SexBaba Kahani लाल हवेली
06-02-2020, 01:50 PM,
#31
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"बरोबर बोलता बाप बरोबर...वो प्रेस रिपोर्टर का इंतजाम जाएंगा। फिकर नेई करने का,इंतजामहो जाएगा...।"

"कब तक?"

"एक क्लॉक का अंदर में।"

"देर नहीं होनी चाहिए...मानखुर्द का मेरा पता नोटकर और उड़कर मेरे ठिकाने तक उसे लेकर पहुंच...समझा क्या।"

"बरोबर समझा बाप।"

"मुझे दोबारा फोन तो नहीं करना पड़ेगा..."

"नेई माई बाप सवालिच पैदा नेई होता।"

"मैं इंतजार कर रहा हूं।"

"अपुन काम निपटा को फौरन पहुंचेला है बा प...फौरन...।"

राज ने मानखुर्द का पता बताकर फोन चंद कर दिया। फिर वो सिगरेट के कश लगाने में व्यस्त हो गय। अब उसे डॉली की वापसी का इंतजार था।

सिगरेट खत्म होने के बाद उसने करीब के रेस्ट्ररांसे डबल नाश्ता मंगवाया। भूख उसे थोड़ी थोडी सताने लगी थी। उसने पहले डॉली के आने का इंतजार किया। उसके बाद जब उसके पेट में चूहे कूदने लगे तो उसने अपना नाश्ता शुरू कर दिया।

नाश्ते के बाद भी डॉली वापस न लौटी।

यहां तक कि डॉली की जगह जय प्रेस रिपोर्टर के साथ वहां आ पहुंचा लेकिन डॉली फिर भी न आयी।

प्रेस रिपोर्टर का नाम करीमभाई था।

मुश्किल से पच्चीस के पेटे में पहुंचा करीमभाईनौजवान था। मजबूत जिस्म के करीम के गोरे चेहरे पर काले रंग की दाढ़ी थी। सिर पर क्रोशिए की बुनी हुई टोपी। कुर्ता-पायजामा और कंधे पर कपड़े का थैला।।


"तपन सिन्हा...।" उससे हाथ मिलाते हुए राज ने अपना परिचय दिया।

___ "लोग मुझे कामरेड करीम के नाम से जानते हैं...।" करीम ने उसका मजबूत हाथ अपने हाथ में दबाने का यत्न करते हुए कहा।

"कामरेड...अगर जुल्म हो रहा हो तो तुम किसका साथ दोगे...?"

"जुल्म को मैं अपनी आखों के सामने होता देख नहीं सकता। जान दे दूंगा मगर जालिम को जुल्म करने नहीं दूंगा। ये मेरा उसूल है।"

__ "गुड...मुझे तुम्हारे जैसे बहादुर कलम के सिपाही की ही जरूरत थी।"

"जुल्म किस पर हुआ या होने वाला है और जालिम कौन है...?"

___ "पहले तशरीफ तो रखें कामरेड फिर बताता हूं...।"

करीम कुर्सी पर बैठ गया।

राज ने आंखोंसे जय को संकेत किया | जय मतलब समझते ही बाहर चला गया। राज के मतलब को उसने सहज ही समझ लिया। उसने बाहर जाकर करीम के लिए कुछ नाश्ते पानी का इंतजाम करना था।

राज ने करीम को सिगरेट ऑफर की। करीम ने सिगरेट पैकेट से निकालकर होंठों में दबा ली और राज के जलाने पर उसे स्वयं ही आगे की ओर झुककर सुलगा लिया।
इसी बीच...।

डॉली अंदर दाखिल हुई। उसके चेहरे पर परेशानी के लक्षण स्पष्ट देखे जा सकते थे।

"उन्होंनेरिपोर्ट नहीं लिखी...।" उसने संदिग्ध निगाहों से करीम की ओर देखते हुए राज को बताया।

"रिपोर्ट नहीं लिखी...।"

"हां...।" \

"क्या कहा?"

"कोई सीधे मुहं बात ही नहीं कर रहा था। यहां तक कि एक भवाली किस्म के शातिर अदमी ने एक कोने में ले जाकर मुझे धमकी भी दे दी कि अगर मैंने पुलिस थाने में और हड़कम्प मचाया तो वो मुझे थाने के ऐन बाहर कल्ल कर देगा।"

"कौन था वो बदमाश?" करीम बीच में दखल देता हुआ बोला-"चलो मेरे साथ...अभी...इसी वक्त...मैं भी तो देखू किस में है इतना दम जो पुलिस थाने के बाहर ऐसा दुस्साहस करने की हिम्मत कर रहा है।"

___"नहीं कामरेड...जल्दबाजी नहीं...पहले पूरी बात को समझ लो और उसे अपने समाचार पत्र की हैड लाइन बना दो। उसके बाद की कहानी को मैं संभाल लूंगा।"

"किस्सा क्या है...?"
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"किस्सा ये है कि मिस डॉली...।" राज ने डॉली की ओर संकते करते हुए कहा-" मिस डॉली मेहत का भाई सतीश मेहरा एक पुलिस इंस्पेक्टर है और किसी तरह सतीश की दुश्मनी एक बड़े आदमी से हो गई। उस आदमी की पहुंच बहुत ऊपर तक है। पॉल्टीकल एप्रोच भी बहुत दूर तक है। गुण्डा पावर भी है। उस आदमी ने अपन गुण्डों की मदद से डॉली को किडनेप करने की कोशिश की। नाकामयाब होने पर वो शख्स अपने आदमियों को लेकर पुलिस स्टेशन में ही सतीश पर टूट पड़ा...।" ‘
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06-02-2020, 01:50 PM,
#32
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
डॉली ने आश्चर्य से राज की ओर देखा, क्योंकि जो बात वह कामरेड करीम को बता रहा था वो उसके लिए एक रहस्य थी। वह चुपचाप आंखें फाड़े सुनती रही।

