Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:01 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
जिस दिन कमल ने सरे आम अपनी चाहत का एलान कर दिया था - जिसकी किसी को भी उम्मीद नही थी - जो सबके लिए एक झटका था - उस दिन एक शक्स हॉल के कोने में बैठा हुआ अपने आँसू ना रोक सका ---- एक तरफ दोस्ती और दूसरी तरफ उसका प्यार जिसका इज़हार वो कभी ना कर सका --- ऐसा डर बैठा हुआ था सुनील का उसके दिल में.

वो और कोई नही था -- कमल का खास दोस्त जयंत ----- शायद ये छुपा हुआ प्यार ही था जो वो सारी रात कमल को समझाता रहा - रूबी का ख़याल दिल से निकालने को .

लेकिन होनी हो कर रहती है - कमल पीछे नही हटा और जयंत - अपने ख्वाबो की कब्र बनते हुए देखता रहा. दोस्ती कभी कभी दोस्तों की जान लेलेति है --- कुछ ऐसा ही हाल था जयंत का - अपने अरमानो की कब्र अपने दिल में सज़ा के रह गया.


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अब चलते हैं वापस सूमी और सुनील के पास ……. दोनो अपने आनंद में डूबे हुए आराम से चलते एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए होटेल पहुँच गये – सारा रास्ता सूमी परेशान रही – उसे दिक्कत हो रही थी चलने में क्यूंकी सुनील ने उसकी चूत में पूरी नदी भर दी थी – जो धीरे धीरे रिस रही थी उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सो पे और नोबत यहाँ तक पहुँच गयी थी कि उसकी सॅंडल्ज़ और मसूरी की वो सड़क जिसपे वो चल रहे थे – इस बाढ़ से बच ना पाए और एक ट्रेल बनती चली गयी सूमी और सुनील के मिश्रण रस की.

जब दोनो कमरे में पहुँचे तो सूमी सुनील पे टूट पड़ी बिल्कुल जंगल शेरनी की तरहा ----- सुनील के चेहरे को चूम और काट के लाल सुर्ख कर दिया और वो बिलबिलाता रह गया .

‘ओ जंगली क्या हो गया है तुझे’

'और तुमने क्या किया था --- खुल्ले में - जंगल में शुरू हो गये थे' एक कातिलाना मुस्कान के साथ सूमी बोली.

'मेरी जान --- खुल्ले में करने का अपना ही मज़ा होता है - व्हेन योपू आर सो क्लोज़ टू नेचर --- ये बात मुझे मेरे एक दोस्त ने बताई थी '

'अयीई माँ तुम्हारे ऐसे भी दोस्त हैं.... मुझे तो आज तक तुमने नही बताया'

'बता देता तो बड़ी मार पड़ती --- तब रिश्ता कुछ और था....' सुनील खिलखिला के हँस पड़ा.

'हो .... तुम लड़के ना..... कितने सीधे साधे और भोले नज़र आते थे ... और अब देखो ... क्या क्या गुल खिला रहे हो...' 

'मियाँ की ख़ासियत... उसके खास दोस्त..धीरे धीरे ही पता चलते हैं'

'अच्छा ये कॉन सा दोस्त है तुम्हारा'

सुनील कुछ पल सोचता है फिर बोलता है .... ' यार जब तुमने वो सेक्स लेसन दिए थे --- उसके बाद हालत खराब हो गयी थी .... तो राजशर्मास्टॉरीज पे जाने लग गया... वहाँ एक दोस्त बन गया - वो मिया बीवी खुल्ले में ही करते हैं जब से 18 के थे ... कभी कार में..कभी छत पे... कभी बस में... कभी बीच पे --- सन्नी और रीया है उनका नाम वैसे.'

'अगर उनका नाम सन्नी और रीया है तो --- क्या'

'अरे ये सन्नी की आइडी है .... बाकी बातें फिर कभी करेंगे .... अभी तो प्यास लगी है '

'जाओ जाओ प्यास लगी है - पूरे बेशर्म बन चुके हो--- आज तो जान ही निकाल दी मेरी --- कोई आ जाता तो'

'तो क्या देख लेता कैसे हम प्यार कर रहे थे आपस में'

'और अगर मुझे पे ही झपट पड़ता तो......'

'जान से ना मार डालता' सुनील की आवाज़ सर्द हो गयी और सूमी हिल के रह गयी.

सूमी की शक्ल देख सुनील हँस पड़ा -------'मेरी जान निकाल दी और खुद हँस रहे हो----- कुछ खाने के लिए मन्गवाओ ना --- मैं फ्रेश हो कर आती हूँ' --- सूमी अपने कपड़े ले बाथरूम में घुस्स गयी.


सुनील ने रूम सर्विस को खाने का ऑर्डर दे दिया और सूमी का इंतेज़ार करने लगा - उसने वाइन की बॉटल खोल ली जो कल रात बच गयी थी - और छोटे छोटे सीप लेने लगा

जब वो बात रूम से बाहर आई तो कमरे का तापमान बादने लग गया --- सफेद ट्रॅन्स्परेंट लाइनाये जो मुश्किल से उसकी गान्ड तक आ रही थी. .


उसे देख सुनील पलकें झपकाना भूल गया --- उसका लंड बाहर निकलने की फरियाद करने लगा.

जब खाना आया तो सूमी बेड रूम में भाग गयी और वेटर के जाने के बाद ही लिविंग रूम में आई.

दोनो साथ साथ खाना खाने लगे --- पर सुनील का ध्यांन खाने से ज़यादा सूमी के कामुक बदन पे ही था.

ये लोग खाना खा ही रहे थे कि सोनल की कॉल आ गयी..........

बीच पे बैठी सोनल अपनी यादों के समुन्द्र में गोते खा रही थी कि उसे अपने कंधे पे जाने पहचाने हाथों का अहसास होता है ‘ क्या कर रही है मेरी गुड़िया’ ये आवाज़ सूमी की थी.

सोनल पलट ती है और सूमी के गले लग जाती है ‘ आइ लव यू मोम – आइ लव यू टू मच ….. आपकी वजह से मुझे मेरा प्यार मिल गया … मेरी सूनी जिंदगी में बाहर आ गयी’

‘पगली अब मोम नही दीदी बुलाया कर --- तेरी बड़ी सौतन जो हूँ…. कैसे बदल गये हमारे रिश्ते….. हम दोनो के अंदर सुनील समाता है ……. बहुत बड़ा है उसका दिल किस तरहा हम दोनो पे अपना प्यार लुटाता है’

सोनल – सूमी को देख रही थी --- उसकी माँ ही उसकी सौतन थी …. वो माँ जिसने बड़े जतन से प्यार से पाला पोसा था … वो माँ आज एक नये रूप में थी … उसकी सौतन दीदी.

‘सूमी दीदी’ सोनल के मुँह से निकला और दोनो एक दूसरे से लिपट गयी. 
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01-12-2019, 02:01 PM,
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‘कब आई तू यहाँ… वो तुझे ढूनडता फिर रहा है …. बता के तो आती …. इतना बड़ा होटेल है …. जाने कहाँ भटक रहा होगा….. और तुझे तयार भी तो होना है …. आज तेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है … तेरी सुहागरात है ‘

‘दीदी मेरे साथ रहोगी ना… मुझे डर लग रहा है’

‘पगली मैं कैसे ….’

‘नही आपको साथ रहना पड़ेगा… आप भी आज दुल्हन का लिबास पहन लो … हम दोनो अपने पति की बाँहों में एक साथ समा जाएँगे’

‘ना ना बहुत अजीब लगेगा’

‘कुछ नही होता दीदी…. हम कॉन से बेगाने हैं…. अपने ही तो हैं… बस रिश्तों के नाम बदल गये’

‘अच्छा जैसे सुनील बोलेगा वैसे ही कर लेंगे… खुश मेरी बन्नो’

‘ओह दीदी …. आप कितनी अच्छी हो …. उनको तो मैं मना लूँगी’

‘चल अब चलते हैं… तुझे तयार भी तो करना है’

‘नही अभी थोड़ी देर मेरे पास बैठो …. उनको फोन कर दो … हम थोड़ी देर बाद कमरे में चले जाएँगे’

सूमी – सुनील को फोन कर देती है ….. उसे हनिमून सूट को तयार करवाने के लिए बोल देती है --- जो वो अपनी देख रेख में करवाएगा.

‘दीदी …. अगर मेरी डाइयरी आपके हाथ नही लगती तो आज मेरा सुनील मुझे अपनी बाँहों में लेने को तयार ना होता. कैसे मनाया था आपने खुद को … एक बीवी ने अपने पति की जिंदगी में दूसरी को कैसे आने दिया… तकलीफ़ तो हुई होगी आपको… जैसे मुझे हुई थी… जब ये पता चला था … मेरा प्यार किसी और का हो चुका है… और वो भी मेरी माँ का’

