Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:08 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ने अपने कपड़े उतार फेंके …. उसका लंड सीधा 90डिग्री पे खड़ा दोनो की चूत की तरफ लहराने लगा.

आगे बढ़ उसने दोनो को अपनी बाँहों में भर लिया और तीनो के होंठ एक साथ चिपक गये. दोनो औरतों की धड़कन बढ़ी हुई थी नाचने की वजह से …. दोनो ही बेल की तराहा सुनील से लिपट गयी ………बारिश की ठंडी बूँदें भी बदन में बढ़े हुए ताप को कम नही कर पा रही थी.

तीनो को ये सुध ही नही रही के अंदर चले जाएँ…….शायद प्रकृति की गोद इन्हें ज़यादा पसंद थी….खुल्ले में चुदाई का आनंद अपने आप में सबसे उत्तम भावना होती है. और ये मोका तीनो अपने हाथ से कैसे जाने देते.


ये बंगलो इंट पत्थर से नही बना था… सारा काम लकड़ी का ही था. और ये तीनो वहीं बाहर लकड़ी की बनी बाल्कनी में बारिश का मज़ा लेते हुए लेट गये. सुनील नीचे था और सोनल और सूमी उसके बदन के साथ अपना बदन रगड़ रही थी… एक तरफ सोनल का निपल अपना अहसास दिला रहा था और दूसरी तरफ सुमन का. दोनो के निपल इतने सख़्त हो चुके थे कि सुनील को चुभ रहे थे …जैसे उसके जिस्म में छेद ही कर डालेंगे. 

दोनो के पैरों में बँधी पायल की रुनझुन वातावरण को अनोखा संगीत दे रही थी. 

जब भी दोनो के हाथ सुनील के जिस्म को सहलाते तो चूड़ियों की खनखनाहट पायल की रुन झुन से मिल कामुकता के नये संगीत को जनम दे रही थी…..कुछ ऐसे सुर निकल रहे थे जो कोई म्यूज़िक कॉंपोज़र कभी पहचान ही नही पाएगा. मानो स्वयं गायित्री देवी ने नये काम और रति के लिए नये सुरों की रचना करी हो …जिसके पहले सुर इन दोनो की पायल और चूड़ियों से निकल रहे थे.

टपकती हुई मुसला धार बारिश का उनपे कोई असर नही पड़ रहा था…. उल्टा उन्हें ये बारिश अच्छी लग रही थी .

‘जानम आज की रात को एक यादगार बना दो… हमे इतना प्यार करो…इतना प्यार करो कि हमारी रूह उस प्यार के सागर में जिंदगी भर गोते लगाती रहे…..’दोनो एक साथ ही बोली.

सुनील ने पलटी मारी …. अब दोनो फ़ाश पे पीठ के बल थी और सुनील उन दोनो के बीच अपने पेट के बल था……..उसके हाथ दोनो के उरोज़ को मसल्ने लग गये और होंठ कभी एक को चूमते तो कभी दूसरे को.

सोनल और सुमन दोनो कामग्नी में जल रही थी और उनकी इस जलन को महसूस कर हवाएँ और तेज चलने लगी नतिजन बारिश की बूंदे सुइयों की तरहा बदन पे चुबने लगी….पर ये चुबन उस अग्नि और ही भयंकर दावानल का रूप देने लगी …..जिसका असर ये हुआ कि दोनो ने पलटी मार कर सुनील को नीचे ले लिया और उसके उपर आ गयी …..

अब सोनल का आधा बदन सुनील से रगडे खा रहा था और सोनल का आधा बदन दोनो के निपल सुनील के निपल्स को अपने कड़े होने अहसास देने लगे ….उरोज़ मचल रहे थे सुनील की चाहते से रगडे खाते हुए ……..अब दोनो ही तो उसके होंठों पे क़ब्ज़ा नही कर सकती थी….तो सोनल ने सुनील के निपल पे धावा बोल दिया और सुमन ने अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका दिया.

सोनल कभी सुनील के निपल को ज़ोर से चूस्ति तो कभी दाँत गढ़ा देती और सुमन तो अपने होंठों का जाम पिलाने में लगी हुई थी…..जब भी सोनल के दाँत गढ़ते सुनील के निपल पे….सुनील सकती से सुमन के होंठ चूसने लग जाता.

ये दो तरफ़ा हमला जो सुनील पे हुआ था वो उसे बहुत बेचैन और कामोत्तेजित कर रहा था….
सोनल ने दोपहर में ही सुनील के साथ जो मज़े लिए थे उन्हें ध्यान में रख वो पीछे हट गयी और सुनील और सुमन को मस्त करने के लिए अकेला छोड़ दिया और पीछे सरक उनकी लीला देखने लगी …..

सुनील ने सुमन को नीचे कर लिया और उसे चुंबनो से भर दिया. एक तरफ सुनील के तपते होंठ और दूसरितरफ ठंडी बारिश के बूंदे जो लगातार जिस्म पे गिरती जा रही थी ….इन दोनो के संगम ने सुमन को पिघलना शुरू कर दिया था.

सुमन ने अपनी टाँगें फैला दी और सुनील बीच में आ कर उसके उपर लेट गया और उसके उरोज़ को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा ……..साथ ही दूसरे उरोज़ के निपल को चूसने लगा….नमकीन बारिश का पानी साथ में मुँह में जाने लगा ….पर इसकी कोई चिंता ना थी क्यूंकी सुमन के निपल का अहसास जो उसे अपने मुँह में मिल रहा था वो इस महॉल में किसी आठवें अजूबे से कम ना था.

अहह उउउम्म्म्ममममम सुमन के होंठ खुलते सिसकियाँ छोड़ने के लिए पर पानी अंदर घुसता चला जाता….और वो फट से मुँह बंद कर लेती …..सुनील उसके वक्षों के साथ लगा रहा और सुमन सिसकियाँ लेती फिर फट से मुँह बंद कर लेती.



सुमन ने अपनी टाँगें सुनील की कमर पे लप्पेट ली और उसे अपनी और खिचने लगी….सॉफ इशारा था कि अब नही रहा जाता …….आग बहुत भड़क चुकी है …..और बारिश की बूँदें आग भुजाने की जगह और भड़का रही हैं.

हालत तो सुनील की भी कुछ ऐसी ही थी ….. सुमन ने खुद उसके लंड को अपनी चूत पे सेट किया और पल भर में ही सुमन की चीख आआआआआआआआआआआआअ फ़िज़ा में गूँज गयी……उसके नाख़ून सुनील के पीठ में गढ़ते चले गये……और सुनील का लंड उसे अपने पेट तक पहुँचता हुआ महसूस हुआ.

5 मिनट की धुआँ दार चुदाई में दोनो ही झड़ने लगे….और एक दूसरे से चिपक हाँफने लगे. 

सोनल अब करीब आ गयी और सुनील जो सुमन के उपार गिरा पड़ा था उसकी पीठ सहलाने लगी.

कुछ देर बाद जब साँसे ठीक हुई तो इन्हें अंदर जाना ही पड़ा क्यूंकी बारिश अब भयंकर तुफ्फान का रूप ले चुकी थी… यहाँ तक की वॉटर बंग्लॉ भी हिलने लगा था थोड़ा थोड़ा …..पर उसे इतनी मजबूती से बँधा गया था कि ज़यादा नुकसान नही होने वाला था…. सिवाए इसके कि वो कुछ देर हिलता और तुफ्फान कम होने पे स्थिर हो जाता फिर अगले दिन मर्रम्मत का काम शुरू हो जाता.

अंदर पहुँच तीनो ने शवर लिया खुद को सूखाया और सुमन ने हॉट कॉफी का इंतेज़ाम किया.
सोनल सुनील की गोद में बैठ गयी.

कॉफी पीने के बाद तीनो बिस्तर में घुस गये…..रात अभी बाकी थी और सोनल ने सुनील को सोने तो देना ही नही था.

रात को सोनल और सुनील के बीच एक राउंड हुआ फिर सब सो गये. अगला दिन इनका आखरी दिन था मालदीव में.

नाश्ते के बाद कुछ स्यूवेनिर्स की शूपिंग करी और लंच तक वापस वॉटर बंग्लॉ पहुँच गये थे. अगले दिन के कपड़े छोड़, सारा समान पॅक कर लिया.

जब तीनो लंच कर रहे थे सोनल ने एक बॉम्ब फोड़ दिया….

‘आप दोनो सुन लो….दीदी की मजबूरी है उन्हे तो विधवा का ढोंग करना पड़ेगा … जब तक दूसरे शहर में शिफ्ट नही होते….पर मैं खुद को कुँवारी और अवेलबल शो नही करूँगी… मैं एलान कर दूँगी … मेरी लव मॅरेज हो गयी है’

खाते खाते सुनील के हाथ से चम्मच छूट गया और खाना गले में अटक गया.

सुमन : ये क्या बक रही है…. अभी से कैसे एलान कर सकती है

सोनल : आप समझते क्यूँ नही है --- सुनील से शादी के बाद मेरे जिस्म में बदलाव आ गया है … कोई भी देख के कह देगा कि मैं सेक्स कर चुकी हूँ.. अगर खुद को अभी भी अनमॅरीड शो किया….तो क्या सोचेंगे लोग मेरे बारे में. वैसे ही काफ़ी सीनियर डॉक्टर्स मेरे पीछे पड़े रहते हैं …. सब यही सोचेंगे मैं अवेलबल हूँ और बहती गंगा में हाथ धोने की कोशिश करेंगे.

सुमन और सुनील … दोनो ही सीरीयस हो गये.

सुमन : अपने पति के बारे में क्या बोलोगि -----

सोनल : कह दूँगी – यूके में सेटल्ड हैं और तीन साल तक मेरा स्टे पर्मिट मिल जाएगा …फिर मैं हमेशा के लिए उनके पास चली जाउन्गि.

सुनील : तुमने मज़ाक समझ लिया है क्या इस बात को – कॉन लड़का है, क्या करता , है, माँ-बाप….परिवार में कॉन कॉन और कहाँ, शादी के फोटोस वगेरा वगेरह हज़ारों सवाल उठेंगे….क्या जवाब दोगि.

सोनल :बिल्कुल सही जवाब दूँगी…बस इतना झूठ होगा कि लड़का यूके में सेटल्ड है.
लड़के का नाम : सुनील कमरा ( समर की कास्ट कमरा)
लड़के का बाप : समर कमरा (एक्सपाइर्ड)
लड़के की माँ : यहाँ सोनल सोच में पड़ गयी – फिर बोली – अभी मिल ही नही पाई – बस फट माँगनी पट शादी हो गयी --- वी लाइक्ड ईच अदर सो मच.
बाकी रिश्तेदार : पूछा ही नही उनके बारे में --- जब मिलेंगे पता चल जाएगा
लड़का अपने दोस्तो के साथ मालदीव घूमने आया हुआ था….. बस आँख लड़ गयी हम दोनो की और कुछ दिन की रोज मिलने लगे और वहीं शादी कर डाली – लड़का भी बहुत 
अच्छा डॉक्टर है.

कल इनके साथ कुछ फोटो खिच्वाउन्गी ---जिसमे ये नकली दाढ़ी लगा लेंगे….बालों में कलर कर लेंगे और हेर स्टाइल चेंज कर लेंगे.
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01-12-2019, 02:08 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दोनो मुँह खोले सोनल की शकल देखते रहे…..सोनल ये बवाल भी शुरू कर देगी – ये तो ख्वाब में भी नही सोचा था.
कुछ देर चुप्पी छाई रही.

सोनल : अब बताओ भी कि कुछ कमी है इस प्लान में तो ठीक किया जाए.

सुनील : माँ का नाम सुमन कमरा बता देना. (आख़िर सुमन एक तरहा से समर की अनाफीशियल बीवी ही तो थी)

सुमन : ये क्या आप भी इसकी बातों में आ गये.

सुनील : तुम ही कोई रास्ता बता दो ….. इतना तो तुम भी इसे देख के बोल सकती हो – कि इसने अच्छी तरहा चुदाई करवाई है ….. तो जो लड़की लड़कों से 20 -20 फीट का फासला रखती थी --- क्या सोचेंगे कि सब उसके बारे में --- अगर इस बात का ध्यान पहले रखते तो शादी को 3 साल के लिए टाल लेते --- पर इसने जो अपनी हालत कर ली थी – उसके बाद रास्ता भी कोई नही बचा था.


सुमन के पास कोई जवाब नही था…..सोच सोच के सर दर्द करने लग गया.