"घायल सतीश को अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल से जब सतीश ने अपने ए. सी. पी. को । फोन करके घटना के बारे में बताना चाहा तो ए. सी. पी. ने उसे डांटते हुए कहा कि उसके विरुद्ध अनुशासनहीनता की कार्यवाही अमल में लायी जा रही है।"

"आई सी...।"

"सुबह सबेरे सतीश को जबरन अस्पताल से रिलीव कर दिया गय। रिलीव सतीश को फिर गुण्डों ने घेरा। मैंनेजानकारी हासिल करने की कोशिश की तो थोड़ी दूर चलकर मेरी जानकारी का सिलसिला टूट गया।"

"यानी...।"

"यानी ये कि आज सुबह अस्पताल से रिलीव हो जाने वाले इंस्पेक्टर सतीश मेहरा का कहीं कोई पता नहीं है। उसे जान-बूझकर इसीलिए सुबह तड़के रिलीव किया गया था ताकि उसका काम तमाम कर दिया जाए। अंदर की खबर के अनुसार सतीश मेहरा को रिलीव करने के पीछे भी किसी बड़ी शक्ति का हाथ था। कोई फोन आया था उसके बाद करने मेहरा को आनन-फानन रिलीव कर दिया गया।"

"उस बड़ी शक्ति के बारे में कुछ बताओगे?"

"तुम्हें बताने के लिए ही तो बुलाया है कामरेड...अगर तुम्हें नहीं बताऊंगा तो किसे बताऊंगा। सुनो..पहले मंत्री धरम सावंत ने अपने भाई रंजीत सावन्त के आदमी जग्गू जगलर के माध्यम से डॉली का अगवा करवाने की कोशिश की थी। फिर जग्गू जगलर को हवालात से छोड़ देने की धमकी रंजीत ने दी। सतीश ने इंकार किया तो रंजीत सावन्त ने न सिर्फ पुलिस स्टेशन के अन्दर घुसकर सतीश मेहत की धुनाई की बल्कि वो अपने गुर्गे जग्गू जगलर को वहां से छुड़ाकर भी ले गया। उसके बाद जब सतीश अस्पताल पहुंच गया तो तब उसके पीछे उसके खिलाफ साजिश रची गई। आज सुबह सतीश से मांगा गया स्पष्टीकरण डॉली को रिसीव करा दिया गया। इस सबके पीछे धरम सावन्त और उसके भाई रंजीत सावन्त का हाथ है। सतीश के खिलाफ जुर्म साबित करने की गरज से धरम सावन्त ने उसके पीछे अपने आदमी लगा दिए। उसे किसी भी तरह की मदद हासिल नहीं है। समूची मशीनरी इस वक्त उसके खिलाफ है। वो अनजाने अंधेरों में खो चुका है। उसका कुछ भी पता नहीं चल रहा है।"

"उसने सचमुच मंत्री धरम सावन्त के साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया...?"

"अरे जब वो धरम सावन्त से मिला ही नहीं तों गलत, सही व्यवहार वाली बात कहां से आ गई?"

"इसका मतलब सतीश मेहरा की धरम सावन्त से कोई पुरानी डांट थी?"

"हां...।"

"अब तुम क्या चाहते हो?"

"मैं सच्चाई को प्रेस के माध्यम से उजागर करना चाहता हूं। मैं चाहता है कि तुम मेरे कथन पर विश्वास न करो बल्कि खुद तहकीकात करके जिस नतीजे पर पहुंचो, उसे अपने अखबार की हैड लाइन बना दो। अगर दोषी सतीश है तो लिखना कि पुलिस महकमे के बदजुबान इंस्पेक्टर ने मंत्री धरम सावन्त के साथ बदसलूकी की और अगर दोषी मंत्री है...मंत्री के दबाव में प्रशासनिक मशीनरी है...तो फिर बख्शा उन्हें भी नहीं जाना चाहिए। वैसे जो हकीकतन गुजर चुका है वो मैं बयान कर चुका हूं। मैंने तुमसे जर्रा बराबर भी झूठ नहीं बोला है।"

__ "मैं समझ रहा हूं...तुम झूठ नहीं बोले रहे हो । झूठ के चेहरे पर काली परछाईं अलग से नजर आ जाती है।"

"दसरे...सतीश जैसे ही मुझे मिलेगा, उसे लेकर मैं सबसे पहले तुम्हारे पास पहुंचूंगा।'

"अगर वो न मिला तो...।"

"तो फिर उसके बारे में धरम सावन्त को बताना होगा।" राज यकायक ही कठोर स्वर में बोला।

"धरम सावन्त से पूछेगा कौन?"

"मैं...।"

"वाहिद तुम?"

"हां...वाहिद मैं।"

कामरेड करीम उलझन में पड़ गया। उसने कुछेक क्षणों तक राज से आखें मिलाये रखीं, उसके बाद स्वयं ही उसकी पलकें झुकती चली गई।

"मैं यकीन करूंगा कि कलम का सिपाही पूरी ईमानदारी के साथ सच की तह में पहुंचने के बाद असली कहानी को शाया करेगा?"

"बिल्क ल करेगा...न करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।"

इसी बीच।
जय वहां एके वेटर के साथ दाखिल हुआ। वेटर बड़ी-सी ट्रे उठाए हुए था।

नाश्ते-पानी के बाद कोल्ड्रिंक और उसके बाद करीम वहां से चला गया। जाने से पहले उसने एक बार राज से सतीश मेहरा के विषय में विस्तारपूर्वक तमाम जानकारी हासिल कर ली थी। कुछ सवाल उसने डॉली से भी पूछे जिनके जवाब वो अपनी डायरी में नोट करता चला गया था।

"तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला था...?" कामरेड करीम के चले जाने के उपरान्त डॉली ने राज से शिकायत भरे स्वर में पूछा-"कि भैया का एक्सीडेंट हो गया है...?"

