Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 07:21 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर – अरे समझा करो यार, वहीं उसकी मूतने वाली जगह पर, तो वो मुझे इतनी मोटी मोटी फूली हुई और एकदम काली सी लगी, जबकि तुम्हारी तो एकदम मस्त चिकनी गोरी और उसके मुक़ाबले बहुत छोटी सी है…, दोनो में इतना फरक क्यों..?

सुषमा ने पैंट के उपर से ही उसके पप्पू को छेड़ते हुए कहा.., अच्छा एक बात बताओ, सभी आदमियों का ये पप्पू एक जैसा होता है क्या…?

शंकर – नही पर… फिर भी ये तो अलग ही होता है ना…!

सुषमा – तुम्हें पता है उस दादी के कितने बच्चे हैं..?

शंकर – 9-10 तो हैं शायद…!

सुषमा – अब ज़रा सोचो.., मुझे तुमने अबतक कितनी बार चोदा होगा.., ज़्यादा से ज़्यादा 20-25 बार, और मेरे दो ही बच्चे हैं.., वहीं उस दादी को 10 बच्चे पैदा करने के लिए सैकड़ों बार चुदना पड़ा होगा..,


अरे यार अब तुम खुद सोचो 10-10 बच्चे निकाले हैं उसने अपनी चूत से तो भोसड़ा तो बनेगा ही उसका…!

शंकर – ओ तेरी का, तो भोसड़ा इसको कहते हैं, वही तो सोचु, मेरे क्लासमेट बार बार भोस्डे की गाली क्यों देते हैं…!

सुषमा ने उसके गाल को सहलाते हुए कहा – हाए मेरे भोले बालम, क्या वाकई में भोस्डे का मतलब नही पता था तुम्हें अब तक…?

शंकर – नही सच में, उसके मूह से इतना सुनते ही सुषमा ने आगे बढ़कर उसके गुलाबी होठों पर अपने लिपीसटिक वाले होठ रख दिए, फिर अलग होते हुए बोली – तुम वाकई बहुत प्यारे और सॉफ दिल हो शंकर…,

इसी तरह की चुहलबाज़ी और छेड़-छाड़ करते हुए वक़्त ना जाने कब गुजर गया और वो दोनो शहर पहुँच गये…..!

सुषमा के मामा जी पुरुषोत्तम दास, शहर के जाने माने बिज़्नेसमॅन और समाजसेवी उम्र लगभग 50-52 वर्ष. पत्नी वर्षा देवी कोई 41-42 साल की गोरी चिट्टी निहायत ही खूबसूरत औरत कद 5’6” की औसत हाइट, 36-32-38 का शानदार जान मारु फिगर.

कसे हुए ब्लाउस में तनी हुई चुचियाँ किसी का भी ईमान खराब कर दें.., कबूतरों की चोंच जैसे वक्षों के उपर जब वो अपना पल्लू डाल लेती तो और भी ज़्यादा सेक्शी लगती,

सपाट पेट के बाद ख़ासे चुड़े कूल्हे, सलीके से पहनी हुई साड़ी में कसे हुए कूल्हे…आअहह…जब मटक मटक कर चलती तो राह चलते लोग ठंडी आहें भर कर रह जाते होंगे…!

वर्षा देवी असल में पुरुषोत्तम दास की दूसरी पत्नी थी, पहली पत्नी के साथ इनका साथ मात्र साडे तीन साल ही रहा उसके बाद वो समय से पहले ही भगवान को प्यारी हो गयी थी.

पुरुषोत्तम दास की एक 20 साल की बेटी चारू लता, अपने ही कॉलेज से ग्रॅजुयेशन कर रही थी, उम्र के इस पड़ाव में उसके दर्जनो फ्रेंड्स थे, जिनमें लड़के भी थे, बला की खूबसूरत अपनी माँ की छवि.

हाइट में अपनी माँ के बराबर, लेकिन साँचे में ढला 32-28-34 का फिगर, कॉलेज का बेस्ट ब्यूटिफुल गर्ल का खिताब इसके नाम था, मॉडलिंग का शौक था उसको.

दोपहर ढले सुषमा और शंकर उनके यहाँ पहुँच गये, उस समय घर पर उसकी मामी वर्षा देवी और नौकर ही थे, मामा जी देर रात को ही लौटते थे…

चारू लता कॉलेज के बाद अपने मॉडलिंग वग़ैरह के चक्कर में बिज़ी रहती थी..

सुषमा को देख कर मामी ने उनकी आवभगत की, चाय पानी के दौरान सुषमा ने शंकर का परिचय उनसे कराया…,

शंकर उसकी एक कामवाली का लड़का है ये बात सुनकर उनको बड़ा ताज्जुब लगा, कैसे कोई मालकिन अपने ही किसी नौकर के साथ अकेली घूमने फिरने निकल सकती है…

हालाँकि शंकर की पर्सनालटी देखकर मामी भी प्रभावित हुए बिना नही रह पाई थी, उन्हें सुषमा के पति कल्लू की हालत का भी पता था फिर भी मन में ये विचार आने स्वाभाविक ही थे, और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि लाला जी जैसे सुलझे हुए इज़्ज़तदार आदमी को भी इस बात से कोई एतराज नही है….!

कहते हैं ना कि औरत के मन की बात ज़्यादा देर तक अंदर नही रह पाती, सो बातों बातों में उनके मूह से ये निकल ही गया….

जब सुषमा ने बताया कि उनका यहाँ आने का पर्पस क्या है तो वर्षा देवी कहे बिना नही रह पाई…!

बुरा मत मानना सुषमा बेटी, लेकिन नौकरों को इतनी ढील नही देनी चाहिए कि वो सिर पर ही चढ़ जायें.., और तुम इसे पढ़ाने के लिए यहाँ शहर लेकर आई हो.., नौकरों से इतना लगाव अच्छा नही है…!

सुषमा को अपनी मामी से ऐसे शब्दों की अपेक्षा थी, उसने एक नज़र शंकर के चेहरे पर डाली, ये जान’ने की कोशिश की, कि मामी के इन शब्दों की उसके उपर क्या प्रतिक्रिया होती है…,

लेकिन उसके सपाट चेहरे से वो कोई अनुमान नही लगा सकी कि वो इस विषय में क्या सोच रहा होगा..,

फिर मामी की ओर मुखातिब होकर बोली…, आपका सोचना ग़लत नही है मामी जी, हर कोई यही सोचेगा, लेकिन यहाँ आप थोड़ी सी ग़लत हैं.., हमारे घर का कोई भी सदस्य शंकर या उसकी माँ को नौकर नही समझता….!

शायद आपको पता नही है, इसने छोटी सी उमर से ही हमारे लिए ऐसे ऐसे काम किए हैं जिन्हें कोई अपना भी नही कर सकता, फिर उसने सारी घटनाए सिलसिलेवार उनको बताई और आगे कहा…!

आपके दामाद के साथ हुई उस दुखद घटना के बाद शंकर ने सारे घर और कारोबार की ज़िम्मेदारी बखूबी संभाली है, पिताजी इस पर अपने बेटे से ज़्यादा भरोसा करते हैं, यही कारण है कि मे चाहती हूँ ये बिज़्नेस मॅनेज्मेंट का कोर्स करके हमारे बिज़्नेस को और अच्छे से संभाल सके…!
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10-16-2019, 07:21 PM,
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ये सब बातें सुनकर वर्षा देवी को एहसास हुआ कि शायद उसने ग़लत बात कही थी, सो सुषमा का हाथ अपने हाथों में लेकर बोली –

माफ़ करना बेटी, मुझे नही पता था कि ये लड़का आप लोगों के लिए क्या मायने रखता है.., फिर शंकर की तरफ देखते हुए बोली – माफ़ करना शंकर बेटा मेरी बात शायद तुम्हें बुरी लगी होगी.

शंकर – नही मामी जी आपने तो वही कहा जो आपको सही लगा, और आमतौर पर ऐसा होता भी तो नही है.., इसलिए आप मेरी तरफ से बेफिकर रहिए.., मुझे आपकी बात का ज़रा भी बुरा नही लगा…!

