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RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
मै - (बहु की बातचीत को अच्छी तरह से समझ रहा था, वो शायद अपने पापा के सामने मुझसे डबल मीनिंग में बात करना चाहती थी )।। हाँ बहु क्या करता पिछले कई दिनों से निकाल-निकाल के थक गया हूँ।
सरोज - क्या निकाल के थक गए हैं बाबूजी?
मै - अरे बेटा।। तुम तो जानती हो। वो बाथरूम का नल ख़राब हो गया है न तो कुछ ही घंटे में नीचे पानी भर जाता है और फिर उसे निकालना पड़ता है।
सरोज - बाबूजी।। आपको कितनी बार मना किया है आप मत किया कीजिये मुझे बोलिये मैं आपका पानी निकाल दिया करुँगी।।।।।।।।।।। आपके बाथरूम से।
सरोज - कल रात आप पानी निकाल के सोये क्या?
मै - हाँ बहु।। कल रात पानी निकल के सोया, सुबह तक ज्यादा पानी इकट्ठा हो जाता न। प्लम्बर को बुलाउंगा आज़।
सरोज - ओह अच्छा, मैं सुबह जब आपके कमरे में आयी तो देखा की आप सो रहे है, तो मैंने बिना आपको नींद से उठाये आपका पानी निकाल दिया (बहु ने बड़ी ही शरारती अन्दाज़ में कहा)
सरोज - बाबूजी।। पानी इतना ज्यादा था की मेरे मुह पे भी छीटें पड़ गये।। आप चिंता न करें जबतक प्लम्बर नहीं आता मैं रोज आपका पानी निकाल दिया करुँगी।
मुझे पहले से ही शक़ था की बहु ने सुबह मेरा लंड चूसा है, लेकिन मुझे नहीं पता था की मैं जो सपना देख रहा था की कोई लड़की मेरा लंड हिला रही है, वो दरअसल हकीकत में मेरी बहु मेरा लंड मुह में लिए मुट्ठ निकाल रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था के मेरी बहु जो इतनी शर्मीली थी, जो कुछ हफ्ते पहले मेरे सामने घूंघट में रहती थी आज वो मेरा लंड चूसने से भी नहीं हिचकिचाती। और सिर्फ यही नहीं अपने पापा के सामने मुझसे डबल मीनिंग में रोज मेरे लंड का पानी निकालने की बात भी कर रही है। मैं बहु के इस नए बहिवियर से काफी खुश था, आखिर मैं हमेशा से एक रंडी बहु चाहता था। पहले मेरी बहु शरमीली थी तो क्या? अब तो धीरे धीरे रंडी बन रही है।
मैने बहु से इस बारे में बात करने की सोची, और मौका देखते ही किचन में चला गया। समधी जी हॉल में बैठे टीवी देख रहे थे।
मै किचन में पहुच कर बहु को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। मेरा खड़ा लंड बहु के मादक गांड में दबने लगा।
सरोज - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।
मैने बहु की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर मैं पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को बहु के नाभि में डाल दिया। बहु सिसकारी मारने लगी, मुझे समझ में आ गया की बहु उत्तेजित हो रही है।
उसके बाद मैंने अपना एक हाथ आगे कर साड़ी को ऊपर उठा दिया, बहु ने एक ढीली सी पेंटी पहनी थी,पेंटी इतना ढीली थी की मैं आराम से अपनी ऊँगली बहु के चुत में घुसा दिया।
बहु एकदम से चौंक गई।। मैं लगतार बहु के चुत में ऊँगली पेलता रहा। बहु के बुर खुलने से किचन में बहु के बुर की स्मेल फैल गई। अबतक बहु के बुर से पानी छुटने लगा था लेकिन फिर भी वो अपने आप को मेरे बंधन से छुडाने लगी।
मै बहु को जोर से जकडा रहा अपने राइट हैंड से मैंने अपना लंड बाहर निकाल के बहु के गांड से सटा दिया। मैं पगलों की तरह बहु को चोदना चाहता था, मुझे न जाने क्या हो गया मैंने समधी जी का बिना ख्याल किये किचन में ही बहु के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। बहु के दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। मैं पीछे से बहु को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, बहु की साँस तेज़ चल रही थी। मैंने अपने दोनों हथेलियों में बहु के भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।
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RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
सरोज - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।
मै - (पेंटी के अंदर हाथ डाल कर अपनी ऊँगली बहु की चुत में डाल दी)।। बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ (और फिर मैं उसकी चिपचिपी चुत में ऊँगली ड़ालने लगा)
बहु - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ। (ये कहते हुए बहु नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया)
मैन रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और बहु ठीक वहीँ पे नीचे बैठी मेरा लंड चूस रही थी। मैं वहां से समधी जी को देख पा रहा था। बहु जोर-जोर से मेरा लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, मेरा लंड बहु के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। बहु जब-जब मेरा लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में बहु मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। समधी जी को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।
प्यारेलाल - अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?
