10-24-2019, 01:52 PM,
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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
राधा- “ठंडे पानी से नहाने के बावजूद भी मेरा शरीर तो जला जा रहा है। पूरे शरीर में जैसे आग सी लग गई है। विजय बेटे, तेरे मूत में ऐसा क्या मिला हुआ था की जब से उसे पिया है तब से एकाएक मेरे शरीर में जलन होने लगी है। देखो ना मेरी चूत में चींटियां सी रेंग रही हैं। पूरी चूत भीतर से जल रही है। तुम लोग खड़े-खड़े देख क्या रहे हो? मेरा कोई इलाज करो ना... नहीं तो मैं जलकर राख हो जाऊँगी..." ऐसा कहकर माँ ने मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिए और उनपर हल्के दाँत गड़ाती हुई अत्यंत कामातूर होकर मेरे होंठ चूसने लगी। काफी देर मेरे होंठ चूसने के बाद माँ अजय के भी होंठ उसी तरह चूसने लगी।
विजय- "माँ वही हालत मेरी हो रही है। तेरे मूत का स्वाद चखने के बाद तो ऐसी मस्ती चढ़ी है जैसी की आज तक नहीं चढ़ी। मैं तो आज तेरी गाण्ड मारूंगा। आज मुन्ने की बारी है चूत चोदने की। वो जिंदगी में पहली बार एक औरत की चूत चोदेगा और वो भी अपनी माँ की। माँ मुन्ने को अपनी चूत बहुत मस्त होकर देना। उसको चूत का ऐसा चस्का लगा दे की चूत का कीड़ा बन जाय। क्यों मुन्ना माँ की चूत लेगा ना? खूब मस्त होकर माँ को चोदना। तू बहुत नशीब वाला है की जिंदगी की पहली चूत तू अपनी माँ की चोदने जा रहा है...”
अजय- “हाँ भैया... आप दोनों का मूत पीने से जो मस्ती चढ़ी है, वैसी तो आज तक नहीं चढ़ी। मेरे लण्ड की नसें फट रही हैं। आज तो खूब मस्ती करते हुए, मजा लेते हुए मैं अपनी इस मस्तानी माँ को चोदूंगा। इसको जब मैं खेतों में मूतते हुए देखता था, तब इसे चोदने की इच्छा नहीं हुई। लेकिन इस साली का मूत पीकर तो ऐसी इच्छा हो रही है की एक झटके में ही पूरा लण्ड इसकी चूत में जड़ तक पेल दें, इसे एक रंडी की तरह चोदूं और चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा बना हूँ..” यह बोलकर अजय माँ की चूत के सामने घुटनों के बाल बैठ गया और उसमें पूरी जीभ घुसाकर उसे चाटने लगा। माँ की चूत का दाना जो पूरा तना हुआ था, उसपर दाँत गड़ाने लगा।
राधा- “हाँ... मैं अपने इस देवर राजा को खूब प्यार से अपनी चूत देंगी, इससे खूब मजा ले लेकर चुदवाऊँगी। अपने इस देवर को मेरे पर बोल-बोलकर चढ़ाऊँगी। आ जा मेरे देवर राजा तू जब कहेगा तेरे लिए टाँगें चौड़ी करके तेरे लण्ड के लिए चूत का फाटक खोल देंगी। तेरी जब इच्छा हो मेरी साड़ी ऊपर उठा दिया करो, मेरी चूत
में अंगुली दे दिया करो, मेरी टाँग उठाकर अपना लण्ड मेरे में पेल दिया करो, तेरे लिए कोई रोक नहीं है। देख मेरी चूत ठीक से देख। ये तेरे लण्ड के लिए तरस रही है। तू पहली बार चूत चोदने जा रहा है ना तो तू भी क्या याद रखेगा की औरत के टाँगों बीच वाले इस छेद का क्या मजा होता है? आ मेरे राजा आ... मुझे मनचाहे ढंग से चोद, खूब गंदी-गंदी बातें करते हुए चोद, मुझे हुमच-हुमच कर चोद...”