वो तो सुषमा भाभी और लाला जी बड़े दिल वाले हैं जो मुझ जैसे तुच्छ लड़के पर इतना भरोसा करते हैं, इतना मान सम्मान देते हैं, वरना मेरे जैसे 36 इनकी ड्योडी पर पानी भरते हैं…!

सुषमा – नही शंकर तुम तुच्छ लोगों में नही हो.., मामी जी की बात से अगर तुम्हें ज़रा सी भी ठेस पहुँची हो तो मे उसके लिए तुमसे माफी मांगती हूँ…!

नही भाभी प्लीज़ ऐसा मत कहिए, मुझे सच में इनकी बात का बुरा नही लगा.., शंकर ने फ़ौरन सुषमा की बात काट’ते हुए कहा…, इनकी जगह कोई और होता वो भी यही सोचता…!

ये लोग ड्रॉयिंग हॉल में बैठे इसी तरह की बातें कर ही रहे थे तभी बाहर से उनकी बेटी चारू लता अंदर आई, जैसे ही उसकी नज़र सुषमा पर पड़ी वो उसे देखते ही दौड़कर उसके गले से लिपट गयी…!

सुषमा दीदी आप और यहाँ…? व्हाट आ प्रेज़ेंट सर्प्राइज़…? व्हाट हॅपन..?

सुषमा पहले तो उसको उपर से नीचे तक निहारती रही जो इस समय किसी टॉप क्लास की मॉडेल के ही लिबास में थी, जांघों तक का बॉडी फिट वन पीस लिबास में क़ैद जिसमें से उसके मादक अंगों का एक एक कट दिखाई दे रहा था…!

सुंदरता की इस मूरत को देखकर एक बारगी शंकर भी मूह बाए देखता ही रह गया, वा ! क्या मस्त माल छोकरी है यार…, फिर सुषमा की आवाज़ सुनकर उसने अपने दिमाग़ को झटक दिया…!

अरे वाह चारू तुम तो एक दम फिल्मी हेरोयिन जैसी लग रही हो, बाइ दा वे इनसे मिलो, ये हैं शंकर हमारे…..??

इससे पहले कि सुषमा उसका इंट्रो देती उससे पहले ही वर्षा देवी बीच में बोल पड़ी…इनके खास रिस्तेदार, यहाँ एमबीए करने आए हैं अपने कॉलेज से…!

पहली बार चारू और शंकर की आँखें चार हुई.., शंकर भी इस समय किसी फिल्मी हीरो से कम नही लग रहा था, बेल्ल्बोटम पैंट के उपर एक टाइट फिट शर्ट जिसमें उसका बेहद कसरती बदन अपनी झलक छोड़ रहा था..,

कसरती सीने का कटाव, हाफ बाजू शर्ट में उसके मसल्स बेहद ही आकर्षक लग रहे थे.., एक बार को तो चारू भी उसके मोहपास में फँसती दिखाई दी, लेकिन अपने गरूर के मुताविक उसने शीघ्र ही ऐसा जाहिर किया जैसे वो शंकर से कोई खास इंप्रेस्ड नही हुई हो….!

रात को मामा जी देर रात तक अपने बिज़्नेस की वजह लेट ही आते थे, तो उनका इंतजार किए बिना ही डिन्नर लेकर सब लोग सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गये…,

सुषमा और शंकर को भी अलग अलग कमरों में सोने के लिए जाना था. सुषमा अपने बेटे को लेकर अपने कमरे में छाई गयी और शंकर अपने कमरे में.

सेठ पुरुषोत्तम दास लेट ही आते थे इसलिए वर्षा देवी उनके आने तक जागती रहती थी.., अपने कमरे में टहलते टहलते वो रात को बाहर लॉबी में टहलने चली गयी…,

टहलते टहलते फर्स्ट फ्लोर पर शंकर वाले कमरे के रोशनदान से उन्हें रोशनी की किरण आती दिखाई दी, कौतूहल बस वो स्टेर्स पर चढ़ती हुई उसके कमरे की तरफ चल दी, ये देखने कि इतनी देर रात तक आख़िर वो जाग क्यों रहा है…,

शायद उसे कोई प्राब्लम हो, या नयी जगह की वजह से उसे नींद नही आ रही हो इसका कारण जानने, लेकिन जैसे जैसे वो उसके कमरे की तरफ कदम बढ़ा रही थी, वैसे वैसे उनके कानों में कमरे से आती हुई कुच्छ अजीब सी आवाज़ों ने उन्हें और ज़्यादा आकर्षित कर दिया और वो किसी अंजान डोरे की तरह खींची हुई उसके कमरे तक चली गयी…

गेलरी में रखे उस कमरे की विंडो पर कूलर की साइड की एक झिर्री से जैसे ही उन्होने कमरे के अंदर झाँक कर देखा…, अंदर का नज़ारा देखकर उनकी आँखें चौड़ी हो गयी………!
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10-16-2019, 07:22 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सुषमा काफ़ी दिनो से शंकर से दूर ही थी, उसके जिस्म की आग बुझाने वाला और कोई था भी तो नही…,

कुच्छ तो एग्ज़ॅम की वजह से और घर के कामों का बोझ उपर से उसे अपनी माँ-बेहन को भी समय देना पड़ता था….!

लेकिन आज जैसे ही उसका बेटा गहरी नींद में सो गया, उससे रहा नही गया, वो चुपके से अपने बिस्तर से उठी, और बगल के रूम में सो रहे शंकर के रूम पर हल्के से दस्तक दे दी….!

शंकर भी अभी तक सोया नही था, हालाँकि उसे सुषमा की तरफ से पहले से ही कोई इशारा तो नही था लकिन उसे पक्का यकीन था कि आज वो उसके पास ज़रूर आएगी…,

अभी वो रास्ते की छेड़ छाड़ को याद करके मन ही मन उत्तेजित हो रहा था की तभी उसे अपने दरवाजे पर हल्की सी दस्तक सुनाई दी.., बिना एक पल गँवाए उसने पलंग से ही सीधी जंप दरवाजे पर लगा दी….!

सामने एक पिंक फूलों से जड़ी ट्रॅन्स्परेंट गाउन डाले सुषमा को देख कर उसकी बान्छे खिल उठी, ट्रॅन्स्परेंट कपड़े से उसके अन्तह्वस्त्र कमरे की रोशनी में साफ-साफ दिखाई दे रहे थे…,


जल्दी से सुषमा को अंदर करके उसने दरवाजे को लॉक किया और किसी बेसबरे पति की तरह उसे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर तक ले गया…!

शंकर सुषमा को लिए हुए ही बिस्तेर पर लेट गया, वो उसके उपर पड़ी उसकी छाती के छोटे छोटे बालों से खेलते हुए बोली – तुम्हें पता था मे आउन्गि..?

शंकर उसके नितंब शिखरों को अपने पंजों में भरते हुए बोला – हां, मुझे यकीन था कि आज आप ये मौका कभी नही छोड़ोगी…!

ज़ोर्से अपने नितंबों को मसले जाने पर सुषमा के मूह से आहह… निकल गयी.. वो कराहते हुए बोली – आहह…बहुत बदमाश होते जा रहे हो.., ये भी मेरे ही उपर मढ़ दिया…, तुम भी तो इतने उतावले हो रहे हो….!

लेटे हुए ही शंकर ने उसका गाउन उसके बदन से अलग कर दिया.., खुद भी मात्र एक फ्रेंची अंडरवेर में ही था.., उसके उन्नत उरोज बुरी तरह से उसके कठोर कसरती सीने से दबे हुए थे, दोनो के बीच दो पर्वत श्रंखलाओं के बीच की खाई भरकर एक दरार का रूप ले चुकी थी..,

शंकर ने अधरों को चूमकर उसके मुलायम और गोल-गोल कलश जैसे नितंबों को मींजते हुए कहा – आअहह…सुषमा मेरी जानन्न…आज तो तुम्हारा ये मखमली बदन बुरी तरह से दहक रहा है, कहीं मुझे ये जल्दी ही पिघला ना दे…!

शंकर की बात का कोई जबाब देने की बजाय सुषमा ने उसके सीने पर अपने तपते हुए होंठ रख दिए, एक प्यार भरा चुंबन लेकर वो बैठ गयी..,

उसे बैठा देख कर शंकर भी बैठ गया, और उसने खींचकर उसे अपनी गोद में बिठा लिया…, यही वो वक़्त था जब वर्षा देवी ने उनके कमरे में झाँक कर अंदर का नज़ारा देखने का प्रयास किया था…!