सामने किचन होने से समधी जी मुझे सिर्फ कमर तक देख पा रहे थे और बहु खिड़की के नीचे होने से छुपी थी।। मैं अपना एक हाथ कमर पर और एक हाथ से बहु के बाल पकड़ कर बोला।।
मै - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था
प्यारेलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।
मै - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है
प्यारेलाल - सरोज बेटी आज सुबह-सुबह फ्रूट्स क्यों?
सरोज - (बहु अपना मुह मेरे लंड से हटाते हुये बोली।।) पापा वो मेरे जन्मदिन पे आपने, बाबूजी और पडोसी अंकल सबलोग बहुत सारे फल ले आए। सारे ख़राब हो रहे हैं इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।
प्यारेलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।
सरोज - (मेरे लंड को हाथ में पकड़ अपने नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?
प्यारेलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।
सरोज - केला पापा?? केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?
प्यारेलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।
सरोज - (मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई।।) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?
प्यारेलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?
सरोज - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।
प्यारेलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।
सरोज - (मेरे लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।
प्यारेलाल - हाँ अब खा जाओ।।
सरोज - (मेरे लंड को कस कर पकड़ कर।।) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?
प्यारेलाल - हाँ बेटी ले लो।
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RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
सरोज - उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो।। (बहु मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी।।)
प्यारेलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये
सरोज - (मेरा लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है।। में।। इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।
बहु को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख मेरे लंड का सारा पानी बहु के मुँह में निकल गया। बहु जोर से मेरा लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।। बहु का मुह मेरे वीर्य से इतना भर गया की होठ के किनारे से छूने लगा मैं बहु के मुह में मुट्ठ गिरा कर आनन्द से भर उठा।
दिन बीतते गए मेरी जवान बहु अब काफी खुल गई थी, घर में बहु काम कपड़ों में रहती थी। मुझे जब चांस मिलता मैं बहु को चोद लिया करता। पुरे दिन मैं बहु के बारे में सोच या उसे देख मुट्ठ मारता या उसे चोदता और लंड चुसवाता। मुझे पूरा यकीन था, बहु के पापा भी अपनी बेटी को देख खुद को मुट्ठ मारने से रोक नहीं पाते होंगे। मैं बहु को अपने पापा से चुदते हुए देखना चाहता था, लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की इस बारे में मैं बहु या फिर समधि जी से कुछ कह पाता। किसमें इतनी हिम्मत होगी जो बाप-बेटी के बीच चुदाई की बात करे।।
लेकिन घर में जिस तरह बहु और समधी आपस में क्लोज थे मुझे धीरे-धीरे यकीन होने लगा था की शायद एक दिन ऐसा आये जब मेरा सपना पूरा हो।
समधि जी को सुबह जल्दी उठने की आदत थी, वो कमरे से बाहर निकल पौधों को पानी दे रहे होते थे। जब बहु की नींद खुलती वो सीधा अपने पापा के पास जाती और कस के उन्हें हग कर लेती। शुरू-शुरू में तो दोनों टाइट हग करते लेकिन कुछ दिनों से जब भी बहु उनसे लिपटती अपने नर्म होठ समधी जी के होठों से सटा लेती और उन्हें कस कर अपनी बाँहों में लेते हुये गुड मॉर्निंग पापा बोलती।
समधि जी भी अपनी बेटी को गुड मॉर्निंग किस देते और जब भी कभी मौका मिलता उसके नरम मुलायम जिस्म को सहला देते।आज सुबह जब बहु बिस्तर से उठी तो हमेशा की तरह मुझे गुड मॉर्निंग बोलते हुये सीधा अपने पापा से लिपट गई।
सरोज - पापा।। आपकी बॉडी इतनी गरम क्यों है? आप ठीक तो हैं?
प्यारेलाल - हाँ बेटि, तुम तो मेरी अच्छी बेटी हो। देखते ही पहेचान जाती हो की मेरी तबियत ठीक नहीं है।
सरोज - पापा।। आप अपना ख्याल नहीं रखते। मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ (सरोज अपने पापा से लिपटते हुए बोली)
प्यारेलाल - (सरोज के कमर से गांड तक अपने हाथ से सहलाते हुये) नहीं बेटी मैं ठीक हू।
सरोज - पापा प्लीज आप आराम करिये मैं डॉक्टर को बुला रही हूँ।
बहु फ़ोन पे - हेलो डॉक्टर राव? दिस इस सरोज, यू रेमेम्बेर मी कम टू तो योर क्लिनिक लास्ट मंथ?