विजय- “आज हम दोनों भाई तुझे एक साथ दो-दो लण्डों का स्वाद चखाएंगे। चल मुझे अपनी मस्त गाण्ड दिखा।
मैं तेरी गाण्ड का बाजा बजाऊँगा और मुन्ना तेरी चूत का कबाड़ा करेगा...”
राधा- “आज तो इतनी मस्ती चढ़ी हुई है की मैं एक साथ दो-दो ऐसे मस्ताने लण्ड भी झेल लँगी। तू तो गाण्डों का दीवाना ज्यादा है। तुझे गाण्ड ही पसंद है तो देख मेरी फूली-फूली गाण्ड देख। मेरी गाण्ड का गोल छेद देख...”
यह कहते-कहते माँ ने एक पैर सिंगल सीटर सोफे पर रख दिया और सोफे पर झुक कर अपनी विशाल गाण्ड पीछे उभार दी। उसने अपने दोनों हाथ अपनी गाण्ड पर रख लिए और बहुत ही सेक्सी पोज में गाण्ड के छेद को फैलाते हुए अपनी गाण्ड दिखाने लगी। तभी वो अपनी एक अंगुली से अपनी गाण्ड खुद खोदने लगी और मुझे न्योता देने लगी की देख इसी छेद का तू दीवाना है, तू अपना लण्ड इसी में देना चाहता है।
राधा- “ले चाट इसे। ठीक से चिकनी कर ले इसे। खूब वैसेलीन चुपड़ के मस्त होकर मेरी गाण्ड मारना। तेरे लण्ड पर यह मस्तानी गाण्ड पटक पटक के तुझसे मरवाऊँगी..."
माँ की बात सुनकर मैं माँ की गाण्ड पर झुक गया और उसकी गाण्ड के गोल छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा। जीभ की नोक से उसपर सुरसुरी देने लगा। धीरे-धीरे माँ की गाण्ड का गुलाबी भूरा छेद खुलने लगा और उस छेद में जहाँ तक जीभ जा सकती थी वहाँ तक घुसाकर कामवासना से जलती हुई उसकी गाण्ड को चाटने लगा।
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10-24-2019, 01:53 PM,
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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अजय- “भैया आप भी कैसी बातें कर रहे हो? आप जब भी इशारा करेंगे आपके लिए तो मैं फौरन मेरी पैंट नीचे सरका लँगा। आप कहें तो अभी यह सार्टस नीचे सरका हूँ। मेरे भैया के लिए मेरी गाण्ड हरदम हाजिर है। क्या भैया आप माँ के सामने मेरी गाण्ड अभी मारेंगे?”
राधा- “अरे अजय... एक पूरा मर्द होकर तुम्हें यह गान्डू शौक कैसे लग गया, जो मर्दो के लण्ड के आगे अपनी पैंट नीची करते फिरते हो? तुम मर्दो को छेद में डालने के लिए बनाया गया है और हम औरतों को छेद में लेने के लिए बनाया गया है, पर तुम तो उल्टी रीत चला रहे हो और हम औरतों की तरह अपना छेद उघाड़-उघाड़कर दिखाते फिरते हो। कल तूने एक ही चुदाई में मेरी नस-नस ढीली करके रख दी थी और मुझे दो-दो बार झड़ा । दिया था। किसी भी औरत को अपनी दीवानी बना लेने की तुम में पूरी ताकत है पर फिर भी तेरा यह पिछवाड़े
में पिलवाने का शौक, सोचकर ही मुझे तो शर्म आती है...” ।
अजय- “माँ गाँव में मैं जरूर दो दोस्तों के साथ यह मजा लेता था, पर जब से भैया के 11” के केले का मजा लिया है मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ की ना तो मैंने किसी भी दूसरे मर्द की तरफ झाँका है और ना ही कभी जिंदगी में झाँकूगा। हाँ भैया चाहेंगे तो मेरा ना करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। तू क्यों जल रही है? तू भी तो मेरे प्यारे भैया का लौड़ा पिलवाने की इस उमर में आकर जब इतनी शौकीन है तो मैं भी भैया के लण्ड की थोड़ी मस्ती ले लेता हूँ तो तुझे क्या? जैसे तू खुद चुदाने की और अपनी गाण्ड मरवाने की शौकीन है वैसे ही मैं भी अपने बड़े भैया के लौड़े का दीवाना हूँ, उनसे गाण्ड मरवाने का शौकीन हैं। अपने बड़े भाई से गाण्ड मरवाने में मुझे कोई शर्म नहीं है...” ।
