Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
10-24-2019, 01:43 PM,
#61
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
माँ ने जब अजय को सौत कहा तो वो बुरी तरह से शर्मा गया। वैसे अजय मेरे से पूरा खुला हुआ था। मुन्ना भी मेरे साथ-साथ माँ की बहती जवानी में डुबकी लगाने के लिए पूरा तैयार था और अपनी ओर से माँ को पटाने की पूरी कोशिश भी कर रहा था। पर जब उसे पता चला की उसका भैया से गाण्ड मरवाने का राज माँ पर खुल गया है तो माँ के सामने एक बार तो लाज आना लाजमी था। अजय बिस्तर पर नजरें गड़ाए चुपचाप बैठा हुआ था। तब मैंने ही स्थिति को वापस सामान्य बनाने की कोशिश की।


मैं- “माँ, मुन्ना को अपनी सौत मत समझो बल्कि मेरी जान कहो। जब मुन्ना को तूने अपनी सौत मान ही लिया है तो इसका मतलब तू मेरी रानी बन गई है। मुन्ना तो पहले से ही मेरा मस्त चिकना माल है लेकिन
तुम क्यों चिंता करती हो? तुझे तो मैं अपने दिल की रानी बनाकर रखूगा। मेरे सपनों की रानी तो तू पहले ही थी और अब मुन्ना को सौत कहकर तो तू मेरी व्याहता बीवी बन गई हो। तुझे तो खुश होना चाहिए की तुझे। देवर के रूप में मेरा इतना चहेता प्यारा भाई मिला है। मेरे और मुन्ना के बीच तो पहले से ही कोई पर्दा नहीं है,

और आगे तेरे और मेरे बीच भी कोई पर्दा नहीं रहने वाला है तो फिर हम तीनों आपस में कोई पर्दा क्यों रखें? चल मुन्ना खुश हो जा माँ ने तुझे सौत कहकर यह मान लिया है की अब से वो मेरी बीवी बन गई है। देखना,आज मैं तेरे सामने ही सुहागरात मनाऊँगा और तेरे सामने ही इसकी लँगा...”

मेरी बात सुनकर अजय विजयी भाव से माँ की तरफ देखकर मुश्कुरा उठा। और कहा- “माँ तूने भैया की बात सुनी? देख, भैया मुझे कितना प्यार करते हैं? पर भैया दिन रात तेरे ही नाम की माला जपते हैं, तुझ पर तो भैया मरते हैं। तुझे तो अपने दिल की रानी बनाकर रखेंगे। तेरी आज तक की सारी प्यास बुझा देंगे। तुझे पता नहीं की भैया मुझे कितना मजा देते हैं। तू एक बार भैया से मजा ले लेगी तो तू खुद उनकी दीवानी हो जाएगी। माँ, भैया का बहुत तगड़ा है, देखेगी तो पूरी मस्त हो जाएगी। सुना तूने, भैया ने क्या कहा? उन्होंने कहा की वे मेरे सामने तेरी लेंगे। समझ रही हो ना की भैया तेरी क्या लेंगे?”

राधा- “अच्छा तो अब तू मुझे समझाएगा की पति सुहागरात में अपनी पत्नी की क्या लेता है? तेरे को उसके बारे में क्या पता? तेरी उमर में आते-आते आजकल के छोकरे तो उसमें दसियों बार डुबकी लगा चुके होते हैं। पर तू तो मर्दो के सक्करकंदों का शौकीन है, उन्हें अपने पिछवाड़े में लेता है। मेरा बड़ा बेटा यहीं बोल-बोलकर तो मेरे सामने ही तुझे छेड़ रहा था, तो मैं क्या इन बातों का मतलब नहीं समझती? अब जब तू भी खुल गया है तो । तुझे समझाती हूँ की पति सुहागरात में पत्नी की क्या लेता है? हम औरतों की दोनों टाँगों के बीच एक पावरोटी के लोफ सा फूला हुआ अंग होता है, जिसके बीचो-बीच खूब गहरा सुराख होता है। हम लोगों का यह अंग कालेकाले रेशमी बालों से भरती रहता है। भीतर देखने से यह बिल्कुल सुर्ख लाल रंग का दिखाई पड़ता है। हम लोगों के इस अंग से कुदरती तौर पर गाढ़ा लसलसा रस निकलता रहता है, जिससे यह भीतर तक पूरा चिकना रहता है, तुम्हारी वाली की तरह इसमें वैसेलीन नहीं चुपड़नी पड़ती। हर जवान मर्द इसकी फिराक में रहता है, इसको पाने के लिए कुछ भी कर सकता है, इसको पाने के लिए जवान औरतों के हजारों नखरे सहता है। सुहागरात में पति पत्नी का यही मस्त अंग लेता है। तेरे भैया भी अगर मेरे साथ आज सुहागरात मनाएंगे तो मेरी इसी खाश चीज को लेंगे और मैं तेरे भैया को पूरी मस्त होकर आज इसका मजा चखऊँगी...”

अजय- “माँ, मैंने तो तुम्हें भैया की दुल्हन यह सोचकर बनाया था की तुम एक बहुत शर्मो-हया वाली और आचार विचार वाली औरत हो, पर तुम तो पक्की मर्दमार और बेशर्म औरत निकली। कम से कम इस सुहागरात की बेला में तो थोड़ी लाज शर्म रखती, दुल्हन की तरह शर्माती, नखरे दिखाती, कहती की मुझे क्या पता तेरे भैया क्या लेंगे? पर लगता है की तू तो अपनी चीज देने के लिए मरी जा रही है...”
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10-24-2019, 01:43 PM,
#62
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यह कहकर अजय मेरी तरफ देखते हुए बोला- “भैया अब आपकी जोड़ी की सही लुगाई मिली है। आप खुद जितनी अश्लील खुली-खुली बातें करते हुए मस्ती लेते हैं, आपकी लुगाई उससे भी ज्यादा खुली-खुली गंदी बातें। करने की शौकीन है। आप माँ पर ऐसे ही लट्टू नहीं हुए। माँ बिल्कुल आपकी तबीयत की औरत है, आपको माँ के साथ बहुत मजा आएगा...”

मैं- “मैं माँ को अच्छी तरह से जानता हूँ। अपनी माँ बहुत रंगीन तबीयत की पूरी आशिक मिजाज की औरत है। मेरी ही तरह एक बार खुल जाती है तो झुठे नखरे बिल्कुल नहीं करती, मन में कुछ और और जुबान से कुछ। और नहीं बोलती, जो बात सच है उसे बिना लाग लपेट के खुलकर कहने की हिम्मत रखती है। फिर इस काम का मजा तो खूब खुलकर बात करते हुए बोल-बोलकर करने में ही है और यह बात भला माँ से ज्यादा कौन जानता है। तभी तो माँ पर मेरी तबीयत आई है। जब घर में ही ऐसी मस्त लुगाई मौजूद है तो मैं दुनिया भर में ऐसी दूसरी औरत कहाँ ढूँढ़ता फिरता? माँ जैसी मस्त खेली खाई औरत अपनी बनकर सैंया को जब बिल्कुल खुलकर बोल-बोलकर मस्ती कराती है तो उस मजे का क्या कहना?”

अजय- “माँ देखा, भैया तुम्हें कितना समझते हैं और प्यार करते हैं। भैया ने बहुत उम्मीद से तुझसे दिल लगाया है, उन्हें निराश मत करना। मैंने उसमें डुबकी नहीं लगाई तो क्या, पर मुझे पता है की भैया तेरी दोनों टाँगों के बीच वाली चीज ही मेरे सामने लेंगे और तुम जितनी खुलकर बात कर रही हो उतनी ही मस्त होकर अपनी चीज देना। भैया के लेने का मतलब ठीक से समझ रही हो ना, फिर नखरे मत करने लग जाना की तुझे लेने का मतलब नहीं समझ में आया..."