‘जब तेरी डाइयरी मिली थी तो पढ़ के मेरे रोंगटे खड़े हो गये थे…. मैं कभी सुनील को किसी के साथ बाँटना नही चाहती थी ….. मुझे ऐसा लगा था जैसे किसी ने मेरे दिल को चीर के रख दिया हो --- मेरे पति पे कोई और आस लगाए बैठा था … लेकिन में ये भी जानती थी कि ज़यादा समय तक सुनील का साथ नही निभा पाउन्गि… एक दिन उसे छोड़ के मुझे जाना ही पड़ेगा …. तब वो टूट जाता…. बहुत प्यार करता है मुझ से… इसीलिए शादी से पहले उस से एक वादा लिया था --- कि दूसरी शादी भी करेगा … एक अच्छी लड़की के साथ …. वादा तो मैने ले लिया था… पर मेरा दिल बहुत रोया था अपनी बेबसी पे….. जैसे जैसे तेरी डाइयरी पढ़ती गयी …. तेरे दर्द का अहसास मुझे और तकलीफ़ देने लगा …. तूने एक औरत को हिला के रख दिया था….. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ…. तूने देखा ही था कैसे पत्थर बन गई थी मैं… अपने आप से बहुत लड़ी थी……..एक बीवी का मन कुछ और कह रहा था… एक औरत ने कुछ और कहना शुरू कर दिया….. और दबी हुई मा… अपनी बेटी के लिए अलग से रोने लग गयी थी. तीन औरतों के बीच की जंग में मैं पिस्ति जा रही थी - माँ/बीवी/औरत --- कभी एक का पलड़ा भारी होता - तो कभी दूसरी का....... आज भी जब वो दिन याद आता है .... वो शाम याद आती है जब मैने तुझे सौतन के रूप में कबूल किया था.... मेरा जिस्म थरथराने लगता ... मैं जानती हूँ कैसे मनाया था मैने सुनील को..... बहुत तडपा था वो... वो तुझे बस एक भाई की नज़र से देखता था..... उसने कभी भी तुझे एक लड़की की तरहा नही देखा था..... जब उसने तेरी डाइयरी पढ़ी हिल गया था वो... तेरा दर्द.... जीतता जा रहा था ... और हम दोनो टूटते जा रहे थे.... फिर तेरे पापा की एक बात याद आई --- प्यार बाँटने से कम नही होता ... और भी बढ़ जाता है .... बस इसी बात से दिल को तस्सल्ली मिली ...... और देख ... आज हम तीनो कितने खुश हैं’

'हां दीदी वो शाम वाक़ई में कुछ अजीब थी --- जब आपने मेरे माथे को चूमते हुए मुझ से पूछा था --- मेरी सौतन बनेगी ..... और आज की शाम भी कितनी अजीब है.... एक सौतन... दूसरी सौतन को सुहागरात के लिए तयार करने वाली है'

' चल ये बातें छोड़ बहुत वक़्त लगेगा तुझे तयार होने में... फिर कभी ये बातें ले के बैठेंगे ... अगर तेरा दिल करा तो... अभी चल... और हां ... सुहागरात - वो रात होती है ... जब एक कली फूल बनती है.... एक लड़की नया रूप लेती है ......औरत बनने का.... ये वो लम्हें होते हैं जो जिंदगी भर याद रहते हैं ... ये किसी के साथ बनते नही जाते... ये हर लड़की का हक़ होता है ... मेरी बात मान .... आज की रात अपने साजन की बाँहों में खोने का सुख प्राप्त कर ... मैं साथ वाले कमरे में हूँगी ...... तुझे अगर बहुत परेशानी होगी या तकलीफ़ होगी तो मैं आ जाउन्गि .... वैसे भी सुनील तुझे कोई तकलीफ़ नही होने देगा'

'दीदी प्लीज़ '

'कहा ना नही अब बहस मत कर'

दोनो उठ के होटेल की तरफ चली जाती हैं.
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01-12-2019, 02:01 PM,
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शाम के 6 बज रहे थे जब सूमी और सोनल होटेल में स्थित ब्यूटी पार्लर में पहुँचे – जहाँ सोनल का ब्राइडल मेकप होना था – सूमी ने कुछ खास इन्स्ट्रक्षन्स दिए थे और वेटिंग एरिया में बैठ कर वेट करने लगी.

बैठे बैठे वो अतीत में चली गयी एक हफ़्ता पहले की वो शाम वो अपने आप से लड़ के थक चुकी थी 6 दिन हो गये थे जब उसके हाथ सोनल की डाइयरी लग गयी थी. इन 6 दिनो में वो कितनी बार मरी ये वो ही जानती थी थी. आज का सारा दिन उसे सुनील को समझाने में लग गया.

‘सुनील तुम से एक बहुत ज़रूरी बात करनी है’

‘हां बोलो जान’

‘तुम जानते थे सोनल तुमसे प्यार करती है और तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती है’

‘हां … जानता था.. और उसे बार बार यही समझाता था – कि ये ग़लत है – उसे इस दिशा में नही सोचना चाहिए …. बहुत कोशिश करी मैने … पर वो टस से मस नही हो रही थी… मैने उसे पल पल मरते देखा है … पर मेरा दिल उसे किसी और रूप में देखना गवारा नही करता … क्या करता मैं…. फिर वही लड़ाई कब से लड़ रहा हूँ … वही लड़ाई …. जो पहले लड़ी थी … जब तुम्हें अपनी जिंदगीं में शामिल किया था… ज़रा सोचो … कैसे मैं माँ और बेटी दोनो का सुहाग बन सकता हूँ… ये नामुमकिन है … अब तुम्हें पता चल गया है… तूतुम ही उसे समझाओ’

‘ ये डाइयरी पढ़ो …. फिर कुछ फ़ैसला करना ‘ सूमी ने सुनील को सोनल की डाइयरी देदि 
डाइयरी पढ़ते पढ़ते सुनील की आँखों से आँसू निकलने लगे --- कैसे कोई किसी से इतना प्यार कर सकता है…. कितना दर्द भर गया था सोनल की जिंदगी में …. कैसे एक बहन अपने ही भाई को अपना शोहर बनाने का सपना देख सकती है …. सोनल ने अपने दिल का एक एक जख्म उस डाइयरी में लिखा हुआ था – ‘ मर भी तो नही सकती …. ऐसे तो मैं उससे जुदा हो जाउन्गि …. जी भी नही सकती ….. अब वो मोम का हो चुका है…. वाह री मेरी किस्मेत …. मेरे प्यार पे डाका डाला तो मेरी ही माँ ने…. मुझे मर्यादा की दुहाई देने वाला ….. माँ का ही शौहर बन गया…. मुझ में क्या कमी थी… माँ में उसने औरत को देख लिया… मुझ में एक लड़की उसे नही नज़र आई… जो अपनी रूह की गहराइयों से उसे प्यार करती है …. जीती है तो उसके लिए और मरेगी भी तो सिर्फ़ उसके लिए … मेरा हीरो … मेरी जान.. मुझ से छिन गयी…. अब कभी मैं उसे पा नही पाउन्गि… बस तड़पना ही मेरी नियती है’

‘सुनील… इतना तो मैं भी तुझे प्यार नही करती थी जब हम बंधन में बँधे थे…… ये तो प्यार का सागर है पगले … जिसे तू ठुकराता आया है… मैं जानती हूँ… मैने खुद को कैसे समझाया है… मुझे कोई प्राब्लम नही अगर वो मेरी सौतन बनने को तयार हो जाती है…. दे दे उसे उसका प्यार …. बचा ले उसे…. उसे कुछ हो गया तो क्या तू जी पाएगा… क्या मैं जी पाउन्गि…. अब देर मत कर’

‘उफफफ्फ़ मेरे साथ ही क्यूँ… पहले माँ को पत्नी बनाया और अब बहन को भी…..नर्क भी नसीब नही होगा…’

‘जो प्यार करते हैं .. वो नर्क नही जाते … वो अमर हो जाते हैं…. तूने मुझ से वादा किया था याद है… देख वो लड़की मिल गयी … जो तेरी जिंदगी को महका के रखेगी… तुझे इतना प्यार देगी .. के मेरा प्यार भी फीका पड़ जाएगा … अपना ले उसे… डाल दे उसे मेरी झोली में… बहुत सहेज के रखूँगी तेरी बीवी को … अपनी प्यारी सी सौतन को’

दिन गुजर गया सूमी – सुनील को समझाती रही… शाम को जब सोनल हॉस्पिटल से आई … थकि हुई – टूटी हुई.. चेहरे पे उदासी के सागर… आँखें जैसे पथरा गयी थी… एक जिंदा लाश बन गयी थी वो… चुप चाप अपने कमरे में चली गयी.

सूमी से रहा नही गया… उसके पीछे चल पड़ी और कमरे में पहुँच उसके पास बैठ गयी…. उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम उसकी आँखों में बसे दर्द के सागर को देख रो पड़ी…. ‘पगली मुझे कहा क्यूँ नही तू सुनील से इस कदर प्यार करती है…. आख़िर माँ हूँ तेरी……बस मेरी रानी … मेरी गुड़िया… अब और नही…मेरी सौतन बनेगी’

‘मोम…….’ सोनल सूमी से लिपट ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.

‘ना मेरी गुड़िया ना … बहुत रो चुकी अब तो तेरे हँसने के दिन आ गये… हो सके तो मुझे माफ़ कर देना… तेरे दर्द को देख नही पाई…. मेरी गुड़िया तड़प रही थी और मैं अंजान रही… मुझे माफ़ कर दे मेरी बच्ची… बोल बनेगी ना मेरी सौतन’

‘हां माँ हां’ दोनो जाने कितनी देर एक दूसरे से लिपटी रोती रही.

मुश्किल से सूमी ने खुद को संभाला और उसे भी चुप कराया – अपने हाथों से उसे पानी पिलाया.

‘भेज रही हूँ तेरे प्यार को तेरे पास’ ये कह सूमी कमरे से बाहर निकल गयी और सुनील के पास जा के खड़ी हो गयी … जो बैठा आँसू बहा रहा था. मर्यादा ने उसके साथ क्या क्या खेल नही खेले – जिन्हे सबसे ज़यादा प्यार करता था… उन्हें दर्द देता रहा.. पहले सूमी को दिया था अब सोनल को दे रहा था.

‘जा वो तेरा इंतेज़ार कर रही है’

भीगी आँखों से सुनील सूमी को देखने लगा.

‘अब जाओ ना मेरी सौतन का सारा दुख दूर कर दो.. भर दो उसकी झोली खुशियों से … बहुत तड़प चुकी वो… जाओ अब देर मत करो’

डगमगाते कदमो से सुनील सोनल के कमरे में पहुँचा.

‘दी…..’

सोनल ने कोई जवाब नही दिया.

सुनील उसके करीब चला गया – उसके सामने जा के खड़ा हो कर उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम – उसकी भीगी आँखों में आँखें डालते हुए बोला.
‘माफ़ कर दो मुझे… बहुत दुख दिए तुमको…. मेरी बीवी बनोगी’

सोनल का बरसों से रुका हुआ बाँध टूट गया… तड़प के सुनील से लिपट गयी और बिलख बिलख के रोने लगी – तड़प्ते हुए सुनील के जिस्म को नोचने लगी उसके चेहरे पे चुंबनो की बरसात करने लगी.

