Sex Hindi Kahani गहरी चाल
12-31-2018, 04:04 PM,
#61
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--27

कामिनी मुकुल के साथ अपने ऑफीस मे बैठी थी.षत्रुजीत सिंग को ज़मानत मिलने से वो उसकी तरफ से तो थोड़ी बेफ़िक्र हो गयी थी मगर करण की चिंता उसे लगातार खाए जा रही थी...आख़िर उसने ऐसी ग़लती कैसे कर दी?!

उसके लॅपटॉप पे पोलीस से ली हुई बॉर्नीयो के सीक्ट्व कमेरे की फुटेज चल रही थी.बार के सामने की दीवार पे लगे कमेरे की ब्लॅक & वाइट तस्वीर मे सॉफ नज़र आ रहा था कि करण 1 आदमी से उलझा हुआ था & जयंत पुराणिक दोनो को अलग करने की कोशिश कर रहे थे.उसी बीच शीना ने उसकी जॅकेट उसे थमाते हुए पीछे खींचना चाहा तो करण का हाथ जेब पे लगा & उसने अपनी पिस्टल निकाल के तान दी & फिर गोली चली जो सीधा पुराणिक के सीने मे लगी & वो वही ढेर हो गये.

कामिनी का दिमाग़ लगातार चल रहा था...गन...जब करण ने कहा की उसे अच्छी तरह से याद था की उसने गन वापस सेफ मे रखी थी तो फिर वो उसकी जॅकेट मे कैसे आ गयी?..कही शीना का तो इसमे कोई हाथ नही?..मगर वो बेचारी तो लगातार करण के साथ बनी हुई है..कल कोर्ट मे भी उसका काला चश्मा बड़ी मुश्किल से उसके आँसुओ को छुपा पा रहा था..लेकिन फिर गन जॅकेट मे आई कैसे?..या फिर करण को ही कुच्छ याद नही..

कामिनी ने सर झटक के नंदिता के केस की तरफ ध्यान लगाया.ये भी कम पेचीदा मामला नही था.1 किले जैसे घर मे दरवाज़ा खोल कर कोई किसी को गोली मार देता है,जिसकी आवाज़ भी किसी को सुनाई नही देती.ये तो ज़रूर किसी अंदर के आदमी का काम है!...मगर कौन?पाशा & जीत तो 1 साथ थे..फिर और कौन?

उसने मुकुल को शत्रुजीत के घर मे मौजूद सभी लोगो की लिस्ट बनाने को कहा,"मुकुल,सबके नाम के साथ ये भी पता करो की वो कब से वाहा काम कर रहे हैं?"

"ओके,मॅ'म."

कोई 2 घंटे बाद मुकुल लिस्ट लेकर उसके सामने हाज़िर था,"वाह,मुकुल बड़ी जल्दी कर लिया."

कामिनी गौर से लिस्ट पढ़ रही थी की उसकी नज़र आंतनी डाइयास के नाम पे अटक गयी...सिर्फ़ 2 महीने हुए इसे काम करते हुए...आख़िर ये जीत को मिला कैसे..उसने घड़ी देखी 11 बज रहे थे,इस वक़्त बॉर्नीयो खाली होगा..वाहा तो रात को रौनक होती है..उसने वाहा जाके 1 नज़र वारदात की जगह पे डालने की सोची.

अपनी कार मे बैठते हुए उसने शत्रुजीत को फोन मिलाया,"हाई!जीत."

"..हां..मैं अभी बॉर्नीयो जा रही हू.शाम को मिलते हैं.",थोड़ी देर की बात चीत के बाद उसने फोन रख दिया.आज उसका ड्राइवर नही आया था तो वो अकेली ही ड्राइवर कर पब पहुँची.वाहा पहुँच कर उसने 1 बार बार का जायज़ा लिया.इस वक़्त वाहा सॉफ-सफाई का काम चल रहा था.कामिनी ने 1 बार उस सीक्ट्व कमेरे की पोज़िशन देखी & फिर उस जगह खड़ी हो गयी जहा हाथापाई हुई थी,सिर उसने सामने बार के पीछे की दीवार पे देखा.उसे लगा की वाहा पे भी 1 कॅमरा है.

थोड़ी देर बाद कामिनी पब के मॅनेजर के ऑफीस मे बैठी थी,"..क्या बार के पीछे की दीवार पे भी कॅमरा लगा है?"