माँ- “मैंने बताया ना की हम औरतों की दोनों टाँगों के बीच गहरा छेद होता है वैसे ही तुम मर्दो की दोनों टाँगों के बीच एक लंबा सा मोटा इंडे जैसा अंग लटकता रहता है, अब यह मुझे नहीं पता की तुम्हारी टाँगों के बीच भी ऐसी कोई चीज लटक रही है या नहीं, क्योंकी तेरे लक्षण तो ऐसे नहीं है? जब मर्द औरत की लेता है तो अपना इंडा औरत के उस लाल छेद के अंदर डालता है, जैसे की भैया ने जब तुम्हारी मारी थी तो अपना वही इंडा तेरे पिछवाड़े के अंदर डाला था। मैंने बताया ना की हमारी वाली चीज तो नेचुरल रूप से ही चिकनी रहती है और पूरी गहरी होती है तो, किसी भी मर्द का चाहे जितना लंबा हो और मोटा हो वो देर सबेर उसमें पूरा चला ही जाता है। फिर मर्द जैसे लोकोमोटिव के एंजिन में पिस्टन आगे-पीछे होता है वैसे ही अपना इंडा हमारे छेद में आगेपीछे करते हैं। ऐसा करने में मर्दो को बहुत मजा आता है और वे पूरे जोश में भर जाते हैं। रेल की स्पीड की तरह उनका जोश बढ़ने लगता है और साथ-साथ उनके पिस्टन की भी हमारे छेद में स्पीड बढ़ जाती है। फिर जैसे स्टेशन आने से ट्रेन फुस्स्स करके रुक जाती है वैसे ही उनकी मंजिल आने से उनका जोश भी ठंडा पड़ जाता है और उनका फूला हुआ कड़ा डंडा मुरझाकर मरे हुए चूहे जैसा लटक जाता है। अब तुम्हारी समझ में बात आई की मर्द इसी तरह हम औरतों की लेते हैं। क्या भैया ने तेरा पिछवाड़ा भी इसी तरह लिया था?”

अजय- “माँ तुम तो अभी से सौतिया डाह से जलने लगी, जो बार-बार मेरा पिछवाड़ा मेरा पिछवाड़ा कर रही हो? तो क्या अपनी तंदूर सी फूली हुई गाण्ड भैया से बचा लोगी? ठीक है भैया तेरी आगे वाली तो लेंगे पर क्या तेरे पिछवाड़े का तबला बजाने से छोड़ देंगे, क्या तेरे पिछवाड़े में अपना हलब्बी 11” का मूसल ठोंके बिना रहेंगे। तू एक नम्बर की चुदक्कड़ है तो, आगे तो आराम से ले लेगी पर भैया जब तेरे पर सांड़ जैसे चढ़ेंगे और तेरे । पिछवाड़े में पेलेंगे तब देखना तेरी यही जुबान बाहर आ जाएगी, जिससे इस समय बड़ी-बड़ी बातें कर रही हो...”

राधा- “हम औरतों की चूत में इतनी ताकत होती है की किसी भी मर्द को पूरा झाड़ कर रख दे। जब तेरे भैया मेरी 15 साल से अनचुदी चूत का स्वाद लेंगे तो उन्हें मेरी गाण्ड की याद भी नहीं आएगी। पर अब तू अपनी सोच की तेरी लण्डखोर गाण्ड की खाज कौन मिटाएगा? क्योंकी तेरे भैया के लण्ड को तो मेरी चूत से ही फुर्सत नहीं मिलेगी। फिर तुझे कैसे पता की तेरे भैया मेरी गाण्ड भी मारेंगे?”

अजय- “माँ भैया की कोई भी बात और इच्छा मेरे से छिपी हुई नहीं है। भैया जो तुम पर इतना मरते हैं ना । उसका एक बड़ा कारण तेरी फूली-फूली मस्त गाण्ड है। भैया मेरे को हरदम कहते रहते थे की मुन्ना देख माँ की
गाण्ड कैसी मस्त और फूली-फूली है। मुन्ना, माँ जब झुक कर अपनी गाण्ड पीछे उभारती है तो उसे देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है और मेरा दिल करता है की माँ की ससड़ी उसकी कमर से ऊपर चढ़ा दें और उसके गोल गाण्ड के छेद में एक ही बार में पूरा लण्ड पेल दें। और सुनो, भैया कहते रहते थे की माँ जैसी मस्तानी गाण्ड
वाली औरत को तो पूरी नंगी करके अपनी गोद में बैठा लेना चाहिए और उसकी गाण्ड की गर्मी से खड़े लण्ड को सेंक देना चाहिए। भैया कहते हैं की माँ को जितना मजा चोदने में आएगा उससे ज्यादा मजा तो उसकी गाण्ड मारने में आएगा। माँ तेरी गाण्ड पर तो भैया लार टपकाते हैं और भैया का लण्ड भी लार छोड़ता है। जब तू घर में अपनी गाण्ड मटकाती हुई इधर से उधर फुदकती रहती हो ना तो भैया तुझे देख-देखकर आहें भरते हैं और कहते रहते हैं की ‘हाय मेरी राधा रानी एक बार तो ससड़ी ऊपर उठाकर अपनी गाण्ड दिखा दे। 'मेरी राधा जानू तूने तो मुझे अपनी गाण्ड का दीवाना बना दिया है। भैया मेरे से कहते रहते थे की मुन्ना मुझे एक बार माँ की गाण्ड दिलवा दे, तभी तो मैंने तुझे भैया की दुल्हन बनाने के लिए इतना जोर लगाया। तो माँ यह खयाल तुम मन से निकाल दो की तुम भैया से अपनी गाण्ड बचा लोगी। तेरी गाण्ड में तो भैया का मूसल ठुकना ही ठुकना
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10-24-2019, 01:44 PM,
#63
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विजय- “देखा माँ, मैंने कहा था ना की अब मुन्ना पहले वाला मुन्ना नहीं रहा, पूरा चालू हो गया है। अब यह पहले जैसा शर्मीला और चुपचाप रहने वाला नहीं की तू इसे झिड़क कर चुप करा दे। तू अगर सेर है तो यह पूरा सवा सेर है। ऐसे भाई पर मुझे तो बहुत नाज है, बड़े नशीबवाले को ही ऐसा प्यारा और बड़े भाई का मन रखनेवाला भाई मिलता है...” यह कहकर मैंने मुन्ना को अपने आगोश में जकड़ लिया।

मुन्ना मेरे सीने से सिर टिकाए माँ की ओर देखकर मंद-मंद मुश्कुरा रहा था और माँ भी हम दोनों भाइयों का ऐसा प्यार देखकर गदगद होती हुई हँस रही थी।

विजय- “माँ ऐसा प्यारा भाई पाकर मैं तो धन्य हो गया जो भैया की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है। तूने देखा मेरी खुशी के लिए इसने तुझे भी मेरे लिए पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेरा तो इससे कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो कुछ भी मेरा है वो सब इसका है। अब यदि तुम भी मुझे मिली हो तो मेरे साथ-साथ तुम मुन्ना की भी हो, क्योंकी मुन्ना की वजह से ही तुम मुझे मिली हो। मुन्ना ने वैसे तो मेरा व्याह तुझसे करा दिया है, पर असल में तुम हमारी साझे की लुगाई हो। हम दोनों तेरे मर्द हैं। तू बड़ी नशीबवाली है की इस उमर में तुझे हमारे जैसे दो-दो जवान पति एक साथ मिले हैं..."

राधा- “मैं तो खुद अपने दोनों बेटों का आपस में ऐसा प्यार देखकर बलि-बलि हो रही हूँ, नहीं तो आज के जमाने में भाई भाई का दुश्मन होता है। मैं तो यही चाहती हूँ की तुम दोनों की जोड़ी ऐसी ही बनी रहे। तू तो यहाँ शहर में रहता था, मैं तो इस अजय को देख-देखकर ही गाँव में खुश होती रहती थी और इसी के सहारे ही जिंदगी गुजार रही थी। तू ऐसा भाई पाकर निहाल हो गया है तो मैं भी ऐसा मक्खन सा चिकना देवर पाकर खुशी से। भर गई हूँ। मैं तो अब ऐसे प्यारे गुड्डे से देवर के साथ जी भरके खेलूंगी...” यह कहकर माँ ने अजय को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

माँ ने अजय की ठुड्डी पकड़कर चेहरा ऊपर उठा लिया और उसके गोरे गालों की पुच्चियां लेने लगी। कभी एक गाल चूसती तो कभी दूसरा गाल। फिर माँ अजय के दाढ़ी रहित गालों पर अपने गाल रगड़ने लगी। इसके बाद माँ ने अचानक उसके होंठ अपने होंठ में जकड़ लिए और अपने छोटे बेटे के होंठ चूसने लगी। माँ बीच-बीच में अजय के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी। माँ की आँखों में वासना के लाल डोरे तैर रहे थे।

तभी अजय ने माँ को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और माँ के होंठ अपने होंठों में जकड़ लिए। उसने माँ की जीभ अपने मुँह में ले ली और माँ को अपनी मजबूत बाँहों में झकझोरते हुए जीभ चूसने लगा। वो बार-बार माँ के होंठ मुँह में भर रहा था, माँ के फूले-फूले गाल मुँह में भर रहा था।

मैं- “माँ देखा मेरा माल कितना मस्त और मीठा है की तू भी अपने आपको रोक नहीं पाई। इसके मक्खन से । चिकने गाल खाने का और इसके पतले-पतले गुलाबी होंठ चूसने का मजा ही अलग है। मैं ऐसे ही इस पर थोड़ा ही मरता हूँ...”