"मैं नहीं चाहता था कि तुम्हें किसी प्रकार की परेशानी हो। मामला इस तरह तूल पकड़ता चला जाएगा...ऐसा भी मैंने नहीं सोचा था।"

"इतनी बड़ी परेशानी को भी मुझसे छिपाने की कोशिश कर रहे थे?"

"वो..मैं....दरअसल डॉली वक्तीतौर पर जो कुछ दिमाग में आया कर दिया...अगर मैंने कोई भारी भूल की तो उसके लिए माफी मांगता हूं।"

"ऐसा क्यों कहते हो...क्या मुझे शिकायत करने का भी अधिकार नहीं है?"

"तुम्हारे पास तो सभी अधिक सुरक्षित हैं। तुम कुछ भी कर सकती हो...शिकायत भी कर सकती हो और सवाल भी पूछ सकती हो।"

"जो चला गया...बातों के हिसाब से वो प्रेस रिपोर्टर होता था...।"

"हो...होता था।"

"और ये...?" डॉली ने जय की ओर उंगली उठाते हुए पूछा।
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06-02-2020, 01:50 PM,
#33
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"अपुन जय...।" जय ने मुस्कराते हुर कहा-"अपुन लायन बाप का चमचा...।"

लायन नाम पर राज ने जय की ओर आंखें तरेरकर देखा। जय सहम गया। बात उसकी समझ में आ गई कि उससे गलती हो गई है। राज ने हर जगह अपने प्रदर्शन को बचाना होता है, अगर वह ऐसा न करता तो कब का पुलिस के हाथों गिरफ्तार हो चुका होता।

___ "सॉरी...अपुन से गलती हुआ बाप...न कस्ट टाइम नेई होएंगी...शपथ।"

"क्या हुआ...?" डॉली उसकी बात को न समझती हुई अचरज से बोली

"कुछ नेई मेम साहब...वो अपुन-अपुन का परिचय कराएला था...साहब ने अपुन कू खोली से निकाल कू किधर महलों को बीच में ला खड़ा किया...ग्रेट आदमी...।"

"तपन ये क्या कह रहा है...।" डॉली ने उसकी बात समझते हुए हैरत से पूछा।

"पागल है। यूं ही बकवास किया करता है। बकवास करने की इसकी आदत है।" राज ने मुस्कराते हुए कहा।

"अहसान करना तुम्हारी पुरानी आदत है और तुम नहीं चाहते कि अहसान करके जताया जाए।"

"नहीं डॉली...अहसान जैसी कोई बात नहीं है। बस तुम समझ लो कि ये जय मेरा बहुत अच्छा दोस्त है। अगर कभी मैं तुम्हें न मिल सकू तो इसे याद रखना। ये तुम्हें कभी भूलेगा नहीं...हमेशा याद रखेगा और तुम्हारे एक इशारे पर अपनी जान तक दांव पर लगा देगा।"

"फिर तो ये सचमुच तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त हुआ।"

"वो तो मैं पहले ही कह रहा है।"

"अच्छा तपन, अब ये बताओ कि भैया को कहां तलाश करूं...कैसे तलाश करूं...?"

"सतीश को तलाश करने का काम मेरा है। तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो। वो जहां कहीं भी होगा, मैं उसे ढूंढ निकालूंगा...निश्चित रही।"

"प्रेस रिपोर्टर सही काम करेगा।"

"जय मेरे लिए जिस आदमी को लेकर आएगा वो गलत नहीं हो सकता...किसी भी कीमत पर गलत नहीं हो सकता।"

"जय पर तुम कुछ ज्यादा ही विश्वास कर रहे हो...।"

"इसलिए कि वो विश्वास करने योग्य है।"

"क्यों जय...।" डॉली जय की ओर देखते हुए बोली-"क्या मिस्टर तपन सच कह रहे हैं...?"

जय मुस्कराया।

"तुम्हारी मुस्कराहट मेरे सवाल का जवाब तो नहीं...।"

___ "हां मेम साहब ! बरोबर बोलेली हो तुम...पण क्या। विश्वास अटु है तो उसका कोई वजह होएंगा।"
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"हां...वजह तो जरूर ही होगी।"

"इस वास्ते तुम अपुन का बाप से पूछना कि ये विश्वास काय कू है...।" जय मुस्कराता हुआ बोला।

डॉली ने सवालिया नजर से विनाद की ओर देखा-"कुछ कहोगे अपने दोस्त के बारे मैं..।"

"लम्बी कहानी है...।" राज ने उसके सवाल का जवाब देते हुए कहा-"फुरसत मिलने पर बता दूंगा।"

___"ओ. के. अभी ये बताओ कि भैया के लिए क्या कर रहे हो...उन्हें कहां तलाश करोगे?"

"उसका रास्ता तलाश करना है अभी।"


"कहा...।"

"उसी मंत्री के असपास से जो वक्ती तौर पर सतीश का दुश्मन बना हुआ है।"

"प्लीज तपन...जो भी करना है जल्दी करो...रिपोर्ट लिखने की पुलिस कर्मचारी तैयार नहीं है। भैया के खिलाफ कागजी कार्यवाही तो हो ही जाएगी।"

"सारी कार्यवाही को बाद में देख लिया जाएगा।"

डॉली उदास हो उठी।

"डरो नहीं...सब ठीक हो जाएगा।"

"प्रेस रिपोर्टर न जाने कब तक इस न्यूज को छापे...उसका कोई ठीक नहीं है।"

"जल्दी ही छापेगा। वो ईमानदार आदमी है।"

"गुण्डा पावर से हर कोई डरता है।'
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06-02-2020, 01:50 PM,
#34
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
"वो आदमी नहीं डरता।"

"तुम्हें यकीन है।"

"हां...।"

"काम करेगा वो।"

"पूरा और एकदम सही।"

"तुम हर किसी के ऊपर आख बंद करके विश्वास कर लिया करते हो। तुम्हारी ये आदत तुम्हें कभी-भी चोट पहुंचा सकती है।"

"मुझे आदमी पहचानने का तजुर्बा है।" राज मुस्कराया।

"कभी तुम्हें तुम्हारा तजुर्बा चोट दे गया तो।"

"ऐसा कभी नहीं हो सकता।"

"अगर हो गया तो...।"

"जो बात हो ही नहीं सकती उसकी संभावना पर विचार करने से कोई फायदा नहीं। बल्कि उसके बारे में तो सोचना भी बेकार है।"

"तो फिर...कहां से शुरू करना चाहोगे।"
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"अभी बताता हूं...।" इतना कहकर राज ने टेलीफोन डायरेक्टरी में धरम सावन्त का नम्बर तलाश करता शुरू कर दिया। धरम सावन्त का नम्बर तो मिला नहीं लेकिन...।
.
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शीघ्र ही उसे रंजीत सावन्त का नम्बर मिल गया। उसने नम्बर मिलाया।

"कौन...?" दूसरी ओर से कठोर स्वर में पूछा गया।

"रंजीत सावन्त है क्या...?"