कसे हुए ब्रा में सुषमा के तने हुए कबूतरों को देखकर शंकर का मन डाँवाडोल होने लगा.., उसने पीछे से अपने दोनो हाथ उसके कबूतरों पर जमा दिए और उन्हें फड़फड़ाने का मौका दिए बगैर एक बार पूरी निर्ममता के साथ मसल डाला….!

सस्स्सिईईईईई….आअहह….मेरे राज्जाअ…ज़ोर्से नही…, दर्र्द्दद्ड..होता है…!

शंकर के हाथों अपनी भांजी के चुचि मर्दन होते देख वर्षा देवी की काम इच्छा जो महीनो से दबी पड़ी थी (पति की ढलती उमर उपर से बिज़्नेस के बोझ के कारण वो तो लगभग अपनी भरपूर जवान पत्नी को भूल ही चुके थे) ये देखकर एकदम से भड़क उठी…!

उनका हाथ स्वतः ही अपने पूर्ण विकसित वक्षों पर चला गया और वो उन्हें ब्लाउस के उपर से ही मसलने लगी…!

शंकर ने उसकी गोरी चिकनी पीठ को चूमते हुए पीछे से उसकी ब्रा के हुक्स भी खोल दिए, दोनो कबूतर फड़फ़डाकर बंधन मुक्त हो गये, हल्की सी ढलान लिए वो दोनो तन्कर खड़े हो गये जो किसी भी मर्द को चेलेंज कर सके की आओ हमें पकड़ कर दिखाओ…!

शंकर ऐसे चेल्लेंज लेने से कहाँ पीछे हटने वाला था.., उसने अपने दोनो हाथों से उन्हें सहलाते हुए उनकी चोंचों को अपनी दो उंगलियों के बीच दबा लिया…..!

सुषमा की सिसकी एक बार फिर कमरे में गूँज उठी…!

नीचे से उसका नाग फुफ्कारें मार रहा था, दो कपड़ों की दीवार के बबजूद भी वो उसकी गान्ड की दरार में फिट हो चुका था और उसके छोटे से बिल में घुसने की कोशिश कर रहा था..,
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10-16-2019, 07:23 PM,
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उंगलियों से निप्पलो की मसाज, नीचे रोड जैसे सख़्त लंड का गान्ड के छेद पर ठोकर लगने से सुषमा का बुरा हाल होता जा रहा था.., उसकी पैंटी सामने से गीली होने लगी थी…!

शंकर ने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाल दिया, अंदर जाते ही वो उसके कामरस से गीला हो गया.., चिकनी चूत की फांकों को सहलाते हुए उसने अपनी एक उंगली जैसे ही उसकी गीली चिपचिपा रही चूत के छेद में डाली…!

सुषमा ने सिसक कर अपनी जांघों को भींच लिया…, जैसे तैसे शंकर ने अपना हाथ बाहर निकाला और अपनी गीली उंगलियों को चटकारे लेकर चाट लिया…!

उसकी इस हरकत पर सुषमा बुरी तरह शर्मा गयी…, उधर ये सब देख कर मामी का भी हाल कोई ज़्यादा अच्छा नही था, उन्हें भी अपनी जांघों के बीच गीलापन महसूस होने लगा था…!

सुषमा को ये सब सहन करना अब दूभर होने लगा था, वो उसकी गिरफ़्त से आज़ाद होकर शंकर की टाँगों की तरफ खिसक गयी…, एकबार उसने शंकर के अंडरवेर के विशालकाय तंबू को ज़ोर्से दबा दिया…, और फिर उसकी चड्डी को निकाल फेंका…!

शंकर के लंड का साइज़ देख कर मामी के मूह से चीख निकलते निकलते रह गयी…, इससे पहले कि उनके मूह से कोई आवाज़ निकलती उन्होने अपना एक हाथ अपने मूह पर रख लिया..,


इससे पहले शायद उन्होने कभी 8” लंबा और खूब मोटा ताज़ा लोहे जैसा कड़क लंड अपनी जिंदगी में देखा नही था…!

हाए राम…, ये किसी आदमी का लंड है या घोड़े का.., लाल सुर्ख दह्कते लंड को देखकर इतनी दूर से ही डर के मारे उनकी चूत ने और पानी छोड़ दिया जो अब उनकी जांघों पर बहने लगा था.

उनसे रहा नही गया, और अपना हाथ जांघों के बीच ले जाकर अपनी गीली चूत को साड़ी से ही दबाकर पोंच्छ डाला.., यहीं वो मात खा गयी.., हाथ लगते ही चूत से चिंगारियाँ सी फूटने लगी.., और वो चाहकर भी अपना हाथ वहाँ से हटा नही पाई…!

उधर सुषमा ने अपने प्रियतम का मूसल जैसा सख़्त लॉडा अपने हाथों में ले लिया.., उसकी गर्मी से उसकी चूत फूल पिचकने लगी..,

एक बार उसने शंकर के गरमा-गरम लंड को अपने मुलायम गालों से मसला और फिर उसे अपने मूह में ले लिया…! वो उसकी अपनी लार और जीभ से सेवा करने लगी.., ये देखकर मामी भी अपने हाथ की उंगली को मूह में देकर चचोर्ने लगी…!

कुच्छ देर लंड चुसाई करके सुषमा ने अपनी पैंटी उतार फेंकी, और अपनी रस से लिथड़ी हुई चूत को लंड पर सेट करके वो उसके उपर बैठती चली गयी…!

ना जाने कब मामी की साड़ी भी कमर तक जा पहुँची और उनकी दो उंगलियाँ चूत के अंदर पहुँच गयी…, पूरा लंड अंदर होते होते ही दो सिसकियाँ एक साथ निकल पड़ी…

एक कमरे के अंदर और दूसरी कमरे के बाहर…..! सुषमा ने धीरे धीरे लय पकड़ना शुरू किया.., उसी लय से वर्षा देवी की उंगलियाँ भी उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगी…!

चूत से रस टपक-टपक कर जांघों को भिगोने लगा…, जिसका उन्हें कोई भान नही रहा था…, वो बस अंदर का बाइज़कॉप देखते हुए अपने दाँत पर दाँत चढ़ाए सुषमा की लय से लय मिलाती जा रही थी…!

सुषमा की चूत का रस भी शंकर के टट्टों को गीला कर चुका था.., सुषमा के कूदने से शंकर का काम नही बन पा रहा था.., कुच्छ देर तो उसने नीचे से ही अपनी गान्ड उचका कर धक्के देने की कोशिश की…लेकिन सुषमा उसके साथ लय मिलाने में असमर्थ रही…..

उसने एक झटके से उसे अपने नीचे लिया, और उसकी जांघों को पेट से सटा’ते हुए जो हवाई जहाज़ बनाया…, सुषमा हाए—हाए—करती हुई झड़ने लगी…

साथ ही मामी का भी ट्यूब वेल चालू होगया और वो बुरी तरह से हाँफती हुई वहीं खड़े-खड़े झड़ने लगी…!

ये घोर अचंभे की स्थिति थी उनके लिए.., इतना जबरदस्त स्खलन उन्हें आज पहली बार हुआ था.., यहाँ तक कि उनके पति के चोदने पर भी नही, उनसे खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया और वो दीवार से पीठ सटा कर वही पर बैठकर लंबी-लंबी साँसें भरने लगी…!

अंदर निरंतर शंकर की धुआँ धार चुदाई का दौर चल रहा था, जिसका प्रमाद था सुषमा की निरंतर बढ़ती सिसकारियाँ, किल्कारियाँ…, लेकिन अब उनमें ये सब देखने की हिम्मत वाकी नही थी..,

साड़ी से अपनी चूत और जाँघो को पोन्छती हुई धीरे धीरे कदम बढ़ाकर वो जीने की तरफ बढ़ गयी…..!