उधर अजय ने माँ की चूचियां ब्लाउज़ के ऊपर से ही अपने हाथ में भर ली और उन्हें कस-कस के दबाने लगा। वो माँ की चूचियों को मसल-मसलकर उनसे खेल रहा था। माँ के चेहरे पर झुका हुआ माँ के होंठों का रसपान । अत्यंत कामातुर होकर कर रहा था। मैंने इससे पहले अजय को इतने जोश में कभी नहीं देखा। जिंदगी में पहली बार नारी शरीर को पाकर वो मतवाला हो उठा था, उसके सबर का बाँध टूट गया था। मैं बहुत खुश था की मुन्ना की केवल तगड़े मर्यों में ही दिलचस्पी नहीं है, बल्कि माँ जैसी मस्त औरतों में मर्दो से भी ज्यादा उसकी दिलचस्पी है।

राधा- “क्यों रे अजय, व्याह तो तूने मेरा अपने भैया से कराया है और सुहागरात तू खुद मनाने लग गया?" माँ
भी अजय के इस जोश से बहुत खुश दिख रही थी।

माँ की बात सुनकर अजय ने माँ को छोड़ दिया।

मैं- “अरे माँ, इसमें और मेरे में क्या फर्क है? आज पहली बार मैं मुन्ना को इतने जोश में देख रहा हूँ। देखा कैसे तुझे भभोड़-भभोड़ कर तेरे साथ मस्ती कर रहा था। तू जो इतनी देर से इसका मजाक उड़ा रही थी ना एक बार यह तेरी ले लेगा ना तब देखना तुझे लौंडिया जैसा मजा आएगा। बोल दोनों भाइयों को बिल्कुल खुलकर और पूरी बेशर्म होकर मस्ती करवाएगी ना? तुम हम दोनों भाइयों से जितनी मस्त होकर चुदवायेगी तुझे उतना ही ज्यादा मजा आएगा..."
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10-24-2019, 01:44 PM,
#64
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मैं- “अरे माँ, इसमें और मेरे में क्या फर्क है? आज पहली बार मैं मुन्ना को इतने जोश में देख रहा हूँ। देखा कैसे तुझे भभोड़-भभोड़ कर तेरे साथ मस्ती कर रहा था। तू जो इतनी देर से इसका मजाक उड़ा रही थी ना एक बार यह तेरी ले लेगा ना तब देखना तुझे लौंडिया जैसा मजा आएगा। बोल दोनों भाइयों को बिल्कुल खुलकर और पूरी बेशर्म होकर मस्ती करवाएगी ना? तुम हम दोनों भाइयों से जितनी मस्त होकर चुदवायेगी तुझे उतना ही ज्यादा मजा आएगा..."

राधा- “तुम जैसों बेशर्मों के आगे बेशर्म तो मैं पहले ही बन गई हैं। मैंने तो कभी ख्वाब में भी ऐसी बेशर्मी भरी बातें नहीं की थी जैसी तुम दोनों के सामने कर रही हैं। लेकिन बिल्कुल खुलकर, एक दूसरे से पूरा बेशर्म होकर ऐसी बातें करने का एक अनोखा ही मजा है, जो मैंने आज तक नहीं लिया था। यह सब तुम्हारी करामात है जो मेरे साथ-साथ मेरे इस भोंदू छोटे बेटे को भी अपने जैसा बेबाक बेशर्म बना लिया है। मैं तो तुम दोनों की एक जैसी माँ हूँ। मेरे लिए तुम दोनों में ना तो पहले फर्क था और ना ही अब। जब पूरी खुल ही गई हूँ तो जी खोल के मस्ती करूंगी और तुम दोनों को करवाऊँगी। मेरे को क्या फर्क पड़ता है की पहले कौन आता है या दोनों साथ-साथ आते हो, चुदना तो मुझे हर हालत में है ही। फिर मैं क्यों नखरे दिखाऊँ और झूठी ना नुकुर करूँ। जितनी आग तुम दोनों में लगी है उतनी ही आग मेरे में भी लगी है और क्यों ना लगे.. आखिरकार, तुम दोनों
भी तो मेरे ही खून हो। जितनी गर्मी तुम दोनों के भीतर है उससे ज्यादा गर्मी मेरे में है...”

अजय- “माँ भैया की बात छोड़ो, यह तो पंडितजी की दक्षिणा भर है, असली मजा तो तेरा भैया ही लेंगे। तुम पर पहला हक तो भैया का ही है। मैंने तो यहाँ आने के पहले तेरा कभी सपना तक नहीं देखा था। यह तो भैया की दी हुई हिम्मत है की मैं तेरे साथ इतना कर सका। अब भैया शुरू भी तो करो ताकी मैं भी देखें की सुहागरात । कैसे मनाई जाती है? भैया माँ कह रही है ना की इसमें बहुत गर्मी है, आज इसकी सारी गर्मी निकाल दो। आज इसके साथ ऐसी सुहागरात मनाओ जैसी की इसने आज तक नहीं मनाई...” अजय की बात सुनकर मैंने माँ के सिर पर चुनर ओढ़ा दी और चेहरा उस चुनर से पूरा ढक दिया। इसके बाद बहुत धीरे-धीरे चुनर का पूँघट ऊपर उठाकर माँ का चेहरा उजागर कर लिया।

माँ ने एक लज्जाशील दुल्हन की तरह आँखें नीची कर रखी थी। फिर मैं माँ के दोनों गालों पर हथेलियां रखकर माँ की आँखों में झाँकने लगा। माँ मंद-मंद मुश्कुरा रही थी। मैंने भी माँ के रसभरे होंठों का एक लंबा चुंबन । लिया। फिर माँ की पीठ पर हाथ लेजाकर ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा। सारे बटन खोलकर ब्लाउज़ माँ की बाँहों
से निकाल दिया और माँ की टाइट ब्रा में कसे कबूतर फड़फड़ा उठे।

विजय- "देख मुन्ना, माँ की चूचियां एकदम गोल-गोल और कितनी बड़ी-बड़ी है। हम दोनों इन्हीं का दूध पीकर । बड़े हुए हैं। अभी भी इतनी भारी दिख रही है की जैसे दूध से भरी हुई हैं..." यह कहकर मैंने माँ की एक चूची ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथ में ले ली और उसे हल्के-हल्के दबाने लगा।

फिर मैंने माँ की ब्रा का भी स्ट्रैप खोल दिया और ब्रा भी बाँहों से निकाल दी। माँ की सुडौल चूचियां अब हम दोनों भाइयों के सामने नंगी थीं। मैं बारी-बारी से माँ की चूची दबाने लगा। उसके निपल को चींटी में भर मसलने
लगा।

विजय- “ले मुन्ना तू भी छूकर देख, कितनी मुलायम है। यह देख माँ का बड़ा सा निपल। इसे मुँह में लेकर चूस। बचपन में तो तूने इसको बहुत चूसा होगा, अभी जवानी में चूसकर देख, तुझे मजा आ जाएगा। ऐसी मस्त औरत की चूचियां दबा-दबा कर धीरे-धीरे मस्ती ली जाती है। क्यों माँ अपना दूध हम दोनों भाइयों को पिलाओगी ना?”
मेरी बात सुनकर अजय ने गप्प से माँ का एक निपल अपने मुँह में ले लिया और उसे चुभलाते हुए चूसने लगा। मैंने भी दूसरा निपल अपने मुँह में ले लिया और मैं भी उसे जोर-जोर से चूसने लगा मानो उसके भीतर का सारा दूध निचोड़ रहा हूँ। तभी माँ ने अपने दोनों हाथ हम दोनों भाइयों के सिर के पीछे लगा दिए और हमारे सिर
अपनी चूचियों पर दबाने लगी। हम दोनों भाई भी माँ की चूचियां मस्त होकर काफी देर तक चूसते रहे।

अजय- “भैया, माँ की चूची पीने में जो मजा है वो और कोई चीज पीने में नहीं है। हम दोनों कितने खुशनशीब है। की इस जवानी में माँ की चूचियां एक साथ पीने को मिल रही हैं, और माँ भी कितने प्यार से अपनी चूची हमारे मुँह में ठेल-ठेलकर पिला रही है। माँ तुम्हारी चूचियां अभी भी पूरी टाइट हैं। बहुत जान है इनमें। माँ तुम मस्त होकर हमसे अपनी चूचियां मसलवाया करो, हमसे दबवाया करो, हमसे चुसवाया करो। हमें जब भी भूख लगे हमारे मुँह में अपनी चूची ढूंस दिया करो...”