सोनल असल में नही चाहती थी कि कभी भी उसके लिए कोई प्रपोज़ल आए… वो ठुकराते रहेंगे…और सोसाइटी में पता नही क्या क्या गॉसिप शुरू हो जाएगा और….आज जब उसने खुद को शीसे में देखा था उसे अपने बदन में बदलाव महसूस हुआ था…. जो हर लड़की के साथ होता है –हनिमून के दोरान अगर अच्छे से सेक्स किया गया हो…..जिसमे लड़की को बहुत आनंद मिला हो.
और कुछ सीनियर डॉक्टर्स तो उसके पीछे पड़े ही थे … बस बदतमीज़ी की हद पे नही उतरे थे सुनील की वजह से.

जब काफ़ी देर तक कोई और कुछ नही बोला तो सुनील ने कहा कि ये काम आज ही कर लेते हैं…शाम का वक़्त होने वाला है – कल पे छोड़ेंगे तो लास्ट मिनिट भागा दौड़ी होगी.
बाकी दोनो भी मान गयी --- होटेल के ब्यूटीशियन को बुलाया गया जो सोनल का ब्राइडल मेक अप करने लगी . सुनील मेन’स पार्लर चला गया अपना हुल्लिया बदलने के लिए --- वो भी इस तरहा कि एक रात में ही सॉफ हो जाए.

और फिर हुआ दोनो का फोटो शूट --- इनकी शादी और हनिमून का याद गार. सुनील ने मालदीव में ही शादी रिजिस्टर करी थी और सर्टिफिकेट में पिता का नाम उसने समर ही लिखवाया था…..अब दोनो के पिता का नाम सागर तो लिखवाया नही जा सकता था.

ये हनिमून में सुनील और सोनल की दूसरी सुहागरात बनी - जिससे सुमन ने खुद को दूर रखा.

अगले दिन ये तीनो देल्ही वापस आ गये – जहाँ इनके लिए बारूद इंतेज़ार कर रहा था जिसे फटने से सुनील को बचाना था.

तीनो घर पहुँचे तो सुनील सवी की परवाह ना करते हुए सीधा अपने रूम में चला गया. 

सोनल और सविता हॉल में सवी के पास बैठ गयी . सवी को देख ऐसा लग रहा था जैसे दस सालों से बीमार हो ……सोनल ने जब मास्टरबेशन करते हुए सवी को देखा था और उसके बाद जो कुछ हुआ – वो सवी सहन नही कर पाई थी…. सुनील की आँखों में उसके लिए जो नफ़रत आ चुकी थी… वो उसे पल पल जला रही थी …. वो अपने दिल से इस बात को निकाल ही नही पा रही थी कि जब सुनील सागर के हुकुम पर सुमन की जिंदगी में आ सकता है …तो उसकी जिंदगी में क्यूँ नही आ सकता…क्या पाप किया था उसने जो उसे समर मिला… अगर उसे भी सागर मिला होता तो आज सुमन की जगह वो होती…ये सेक्स की आग नही थी जिसे वो सुनील से भुजाना चाहती थी ….ये उसके मन में सुनील की जो छवि बन चुकी थी वो उसे तडपा रही थी …..वही छवि जो कभी सोनल के मन में सुनील की बनी थी जिसकी वजह से वो सुनील को अपना सब कुछ समझने लग गयी थी.

जिसको तुम दिल-ओ-जान से चाहने लगो – वही तुम से नफ़रत करने लगे – तो जीना दुश्वार हो जाता है.

सुनील ने तो यहाँ तक कह दिया था कि सवी के रहने का इंतेज़ाम वो कहीं और करा देता है और घर की ज़रूरतो को वो देखता रहेगा जब तक रूबी की शादी नही होती --- उसके बाद तो सवी का दामाद सवी की ज़िम्मेदारी उठा ही लेगा.

जहाँ सवी कभी सुमन की तरहा बहुत ही खूबसूत हुस्न की मलिका लगती थी … वहीं आज वो एक खंडहर बन चुकी थी …. एक ऐसा दिया जिसकी लो टिमटिमाने लगी थी …ना जाने कब भुज जाए.

जब कोई आपसे दूर भागने लगे …अमूमन यही होता है कि आप उसके पीछे भागने लगते हो …खास कर औरत …. जो इसे अपनी तोहिन समझने लगती है …..सवी के अंदर बसी बहन ईर्षा से जल रही थी… उसके अंदर बसी औरत उसी प्यार की कामना कर रही थी जो सुमन को मिल रहा था……उसकी अंदर बसी मासी --- उसी दिन दम तोड़ चुकी थी जिस दिन उसे सुमन और सुनील की शादी का पता चला था….उसके अंदर बसी साली ….अपना हक़ माँग रही थी ……सवी का दिल बार बार एक ही सीत्कार करता …..आख़िर मेरा कसूर क्या है.

बातों बातों में जब सवी को ये पता चला कि वो अब सुनील को कभी देख भी नही पाएगी … क्यूंकी सुमन शिफ्ट होने जा रही है --- ये झटका वो बर्दाश्त ही ना कर पाई और ……..उसके मुँह से चीख निकल गयी……..न्न्रहीनननणन्नाआआअहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ………फिर वो बेहोश हो चुकी थी.

ये सब होने से कुछ पल पहले ही सोनल रूबी के कमरे की तरफ बढ़ गयी थी… आख़िर सुनील ने जो ज़िम्मेदारी उसे दी थी उसके लिए पहल भी तो करनी थी…..वहाँ नज़ारा कुछ और था…..रूबी नींद की गोलियाँ खा चुकी थी और उसके मुँह से झाग निकल रही थी.

एक दम ही घर में भूकंप आ गया…………….

यहाँ ………..सोनल ने चिल्ला के सुनील को आवाज़ दी और वहाँ सुमन ने चिल्ला के सुनील और सोनल को आवाज़ दी.

हनिमून की सारी मस्ती भरी यादों को एक दम ग्रहण लग गया. 

रूबी को जब हॉस्पिटल ले जाया गया तब उसके बिस्तर पे एक दस पेज का लेटर मिला था. सुमन किसी तरहा सवी को होश में ले आई थी और उसे नींद का इंजेक्षन दे सुला दिया था.

रात भर सुनील हॉस्पिटल में ही रहा रूबी के पास आइसीयू के बाहर चहल कदमी करता रहा. सुमन घर पे रुकी सवी के लिए और सोनल तो सुनील को अकेले छोड़ने को तयार ही ना हुई.

सवी को नही मालूम था रूबी ने नींद की गोलियाँ खाई थी.. वो तो इस वक़्त नींद की दवा के असर में थी. सुमन को सवी पे बे-इंतिहा गुस्सा आ रहा था…..कैसी माँ है ये … इसे पता ही नही बेटी के साथ क्या हो रहा है ……ऐसी भी क्या इनफाचुयेशन सुनील के लिए जो ये तक भूल गयी कि एक माँ होने के नाते उसका कुछ फ़र्ज़ है रूबी की तरफ.

वो लेटर क्या था उसके बारे में सुमन को कुछ नही पता था ना ही सुनील और सोनल के पास वक़्त था कि उस लेटर को देख सकें… अभी तो पहले रूबी की जान बचानी थी.
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01-12-2019, 02:08 PM,
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रूबी के पेट को सॉफ कर दिया गया था… पर सुबह तक ख़तरा था….. अगर सुबह रूबी होश में ना आई तो कुछ भी हो सकता था – यहाँ तक की उसकी मोत हो जाए – या फिर – वो कोमा में चली जाए….

सुनील बस इतना ही सोच रहा था… कुछ दिन के लिए बाहर गया और यहाँ ये सब कुछ हो गया….कहीं ऐसा ना हो कि वो डॅड की दी हुई ज़िम्मेदारी को निभा ना पाए…..सॉरी डॅड…अब उसे कभी अकेले नही छोड़ूँगा….बस इस बार उसे बचा लो डॅड.
सुनील की आँखों से आँसू बहने लगे.

सोनल उसके करीब ही थी … उसने सुनील के चेहरे को हाथों में थाम लिया…..’मर्द हो कर रोते हो….कुछ नही होगा तुम्हारी रूबी को….. जिसका सुनील जैसा भाई हो… उसे कभी कुछ नही हो सकता. देखना सुबह तुम से गिले शिकवे करेगी … क्यूँ उसे अकेला छोड़ दिया था.’

सोनल कभी सुनील को टूटता हुआ नही बर्दाश्त कर सकती थी…जो आज तक उसकी ताक़त बना रहा…वो चट्टान… एक छोटे तुफ्फान से कैसे बिखर सकती थी….उसके प्यार को कोई सज़ा नही मिल सकती थी क्यूंकी वो कोई गुनाह करता ही नही था…. उसे कोई दुख नही मिल सकता था क्यूंकी वो किसी को दुख नही देता था. ये परीक्षा की घड़ी थी और वो जानती थी… उसका विश्वास जानता था… उसका सुनील… हर परीक्षा में अव्वल दर्ज़े से उत्तीर्ण होगा. 

सुमन हर थोड़ी देर बाद सोनल को फोन कर रूबी का हालचाल पूछती थी – इतना वो जानती थी कि सुबह ही कुछ पता चलेगा…. हर फोन का असली मक़सद था सुनील का हाल पता करने का…. वो जानती थी …..सुनील जहाँ एक चट्टान की तरहा मजबूत है … वहीं वो एक फूल की तरहा नाज़ुक भी है …. रूबी के लिए उसके दिल में बसा भाई का प्यार इस वक़्त उसे तोड़ रहा होगा ……और सवी की वजह से इस वक़्त वो उसके साथ नही थी … जब उसे उसकी सबसे ज़यादा ज़रूरत थी……सुमन की आँखों से आँसू बह रहे थे जिन्हें वो अपनी आवाज़ पे काबू रख सोनल को इसका अहसास नही होने दे रही थी…. लेकिन जब दिल और आत्माएँ एक हो चुकी होती हैं… तो दर्द छुपाए नही छुपाता.

‘दीदी अपने प्यार पे भरोसा रखो ….वो इतने कमजोर नही हैं….मैं जानती हूँ ….आप उन्हें मुझ से बेहतर जानती और समझती हैं…पर मुझे इतना विश्वास है ….वो दुखी तो हो सकते हैं पर वो टूटेंगे नही …. वो एक चट्टान से भी सख़्त एक पहाड़ हैं…मौसम का बदलाव कुछ देर बस उपरी सतह पे असर कर सकता है… उसकी मजबूती पे नही…….और जिस बहन को सुनील जैसा भाई मिला हो ….वो उसे छोड़ कैसे जा सकती है…. देखना सुबह लड़ेगी इनसे’ सोनल वो लेटर जो बिस्तर पे देखा था उसे छुपा गयी.

‘उन्हें कुछ खिला देना……मैं जानती हूँ बहुत भूख लगी होगी उनको… पर कुछ खाएँगे नही तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है……’

‘आपने कुछ खाया…..’

सुमन के पास कोई जवाब नही था……..

‘वो एक ही शर्त पे कुछ अपने गले के नीचे उतरेंगे जब फोन पे उनको ये यकीन हो जाए कि एक लुकमा उनके मुँह में गया है तो एक आपके मुँह पे …हां नाटक वो अच्छी तरहा पकड़ लेते हैं……..दो उनको फोन’ सोनल कुछ अलग हो बात कर रही थी.

‘तुम उनके लिए और अपने लिए कॅंटीन से कुछ ले आओ..तब तक मैं अपने लिए कुछ बनाती हूँ’

ये कह सुमन ने फोन रख दिया… खाने का कुछ दिल नही था…तो बस थोड़ा दलिया हिबाना लिया अपने लिए और फट से सोनल को फोन किया….

‘कुछ खाया इन्होने’

‘आपको पता तो है….’

‘फोन दो इनको’

‘जी आप कुछ खा लीजिए …. आप नही खाएँगे तो गुड़िया भी भूखी रहेगी’

‘तुमने कुछ खाया ….’

‘आपके बिना खा सकती हूँ क्या….’

‘तो अभी खाना शुरू करो …मैं भी कुछ खा लेता हूँ सोनल कॅंटीन से ले आई है’

‘पहले आप शुरू कीजिए ‘

‘और तुम भूखी रहो’

‘मानिए ना मेरी बात …..जैसी ही आप कुछ खा लेंगे मैं भी शुरू कर दूँगी…मेरी कसम’

सुमन की कसम की आगे सुनील की बोलती हमेशा बंद हो जाया करती थी …..उसने सॅंडविच का एक टुकड़ा काट चबाना शुरू कर दिया…….

फोन पे दाँतों के चलने की हल्की हल्की आवाज़ शुरू हुई तो सुमन ने भी दलिये का चम्मच मुँह में डाल लिया.

कुछ देर बाद …सुनील सॅंडविच खा चुका था और सुमन दलिया.

सोनल : आप बहुत अच्छी हो …बहुत ही अच्छी हो

सुमन : पगली

सोनल : सच कह रही हूँ…बस आप ही इनको कुछ खिला सकती थी और ये आपको …मेरी तो कोई सुनता ही नही.