नीचे आकर वो सीधी बाथरूम में घुस गयी, अच्छे से साफ सफाई काके वो जैसे ही फारिग हुई कि तभी डोरवेल्ल चीघाड़ उठी….!!!!
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10-16-2019, 07:23 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
बाल-बाल बचे, कहीं और आगे का खेल देखने लग जाती तो आज तो फँस ही जाना था… ऐसा ही कुच्छ बड़बड़ाते हुए उन्होने लपक कर गेट खोला.., सामने अपने थकेले पति को देखते हुए पुछा….!

आज तो आप कुच्छ ज़्यादा ही लेट हो गये…, खाना लगाऊ…?

पुरुषोत्तम – हां, आज एक कस्टमर के साथ मीटिंग में कुच्छ ज़्यादा ही देर हो गयी, खाना मे खाकर ही आया हूँ, तुमने तो खा लिया होगा…?

वर्षा – हां, आज सुषमा बिटिया आई हैं अपनी नौकरानी के बेटे के साथ तो उन लोगों के साथ ह्मने भी खा लिया था…!

ये सब बातें करते हुए वो बेडरूम में आगये.., सेठ ने अपने सोने के कपड़े बदल कर बिस्तर पकड़ लिया…!

पुरुषोत्तम – क्या वोही लड़का है., जिसने इन लोगों की कई बार मदद की है…, क्या नाम है उसका…?

वर्षा – शंकर…शंकर नाम है उसका, सुषमा बता रही थी, बहुत ही हौन्हार और बहादुर लड़का है.., पढ़ाई के साथ साथ घर के सारे काम-काज संभाल लिए हैं उसने, अब वो उसे यहाँ से एमबीए कराना चाहती है आगे उनका बिज़्नेस संभालने के लिए…!

वर्षा ये सब बताती जा रही थी.., लेकिन वहाँ सुनने वाला कोई नही था…, कुच्छ ही देर में सेठ के खर्राटे कमरे में गूंजने लगे…, लेकिन वर्षा देवी की आँखों से नींद कोसों दूर थी…!

उन्हें रह रह कर शंकर के रूम के वो सीन याद आ रहे थे, शंकर का वो फन्फनाता लाल सुर्ख डंडे जैसा लंड बार बार उनकी आखों में घूमने लगता और उसकी कल्पना मात्र से ही उनकी चूत फिरसे रिसने लगी…!

खुली आँखों से वो शंकर का मस्त मलन्द लंड अपनी चूत में फील करके उसे मसल्ते हुए इधर से उधर करवट बदलने लगी…, जब कोई राह नही दिखाई दी तो हार मानकर एक बार फिरसे उनकी उंगलियाँ चूत के अंदर घुस गयी..!!!

सुषमा और शंकर की मुलाकात मामा जी से नाश्ते की टेबल पर ही हुई, सुषमा के शंकर के बारे में बताने के बाद मामा जी ने भी उसकी खूब तारीफ़ की जैसा कि उन्हें उसके बारे में मालूमात था..,

जब सुषमा ने अपने आने का मक़सद बताया तो मामा जी बोले – अरे इसमें पुच्छने की क्या बात है, तुम्हारा अपना कॉलेज है बेटी.., मे तो कहता हूँ, तुम लोग चारू के साथ आज कॉलेज जाकर देख लो…, प्रिन्सिपल को बोलकर आज ही अड्मिशन भी करा लेना…!

शंकर – लेकिन मालिक मेरा तो अभी तक रिज़ल्ट भी नही आया है…!

ममाजी – मालिक नही, जब तुम सुषमा को भाभी बोलते हो तो मुझे भी मामा जी ही कहो…, रही बात रिज़ल्ट की तो पास तो हो ही जाओगे ना…?

शंकर – वो तो पक्का है, और शायद काफ़ी अच्छे मार्क्स के साथ….!

मामा जी – बस तो फिर कोई प्राब्लम ही नही है.., अच्छा मे चलता हूँ, तुम लोग दो-चार दिन तो रुकोगे ना…!

सुषमा – नही मामा जी.., हम तो आज ही निकलने वाले थे, लेकिन जब आप कॉलेज जाने के लिए बोल रहे हैं तो कल निकल जाएँगे, वैसे भी घर की ज़िम्मेदारी अकेले पिताजी नही संभाल पाते हैं अब…!

मामा जी – जैसा तुम चाहो.., अचा मुझे ज़रा देर हो रही है.., तुम लोग अच्छे से नाश्ता करो, शाम को मिलते हैं ओके.., इतना कहकर वो अपना बॅग लेकर हॉल से बाहर निकल गये…!

आज मामी को रात भर नींद ना आने के कारण उनकी आँखें कुच्छ बोझिल सी हो रही थी…, आज उन्होने बहुत ही हल्के कलर की पिंक साड़ी पहनी हुई थी, वो मामा जी के जाते ही ठीक शंकर के सामने आकर बैठ गयी…!

वैसे तो काफ़ी डीप गले के ब्लाउस के कारण उनकी घाटी हल्की साड़ी के कारण पल्लू के बावजूद भी दिखाई दे ही रही थी फिर भी उन्होने बैठते हुए अपना आँचल थोड़ा और ढालका दिया जिससे वो शंकर को अपने यौवन के दर्शन करा सकें…!

मामी के मन में क्या चल रहा है इस सबसे बेख़बर चारू और सुषमा दोनो अपनी बातों में लगी हुई थी…!
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10-16-2019, 07:23 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर के बाजू में सुषमा बैठी थी और उसके सामने चारू, अपने डॅडी के जाते ही वो बोली – तो फिर क्या प्रोग्राम है दीदी, चल रही हैं ना आप मेरे साथ कॉलेज.. ?

सुषमा ने शंकर की तरफ देखा जो अभी अभी मामी के यौवन को एक नज़र देखकर अपनी नज़र नीची करके नाश्ते में लगा था…, क्या कहते हो शंकर, आज ही चलें अड्मिशन लेने…?

शंकर ने मुस्कराते हुए कहा – जैसी आप लोगों की मर्ज़ी…!

शंकर का जबाब सुनकर सुषमा और चारू अपना प्लान बनाने में मशगूल हो गयी.., इसी का लाभ उठाते हुए मामी ने बड़ी चालाकी से अपना पल्लू ढलका दिया और हलुये की प्लेट उठाकर शंकर की तरफ झुक कर हलुये की प्लेट से उसकी प्लेट में डालते हुए बोली –

लो शंकर बेटा हलुआ और लो, बादाम पिसता पीस कर बनाया है मेने.., ये कहते हुए वो बिल्कुल उसके चेहरे के सामने झुक गयी…. जिससे उनकी दोनो पहाड़ियाँ शंकर की नज़रों के सामने आगयि…!

गहरे गले के ब्लाउस से उनकी दोनो चट्टानों के ढलान और उनके बीच की गहरी खाई अंदर तक शंकर की नज़रों के सामने थी…!

दूध जैसी गोरी-गोरी चुचियों को देखकर शंकर का मंन मचल उठा.., उसका लंड पॅंट में करवट बदलने पर मजबूर हो गया…!

आहह…क्या मस्त भरा हुआ यौवन है मामी का…, देखकर ही शंकर के मूह में पानी आ गया.., अपने पर काबू रखते हुए मुस्करा कर उसने एक चम्मच हलुआ ले लिया, लेकिन जब उन्होने दूसरी चम्मच आगे बधाई तो शंकर ने उनकी घाटी में नज़र गढ़ाए हुए ही कहा… अब और नही मामी जी ज़्यादा हलुआ खाना ठीक नही…!

मामी ने अपने नीचे के होठ को थोड़ा दबाते हुए कहा – तो और क्या चाहिए तुम्हें…?
शंकर – बस मामी जी, अभी इससे ज़्यादा कुच्छ नही, मेरा अभी का कोटा फुल हो गया…!

मामी – अरे वाह ऐसे कैसे हो गया…? गाओं के रहने वाले हो, इतने से ही पेट तो नही भरा होगा.., अपनी घाटी की तरफ इशारा करते हुए – शरमाओ मत, ये घर भी तुम्हारा ही है.., अच्छे से पेट भरकर खा लो…!

शंकर – अब इतना ज़िद कर रही हैं, तो थोडा रस मलाई ले लेता हूँ, मामी ने हलुये की प्लेट टेबल पर रख कर रस मलाई की प्लेट से उसी पोज़ में उसे रस मलाई सर्व की जिससे वो जी भरकर उनके यौवन का रस्पान कर सके….!