"तमीज से बात कर, रंजीत साहब को साहब कहकर संबोधित कर...साहब बोल...।"

"अपने बाप को बोल देना कि अगर सतीश को कुछ हो गया तो...।"

"क्या बोला तू...क्या बोला...जरा अपना नाम-पता तो बोल। अक्खी मुम्बई में तुझे बचाने वाला मिलेगा नेई...समझा क्या।"

"उसे बोल देना चमचे...सतीश मेहरा को कुछ हो न जाए वरना उसकी शिनाख्त करने में हर किसी को परेशानी हो जाएगी।"

"अरे तू अपनी बात बोल...अपना थोबड़ा बता किधर देखा जा सकता है...फिर शिनाख्त तो मैं करवा दूंगा तेरी...तू एक बार बस इशारा कर दे।"

"मैं रंजीत से बात करना चाहता हूं।"

"अभी रंजीत साहब हैं नहीं...।"

"बाद में फिर फोन करूंगा।" कहकर राज ने फोन डिस्कन क्ट कर दिया। वह रंजीत के चमचे से बात करके अपना वक्त जाया करना नहीं चाहता था।

"जय...।" रिसीवर क्रैडिल पर रखता हुआ वह जय की ओर मुड़ा।

"यस बाप?" जय तत्परता से बोला।

"मानखुर्द पुलिस स्टेशन में कोई अपना आदमी है क्या?"

"तलाश करना पड़ेगा...अभी एकदम से क्या बोले अपुन...।" जय विचारपूर्ण स्वर में बोला।

"तलाश कर...फौरन तलाश कर।"
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"पण...उधर का आदमी से क्या बात करने का बाप...अपुन कुछ समझेला नेई।"

"तूने सब कुछ समझने का है?"

"नेई...।"

"फिर।"

"फिर कुछ नेई।"

"तो फिर सिर्फ वही कर जो तुझे करने को बोला जा रहा है।"

"बरोबर...।"

"अभी तू जा सकता है...जो काम बोला वो फुर्ती से होना चाहिए...।"
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"सलाम बाप।" सैल्युट करने के अंदाज में जय ने हाथ उठाकर माथे पर पहुंचाया, फौजी की तरह ऐढ़ी के बल घूमा और तेज कदमों से बाहर निकलता चला गया।
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06-02-2020, 01:50 PM,
#35
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
गहरे नीले रंग की एस्टीम जय के माध्यम से राज ने हासिल कर ली थी। उसी में एक मोबाइल भी मौजूद था। राज सामान्य गति से एस्टीम को चला रहा था। सिगरेट उसके होंठों में दबी हुई थी।

डॉली उसकें बराबर में बैठी थी।

वह बार-बार राज से बात करने की कोशिश करती और बार-बार राज अपना ध्यान सामने ड्राइविंग में लगा देता क्योंकि ट्रैफिक की भीड़-भाड़ ज्यादा थी। अन्तत: एस्टीम उस भीड़ से बाहर निकली।

"हम कहां जा रहे हैं?" डॉली ने अवसर मिलते ही राज से सवाल किया।

"पुलिस स्टेशन...।" राज ने उसे संक्षिप्त सा जवाब दिया।

"पुलिस स्टेशन किसलिए...?"

"कुछ सवाल करने हैं।'

"किससे।"

"वहां पहुंचकर बताऊंगा।"

"सस्पैंस पैदा कर रहे हो।"

"यही समझ लो।"

"तपन, तुम्हें हो क्या गया है।"

"सिर्फ थोड़ी सी परेशानी।"

"कैसी परेशानी?"

"माशरे की...समाज की बिगड़ती हुई तस्वीर की परेशानी। हम डेमोक्रेसी में...जनतंत्र में जीने वाले भारतीय कहलाते हैं। भारत को सबसे बड़ा डेमोक्रेटिक कंट्री माना जाता है जबकि डेमकैसी के नाम पर यहां महज गुण्डातंत्र है...लाठी तंत्र है। जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत हर पग पर चरितार्थ हो चुकी है। तुम अबला थी...कमजोर थीं, इस वजह से पुलिस स्टेशन में तुम्हारी न तो कोई फरियाद सुनी गई और ना ही रिपोर्ट लिखी गई...जबकि कहा ये जाता है कि हमारे यहां जलता को हर तरह की आजादी है। प्रत्येक व्यक्ति के अपने मौलिक अधिकार होते हैं जिनका किसी भी प्रकार से हनन नहीं होता...और दूसरी तरफ तुम हो जिसे हर कदम पर मौलिक अधिकारों से दूर रख जा रहा है। तुम अपने अधिकारों के लिए किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शित नहीं कर सकती...या कर सकती हो...? बोलो..बोलो डॉली।"

___"नहीं कर सकती...तुम ठीक कह रहे हो।" डॉली उदासी भरे स्वर में बोली।

"पुलिस स्टेशन में तुम्हारी जगह कोई खद दरदारी टोपी संभालता हुआ गया होता तो वही पुलिसिए जिन्होंने तुम्हें तुम्हारी रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया, इच्छा सामने बिछ-बिछ जाते। तुम रिपोर्ट न लिखवाती तब भी तुम्हारी रिपोर्ट न सिर्फ लिख दी जाती बल्कि तुम्हारे भाई की तलाश में कितने ही पुलिसियों को दौड़ा भी दिया जाता और बहुत मुमकिन था कि आनन-फानन में तुम्हारे भाई को ढूंढकर तुम्हारे सामने पेश भी कर दिया जात...मगर...अफसोस! तुम न तो खद्दरधारी हो और ना-ही तुम्हारे पास लाठी है तुम शक्तिहीन हो और हमारी पुलिस हमेशा कमजोरों को ही सताने क का काम करती रही है।"

"तो अपनः इन विचारों के साथ पुलिस स्टेश न में दाखिल होकर तुम करना क्या चाहते हो?"