कैसी अजीब शाम थी – ये --- एक सौतन ने एक सौतन को कबूल किया… एक माँ ने भाई-बहन के रिश्ते को स्वीकार कर लिया…. एक भाई और एक बहन –एक दूसरे के हो गये……. कैसी अजीब शाम थी ये.

सूमी की आँखें भर आई … अपना सर झटक वो आज में लॉट आई… अब तो बस .. खुशियाँ ही खुशियाँ हैं… क्यूँ याद करें.. उन दर्द भरे लम्हों को….

आज की शाम भी कितनी अजीब है – एक सौतन दूसरी सौतन की सुहागरात की तैयारी कर रही है… एक मीठी सी मुस्कान आ गयी सूमी के चेहरे पे.

सोनल तयार हो चुकी थी --- दुल्हन के लिबास में किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी --- कोई भी उसे इस वक़्त देख लेता तो फिदा हो जाता. सिल्क का हरा ल़हेंगा और चोली जिसपे सोने के सितारे और तार से नक्काशी करी हुई थी उसकी सुंदरता को चार चाँद लगा रहे थे. गले में दमकता हुआ सोने का हार कानो में लंबे झूलते हुए झुमके …. कमान की तरहा तराशि हुई भवें….. आँखों में काजल …… होंठों पे चमकती हुई लिप ग्लॉस ……. ये तय था कि सुनील को आज जिंदगी का सबसे बड़ा झटका लगने वाला था.

सूमी – सोनल को हनिमून सुइट में ले गयी ---- और बेडरूम में ले जा कर उसे बिस्तर पे बिठा दिया – फिर कुछ देर उस से बातें करती रही – रात क्या होनेवाला था – उसे समझाती रही – कैसे उसने क्या करना था …….. और एक पेट्रोलियम जेल्ली की ट्यूब उसे दे दी ….. उसका काम जब सूमी ने सोनल को समझाया तो मारे शर्म के वो सांस लेना तक भूल गयी.

महकते हुए फूलों से पूरा कमरा और बिस्तर सज़ा हुआ था.
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01-12-2019, 02:01 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील भी लिविंग रूम में था और बाल्कनी से बाहर शोर मचाती हुए समुद्रा को देख रहा था……लहरें ठीक उसी तरहा उथल पुथल कर रही थी --- जैसे उसकी जिंदगी में उथल पुथल हुई थी.

इस सूट में दो बेडरूम थे … एक में दुल्हन बनी सोनल थी और दूसरे में सूमी चली गयी पर जाने से पहले वो सुनील के पास गयी थी – उसके होंठों को चूम नयी जिंदगी की शुभकामनाए दे गयी थी……. कान में हल्के से बोली --- मेरी सौत इंतेज़ार कर रही है – ज़यादा तंग मत करना – बहुत नाज़ुक है.

सूमी अपने बेडरूम में घुस सीधा मिनी फ्रिड्ज के पास गयी और वोड्का निकाल के अपने लिए पेग बना कर चुस्कियाँ लेने लगी.

उसकी आँखों में आँसू थे ……. इंसान सब भूल सकता है पर कड़वी बातें बहुत समय तक उसके दिल पे खंजर की तरहा वार करती रहती हैं – यही सूमी के साथ हो रहा था …. वैसे तो उसने सोनल को माफ़ कर दिया था…पर वो जहर से भुजे हुए शब्द आज भी उसके कानो में गूँज रहे थे … आज भी उसकी रूह को छलनी कर रहे थे….. वो जानती थी कि सुनील की भी यही हालत है…. पर उसे ये ज़िम्मेदारी उठानी ही थी …. माना वो अब भी अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा था……माना उस दिन वो खुद सोनल के पास शादी का प्रस्ताव लेके गया था…… पर ये सब उसने सूमी के कथन को हुकुम मानते हुए किया था…. उसकी मर्यादा उसे बार बार तंग कर रही थी… और सूमी को ये डर था कि कहीं आज भी उसकी मर्यादा आड़े ना आ जाए …. उसके दिल में अभी भी सोनल के लिए वो प्यार नही जनम ले पाया था जो उसे सूमी से था. 

सोनल से शादी उसने अपना फ़र्ज़ पूरा करने के लिए की थी…. ना कि प्यार के तीरों से घायल हो कर. सूमी को विश्वास था कि आज जब दोनो नज़दीक आएँगे – सुनील के दिल में सोनल के लिए प्यार की कॉम्पलें ज़रूर फूटेंगी……. सोनल का प्यार अपना रंग दिखा कर रहेगा….. जब उसके दर्द के अहसास ने सुनील को एक हद तक तोड़ डाला था …. आज की रात जब सोनल का प्रेम रस बरसेगा …. सुनील उसके प्रभाव से बच नही पाएगा….. उसके साथ भी तो यही हुआ था…. शादी के बाद ही तो वो आगे बढ़ा था…. हालाँकि हालत अलग थे … भावनाएँ अलग थी… पर सुनील के अंदर बसा सोनल के लिए जो प्यार था आज वो उसका सही रूप देख पाएगा.

दोनो की मंगलमय जिंदगी की कामना करते हुए सूमी ने वोड्का का ग्लास खाली कर दिया और दूसरा बनाने लगी.

‘बेवफा – मुझे मर्यादा का पाठ पढ़ाया करता था ….. कुत्ते…. कमीने …….और मुँह मार लिया माँ पे ही …. उस छिंनाल , रंडी …को और कोई नही मिला था … बेटे के नीचे ही लेट गयी….. हनिमून मनाने गये हो ना …. इस रांड़ को भी ले जाता साथ … जो तेरे नाम की माला जप रही है यहाँ पीछे ----तेरी नयी साली….. तू ….. आइ हेट यू आइ हेट यू ….. ओह गॉड … डॅड की आत्मा को कितना दुख पहुँच रहा होगा --- यू बॅस्टर्ड्स’

तभी सवी की आवाज़ आई – ‘दीदी जल्दी आओ --- सोनल बेहोश हो चुकी है’

सुनील ने फोन स्पीकर पे कर रखा हुआ था.

ये तो एक दिन होना ही था … पर इस तरहा होगा … इसकी उम्मीद ना थी सूमी को…. उसने सोचा था कि सोनल को किसी दिन आराम से सब समझा देगी … पर ये तो बारूद फट गया… पर कैसे… क्या सोनल कान्फरेन्स छोड़ के घर पहुँच गयी …और सवी ने सब बक दिया ईर्षा के मारे … उसने सुनील को बेवफा क्यूँ बोला….. सर घूमने लगा सूमी का ……… ये सब तब हुआ जब सोनल का फोन आया था और ये लोग खाना खा रहे थे.


‘छिनाल, रंडी’ ये दो अल्फ़ाज़ उसे उसकी बेटी ने बोले थे …. अभी शादी को 3-4 दिन ही हुए थे और ये सुनना पड़ गया – आज भी ये शब्द उसके कानो में गूँज रहे थे. सूमी दूसरा ग्लास एक सांस में गटक गयी.

कमरे के अंदर सुहाग्सेज पे बैठी - धड़कते दिल से सोनल - सुनील का इंतेज़ार कर रही थी और सुनील बाल्कनी में खड़ा सामने उछलती हुई लहरों को साहिल पे आके टकराते हुए देख रहा था. किस तरहा पल में अपना वजूद खो जाती थी.

'थक गया हूँ - मुझे और परेशान ना करो' अपने आपसे आप ही मर्यादा को समझाते हुए बोल रहा था. नियती ने उसे एक राह पे डाल दिया था जिसपे अब उसे चलना ही था. कैसे उस प्यार को जो एक बहन के लिए था एक लड़की के लिए बदले .... वक़्त और हालत सब कुछ करवा देते हैं... अब पलटना नामुमकिन था... शादी हो चुकी थी .... और सोनल का क्या कसूर..... उसे क्यूँ चोट पहुन्चाऊ अगर मेरी किस्मत मुझे बार बार चोट पहुँचा रही है तो इसमे उस बेचारी का क्या दोष .

उसका चेहरा बिल्कुल सपाट था ... ना खुशी... ना गम.. देख के लगता ही नही था कि आज उसकी सुहागरात है.

इतने मे सूमी आ गयी - उसका चेहरा ही बता रहा था कि रो के आई है.

'अभी तक यहाँ क्या कर रहे हो ... मत लडो अपने आप से इतना ... उसके प्यार को पहचानो और अपने अंदर छुपे प्यार को जगाओ ... वो प्यार जो दूसरे को खुशिया ही ख़ुसीया देना जानता है... इतना इंतेज़ार नही करवाते दुल्हन को.... अब चेहरे पे हँसी लाओ और जाओ अपनी दुल्हन के पास .... कितने अरमान सज़ा रखे होंगे उसने इस रात के लिए .... उसके सभी अरमान पूरे करना..... तुम्हें मेरी कसम .... दिल से प्यार करना उसे'

सुनील उसका चेरा देखता ही रहा - फिर कस के लिपट गया उसके साथ और उसके चेहरे को चुंबनो की बरसात से भर दिया.

'बस मेरी जान .....कुछ दिन उसे उसका हक़ दो - फिर मेरी बारी आएगी... लव यू... अब जाओ'

सूमी उसे खींचती हुई दरवाजे तक ले गयी और अंदर धकेल दिया .......फिर एक ठंडी साँस भरती हुई अपने कमरे में चली गयी जहाँ वोड्का से भरा ग्लास उसका इंतेज़ार कर रहा था.

सुनील जैसे ही कमरे में घुसा - एक कामुक मनमोहक सुगंध ने उसे घेर लिया और उसके अंदर उमड़ते हुए तूफान को शांत करने लगी ..... उसकी नज़र बिस्तर पे बैठी सोनल पे गयी और उसकी आँखें चोंधिया गयी.... सोनल का ये रूप .... उसे जैसे कह रहा था - डरो मत -- पास आओ --- तुम्हारी सूमी का ही तो एक रूप हूँ मैं --- देखो मुझे कितना मिलती हूँ तुम्हारी सूमी से ... उसने मुझे तुम्हारे लिए ही तो जनम दिया था... कब तक दूर खड़े रहो गे ... आओ ना पहचानो मुझे मैं हूँ तुम्हारी सूमी का योवन.
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01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल उसे अपने पास खींच रही थी ....... अपने आप को शांत करता हुआ ... वो उसकी तरफ खिचने लगा और बिस्तर के पास जा के खड़ा हो गया.