माँ- “अरे अब ये मेरी दूध पिलाने वाली चूची नहीं है बल्कि तुम दोनों के खेलने के लिए बड़ी-बड़ी गेंदें हैं। खूब जी भर के इनसे खेला करो। तुम लोगों की जब भी इच्छा हो मेरी चूची मसल दिया करो, मेरी चूची पीनी हो तो उसमें मुँह लगा दिया करो, मैं खुद तुम लोगों को अपने आँचल में ढक के प्यार से दुधू पिलाऊँगी...”

मैं- “अभी तो तूने खाली माँ की चूची का ही मजा लिया है। माँ का असली माल तो इसके घाघरे में है। घाघरे में इसने अपनी सबसे खाश चीज छिपाकर रखी है। चल अब माँ का घाघरा तू उतार, तुझे माँ की ऐसी मस्त चीज
का दर्शन कराता हूँ की तू मर्दो के लण्डों को छोड़कर उसी का दीवाना हो जाएगा...”
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10-24-2019, 01:44 PM,
#65
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मेरी बात सुनकर अजय ने माँ को खड़ा कर लिया और खुद माँ के सामने घुटनों के बल बैठ गया और घाघरे की डोरी खोज कर उसे खींच दी। फिर अजय ने नाड़ा ढीला किया और घाघरा नीचे गिरा दिया। अब माँ की उभरी हुई पैंटी अजय की आँखों के सामने थी।


अजय- “भैया देखो माँ की चीज कितनी फूली हुई है...”

अजय की बात सुनकर मैं भी अजय के साथ माँ के सामने घुटनों के बल बैठ गया। मैं पैंटी के ऊपर से ही माँ की चूत पर हाथ फेरने लगा। हाथ फेरते-फेरते उसे मुट्ठी में कस लेता। फिर मैंने माँ की पैंटी धीरे-धीरे नीचे । सरकानी शुरू कर दी। उधर गहने माँ ने खुद उतार दिए। पैंटी उतरते ही माँ हमारे सामने पूरी नंगी थी। माँ की बड़ी चूत के चारों ओर घने काले-काले झाँट के बाल थे। चूत बहुत ही उभरी हुई थी। चूत की लाल फाँक साफ दिख रही थी। अजय जिंदगी में पहली बार इतने नजदीक से एक औरत की चूत देख रहा था और वो एक टकटकी से चूत के दर्शन कर रहा था।

तभी मैंने माँ की चूत की पुत्तियां फैला दी और अजय को चूत का छेद ठीक से दिखाया- “मुन्ना ठीक से देख यही हम दोनों का जन्मस्थान है। हम दोनों कभी यहीं से बाहर निकले थे। देख हमारा जन्मस्थान कितना मोहक है। क्या काले-काले रेशमी बालों से भरती है। जिंदगी का असली मजा तो इसी चीज में है। यह देख माँ की चूत
का छेद, भीतर से कितना लाल और गहरा है। मेरा इतना बड़ा लण्ड इसमें कहाँ गुम हो जाएगा पता ही नहीं चलेगा। इसे खूब जी भरके देख और इसे खूब प्यार कर। हम दोनों कितने खुशनशीब हैं की इस जवानी में माँ की चूत साथ-साथ देख रहे हैं और माँ भी मस्त होकर हमसे अपना खजाना लुटवा रही है...”

अजय- “भैया यह तो बहुत ही प्यारी है। मैं इसे ठीक से देखेंगा और इसे बहुत प्यार करूंगा। भैया यह तो मैंने सुना था की मर्द लोग इसके पीछे भागते फिरते हैं, पर यह चीज इतनी मस्त है यह मुझे पता नहीं था। इसे देखकर ही इतनी मस्ती चढ़ रही है जितनी की मुझे खड़े लण्ड देखकर भी नहीं चढ़ी थी। वो माँ, भैया भी कम नहीं है, वे जानते थे की माँ ने बड़ा कीमती खजाना अपनी दोनों टाँगों के बीच छिपा रखा है तभी तो उसे पाने के लिए पहले वे तेरे पर लाइन मारने लगे और बाद में तुझे पटाने के लिए मुझे आगे कर दिया...”

अजय की बात सुनकर मैं खड़ा हो गया और माँ को बिस्तर पर लिटा दिया और मैं खुद पलंग के किनारे पर टाँग लटका कर बैठ गया। माँ की गाण्ड मैंने गोद में ले ली और माँ के घुटने मोड़ दिए जिससे माँ की चूत उभरकर पलंग के किनारे पर सामने हो गई। तभी अजय भी सरक कर पलंग के किनारे के पास बैठ गया। माँ की चूत ठीक अजय के मुँह के सामने थी। तभी मैंने दोनों हाथों की सहयता से चूत पूरी फैला दी और जन्नत का फाटक अजय के सामने खुल गया।

मैंने माँ की गाण्ड अपनी गोद में रख रखी थी और अपने छोटे भाई अजय को माँ की चूत पूरी फैलाकर दिखा रहा था। चूत का गहरा और बिल्कुल लाल सुराख ठीक अजय की आँखों के सामने था। वो बड़े चाव से चूत पर झुका हुआ उसे देख रहा था।

विजय- “ले मुन्ना अब ठीक से देख। तेरे भैया इसी के दीवाने थे। असली मजा तो इसी में है। देख अपनी माँ की चूत कितनी मस्त है। ठीक से अंदर तक देख। इसे छू, इसे सहला, इसे प्यार कर, इसे चाट, इसमें अंगुली । घुसाकर देख। देख माँ की चूत कितनी गदराई हुई है। इसे एक बार चोद लेगा ना तो फिर गाण्ड मरवाना भूल जाएगा। देख तेरे लिए मैंने माँ की चूत चौड़ी कर दी है। अब पूरी मस्ती ले इसकी...”
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10-24-2019, 01:51 PM,
#66
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मैंने माँ की गाण्ड अपनी गोद में रख रखी थी और अपने छोटे भाई अजय को माँ की चूत पूरी फैलाकर दिखा रहा था। चूत का गहरा और बिल्कुल लाल सुराख ठीक अजय की आँखों के सामने था। वो बड़े चाव से चूत पर झुका हुआ उसे देख रहा था।

विजय- “ले मुन्ना अब ठीक से देख। तेरे भैया इसी के दीवाने थे। असली मजा तो इसी में है। देख अपनी माँ की चूत कितनी मस्त है। ठीक से अंदर तक देख। इसे छू, इसे सहला, इसे प्यार कर, इसे चाट, इसमें अंगुली । घुसाकर देख। देख माँ की चूत कितनी गदराई हुई है। इसे एक बार चोद लेगा ना तो फिर गाण्ड मरवाना भूल जाएगा। देख तेरे लिए मैंने माँ की चूत चौड़ी कर दी है। अब पूरी मस्ती ले इसकी...”