"वहीं चलकर बताऊंगा।" कहने के साथ ही राज ने अपने बैग को डॉली की ओर बढ़ा दिया "इसे खोलो।"
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06-02-2020, 01:51 PM,
#36
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
डॉली ने असमजसपूर्ण भावों से उसकी ओर देखते हुए बैग खोल दिया।

राज एक हाथ से कार का स्टेयरिंग व्हील संभाले हुए था। दूसरे हाथ से उसने खुले हुए बैग के अंदर से छोटे-छोटे स्प्रिग निकाले। उन्हें नाक में फंसाकर थोड़ी सैटिंग करने पर उसके चेहरे पर परिवर्तन आ गया। आखों पर काला चश्मा और बैग के अंदर से तीसरी चीज धुंघराले बालों वाली व्हिग निकालकर जब सिर पर एडजस्ट की तो राज पूरी तरह बदल गया।

डॉली आश्चर्यचकित दृष्टि से उसकी ओर निहार रही थी। हैरत से उसके नेत्र फैलते चले गए।

"मैया री...तुम तो कोई जादूगर लगते हो।"

वह मुस्कराया। "अब तो तुम्हें कोई पहचान नहीं सकेगा।"

उसने नई सिगरेट सुलगा ली। बो एकदम खामोश था। उस घड़ी उसका दिमाग किसी और विषय के बारे में विचार कर रहा था।
उसने स्वीकृति मात्र में गर्दन हिला दी।

"लेकिन ये चेहरा बदलकर तुम्हात क्या करने का इरादा हैं...?"

"अभी पता चल जाएगा।"

"मुझे बताओगे नहीं..

"बताऊंगा...सिर्फ थोड़ा-सा इंतजार कर लो।

डॉली खामोश हो गई।

राज ने कार की रफ्तार थोड़ी सी बढ़ा दी। शीघ्र ही उसने पुलिस स्टेशन के निकट एक कोने में अपनी कार पार्क कर दी।

"तुम पुलिस स्टेशन के अंदर जाओ...।" वह कार से बाहर निकलता हुआ बोला।

"और तुम...?" अपनी साइड का दरवाजा खोलकर बाहर आती डॉली ने उससे पूछा।

"मैं अभी आता हूं।" "वहां जाकर मैंने क्या करना होगा?"

"रिपोर्ट लिखाने की कोशिश।" इतना कहकर राज ने मोबाइल हिप पॉकेट में लगाया और फिर डॉली की ओर देखे बिना एक ओर को आगे बढ़ गया।
डॉली उसकी मंशा समझ नहीं पा रही थी।

वह तब तक अपनी जगह खड़ी उसे जाता देखती रही जब तक कि वह मोड़ पर पहुंचकर लुप्त न हो गया।

फिर डॉली ने अपने कदम पुलिस स्टेशन की ओर बढ़ा दिए।

___ वह वहां से पहले ही निराश वापस लौट चुकी थी, इस वजह से उसके अंदर किसी भी तरह का जोश नहीं था। वह थके-थके कदमों से पुलिस स्टेशन के अंदर दाखिल हुई। हालांकि वहां जाने को उक्का मन नहीं कर रहा था लेकिन राज की बात मानना उसके लिए जरूरी हो गया था। वह एक बार फिर वहीं पहुंची जहां उसे अपनी रिपोर्ट दर्ज करवानी थी।

रिपोर्ट दर्ज करने वाले पुलिसिए ने उसे शकित दृष्टि से सिर से पांव तक निहारा। उसने कुछ कहा नहीं।

वह धीरे-धीरे चलती हुई उस सिपाही के पास तक पहुंच गई जो उसके भाई सतीश मेहरा के मुंह लगा हुआ था। उसका नाम मोहन था। मोहन प्रजापति।

डॉली को अपनी ओर बढ़ती देख वह नजरें चुराकर साइड वाले कॉरीडोर में इस तरह से निकल गया मानो उसकी डॉली से कोई वाकफियत ही न हो।
डॉली उसके पीछे-पीछे कॉरीडोर में निकल आयी।

"मोहन भैया...मोहन भैया..!" उसने लम्बे-लम्बे डग भरते हुए मोहन प्रजापति को आवाज लगाई।

मजबूरन मोहन को उसके लिए रुकना पड़ा
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06-02-2020, 01:51 PM,
#37
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
वह हथेली में तम्बाकू रगड़ रहा था। चेहरे पर जबरदस्ती वाली मुस्कान लाता हुआ उसकी और मुड़ा-"ह-हें-हे...तुम कब आई डॉली?"

"अभी-अभी मोहन मैया...।" प्रत्यक्षत: वह बोली जबकि मन ही मन कह रही थी-'बड़े ही कुत्ते किस्म के आदमी हो...देखकर भी अनदेखा करके इसलिए भाग रहे थे ताकि शर्मिन्दगी न उठानी पड़ जाए।'

"ओह...अच्छा डॉली, तुम यहीं ठहरो मैं अभी आता हूं।"

"नहीं-नहीं...मैं तुम्हारा ज्यादा वक्त नहीं लूंगी, सिर्फ एक सवाल पूछना चाहती हूं...बहुत छोटा-सा सवाल...।"

"जल्दी पूछो।"

"मुझे पहचानते तो हो न?"