अहह सुनील के पास होने के अहसास ने सोनल को ठंडक पहुँचाई. वो बिस्तर से उठी और सुनील के करीब जा उसके पैरों में झुक गयी. सुनील ने फट से उसे उठाया ... ये क्या कर रही हो .

'उन कदमो की धूल ले रही हूँ ... जहाँ मुझे सारी जिंदगी रहना है' काँपती आवाज़ में सोनल बोली.

सुनील ने उसे अपने सीने से लगा लिया - फिर कभी ना ऐसा सोचना और ना ऐसा करना - तुम और सूमी दोनो मेरे दिल की धड़कन हो

सोनल ने अपने बाहों का हार सुनील की गर्दन में डाल दिया ' मैने आपको और माँ को बहुत बुरा भला कहा ..... मुझे माफ़ कर दो प्लीज़.... सोनल की आवाज़ रुआंसी हो रही थी.

'कितनी बार माफी माँगोगी .... कहा तो था कर दिया माफ़ ........ लेकिन मैं जानता हूँ सूमी ... अंदर ही अंदर बहुत तड़प रही है ....उसे बहुत गहरी चोट लगी है'

'मैं बहुत बुरी हूँ .... और सोनल का रोना छूट गया ....... ये कैसी सुहाग रात थी ..... जहाँ दुल्हन इतना रो रही थी. 

'बस चुप.... तू बुरी नही बेवकूफ़ है पगली '

'आप और दीदी जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी ... कभी शिकायत का मोका नही दूँगी ... मुझे अपने दिल में थोड़ी जगह देदो ... बस और कुछ नही चाहिए'

'मेरा दिल मेरा रहा ही कब ... वो तो तुम दोनो हथिया चुकी हो .... मेरा तो वजूद ही तुम दोनो से है'

'ओह सुनील आप बहुत अच्छे हो'

सोनल को याद आया सूमी ने क्या कहा था.... वो सुनील से अलग हुई और कमरे में रखे एक चाँदी के ग्लास की तरफ बढ़ गयी .... छन छन करती उसकी पायल बज रही थी .... काँपते हाथों से उसने वो ग्लास उठाया और सुनील के करीब पहुँच .... आपके लिए .... ग्लास उसकी तरफ बढ़ा दिया.

'पहले इसे मीठा तो कर दो ' सोनल लजा गयी चेरा लाल सुर्ख हो गया सुनील ने ग्लास उसके होंठों से लगा दिया और सोनल को घूँट भरना ही पड़ा - फिर सुनील ने आधा ग्लास खुद पिया और आधा उसे पिलाया... अब तक वो खुद को सम्भल चुका था ... शायद ये सूमी का ही असर था ... जो उसे इस कमरे में धकेल गयी थी.


दूध का ग्लास ख़तम होने पर - सोनल ने उसे साइड टेबल पे रख दिया और सर झुकाए खड़ी हो गयी - इस इंतेज़ार में की कब सुनील उसे अपनी बाँहों में समेटता है.

सुनील आगे बढ़ा और सोनल को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पे बिठा दिया. 
धक धक धक सोनल के दिल की तेज धड़कनो के सुर कमरे में गूंजने लगे.

सुनील ने जेब से सॉलिटेर की एक अंगूठी निकाली और सोनल के हाथ को अपने हाथों में थाम उसे पहना दी ' ये है एक छोटा सा नज़राना मेरी जान को मुँह दिखाई का'

सोनल - इसकी क्या ज़रूरत थी - मेरे लिए तो बस आप ही सब कुछ हो - इन गहनो से मुझे कोई लगाव नही है - बार अपने प्यार का गहना पहना दी जिए.

सुनील ने आगे बढ़ उसकी चुनरी को उसके जिस्म से अलग कर दिया ...... और जब गौर से सोनल के चेहरे को देखा तो खुद उसका दिल जोरों से धड़कने लगा -- आज पहली बार वो सोनल को बहन के रूप में नही एक सुंदर अप्सरा के रूप में देख रहा था और खुद को खुश किस्मत समझने लगा था के इतना प्यार करने वाली लड़की ने उसे अपना जीवन साथी चुना.

सोनल की आँखें बंद हो चुकी थी - उसके लब काँपने लगे थे और जब सुनील ने अपने हाथों में उसका चेहरा थामा ---- एक हलचल सी मच गयी सोनल के पूरे जिस्म में - आज उसे उसका प्यार मिलने वाला था - उसके प्यार ने उसे कबूल कर लिया था.... और क्या चाहिए था सोनल को .

सोनल का मोहक चेहरा सुनील को अपनी तरफ खींच रहा था - जैसे चुंबक लोहे को खींच लेती है.

सोनल के माथे को जब उसने चूमा तो सोनल का पूरा बदन कांप उठा.
'सोनल डॅड के दिए हुए संस्कारो को तोड़ना आसान नही था मेरे लिए - बहुत लड़ा हूँ अपने आप से - इन्सेस्ट मेरी जिंदगी में आ जाएगा - ये मैने कभी नही सोचा था - इसलिए कभी तुम्हारे प्यार की कद्र नही की थी - हो सके तो मुझे माफ़ कर देना'

सोनल की आँखें खुल गयी और उसने फट से अपना हाथ सुनील के मुँह पे रख दिया ' आपको माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही - और ना ही कभी अपने मन में कोई ग्लानि की भावना लाना --- मैं जानती हूँ आप मुझे बहुत प्यार करते हो --- जहाँ संस्कार होते हैं वहाँ इन्सेस्ट को अपनाना आसान नही होता ... मैं भी खुद से बहुत लड़ी थी - जब आपसे प्यार होना शुरू हुआ था - लेकिन ये होना था - मेरा मोहसिन आपने ही बनना था - भूल जाइए पुरानी बातें'

'मेरा वादा है तुमसे जहाँ की सारी नैमते तुम्हारी झोली में डाल दूँगा - तुम्हारे सोचने से पहले ही तुम्हारी आरज़ू पूरी हो जाएगी'

'ओह सुनील - तुम कितने अच्छे हो ' सोनल सुनील के गले लग गयी.

फिर झट से अलग हो गयी और अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया ------- ऐसे वो सुनील से चिपक जाएगी ये सोच उसकी लाज ने उसका बुरा हाल कर डाला - उसकी साँसे तेज हो गयी - और चेहरे की रंगत बदल गयी - गुलाबी से लाल सुर्ख हो गया.

सोनल ने जब अपना चेहरा ढका तो सुनील को झटका सा लगा - सागर से गहरी वो आँखें जिनमे वो डूबना चाहता था - उन्हों ने खुद को ढांप लिया था 

सुनील ने धीरे से उसके हाथों को उसके चेहरे से अलग किया ' अपने रुख़ पे निगाह पड़ने दो, खूबसूरत गुनाह करने दो , रुख़ से परदा हटाओ जाने हया , आज दिल को तबाह करने दो'

सोनल का सीना एक लय में उपर नीचे हो रहा था ...... अचानक शोर करती हुई लहरें शांत हो गयी ......... सोनल की साँसों की गति से निकलता हुआ मोहक संगीत फ़िज़ा में फैलने लगा --- और लहरों ने शोर मचा भी तो इसलिए बंद किया था कि वो इस संगीत की मधुरता का आनंद लेना चाहती थी.

चाँद ने देखा की लहरों ने उसके आकर्षण को नकार दिया है - तो उसे बड़ा ताजुब हुआ ..... इसका कारण ढूँढते हुए जब वो उस खिड़की पे पहुँचा जहाँ ये दोनो थे तो जैसे ही उसकी नज़र सोनल पे पड़ी - उसके मदमाते हुस्न के आगे नतमस्तक हो गया और लहरों से कहने लगा -- शोर मत करो - पर उस संगीत का आदर तो करो - और लहरें धीरे धीरे जैसे नृत्य करते हुए उपर नीचे होने लगी उसी ले में जिस ले में सोनल की साँसे चल रही थी.

अपने होंठों को सोनल के होंठों के बहुत करीब ले गया सुनील --- दोनो की साँसे एक दूसरे में घुलने लगी .... और आने वाले पल को समझ सोनल का बुरा हाल होने लगा. ' आँखें खोलो ना ' सोनल ने ना में गर्दन हिला दी ' प्लीज़.....' फिर से वही ना में गर्दन हिल गयी ..... सोनल की शरम-ओ-हया सुनील पे अपना जादू बिखेर रही थी. 

'इतना शरमाओगी तो कैसे चलेगा .... तुम्हारी झील सी आँखों में उतरने को दिल बहुत बेताब हो रहा है'

' प्लीज़ मुझे बहुत शर्म आ रही है... मुझ से नही होगा'

'शर्म गेरो से हुआ करती है - अपनो से नही - शर्म हम से भी करोगी तो मुसीबत होगी - मुसीबत होगी'

धीरे धीरे सोनल ने अपनी पलकें खोल ली ----- लाल सुख डोरे यूँ तैर रहे थे उसकी आँखों में - जैसे आँखें ना हों .... दो नशीले पयमाने हों.

दोनो की नज़रें चार हुई - और वहीं रुक के रह गयी ...... समय तक थम गया....... तपते हुए सुनील के होंठों ने लरजते हुए सोनल के होंठों को छू लिया.

अहह सिसक पड़ी सोनल .... बदन में नशा फैलता चला गया.

'कैसी हसीन आज बहारों की रात है
एक चाँद आसमान पे है एक मेरे साथ है'

'सुनीिल्ल्ल्ल्ल'

अब सुनील और ना रुक सका उसके होंठ सोनल के होंठों से सट गये - सोनल की पलकें बंद हो गयी - दिल के तार छिड़ गये ..... होंठों का कंपन बढ़ गया.