शंकर अच्छे से समझ चुका था कि मामी के दिल में क्या है.., खास तौर से अधेड़ औरतों को वो अब अच्छे से समझने जो लगा था…!!!

नाश्ते के बाद वो तीनों तैयार होकर कॉलेज निकल गये, गाड़ी चारू ही ड्राइव कर रही थी, उसके बगल में सुषमा और पीछे की सीट पर शंकर था.

शंकर के प्रति चारू के मन में क्या है ये तो पता नही लेकिन अब तक उसे अनदेखा ही कर रही थी.., वो ये दिखाने की कोशिश कर रही थी कि उसमें उसे कोई इंटेरेस्ट नही है…, वो एक साधारण सा गाओं का लड़का है और खुद वो एक रईस बाप की बेटी जिसका कोई मुकाबला नही…,

कॉलेज पहुँच कर वो तीनो गाड़ी से उतरे…!

विशालकाय कॉलेज की शानदार बिल्डिंग को देख कर शंकर की आँखें फटी रह गयी.., वो तो इसे बाहर से कोई क़िला समझ रहा था.., ये दरअसल यूनिवर्सिटी थी जिसमें हर तरह की उच्च सिक्षा प्राप्त की जाती थी…!

जब वो तीनों बड़ी सी गॅलरी से गुजर रहे थे.., सुषमा और चारू दोनो आगे आगे चल रही थी, उनके ठीक पीछे शंकर.., उसकी एकटक नज़र बस एक टाइट स्ट्रेचाबल जीन्स में कसी हुई, गोल मटोल चारू की गांद की गोलाइयों पर ही टिकी हुई थी जो कदमों के हिसाब से पतली कमर के नीचे इधर-से उधर लहरा रही थी…!

क्या फिगर हैं साली के…, एक बार चखने को मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाए… ये शंकर ही नही कॉलेज का शायद हर नव-युवक यही सोचता होगा.., लेकिन ये मलाई किसके भाग्य में होगी, ये भविश्य की बातें थी…!

बहरहाल, कुच्छ दूर चलने के बाद वो तीनों प्रिन्सिपल के ऑफीस में जा पहुँचे.., चारू को देख कर प्रिन्सिपल अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ.., चारू ने उसे अपनी जगह पर बैठने का इशारा किया और खड़े खड़े ही उसने सुषमा और शंकर का परिचय दिया और उसके अड्मिशन के बारे में बताया…!

प्रिन्सिपल को भला क्या एतराज होना था.., थोड़ी सी प्रक्रिया के बाद उसका अड्मिशन हो गया, वहाँ से वो तीनो कुच्छ देर और कॉलेज में ही घूमते रहे.., और फिर दो-ढाई बजे तक घर लौट लिए…..!!!
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10-16-2019, 07:23 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उधर उन तीनों के कॉलेज चले जाने के बाद वर्षा देवी नौकरों को काम समझाकर अपने कमरे में चली गयी.., उन्हें अभी भी ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो शंकर उनके यौवन का रस्पान कर रहा है…!

बड़े बुजुर्ग कह गये हैं “सोते हुए शेर को जगाना अच्छा नही होता” वरना वो बहुत ख़तरनाक हो जाता है.., ठीक उसी तरह औरत की काम इच्छा जब तक सो रही है तब तक ही ठीक है.., एक बार जाग गयी तो उसे संभालना खुद को ही भारी पड़ता है…!

यही हाल इस समय वर्षा देवी का हो रहा था.., बीते लगभग एक डेढ़ साल से उनका अमृत कुंड तो जैसे सूख ही गया था.., पति की ढलती उम्र, उपर से बढ़ते बिज़्नेस का बोझ, वो तो जैसे अपनी पत्नी की इच्छाओं को भूल ही चुके थे…!

पति की मजबूरियों के चलते नारी लज्जा बस बेचारी वर्षा देवी भी अपनी इच्छाओं को मार ही चुकी थी…, लेकिन अभी उनकी उमर ही क्या थी..? 35-40 के बाद तो औरत भरपूर जवान होती है.., इस उमर में तो कई औरतें नये-नये जवान लंड की तलाश करती रहती हैं..,

लेकिन घर और समाज की मर्यादाओं ने वर्षा देवी बाँध रखा था, घर में जवान होती बेटी है, इसलिए उन्होने अपने मन को समझकर हालातों से समझौता कर लिया था.

लेकिन आज रात की अपनी भांजी की धुँआ-धार चुदाई को देखने के बाद उनकी दशा, दिशा और सोच को ही बदल डाला, रुका हुआ अमृत कलश छलक पड़ा था जो अब बार बार छलक्ने को बेताब था..,

कमरे में आते ही एक बार उन्होने आदमकद आईने में अपने आप को उपर से नीचे तक निहारा…, इस उमर में अक्सर बड़े घरों की औरतें बेडौल हो जाती हैं..,

पेट इतना बाहर आ जाता है कि कितनी ही खूबसूरत औरत क्यों ना हो पेट के बाहर आते ही उसकी अगाड़ी और पिछाड़ी दोनो का ही लुक खराब हो जाता है…, औरत रूई के बोर जैसी दिखने लगती है…!

लेकिन वर्षा देवी ऐसी नही थी, अब्बल तो वो नौकरों के साथ हाथ बँटाती रहती थी, चाहे वो घर का काम हो या गार्डेन का जो उनकी विशालकाय कोठी के बड़े से कॉंपाउंड का ही एक हिस्सा था.

साथ ही मेंटेंड डाइयेट के साथ साथ रोज़ सुबह उठकर वो गार्डेन में चक्कर लगाती रहती थी, थोड़ी बहुत एक्सर्साइज़ भी करती रहती थी, इस वजह से उनका पेट आगे नही आपाया था…

लेकिन उम्र के साथ साथ उनका वक्षस्थल और तशरीफ़ दोनो में बदलाव आ गया था, इसलिए वो अब 36-32-38 के फिगर में थी.., लेकिन हाइट अच्छी होने के कारण उनका ये फिगर और ज़्यादा सेक्सी लगता था…!

आईने में देखते हुए उनके हाथ स्वतः ही अपने बदन पर चलने लगे.., गले से उतरते हुए नीचे आने से पल्लू नीचे गिर गया, डीप ब्लाउस से दोनो चट्टानों की ढलान, उनके बीच की खूब गहरी खाई किसी का भी लंड खड़ा कर देने के लिए काफ़ी थी..

अपने इस जान मारु यौवन को देख कर वो खुद से ही शर्मा गयी.., मस्ती का ऐसा खुमार च्चाया की दोनो हाथों से अपने यौवन का मर्दन करने लगी…!

आगे पीछे सब तरफ से अपने आप को निहारते हुए वो मन ही मन बुदबुदाई – तू अभी भी जवान है वर्षा… कोई भी मर्द तुझे देखकर चोदने के लिए बाबला हो सकता है.., कहते हुए उन्होने अपनी साड़ी निकाल फेंकी…!

मात्र पेटिकोट में अपने कलश जैसे नितंबों को देख कर वो खुद ही उन्हें मसलने लगी.., कभी अपनी चुचियों को मसल्ति तो कभी अपने विशाल मखमली नितंबों को…!

उनकी काम वासना बढ़ती जा रही थी, दोनो केले के तने जैसी मोटी चिकनी जांघों के बीच गीलेपन का एहसास होने लगा..,

उनके हाथ मशीनी अंदाज में अपने बदन पर चलने लगे.., एक-एक करके सारे बदन के कपड़े साथ छोड़ते गये और वो आईने के सामने मादरजात नितन्ग नंगी खड़ी थी…!

आईने के सामने मदरजात अपना रेशमी बदन देखकर वर्षा देवी एक बारगी खुद ही शरमा गयी, उनकी पलकें शर्म से झुक गयी…, अपने सुन्दर गदराए मखमली बदन को देखने के लालच ने उन्हें फिरसे आईने में झाँकने के लिए मजबूर कर दिया…!

वासना की खुमारी, रात की बैचानी उनके तन मन पर हाबी होने लगी.., उनके हाथ फिरसे हरकत करने लगे…और..और..उन्होने दोनो कबूतरों को अपने शिकंजे में कस लिया…!