सुमन : गुड़िया मारूँगी गर उटपटांग कुछ सोचा तो. क्या खबर रूबी की अब तो दिन भी होनेवाला है 

सोनल : अभी थोड़ी देर में कॉल करती हूँ . (फोन कट हो जाता है)

तभी सोनल की नज़र सामने पड़ती है …..कमल और जयंत दोनो आ रहे थे.
सोनल की कभी उनसे बात नही हुई थी बस कुछ बार उनकी शकलें देखी थी … दोनो ही जूनियर थे उसके .

कमल …….और जयंत दोनो ही सुनील के पास पहुँचे…….
मेडिकल कॉलेजस में एक प्रथा है ….जब तक कोई खास क्लोज़ ना हो ….सीनियर्स को सर ही बोला जाता है.
और वैसे भी सुनील सब को चाहे ना जानता हो…उसे तो सब ही जानते थे,
कमल ने सुनील के कंधे पे हाथ रखा.

सुनील ने उस वक़्त खाना ख़तम ही किया था. और सर झुकाए बैठा था. उनको आता देख सोनल ने कुछ हल्की सी दूरी बना ली थी.

सुनील ने सर उपर उठाया तो कमल और ज्यांत को देख हैरान हुआ ….सर आप यहाँ इस वक़्त ….

कमल : क्या मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ सकता हूँ ….

जयंत खड़ा रहा ….उसके चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कुछ कहने से खुद को बड़ी मुश्किल से रोक रहा हो.
पर सोनल और सुनील का ध्यान कमल पे था जिसने बात शुरू की थी.

सुनील थोड़ा सोनल की तरफ सरक गया और कमल को बैठने की जगह दी. कमल सुनील के साथ बैठ गया …..और उसका चेहरा बता रहा था कि वो बड़ी गहरी सोच में था.

सुनील : कहिए क्या काम था मुझ से

कमाल : वही सोच रहा हूँ कैसे बोलूं.

सुनील : ऐसी क्या बात है जो सोचना पड़ रहा है.

कमाल : मैं रूबी से शादी करना चाहता हूँ

सुनील/सोनल : कयययययययाआआआअ
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01-12-2019, 02:08 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील और सोनल : दोनो ही जानते थे कि कमल अच्छा लड़का है…….पर ये सब……कहीं कमल ही तो ज़िम्मेदार नही रूबी के शूसाइड अटेंप्ट का…….सवाल पे सवाल खड़े होने लगे.

सुनील : कमल जी ये वक़्त इन बातों का नही है…….अभी रूबी की हालत ठीक नही….उसे ठीक हो जाने दी जिए…एक बार उस से बात कर लूँ…फिर कोई जवाब दूँगा.

कमाल : रूबी को हुआ क्या है……खबर मिली वो हॉस्पीटलाइज़्ड है तो खुद को रोक नही पाया….

सुनील : पता नही…..वो तो ठीक होने के बाद ही कुछ पता चलेगा.

कमल सुनील से बातें कर रहा था और जयंत का दिल रो रहा था. उसकी नज़रें…..डोर पे लगे शीसे से अंदर बिस्तर पे लेटी रूबी को ही ताक रही थी.

कमल : क्या मैं यहाँ रुक सकता हूँ…जब तक रूबी को होश आता है

सुनील : जी नही…और उम्मीद करूँगा…आप रूबी से दूर ही रहेंगे जब तक मैं आपसे खुद बात नही करता. ( आवाज़ में सख्ती थी)
कमल कुछ ना बोला… बस एक नज़र आइसीयू के दरवाजे पे डाल एक ठंडी साँस छोड़ी और निकल पड़ा. जयंत भी उसके साथ हो लिया… सुनील की बात सुन ना जाने क्यूँ उसे एक सकुन सा मिला….ये जान कर कि उसने कमल को रूबी से मिलने के लिए मना कर दिया है. (दिल के दो टुकड़े हो रहे थे ---एक अपने दोस्त की व्यथा पर तड़प रहा था और एक अपने अंदर बसे प्यार के लिए जिसका वो इज़हार नही कर सकता था)

रात गुजर गयी आँखों ही आँखों में पर सुबह तक रूबी को होश नही आया.

यहाँ घर में सुबह सुमन ने अपने लिए कॉफी बनाई और फोन कर ज़बरदस्ती सोनल और सुनील को भी पिलवाई वहीं कॅंटीन से लेकर.

सवी की नींद भी खुल गयी….कुछ हल्का महसूस कर रही थी …शायद नीद की दवाई का कुछ असर अभी बाकी था.

सुमन ने उसके लिए भी कॉफी बनाई थी जो बिस्तर पे उसके पास रख दी.
सवी नज़रें चुरा कॉफी पीने लगी.
कॉफी ख़तम होने के बाद .

सुमन : सवी ये क्या ड्रामा चल रहा है.

सवी : दी …मतलब…मैं कुछ समझी नही.

सुमन : तू बच्ची नही है ….अच्छी तरहा समझती है मैं क्या बोल रही हूँ.

सवी : किसी को चाहते रहना कोई गुनाह तो नही.

सुमन : बस …..बहुत हो चक्का….तू हर उस शख्स को पाना चाहती है…जो मेरी जिंदगी में आता है…एक बार मैने बर्दाश्त कर लिया वो भी सागर की कमज़ोरी की वजह से…..अब और नही…घिन आती है मुझे तुझे अपनी बहन बोल कर.

सवी : दी ये क्या इल्ज़ाम लगा रही हो मुझ पे …मैने ऐसा क्या किया.

सुमन : क्यूँ तूने कुछ नही किया… जब समर तुझे सागर के नीचे लेटने को उकसा रहा था…स्वापिंग के लिए उकसा रहा था….तू फट से सागर के नीचे लेट गयी ताकि मैं मजबूर हो जाउ….क्या तूने कभी मुझे वॉर्न किया…कभी मुझे बताया कि समर के अंदर कॉन सा राक्षस छुपा बैठा है….नही…..तूने मुझे कुछ नही बताया….एक बात कान खोल के सुन ले ….सुनील ….सागर नही है…..वो थुकेगा भी नही तुझ पर …..मैने माँ को वादा किया था…तेरा ख़याल रखूँगी….इसलिए तू यहाँ है…वरना भेज दिया होता तुझे वापस मुंबई.
(सुमन इतना ज़ोर से चिल्लाई कि सवी थर थर काँपने लगी ….उसकी ज़ुबान को ताले लग गये…नज़रें झुक गयी.)

सवी : दी मैं मजबूर थी…….(हो सके तो माफ़ कर देना) वो बिलख बिलख के रोने लगी.

सुमन : खैर ये बात छोड़ … ये बता रूबी का क्या मसला है… कल उसने शूसाइड करने की कोशिश करी है.

सवी : क्य्ाआआआआअ?????????///

सुमन : लानत है तुझ पे ….अपनी वासना के चक्कर में तू ये भी भूल गयी तेरी एक जवान बेटी भी है….क्या कर रही है वो…क्या हो रहा है उसके साथ …तुझे कुछ खबर ही नही…कैसी माँ है तू री…..

सवी : नही नही….ये इल्ज़ाम मत लगाओ मुझ पे ….मैने हमेशा एक माँ और एक सहेली का फ़र्ज़ निभाया है रूबी के साथ. कल तक वो बिल्कुल ठीक थी….ऐसी कोई बात ही नही थी…मैं तो इंतेज़ार कर रही थी सुनील के वापस आने का…ताकि उसे बता सकूँ…एक लड़के ने रूबी को प्रपोज़ किया है. ये अचानक ऐसा क्या हो गया…..
अब सुमन भी चिंता में पड़ गयी….. अगर अफेर की बात है तो रूबी ने सवी को बता दिया….और सुनील से इज़ाज़त का इंतेज़ार कर रही थी…फिर ऐसा क्या हो गया.

सवी : दी वो कहाँ है..मुझे अभी जाना है उसके पास.

सुमन : ह्म्म्मआ …….चलो तुम्हारी वजह से ही मुझे यहाँ रुकना पड़ा था.

दोनो तयार हो हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़ी.

कमल और जयंत हॉस्पिटल से निकल हॉस्टिल की तरफ जा रहे थे.

जयंत : अबे तू पागल हो गया है क्या….ये कॉन सा वक़्त था शादी का प्रपोज़ल देने के लिए….जबकि तू ये भी नही जानता कि वो तुझे पसंद करती है या नही. और इस वक़्त जब उसकी ऐसी हालत है उसका ख़याल रखने की जगह तू सीधा शादी पे पहुँच गया.

कमल : और क्या करता….मैं हर वक़्त उसके पास रहना चाहता हूँ…मुझे लगा कि यही सही वक़्त है….उसके घरवाले उसका ध्यान नही रख पा रहे…उनके लिए तो सर से बला टल जाएगी …अगर मेरी शादी रूबी के साथ हो जाती है.

जयंत : पागल है तू पागल.. वो तो सुनील की भलमांसाहत थी जो तू अपने पैरों पे खड़ा है ….जानता है ना…जान देता है वो अपनी बहनों पर ….और तू सोच रहा है कि उनके सर से बला टल जाएगी. कहीं तूने ही तो……

कमाल :….एक दम विफर जाता है और जयंत का गला दबाने लगता है …..जान से मार दूँगा तुझे अगर मेरे प्यार को गाली दी ….क्या सोचता है तू उसकी ये हालत मेरी वजह से हुई है….

जयंत घबरा गया एक पल कि कमल को हुआ क्या है …..लेकिन जब उसने कमल की आँखों में झाँका तो उसे वो दोस्त नही नज़र आया ….एक वहशी हैवान नज़र आया …….और उसने कमल को खुद से अलग कर एक झापड़ रसीद कर दिया.
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01-12-2019, 02:08 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जयंत : गुस्से में विफरता हुआ…..ये तू नही हो सकता….तू वो कमल नही जिसे मैं जानता था…जो मेरा दोस्त था…..तू कुछ छुपा रहा है मुझ से…….अब भी वक़्त है बता दे क्या बात है…मैं तेरी मदद ही करूँगा…..लेकिन अगर तूने कुछ नही बताया…और मुझे कुछ ऐसा पता चला कि रूबी की हालत के पीछे तेरा हाथ है….तो माँ कसम भूल जाउन्गा तू मेरा दोस्त है….इससे पहले सुनील तेरी जान ले ले मैं खुद तेरे टुकड़े टुकड़े कर दूँगा.

कमल : कुछ पल खून भरी नज़रों से जयंत को देखता रहा ….फिर उसके चेहरे का रंग बदलने लग गया. वो वही पुराना कमल बन गया……….माफ़ कर दे यार उसकी ये हालत देख दिमाग़ खराब हो गया था….तू ऐसा सोच भी कैसे सकता है कि मैं अपनी रूबी को कुछ नुकसान पहुँचाउंगा

कुछ तो बात थी जिसकी परदादारी हो रही थी……जयंत को कमल पे बिल्कुल यकीन ना आया….और उसने अब कमल पे नज़र रखने का फ़ैसला कर लिया…खुद को नॉर्मल कर ….चल कोई बात नही हो जाता है…पर सुनील से माफी माँग लेना…बहुत ग़लत सोच रहा होगा वो तेरे बारे में.

कमल : दोस्त हो तो ऐसा….(कमल जयंत के गले लग गया ….पर जयंत के भाव में वो गरम जोशी नही थी..जो पहले हुआ करती थी….उसकी आँखें बता रही थी..कि वो बहुत गहरी सोच में है)

वहाँ हॉस्पिटल में जब सुमन और सविता पहुँची तो उन्होने देखा एक इनस्पेक्टर सुनील से बात कर रहा था.

क्यूंकी स्यूयिसाइड केस था इसलिए हॉस्पिटल अथॉरिटी ने पोलीस को इनफॉर्म कर दिया था.

इनस्पेक्टर : इनस्पेक्टर विक्रम रेतोड …..प्यार से लोग मुझे विक्की कहते हैं …..हां तो कैसे हुआ ये.

सुनील : मतलब ????

विक्रम : ये लड़की आपकी कॉन लगती है और उसने नींद की गोलियाँ क्यूँ खाई…यानी स्यूयिसाइड करने की कोशिश क्यूँ करी.

सुनील : रूबी मेरी बहन है …..और आप से ज़्यादा मुझे जल्दी है ये जानने के लिए कि ऐसा क्यूँ हुआ.

विक्रम : जब ये हादसा हुआ….आप कहाँ थे …….और आपके साथ ये मोहतार्मा कॉन हैं.

तब तक सुमन और सविता वहाँ पहुँच गये……इससे पहले सुनील कुछ जवाब देता :
सुमन : इनस्पेक्टर……आवाज़ बर्फ की तरहा सर्द थी.