"जी..ना-..मेरा मतलब है हां,मगर वो तो खराब पड़ा है."

"तो आपने उसे ठीक क्यू नही करवाया?"

"दूसरे कमेरे से काम चल ही रहा था..आपने भी तो फुटेज देखी होगी..वो कॅमरा पूरा बार कवर कर लेता है."

"ह्म्म...एनीवे थॅंक्स,अगर ज़रूरत पड़ी तो फिर आऊँगी."

"यू'आर ऑल्वेज़ वेलकम."

कामिनी सोच मे डूबी पब से बाहर आ अपनी कार का दरवाज़ा खोल ही रही थी की तभी उसे आँखो के कोने से बड़ी तेज़ी से 1 टाटा सफ़ारी आती दिखी.कामिनी ने फ़ौरन गर्दन घुमाई तो देखा की कार सीधा उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही है.कामिनी ने अपनी कार का दरवाज़ा बंद किया & उच्छल कर अपनी कार की बॉनेट पे कूदी,पर संतुलन बिगड़ने से बॉनेट के उपर से फिसलते हुए अपनी कार के सामने गिरी.सफ़ारी के ब्रेक्स ने बहुत तेज़ आवाज़ की & वो थोड़ा आगे जा के रुकी.

कामिनी अपनी पॅंट & कमीज़ से धूल झाड़ती उठ रही थी की उसने देखा की सफ़ारी का ड्राइवर उसे रिवर्स करके बड़ी तेज़ी से उसे फिर से उसकी तरफ ला रहा था.कामिनी कार के दूसरे तरफ सड़क के किनारे बने पार्क की बाउंड्री वॉल की तरफ बिजली की तेज़ी से कूदी & 1 छलान्ग मे ही दीवार फाँद कर पार्क मे दाखिल हो गयी.

उसने धड़कते दिल से सफ़ारी को देखा,लग रहा था जैसे उसका ड्राइवर सोच रहा हो की उतर कर उसके पीछे आए या नही.थोड़ी देर तक वो कार वैसे ही खड़ी रही फिर तेज़ी के साथ वाहा से निकल गयी.कामिनी ने कार का नंबर देखने की कोशिश की मगर नंबर प्लेट पे कीचड़ जमा था...यानी की ये उसे कुचलने की सोची-समझी साज़िश थी मगर किसकी?

इस वक़्त इस इलाक़े मे भी चहल-पहल नही रहती थी.बस 1 माली था पार्क मे जिसने सब देखा था वोही भाग कर उसके पास आ गया था.कामिनी ने उस से पीने का पानी माँगा..इतने दीनो के करियर मे पहली बार उसपे जानलेवेआ हमला हुआ था..उसने काँपते हाथो से फोन निकाल कर शत्रुजीत को मिलाया,"हे-..हेलो..जीत.."

"हां,कामिनी?"

"ज-जीत.."

"बोलो कामिनी क्या हुआ?"

"त-तुम..बस..यहा..आ जाओ."

रात को कामिनी बाथटब मे बैठी दोनो केसस के बारे मे सोच रही थी.दिन मे हुए हमले से जो घबराहट उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छा गयी थी वो अब हट गयी थी..आख़िर कौन हो सकता है उस हमले के पीछे?..कोई था जो नही चाहता था की वो बॉर्नीयो मे पुचहताच्छ करे?...तो क्या इसका मतलब ये है की करण वाला केस इतना सीधा नही जितना दिखता है?....या फिर कोई है जो चाहता है कि वो करण को ना बचाए..मगर कौन?

षत्रुजीत सिंग तो नही?....सब जानते हैं की जयंत पुराणिक उसका कितना अज़ीज़ था...मगर जीत & ऐसी हरकत?..नही..वो तो सच्चाई & साफ़गोई की मिसाल है...ख़यालो का सिलसिला नंदिता के क़त्ल की ओर मूड गया...फिर नंदिता का क़त्ल किसने किया वो भी इस किले जैसे महफूज़ बंगल मे?

सवेरे हमले के कोई 10 मिनिट के अंदर ही टोनी & पाशा उसके पास पहुँच गये थे & उसे षत्रुजीत के घर ले आए थे जहा सबने ये फ़ैसला किया की उसकी हिफ़ाज़त के लिए वो अभी कुच्छ दिन अगर षत्रुजीत के घर मे ही रहे तो ठीक होगा.कामिनी को भला इस से क्या ऐतराज़ हो सकता था..1 तो अपने प्रेमी का साथ दूसरे उसे उम्मीद थी की नंदिता के केस के लिए भी उसे कोई सुराग यहा से शायद मिल जाए.