अपने पके हुए दोनो दशहरी आमों को मसल्ते हुए वो आहें भरने लगी.., कभी अपने निप्पलो को पकड़ कर मरोड़ देती, तो कभी उनको अपने थूक से गीला करके अपनी हथेली से मसल देती…!

ऐसा करने से उन्हें एक असीम सुख की अनुभूति होने लगती…, उनकी दोनो जांघों के बीच का गीलापन और बढ़ने लगा…!

वर्षा देवी इस समय खुद के लिए ही रति का स्वरूप प्रतीत हो रही थी.., वो कल्पना के सागर में डूबते हुए अपने ही हाथों को शंकर जैसे किसी जवां मर्द को फील करते हुए पूरे बदन पर फेरते हुए उत्तेजना के चरम को छुने का निरंतर प्रयास में लगी थी…!

अपने मुलायम नरम मखमली बदन को सहलाते हुए उनका हाथ जांघों के बीच जा पहुँचा जहाँ अमृत का सागर हिलोरें मार रहा था.., शीशे में देखते हुए उन्होने अपनी टाँगों को खोला, जहाँ उन्हें दो मोटे मोटे मुलायम होठों के बीच की दरार से होते हुए उस अमृत कुंड का द्वार मिल गया…!

अपनी चूत की फांकों को सहलाते हुए उन्हें अपार सुख का एहसास होने लगा.., फिर जैसे ही उनकी उंगली ने जो खुद के ही कामरस से गीली हो रही थी… उसे बूँद बूँद रिस्ति हुई सुरंग के अंदर प्रवेश करा दिया…!

सस्सिईइ…आअहह….शंकर….मेरे राजाअ…कहाँ हो तुम…, अपनी रानी की तड़प कब मिटाओ..ऊओ..ग्गीए…आआयईी……बोलते हुए उनकी दो उंगलियाँ गीली चूत में समा गयी…!

कुच्छ देर खड़े-खड़े ही वो उंगलियों को अंदर बाहर करती रही…, लेकिन अब उन्हें अपनी चूत में कोई कड़क दमदार चीज़ चाहिए थी डालने के लिए…, उंगलियाँ उनकी चूत की मुराद पूरी करने के लिए ना-काफ़ी साबित हो रही थी…

उनकी खोजी नज़रें चारों तरफ कमरे में घूमने लगी…, कुच्छ ऐसा मिले जिसे वो अपनी चूत में डालकर उसकी खुजली को शांत कर सकें…!

उनकी बैचैन निगाहों को आख़िर वो चीज़ मिल ही गयी…, उन्होने लपक कर ड्रेसिंग टेबल पर पड़े रोलिंग कोंब को उठा लिया जिसका प्लास्टिक का हॅंडल शंकर के लंड की तरह मोटा और लंबा तो नही था.., लेकिन फिलहाल कुच्छ हद तक उनकी चूत को तसल्ली दे सकता था…!

वर्षा देवी ने पहले एक बार उसे अपने मूह में लेकर कुच्छ देर उसे लंड समझकर चूसा.., अपनी लार से उसे खूब गीला किया और फिर उसे अपनी चूत की मोटी-मोटी मुलायम फांकों पर रगड़ने लगी…!

ये एक अलग तरह का ही एहसास था उनके लिए.., कोंब पर दबाब डालते हुए कुच्छ देर वो अपनी चूत की फांकों को उससे रगड़ती रही…, अब उन्हें सबर करना बड़ा मुश्किल पड़ रहा था…, सो साँस रोक कर उन्होने उसका पतले लंड जितना मोटा और लगभग 3” लंबा हॅंडल अपनी चूत में पेल दिया….!

मुद्दतो के बाद कोई कड़क चीज़ उनकी चूत में गयी थी…, खूब रसीली चूत में वो अंदर तक सरक गया…मज़े और हल्के से दर्द का मिला जुला एहसास पाकर उनकी आँखें मुद गयी.., वो उसे धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी…!

कुच्छ देर बाद स्वतः ही उनके हाथ की गति बढ़ने लगी और वो तेज तेज हॅंडल को अंदर बाहर करते हुए अपनी चूत को चोदने लगी…!

मूह से सिसकियाँ फूटने लगी…, कमर अपने आप आगे पीछे होने लगी…, और फिर वो क्षण भी आगया जिसके लिए वो इतनी देर से प्रयासरत थी…, कमर में एक जोरदार कंपन हुआ और पूरा हॅंडल चूत में ठेस कर वो भल-भलाकर झड़ने लगी…!

जब उनका झड़ना बंद हो गया तो उनकी टाँगें काँपने लगी…, खड़ा रहना दूभर हो गया और वो अपनी टाँगें चौड़ी करके, हॅंडल को चूत में ही चेंपे वो वहीं फर्श पर बैठ गयी…!

साँसें बहुत तेज हो चुकी थी मानो वो मीलों दौड़कर आई हों.., बैठे बैठे उनकी आँखें भी मुन्द्ने लगी.., आज काफ़ी मुद्दत के बाद उन्हें अपार सुख का अनुभव हुआ जिसे वो अपने अंदर समेटना चाहती थी…!

बुझे मन से उन्होने उस कोंब को बाहर निकाला, उठकर उन्होने अपने कपड़े पहने और बिस्तेर पर पड़ते ही उन्हें गहरी नींद ने दबोच लिया…, कुच्छ तो जोरदार स्खलन उपर से रात की आधी अधूरी नींद… वो काफ़ी गहरी नींद में चली गयी…!!!!
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10-16-2019, 07:23 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
वर्षा देवी की नींद किसी के दरवाजा खट खटाने पर ही खुली.., अलसाए मन से उन्होने गेट खोला, सामने उनकी बेटी चारू खड़ी थी, उन्हें देखते ही बोली…

क्या बात है मम्मी आज आप अभी तक सो रही हैं, आज तक मेने आपको दिन में सोते हुए कभी नही देखा…?

हां बेटा.., पता नही आज मेरी आँख कैसे लग गयी वर्षा देवी ने नज़र झुकाए हुए कहा…, फिर माँ बेटी ड्रॉयिंग हॉल में आगयि जहाँ सुषमा और शंकर बैठे आपस में कुछ बातें कर रहे थे…!

उन दोनो पर नज़र पड़ते ही उन्हें रात का वो सीन याद आगया और उनके मन में फिरसे उथल पुथल शुरू होने लगी…!

लंच का समय था तो नौकरों को आवाज़ लगा कर उन्होने लंच लगवाया और फिर सबने मिलकर एक साथ लंच लिया…!

लंच के दौरान भी ज़्यादातर दोनो बहनें तो आपस में बातों में ही लगी रही लेकिन मामी ने शंकर को सिड्यूस करने के हर संभव प्रयास किए.., अपनी भरपूर गुदाज जवानी के जलवे बिखेरते हुए उन्होने कई बार शंकर के नाग को अपना फन फैलाने पर मजबूर कर दिया…!

उनकी हर अदा पर शंकर का मन बिचलित होने लगता था.., वर्षा देवी का हुश्न उसकी माँ रंगीली से किसी मायने में कम नही लगा उसे…!

अब उसे इस बाबत कोई शक शुबह नही बची थी, मामी को उसके लंड की तीब्र इच्छा हो रही है फिर भी उसने अपने आप पर काबू रखने का हर संभव प्रयास किया…!

शंकर नही चाहता था कि समय से पहले सुषमा को ये भान भी हो कि वो मामी के प्रति कैसे विचार रखता है, वरना बना बनाया खेल पल भर में बिगड़ सकता है…,

आज वो लालजी के घर में जिस मुकाम पर है उसमें सुषमा का बड़ा हाथ रहा है, अगर वो नाराज़ हो गयी तो फिर खेल ख़तम और पैसा हजम, वो और उसका परिवार फिर से ग़रीबी में जीने पर मजबूर हो जाएगा…!

उधर जैसे ही शंकर की प्यासी नज़रें वर्षा देवी के अर्धनग्न यौवन पर फिसलती, एक अनौखे एहसास से उनकी चूत गीली होने
लगती…, लेकिन लाजवस वो अपनी सीमा पार नही कर पा रही थी…!

अभी उनका चक्षुचोदन चल ही रहा था कि तभी सुषमा ने बॉम्ब फोड़ दिया…!