"हां...पहचानता हूं।" एकाएक ही मोहन प्रजापति का चेहरा सख्त हो उठा, आखों के भाव विषाक्त हो उठे।"

"धन्यवाद...अब तुम अपने जरूरी काम से जा सकते हो।" डॉली ने भी एकाएक ही तेवर बदलते हुए कहा।

मोहन प्रजापति ने उसे घूरकर देखा।

"आदमी की जात बदलते देर नहीं लगती...ये तुम ही हो, कल तक जिसकी जुबान मेरे भैया को साहब-साहब कहते थकती नहीं थी...मेरे भैया के पीछे तुम दुम हिलाते फिरते थे और आज तोते की तरह आंखें फेर ली। मुझसे नजरें छिपाकर इसलिए भाग रहे हो क्योंकि कहीं मैं तुमसे किसी ऐसे काम के लिए न कह दूं जिसे करने को तुम तैयार न हो।"

वह अपलक डॉली को निहारता रहा।

"जाओ-जाओ...मैं तुम्हारे जैसे कमजर्फ इंसान से किसी तरह की मदद मागूंगी भी नहीं लेकिन इतना जरूर कहूंगी...हालात कभी एक जैसे नहीं रहते। कभी भी मेरे भाई की वापसी हो सकती है...कभी-भी...और जिसका कोई नहीं होता उसका खुदा होता है।"
इसके बाद डॉली उसे हिकारत भरी नजरों से देखती हुई वापस घूम पड़ी। क्रोधपूर्ण उत्तेजना में उसके कदम तेजी से उठ रहे थे। एकबारगी तो उसने उस काउंटर से भी गुजर जाना चाहा जहां रिपोर्ट दर्ज की जाती थी किन्तु राज की बात याद आते ही वह ठिठककर रुक गई

उस वक्त वहां एक नेताजी अपने तीन-चार चमचों के साथ कोई रिपोर्ट दर्ज करवा रहे थे। रुकने पर उसे मालूम हुआ कि नेताजी के कुत्ते की टांग किसी ने लाठी मारकर तोड़ दी थी। नतीजतन कुत्ते पर हमला करने वाले कि विरुद्ध नामजद रिपोर्ट लिखाई जा रही थी। साथ ही हल्का इंस्पेक्टर को तुरन्त कार्यवाही किए जाने के लिए निर्देश दिए जा रहे थे।

डॉली वहीं, ठीक काउंटर के सामने जा खड़ी हुई। नेताजी की रवानगी के बाद उसने बाकायदा ताली बजाकर रिपोर्ट दर्ज करने वाले पुलिसकर्मी को घूरकर देखा।
वह घबरा गया।

"खूब...बहुत खूब...। इसे कहते हैं अंधेर नगरी चौपट राजा...! वाकई...अंधेर नगरी है ये...एक पुलिस इंस्पेक्टर लापता है उसकी रिपोर्ट लिखने में एतराज है और एक नेताजी के कुत्ते की टांग टूट गई...उसकी न सिर्फ रिपोर्ट लिख ली गई बल्कि उस पर पलिस फोर्स फौरन से पेश्तर एक्शन में आ चुका है...।" डॉली ने चुभने वाले स्वर में कहा।

"ज...ज...जाओ-जाओ बकवास मत करो।" पुलिसिए ने उसे कमजोर-सी आवाज में डांटते हुए कहा।

"बकवास करने नहीं आयी यहां।"

"तो...?"

"रिपोर्ट लिखाने आयी हूं और आज मैं यहां से रिपोर्ट लिखवाकर ही जाऊंगी...।"

.
.
.
"ऐ...दंगा करने आयी है क्या?"

"दंगा करना पड़ा तो उससे भी पीछे नही हटूंगी। जब एक कुत्ते की रिपोर्ट तुम लिख सकते हो तो फिर मेरी रिपोर्ट भी तुमको लिखनी पड़ेगी।"

"अच्छा...तुमने नेताजी को कुत्ता कहा...?"

"गलत इल्जाम मत लगाओ...मैंने कुत्ते को कुत्ता कहा है जिसकी कि टांग लाठी से टूट गई है। उसे तुम शब्दों में फेर से बदल कर कैसा भी कुछ कहते रहो, मेरे ऊपर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं। मैं फिर कहूंगी कि अगर एक कुत्ते की रिपोर्ट लिखकर उसे लाठी मारने वाले के खिलाफ पुलिस अपनी कार्यवाही कर सकती है तो फिर मेरे भाई को तलाश क्यों नहीं कर सकती।"
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06-02-2020, 01:51 PM,
#38
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
मिस डॉली मेहरा! तुम यहां से चली जाओ...इसी में तुम्हारी भलाई है।"

"नहीं जाऊंगी..."

"नहीं जाओगी तो तुम्हें उठाकर बाहर फिकवा दिया जाएगा।"

“कानून की मुहाफिज पुलिस खुद ही कानून तोड़ेगी...?" इस बार एक नया स्वर उभरा।

रिपोर्ट लिखने वाले ने चौंककर अपने दायीं ओर देखा।
राज अपना चश्मा ठीक करता हुआ आगे बढ़ रहा था।

उसी समय पुलिस स्टेशन इंचार्ज चार-पांच पुलिसियों के साथ वहां आ पहुंचा-"ऐ लड़की...।" वह पुलिसिया हेकड़ के साथ बोला-"इधर शोर मचाने का काम बंद कर...जब तुझे एक बार बोल दिया कि यहां फर्जी रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती तो समझो कि नहीं की जाती। दफा हो ओ यहां से वरना तेरा बहुत कुछ बिगाड़ दिया जाएगा।"

___ "ये तो कोई उचित ढंग न हुआ किसी लड़की से बात करने का।" राज ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा। जिस लाइटर से उसने सिगरेट सुलगाया था वो कदरन ज्यादा बड़ा था और उसमें रिमोट जैसे बटन भी नजर आ रहे थे।

इंचार्ज ने घूरकर उसे देखा। ___ "अबे...ओ...!" वह निहायत ही बदतमीजी के साथ मुंह बिगाड़कर बोला-"तू कौन होता है बीच में बोलने वाला...इस लड़की का सगेवाला...?"

