकर के उपर ढीला छोड़ दिया जिससे उनका यौनी प्रदेश शंकर के तने हुए घोड़े के ठीक नीचे सट गया…,
इस समय उसका घोड़ा मस्ती में हिन-हिनाता हुआ मामी के कमर के नीचे उनकी गद्दार मुनिया के ठीक उपर ठोकर मारने लगा…!
शंकर का एक हाथ मामी की पीठ पर था तो दूसरा उनकी मखमली गान्ड के पर्वत शिखारों पर जा कसा..,
अचानक मामी के उसके उपर आ गिरने से वो एक बार तो पीछे की तरफ डिसबॅलेन्स हुआ लेकिन अपने फौलादी जिस्म को जल्दी ही बॅलेन्स करते हुए उसने मामी को अपने शरीर पर कस लिया…!
शंकर की पकड़ मजबूत होते ही मामी के उभार उसके सीने में और ज़्यादा दब गये और गान्ड पर कसाब पड़ते ही शंकर का लंड मामी की चूत की फांकों के उपरी भाग पर ठोकर देने लगा…!
मामी अपने तन-बदन की सुध-बुध खो बैठी.., दोनो के चेहरे एकदम नज़दीक आगये.., एकदुसरे की साँसें आपस में टकरा उठी.., दिल की धड़कनें तेज होकर एक दूसरे में समाने लगी..!
लंड की ठोकर अपनी मुनिया की फांकों के करीब महसूस करते ही मामी के मूह से एक मादक कराह निकल गयी… जिसे सुनकर शंकर के उपर वासना का खुमार चढ़ने लगा…!
दीन-दुनिया से बेख़बर वो दोनो एक दूसरे की आँखों में कितनी ही देर तक झाँकते रहे.., पलभर में ही मामी को ये एहसास हो गया कि वो किसी सच्चे मर्द की मजबूत बाहों में हैं.. जैसा मर्द पाने की हर औरत की ख्वाहिश होती है…!
तभी शंकर को जैसे होश आया कि वो कहाँ और किस अवस्था किसके साथ खड़ा, उसने अपने दोनो हाथों को मामी के कंधों पर टीकाया और उन्हें अपने से अलग करते हुए बोला –
मामी जी आप ठीक तो हैं.., क्या हुआ था आपको…?
वर्षा देवी मानो नींद से जागी हों, जैसे किसी ने उनका हसीन सपना चूर चूर कर दिया हो… शंकर की बात सुनकर वो बुरी तरह से झेंप गयी और स्वतः ही शर्म से उनकी पलकें झुक गयी…!!!!
(10-16-2019, 01:39 PM)sexstories waaha mia Wrote: रंगीला लाला और ठरकी सेवक
मित्रो एक और कहानी नेट से ली है इसे आशु शर्मा ने लिखा है मैं इसे हिन्दी फ़ॉन्ट मे आरएसएस पर पोस्ट कर रहा हूँ मेरी ये कोशिस आपको कैसी लगती है अब ये देखना है और आपका साथ भी सबसे ज़रूरी है जिसके बगैर कोई भी लेखक कुछ नही कर सकता हमारी मेहनत तभी सफल है जब तक आप साथ हैं ................ चलिए मित्रो कहानी शुरू करते हैं ................
झुक कर बैठक में झाड़ू लगा रही रंगीली को जब ये एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई है, तो वो झट से खड़ी होकर पलटी,
अपने ठीक सामने खड़े अपने मालिक, सेठ धरमदास को देख वो एकदम घबरा गयी, और अपनी नज़र झुका कर थर-थराती हुई आवाज़ में बोली-
क.क.ककुउच्च काम था मालिक…?
धरमदास ने आगे बढ़कर उसके दोनो बाजुओं को पकड़कर कहा – हां हां ! बहुत ज़रूरी काम है हमें तुमसे, लेकिन सोच रहे हैं तुम उसे करोगी भी या नही..
रंगीली ने थोड़ा अपने बाजुओं को उनकी गिरफ़्त से आज़ाद करने की चेष्टा में अपने बाजुओं को अपने बदन के साथ भींचते हुए कहा – मे तो आपकी नौकर हूँ, हुकुम कीजिए मालिक क्या काम है..?
सेठ धरमदास ने उसके बाजुओं को और ज़ोर्से कसते हुए कहा – जब से तुम हमारे यहाँ काम करने आई हो, तब से तुमने मेरे दिन का चैन, रातों की नींद हराम कर रखी है…
लाख कोशिशों के बाद भी तुम अभी तक हमसे दूर ही भागती रहती हो,
ये कहकर उसने एक झटके से रंगीली को अपने बदन से सटने पर मजबूर कर दिया,
वो सेठ जी की चौड़ी चकली छाती से जा लगी..
उसके गोल-गोल चोली में क़ैद, कसे हुए कच्चे अमरूद ज़ोर्से सेठ की मजबूत छाती से जा टकराए, उसको थोड़ा दर्द का एहसास होते ही मूह से कराह निकल गयी…
रंगीली के हाथ से झाड़ू छुटकर नीचे गिर चुका था, उसने अपने दोनो हाथों को सेठ के सीने पर रख कर, ज़ोर लगाकर सेठ को अपने से अलग करते हुए बोली –
य.य.यईए…आप क्या कर रहे हैं मालिक, भगवान के लिए ऐसा वैसा कुच्छ मत करिए मेरे साथ..
हम तुम्हें बहुत प्यार करते हैं रंगीली, आओ हमारी बाहों में समा जाओ, ये कहकर उसने फिरसे उसे अपनी ओर खींच लिया, और उसके सुडौल बॉली-बॉल जैसे चुतड़ों को अपने बड़े-2 हाथों में लेकर मसल दिया…
दर्द से बिल-बिला उठी वो कमसिन नव-यौवना, आआययईीीई…माआ…, फिर अपने मालिक के सामने गिड-गिडाते हुए बोली –
भगवान के लिए हमें छोड़ दीजिए मालिक, हम आपके हाथ जोड़ते हैं,
लेकिन उसकी गिड-गिडाहट का सेठ धरमदास पर कोई असर नही हुआ, उल्टे उनके कठोर हाथों ने उसके नितंबों को मसलना जारी रखा…
फिर एक हाथ को उपर लाकर उसके एक कच्चे अनार को बेदर्दी से मसल दिया…
दर्द से रंगीली की आँखों में पानी आगया, अपनी ग़रीबी और बबसी के आँसू पीकर उसने एक बार फिरसे प्रतिरोध किया, और सेठ को धक्का देकर अपने से दूर कर दिया…
फिर झाड़ू वही छोड़कर लगभग भागती हुई वो बैठक से बाहर चली गयी….!