...मगर क्या शत्रुजीत केवल इसलिए उसे डराने के लिए हमला करवा सकता था क्यूकी वो पुराणिक के क़ातिल को बचा रही थी?..उसका दिल इस बात को मानने से इनकार कर रहा था मगर उसका वकील का दिमाग़ कुच्छ और ही कह रहा था...ज़रूरी नही की गुनाह की वजह बहुत ठोस हो..ठोस तो सिर्फ़ सबूत होते हैं..उसने अपने करियर मे कितने ही ऐसे केस देखे थे जिसमे मामूली सी बात के लिए क़त्ल हुए थे...जो भी हो वो पीछे नही हटेगी & दोनो केसस की गुत्थी सुलझा के रहेगी...मगर करण के केस मे क्या गुत्थी हो सकती है?...ये तो 1 सीधा-सादा नशे की झोंक मे हुए झगड़े मे हुआ हादसे का केस था....लेकिन फिर करण को याद क्यू नही था की उसने गन अपनी जेब मे रखी थी...चाहे कुच्छ भी हो कल करण से इस बारे मे बहुत तफ़सील से बात करनी ही होगी.

तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला,"..ओह्ह!आइ'एम सॉरी!",शत्रुजीत बाहर जाने लगा तो कामिनी बातटब से निकल आई,"जीत,रूको.",वो उसके करीब आ गयी,"क्यू जा रहे हो?",शत्रुजीत ने उसे देखा तो उसकी निगाहे कामिनी के बदन को सर से पैर तक निहारने लगी & निहारती भी क्यू ना..उसका मदमस्त बदन पानी मे भीगा हुआ & भी हसीन & मदहोशी भरा लग रहा था.

बीवी की मौत के बाद से शत्रुजीत काफ़ी परेशान था & उसका हमेशा मुस्कुराता चेहरा अब बहुत तनाव भरा लगता था.कामिनी जानती थी की अभी भी उसकी बेरूख़ी इसी वजह से थी.10 दिन से उपर हो गये थे नंदिता की मौत को,अब वक़्त आ गया था कि शत्रुजीत वापस पहले की तरह हो जाए.

"सॉरी तो मुझे कहना चाहिए,बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हारा बाथरूम इस्तेमाल कर रही थी.",उसने बेदिंग गाउन पहने शत्रुजीत की बाँह सहलाई,"..नहाने आए थे?",& बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए उसका बेदिंग गाउन खोल दिया,"चलो..आओ.",शत्रुजीत ने गाउन के नीचे कुच्छ नही पहना था.

कामिनी का दिल तो करा रहा था की उसके सोए लंड को पकड़ के अपने मुँह मे भर ले मगर उसने अपनी हसरत पे काबू रखा & शत्रुजीत को बाथटब मे बिठा दिया,"मैं जानती हू,शत्रु तुम कितना परेशान हो..उपर से मैं भी करण का केस लड़ के तुम्हे कोई सुकून तो पहुँचा नही रही.",कामिनी टब मे उसके पीछे बैठ गयी & उसकी पीठ हल्के-2 रगड़ने लगी.उसने जान बूझ कर ऐसी बात कही थी,उसे अपने दिल का शक़ जो दूर करना था.

"कैसी बाते करती हो?",शत्रु ने थोड़ी देर के लिए उसका 1 हाथ पकड़ा,"..मैं समझता हू तुम्हारी स्थिति...क्या करे?उपरवाला कभी-2 हमारा ऐसे ही इम्तहान लेता है.",कामिनी के गुलाबी निपल्स ठंडे पानी की वजह से बिल्कुल कड़े हो चुके थे & शत्रुजीत की पीठ मे भले जैसे चुभ रहे थे.बीवी के क़त्ल के बाद आज पहली बार उसे थोडा सुकून महसूस हो रहा था & उसके बदन मे फिर से पुरानी उमंगे जाग रही थी.
Reply
12-31-2018, 04:04 PM,
#62
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी अपने घुटने उसकी दोनो जंघे के बगल मे सताए उसकी मज़बूत बाहो पे पानी डाल के उन्हे रगड़ रही थी,उसकी चूत से हल्के-2 पानी रिसने लगा था.पिच्छले 10 दीनो से उसकी चूत को भी कोई लंड नही नसीब हुआ था & आज की रात उसे इसकी पूरी भरपाई करनी थी.उसने शत्रुजीत का सर चूम लिया,"दट'स सो नाइस ऑफ यू,जीत.",उसके पीछे से उसके बदन से चिपके हुए दोनो हाथ आगे लाके वो उसकी बालो भारी छाती सहलाने लगी.