।।।।येस। माय फादर इस नॉट वेल।। प्लीज सर इफ़ यू आर बिजी प्लीज सेंड सम गुड डॉक्टर
अरजेंटली।
बहु अपने पापा के पास बैठी बातें करती रही। क़रीब १ घंटे बाद किसी ने डोर बेल बजाइ। बहु अपने नाईट गाउन में ही मेंन डोर की तरफ आगे बढि। मैं बहु को पीछे से उसकी मटकती भारी कूल्हों को देखता रहा।
दरवाज़े पे।।
हलो।। आई ऍम डॉक्टर रवि।।। आ।। डॉक्टर आर यु स्पोक टू यू दिस मोर्निंग।।।
बहु - ओह येस।। प्लीज कम।
डाक्टर रवि क़रीब ३० साल का जवान डॉक्टर था, बहु और डॉक्टर बातें कर रहे थे लेकिन उसकी नज़र लगातार मेरी बहु की भरी-भरी चूचियों पे थी जो बिना ब्रा के नाइटी में कसी हुई थी। मैं भी कमरे के एक कोने में दिवार से सट कर खड़ा हो गया।
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RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
डाक्टर रवि - (समधी जी को एक्जामिन करने के बाद)।। कुछ परेशान होने की बात नहीं है शायद वायरल लगता है लेकिन मैं कुछ टेस्ट करना चाहूँगा।
सरोज - जी डॉक्टर
डाक्टर रवि - आप इनको मेरे क्लिनिक पे ले कर आ जाइए मैं कुछ टेस्ट कर लेता हूँ फिर दवा लिखुंगा
सरोज - जी डॉक्टर मैं आ जाऊगी।
डाक्टर रवि - आप लोग पंजाबी हैं?
सरोज - जी नहीं डॉक्टर
डाक्टर रवि - ठीक है।। मैंने आपके हाथों में इतनी सारी चूडियां देखि तो मुझे लगा आप पंजाबी है।
सरोज - (मुस्कुराते हुए)।।। क्यों आपको अच्छी लगी ?
डाक्टर रवि - हाँ बहुत।। और आपने जो पाँवो में पायल पहन रखी है वो मुझे बहुत पसंद है। ऐसी ही पायल मैं अपनी बीवी के लिए भी लेना चाहता हू।
बहु अपनी एक पाँव उठा कर पायल दिखाने लगी ऐसा करते हुए बहु के काले गाउन से उसकी दूध जैसी सफ़ेद और कोमल भरी-भरी जाँघे नज़र आने लगी। डॉक्टर रवि पायल देखना छोड़ बहु की जाँघो को देखने लगा।
बहु भी बेशरमी से अपनी जाँघ एक अजनबी को दिखा रही थी, उसे इस बात की कोई शर्म नहीं थी। थोड़ी देर बाद डॉक्टर चला गया।
अगले दिन सुबह समधी जी की तबियत और बिगड गई, डॉक्टर उन्हें एडमिट करना चाहते थे लेकिन समधी जी ने साफ़ मना कर दिया। समधी जी उठ नहीं पा रहे थे उन्हें मैं और बहु पकड़ कर ले जाते थे। काफी सारे डॉक्टर ने उन्हें देखा लेकिन सारी कोशिश बेकार जा रही थी। आज़ डॉक्टर रवि के साथ डॉक्टर राव भी मौजूद थे।
डाक्टर रवि- देसाई जी, अपने समधी से कहिये की एडमिट हो जाएँ यहाँ इनका कौन ख़याल रखेंगा।
मै - मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा डॉक्टर
सरोज - डॉक्टर ओ आप चिंता न करें मैं पूरा ख्याल रखूँगी पापा का ।
डाक्टर की नज़र मेरी बहु पे पडी। बहु ने एक पिंक कलर का सलवार सूट पहने थी और दुपट्टा गले में लपेटा था जिससे उसकी आधी नंगी चूचि नज़र आ रही थी।। एक पल के लिए बहु की खुली चूचि देख डॉक्टर रवि की आँखें बड़ी हो गई, फिर वो सँभालते हुये बोले।।
डाक्टर रवि - देखो बेटी इनका पूरा ख्याल रखना पडेगा। इन्हे अकेला नहीं छोडना है और रात में भी मॉनिटर करना होगा। कर पाओगी ?