सुषमा – शंकर जल्दी से लंच ख़तम करके निकलते हैं घर को, पिताजी परेशान हो रहे होंगे वहाँ पर…!

अचानक से दोनो के भजन में भन्गा पड़ने पर वो एक दम से उच्छल से पड़े.., वर्षा देवी जो मंन ही मंन शंकर के मोटे तगड़े लंड जिसको वो अपनी भांजी की सुर्ख गुदाज चूत में सतसट किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर होते हुए देख चुकी थी उसे
अपनी मक्खन जैसी मुलायम माल पुए जैसी चूत में भी लेने की योजना बना चुकी थी, सुषमा के शब्दों ने उसकी योजना पर ढेर सारा पानी उडेल दिया…!

इस समय उसकी खुद की भांजी किसी सौतन के रूप में दिखाई दे रही थी.., कुछ देर पहले उसकी चूत शंकर के लंड की
परिकल्पना से खुशी के आँसू टपका रही थी, उसके दोनो होठ फड़कने लगे थे अब वो दोनो आपस में सट गये…!

वो दोनो एक दूसरे के दीदार-ए-हुश्न में इस कदर खोए हुए थे, वो तो अच्छा था कि उन दोनो लड़कियों का ध्यान इनकी तरफ
नही था, और खाते-खाते ही सुषमा ने ये बात कही थी…, वरना इनकी चक्षुचोदन क्रिया का भंडा फुट जाता…!

सुषमा की बात पर शंकर ने संभलते हुए अपनी रज़ामंदी दे दी.., वहीं मामी अभी भी सकते जैसी हालत में थी…, कहाँ वो आज
रात को किसी तरह शंकर से चुदना चाहती थी और अब कहाँ सुषमा ने उसके अरमानो पर फ्रीज़ का पानी उडेल दिया…!

थोड़ा वक़्त लगा उन्हें सामान्य होने में और फिर अपनी वाणी को संतुलित करते हुए बोली – अरे सुषमा बेटी.., ऐसी भी क्या जल्दी है जाने की.., एक दो दिन और शहर घूम लो.., कोई अच्छी सी फिल्म लगी होगी उसे देख आओ.., आराम से चली जाना…, वैसे भी कहाँ रोज़ रोज़ आती हो हमारे यहाँ…?

सुषमा – नही मामी जी…, आपको तो पता ही है, सारे कारोबार की ज़िम्मेदारी मेरे और शंकर के उपर है.., वो तो इसे आगे पढ़ने की वजह से यहाँ शहर में रहना पड़ेगा…, वरना तो इसके बिना हमारा काम चलना कितना मुश्किल होता है…!

वर्षा देवी उसकी बात सुनकर मंन ही मंन भुन्भुनाने लगी---क्यों नही बेटी.., तेरी चूत की खुजली जो मिटाता रहता होगा समय समय पर.., इसलिए इसके बिना तुम्हारा काम नही चलता है…!

इधर वो मंन ही मंन बुदबुदा रही थी उधर सुषमा ने आगे कहा… वैसे आप चिंता ना करो मामी, एक बार शंकर यहाँ पढ़ने लगेगा तो मे भी कभी कभी आती रहूंगी…!

वर्षा देवी मंन में – हां हां साली छिनाल, यहाँ आके भी उसका लॉडा लेगी ना.., फिर प्रत्यक्ष में बोली – जैसी तुम्हारी मर्ज़ी बेटा.., वैसे शंकर कब तक यहाँ आओगे..?

चारू – बस ये सेशन ख़तम हो जाए, दो महीने बाद जैसे ही दूसरा सेशन शुरू होगा ये यहाँ आ जाएँगे.., हमने प्रिन्सिपल से हॉस्टिल की भी बात कर ली है…!

वर्षा देवी को हॉस्टिल की बात सुनकर एक तेज झटका लगा…, फिर भी अपने आप पर काबू रखते हुए बोली – अरे चारू…हॉस्टिल क्यों.., हमारा घर इतना बड़ा है.., यहाँ रहने में क्या प्राब्लम है…!

सुषमा – वो क्या है ना मामी.. खामखा हमारी वजह से आप लोगों को कोई तकलीफ़ ना हो, मामा जी की वजह से अड्मिशन मिल गया ये भी बहुत है…!

वर्षा देवी – इसके यहाँ रहने से भला हमें क्या तकलीफ़ होगी, उल्टा घर में सहयोग ही रहेगा एक दूसरे से.., नही कोई हॉस्टिल
वॉस्टिल में नही रहना…, तुम यहीं हमारे साथ रहोगे शंकर… कहे देती हूँ…हां….!

शंकर ने एक नज़र मामी के चेहरे पर डाली जिसपर हॉस्टिल की बात से कुछ नागवारि सी झलकने लगी थी.., उनसे नज़र
मिलते ही उनकी मनोदशा का अनुमान लगते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी…,

शंकर – मेने सोचा आप इतने बड़े लोग हैं, आपके साथ रहने की मेरी हसियत कहीं आपके मान सम्मान में कमी ना ला दे…,
इसलिए मेने ही ये फ़ैसला किया कि मे हॉस्टिल में रहूं…!

वर्षा देवी लगभग बिफर्ते हुए लेकिन संयत लहजे में बोली – क्या कहा तुमने… तुम्हारे यहाँ रहने से हमारी मान मर्यादा कम हो जाएगी…, ये तुमने सोचा भी कैसे…, या चारू ने ऐसा कुछ तो नही कहा…!

चारू – क्या मम्मी आप भी…, मे भला ऐसा क्यों कहूँगी…? वैसे ये यहाँ रहे या ना रहे.., इस बात को लेकर आप इतनी पोज़ेसिव क्यों हो रही हो..?

वर्षा देवी – तू अभी बच्ची है, दुनिया दारी की बातें नही समझती…, ये हॉस्टिल में रहेगा… तो भला समधी जी या गाओं के और
लोग क्या सोचेंगे.., देखो सुषमा के मामा-मामी कितने छोटे दिल के हैं, एक लड़के को भी अपने घर में नही रख सके…!

सुषमा उनकी बात पर हँसते हुए बोली – ऐसा कोई सोचने वाला नही है मामी जी आप खाम्खा इतना परेशान ना हों…, अगर
आपको लगता है कि कोई ऐसा सोचेगा तो आपको जो उचित लगे वो करना… ठीक है…!

वर्षा देवी – तुम बस यहीं हमारे साथ ही रहोगे शंकर… ठीक है..,

शंकर ने मुस्कराते हुए अपनी रज़ामंदी दे दी…, लंच ख़तम करके वो सभी कुछ देर और आपस में बातें करते रहे, कुछ देर बाद वो गाओं के लिए निकल पड़े…!

जीप तक सुषमा के बेटे को चारू ने अपनी गोद में उठा लिया, वो दोनो बातें करते हुए जीप तक आई.., तभी पीछे से मामी ने शंकर का हाथ पकड़कर रोका और उसकी आँखों में आँखें डालकर बोली….!

कॉलेज खुलने से पहले ही आ जाना शंकर…, और हां यहीं सीधे हमारे घर ही आना, मे तुम्हारा इंतेजार करूँगी…, ये कहते हुए उन्हें उसका हाथ ज़ोर्से दबा दिया….!

शंकर ने बड़े प्यार से अपना हाथ मामी के हाथों से अलग किया और मुस्कराता हुआ जीप की तरफ बढ़ गया………………..!
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10-16-2019, 07:23 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
मामी के घर से विदा होकर जैसे ही शंकर की जीप मैं रोड पर पहुँची सुषमा ने शंकर को चिकोटी काटते हुए कहा – क्यों डार्लिंग कैसी लगी मेरी मामी तुम्हें…!

सुषमा के इश्स अप्रत्यसित सवाल पर शंकर ने चोंक कर उसकी तरफ देखा जो उसी को देखते हुए मंद मंद मुस्करा रही थी…! उसने अपना सवाल दोहराते हुए कहा-

ऐसे क्यों देख रहे हो..? मेने कोई ग़लत सवाल पूच लिया क्या..? बोलो कैसी लगी मेरी मामी तुम्हें..?