तभी अजय ने अपनी लंबी सी जीभ निकालकर चूत के अंदर डाल दी और वो अपनी जीभ चूत के छेद में चारों ओर फिराने लगा। उसने अपने दोनों हाथ चूत पर रख दिए और चूत को फैलाते हुए मस्त होकर उसे चाटने लगा। अजय बार-बार उस विशाल चूत को पूरी अपने मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था। तभी मैंने माँ को खींचकर अपनी गोद में सीधा बैठा लिया और माँ की दोनों चूचियां अपने हाथों में भर ली। माँ के होंठ अपने होंठों में ले लिए और चूचियां दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा। उधर मुन्ना चूत का रसपान कर रहा था।

मैं- “माँ आज तो तू एक साथ दोनों भाइयों की बीवी बन गई हो और देखो तुम्हारे साथ तेरे 6 फूट के दो-दो बेटे एक साथ सुहागरात मना रहे हैं। तेरी तो इस उमर में आकर तकदीर खुल गई है। अब से तुझे दो-दो जवान लण्डों का एक साथ मजा मिलेगा। अब तेरी चूत और गाण्ड को लण्ड की कमी नहीं खलेगी। देखो तुम कैसे एक बेटे की गोद में बैठकर अपनी चूची मसलवा रही हो और दूसरे बेटे से अपनी चूत चटवा रही हो...” मैं गोद में बैठी माँ की टाँगें कुछ ऊपर उठा अजय के लिए माँ की चूत फैला रहा था, जिससे की वो भीतर तक चाटकर मजा ले सके।


माँ- “जब मेरे दो-दो जवान गान्डू बेटे मेरे लिए बहुएं लाने की वजाय आपस में ही गाण्ड मारा मारी करने लगे तो मैं क्या करती? जब तुम दोनों को ही आपस में शर्म नहीं है तो मैं फिर शर्म क्यों करूं? जब तुम दोनों खुलकर गाण्ड मारा मारी और लण्ड चूसा चूसी का खेल खेलते हो तो मैं फिर चूत और गाण्ड वाली होकर तुम दोनों गान्डुओं और चूतियों से मजा क्यों ना लँ? छोटे वमैंले को देखो कैसा भुक्कड़ की तरह मेरी चूत पर पिला हुआ है।

और जब तू अपनी माँ को नंगी करके अपनी गोद में खड़े लण्ड पर बैठा सकता है तो मुझे तुमसे चुदने में और गाण्ड मराने में कैसा परहेज? बड़ा वाला मादारचोद चूतिया है तो छोटे वाला भोसड़ी का गान्डू.."

मैं- “मुन्ना तूने माँ की बात सुनी, हम दोनों को गान्डू और चूतिया बोल रही है। देख बहन की लौड़ी हमें कैसी गालियां दे रही है। आज इसकी सारी गर्मी निकाल देनी है। इसकी चूत और गाण्ड में बहुत गर्मी है। इसे आज एक रंडी की तरह चोदना है। साली बहुत नमकीन है.”

फिर मैंने माँ की ठुड्डी पकड़कर उसका चेहरा ऊपर उठा लिया और उसकी आँखों में देखते हुये कहा- “अरे माँ मैं तो तेरे जैसी बेशर्म और खुलकर बात करने वाली औरत का पक्का रसिया हूँ। तभी तो मैंने तुझे पटाया है। तेरे लिए मुन्ना को भी राजी किया है। अब हम दोनों भाई तेरी मस्त जवानी को खुलकर भोगेंगे। अब से तुम हमारी साझे की बीवी हो। हम दोनों तुम्हारे पति हैं..." यह कहकर मैंने माँ को गोद से उतार दिया और खड़ा हो गया।

फिर मैंने अजय को खड़ा किया और उसके सारे कपड़े उतारने शुरू किए साथ ही अजय भी मेरे कपड़े उतारने
लगा। देखते-देखते हम दोनों भाइयों ने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया। अब हम तीनों के शरीर पर वस्त्र नाम की कोई चीज नहीं थी। अजय का 10” का लण्ड पूरा तना हुआ था।

मैंने अजय का लण्ड पकड़कर माँ को दिखाते हुए कहा- “माँ अपने छोटे बेटे का लण्ड देख। मुन्ना का देख कितना प्यारा ‘मुन्ना' है। जब इससे चुदाएगी ना पूरी मस्त हो जाएगी...”

तभी अजय ने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया, और कहा- “और माँ यह देख भैया का मूसल सा हलब्बी लौड़ा। मैं तो इसे आराम से पूरा का पूरा ले लेता हूँ, पर तू तो भीतर जाते ही हाय हाय करने लगेगी। तेरी तो चूत को फाड़कर भैया भोसड़ी बना देंगे। हम चूतिए हैं तो तेरी मस्त चूत के लिए हैं, और गान्डू हैं तो तेरी फूली-फूली गाण्ड के लिए हैं। मैं तो भैया के हलब्बी लौड़े से आराम से गाण्ड मरा लेता हूँ पर तू अपनी सोच। भैया जब हुमच कर तेरे
में पेलेंगे तब तेरी यह कतरनी सी जुबान बाहर आ जाएगी...”


तभी मैं माँ के पीछे चिपक गया और अजय माँ के आगे चिपक गया। हम दोनों मर्दाने भाइयों के बीच माँ पिसी जा रही थी। मैंने माँ की चूचियां हाथों में समा ली और अजय माँ के होंठ चूसने लगा। मैं माँ की गाण्ड की गर्मी लेते हुए उसकी गाण्ड पर लण्ड रगड़ रहा था और अजय उसकी चूत से अपना लण्ड टकरा रहा था।
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10-24-2019, 01:51 PM,
#67
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मैं- "माँ अब बता पहले किससे चुदवाएगी? अपने बड़े बेटे से या छोटे बेटे से?”

तभी अजय बोल पड़ा- “नहीं भैया, माँ पर पहला हक आपका है। माँ से व्याह आपने किया है, सुहागरात आपकी है, मैं पहले कहाँ से आ गया? चलिए अब अपनी चुदासी माँ की चूत की प्यास बुझाइये...”

मैंने माँ की चूत में अंगुली डालते हुए कहा- “क्यों माँ तैयार हो ना अपनी इस मस्त चीज का स्वाद चखाने के लिए?”

राधा- “मेरे लिए तो तुम दोनों एक जैसे हो कोई भी पहले आ जाओ, मुझे क्या फर्क पड़ता है? तुम लोग चाहो तो दोनों एक साथ आ जाओ, दोनों को भी झेल लँगी। विजय बेटे, मेरी चूत का तुम लोगों को स्वाद चखाने के लिए ही तो नंगी हुई हूँ। मुझे जी भर के चोदो, मेरे से जी भरके मस्ती करो। दो-दो पूरे नंगे बेटों के बीच नंगी होने में मुझे बहुत मजा आ रहा है। दो-दो खड़े लण्ड एक साथ देखकर मैं वासना से जल रही हूँ, मुझे खुलकर भोगो मेरे प्यारों, मैं बिल्कुल तैयार हूँ..”

माँ की बात सुनकर मैं माँ को बिस्तर पर खींच लाया और उसे चित्त लेटा दिया। उसकी गाण्ड के नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया और उसके घुटने मोड़कर चूत को उभार दिया।

मैं- “मुन्ना माँ की झाँट भरी मस्त चूत देख... कैसी खुलकर मुझे दावत दे रही है? देख भीतर से कैसी चिकनी है? इसमें तो तेरी गाण्ड जैसे वैसेलीन लगाने की भी दरकार नहीं है...” मैं माँ की चूत पर झुक गया और उसे
चाटने लगा।

मुन्ना ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसे अपने थूक से तर करते हुए चूसने लगा। कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने माँ की टाँगों के बीच अपना आसन जमा लिया। मेरा लण्ड माँ की चूत के ठीक सामने था। अजय मेरे सामने माँ की ठीक बगल में बैठा हुआ था। उसने मेरा लण्ड पकड़ा और माँ की चूत के छेद से भिड़ा दिया। फिर उसने दोनों हाथों से चूत फैला दी ताकी मेरा विशाल लण्ड उसमें आराम से जा सके। मैंने धीरे से धक्का दिया तो माँ की लसलासी चूत में लण्ड का सुपाड़ा घुस गया। फिर धीरे-धीरे लण्ड अंदर ठेलने लगा और कुछ देर में मेरा आधा लण्ड माँ की चूत में समा गया। अब मैं आधे लण्ड से ही माँ को चोदने लगा।

अजय- “भैया अभी तो आपका आधा ही भीतर गया है। क्या आपका पूरा इसमें नहीं जाएगा? जोर लगाकर ठेलिए। आज इसकी चूत फाड़कर भाड़ सा भोसड़ा बना दीजिए...”

अजय की बात सुन मैंने तीन-चार करारे शाट माँ की चूत में मारे और मेरा लण्ड जड़ तक चूत में समा गया। अब मैं माँ पर झुक गया और उसके होंठ चूसने लगा। उधर तीन चौथाई लण्ड बाहर निकालता और एक धक्के में वापस पूरा पेल देता। अभी धक्कों की स्पीड बहुत धीमी थी।

राधा- “अजय यह माँ की चूत है। ऐसे तो दो लण्ड एक साथ भीतर ले लँ। ठीक से देख भैया का मूसल मेरी चूत में कितने आराम से जा रहा है? देख औरत की चूत को मर्द कैसे चोदते हैं? ठीक से देख ले और सीख ले,

आखिरकार तुझे भी तो चोदनी है। तेरे भैया को मेरी जैसी बड़ी सी चूत चाहिए तो मुझे भी भैया के जैसा हलब्बी लौड़ा चाहिए। छोटी मोटी नूनी तो किसी कोने में ही अटक के रह जाएगी। ऐसे मस्ताने लण्ड की ही तो मैं पूरी शौकीन हैं। इसीलिए जब तूने मेरी भैया से शादी की बात छेड़ी तो मैं फौरन तैयार हो गई। मैं बहुत खुश हूँ की तूने मुझे ऐसे लण्ड की दुल्हन बना दिया है। तेरा यह अहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी। आ तेरा लण्ड चूस देती हूँ। ला इसे मेरे मुँह में दे दे...”