"सभ्य शहरी के पास उसके मौलिक अधिकार तो होते ही हैं न...इंसाफ की बात वो बोल तो सकता ही है न।"

"सभ्य शहरी...।" इंचार्ज तेजी से राज की ओर झपटता हुआ बोला-"अभी बताता हूं तेरी सभ्यता को और तेरे मौलिक अधिकारों को...।"

राज झुकाई देकर उसके आक्रमण से साफ बच गया।

"पकड़ लो...।" इंचार्ज अपनी ही झोंक में टेबल से टकरने के बाद चिल्लाकर बोला।

साथ वाले सिपाही राज को घेरते हुए आगे की ओर बढ़ने लगे। इंचार्ज की हालत देखने के उपरांत उन्होंने समझ लिया था कि विपक्षी कोई टेढ़ी खीर है।

"पकड़ लो...।" इस बार इंचार्ज भद्दी-सी गाली देता हुआ क्रूरतापूर्ण स्वर में चिल्लाया।

'खबरदार...।" राज ने एकाएक ही हिप पॉकेट से माउजर निकालकर सिपाहियों की ओर तानते हुए कहा-"अगर जिन्दा रहना चाहते हो तो मेरी तरफ बढ़ने की कोशिश मत करना क्योंकि ऐसा करना तुम्हारी सेहत के लिए अच्छा न होगा।"

"हथियार हमारे हवाले कर दे वरना तेरा पोस्टमार्टम कर देंगे और लाश लावारिसी में जलाकर फूंके डालेंगे।"

राज ने कहकहा लगाया-"तुम मेरा क्या करोगे वो तो बाद की रात हैं-फिलहाल तो सभ्य शहरी और मौलिक अधिकारी वाला मसला है। इस लड़की की रिपोर्ट लिखी जानी है...लिखते हो या चलाऊं गोली...।"

"गोली मत चला देना वरना...।" इंचार्ज दांत पीसता हुआ कठोर स्वर में गुर्राकर बोला।

"वरना...।"

"वरना तेरे पास पछताने के लिए भी वक्त नहीं रह जाएगा।"

"और अगर गोली चला दी तो...।" राज ने इस बार जिस कठोरता से इंचार्ज को निहारा उससे इंचार्ज अनायास ही सहम गया।

___"ये पुलिस स्टेशन है और तू पुलिस स्टेशन में गोली चलाने का दुस्साहस नहीं कर सकता। बड़े-बड़े मुजरिमों की रूह कांपती है यहां आकर...फिर तू तो चीज ही क्या है।"

राज ने माउजर की बैरल इंचार्ज की टांगों की ओर घुमाते हुए ट्रेगर दबा दिया। गोली के धमाके के साथ ही इंचार्ज कमरे के फर्श पर ढेर हो गया। उसकी चीखें, कराहें वहां गूंजने लगीं।
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06-02-2020, 01:51 PM,
#39
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
जब तक सिपाही कुछ करने का सोचते तब तक राज माउजर उनकी तरफ घुमा चुका था "खबर-दार...कोई चालाकी दिखाने की कोशिश मत करना...मैं...तुम्हारे इंचार्ज को अपने दुस्साहस का परिचय देना नहीं चाहता था लेकिन तुम्हारे इंचार्ज ने मुझे मजबूर कर दिया और सुनो...अब रिपोर्ट लिखे जाने में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए...वरना..."

"कुछ और भी कर सकते हो...।" एक सिपाही ने हिम्मत जुटाते हुए पूछा।

राज ने रिमोट का बटन दबाया। बाहर कानों के पर्दे हिला देने वाला विस्फोट हुआ। यूं लगा जैसे समूची बिल्डिंग उनके सिरों पर आ गिरेगी। हाहाकर मच गया।

"खबरदार...।"
राज पुन: सिपाहियों को वार्निग देता हुआ चिल्लाकर बोला-"अगर तुम लोगों ने किसी प्रकार कोई गलत हरकत की तो नामो-निशान मिटा डालूंगा उस पड़ी राज की आखें कहर बरपा रही थीं। उसके सामने बोलने का दुस्साहस कोई न कर सका।

"इंचार्ज...।" वह तीखे स्वर में बोला-"फौरन से पेश्तर इस लड़की की रिपोर्ट लिख ले वरना तुझे और तेरे इस पुलिस स्टेशन को नेस्तनाबूद कर डालूंगा..."

इंचार्ज उससे खौफ खाया दिखाई दे रहा था। वह घायल टांग को घसीटता हुआ आगे बढ़ा। उसने जल्दी से एफ. आई. आर. रजिस्टर अपनी ओर घसीटा और उसने डॉली द्वारा लिखाई जाने वाली एफ. आई. आर. दर्ज करनी शुरू कर दी।

"मौलिक अधिकार को समझ इंचार्ज और इसे याद रख...कभी-कभी कोई सभ्य शहरी इस किस्म की हरकत भी करने से गुरेज नहीं करता।"

इंचार्ज बोला कुछ नहीं। उसके हाथ-पांव कांप रहे थे। वह चुपचाप अपना काम करता रहा।

एफ.आई.आर.की जब एक कापी डॉली को मिल गई तब राज ने उसे बाहर निकल जाने का संकेत किया।
वह फुर्ती से बाहर निकल गई।

राज माउजर संभाले, सबको कवर करता हुआ उसके पीछे बाहर निकल आया-"बाहर आते ही उसने एक बार फिर रिमोट का बटन दबाया।
एक और भयानक विस्फोट हुआ।