शंकर ने हड़बड़ते हुए कहा – जी…ठीक हैं…

सुषमा – क्या..? सिर्फ़ ठीक हैं..? लेकिन जिस तरह से तुम सुबह नाश्ते के समय और फिर अभी लंच करते हुए उन्हें घूर रहे थे…उससे तो नही लगता की वो तुम्हें बस ठीक ही लगी…?

शंकर मूह फाडे उसकी तरफ देखता रह गया, जबकि वो अपने चेहरे की मुस्कान गहरी करते हुए बोली – लगता है तुम मामी के मादक यौवन पर लट्टू हो गये हो…है ना…!

शंकर हकलाते हुए बोला – आई..आईईसा..कुछ नही है…., व.वो..वऊू..बस नज़र चली गयी होगी और तभी संयोग से आपने मुझे देख लिया होगा और कुछ नही…!

सुषमा – क्या सच में इससे ज़्यादा और कुछ नही हुआ था…? खैर छोड़ो मे तो बस तुम्हें ऐसे ही छेड़ रही थी…, एक काम करो
शहर आए हैं तो किसी बड़ी सी रेडीमेड गारमेंट के आगे जीप रोक लेना.., कुछ शॉपिंग भी कर लेते हैं…!

शंकर – लेकिन भाभी घर के लिए देर नही हो जाएगी…? रास्ता लंबा है…!

सुषमा – होने दो.., तुम्हारे साथ रोज़-रोज़ शहर आना नही होता है मेरा…, बच्चों के कुछ कपड़े, अपने लिए और तुम अपनी माँ और सलौनी के लिए भी कुछ ले लेना, खुश होगी वो…!

शंकर ने अपनी गर्दन झटका कर हामी भरी और कुछ देर बाद उसने जीप एक बड़ी सी शॉप के आगे रोक दी…!

लगभग 1 घंटे से भी उपर हो गया उन्हें सबके लिए कुछ ना कुछ लेने में, सूरज पच्छिम की तरफ अस्त होने वाला था…, शंकर के चेहरे पर दूबिधा के चिन्ह साफ-साफ दिख रहे थे लेकिन सुषमा के चहरे पर कोई शिकन नही थी…!

शंकर ने जीप वहाँ से आगे बढ़ा दी…, अभी वो शहर की भीड़ भरी सड़क पर आधा किमी ही चल पाया था कि सुषमा ने जीप बायें तरफ मोड़ने को कहा…!

शंकर की समझ में नही आ रहा था कि आख़िर ये चाहती क्या है.., दिन शहर में ही डूबने वाला है.., मंज़िल अभी काफ़ी दूर है और ये अभी भी यहाँ से निकलना नही चाहती है…, उसने असमंजस की स्थिति में ही अपनी जीप बाईं तरफ मोड़ दी..!

मेन रोड से अभी कोई 100मीटर ही चले होंगे कि सुषमा ने गाड़ी रोकने को कहा..!

शंकर ने ब्रेक लगाते हुए उस इलाक़े की तरफ ध्यान दिया…, उनकी गाड़ी इस समय एक शानदार बिल्डिंग के बड़े से गेट के
सामने खड़ी थी…, देखने से ही लगता था कि ये कोई 5 स्टार होटेल होना चाहिए…!

अभी वो स्थिति को समझने की कोशिश कर ही रहा था कि सुषमा फिर बोली – गाड़ी गेट के अंदर लेलो शंकर…!
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10-16-2019, 07:24 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर किसी महान चूतिया इंसान की तरह मूह खोले उसको देखने लगा…, अरे ऐसे क्या पागलों की तरह मूह फाडे देख रहे हो मेने गाड़ी अंदर लेने को कहा है.. सुषमा मुस्कराते हुए बोली.

शंकर – पर यहाँ क्यों…? हमें गाओं नही जाना है..?

सुषमा – जाना है.., पहले अंदर तो चलो..,

शंकर ने अनमने भाव से जीप गेट में प्रवेश करा दी.., मुख्य इमारत के सामने एक बहुत बड़े गार्डन के बीचों बीच की चिकनी सड़क जिसके दोनो तरह रंग बिरंगे फूलों की बाढ़ लगी थी, से होते हुए वो उस शानदार बिल्डिंग जो शाम के उजाले में ही रंग
बिरंगी रोशनियों से जगमगा रही थी कि मेन गेट के सामने जाकर अपनी जीप रोक दी…!

जीप के रुकते ही ना जाने किधर से एक सफेद वर्दी धारी दौड़ कर आया और उसने बड़े अदब से सुषमा के साइड का दरवाजा खोला…, उसने भी उतनी ही शान से अपना पैर गाड़ी के बाहर चिकनी सड़क पर रखा…!

सुषमा ने उतरते हुए अपने बेटे को गोद में लिया और शंकर से बोली – गाड़ी की चाबी इनको देकर मेरे साथ आओ तुम…!

ऐसा नही था कि ऐसी शानोशौकत शंकर पहली बार देख रहा था.., प्रिया के साथ वो ऐसे ही कुछ नज़रों से वाकिफ़ था.., सो
उसने बिना कोई सवाल किए अपने बॅग थामे और सुषमा के पीछे हो लिया…!

मेन गेट पर खड़े अर्दली मे उन्हें जोरदार सल्यूट किया और उनके लिए शानदार काँच का दरवाजा खोल दिया..!

गेट के उसपार अब वो एक विशालकाय हॉल में थे, सुषमा सीधी रिसेप्षन की तरफ बढ़ गयी.., जहाँ बैठी हुई एक सुंदर सी लड़की ने उन दोनो का स्वागत किया..

मे आइ हेल्प यू मॅम/ सर…?

सुषमा – हमें एक रात के लिए एक सूयीट चाहिए.., दूर जाना है, इसलिए अब रात यहीं गुजारनी पड़ेगी…,

सुषमा के इन शब्दों ने शंकर की सारी उधेड़-बुन को एक झटके में दूर कर दिया.., ओह तो ये प्लान था इसका… लेकिन साली बता तो सकती थी ना..खाम्खा दिमाग़ का दही हो गया…मन ही मंन सोचते हुए अचानक शंकर के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी…!

तब तक सुषमा ने अपना परिचय पति पत्नी के रूप में देकर एक सूयीट बुक करा लिया.., वेटर उनका समान लेकर कमरे तक
छोड़ आया..,

वेटर के जाते ही सुषमा ने अपने बेटे को पलंग पर बिठाया और खुद शंकर के बदन से लिपटते हुए बोली – कैसा लगा मेरा सर्प्राइज़…?

घंटा…! यहाँ साला सोचते-सोचते दिमाग़ का दही हो गया कि आख़िर तुम क्या करने वाली हो..? ये सब बता नही सकती थी…?
शंकर ने थोड़ा तल्ख़ लहजे में जबाब दिया…!

सुषमा को लगा कि शायद शंकर नाराज़ हो गया है, सो उससे थोड़ा और सटते हुए उसके गालों को सहलाते हुए कहा – ओह्ह्ह..डार्लिंग मेने सोचा तुम्हें सर्प्राइज़ करूँगी… मुझे क्या पता था तुम्हें इतना बुरा लगेगा…सॉरी ! ये कहते हुए उसने अपने दोनो हाथ कानो पर लगा लिए…!

शंकर को भी लगा शायद उसने कुछ ग़लत कह दिया है.., इसलिए उसने अपना एक हाथ सुषमा की कमर में डालकर एक
झटके से अपने बदन से सटाते हुए दूसरे हाथ से उसके मटके जैसे गान्ड के उभारों को सहलाते हुए कहा –

तुम्हें सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही मेरी जान, सॉरी तो मुझे कहना चाहिए…, बस मेरे दिमाग़ में गाओं जाना ही घुसा पड़ा था.., एक बार भी ये नही सोचा की तुम क्या करना चाहती हो…!

अब ज़रा फ्रेश होकर चाइ-बाई पीते हैं, अब रात तो अपनी ही है जमकर एंजाय करेंगे.. है ना…!

शंकर की बात पर सुषमा ने भी मुस्कुराकर अपनी बाहें उसके इर्द-गिर्द लपेट दी, उस’से कसकर लिपटते हुए बोली – ऊओ…शंकर…मेरे राजा…तुम कितने अच्छे हो…!
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