सुनील सोनल के होंठों की लाली चुराने लगा और सोनल के हाथ अपने आप सुनील के सर पे जा उसके बालों को सहलाने लगे.

सोनल की सिसकियाँ दब रही थी - उसके जिस्म में अंजाने तरंगें उठ रही थी... उसका प्यार उसे उन वादियों में ले जा रहा था जिनसे वो अंजान थी. होंठों के चुंबन का अहसास उसे झकज़ोर रहा था ... दिल चाह रहा था कि सुनील से लिपट जाए पर शर्म उसे रोक रही थी. सुनील ने जब उसके निचले होंठ को अपने होंठों में ले हल्के हल्के चूसना शुरू किया --- उसके होंठों में बसे मधु का रस पान करने लग गया - तब सोनल भी खुद को रोक ना सकी और उसका साथ देते हुए उसने सुनील के उपरी होंठ को चूसना शुरू कर दिया. दोनो के गर्म साँसे एक दूसरे से टकराते हुए कमरे में फैली कामुक हवा का स्पंदन बड़ा रही थी ... जिस्मो का तापमान धीरे धीरे बढ़ने लग गया था ..... अपने प्यार का ये पहला चुंबन ... सोनल की सांसो की महक को और बढ़ा रहा था. कितनी देर दोनो इसी तरहा एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे ...... अपने दिल की धड़कनो की लय को बदता हुआ महसूस करने लगे ... रक्त का प्रवाह धमनियों में तेज होने लगा ... सांसो की रफ़्तार बढ़ने लगी और सुनील अपनी ज़ुबान से सोनल के चमकते दाँतों को छू छू के उनका अहसास लेने लगा.

दिल की तड़प को शांत करने के प्रयास में जिस्म हार खाने लगता है - यही हुआ दोनो के साथ - होंठ अलग नही होना चाहते थे पर साँसे फूल चुकी थी ... मजबूरन होंठों को एक दूसरे से जुदा होना पड़ा .... होंठों की वो तड़प देखने वाली थी .... इस तरहा फड़फड़ाने लगे जैसे उनकी जान उनसे जुदा हो रही हो.
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01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल ने अपना चेहरा सुनील के कंधों पे टिका दिया और अपनी सांस दुरुस्त करने का प्रयास करने लगी --- उसका धड़कता दिल उसे कह रहा था पिघल जाओ और समा जाओ अपने प्रेमी के जिस्म में कभी जुदा ना होने के लिए.

सुनील ने सोनल के झुमके उतार डाले .... गले में पड़े हार का बंधन ढीला कर उसे भी अलग कर दिया ... माथे की शोबा बढ़ाता हुआ टीका अलग हो गया ... सभी जेवर गुस्से से सुनील को देखने लगे - आख़िर क्यूँ हमे जुदा किया इस रूप सुंदरी से ... हमारा भी तो हक़ बनता है इसके योवन की महक को अपने अंदर समेटने का. 

जेवर के बन्धनो से आज़ाद हो कर सोनल खुद को हल्का महसूस करने लगी - गले में बस मंगल सुत्र रह गया था जिसे उसने निकालने नही दिया. उसका मासूम चेहरा अपनी छटा बिखेरने लगा -- चेहरे की जो चमक जेवरों के पीछे छुप सी रही थी अंगड़ाई लेते हुए महॉल को महकाने लगी और सुनील के दिल के तारों को छेड़ने लगी.

चाँद जो हर रात अपनी सुंदरता पे गर्व किया करता था शर्म के मारे खुद को छुपाने की कोशिश करने लगा और बादलों की ओट में चुप गया...... 

सोनल !!!!

ह्म्म

'आइ लव यू' 

हर लड़की के कान ये तीन शब्द सुनने के लिए तरसते रहते हैं... सोनल भी तरस रही थी ..... उसके मनमंदिर की घंटियाँ बजने लगी और वो अपना चेहरा सुनील की गर्दन पे रगड़ उसे अभिवादन करने लगी... सुनील की बाँहें उसके इर्द गिर्द हो उसे अपने अंदर समेटने का प्रयास करने लगी ---- फुसफुसाती हुई सोनल उसके कान में बोली ' लव यू टू जानम'

सुनील के हाथ सोनल की पीठ को सहलाने लगे और धीरे से चोली के बंधन को खोल दिया ..... जब जब सुनील के हाथ उसकी नंगी पीठ को छूते ---- सोनल सिसक पड़ती और भी सख्ती से सुनील के साथ चिपकने की कोशिश करती.

सुनील ने जब उसकी चोली को उसके बदन से अलग किया तो लाज के मारे अपने उरोज़ छुपाती हुई बिस्तर पे ओंधी गिर पड़ी.

गुलाब की पंखुड़ियों ने उसका स्वागत किया और जलने लगे - तड़पने लगे --- हाई क्या खुश्बू है इस काम्सुन्दरि के बदन की ... अब हमे कॉन पूछेगा ... क्यूँ ना इसके बदन की खुश्बू अपने में समेट अपने इस क्षणभन्गुर जीवन को कृतार्थ कर लें.

बिस्तर पे गुलाब की पंखुड़ियों के बीच ओंधी लेटी सोनल कांप रही थी ... आने वाले पलों का सोच कर ... उसका बदन लरज रहा था इंतेज़ार कर रहा था सुनील के तपते हुए होंठों का.

पीठ पे छोटी दो तनिया ब्रा की डरने लगी - अब हमारी बारी आ गयी इस हसीना से जुदा होने की .... सुनील ने अपने होंठ सोनल की कमर पे रख दिए और उसके बदन की महक को समेटने लगा. सुनील के तपते होंठों का अहसास अपनी कमर पे पा कर सोनल मचल उठी - अहह सिसकते हुए उसने बिस्तर को अपनी मुठियों में भींच लिया और सुनील धीरे धीरे उसे चूमता हुआ उसकी पीठ की तरफ बढ़ने लगा . हर चुंबन के साथ सोनल सिसक रही थी - जिस्म इस बढ़ती हुई अग्नि को संभाल नही पा रहा था और बलखाने लगा - जैसे नागिन कामतूर हो कर बलखाती है.

सुनील के हाथ भी उसकिं कमर को सहलाते हुए उपर की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहे थे ... उन हाथों की तपिश सोनल को और भी जला रही थी --- उसकी चूत ने अपना रस टपकाना शुरू कर दिया और वो अपनी जाँघो को कस के एक दूसरे के साथ रगड़ने लगी.

दोनो की गर्म साँसे कमरे में कामुकता का महॉल और भी संजीदा कर रही थी...........अंजानी सी तरंगें बदन में लहरा रही थी और दोनो को तडपा रही थी. सोनल की सांसो की रफ़्तार पल पल बढ़ती जा रही थी.

ऐसे ही धीरे धीरे उसके बदन को चूमते हुए सुनील के होंठ उसकी ब्रा की तानियों तक पहुँच गये और हाथों ने देर ना लगाई ब्रा के हुक खोलने में ...... सुनील ने जब उसे पलटने की कोशिश करी तो शर्म के मारे बिस्तर से ज़ोर से चिपक गयी.... बुरा हाल होने लगा था उसका --- उसका जोबन अब नग्न होने वाला था .... जिसे देखने के लिए सुनील की प्यासी नज़रें तड़पने लगी थी.

सुनील ने अपनी शेरवानी और बनियान उतार फेंकी और सोनम के बदन के साथ साइड में लेट गया --- उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे अपनी तरफ मुड़ने का संकेत देने लगा ..... सकाकुचती शरमाती सोनल उसकी तरफ मूडी और फट से अपने दोनो हाथ आगे कर अपने चेहरे को ढक लिया और अपनी कोहनियों से अपने उरोज़ छुपाने की कोशिश करने लगी ... उसकी साँसे अब धोकनी को भी मात देने लगी थी. पलकें तक फड़फड़ाने लगी थी.

सुनील ने उसे सीधा किया पीठ के बल और उसकी नाभि को चूमने लगा ... ज़लज़ला आ गया सोनल के बदन में. सोनल की नाभि उसके जिस्म का एक कामुक बटन था - जिसे छेड़ने पे उसके जिस्म में उत्तेजना अपने चर्म पे पहुँच जाती थी ... इस बात का अहसास आज पहलकी बार सोनल को हो रहा था.

जैसे जैसे सुनील की ज़ुबान उसकी नाभि के चारो ओर घूम रही थी उसके बदन में अंजानी आनंद की लहरों की बृद्धि होती जा रही थी ... ना चाहते हुए भी सोनल के हाथों ने सुनील के सर को अपनी नाभि पे दबा डाला नतिजन सुनील की ज़ुबान नाभि में घुस्स गयी.

आआआआआआआआआआहह सोनल ज़ोर सी सिसकी उसका बदन उसके काबू से बाहर होने लगा ... टाँगे उपर उठती और गिरती ..... सुनील ने जब उसकी नाभि को अपनी ज़ुबान से चोदना शुरू कर दिया तो वो बर्दाश्त नही कर पाई ... जिस्म कमान की तरहा उपर उठने लगा ..... पूरा बदन अकड़ने लगा .... और वो श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्शुउउउउउउउउउउउउउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्नीईईईईईईईइल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल का नाम चिल्लाते हुए झड़ने लगी . उसकी चूत ने फड़कते हुए अपनी नदियों के बाँध को खोल दिया .

सोनल को पहली बार ऑर्गॅज़म का आनंद मिल रहा था और ये उसके बस का नही था ... ये वो आनंद था जो हर लड़की पाने को तरसती है और सोनल आँखें बंद कर बिस्तर पे निढाल हो गयी अपने चर्म के आनंद को भोगने की जुस्तुजु में.................

सोनल जब अपने ऑर्गॅज़म का आनंद भोग रही थी तब उसकी ढीली पड़ी ब्रा उसके उरोजो के उपर से हट गयी थी और उसके सुडोल पहाड़ियों की तरहा तने हुए उरोज़ उजागर हो गये. हल्के गुलाबी रंग के निपल सुनील को बुलाने लगे … अब तो आ जाओ हम तुम्हारे होंठों की गर्मी पाने को तड़प रहे हैं.