राधा- “हाँ... भैया का तो तू पूरा दीवाना है और तेरे भैया भी तो तेरे कम दीवाने नहीं है। आज जरा मैं भी तो तुम दोनों की यह लीला देखें। मैं भी तो देखू की एक मर्द दूसरे मर्द की कैसे गाण्ड मारता है और दूसरा गान्डू कैसे मरवाता है?” माँ मेरी गोद में बैठी हुई अजय से बातें कर रही थी।
माँ की भारी गाण्ड की गर्मी पाकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। मैंने माँ की चूची नाइटी के ऊपर से ही पकड़ रखी थी और बहुत ही हल्के -हल्के दबा रहा था। बीच-बीच में मैं अपनी प्यारी माँ के गालों की पुच्चियां भी ले रहा था। तभी मैंने बगल में बैठे अजय को आगे झुका दिया। अजय मेरा इशारा समझ गया और उसने अपनी गाण्ड मेरे और माँ के आगे उभार दी। मैंने अजय की औरतों जैसी गाण्ड पर कई जोर-जोर की थपकियां दी और उसका सार्टस उसकी टाँगों से बाहर निकालकर उसकी गाण्ड नंगी कर ली। फिर मैं मुन्ना की गाण्ड के गोल छेद को फैलाते हुए खोदने लगा।
विजय- “देख माँ अपने छोटे बेटे की गाण्ड का मस्त गोल छेद, जिसका तेरा बड़ा बेटा पूरा शौकीन है और तेरा
छोटा बेटा भी देख कितने शौक से अपने बड़े भाई के लिए यह मजा देने वाला छेद पेश कर रहा है। अरे माँ तेरे पास तो खाली छेद ही छेद हैं, एक भी इंडा नहीं है, नहीं तो तू भी इसे छोड़ती नहीं। ऐसे शौकीन लौंडे की गाण्ड मारने का मजा तुम क्या जानो, क्योंकी तेरे पास मेरे जैसा लौड़ा नहीं है। नहीं तो तू भी ऐसे शौकीन लौंडे को छोड़ती नहीं..."
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RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मुन्ना- “हाय मेरे गान्डू भैया, आपसे गाण्ड मरा कर मुझे बहुत मजा आ रहा है। आप अपने छोटे भाई की फूलीफूली गाण्ड मारने के शौकीन हैं, तो आपका यह छोटा भाई भी अपने भैया के हलब्बी लौड़े का दीवाना है। भैया मैं तो तेरी रखैल हूँ। तुझसे अपनी गाण्ड की खुजली मिटाने में मुझे बहुत मजा आता है...”
विजय बेड पर घुटनों के बल चोपाया बने भाई पर सांड़ की तरह चढ़ा हुआ था और उसकी गाण्ड में दनादन लण्ड पेल रहा था- “अरे भाई तू मेरे लण्ड का शौकीन है तो मैं भी तेरी गाण्ड का दीवाना हूँ। मैं माँ जैसी मस्त और कड़क औरत को चोदता हूँ, पर जब तक तेरी गाण्ड नहीं मार लेता, तब तक ऐसा लगता है जैसे की कहीं कुछ कमी रह गई है। देखो माँ मैं कैसे तेरे छोटे बेटे की तेरे सामने ही गाण्ड मार रहा हूँ और तेरा छोटा बेटा कैसे। खुशी-खुशी मेरे से मरवा रहा है? यह तेरा देवर है क्योंकी तू मेरी लुगाई है और साथ ही तेरी सौत भी है क्योंकी जैसे तुम मेरे से चुदवाती है वैसे ही यह मेरे से मरवाता है."