विक्रम अपनी नज़रें सुमन की तरफ फेरता है और उसके चेहरे को पहचानने की कोशिश करने लगता है….

विक्रम : आप आप कहीं मरहूम डॉक्टर सागर की वाइफ डॉक्टर. सुमन तो नही.

सुमन : बिल्कुल ठीक पहचाना….अंदर जो मोत से लड़ रही है वो मेरी भांजी है…ये सुनील है मेरा बेटा और ये सोनल है मेरी बेटी..मेरे साथ सविता है मेरी छोटी बहन और रूबी की माँ. हम लोग मालदीव गये हुए थे कल ही वापस पहुँचे… पीछे घर पे सविता और रूबी ही थे. जब हम पहुँचे तो सविता ने दरवाजा खोला था …..हम लोग हाल में बैठ बातें कर रहे थे ….तब सोनल रूबी के कमरे में गयी तभी हमे इस हादसे का पता चला और सुनील और सोनल ---रूबी को यहाँ ले आए. और कुछ पूछना है आपको.

विक्रम : अगर आप डॉक्टर.सागर की वाइफ नही होती तो मेरा रवईया आपके साथ कुछ और होता. एक बार डॉक्टर. सागर ने मेरी वाइफ की जान बचाई थी..तब से उनका कर्ज़दार हूँ….अब तो ये केस मेरा पर्सनल केस बन गया है……..क्या आपको कोई लेटर कोई नोट मिला रूबी के हाथों लिखा हुआ..

सुमन : इतना होश ही कहाँ रहा जो ये सब सोचते. अगर ऐसा कुछ मिला तो आपको ज़रूर इनफॉर्म कर दूँगी.

तभी आइसीयू से डॉक्टर. बाहर आता है…..वो बहुत सीरीयस लग रहा था. वो सुमन को जानता था.

सुमन जी ……..आगे वो बोलता बोलता रुक गया.

सुनील : डॉक्टर. रूबी को होश आ गया??? ठीक है ना वो……?

डॉक्टर. ……..आइ’म सॉरी….शी हॅज़ गॉन इंटू कोमा.

सविता ………न्न्टर.ननणन्नाआआआअहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईई और लहराते हुए गिर पड़ी. वो बेहोश हो चुकी थी सदमे से.

बाकी सब तो पत्थर बन गये.

सुनील ……नही…नही ये ये नही हो सकता….उसे होश में आना पड़ेगा…..

सोनल भी रोने लगी और सुनील से लिपट गयी.

विक्रम और डॉक्टर. ने सविता को संभाला और उसे रूम में ले गये.

सुमन …….पत्थर बनी खड़ी रही.

कुछ देर मैं सुमन ने खुद को संभाल लिया और सुनील और सोनल को अपने गले लगा लिया…’कुछ नही होगा उसको …मैं खुद अब उसका ट्रीटमेंट चेक करूँगी …..और यूँ कमजोर होने की ज़रूरत नही ….मैं रूबी को चेक करती हूँ…तुम दोनो सवी को सम्भालो.’

ये कह कर वो आइसीयू में घुस गयी.

तभी नर्सस की ड्यूटी चेंज हुई …..उनमे से एक नर्स जब रेस्ट रूम पहुँची तो अपने मोबाइल से एक मेसेज किसी को भेजती है ‘वो कोमा में आ चुकी है’ मसेज भेजने के बाद वो उसे डेलीट कर देती है.

सुमन रूबी की वाइटल्स चेक करती है…..केस इतना भी खराब नही हुआ था…रूबी होश में आ सकती थी… पर कब …ये तो उपरवाला ही जाने.

विक्रम हॉस्पिटल से निकल सीधा कॉलेज जाता है और रूबी के बारे में पूच ताछ शुरू कर देता है…उसकी सहेलियाँ कॉन थी…फिर हर सहेली से अलग अलग मिल ना जाने कितने सवाल करता है.

रूबी के स्यूयिसाइड अटेंप्ट की खबर आग की तरहा पूरे कॉलेज में फैल चुकी थी…. और सब को एक ही डर लग रहा था…..सुनील……..कब क्या कर दे अब….
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01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील और सोनल उस कमरे में गये जहाँ सवी थी…जैसे जैसे सुनील के कदम उस कमरे की तरफ बढ़ रहे थे उसके चेहरा पत्थर की तरहा सख़्त होने लग गया था.
कमरे में सवी होश में आ चुकी थी ..,.दो नर्स उसे संभालने की कोशिश कर रही थी …..मेरी रूबी को बचाओ…मेरी रूबी को बचाओ ….मुझे उसके पास जाना है…

सोनल सवी के पास लपकी…..’शांत हो जाओ मासी…..खुद को सम्भालो….कुछ नही होगा उसे ….आपकी दीदी देख रही है ना उसे….कुछ नही होगा…वो ठीक हो जाएगी…….’

सुनील ने नर्सस को बाहर जाने का इशारा किया. सवी की हालत देख उसके अंदर क्रोध का जवालामुखी फट पड़ा था …..पहले उसे गम था ….ये गम अब आग में तब्दील हो चुका था….जिसकी भी वजह से रूबी के ये हालत हुई है…उसे तो पाताल से भी ढूंड निकालेगा…और वो हश्र करेगा …कि दुनिया के लिए एक इबारत बन जाए.

वो सवी के पास बैठ गया. इस वक़्त उसकी आँखों में सवी के लिए नफ़रत नही थी.

बिलखती हुई सवी को उसने अपनी बाँहों में ले लिया……’क्या है ये सब….एक डॉक्टर हो तुम और एक आम इंसान की तरहा हार मान ली ……कुछ नही होगा उसे…….मैं हूँ ना ‘ और सुनील ने अपने होंठ सवी के होंठों से चिपका दिए ……सवी को हिस्टीरिया से बाहर निकालने का बस यही एक रास्ता था और सुनील इस्पे अमल कर गया.

सोनल ने जब ये देखा तो मुस्कान आ गयी उसके चेहरे पे….इस वक़्त वो एक फ़र्ज़ निभा रहा था…..वो जानती थी….इस कृत्य में वासना लेश मात्र भी माजूद नही.

सवी का रोना उसका बिलखना बंद हो गया….उसे एक सहारा मिल गया था….एक ऐसा सहारा….जो उसके और रूबी के लिए कुछ भी कर सकता था.

सवी सुनील से लिपट गयी… उसका आतमविश्वास लोटने लग गया.

सुनील ने अपने होंठ हटा लिए …..’एक कमजोर औरत नही …..एक बहादुर माँ और एक काबिल डॉक्टर चाहिए मुझ को’ सवी के लिए तो सुनील का कहा हुकुम के बराबर था. उसके चेहरे पे धृड़ता आने लगी ….’मैं एक डॉक्टर के नाते अपनी बेटी को देखना चाहती हूँ…’ 

‘अभी सूमी उसके पास है…भरोसा रखो….आने दो उसे……सोनल टेक केर …..मैं अभी आता हूँ’ ये कह सुनील बाहर निकल गया.

बाहर निकल सुनील इनस्पेक्टर विक्रम को फोन मिलाता है …..’इनस्पेक्टर विक्रम…….10 दिन ….दस दिन हैं आपके पास ………उसके बाद मैं अपनी कार्यवाही शुरू कर दूँगा…..डॉन’ट ब्लेम मी देन. और हां आधे घंटे के अंदर मुझे रूबी की सेक्यूरिटी का पूरा इंतेज़ाम चाहिए.’

विक्रम जैसा इनस्पेक्टर भी एक बार अंदर तक हिल गया था …..इतना कह सुनील ने कॉल कट कर दी और किसी और को फोन मिलाने लग गया.

सुनील ने बस इतना कहा ‘कल मिल हर हालत में’ उधर से कुछ कहा गया और फिर कॉल कट हो गयी.

फिर सुनील को एक फोन आया ----बतानेवाले ने सिर्फ़ इतना बताया कि कमल ने रूबी को ओपन्ली प्रपोज़ किया था. 

इस कॉल के बाद सुनील का माथा ठनका….ओपन्ली प्रपोज़ करना ….फिर ऐसी हालत में सीधा शादी की बात करना…कहीं…..परदा डालने की कोशिश तो नही हो रही ….लेकिन कमल ऐसा तो नही है……क्या पता …..कभी कभी हुस्न की चाहत भी गुनाह करवा देती है ….अगर ऐसा हुआ तो……..सुनील कुछ सोच चुका था.

सुनील ने फिर किसी को फोन किया ……’मुझे कमल की पूरी जनम पत्रि चाहिए …कल शाम तक’

तभी सुमन आइसीयू से बाहर निकली …. वो इतना टेन्स नही थी………दोनो अकेले थे आसपास कोई नही था….

सुमन ने सुनील के कंधे पे हाथ रखा……. ‘वो होश में आ जाएगी …लेकिन कब …अभी ये कहना मुश्किल है’

एक ठंडी सांस भरी सुनील ने और दोनो सवी के पास चल दिए. सुमन ने उन दोनो को भी अपडेट किया. सवी रूबी के पास चल दी. जब तक सवी आइसीयू से बाहर निकलती ….3 कॉन्स्टेबल आ चुके थे रूबी की सेक्यूरिटी के लिए.

इस सब में वक़्त कैसे गुजरा पता ही ना चला…..शाम हो चुकी थी.

सवी बाहर आई तो कुछ शांत लग रही थी. शायद उसे भी यकीन हो गया था कि रूबी होश में आ जाएगी.

उसके बाद सवी ने तीनो को कसम दे कर घर भेज दिया और खुद रूबी के पास रुक गयी.

शाम तक विक्रम कॉलेज के आधे स्टूडेंट्स और सारे प्रोफेस्सर्स को इंटेरगेट कर चुका था. रूबी का कॅरक्टर एक दम पाक सॉफ निकला और कोई भी ऐसा नही मिला जिसपे वो शक कर सके …सिवाए इसके कि कमाल का व्यवहार कुछ अजीब बताया गया था.
1. ओपन्ली प्रपोज़ करना
2. हर रोज कॉलेज के गेट पे खड़े रहना जब तक रूबी आ नही जाती.
3. कॉलेज की कॅंटीन में गाना गाना और फिर दोनो की बातचीत

(अभी उसे ये नही पता था कि कमल ने सुबह शादी का प्रस्ताव रखा था सुनील के सामने)

इसके अलावा कमाल ने कोई ऐसी हरकत नही करी थी जो शक को पुख़्ता करती …इसके बाद किसी ने कमल को कभी जबरदस्त रूबी को रोकते हुए नही देखा और ना ही कभी दोनो को बात करते हुए देखा.

दिमाग़ घूम गया विक्रम का ……अब उसे इंतजार था सुमन की कॉल का …क्या कोई स्यूयिसाइड नोट मिला या नही…फिर भी उसे एक बार तो रूबी के कमरे की तलाशी तो लेनी ही होगी….उसने अगले दिन तलाशी के वॉरेंट के लिए अप्लाइ करने का सोच लिया.
शाम तक वो काफ़ी थक चुका था…और बाकी का इनटेरगेशन अगले दिन पे टाल वो पोलीस स्टेशन की तरफ बढ़ गया और अपनी रिपोर्ट लिखने लगा.

जयंत जौंक की तरहा कमल के साथ चिपक गया था…उसकी हर हरकत पे नज़र रख रहा था.

तीनो जब घर पहुँचे तो सुमन ने बिल्कुल हिट्लर का रूप लेते हुए सोनल और सुनील को हुकुम दे डाला……फ्रेश हो कर उसी के कमरे में आराम करने का…जब तक वो खाना रेडी करती है.

सुनील ने उसे मना कर दिया….कि वो भी आराम करेगी…खाना बाहर से आ जाएगा.

सुमन दोनो को अपने कमरे में ले गयी. कल के सफ़र के बाद सोनल और सुनील को एक पल के लिए चैन नही मिला था और ना ही सुमन रात भर सो पाई थी.
सुमन ने खाना ऑर्डर कर दिया और तीनो के लिए विस्की के तीन पेग तयार कर लिए. आज वाइन और वोडका से कुछ नही होनेवाला था.

सोनल और सुनील के दिमाग़ में वो लेटर घूम रहा था….दोनो की आँखों में बात हुई और कुछ देर बाद रूबी के कमरे में जाने का सोच लिया. सोनल सुनील को ले बाथरूम में घुस गयी और सुमन ….सोनल के कमरे में जा कर उसका नाइट गाउन ले आई …..सुनील के कपड़े तो अब उसके ही कमरे में थे…उसका भी नाइट सूट निकाल लिया और अपनी साड़ी उतार ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर पहले माथे पे बिंदिया लगाई…अपनी माँग सिंदूर से भरी और अपना मंगल सूत्र पहन लिया….विधि की विडंबना एक सुहागन हो उसे दुनिया के सामने विधवा का रूप धारण करना पड़ता था.