सुनील मंत्रमुग्ध होता हुआ सोनल के मम्मो को देख रहा था उनकी सुंदरता को अपनी आँखों में बसाने की कोशिश कर रहा था.

सोनल की पलकें खुली तो उसने सुनील को अपने वक्षों के उपर आसक्त होते हुए देखा – एक पल को विजयी मुस्कान उसके चेहरे पे फैल गयी – हर पत्नी यही चाहती है कि उसका पति उसके योवन पे आसक्त रहे लेकिन दूसरे पल उसे शर्म आने लगी और उसने अपने उरोज़ ढकने का प्रयस्स किया तो सुनील ने झट से उसके हाथों को पकड़ लिया …. ‘मत छुपाओ इन्हें … जी भर के देखने दो ….. कितना नादान था मैं .. जो तुमसे दूर भागता था ‘

‘मुझे शर्म आ रही है लाइट बंद कर दो प्लीज़’

‘उँ हूँ …. अब इतना भी ज़ुल्म मत ढाओ ‘

सुनील ने झुक के उसके निपल पे अपनी ज़ुबान फेर डाली ……. ऊऊऊहह म्म्म्मेममममाआआ

‘मत करो ऐसे … कुछ हो रहा है’ काँपती हुई सोनल बोली.

पर सुनील कहाँ रुकता … मधु के दो प्याले – उसे बुला रहे थे …. अपना संपूर्ण रस पिलाने के लिए’

सुनील ने एक निपल को चूसना शुरू कर दिया और दूसरे उरोज़ को धीरे धीरे मसल्ने लगा.

अहह मत करो ना … क्यूँ सता रहे हो…. हूँ … प्लीज़…..

कहने को सोनल – सुनील को रोकना चाहती थी पर दिल ही दिल में यही इच्छा जागृत हो चुकी थी कि वो उसे पूरा निचोड़ डाले… उसके जिस्म का अच्छी तरहा रस्पान करे.

सुनील के चूसने की गति बढ़ने लगी और उरोज़ मसल्ने में दबाव बढ़ने लगा
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01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
आनंद और दर्द का मिलाजुला प्रहार सोनल को और भी उत्तेजित करने लगा – अपनी एडियाँ रगड़ते हुए खुद को उछालने से रोक ने लगी …. और जब लज़्ज़त का अहसास और भी बढ़ गया तो उसके दोनो हाथ चूड़ियो को खंकाते हुए सुनील को अपने उरोज़ पे दबाने लगे.

उफफफफफफफफफ्फ़ म्म्माथआआररर्र्र्र्ररर द्द्दददाआाालल्ल्ल्लूऊऊऊऊगग़गगीईई क्या

सोनल को वो अहसास प्राप्त होने लगा जो उसने कभी महसूस नही किया था… मर्द के होंठों की गर्मी अपने निपल पर … उसके सख़्त हाथों की तपिश अपने उरोज़ पे ……. उसका पूरा जिस्म झंझनाने लगा.

सुनील कभी एक निपल को चूस्ता और कभी दूसरे को…. निपल सख़्त होते चले गये… गुलाबी उरोज़ लाल पड़ने लगे.

जब भी सुनील निपल को दाँतों से काट लेता …… दर्द और आनंद दोनो ही सोनल को तडपा देते 

उूुुुउउइईईईईईईईईईईइइम्म्म्मममममाआआआआअ धीरे ....काटो मत … उफफफफफफफ्फ़ हहाईईईईईई क्या कर रहे हो मुझे.

जगह जगह लव बाइट्स के निशान पड़ने लगे …….. सुनील ने और भी ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और इतनी ज़ोर से दबाने लगा जैसे अभी इनमे से दूध निकाल कर ही रहे गा.

सोनल अपनी टाँगे पटाकने लगी … उसकी चूत में रस की फुहारें छूटने लगी … इतनी भयंकर खुजली उठी कि उसे सहन नही हुई और वो सुनील के बाल नोचते हुए तड़पने लगी.
ये कैसा प्यार था जिसमे दर्द भी मज़ा देता है … इसका अनुभव सोनल आज कर रही थी.

मचल रही थी सोनल … तड़प रही थी … कुछ चाहिए था उसे … उसके बारे में सोच .. उसकी साँसे उखाड़ने लगती … जिस्म में उठता हुआ जवरभाटा बड़ी तेज़ी से अपने मुकाम की तरफ बढ़ रहा था. तभी सुनील ने उसके लहगें के बंधन खोल डाले और अपने हाथ को सरकाता हुआ उसकी चूत तक ले गया… पैंटी के उपार से ही उसने सोनल की चूत को बुरी तरहा भींच डाला और सोनल…. उूुुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ म्म्म्मपमाआआअ 

‘क्यूँ मेरी जान लेने पे तुले हुए हो … मर जाउन्गि मैं …. ये क्या हो रहा है मुझे …’ अटक अटक के वो सुनील को अपनी दशा के बारे में बता रही थी … पर सुनील खो चुका था … उसके होंठों तो जैसे सोनल के निपल से चिपक गये थे और उसके दूसरे हाथ ने पैंटी की साइड से अंदर घुस उसकी कोमल अन्छुइ को सहलाना शुरू किया तो तो अग्नि ने जवालामुखी का रूप ले लिया …. ये तड़प ये अहसास नकाबिले बर्दाश्त था. 

ज़ोर से सुनील को बालों से खींचते हुए अपने होंठों में उसके होंठों को क़ैद कर लिया और और टाँगें पटकती हुई झड़ने लगी और उसके दाँत सुनील के होंठों पे गढ़ गये.

दर्द की एक लहर सुनील के जिस्म में दौड़ गयी . एक पल को तो उसे समझ ही नही आया कि ये अचानक क्या हुआ.

सोनल जब शांत हुई तो उसके दाँतों की पकड़ सुनील के होंठों पे ढीली पड़ गयी.

उफफफफफ्फ़ करता हुआ सुनील उस से अलग हुआ. ‘ शेरनी पल्ले पड़ गयी मेरे’ अपने हाथों से अपने होंठ रगड़ता हुआ बोला. सोनल के दाँत छप गये थे सुनील के होंठों पे.

‘ और जो इतनी देर से मुझे सताते जा रहे हो उसका क्या … पता नही क्या क्या करते जा रहे हो… ये देखो --- अपने उरोज़ पे सुनील के लव बाइट्स दिखाते हुए… मुझे दर्द नही होता क्या… तुम तो मुझे जान के जगह जगह काट रहे हो … मुझे तो पता ही ना चला कब और कैसे मैने ये कर दिया ….. होश में ही कहाँ रहने देते हो’ ना वो हँस पा रही थी ना वो रो पा रही थी .

‘सॉरी डार्लिंग पता नही मुझे क्या हो गया था … तुम हो ही इतनी खूबसूरत बस तुम्हारे अंदर समा जाने को दिल करता है…. वैसे मुझे ये शेरनी बहुत पसंद आई…. किस्मत वालों को ऐसी शेरनी मिलती है’

‘धत्त …. कुछ भी बोलते हो’

सुनील अपने गालों को उसके गालों से रगड़ता हुआ बोला ….. पहले ही बन जाती ना शेरनी … इतने साल बर्बाद नही होते.

‘तुम्हारी तरहा बेशर्म नही हूँ’

‘अच्छा जी तो आज ही बेशर्म बनी हो’

‘तुमने बना डाला … मैं क्या करती’

‘ हाई मेरी चमक छल्लो … दिल गार्डन गार्डन कर दिया’ और सुनील ने पलट के सोनल को अपने उपर ले लिया.

दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे….. सोनल फिर से शरमाने लगी ….. उसकी पलकें झुकने लगी.

‘अरे मेरी शेरनी शरमाने लगी’

‘शर्म तो लड़की का गहना होता है’

‘अभी तो कह रही थी मैने बेशर्म बना दिया’

‘उँ हूँ बहुत सताते हो’ सोनल ने सुनील की छाती पे अपने गाल सटा दिए और उसके धड़कते दिल को महसूस करने लगी.

सुनील के हाथ उसकी पीठ पे थिरकने लगे और सोनल की साँसे तेज होने लगी.. आँखें बंद कर इस सुखद अहसास को अपने अंदर संजोने लगी.

सुनील के हाथ सरकते हुए उसके नितंबो पे पहुँच गये और उन्हें मसल्ने लगा.

‘उउउफफफफ्फ़ माँ फिर शुरू हो गये….. अहह ‘ सोनल अपने होंठ सुनील की छाती पे रगड़ने लगी.

सोनल को अपनी जाँघो के बीच सुनील के सख़्त लंड का अहसास हो रहा था और ना चाहते हुए भी अपने आप वो अपनी धकि हुई चूत को उसके धके हुए लंड से रगड़ने लगी.

अहह … क्यूँ जला रहे हो मुझे… ओह्ह्ह्ह माआ …..आआहह दीदी देखो ना क्या कर रहे हैं. उफफफफ्फ़.
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01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील ने पलटी मार सोनल को अपने नीचे ले लिया और उठ के उसके लहँगे को जिस्म से अलग करने लग गया ….. सुनील की आँखों में दहक्ति हुई काम ज्वाला से सिहर्ती हुई सोनल के नितंब अपने आप उठ गये और लहंगा पल भर में ही ज़मीन पे पड़ा था… अब सोनल के जिस्म पे सिर्फ़ पैंटी रह गयी थी… सुनील ने भी अपना पाजामा उतार डाला और एक दम अंडर वेअर उतार डाला. 

उसके तगड़े लंबे मोटे लंड पे जब सोनल की नज़र पड़ी तो डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली …. दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा .

सुनील से अब नही रुका जा रहा था पर फिर भी उसे उन सालों की भरपाई करनी थी … जितने साल सोनल उसकी बेरूख़ी की वजह से तडपी थी.. आज वो सोनल को आनंद की उन वादियों में ले जाना चाहता था कि तड़प का अहसास दिल से हमेशा के लिए मिट जाए. सुनील सोनल की टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी जाँघो को सहलाने हुए झुक गया …. उसकी पैंटी के उपर अपनी नाक रख सूंघने लगा और मदहोश होने लगा.

सोनल ने जब उसकी नाक को अपने सबसे संवेदन शील अंग को छूते हुए महसूस किया तो सिसक पड़ी .

उम्म्म्मम क्या कर रहे हो… हटो ….

सुनील ने सोनल की पैंटी खींच डाली और उसकी कुलबुलाती हुई चूत पे अपनी ज़ुबान फेर उसके निकलते हुए रस को चाटने लग गया.

अहह ये ये क्या उफफफफफ्फ़ उूुउउइईईईईईई अहह मत कार्रर्र्रूऊऊ

सुनील ने उसकी चूत को पूरा मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गया .

सोनल अपनी गर्दन इधर उधर पटाकने लगी .

हहाआआऐययईईईईईईईईई न्न्नसचणन्नाआआहहिईीईईईईईई उूुुुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़

कुछ देर ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से चूसने के बाद सुनील ने उसकी चूत को छोड़ा और जब ध्यान से देखा तो उसकी चूत के चारों तारफ मेंहदी से सुनील सुनील लिखा हुआ था ........

मस्त हो गया सुनील और उसकी छोटी चूत की फांकों को अपनी उंगलियों से अलग कर अपनी ज़ुबान बीच में डाल दी.

तड़प गयी सोनल इस अहसास को पा कर ... उसका जिस्म आधा उपर उछल गया.

आाआईयईईईईईईईई द्द्द्ददडिईईईईईईयययद्द्द्द्द्द्ददडिईईईईईईईईई र्र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊऊओक्ककककककूऊऊऊऊ ईईईईईईईईईईईईन्न्न्णनीईईन्न्नरननननणणन्

तभी सुनील ने अपनी एक उंगली भी सोनल की चूत में सरका दी.

हा हा आआहह दर्द की एक लहर फैल गयी सोनल के जिस्म में, बहुत सन्करि थी उसकी चूत ...... आँखें फट पड़ी उसकी

द्द्द्द्द्द्दददाााआअरर्र्र्र्र्र्र्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड हूऊऊऊऊ र्रर्रााााआआ हहाआाईयईईईईईईईई न्न्न््र नाआआआ ककककककाआअरर्र्र्र्रूऊऊऊओ

सुनील ने उसकी चीख सुन अपनी उंगली की हरकत बंद कर दी पर बाहर नही निकाली ...........और अपनी ज़ुबान के करतब उसकी चूत को महसूस कराने लगा .... चूत से उठती हुई संवेदन लहरें सोनल को झटके देने लगी 

म्म्म्म.माआआआअ रोको इन्हें प्लीज़ ...... अहह

सोनल तड़प के सुनील के बाल खींचने लगी और अपनी गर्दन इधर उधर पटाकने लगी अपनी टाँगों से सुनील की पीठ पे बरसात करने लगी लेकिन सुनील मस्ती में उसकी चूत से चिपका रहा.

सुनील ने धीरे धीरे अपनी उंगली को हरकत देनी शुरू कर दी. 
दर्द के साथ एक मीठा अहसास फिर से सोनल को तड़पाने लगा ….. दिल धक धक कर बार बार ये कह रहा था ….इतना भी ना करो प्यार…… 

उंगली की हरकत के साथ ज़ुबान से लपलपाना उफफफफफफ्फ़ कॉन कॉन से सुर नही जाग रहे थे सोनल के जिस्म में ….. हर इंसान में सुर और संगीत का अथाह सागर होता है ….. अपने अंदर छुपे हुए सुरों को जागृत होता हुआ सोनल महसूस कर रही थी और वो सुर मिल के जिस संगीत को जनम दे रहे थे उसकी मधुर ध्वनी जो सिर्फ़ जिस्म ही महसूस कर सकता था …… उस आनंद का अहसास अगर किसी लड़की को सुहाग रात में हो जाए … तो अपने जनम को धन्य समझेगी… पर जायदातर ऐसा नही होता…. ये किस्मत का करिश्मा था …. या फिर सुनील के अंदर जनम से ही ये कला छुपी हुई थी … जिसे सुमन ने निखारा था… आज सुनील के सामने कामदेव भी नतमस्तक हो रहा था….. वो होता तो अब तक पेल दिया होता…. लेकिन सुनील अपने जिस्म की तड़प को सहन करता हुआ सिर्फ़ और सिर्फ़ सोनल के आनंद की चिंता करता हुआ उसी पथ पे अग्रसर हो रहा था ….. कितने मर्दों में इतना कंट्रोल होता है ……. पूरी कायनात में गिने चुने मिलेंगे .

सोनल के जिस्म में गुनगुनाता हुआ संगीत जो सुनील जागृत कर चुका था उसके आनंद को उसकी महत्व को महसूस करते हुए सोनल की आँखें भीग गयी .

जिस्म कुछ माँग कर रहा था … दिमाग़ कुछ और ही आनंद में मग्न था …… और सुनील अपनी तड़प को भोगते हुए पश्चाताप कर रहा था इतने सालों तक सोनल को तड़प और दुख के सागर में डुबो के रखने का.

सुनील की ज़ुबान ने जैसे ही सोनल के क्लिट को छुआ उसकी चूत ने संकेत पा अपने आप को और भी संकुचित कर लिया. सुनील को यूँ लगा कि उसकी ज़ुबान और उंगली को सोनल की चूत ने बुरी तरहा जाकड़ लिया है…. सोनल के दोनो हाथों ने उसके सर को अपनी चूत पे दबा डाला … जाँघो ने अपनी ग्रिफ्त बढ़ा दी.. सुनील की साँस घुटने लगी…. सोनल का जिस्म अकड़ने लगा … जिस्म हवा में उठने लगा ----- और एक नही कई लावे एक के बाद एक कर उसकी चूत में बाढ़ लाते हुए उसके रस की नदियाँ बहाने लगे --- जिसे चाह कर भी सुनील पूरा नही पी पाया …. और बिस्तर जिसपे उस रस का सैलाब बनता जा रहा था … खुद को कोस रहा था… कस मुझ में कुछ जीवन होता तो इस रस की सोगात से खुद भी धन्य हो जाता.

सोनल को अब कोई होश ना रहा … धम्म से बिस्तर पे हाँफती हुई गिर पड़ी…. उसकी आखरी चीख बस एक ही थी….........ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊऊऊओवववववववववीईईईईई ययययययययययूऊऊऊऊुुुुुुुुुुुुुउउ
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01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सोनल की इस चीख से सुनील डर गया …… उसकी चूत से बहती हुई नदियाँ …. उसके जिस्म का कांपना…. उसके चेहरे पे आलोकिक चमक का होना…. और उसका बेहोश होना…. ये सब सुनील ने पहली बार देखा था…. घबरा के वो सोनल के चेहरे को थपथपाने लगा… कोई असर ना हुआ…. पल भर सोचा के सूमी को बुला ले … फिर कुछ सोच के रुक गया …. भाग के बाथरूम से पानी लाया और उसके चेहरे पे छिड़कने लगा….. कुछ पलों बाद सोनल होश में आ गयी…. और बड़े प्यार से सुनील को देखने लगी… अब भी उसमे बोलने की हिम्मत ना थी…. पहली बार उसको मल्टिपल ऑर्गॅज़म हुआ था…. इस सुख को भोगना भी इतना आसान नही होता.
सोनल की नज़रें सुनील को अपने करीब बुला रही थी.

सुनील की आँखों के सामने सूमी का मल्टिपल ऑर्गॅज़म घूम गया … उसकी हालत ऐसी ना हुई थी जैसी सोनल की हो गयी थी…. अभी सुनील को वक़्त लगना था औरत के जिस्म को अच्छी तरहा पहचानने के लिए.

सुनील का पूरा चेहरा सोनल के रस से भीगा हुआ था. सोनल के इशारे को समझ सुनील उसके पास जा के लेट गया और सोनल हिम्मत कर उठी और सुनील की नज़रों से अपनी नज़रें टकराती हुई धीमे स्वर में बोली…. आज पता चल गया … यू लव मी टू मच… और सुनील के चेहरे को चाट चाट के सॉफ करने लगी.

सोनल अपना ही रस चख रही थी … अजीब लग रहा था उसे …. पर शायद सुनील को बताने का यही तरीका बचा था उसके पास …. कि वो उसे कितना प्यार करती है.

सुनील के चेहरे को सॉफ करने के बाद सोनल अपनी ज़ुबान उसके होंठों पे फेरने लगी. सुनील उसे फिर अपने नीचे लेना चाहता था … पर सोनल ने उसे रोक दिया … क्यूंकी अब उसकी बारी थी अपने साजन को प्यार करने की.

सोनल ने अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका दिए और अपने उरोज़ उसकी छाती से रगड़ने लगी – सुनील का लंड सोनल की जाँघो के बीच फसा इंतेज़ार कर रहा था … कब उसे सकुन मिलेगा… कब वो सोनल की चूत को अपना घर बनाएगा….

सोनल की चूत फिर अपना रस छोड़ने लगी और उसने अपनी जाँघो को सख्ती से भीच लिया …. और धीरे शरीर उपर नीचे हो सुनील के लंड को अपनी जाँघो से रगड़ने लगी … अपनी चूत के रस से उसे भिगोने लगी… दोनो की ही सिसकियाँ निकल रही थी. सोनल धीरे धीरे सुनील के होंठ चूस रही थी …. उसकी इस हरकत से सुनील को बड़ा मज़ा मिल रहा था. सुनील के मुँह में अपनी जीब डाल अपने रस का अच्छी तरहा स्वाद चखने लगी….. और धीरे धीरे सुनील की तड़प को और बढ़ाने लगी..