माँ की बात सुनकर मैं पूरा गरम हो गया था और अब चूत में लण्ड दनादन पेल रहा था। मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और चूत फचा-फच चुद रही थी। इधर अजय ने माँ की छाती के दोनों ओर अपने घुटने जमा दिए और माँ के मुँह के सामने उसका लण्ड लहराने लगा। माँ अजय के लण्ड के सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी।

राधा- “वाह... मेरे छोटे बेटे का लण्ड तो उसके जैसा ही मक्खन सा चिकना और प्यारा है। यह सुपाड़ा तो रसगुल्ले जैसा है। इसे तो अब रोज आइसक्रीम की कैंडी की तरह चूसूंगी। बड़ा बेटा तो मुझे बाजार की कैंडी खिला के लेता है पर अब से मैं तो यह घर की ही कैंडी चूसूंगी...” यह कहकर माँ मुन्ने का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी। उसने आधा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और बाहर-भीतर करते हुए थूक से तर करने लगी। माँ अजय की गोटियों को हाथों से धीरे-धीरे दबा रही थी।

मैंने माँ की दोनों चूचियां हाथों में ले ली और माँ को कस के चोदने लगा, और कहा- “मुन्ना इस लण्ड खोरनी माँ के मुँह में अपना पूरा लौड़ा पेल दे। पूरा भीतर तेल दे जिससे की इसे ठीक से साँस भी नहीं आए। इसे भी। थोड़ा पता तो चले की दो-दो लण्डों की क्या ताकत होती है? देख मैं इसे कैसे कस-कस के चोद रहा हूँ और यह गाण्ड उछाल-उछालकर चुदवा रही है। अपनी माँ पक्की चुदक्कड़ है। इसकी चूत में बहुत खाज है, पर मैं इसकी चुदाई की आज सारी खाज मिटा दूंगा..."
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10-24-2019, 01:52 PM,
#68
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
मेरी बात सुनकर अजय माँ के मुँह में लण्ड ठेलने लगा और उधर माँ भी पूरा मुँह खोलकर अपने छोटे बेटे का लण्ड मुँह में लेने लगी। थोड़ी ही देर में मुन्ना ने अपना लण्ड जड़ तक माँ के मुँह में दे दिया। अब वो लण्ड । बाहर-भीतर करते हुए माँ के मुँह को चोदने लगा। माँ भी मुँह आगे-पीछे करते हुए पूरी तन्मय होकर लण्ड चूस रही थी। माँ ने अजय के दोनों चूतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और वो उन्हें अपनी ओर दबाने लगी। अब वो पूरा लण्ड मुँह में भरकर बड़े आराम से चूस रही थी।

अजय- “भैया, माँ पक्की चुदक्कड़ तो है ही साथ ही पक्की लण्ड खोरनी भी है। देखो मेरा पूरा लण्ड मुँह में लेकर कितने आराम से चूस रही है। भैया माँ को लण्ड चुसवाकर तो मजा आ गया। जब इसको लण्ड चुसाने में इतना मजा है तो इसको चोदने में और इसकी गाण्ड मारने में कितना मजा आएगा?”

मैं माँ को कस-कस के चोद रहा था। अब मैं झड़ने के बहुत करीब था- “अरे बहुत गरम माल है यह। यह हम । दोनों भाइयों को खुलकर मस्ती कराएगी। मैं तेरे को कहता था ना की एक बार इसे पटा लेने दो फिर यह घर में ही हमें इतनी मस्ती देगी की हमें कभी भी बाहर की ओर मुँह करने की जरूरत ही नहीं होगी। भाई मैं तो झड़ने जा रहा हूँ। मैं अपने गाढ़े रस से इसकी चूत लबालब भर दूंगा। इसके पेट में अपना बीज डालूंगा और इसे अपने बच्चे की माँ बनाऊँगा। हाँ भाई मैं झड़ रहा हूँ। हाय, मेरा माल माँ की चूत में बह रहा है। ओह्ह... ओहह... मैं झड़ रहा हूँ। यह चुदक्कड़ औरत मेरा रहा सारा रस निचोड़ रही है। हाय... मुन्ना में माँऽऽ की चूत में झड़ रहा हूँ...” यह कहते-कहते में झड़ने लगा।

मेरे लण्ड से रस की धार माँ की चूत में बहने लगी। मैंने माँ की चूचियां अपनी मुट्ठी में जकड़ ली और आखिरी के धक्के बहुत तेजी से मारते हुए झड़ रहा था। तभी माँ ने भी खूब जोर-जोर से अपनी गाण्ड ऊपर उछालनी शुरू कर दी। उसने अपनी मुठियां अजय की गाण्ड पर कस ली और बहुत तेजी से मुँह आगे-पीछे करते हुए लण्ड को चूसने लगी। माँ भी मेरे साथ झड़ रही थी, पर अजय का लण्ड मुँह में होने की वजह से कुछ भी बोल नहीं पा रही थी।

अजय- “भैया मेरा भी माँ के मुँह में निकल रहा है। ले माँss मेरा सारा माल गटक जा। हाय मेरी राधा भाऽभीऽs तेरे मुँह में झड़कर तो बहुत मजा आ रहा है। हाय मेरे भाई की जोरू... हाय मेरी प्यारी भाभिऽs मैं झड़ रहा हूँ..”

मैं- “मुन्ना लण्ड बाहर मत निकालना। सारा माल माँ के मुँह में ही झाड़ दे। अपना रस इसको पिला। देख मैंने इसकी चूत अपने रस से भर दी, अब तू इसका मुँह अपने रस से भर दे। इसको रस से सराबोर कर दे...”

हम तीनों लगभग एक ही समय पर झड़ रहे थे। धीरे-धीरे बारी-बारी से हम तीनों शिथिल पड़ते गये। अजय ने। माँ के मुँह से लण्ड निकाल लिया और माँ के बगल में ही बिस्तर पर लेट गया। मैं भी मुरझाए लण्ड को चूत में ही डाले माँ पर ही निढाल हो गया। उधर माँ ने भी शरीर को ढीला छोड़ दिया और आँखें बंद कर ली। हम करीब आधा घंटा इसी तरह पड़े रहे।

फिर सबसे पहले माँ उठी और उसने अपनी पैंटी पहन ली। उसने अपने बाकी के सारे कपड़े और गहने लिए और अपने रूम में चली गई। फिर मैं उठा और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए घुस गया। बाथरूम से वापस आया तो अजय वैसे ही सोया पड़ा था और मैं भी उसकी बगल में रोज की तरह सो गया। दूसरे दिन स्टोर जाते समय सब कुछ स्वाभाविक था और रात की घटना की कोई चर्चा नहीं थी।

इसके दूसरे दिन रात के खाने का काम समाप्त होने पर माँ नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और मैं मुन्ना
के साथ बाइक पर सैर को निकल गया। मैं मुन्ना को लेकर उसी पार्क में आ गया जहाँ कभी माँ को लेकर गया था और जहाँ नौजवान जोड़े मस्ती के लिए आते थे। हमने पार्क के दो चक्कर लगाए और मैं अजय को मस्ती करते हुए जोड़े दिखा रहा था। हमने फव्वारों का भी कुछ देर आनंद लिया। फिर हमने आइसक्रीम के 3 कप और 3 कैंडी ली और 10:00 बजे के करीब वापस घर पहुँच गये।

माँ ने दरवाजा खोला। माँ पूरी खिली हुई थी और महक रही थी। उसने आज सेक्सी गाउन पहन रखा था। हम तीनों मेरे कमरे में आ गये। कमरे में आते ही मैंने माँ की कमर में हाथ डाल दिया और अपना हाथ उसकी पीठ से फिराते हुए उसकी गाण्ड तक ले आया।

मैं- “मुन्ना माँ को छूकर देख... इसने इस गाउन के नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा है। गाउन के नीचे पट्टी पूरी नंगी है। देखो कितनी समझदार है की पहले से ही नीचे कुछ नहीं पहन रखा है...” मेरी बात सुनकर अजय भी। गाउन के ऊपर से माँ की पीठ और गाण्ड पर हाथ फेरते हुए अनुभव करने की कोशिश करने लगा की सचमुच में इसने नीचे कुछ पहन रखा है या नहीं?