मुन्ना- “माँ तुम हम दोनों भाइयों की गाण्ड मारा-मारी देखना चाहती थी ना तो देख। हाँ मैं तेरी सौत हूँ और रहूँगा। जब तक भैया मेरी गाण्ड मारना चाहेंगे मैं उनसे मरवाता रहूँगा। तू जलती हो तो जलती रहना, पर मैं तो
अपने राजा भैया से मस्त होकर मरवाऊँगा।
माँ- “यह छोटा तो पक्का गान्डू है। देख तो तेरा हलब्बी लौड़ा कितने आराम से बिना चू चपड़ किए इसने पूरा अपनी गाण्ड में ले लिया है। जितना मस्त होकर आज यह अपनी मरा रहा है कल इतना ही मस्त होकर इसने मेरी चौड़ी भी थी...” यह कहकर माँ उठी और अजय के खड़े लण्ड के सामने डागी स्टाइल के पोज में आ गई।
माँ ने अपनी गाण्ड पीछे उठा दी और अपनी रस छोड़ती चूत उसके लण्ड से सटाने लगी। अजय माँ की मनसा को समझ गया और उसने हाथ के सहारे से लण्ड ठीक चूत के छेद पर टिका दिया। उसने अपनी बाँहें माँ की कमर में कस ली और चार-पाँच करारे धक्के मारकर पूरा लण्ड माँ की चूत में दे दिया। अब अजय आराम से अपनी चुदासी माँ को डागी स्टाइल में चोदने लगा।
मैंने भी वापस अजय की गाण्ड में अपना लण्ड दे दिया। उधर अजय माँ को पीछे से चोद रहा था और इधर मैं अजय की गाण्ड मार रहा था। हम तीनों पूरे जोश में थे। माँ अपनी चूत अजय के लण्ड पर दबाती हुई बहुत । मस्त होकर चुदा रही थी। अब अजय ने माँ की दोनों लटकती चूचियां थाम ली और उन्हें रसीले आमों की तरह दबाने लगा। अजय बहुत ही जोरदार धक्के चूत में मार रहा था। चूत में धक्का मारने से सुपाड़े तक मेरा लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकल जाता और उसके फौरन बाद अजय माँ की चूत से लण्ड वापस बाहर खींचते हुए। अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पर दबा देता जिसके कारण मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में समा जाता। यह प्रक्रिया एक लय बद्ध तरीके से हो रही थी और हम तीनों अपना-अपना पार्ट बखूबी निभा रहे थे।
जब माँ की चूत में अजय का पूरा लण्ड होता तब गाण्ड से मेरा लण्ड लगभग निकल जाता और जब मेरा पूरा लण्ड गाण्ड में होता तब अजय का लण्ड चूत से लगभग बाहर आ जाता। यह सिलसिला काफी देर यूँ ही चलता रहा और आखिरकार, मैं झड़ने की कगार पर आ गया।
विजय- “मुन्ना आज तो तेरी गाण्ड मारकर बहुत ही मजा आ रहा है। भाई मैं तो अब झड़ने वाला हूँ। देखना तू
माँ को पूरी झड़ा कर ही झड़ना...” यह कहकर मैंने अपना लण्ड मुन्ना की गाण्ड से निकाल लिया।
मैं चिट होकर माँ की चूत के नीचे अपना मुँह ले आया। माँ की चूत में मुन्ना का लण्ड एक पिस्टन की तरह बहुत तेजी से आगे-पीछे हो रहा था। मैं जीभ से रस से लथफथ चूत की दीवारें चाटने लगा। उधर मेरा खड़ा लण्ड माँ के सामने था। माँ उसपर झुक गई और उसे अपने मुँह में लेने लगी। माँ पूरी मेरे लण्ड पर झुक के मेरे पूरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और पीछे उसने अपनी गाण्ड पूरी उभार दी। इससे उसकी चूत पूरी खुल गई और अजय का लण्ड फछ-फछ करता हुआ चूत के अंदर-बाहर होने लगा।
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