अपनी साड़ी उतार वो ब्लाउस और पेटिकोट में ही बिस्तर पे बैठ गयी और दोनो का इंतेज़ार करने लगी…….इस हादसे ने उसे बूरी तरहा हिला दिया था…..बैठे बैठे वो विस्की की हल्की हल्की चुस्कियाँ लेने लगी.

बाथरूम के अंदर सोनल ने सुनील के कपड़े उतारे और अपने भी उतार डाले ….सुनील कुछ बोलने वाला था की सोनल ने उसके मुँह पे हाथ रख दिया और उसे वहीं एक स्टूल पे बैठ ने का इशारा किया. सुनील चुप चाप बैठ गया और सोनल उसके पीछे आ गयी और वहीं रॅक से एक आयिल निकाल अपने हाथों पे डाला और सुनील के कंधों का मसाज करने लगी.. उसके कोमल हाथों के स्पर्श से ही सुनील की सारी थकान जाती रही. सुनील ने उसे रोकने की कोशिश करी … वो भी तो उतना ही थकि हुई थी…पर सोनल ना मानी.

सोनल ने अच्छी तरहा सुनील के जिस्म का मसाज किया और उसे नहा कर बाहर जाने को कहा…पर सुनील कहाँ मानने वाला था…उसने भी सोनल के जिस्म का अच्छी तरहा मसाज किया फिर सोनल बाथ टब में लेट गयी और गरम पानी से अपने जिस्म की सिकाई करने लगी…सुनील शवर बाथ ले बाहर निकल गया. 

सुनील ने बाहर जा अपना नाइट सूट पहना और सूमी के पास जा के बैठ गया.

‘क्या सोच रही हो’

‘यही की हमारी खुशियों को ग्रहण क्यूँ लग जाता है …..रूबी की बड़ी चिंता हो रही है….पता नही क्या गुजरा हुआ होगा उसके साथ जो उसने ये कदम उठा लिया.’

अचानक सुनील के दिमाग़ में कुछ खटका और उसने फट से सवी को फोन कर दिया.

‘सवी…रूबी का अच्छी तरहा चेक अप करो और डॉक्टर से भी बात करो …कहीं रेप …या रेप अटेंप्ट तो नही हुआ……मुझे जल्दी फोन करो वापस’

सुमन हैरानी से सुनील को देखने लगी …ये बात उसके दिमाग़ में क्यूँ नही आई ……उसके सामने रूबी घूमने लगी….उसके कंधे पे चोट का निशान था ….जिसे उसने ज़्यादा महत्व नही दिया था.

सूमी : उसके कंधे पे चोट का निशान है. ओह गॉड ये बात मेरे दिमाग़ में क्यूँ नही आई.

सुनील : हो जाता है …..मेरे दिमाग़ में भी तो अभी आई है. सवी का फोन आने दो…चोट किसी और वजह से भी लग सकती है.

सुनील ने अपना ड्रिंक उठा लिया ….ये कोई खुशी का मोका नही था जो चियर्स करते.


जब तक सोनल बाथरूम से निकली खाना डेलिवर हो गया था. सुनील खाना वहीं कमरे में ले आया…सुमन उठ के किचन से प्लेट्स वागेहरा ले आई.

सोनल को इतनी भूख लगी हुई थी कि नाइट गाउन पहने बिना ही सिर्फ़ एक टवल में खाना खाने बैठ गयी.
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01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
खाना आते ही सुनील ने अपना ग्लास खाली कर दिया था और सूमी को बस एक आँख के इशारे से एक और पेग बनाने को बोल दिया था……ये रात चाह कर भी शायद ये तीनो सो ना पाए… सुनील बेसब्री से सवी के फोन का इंतेज़ार कर रहा था.

‘सोनल…मेक श्योर सवी कुछ खा ले….’ वो खुद सवी को इस बारे में फोन नही करना चाहता था… कि कहीं सवी उस चुंबन का कोई ग़लत मतलब ना निकालने लग जाए. उसका मक़सद बस उसे हिस्टेरिकल अटॅक से बाहर निकालने का था और कुछ नही.

खाना ख़तम हुआ …..सवी का फोन आ गया……..रूबी का रेप नही हुआ था….पर जिस्म पे चोटों के काफ़ी निशान थे जैसे हाथा पाई करी गयी हो. अटेंप्ट टू रेप वाज़ सर्टन.

सुनील का खून खोल उठा… उसने उसी वक़्त विक्रम को कॉल करी और सारी बात से अवगत करवाया…….

और खुद ही उसे रूबी के कमरे की तलाशी लेने अगले दिन सुबह बुलवा लिया.

भूकंप आ गया था घर में.

एक बहन को उसने बचा लिया था दूसरी को……ये सोच सोच उसका दिमाग़ फटने लगा और विस्की की बॉटल उठा सीधा मुँह से लगा ली.

सोनल और सूमी दोनो उसकी तरफ लपकी…. और बॉटल मुँह से खींच ली.

‘जान से मार दूँगा उसे … जो भी हो……..’ दहाड़ उठा था सुनील. एक शेर घायल हो गया था.

‘जानू कंट्रोल करो खुद पे …….आवेश ग़लतियाँ करवाता है……..प्लीज़ जान’ सोनल उस से लिपट के बोली.

सुनील इस वक़्त इतना गुस्से में आ चुका था कि उसका चेहरा भट्टी की तरह दाहक रहा था…उसकी नसें फूल चुकी थी ….जिस्म कांप रहा था.

सुमन भी उस से लिपट गयी ‘शांत …..शांत मेरी जान…..जंग आवेश में नही लड़ी जाती …जिसने भी हमारी इज़्ज़त पे डाका डालने की कोशिश करी है – उसे उसके अंजाम तक पहुँचाएंगे…….पहले आप शांत हो जाओ जानू ….प्लीज़’

प्यार तोड़ देता है आवेश को पर जनम देता है भावनाओं को …….सुनील टूट गया ….वो धम्म से बिस्तर पे गिर गया अपने साथ दोनो को ले कर…..’मैं अपनी बहन की रक्षा नही कर पाया……डॅड ….सॉरी….सॉरी….’ वो रो पड़ा.

‘तुम्हारा कोई दोष नही है जान…प्लीज़ खुद को दोषी मत समझो’ तुम जैसा भाई तो किस्मत वालों को मिलता है …….और ये तुम ही थे ….तुम्हारी शक्ति थी उसके पीछे….जिसने रूबी को ताक़त बख्शी थी……हर वक़्त साथ तो कोई किसी के साथ नही रह पाता…पर तुम्हारा प्यार उसके साथ था…तुम्हारा दिया हुआ कॉन्फिडेन्स उसके साथ था…’ खुद को दोषी मत समझो मेरी जान सुमन उसके चेहरे को चूमते हुए बोली.

सुनील को संभालते संभालते रात के 12 बज गये……..

सुनील : सोनल वो वो लेटर ले के आ अभी 

सोनल भागी रूबी के रूम की तरफ 

और इसी वक़्त कमल अपने बिस्तर से उठा ….जयंत की तरफ एक नज़र डाली जो सो चुका था.
चुप चाप कमरे से बाहर निकल गया. 

गर्ल्स होस्टल के अंदर कुछ देर बाद एक शख़्श घुसा पूरी तरहा नक़ाब के पीछे छुपा हुआ…….धीरे धीरे चारों तरफ देखते हुए वो एक कमरे की तरफ बढ़ रहा था…..तभी कुछ खटका हुआ और वो एक पिल्लर के पीछे छुप गया.

वॉर्डन अपने कमरे से निकली थी रात का दौरा करने.
करीब 15 मिनट बाद वो अपने कमरे में चली गयी थी ……..और वो शख़्श पिल्लर के पीछे से निकला और एक कमरे की तरफ बढ़ने लग गया जैसे कि पहले से ही जानता हो उसे किस कमरे की तरफ बढ़ना था.

कमरे के पास पहुँच ….वो नॉक करता है …..एक लड़की की आवाज़ निकलती है …..जिसे सुन अंदर का शख़्श दरवाजा खोल देता है ये बोलते हुए तू तो कल आनेवाली थी……….उसी वक़्त उसके मुँह पे एक टेप चिपक जाती है ----नक़ाब वाला उसे अंदर धकेल घुस जाता है ……दरवाजा बंद होता है ….फिर एक घिनोना काम शुरू होता है कि उपरवाला भी ये सोचने पे मजबूर हो जाता है …..मैने इंसान क्यूँ बनाया ……जाते जाते वो शख़्श उस लड़की की छाती पे एक चाकू से के खोद के चला जाता है.

वो लड़की अधमरी सी पड़ी कोस रही थी उस घड़ी को ---जिस घड़ी उसे लड़की के रूप में जनम लेना पड़ा…….

यहाँ…….इस दोरान सोनल वो लेटर ले आई थी और सुनील को थमा दिया ……….सुनील उसे पढ़ने लग गया

जैसे जैसे वो उस लेटर को पढ़ता गया उसके मुँह में क़ुनैन की गोलियाँ घुलती चली गयी अभी उसने दो पेज ही पढ़े थे कि उस लेटर को फेंक दिया……और सोचने लग गया ------ये लेटर नही हो सकता ……रूबी की हालत का कारण ……सवी ने अटेंप्ट तो रेप बताया था.

सुमन ने वो लेटर उठा लिया और पढ़ने लग गयी……

‘आपके लिए कॉफी ………’ बहुत ही हिचकिचाते हुए सोनल बोली….

सुनील बस उसे थाम उसके पेट से अपने चेहरे को लगा लिया…जैसे एक बच्चा दौड़ता हुआ आके अपनी माँ से चिपकता है ….ये लेटर और अटेंप्ट टू रेप ….पागल हो गया था सुनील…..

सुमन वो लेटर पढ़ती चली जा रही थी और उसके चेहरे पे किसी के लिए गृहण के भाव उत्पन्नर होते हुए गहरे होते जा रहे थे.

तभी सवी का फोन आता है ……रूबी होश में आ गयी थी.

सुमन वो लेटर फेंक देती है और तीनो हॉस्पिटल की तरफ रवाना हो जाते हैं.

क्या था ये लेटर जो पढ़ते हुए सुनील फेंक देता है और सुमन के चेहरे के भाव बदलते रहते हैं.



रास्ते में सुनील विक्रम को फोन कर देता है …..जो इस वक़्त आए फोन से पहले खुंदक में आता है फिर जब …..सुनील की दहाड़ से नींद खुलती है तो वादा कर हॉस्पिटल के लिए रवाना हो जाता है.

रूबी बस सुनील से ही मिलना चाहती थी….होश में तो पहले ही आ चुकी थी…पर उसका अवचेतन मश्तिस्क चेतन मश्तिस्क पे हावी हो रहा था…..एक जंग लड़ रहा था वो…रमण…कमल…सुनील के बीच….किसकी होना चाहती थी वो……ये फ़ैसला लेना उसे बहुत कठिन लग रहा था…..सारे तर्क वितर्क चलते रहे और अंत में उसकी आँखें खुली होंठों पे एक ही नाम था सुनील…….

सब हॉस्पिटल पहुँच गये….तब तक रूबी को आइसीयू से शिफ्ट कर दिया गया था…..सवी उसके पास ही थी…लेकिन रूबी उस से कोई बात नही कर रही थी….उसे इंतेज़ार था….केवल एक का….उसका सुनील….जो फ़ैसला उसके अवचेतन मस्तिष्क ने लिया था…..वो उसकी रूह की आवाज़ थी….वो अपने मोहसिन को पहचान चुकी थी….एक डर था उसके अंदर कहीं उसका मोहसिन उसे ठुकरा ना दे….झूठी जो हो चुकी थी वो…मुरझा चुकी थी…और मुझाए हुए फूल देवता के चरणों में अर्पित नही किए जाते….क्या उसका देवता उसे नया जीवन…नयी आस देगा…क्या वो उसे कबूल करेगा…या छोड़ देगा….अनदेखी राहों में भटकने के लिए …जहाँ चील कौवे तयार बैठे हैं उसका माँस नोचने के लिए…..

रूबी के दिल से एक आवाज़ निकल रही थी अपने सुनील के लिए


बिन पुच्छे मेरा नाम और पता
रस्मों को रख के परे
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे 

बिन पुच्छे मेरा नाम और पता
रस्मों को रख के परे
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे 


बिन कुछ कहे, बिन कुछ सुने
हाथों में हाथ लिए
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे

हे.. बिन कुछ कहे, बिन कुछ सुने
हाथों में हाथ लिए
चार कदम बस चार कदम
चल दो ना साथ मेरे

आँखें दरवाजे पे टिकी हुई थी........उसके इंतेज़ार में.