अजय- “हाँ... भैया, माँ चुदवाने के लिए और मरवाने के लिए बहुत उतावली दिखती है, इसे कपड़ा उतारने की भी देर बर्दास्त नहीं है। माँ, तू तो भैया की एक ही चुदाई में चुदाने के लिए इतनी बेचैन हो गई, फिर तूने गाँव में 15 साल बिना चुदाए कैसे निकाल दिए? मेरे को कहती थी ना की मैं गाँव में दोस्तों के सक्करकंदा लेता हूँ तो तू क्या अपनी चूत में बैगन और खीरे डालती थी? बता ना माँ तूने गाँव में कितने यार पाल रखे थे? तेरे जैसी चुदक्कड़ औरत बिना लण्ड के कैसे रह सकती है?”

इधर अजय माँ को छेड़ रहा था। तभी मैंने ब्रीफ को छोड़कर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। मैंने पास खड़ी माँ के गाउन के स्ट्रैप्स खोल दिए और गाउन उसके शरीर से निकालकर उसे मादरजात नंगी कर लिया। में सोफे पर। बैठ गया।

राधा- “यह तू नहीं बोल रहा है बल्कि तेरे भैया का जो इंजेक्सन तेरे पिछवाड़े में लगा था ना, उसका असर बोल रहा है। मैं तो अब अपने बड़े बेटे के हलब्बी लौड़े से चुदूंगी, उससे गाण्ड मरवाऊँगी, मोटे-मोटे सक्करकंदा तो। बैठकर तू अपनी गाण्ड में पेलते रहना। मैंने तो गाँव में एक भी यार नहीं पाल रखा था, पर तू गाँव के मुस्टंडों के आगे अपनी पैंट नीची करते फिरता रहता था। उनसे गाण्ड मरवा-मरवा कर ही तो तेरी गाण्ड इतनी फूल गई है। तू तो एक नंबर का गान्डू है...”

विजय- “आओ मेरी राधा रानी नाराज मत हो, आओ मेरी गोद में बैठो..." यह कहते हुए मैंने माँ को अपनी गोद में खींच लिया। फिर कहा- “देखा मुन्ना कितना बदमाश हो गया है। अपनी प्यारी-प्यारी माँ से कैसी बेशर्मी की बातें कर रहा है। तू तो गोद में बैठाकर प्यार करने की चीज है। तू इस छोटे के ज्यादा मुँह मत लगा करो। तू तो मेरे पास आ जाया करो। मैं तुझे अपनी गोद में नंगी करके बिठाऊँगा और धीरे-धीरे तुझे पेलूंगा। मुन्ना, माँ में अभी भी थोड़ी लाज शर्म बाकी है, तभी तो इसने अपने शरीर पर गाउन डाल लिया। नहीं तो देख यह नंगी कितनी मस्त लग रही है। अरे यह तो नंगी करके गोद में बिठाकर खिलाने की चीज है। हाय.. तेरे में से कैसी मीठी-मीठी मदहोश कर देनेवाली खुश्बू आ रही है। तो मेरी राधा जानू तू अपने बेटों से चुदने के लिए तैयार होकर आई हो? तो क्या हुआ, अब घर में दो-दो जवान लण्डों के होते हुए तू क्या जिंदगी भर अपनी चूत में खीरे और बैगन पेलती रहेगी? मुन्ना को अभी पूरी समझ नहीं आई है। ला मुन्ना, माँ के लिए कैंडी लेकर आया है ना वो निकाल, माँ को कैंडी चुसवा। माँ कितने मन से तैयार होकर आई थी और तूने इसका मजाक बना दिया...”

अजय- “भैया कौन सी कैंडी

मैं- “चल बदमाश कहीं का। अरे कल वाली नहीं आज वाली निकाल...”
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10-24-2019, 01:52 PM,
#69
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
अजय- “भैया कौन सी कैंडी
मैं- “चल बदमाश कहीं का। अरे कल वाली नहीं आज वाली निकाल...”
मेरी बात सुनकर अजय ने आइसक्रीम का पैकेट खोला और तीनों कैंडियां निकाल ली। उसने एक-एक कैंडी खोलकर मुझे और माँ को दे दी और एक खुद ले ली। माँ पूरी नंगी मेरी गोद में बैठी हुई अजय को दिखादिखाकर लण्ड की तरह कैंडी चूसने लगी। वो पूरा मुँह गोल बनाकर आधे से ज्यादा कैंडी मुँह में ले लेती और जैसे लण्ड को मुँह से बाहर-भीतर करते हुए चूसा जाता है वैसे ही अजय को दिखा-दिखाकर चूसने लगी।

इसके बाद तो माँ ने हद ही कर दी। उसने कैंडी अपनी नंगी चूत के फाटक पर फेरी और वापस चटखारे लेकर उसे चूसने लगी। माँ की यह हरकत देखकर अजय सोफे के सामने जमीन पर बैठ गया और कैंडी के रस से
मीठी हुई चूत चाटने लगा। उसने फिर अपनी वाली कैंडी थोड़ी सी माँ की चूत में डाली और वापस चूत चाटने लगा। इस प्रकार कैंडी से मीठी कर-करके वो माँ की मस्त चूत चाटने लगा।

इधर मैं कभी माँ वाली कैंडी चूस लेता तो कभी अपनी वाली माँ को चुसा देता। कई बार मैंने अपनी ठंडी कैंडी
माँ के निपल से लगाई और निपल चूसकर कैंडी का दूध उसपर से साफ किया। इस प्रकार हम तीनों ने आइसक्रीम कैंडियां खतम की।

मैं- “मुन्ना आज तो आइसक्रीम कैंडी का मजा आ गया। चल कप्स का भी मजा ले लेते हैं, नहीं तो आइसक्रीम गल जाएगी, तब मजा नहीं आएगा। पहले अपने सारे कपड़े निकाल दे...”

मेरी बात सुनकर अजय भी पूरा नंगा हो गया और मैंने भी सोफे से उठकर अपना ब्रीफ निकाल दिया। मैं और माँ बेड के किनारे पर बैठ गये। अजय ने तीनों आइसक्रीम के कप एक-एक के हाथ में दे दिए। मैं माँ को दिखाकर जैसे चूत चाटी जाती है वैसे कप में जीभ फिरा-फिराकर आइसक्रीम का स्वाद लेने लगा।

मेरी देखा देखी अजय ने अपनी लंबी सी पूरी जीभ बाहर निकाल ली और कप में नीचे से ऊपर तक जीभ घसीटकर बहुत ही सेक्सी मुद्रा में माँ को दिखाकर आइसक्रीम चाटने लगा। अजय पलंग के पास खड़ा था और उसका लण्ड माँ के पास ही पूरा तना हुआ था।

माँ ने एकाएक कप में से अंगुली की सहायता से बड़ा सा आइसक्रीम का ढेला निकाल लिया और वो ठीक से अजय के लण्ड पर चुपड़ दिया। फिर माँ नीचे झुकी और आइसक्रीम से चुपड़े मीठे और ठंडे लण्ड को मुँह में भरकर चूसने लगी। तभी मैं माँ की चूत पर झुक गया और कप में से थोड़ी आइसक्रीम माँ की चूत के छेद में डाल दी और वो मीठी चूत चाटने लगा। माँ ने जब लण्ड चूसना बंद किया तो अजय ने भी माँ की चूत में आइसक्रीम डालकर माँ की चूत चाटी। आखिरकार, आइसक्रीम खाने का बहुत ही कामुक दौर समाप्त हुआ।

मैं- “देखा मुन्ना माँ के साथ मस्ती करने का मजा? देखो, माँ कितनी खुलकर मस्ती करवाती है। चलो हम तीनों साथ-साथ नहाते हैं। आइसक्रीम से बदन चिपचिपा हो गया है.”