सरोज - जी डॉक्टर में कर लूँगी आखिर ये मेरे पापा हैं।।
डाक्टर रवि - वो सब ठीक है लेकिन फिर भी, इनको कहीं भी अकेला नहीं छोडना और इन्हे आप दूध पिलाइये। (डॉक्टर ने बहु की चूचि की तरफ देखते हुये बोले)
सरोज - जी मैं ख़याल रखूँगी और इन्हे रोज रात में दूध पिलाऊँगी (बहु ने बहुत ही सेक्सी अन्दाज़ में अपने गले के दुपट्टा और पीछे खीचते हुये कहा)
बहु के दूध पिलाने वाली बात सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया, और साथ ही साथ कमरे में खड़े बाकी मर्दो का भी लंड खड़ा हो गया होगा। मैंने डॉक्टर रवि को पीछे खड़े अपना लंड एडजस्ट करते हुए देखा। डॉक्टर ने समधी जी को कुछ इंजेक्शन दिए और बोले की इन्हे काफी नींद आएगी तो इन्हे सोने दिजिये। थोड़ी देर बाद सभी चले गये।
बहु अब पूरी तरह अपने पापा का ख्याल रखने लगी थी, मैं उसके कमरे में गया तो देखा की उसने एक टाइट टीशर्ट और एक छोटी सी हाफ जीन्स पहन रखी है। बहु की जाँघ इतनी ज्यादा मोटी थी की ऐसा लगता था जैसे जीन्स फट जाएगी।
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RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
बाथरूम में फर्श पे बैठी मेरी बहु चेहरे से अपने पापा का मुठ साफ़ कर रही थी। मैं अपना माल निकाल चूका था, मुझे समधी जी को सम्भालने में अब बहुत मुश्किल हो रही थी। मैंने बहु से धीरे से कहा।।
मै - बहु, उठो आओ समधी जी को रूम में ले चलते है।।
बहु ने मेरी बात जैसे सुनि ही न हो।। वो आँखें बंद किये अपने होठों से मूठ साफ़ करती रही।
शायद इतना सबकुछ कर बहु बहुत ही गरम हो गई थी उसे मजा आ रहा था। मैंने अपना चिपचिपा हाथ बहु के काँधे पे रख कर एक बार और आवाज़ लगाई।
मै - बहु।।क्या हुआ?
बहु ने मेरी तरफ मुड के देखा तो दंग रह गई, मेरा लंड पेंट के बाहर देख उससे समझने में जरा सी भी देर नहीं लगी के मैं अपना माल निकाल चूका हूँ।
सरोज - बाबूजी, ये आप क्या कर रहे है। पापा ने देख लिया तो?
मै - मुझे माफ़ करना बहु, तुम्हे अपने पापा का लंड चुसता देख मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर मूठ मार लिया
सरोज - लेकिन पापा के सामने?
मै - अरे बहु, तुमने उनका लंड चूस लिया और उनकी नींद नहीं खुली तो मेरे मूठ मार लेने से उन्हें क्या पता चल जायेगा?
सरोज - ओह बाबूजी।। मेरा पूरा बदन चिपचिपा हो गया है, और ये क्या आपने भी अपना हाथ साफ़ नहीं किया और मेरे काँधे पे अपना मूठ लगा दिया।।
मै - ठीक है बहु, चलो पहले मैं समधी जी को बेड पे लेटा देता हूँ उसके बाद तुम अपनी सफाई कर लेना। अब आओ मेरी मदद करो।
सरोज - जी बाबूजी।। लेकिन आप अपना लंड अंदर तो कीजिये।
मैने समधी जी को वापस बिस्तर पे लिटा दिया। बहु वाशरूम चलि गई और शावर लेने लगी। वाशरूम का दरवाज़ा खुला था, मैं बहु के पीछे पीछे वाशरूम के नजदीक आ गया। बहु का बदन वाइट कलर की ट्रांसपेरेंट शर्ट में भीगने के बाद बहुत कामुक दिख रहा था।
एक बार फिर मेरे लंड में हलचल मचने लगी। बहु नहाते वक़्त अपनी चूचियां मसल रही थी। बहु के निप्पल खड़े हो गए थे, वो हैंड शावर उठा कर अपनी बुर पे रगडने लागी। मुझे तो पहले से ही पता था की बहु गरम हो गई है। मैंने सोचा नहीं था की वो अपने पापा का लंड देख कर इस तरह उत्तेजना से भर उठेगी। बहु वाशरूम में तेज़ी से अपना हाथ अपनी बुर पे रगड रही थी।
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