मर्द को प्यार कैसे करते हैं ये उसे अभी पता ना था…. पर अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी…. सुहागरात में लड़की बहुत शरमाती है क्यूंकी पहली बार उसका सामना मर्द से होता है (अगर वर्जिन हो तो – जैसे कि सोनल है) पहली बार एक मर्द के सामने बेपर्दा होती है… पहली बार कोई मर्द उसे उसके जिस्म की खूबसूरती का अहसास करवाता है… पर जैसे जैसे रात सरक्ति है… ये शर्म-ओ-हया की दीवार टूटती जाती है और लड़की भी थोड़ा खुलने लगती है… क्यूंकी प्यार एक तरफ़ा नही होता… ये तो दोनो ही एक दूसरे को बताते हैं – कि कितना प्यार वो एक दूसरे से करते हैं और धीरे धीरे उस पल तक पहुँचते हैं जब दोनो का संगम होता है.

सुनील के होंठों को अच्छी तरहा चूमने और चूसने के बाद सोनल थोड़ा नीचे हुई और सुनील की गर्देन को चाटते हुए उसके निपल पे अपनी ज़ुबान फेरने लगी ….. उफफफफ्फ़ सुनील सिसक पड़ा …. 

सोनल ने मस्ती में सुनील के निपल पे अपने दाँत गढ़ा दिए …. अहह छ्ह्हीयेयारर्र्र्र्र्नन्न्न्नियैयीयीयियी

सुनील चीख पड़ा….. पर इस दर्द में भी एक मज़ा था….. सोनल ने फिर दूसरे निपल पे अपने दाँत गढ़ा दिए ….. उूुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ फिर से चीखा सुनील.

सोनल उसके जिस्म को चूमते हुए जब उसके लंड तक पहुँची तो घबरा गयी … उसे वो पल याद आने लगा जब सुनील ने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसाई थी तो कितना दर्द हुआ था … जब ये मोटा लंबा मूसल उसकी चूत में घुसेगा तो….. आगे वो सोच ही ना सकी …….

सुनील उसके मन की बात समझ गया और उसने सोनल का हाथ पकड़ उसे अपने लंड पे रख दिया…… एक करेंट दौड़ गया सोनल के अंदर …. गरम गरम लोहा जैसे उसने छू लिया हो… गला सूखने लगा उसका ….उसके चेहरे पे उभरते हुए डर को देख सुनील ने उसका हाथ हटा लिया और उसे अपने उपर खींच लिया.

अभी वक़्त लगना था सोनल को सुनील के लंड से दोस्ती करने में. सुनील उसके होंठो को चूसने लग गया और साथ ही उसके निपल को मसल्ने लगा. सोनल के अंदर जो डर समाया था वो हटने लगा और उसकी जगह फिर से मस्ती चढ़ने लगी.

सुनील फिर उसके हाथ को अपने लंड तक ले गया और उसके हाथ की गिरिफ्त अपने लंड पे बना दी और धीरे धीरे मूठ मारने लगा…. इस बार सोनल ने हाथ नही हटाया और सुनील के हाथ में दबा उसका हाथ वही करने लगा जो सुनील का हाथ उसे करवा रहा था… कुछ पल बाद सुनील ने अपना हाथ हटा लिया पर सोनल वैसे ही लगी रही. अब उसे सुनील का लंड अच्छा लगने लगा था और मस्ती में उसके लंड को सहलाने लगी.

सोनल के कोमल हाथों के स्पर्श से सुनील का लंड और भी सख़्त होने लगा ………और सुनील बार बार सिसकने लगा ….. अह्ह्ह्ह सोनल…..

सोनल की शर्म शायद अब कम हो रही थी … अपनी जिंदगी की इस रात को अब वो खुल के एंजाय करना चाहती थी. 
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01-12-2019, 02:02 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील के लंड पे हाथ फेरती रही और कभी कभी ज़ोर से दबा देती. जब ज़ोर से दबाती तो सुनील सिसक पड़ता .उसने अपनी सहेली से सुना था की लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है …… पा इतने लंबे और मोटे लंड को मुँह में लेने से डर रही थी.

एक तरफ सोनल उसके लंड को सहला रही थी दूसरी तरफ सुनील उसके निपल को चूसने लग गया. 

ओह सुनिल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल अहह लव मी जान… लव मी आआहह

दोनो ही सिसक रहे थे और दोनो की ही तड़प बढ़ती जा रही थी.

सुनील ने सोनल को अपने उपर से हटा पीठ के बल लिटा दिया और सोनल को समझते देर ना लगी कि अब वक़्त आ गया है … दोनो के मिलन का……..

सोनल की पैंटी जो घुटनो तक सर्की हुई थी …. सुनील ने उसे निकाल दिया और सोनल की टाँगों के बीच बैठ गया. सोनल सिहर उठी … आने वाले पल को सोच … उसकी आँखें बंद हो गयी …. दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा… फिर उसे याद आया सूमी उसे कुछ दे गयी थी.

‘हाई मैं कैसे इनको बोलूं…..मैं तो मर जाउन्गि शरम से ……..होने दो जितना दर्द होता है… सह लूँगी…’ धड़कते दिल से वो सोचने लगी……. दूसरे ही पल उसके सामने आँखों में सुनील का लंड लहराने लगा और अपने आप उसका हाथ काँपता हुआ तकिये के नीचे चला गया और बंद आँखो से ही उसने पेट्रोलियम जेल्ली की ट्यूब सुनील की तरफ सरका दी… जो अभी उसकी चूत को गौर से देख रहा था और सोच रहा था कि एक उंगली से इसकी हालत खराब हो गयी थी… मेरा लंड तो इसकी चूत के चिथड़े उड़ा देगा…. आगे बढ़ुँ या नही…. आज रहने ही देता हूँ… पहले इसे मानसिक रूप से तयार तो कर लूँ…… उसका ध्यान ही नही जाता उस तरफ जहाँ सोनल ने ट्यूब उसकी तरफ सर्काई थी ……. वो फिर सोनल की चूत पे झुक गया और उस पे अपनी ज़ुबान फेरने लगा.

अहह सोनल सिसक पड़ी … उसकी आँखें खुल गयी …. वो तो सोच रही थी कि अभी तुफ्फान आ जाएगा और उसके चिथड़े उड़ जाएँगे … पर जब सुनील को अपनी चूत पे झुका देखा …… तो प्यार से उसके बालों पे हाथ फेरने लगी ….. हाई कितनी परवाह करता है मेरी …. बुद्धू कहीं का….. ये दर्द तो होना ही है.. कब तक टालेगा इसे…. हाई कैसे कहूँ … कि मुझ में अब समा जाए…… सोनल सोच ही रही थी कि सुनील ने अपनी दो उंगलियाँ झटके में उसकी चूत में घुस्सा दी……

उूुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्म्मममममाआआआआआआआअ सोनल चीख पड़ी तेज दर्द के कारण … पर जब सुनील ने उसकी क्लिट को चाटना शुरू कर दिया तो उसका जिस्म काँपने लगा… दर्द कम होने लगा और उत्तेजना बढ़ने लगी… सुनील ने उसकी चूत को चाटते और चूस्ते हुए अपनी उंगलियाँ तेज़ी से चलानी शुरू कर दी अंदर बाहर …. और सोनल … की सिसकियों की बाद गूंजने लगी कमरे में.

आह सी उफ्फ उम ओह उम्म्म्म अहह सस्स्स्स्सिईईईईईईईईईईईई अहसियाह 

सुनील अपनी उंगलियों से सोनल की चूत को थोड़ा खोल रहा था ताकि सोनल को दर्द कम हो जब वो अपना लंड अंदर डालेगा.

अपनी उंगलियों को तेज तेज चलाते हुए सुनील ने उसकी चूत के एक लब को अपने होंठों में दबा लिया और हल्के हल्के काटने लगा ….. सोनल मचलने लगी और सुनील के मुँह पे अपनी चूत उठा उठा के दबाने लगी…

अहह हहाआआऐययईईईईईईईईई आ जाओ ना अब क्यूँ तडपा रहे हो…… आख़िर उत्तेजना को ना बर्दाश्त करने के कारण उसके मुँह से निकल ही गया ….


सुनील ने अनसुना करते हुए उसकी चूत को और भी ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया…….. अहह उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

सोनल की सिसकियाँ तेज होने लगी उसकी गान्ड अब और भी तेज़ी से उछलने लगी …. और सुनील की उंगलियाँ तेज़ी से उसकी चूत की चुदाई करने लगी.

म्म्म्मफमाआआआआ हहाआआआआईयईईईईईईईईई आआआआयययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सोनल और ज़यादा बर्दाश्त ना कर पाई और झड़ने लगी … बदन ढीला पड़ गया. और सुनील मस्ती में उसका सारा रस पीता रहा.

सोनल निढाल सी बिस्तर पे पड़ी थी और सुनील ने जब अपना चेहरा उपर उठाया – उसकी चूत रस से भरा हुआ … तो उसकी नज़र उस ट्यूब पे पड़ी जो सोनल उसे देने की कोशिश कर रही थी. ये किसका काम है … सोनल खुद तो कर नही सकती …ओह ये सूमी का ही आइडिया होगा … ताकि सोनल को तकलीफ़ कम हो… वाह डार्लिंग…. सुनील मुस्कुरा उठा और सोनल के साथ लेट गया…. बेचारा लंड झटके खा रहा था …. मेरा भी कुछ ख़याल करो … अपनी हर झटके के साथ बोलता .. पर सुनील को उसकी चिंता नही थी ….. रात अभी बाकी थी और बात अभी बाकी थी …… थोड़ी देर बाद जब सोनल की तंद्रा टूटी तो वो सुनील से चिपक गयी और जब उसके चेहरे को देखा तो मुस्कुरा पड़ी…. फिर से उसकी चूत के रस से भरा हुआ था. 

‘तुम बहुत अच्छे हो… ‘ उसके चेहरे को चाटते हुए बोली …अब उसे अपनी चूत के रस का स्वाद अच्छा लग रहा था. 

‘पहले बुरा था क्या’

‘बहुत बुरे थे … मुझ से दूर जो रहते थे …….’ अपनी ज़ुबान उसके होंठों पे फेरते हुए बोली.
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