यह कहकर हम सब मेरे बड़े बाथरूम में आ गये। हम तीनों शावर के नीचे थे। तभी मैंने फुल फोर्स में शावर खोल दिया। ठंडे पानी की तेज धार हम तीनों के नंगे बदन पर पड़ने लगी। हम दोनों भाइयों ने माँ को हमारे बीच में लेकर बाँहों में जकड़ लिया। मैंने अपना लण्ड माँ की गाण्ड से भिड़ा रखा था और अजय ने झांटदार चूत से। हम कसमसाते हुए शावर में नहा रहे थे। तभी मैंने एक बड़ी सी शैम्पू की बोतल ली और ढेर सारा शैम्पू माँ के, अजय के और मेरे माथे पर गिरा दिया और शावर बंद कर दिया। मैं माँ के घने बालों को रगड़-रगड़ शैम्पू का झाग पैदा करने लगा, माँ अजय के सिर पर और अजय मेरे सिर पर।
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10-24-2019, 01:52 PM,
#70
RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
यह बहुत ही फोम पैदा करनेवाला शैम्पू था, इसलिए हम तीनों के सिर, चेहरा और पूरा बदन फोम से भर गया। अब हम तीनों आपस में एक दूसरे के बदन रगड़ रहे थे। माँ मेरा लण्ड, गोटियां और झाँटें रगड़ रही थी, मैं अजय का लण्ड और उसकी गाण्ड रगड़ रहा था और अजय माँ की चूत, चूचियां और गाण्ड रगड़ रहा था। हम एक दूसरे को रगड़-रगड़कर काफी देर नहलाते रहे। फिर मैंने वापस शावर खोल दिया और काफी देर फिर शावर के नीचे गुत्थम गुत्था होते हुए नहाते रहे। कुछ देर बाद मैंने शावर बंद कर दिया। हमारे बदन से पानी चू रहा था। अजय बाथरूम के टाइल लगे फर्श पर बैठ गया और मेरे खड़े लण्ड को मुँह में ले चूसने लगा। उसकी देखा देखी माँ भी नीचे बैठ गई और मेरी गोटियों से खेलने लगी। माँ ने भी मेरे लण्ड पर मुँह लगा दिया। कभी अजय उसे मुँह में ले लेता और कभी माँ। माँ मेरी गाण्ड दबा रही थी।

तभी मुझे पेशाब करने की शंका महसूस हुई और मन में एक शरारत भरा खयाल आया। माँ के मूतने का दृश्य मेरी आँखों के आगे आने लगा। मैंने सोचा की क्यों ना आज माँ के मुँह में मूटत की धार छोड़ दें। अभी यह पूरी मस्त है और एक बार इसके मुँह में मेरे मूत की धार चली गई तो यह भी बिना हिचक के अपना मूत्रपान हम दोनों भाइयों को करवाएगी। यह सोचकर मैंने अपना लण्ड माँ के मुँह में पूरा ठेल दिया और मूतने के लिए जोर लगाया। जोर लगाते ही हल्की-हल्की मूत्र-धार निकलकर माँ के हलक में गिरने लगी।

पहले तो पूरी भीगी हुई माँ की समझ में ही नहीं आया की क्या हो रहा है? पर फिर उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया। अब मेरे मूत्र का वेग बढ़ गया था और मोटी धार के रूप में लण्ड से फोर्स के साथ निकल रहा था। माँ ने ओर अजय दोनों ने देखा की मैं मूत रहा हूँ।

अजय यह देखकर पूरे जोश में आ गया और उसने मेरे लण्ड को झट से अपने मुँह में ले लिया और वो मेरा मूत गटागट पीने लगा। थोड़ा मूत अजय को पिलाकर मैंने लण्ड अजय के मुँह से निकाल लिया और मूत्र धार छोड़ते हुए लण्ड को माँ के बंद होंठों से छुवाकर लण्ड मुँह में देने के लिए जोर लगाने लगा। मेरा मूत माँ के होंठों और पूरे चेहरे को तर कर रहा था। मैंने माँ का चेहरा पकड़कर उसे अपने लण्ड पर दबा दिया और माँ ने मुँह खोल दिया। मैंने माँ के मुँह में लण्ड दे दिया और तब तक माँ के मुँह में मूतता रहा जब तक की मेरा मूत रुक नहीं गया और माँ ने भी मेरे मूत की एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी।

मैं- “माँ कैसा लगा अपने बेटे के मूत का स्वाद? माँ चलो अब तुम खड़ी हो जाओ और आज हम दोनों बेटों के सामने खड़ी-खड़ी मूतो। माँ मैं तेरी झांटदार चूत से मूत की धार बहती हुई देखना चाहता हूँ। मुन्ना ने तो कई बार तुझे मूतते हुए देखा है, पर मैंने तो आज तक किसी औरत को ही मूतते हुए नहीं देखा..."

राधा- “तुम बहुत शरारती हो। माँ को चोद तो तूने कल ही लिया था और आज अपना मूत पिलाकर उसे अपनी रंडी बना लिया। जब तुम लोगों ने मुझे अपनी रंडी बना ही लिया है तो मैं खुद भी रंडी बनकर पूरा मजा क्यों ना हूँ। मुझे तुम दोनों से प्यार है, तुम दोनों के लण्डों से प्यार है, तुम्हारे वीर्य को चूत में झड़ाने से प्यार है। और सच कहूँ तो तेरा मूत भी मुझे बहुत मजेदार लगा। उसे पीकर तो मैं पूरी मस्त हो गई हूँ। मैं एक रंडी बन गई हूँ, एक ऐसी रंडी जो पूरी बेशर्म होकर चुदवाना चाहती है, तुम लोगों से गाण्ड मरवाना चाहती है, तुम लोगों का मूत पीना चाहती है। तो तू मुझे मूतते हुए देखना चाहता है। अब मैं मूतकर खाली दिखाऊँगी नहीं बल्कि तुम दोनों के खुले मुँह में मूतूंगी। यह सोचकर ही मुझे पेशाब करने की बहुत जोर से हाजत लग गई है..." यह कहकर माँ खड़ी हो गई।

विजय और अजय फर्श पर घुटनों के बल बैठ गये और माँ की चूत पर अपनी आँखें गड़ा दी। मैंने माँ की चूत
थोड़ी चौड़ी कर ली और चूत के छेद के ऊपर बने पेशाब के छेद को अजय को दिखाते हुए कहा- “मुन्ना देख यह माँ का पेशाब करने का छेद है। माँ के मूत का झरना यहीं से बहेगा...”

अजय- “भैया मैं तो सोचता था की जैसे हम लोगों के लण्ड में झड़ने का और मूतने का एक ही छेद है वैसे ही माँ का भी चोदने का और मूतने का एक ही छेद होगा पर माँ के तो अलग-अलग हैं...”

मैं- “अरे माँ के हर छेद का अपना-अपना स्वाद है। तू देखता जा तुझे माँ के एक-एक छेद की मस्ती करवाता हूँ। माँ चलो अब मूतो ना...”

मेरी बात सुनकर माँ ने जोर लगाया और मूत्र-छिद्र से छुर छुर्रर की आवाज से मूत्र की तीव्र धार बह निकली। मूत्र का रंग बिल्कुल पानी जैसा ही था। मैंने फौरन पूरा मुँह खोलकर एक कप की तरह वहाँ जड़ दिया और माँ का वो अमृतमय मूत गटागट पीने लगा।

तभी अजय ने कहा- “भैया सारा अकेले मत पी जाना, थोड़ा मेरे लिए भी छोना..."

अजय की बात सुनते ही मैंने उस बहते झरने से मुँह हटाकर मुन्ना का मुँह वहाँ लगा दिया। मुन्ना भी पूरा मस्त होकर माँ का मूत पीने लगा। फिर मैंने अजय का मुँह वहाँ से हटा दिया और उस मूत्र धार को अपने चेहरे पर गिरने दिया, बीच-बीच में अजय भी उसके सामने अपना चेहरा ले आता। हम दोनों भाई उस मादक मूत्रस्नान का तब तक मजा लेते रहे जब तक मूत की धार पूरी तरह से बंद नहीं हो गई।

माँ के मूत का स्नान खतम होते ही मैंने वापस शावर खोल दिया और काफी देर हम फिर शावर के नीचे नहाते रहे। इसके बाद मैंने किंग साइज का तौलिया एक साथ हम तीनों के शरीर पर लपेट लिए और उस विशाल तौलिया के अंदर घुसे हुए हम तीनों हिल-हिल कर अपनी पीठ, छाती, कमर, गाण्ड उस तौलिया पर रगड़ते हुए पोंछने लगे। अपने बदन से पानी को सूखाकर हम वापस कमरे में आ गये।
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