ऐसा करने से उसकी चूचिया शत्रुजीत की पीठ से बिल्कुल पिस गयी & उनके कोमल एहसास से उसका लंड अब बिल्कुल तन गया.कामिनी ने पानी मे से सर निकाल कर उस 1 आँख वाले रक्षःस को झाँकते देखा तो मन ही मन मुस्कुराइ,"मैं तुम्हे ज़्यादा परेशान तो नही करना चाहती,डार्लिंग..मगर पुच्छना तो पड़ेगा ही.",

"पुछो ना.",शत्रुजीत पीछे हो उसके बदन से टेक लगाके बैठ गया था.कामिनी उसके दाए कंधे के उपर से उसे देखते हुए उसका सीना सहला रही थी.

"तुम्हे क्या लगता है नंदिता का क़त्ल किसने किया होगा या फिर किसका हाथ है इसमे?"

"पता नही...ये सोच-2 के मेरा दिमाग़ खराब हो गया मगर मुझे कोई नाम नही सूझा...ना ही कोई वजह...ना मेरी किसी से दुश्मनी है ना नंदिता की थी..."

"फिर ऐसे बंद कमरे मे कोई कैसे घुस के ये काम कर सकता है?",कामिनी का हाथ उसके सीने के बालो से खेलते हुआ नीचे की तरफ जाने लगा था,"तुम्हे घर के किसी नौकर पे भी कोई शक़ नही?"

"नही.",शत्रुजीत का सर अब उसकी चूचियो पे रखा हुआ था & वो उसके घुटने सहला रहा था,कामिनी की चूत अब कसमसने लगी थी,"टोनी पर भी नही?"

"नही.",उसने कामिनी को टोनी से मुलाकात की पूरी कहानी सुनाई जिसके दौरान कामिनी का हाथ उसके लंड तक पहुँच गया,इधर शत्रु ने अपनी झांते सॉफ नही की थी & कामिनी उनके पीछे च्छूपे उसके आंडो को दबाने लगी,"..जो शख्स 2 दिन से भूखा होने के बावजूद हज़ारो रुपयो से भरा पर्स वापस कर दे वो ऐसा ज़लील काम कभी भी नही कर सकता.",उसने कामिनी का सर पकड़ उसे सामने की ओर खींचा तो कामिनी फ़ौरन सामने आ उसकी गोद मे बैठने लगी.

शत्रुजीत ने उसकी कमर पकड़ी & उसकी चूत को अपने लंड पे बिठाने लगा.जैसे ही लंड ने चूत को छुआ कामिनी की आँखे बंद हो गयी & उसे मानो नशा चढ़ने लगा,"..उउम्म्म्म....मगर खून तो किसी ऐसे ही इंसान ने किया है जोकि घर के अंदर से अच्छी तरह वाकिफ़ था..आआआआआअहह..!",अरसे बाद उसकी चूत इस लंबे,मोटे लंड का स्वाद चख रही थी.

वो शत्रुजीत के कंधो पे हाथ रखे आहे भरती हुई उच्छलते हुए उसके लंड को खुद ही चोदने लगी,शत्रुजीत ने उसकी पतली कमर को अपनी बाहो मे जाकड़ कर उसके बदन को खुद से चिप्टा लिया & अपना चेहरा उसकी मोटी चूचियो के बीच च्छूपा लिया,"..जो भी हो,1 बार उसका नाम पता चल जाए...उसके बाद उसे मैं खुद अपने हाथो से सज़ा दूँगा." ,उसने कामिनी की गंद की फांको को दबोचते हुए उसकी चूचियो को मुँह मे भर लिया & उसके साथ-2 नीचे से पानी कमर उचका कर चुदाई करने लगा.