सुनील भागता हुआ अंदर कमरे में घुसा…..जैसे ही उसकी नज़रों से रूबी की नज़रों चार हुई ….एक आस …एक प्रार्थना….एक इल्तीज़ा उसकी आँखों में सॉफ सॉफ देखी उसने…..पर उनको उसने ग़लत समझा….वो उन्हें एक भाई के लिए समझ रहा था….

सुनील उसके पास जा के बैठ गया……क्यूँ किया तूने ऐसा…..कॉन था वो…….इस भाई का ज़रा भी ख़याल नही आया……देख अपनी माँ को……बिखर गयी है वो……..

रूबी ने अपनी नज़रें सवी की तरफ करी जैसे कह रही हो…हमे अकेला छोड़ दो. सवी बाहर चली गयी.

सुनील ……..कॉन था वो…..

रूबी ….ने अपनी बाहें फैला दी……….अपने मोहसिन को अपनी बाँहों में समेटने के लिए…….

सुनील उठ के उसके उपर झुक गया और रूबी ने उसे अपनी बाँहों के घेरे में ले लिया…..कितना सकुन मिला था उसे…..उसके होंठ धीरे से बस इतना ही बोले……’आपको छोड़ के कैसे जाती…..आ गयी ना वापस……डर गयी थी….मेरा देवता इस झूठे फूल को स्वीकार करेगा या ठुकरा देगा.’

सुनील हिल गया….ये एक बहन नही बोल सकती…..वो फटी आँखों से रूबी को देखने लगा…….उसे अपने कानो पे जैसे भरोसा ही उठ गया…….बहुत ही सर्द भरी आवाज़ निकली उसके मुँह से……कॉन था वो…

‘अंधेरा था…उसने नक़ाब ओढ़ा हुआ था….मेरे मुँह पे टेप चिपकाने की कोशिश करी…पर किसी तरहा मैं भाग निकली..शायद उस वक़्त आप थे मेरे साथ …पता नहीं कहाँ से ताक़त आई मुझ में और उसके चुंगल से निकल भागी…घर पहुँची किसी तरहा…..तो रमण का लेटर मिला…..वो पढ़ने के बाद जीने की इच्छा ही ख़तम हो गयी……क्यूँ किया उसने मेरे साथ ऐसा….क्यूँ किया मेरे साथ प्यार का ढोंग….बस मेरा जिस्म पाने के लिए ….और छलनी कर दिया मेरी आत्मा को’ बिलख बिलख के रोने लगी…..

सुनील उस से अलग हुआ उसके माथे को चूमते हुए बोला…..तेरा भाई आ गया है…सब ठीक कर देगा….अभी तू सदमे में है ….इसलिए उत्पाटांग सोच रही है…..खैर ठीक हो जा फिर बात करेंगे….

तब तक विक्रम भी आ गया और रूबी का ब्यान लेके चला गया….रूबी ने रमण के लेटर वाली बात छुपा ली…थी….लेकिन विक्रम ने उस वक़्त कुछ नही बोला…..बस दिमाग़ में एक शक़ ले कर चला गया….लॉट के फिर आने के लिए.

सुमन…..सोनल….सवी तीनो अंदर आ गये थे जब विक्रम अंदर आया था. सुनील कमरे से बाहर निकल गया…..उसके कदम बाहर निकल रहे थे और रूबी का दिल रो रहा था….ये मुरझाया हुआ फूल उसके देवता ने ठुकरा दिया था.

कमरे से बाहर सुनील निकल हॉस्पिटल के बाहर जा खड़ा हो गया…..रूबी के अल्फ़ाज़ उसके कानो में गूँज रहे थे और वो तड़प रहा था….ऐसा क्यूँ हो रहा था उसके साथ….घर की सभी औरतें उसे ही क्यूँ पसंद करने लगी थी……आख़िर ऐसा क्या था उसमे ……अपना फ़र्ज़ को निष्ठापूर्वक निबाने का मतलब ये तो कभी नही होता कि वो उनके दिलों में इस तरहा बस जाए …कि उन्हें कोई और दिखे ही नही….ये कॉन सा खेल खेला जा रहा था उसके साथ…क्यूँ बार बार उसकी मर्यादा के सामने चुनोतियाँ आ कर खड़ी हो जाती थी….अगर रमण ने उसका दिल तोड़ा तो इसका मतलब ये तो नही कि उसे जोड़ने की ज़िम्मेदारी भी उसे ही उठानी पड़े…..दिमाग़ फटने लग गया उसका…….कुछ देर बाद सोनल भी उसे ढूँढते हुए बाहर आ गयी.

सुनील की मुद्रा बता रही थी की वो किसी गहरी सोच में है. 

‘आप यहाँ क्यूँ आ गये…..चलिए अंदर’

‘तुम सूमी को बुला लाओ……घर चलते हैं….सवी रुक जाएगी रूबी के पास हम सुबह फिर आ जाएँगे’

सोनल कुछ देर सुनील को देखती रही सॉफ पता चल रहा था….वो लड़ रहा था अपने आपसे. एक ठंडी सांस छोड़ते हुए वो अंदर चली गयी सूमी को बुलाने के लिए.
फिर तीनो घर की तरफ निकल पड़े. सूमी ने भी ये नोट कर लिया था कि वो कुछ सीरीयस है ….कुछ सोच रहा है….शायद रूबी पे किसने अटॅक किया था उसके बारे में सोच रहा हो.

रास्ते में कोई बात नही हुई. 

घर पहुँच तीनो बिस्तर पे ढह गये. सुनील की आँखों से नींद कोसो दूर जा चुकी थी…

सोनल उसके साथ चिपक गयी ….’क्या बात है….जब से रूबी से मिले हो बहुत ही टेन्षन में लग रहे हो…एक ना एक दिन तो पकड़ा जाएगा वो आदमी जिसने रूबी के साथ जबरदस्त करने की कोशिश करी’

‘बात ये नही है यार ….बात कुछ और है…..’

‘ऐसी क्या बात हो गयी….अगर ये बात नही है तो’

सुनील सोनल को देखने लगा और उसके वक्षों पे अपना सर रखते हुए बोला ……वो बेवकूफ़ अपनी माँ की तरहा मुझे पाने की तमन्ना कर रही है’

कककककक्क्क्ययययययययययाआआआआअ ?????? सोनल के साथ साथ सुमन भी चीख पड़ी.

‘हां मुझे अपना देवता मानने लगी है…….उफफफफफ्फ़ उसका ये पागलपन जल्दी ठीक करना होगा …….’

सोनल और सुमन …जो अब तक उठ के बैठ गयी थी वो सुनील को देख रही थी.. तभी सुमन झुकी और अपने होंठ उसके होंठों से सटा एक छोटा सा चुंबन करते हुए बोली…..आप परेशान मत हो…..सब ठीक हो जाएगा…..हम समझा देंगे उसको.

तीनो लेट गये पर नींद तीनो की गायब हो चुकी थी…..तीनो ही सोच रहे थे कि रूबी को कैसे समझाएँ. 

सोनल को अपने दिन याद आ गये …..कितना समझता था सुनील उसको …..पर वो अपने दिल के हाथों मजबूर हो चुकी थी….तड़पति रही पर सुनील को प्यार करना उसे चाहना ना छोड़ा…..अगर यही हाल रूबी का है तो….तो…..आगे वो सोच ना सकी……वो अपना प्यार किसी से बाँट नही सकती थी….सूमी की बात और थी….और सबसे ज़यादा उसे तकलीफ़ हो रही थी ये सोच के कि इस वक़्त उसके सुनील को कितनी तकलीफ़ हो रही होगी.

सुमन का भी कुछ ऐसा ही हाल था……रूबी को मजबूर कर सकते थे कि वो सुनील से दूर रहे…पर उसके दिल से सुनील को कैसे निकालें….जब वो अपना प्यार सवी से बाँटने को तयार ना हुई तो रूबी का तो सवाल ही नही उठता…..उसे बस एक ही रास्ता नज़र आया……रूबी को सुनील से दूर करना ही पड़ेगा…..ना सुनील उसकी नज़रों के सामने होगा….ना उसके दिल में सुनील के प्यार की जड़ें गहरी होंगी…..पर कैसे दूर करें….उसके करियर का भी सवाल है….दिमाग़ फटने लगा उसका.

सुनील सोचते सोचते फ़ैसला ले चुका था….उसे खुले शब्दों में रूबी को ना करना होगा…..कि उसके बारे में सोचना छोड़ कोई और अच्छा जीवन साथी चुने…..एक बार तो कमल भी उसके दिमाग़ में आया……..पर जिस तरहा कमल ने प्रस्ताव रखा था….वो सुनील की नज़रों में गिर चुका था. अभी बस उसके दिमाग़ को उसके करियर की तरफ मोड़ना ही उसे अंत में ठीक लगा.
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01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अब ज़रा चलते हैं उस वक़्त जब सुनील रूबी के कमरे से बाहर निकल गया था और अंदर रह गयी थी सुमन, सोनल और सविता ….रूबी के पास.

रूबी के बहते हुए आँसुओं का सुमन ने कोई और मतलब निकाला.

सुमन उसके माथे को चूमते हुए बोली ‘ना बेटी रोते नही …..सब ठीक हो जाएगा….हम सब हैं ना तेरे साथ और हमसे ज़यादा तो जान छिड़कने वाला भाई है तेरे पास…..तू तो बहुत बहादुर है मेरी बच्ची जो उस शैतान के चुंगल से निकल भागी…..बस अब नही रोना …नही तो हम सब को तकलीफ़ होगी ….और हमसे ज़यादा तेरे भी को अगर उसने तुझे रोते हुए देख लिया.’

रूबी कैसे बताती कि आँसू क्यूँ निकल रहे हैं.

सोनल : गुड़िया बस …..भूल जा रमण को ….एक गंदा इतिहास समझ कर….नये सिरे से शुरू कर अपनी जिंदगी….हम सब तेरे साथ ही तो हैं……सोनल ने उसे अपने गले लगा लिया.

बिल्लख पड़ी रूबी …….’दीदी मैं बर्बाद हो गयी…कहीं की नही रही….’

सविता : बस मेरी बच्ची बस ……कुछ नही होगा तुझे ….देख तेरा भाई तेरे लिए बहुत अच्छा लड़का ढूंढेगा ….सारी जिंदगी खुश रहेगी तू…….और अभी बेटी अपने करियर पे ध्यान दे…..अभी तुझे अपनी डिग्री पूरी करनी है….एक अच्छा डॉक्टर बनना है.

सविता प्यार से उसके सर पे हाथ फेर रही थी.

सुमन : बस तुझे हमारी कसम…..अब नही रोना….

सुबक्ती हुई रूबी सोनल के साथ कस के चिपक गयी.

सोनल ……बस यार अब आराम कर ……..और सोनल को लिटा देती है बिस्तर पे…….मैं उन्हें देख के आती हूँ …कहाँ चले गये….

बॉम्ब तो फट गया था….पर रूबी अपने ख़यालों में थी जो समझ ना पाई कि 

सोनल…….सुनील को किस तरहा अड्रेस कर रही है.

सुमन ने चैन की सांस ली. और रूबी के सर पे प्यार से हाथ फेरती रही. सवी को वो चुंबन याद आ रहा था जो आज सुनील ने उस किया था…..दिल में फिर से उमंगे जाग पड़ी थी……कुछ पल वो सुनील के बारे में सोचती और कुछ पल रूबी के बारे में…..लेकिन फिर उसने सुनील के बारे में ही सोचना शुरू कर दिया….क्यूंकी वो जानती थी….सुनील उसकी बेटी के लिए कुछ भी कर जाएगा.


कुछ देर बाद सोनल आई और सुमन को साथ ले चली….दोनो ने जाते वक़्त रूबी के माथे पे किस किया और सुबह आने का बोल बाहर निकल पड़ी.

सविता भी कुछ देर के लिए रूबी के साथ लेट गयी और उसे सुलने की कोशिश करने लगी. 

यहाँ जयंत अपने कमरे में सो रहा था इस बात से बेख़बर की कमल कमरे से बाहर चला गया था वो भी रात के 12 बजे.
करीब 2 घंटे बाद कमल लोटा …..उसके बाल बिखरे हुए थे…चेहरे पे खरॉच के निशान थे…उसने कुछ पल जयंत को देखा और फिर अपने बिस्तर पे लेट सो गया.