उस विस्फोट के साथ ही समूचा पुलिस स्टेशन धूल-धुएं के बवण्डर में खो गया।

वह तेजी से बाहर आया।

जहां उसने अपनी कार छोड़ी हुई थी, कार वहीं मौजूद थी और डॉली उसके अंदर मौजूद थी। उसने जल्दी से एस्टीम स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी। एस्टीम तोप से छूटे गोले की तरह निकल भागी। शीघ्र ही उसकी कार घटना क्षेत्र से बाहर आ चुकी थी। थोड़ी देर सन्नाटा रहा। राज ने कनखियों से अपने बराबर में बैठी डॉली की ओर देखा। उसके हाथों में एफ. आई. आर. की कापी थी और दोनों हाथ धीरे-धीरे कांप रहे थे।

"मैंने कहा था न कि रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी...।" वह सामान्य स्वर में बोला।

डॉली खामोश रही।

"डॉली...।" उसने डॉली मेहरा की ओर देखा।

तब डॉली ने पहली बार उसकी ओर देखा। उसकी दृष्टि कांप रही थीं।

"डर रही हो...।" राज ने पूछा।

"नहीं।"

"तुम्हारा चेहरा बता रहा है।"

"नहीं...तुम गलत समझ रहे हो।"

"सही समझ रहा हूं...लेकिन तुम्हें इस बात की जानकारी करा दूं कि वो पुलिसिए इसके अलावा दूसरी कोई भाषा नहीं समझते।"

__ "तुम्हारी भाषा...इतनी खतरनाक होगी, ये मैं नहीं जानती थी।"

"ये खतरनाक है तो वो क्या है जिसके तहत सतीश मेहरा लापता है और उसकी कोई खोज खबर नहीं है।"

"तुम्हारी बात अपनी जगह सही है लेकिन ये बहुत बड़ा कांड हो सकता है। पुलिस के साथ इस किस्म की तकरार उचित नहीं।"

"तुम व्यर्थ ही परेशान हो।-पुलिस तुम्हें क्यों परेशान करेगी।"

"इस कांड को वो मेरे साथ जोड़ देगी।"

"सवाल ही नहीं उठता।"

"तुम पुलिस को नहीं जानते...वो बाल की खाल निकालती है।"

"निकालने दो।"

"वह मुझसे तुम्हारे बारे में पूछेगी।"
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06-02-2020, 01:52 PM,
#40
RE: SexBaba Kahani लाल हवेली
राज मुस्कराया। बोला-"पूछे तो कह देना कि तुम उस सभ्य शहरी से वाकिफ नहीं हो। पुलिस स्टेशन में वह कहां से आ गया और कैसे पुलिस के साथ मुंहजोरी कर बैठा...तुम्हें नहीं मालूम।"

"मैं कह दूंगी और पुलिस मेरी बात मान लेगी ...है न?"

"क्यों नहीं मानेगी?"

"लगता है तुम्हें पुलिस की खबर नहीं। पुलिस के सामने बड़े-बड़े मुजरिम मुंह खोल देते हैं।"

"तुम्हारा मतलब पुलिस तुम्हें टार्चर करने की कोशिश करेगी?"

"बिल्कुल करेगी।"

"तो फिर डरी नहीं...टार्चर होने से पहले ही तुम मेरे बारे में पुलिस को बता देना।"

"क्या बता दूं ?"
\
"वही...जो तुम जानती हो।"

"लेकिन मैं तो तुम्हारे नाम के अलावा कुछ नहीं जानती।"

"तो फिर परेशान होने की क्या जरूरत है। जो भी जानती हो बेहिचक बता देना। ये मत सोचना कि मैं कुल सोचूंगा।"

___"ये भी बता दूं कि तुम मेरे साथ ही रहते हो?"

"हां...बता देना।"

"और पुलिस ने तुम्हें पकड़ लिया तो...?"

"वो बाद की कहानी है। बाद में ही देखी जाएगी।"

"अभी हम कहां जा रहे है?"

"किसी नए ठिकाने की तलाश में।"

"यानी अब हम अपने फ्लैट नहीं जाएंगे?"

"ऐसा तो नहीं कहा मैने...तुम्हारे फ्लैट में तुम्हें पहुंचाना बहुत जरूरी है।"

"क्यों?"

"क्योंकि मुझे अभी-भी उम्मीद है अगर सतीश का कोई मैसेज आएगा तो वहां ही आ सकता है।"

"यानी तुम मुझे मानखुर्द ड्राप करने वाले हो?"

"नहीं...उससे भी बहुत पहले...वो सामने वाले टैक्सी स्टैंड पर और ये रहा इस मोबाइल का नम्बर जो कि मेरे पास है।" राज ने छोटा-सा कार्ड डॉली के हाथ में रखते हुए कहा-"इसे संभालकर रखना...जब भी जरूरत हो मुझे फोन कर सकती हो।"
शीघ्र ही टैक्सी स्टैंड आ गया। राज ने एस्टीम रोक दी। डॉली अपनी साइड का दरवाजा खोलकर नीचे उतर गई।

राज पहुंचा अपने चैम्बूर वाले ठिकाने पर।

मोबाइल उसकी बैल्ट के हुक में फंसा हुआ था। अंदर कदम रखते ही सिग्नल मिला। उसने फौरन मोबाइल का बटन दबाकर वार्ता आरंभ कर दी।

"कौन...?" वह सावधानी के साथ बोला।

"पुलिस का मुखबिर मिलेला है बाप...लाऊं क्या?" दूसरी ओर से जय की आवाज सुनाई पड़ी।

"बात हुई तेरी?"

"बरोबर।"

"कहना मानेगा तेरा या फिर हमें ही डबलक्रास करके हमारी खबर उल्टी पुलिस को पहुंचाकर हमारा ही बड़ा गर्क कर डालेगा?"

"मानेगा...अपुन का बात मानेगा। नेई मानेगा तो अपुन कम हठेला नेई है, खोपड़ी खोल डालेगा साले की।"

"फिर ठीक है।"
"तो ले जाऊं उसे?"
"कहां?"
.
.
"जिधर तू बोलता बाप उधरिच....।"
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