बाथरूम मे कामिनी की गरम आहे,शत्रुजीत की ज़बान की लपलपहट & दोनो बदनो के मिलन से च्चपच्छपते पानी की आवाज़ो का मस्त शोर भर गया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शॅरन की गुलाबी चूत से उसका रस टपक रहा था,वो जल बिन मच्चली की तरह फूलो भरे गोल बिस्तरा पे तड़प्ते हुए कराह रही थी,"..आअननह...उउउन्न्ह...ऊऊुुइईईईईई.....ऊऊहह....जाग...बीइररर....अब....ना..ही...हाईईईईईईईईईई...!,मगर जगबीर ठुकराल उसकी बात अनसुनी करते हुए अपनी 2 उंगलियो से लगातार उसकी चूत मारे जा रहा था.बेचैन हो शॅरन ने उसका हाथ पकड़ कर खींचने की कोशिश की मगर ठुकराल ने उसके दोनो हाथो को अपने बाए हाथ मे जाकड़ लिया & दाए से उसकी चूत वैसे ही मारता रहा.शॅरन का हाल बुरा था,ना जाने अब तक वो कितनी बार झाड़ चुकी थी,"..जगबीर..प्ले..असे...मत करो ना..!"

इस बार ठुकराल ने उसकी बात मानते हुए अपनी उंगलिया खींच ली मगर अगले ही पल उसके उपर झुक कर उसने अपना मोटा लंड उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..हाइईईईईई....!",शॅरन के चेहरे पे अजीब से भाव थे-खुशी के भी,दर्द के भी,तकलीफ़ के भी & मज़े के भी.ठुकराल ने लंड जड़ तक उसकी चिकनी चूत मे धंसा दिया & फिर उसके हसीन चेहरे को अपने हाथो मे भर बड़े प्यार से चूमने लगा.वो जानता था की शॅरन काफ़ी थक चुकी है & ऐसे मे अगर उसने चोदना शुरू किया तो वो उसका ढंग से साथ नही दे पाएगी.अगर अभी वो लंड नही डालता तो वो ज़रूर सो जाती मगर वो अभी तक झाड़ा नही था & उसके झाडे बिना शॅरन को सोने का कोई हक़ नही था.

इस तरह लंड चूत मे पड़े होने से ना उसे नींद आएगी & वो धक्के नही लगाएगा तो वो ज़्यादा परेशान भी नही होगी.बिस्तर के बगल मे रखा इंटरकम बजा तो उसने रिसीवर उठाया,"बोलो माधो."

"हुज़ूर,वकील कामिनी शत्रुजीत के घर रह रही है."

"ये तो अच्छी बात है,अब हमारा प्यादा बड़ी आसानी से दुश्मन की सारी चालो की खबर हमे दे सकता है.",दोनो ने थोड़ी देर & बात की.ठुकराल ने महसूस किया की शॅरन उसकी पीठ सहला रही है & उसने अपने घुटने भी मोड़ लिए थे.वो समझ गया की वो चुदाई के लिए तैय्यार है,उसने रेसिवेर फेंका & उसके घुटनो को मोड़ कर उन्हे पकड़ कर अपने होंठ उसके नर्म होंठो पे कस दिए & गहरे धक्के लगाने लगा & 1 बार फिर से कमरे मे शॅरन की आहे गूंजने लगी.

--------------------------------------------------------------------------------------
Reply
12-31-2018, 04:04 PM,
#63
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"..मुझे बिल्कुल भी याद नही की पिस्टल मेरी जेब मे कैसे आई!..प्लीज़ कामिनी बार-2 1 ही सवाल करके मुझे परेशान मत करो!..मुझे मेरे हाल पे छ्चोड़ दो..",करण ने अपना चेहरा अपने हाथो मे च्छूपा लिया & रोने लगा.कामिनी फ़ौरन उसके पास पहुँची,"..नही करण!ऐसे हौसला मत खोयो प्लीज़!",उसने उसके हाथ उसके चेहरे से हटाए & उसे अपने सीने से लगा लिया & उसकी पीठ सहलाने लगी.कुच्छ पॅलो बाद करण शांत हुआ,"आइ'एम सॉरी."

"कोई बात नही...अच्छा चलो शीना के बारे मे बताओ.",उसने करण का मूड बेहतर करने की गरज से कहा,"तुम दोनो पहली बार कब मिले?"

"लंडन मे.",करण ने अपना चेरा पोंच्छा,"..1 पार्टी मे ."