यहाँ घर में तीनो पासे बदल रहे थे नींद किसी को नही आ रही थी ……….दोनो ही सुनील को परेशान नही देख सती थी. शायद दोनो के दिल एक ही बात बोल रहे थे सोनल और 
सूमी एक साथ उठी और अपने नाइट गाउन का टॉप उतार फेंका …….सुनील का मुँह इस वक़्त सोनल की तरफ था……

सोनल उसके साथ ऐसे चिपकी के सुनील का मुँह बिल्कुल उसके निपल से सट गया और सुमन पीछे से उसकी पीठ से चिपक अपने उरोज़ उसकी पीठ से रगड़ते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगी

सुनील के होंठ अपने आप खुल गये और वो सोनल के निपल को चूसने लग गया.

अहह सोनल सिसकी …….पी जाओ मुझे जान और सकूँ दो अपने आप को…..ताकि आप को नींद आ जाए.
‘सो जाओ जाने मन’ सुमन उसकी गर्देन को चाटते हुए बोली.

सोनल के निपल को चूसते चूस्ते सुनील वाक़्य में सो गया ……..और सोनल….सूमी भी उसके साथ चिपकी हुई सो गयी.


रूबी को नींद नही आ रही थी पर सविता सो जाए इस लिए उसने अपनी आँखें बंद कर ली ताकि सविता को यही लगे की वो सो चुकी है…कुछ देर बाद सविता दूसरे बिस्तर पे जा के सो गयी ….रूबी के दिमाग़ में रमण और सुनील का कंपॅरिज़न चलने लगा …….सागा भाई उसका शोसन करता रहा और ये कज़िन हर पल तयार रहता था की उसे कोई दुख ना पहुँचे किसी भी तरहा का….ये जानते हुए भी की उसका और रमण का क्या रिश्ता बन चुका था सुनील ने कभी उन निगाहों से उसे नही देखा था…..उसकी आँखों में बस एक भाई का प्यार ही झलकता था….और ये कंपॅरिज़न ही रूबी के दिल में सुनील को उस जगह पे ले गया था …जो जगह कोई भी लड़की अपने प्रेमी को ही देती है ……कितनी आसानी से रमण ने लिख दिया था कि वो किसी एक लड़की के साथ बँध के नही रह सकता था……कैसे उसने गाँव में दोनो नर्सस को चोदा था…. वो तो सरपंच की लड़की उसके पीछे पड़ गयी थी ….शादी के लिए तभी वो वहाँ से भाग खड़ा हुआ था……और वापस मुंबई आ गया….हरामज़ादा …….उसके मुँह से निकल पड़ा और एक ठंडी सांस ले वो सोने की कोशिश करने लगी.



अगले दिन सुबह सोनल जल्दी उठ गयी ……सुनील और सुमन अभी सो रहे थे….वो चुप चाप बाथरूम गयी फ्रेश हो कर आई …अपने लिए कॉफी बना के वहीं उनके पास बेड रूम में बैठ गयी और धीरे धीरे कॉफी पीने लगी…तभी उसकी नज़र उस लेटर पे पड़ी जो सुनील ने गुस्से में फेंक दिया था और सुमन भी ना पढ़ पाई क्यूंकी तभी सवी की कॉल आ गयी थी.

उसने वो लेटर उठा लिया और पढ़ने लगी….

डियर रूबी,
सॉरी, माफ़ करना,,,,,काश मैं भी सुनील की तरहा बन पाता…. पर इतने सालों से जो सेक्स की आदत पड़ चुकी है वो मुझ में काफ़ी बदलाव ले आई है…मैं कभी किसी एक लड़की के साथ बँध के नही रह पाउन्गा.

बरसों से मेरे दिल में तमन्ना थी सोनल को चोदने की … आज भी है….काश ऐसा कोई मोका मिल जाए…..उस दिन तुम्हें चोद्ते वक़्त मेरे मुँह से सोनल का नाम निकल गया क्यूंकी कल्पना में सोनल की ही कर रहा था………खैर……..जब सुनील मुझे मिला था उसने मुझे 3 साल का वक़्त दिया था ….ये परखने के लिए की मैं वाक़ई में तुम्हें कितना प्यार करता हूँ…..ये मेरे लिए एक इम्तिहान था खुद को अच्छी तरहा पहचानने के लिए……………

सोनल की आँखें फट गयी ये सब पढ़ ….उसका दिल कर रहा था….कि अभी रमण उसके सामने हो और वो उसका खून पी जाए ……अपने पे काबू रख उसने आगे पढ़ना शुरू किया……..
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01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
तभी सुनील उठ गया और वो लेटर उसके हाथ से ले फेंक दिया….किस कुत्ते का लेटर पढ़ रही है…..10 पेज में चुस्कियाँ ले ले कर यही लिखा कैसे वो उन दो नर्स को चोद्ता था…….और हिम्मत तो देखो भेजा भी किस को रूबी को…….बस्टर्ड….

सोनल …….ये मेरे बारे में क्या…….

सुनील : सुअर है सला कभी सामने पड़ गया तो गया अपनी जान से….डॉन’ट बी अपसेट….अरे मेरी सुबह तो मीठी कर दे जान. सुनील सोनल को अपने बाँहों में लप्पेट लेता है और उसके होंठ चूमने लगता है……..सोनल पिघलती चली गयी …भूल गयी उस लेटर को और अपने प्यार की बाँहों में झूलने लगी…..उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और सुनील के गरम तपते होंठ उसे आनंद की वादियो की सैर करा रहे थे.


तभी सुनील का मोबाइल बजने लगा ……हॉस्टिल में हाहाकार मचा हुआ था….ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी लड़की का रेप हुआ हो……ये कॉल सुनील के दोस्त की थी…..और रेप जिस लड़की का हुआ था….वो रूबी की रूम मेट थी.

सुनील ने फट सवी को फोन लगाया…..और रूबी के बारे में पूछा….सब ठीक था. अब सुनील किसी भी कीमत पे रूबी को हॉस्टिल में नही छोड़ सकता था……
दिमाग़ घूम गया उसका…..आख़िर ये हो क्या रहा है उसके साथ….पहले सोनल को ड्रग कर उसका रेप करने की कोशिश करी जाती है जिसे वो वक़्त पे बचा लेता है….अब उसकी दूसरी बहन पे अटेंप्ट होता है…

सोनल किचन चली गयी कॉफी बनाने और सुनील ने सुमन को उठा दिया….अब इनके उठाने का तरीका एक फिक्स हो गया था…एक मीठा सा चुंबन …जो पहले उठे वो दूसरे को ऐसे ही उठाता था. 

सुमन ने जो शिफ्ट होने का प्लान बनाया था….अब वो नही हो सकता था….और सवी और रूबी को अलग करने का जो प्लान था….वो भी नही हो सकता था…आख़िर रूबी की सेक्यूरिटी का सवाल था.

अब उसे प्रिन्सिपल से सेक्यूरिटी रीज़न की बिना पे हॉस्टिल से छुटकारा लेना ही पड़ेगा….लेकिन तब एक और समस्या शुरू हो जाएगी….रूबी उसके साथ कॉलेज जाएगी और वापस आएगी….यानी हर वक़्त वो रूबी की नज़रों के सामने होगा…..उफफफफफफ्फ़ ये कहाँ फस गया में….

विक्रम की तो वाट लग गयी ….रात को सुनील ने बुला लिया और सुबह सुबह इस कांड की खबर मिल गयी और उसे कॉलेज भागना पड़ा. आग की तरहा ये खबर फैली सभी लड़कियों के पेरेंट एक के बाद एक कॉलेज पहुँचने लगे….कॉलेज अतॉरिटीस की अच्छी तरहा क्लास ली गयी सेक्यूरिटी के मामले में….क्यूंकी एक मेडिकल कॉलेज से दूसरे मेडिकल कॉलेज में ट्रान्स्फर ना मुमकिन होता है ….नही तो एक्सोडस हो जाता …..मीडीया तक कॉलेज पहुँच गया और विक्रम को धडाधड उसके सीनियर्स के कॉल आने लगे……..बाल नोचने वाली हालत हो गयी उसकी.

सुबह जब जयंत उठा तो कमल सो रहा था….उसकी नज़र जब कमल पे पड़ी तो गाल पे खरॉच के निशान देखे….ये रातों रात …निशान कैसे आ गये उसके चेहरे पे….अभी वो कुछ और सोच ही पाता कि कॉलेज में कोहराम मच गया और वो उसी हालत में नाइट सूट पहने बाहर निकल गया.

कॉलेज को सील कर दिया गया…ना को अंदर आ सकता था ना कोई बाहर जा सकता था….मीडीया तक को पोलीस ने बाहर खदेड़ दिया था…..जो गेट पे खड़े नारे लगा रहे थे. हॉस्टिल में कुछ हो तो सबसे पहला शक़ हॉस्टिल में रहने वालों पे ही जाता है…ग्रील्स हॉस्टिल में रेप हुआ था…तो लाज़मी बाय्स हॉस्टिल में रहने वाले लड़के….रेसिडेंट प्रोफेस्सर्स….और कॉलेज का नाइट ड्यूटी स्टाफ … ये सभी शक़ के दायरे में आते हैं.

विक्रम ने रूबी की सेक्यूरिटी भी बढ़ा दी थी. एक एक कर सभी को इंटेरगेट किया जा रहा था…जब कमल की बारी आई वो कुछ घबराया हुआ था…उसने जयंत को अलिबाइ बनाया कि वो तो उसके सामने ही सो गया था…पर जयंत ने जब ये बताया कि जब वो सोया था तो कमल के चेहरे पे कोई निशान नही था…लेकिन सुबह जब उठा तो कमल के गाल पे खरॉच के निशान थे.

शक़ की सारी सूइयां कमल की तरफ घूम गयी क्यूंकी वो कोई ऐसा ठोस ब्यान नही दे पा रहा था कि ये खरॉच के निशान कैसे लगे …..विक्रम ने उसे हिरासत में ले लिया और पोलीस की निगरानी में हॉस्पिटल भेज दिया फोरेन्सिक टीम के साथ ताकि उस लड़की के नाखूनों में जिसका मास फसा हुआ था….उसकी शिनाख्त पे ये पता लगाया जा सके की वो माज़ कहीं कमल के गालों का तो नही था.

कमल बुरी तरहा घबरा गया. उसने बहुत उल्टी सीधी दलीलें दी …पर विक्रम को कोई विश्वास नही हुआ उसपे……जयंत उसे ऐसे देख रहा था जैसे गंदी नाली के कीड़े को देख रहा हो…अपने आप को कोस रहा था….कि कैसा दोस्त बनाया उसने.

विक्रम की इनटेरगेशन चल रही थी कि उसके दिमाग़ में घंटियाँ बजने लगी …..उसे याद आ गया….सुनील की बड़ी बहन के साथ क्या हुआ था……और रूबी भी उसकी बहन है……जिसका रेप हुआ ….वो रूबी की रूम मेट है….कहीं …..ऐसा तो नही की ग़लती से उस लड़की का रेप हुआ हो…….रेपिस्ट रूबी को शिकार बनाना चाहता हो….और उसे पता ही ना था कि रूम में जो लड़की होगी वो रूबी नही कोई और होगी …जो लप्पेट में आ गयी….

उसने इनटेरगेशन अपने साथियों पे छोड़ दी और खुद कॅंटीन में जा कर एक कोने में ब्लॅक कॉफी ले के बैठ गया……केस बहुत ही उलझा हुआ लग रहा था उसे….जब तक कमल की मेडिकल रिपोर्ट नही आ जाती ….तब तक उसे सभी रास्तों के बारे में सोचना था….लड़की के जिस्म पे के का निशान बनाना….कही कमल को फसाया तो नही जा रहा…क्यूंकी उसने खुल्लेआम प्रपोज़ किया था रूबी को और रूबी ने उसे नकार दिया था.

क्या कोई सुनील के खानदान से दुश्मनी निकल रहा है…..रंजीत अभी तक पकड़ा नही गया था….क्या रंजीत कोई मोहरा तो नही था….असल सूत्रधार कोई और हो.

या ये कोई साइको रेपिस्ट है …….कोई भी कड़ी किसी कड़ी से नही जुड़ रही थी.

विक्रम उठा अपने साथियों को कुछ इन्स्ट्रक्षन दिए कहीं जाने लगा कि उसे सुनील प्रिन्सिपल के ऑफीस में घुसता हुआ दिखा………विक्रम के कदम प्रिन्सिपल के ऑफीस की तरफ बढ़ गये.

ऑफीस में जब विक्रम घुसा तो सुनील अपनी और रूबी के लिए अप्लिकेशन दे रहा था कि उन्दोनो का हॉस्टिल में रहना मॅंडेटरी ना रखा जाए और एग्ज़ेंप्ट किया जाए ….क्यूंकी रूबी को वापस हॉस्टिल में आने पर साइको प्रॉब्लम्स हो सकती है और सेक्यूरिटी का भी सवाल है.

सुनील एक ऐसा स्टूडेंट था जिसकी बात प्रिन्सिपल कभी नही टालता था क्यूंकी सुनील ने कभी कोई ग़लत डिमॅंड नही करी थी……अभी कॉलेज में जो हादसा हुआ था ….रूबी पे जो अटेंप्ट हुआ था उसको ध्यान में रख प्रिन्सिपल सुनील की बात मान लेता है.

सुनील जाने को होता है तो विक्रम उसे पीछे खड़ा दिखाई देता है.

विक्रम : सुनील मेरे साथ चलो तुमसे कुछ बात करनी है.

सुनील उसके साथ चला जाता है.


सुबह सुमन तीनो का नाश्ता बनाती है….रूबी और सविता के लिए पॅक करती है…..सुनील कॉलेज चला जाता है और ये दोनो हॉस्पिटल चली जाती हैं.

हॉस्पिटल पहुँच दोनो रूबी के पास बैठ जाती है….वो पहले ही हॉस्पिटल से मिला नाश्ता कर चुकी थी….सविता अपना नाश्ता करने लगती है…..सुमन उसके लिए ड्रेस भी लाई थी तो सविता वहीं बाथरूम में नहा कर ड्रेस चेंज कर लेती है.

सोनल सुमन को सविता के साथ घर जाने को कहती है और खुद वहीं रूबी के पास रुक जाती है. 

विक्रम सुनील को ले कॉलेज के गार्डेन में चला गया.

विक्रम : तुम लोगो की किसी से कोई दुश्मनी तो नही है.

सुनील : मतलब ….क्या कहना चाहते हो….डॅड और मोम दोनो ही सिटी के सबसे बड़े डॉक्टर्स में गिने जाते हैं…उनका कोई दुश्मन क्यूँ होगा. रही बात मेरी …..तो पूरा कॉलेज जानता है मैं बस पढ़ाई से वास्ता रखता हूँ …मेरा दुश्मन कोई क्यूँ कर बनेगा.

विक्रम : क्या पता तुम्हारे डॅड का या मोम का कोई दुश्मन हो जिसके बारे में तुम्हें पता ही ना हो.


सुनील : नही ऐसा नही हो सकता…डॅड मुझ से कुछ नही छुपाते थे…अगर ऐसा कुछ होता तो मुझे ज़रूर पता होता.

विक्रम : फिर तुम्हारी फॅमिली ही क्यूँ शिकार बन रही है …पहले सोनल ….फिर रूबी ….दोनो तुम्हारी बहनें…….बात करो अपनी मोम से एक बार फिर मुझे बताना. 
विक्रम सुनील को सोचों में डाल चला गया.

यहाँ सोनल रूबी के पास बैठी हुई थी …..

‘कैसी है रे मेरी गुड़िया …..आज तो तेरी छुट्टी हो ही जानी चाहिए ‘

‘ठीक हूँ दीदी….’ उसकी आवज़ में दर्द था……..सोनल को ये दर्द पहचानते हुए देर ना लगी क्यूंकी वो खुद इस हालत से गुजर चुकी थी.

‘रूबी तुझ से कुछ पूछूँ …..’

‘जी….’

‘क्या तू सुनील से प्यार करने लगी है ?’

सोनल ने रूबी के लिए डाइरेक्ट बॉम्ब फोड़ दिया था…उसे तो उम्मीद नही थी …की सुनील ने सोनल से ये बात शेर करी होगी .

‘दी…दी….’

‘जो तेरे मन में है खुल के बता…..’

‘दी वो….वो….’

‘घबरा मत …तेरी बड़ी बहन हूँ ….तेरा अच्छा ही सोचूँगी….पर जब तक तेरे दिल में क्या है…मैं भी अंधेरे में रहूंगी और सुनील तो कल से बहुत ही परेशान है….’
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01-12-2019, 02:09 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
‘दीदी मेरी जिंदगी में तीन लोग ही आए हैं… रमण ने जो मेरे साथ किया वो आप से छुपा नही …बर्बाद कर दिया मुझे…..फिर सुनील जिसने मुझे फूलों की तरहा रखा हुआ है…इतना तो कभी डॅड और मोम ने भी नही किया होगा ……पता नही कब और क्यूँ और कैसे….सुनील मेरे दिल में बस्ता चला गया …मैं उसकी पूजा करने लगी…..शायद रमण के हाथों बर्बाद होने के बाद सुनील ही ऐसा शक्स मिला जो हर तरीके से एक संपूर्ण मर्द है …..मैं जानती हूँ…ये रिश्ता मुमकिन नही…पर अपने दिल को कैसे समझाऊ…..फिर कॉलेज में कमल ने मुझे सीधे सीधे खुल्लेआम प्रपोज़ कर डाला….अच्छा लड़का है…पर मेरे दिल में अब…कोई और नही समा सकता….मैं कभी शादी नही करूँगी….क्यूंकी मुझे कोई समझ ही नही पाएगा….और ये झूठा फूल भी तो अपने देवता के चरणों में अर्पित नही कर सकती…….’ रूबी की आँखों से आँसू बहने लगे.

सोनल के दिमाग़ में नगाड़े बजने लगे…..रूबी सुनील को ले कर बहुत आगे बढ़ चुकी थी……उसने खुद को संभाला.

‘देख गुड़िया तुझे अपनी सोच बदलनी पड़ेगी….सुनील ऐसा नही है…उसकी मर्यादा की दीवारें बहुत उँची हैं….और तेरे लिए हम सब हैं ना…..बहुत ही अच्छा लड़का ढूंढ़ेंगे तेरे लिए…..’

रूबी बस कातर दृष्टि से सोनल को देखने लगी ….जैसे कह रही हो ….यूँ मुझे जीतेजी आग में मत झोंको.

सोनल घबरा गयी …..रूबी की आँखों में बसे भावों को पढ़ कर

‘खैर….अभी ये वक़्त इन बातों के लिए नही है….अभी तू अपने करियर की तरफ ध्यान दे और बाकी सब हम पे छोड़ दे ….. ये इन्सेस्ट फीलिंग्स निकाल दे अपने दिमाग़ से…..बहुत तकलीफ़ होगी…तुझे भी और सुनील को भी….उसके लिए तू एक बहन है बस एक बहन …वो तुझ में कभी किसी लड़की को नही देख पाएगा….’

रूबी ने कोई जवाब नही दिया…तभी डॉक्टर्स की टीम आ गयी उसका चेक उप करने.

विक्रम थाने पहुँच गया ….उसकी टीम अभी कॉलेज में ही थी. कमल का मेडिकल करवा उसे लॉकप में रखा हुआ था. विक्रम कमल को बुलवाता है…पता नही कमल की आँखों में क्या था…कि विक्रम का रवईया उसके साथ नर्मी वाला होता है.

विक्रम : देखो कमल अगर तुम ने कुछ किया है तो कबूल कर लो…तुम्हारी उम्र को और तुम्हारा जो कॉलेज में रेकॉर्ड है उसे देखते हुए तुम्हारी मदद ही करने की कोशिश करूँगा.

कमल हंस पड़ा.

विक्रम उसे हस्ते देख उबलने लगा.

कमल : इनस्पेक्टर साहिब…इतना तो आपको पता होना चाहिए …कि लड़की के नाखूनों की खरॉच और काँटे वाली झाड़ी की खरॉच कैसी होती है. ये मेरे चेहरे पे जो निशान दिख रहे हैं..क्या आपको वाक़ई में किसी लड़की के नाखूनों से बने लगते हैं. 

दूसरी बात ….जो इस नर्क को भुगता हुआ होता है….वो किसी और के साथ कभी ऐसा करने की हिम्मत नही कर सकता ( कमल फुट फुट के रोने लगा)


विक्रम ने उठ के उसे खुद पानी ऑफर किया और उसे चुप होने का बोल सारी बात खुल के बताने के लिए कहा.

‘आज दस साल से मेरी दीदी कोमा में पड़ी है….उनका कुछ हरामज़ादो ने सामूहिक बलात्कार किया था…..रोज रात को 12 बजे जब सब सो जाते हैं…मैं डॅड को फोन कर दीदी का हाल चाल पूछता हूँ…मेरा मोबाइल चेक कर लेना …..जिसके साथ खुद ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ हो …क्या वो किसी का रेप कर सकता है……ये मेरे डॅड का नंबर क्षकशकशकशकशकशकशकशकशकश और ये है वो हॉस्पिटल क्षकशकशकशकशकशकशकश जहाँ दीदी एक जिंदा लाश की तरहा पड़ी है ….आप सब चेक कर सकते हो……’

विक्रम : तो ये सब तुमने मुझे कॉलेज में क्यूँ नही बताया.

कमाल : मैं नही चाहता था कि किसी को भी इस बात का पता चले…….सबकी नज़रों में मेरी दीदी के लिए दस सवाल खड़े हो जाते…..कुछ मेरे लिए सहानुभूति वाला नज़रिया रखते ….कुछ कुछ और ही सोचते……महॉल ऐसा हो जाता कि मैं पढ़ नही पाता…..मैं डॉक्टर बस अपनी दीदी का इलाज़ करने के लिए बनना चाहता हूँ.

(कमल फिर रो पड़ा) और इस बार विक्रम ने उसे रोने दिया 

विक्रम उस हॉस्पिटल में फोन करता है…कमल का एक एक शब्द सच होता है.

विक्रम : कमल तुम जाओ …..माफ़ करना …हालत ही कुछ ऐसे थे और शक़ के दायरे में तुम आ गये थे. (विक्रम ने अब ध्यान से कमल के चेहरे पे पड़ी खरोचों को देखा था उसे रिहा करने से पहले)

अपने दो कॉन्स्टेबल के साथ विक्रम …कमल को कॉलेज भेज देता है और प्रिन्सिपल को भी फोन कर देता है …कि कमल निर्दोष है…..वो समझ चुका था मेडिकल रिपोर्ट में कुछ नही निकलेगा.

अब विक्रम के दिमाग़ में …..सागर का कोई दुश्मन घूमने लगा …..लेकिन जब तक सुमन से कुछ पता ना चले …उसके आगे बस अंधेरा ही अंधेरा था. वो सुमन से मिलने का फ़ैसला कर लेता है.,

कॉलेज से सुनील सीधा हॉस्पिटल जाता है और पहले डॉक्टर से मिलता है ….जो उसे ये बताता है कि रूबी को डिसचार्ज किया जा रहा है….और कुछ दवाइयों के बारे में समझता है जो रूबी को लेनी थी… और 10 दिन बाद उसे कौँसेलिंग के लिए बुलाया था.

आम तौर पे स्यूयिसाइड अटेंप्ट करने वालों को हिरासत में ले लिया जाता है ….पर रूबी के साथ ऐसा कुछ नही हुआ क्यूंकी विक्रम ने केस बदल दिया था – इतना तो वो सागर के लिए कर ही सकता था.

सुनील ….सोनल और रूबी को ले कर घर चला गया…..पोलीस कॉन्स्टेबल उसके पीछे पीछे गये और घर जा कर तैनात हो गये……विक्रम ने सेक्यूरिटी कवर उनके घर पे रखवा दिया था.


इधर रूबी हॉस्पिटल से निकल जाती है …पोलीस वाले वहाँ से हट जाते हैं…तो वही नर्स फिर एक मेसेज भेजती है…उसे रात को होश आ गया था…अभी डिसचार्ज हुई है

घर पहुँच के सोनल रूबी के साथ उसके कमरे में उसके पास ही रहती है …इधर उधर की बातें कर उसका दिल बहलाने की कोशिश करती है. सविता भी रूबी के पास बैठती है.

सुनील हाल में बैठा सोचों में गुम रहता है. सुमन सबके लिए कुछ स्नॅक्स और कॉफी तयार करने लगती है.

कॉफी के बाद सुनील सुमन के साथ रूम में चला गया और उसकी गोद में सर रख लेट गया.

‘क्या बात है…बहुत परेशान हो …रूबी की वजह से …..’

‘वो तो है ही पर बात कुछ और भी है….’

फिर सुनील सुमन को विक्रम से हुई बात बताता है.

सुमन सोच में पड़ जाती है…..कों हो सकता है उनका दुश्मन ……

रात का खाना सविता ने तैयार किया …उसकी नज़रें सुनील को खोज रही थी जो कमरे में सुमन के साथ था. एक ठंडी साँस भर वो काम में लग गयी. 

सुमन सोच सोच के हार गयी पर कोई ऐसा नही दिमाग़ में आया जो उनका दुश्मन हो सकता था…सागर की तो कभी किसी के साथ लड़ाई हुई ही नही थी.

सुनील : छोड़ो….ये दो अलग किस्से भी हो सकते हैं … पर रूबी पे जिसने अटॅक किया वो अभी खुला घूम रहा है …और एक रेप और कर डाला उसने. रूबी की सेक्यूरिटी का खास ध्यान रखना पड़ेगा और सोनल का भी.
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