"वो भी लंडन मे ही रहती है?"

"हां,लेकिन उस वक़्त वो वाहा नयी-2 आई थी."

"अच्छा."

"हां,वो तो यही आवंतिपुर की है.उसकी फॅमिली तो अभी भी वही रहती है."

"तो शीना लंडन कैसे पहुँच गयी?"

"पढ़ाई के लिए.उसकी बुआ वही रहती है ना.वो मेरी चाची की दोस्त हैं.उन्ही की पार्टी मे तो हम पहली बार मिले थे."

"ओह."

"हाई!करण.",दोनो मुड़े तो देखा की शीना 1 बुज़ुर्ग से इंसान के साथ खड़ी है.उन्हे देखते ही करण की नज़रे झुक गयी.कामिनी ने शीना को सर झुका के उसकी हाई का जवाब दिया.वो बुस्ज़ुर्ग करण के करीब आए & उसके कंधे पे हाथ रखा तो 1 बार फिर से उसके आँसू निकल पाए.वो उसे समझाने लगे तो कामिनी शीना से मुखातिब हुई,"शीना.करण ने बताया की तुम आवंतिपुर से हो."

"हां."

"वाहा कहा घर है तुम्हारा?"

"कमाल कुंज मे."

"अच्छा & यहा पंचमहल मे कहा रहते हो तुमलोग?"

"यहा तो हमारा कोई घर नही है."

"तो फिर तुम यहा कैसे आई?"

"मैं तो आवंतिपुर से यहा आती हू."

"2 घंटे का सफ़र तय करके?"

"हां."

"देखो,अगर चाहो तो मेरा घर खाली है या फिर मैं कोई & इंतेज़ाम करा सकती हू."

"नही..वो डॅडी को ये जगह पसंद नही..."

"अच्छा..क्यू?",कामिनी समझ गयी कि यही शख्स शीना का बाप है.करण अब संभाल गया था & वो शख्स कामिनी को देख रहा था,"हां,शीना जगह की-.."

"पहले डॅडी से मिलिए?",शीना ने दोनो का परिचय कराया,"शीना कह रही थी की आपको पंचमहल पसंद नही.बुरा ना माने तो वजह जान सकती हू?",मित्तल साहब 1 पल के लिए संजीदा हो गये & अपनी बेटी को घूरा,लेकिन फ़ौरन संभाल गये & मुस्कुराए,"..यहा का पानी रास नही आता मुझे."

"ओह."

बाप-बेटी को करण के पास छ्चोड़ कामिनी वाहा से निकल आई,आज उसका ड्राइवर कार चला रहा था.कामिनी के ज़हन मे कुच्छ खटक रहा था....रोज़ 2 घंटे का सफ़र करके आना मंज़ूर है मगर यहा रहना नही..आख़िर ऐसी क्या वजह थी पंचमहल मे?..जोकि बताई भी नही जा सकती....& शीना ही थी जोकि करण के साथ हादसे के वक़्त थी & 1 वही थी जिसने गन को देखा था....कही शीना ने ही तो गन?कामिनी का दिमाग़ तेज़ी से घूमने लगा..इस शीना का भी इतिहास पढ़ना पड़ेगा..मगर कैसे?

क्रमशः.......................
Reply
12-31-2018, 04:04 PM,
#64
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--28

गतान्क से आगे........

सुबह कामिनी की नींद खुली तो उसने पाया की वो षत्रुजीत सिंग के बिस्तर मे नंगी पड़ी है मगर उसका प्रेमी नदारद है.कल रात शत्रुजीत ने उसे 3 बार चोदा था & आख़िरी बार तो हद ही हो गयी थी.2 बार झड़ने के कारण तीसरी बार शत्रुजीत को झड़ने मे समय लग रहा था & वो करीब 25 मिनिट तक लगातार बिना रुके उसकी नाज़ुक चूत मे अपना दानवी लंड अंदर-बाहर करता रहा . इस दौरान कामिनी को होश नही वो कितनी बार झड़ी बस इतना याद था की जैसे ही उसकी चूत मे उसे शत्रुजीत के पानी का गीला एहसास हुआ उसकी चूत ने भी साथ मे 1 आख़िरी बार पानी छ्चोड़ & फिर उसके थके हुए बदन ने उसे सोने पे मजबूर कर दिया.रात की मस्त यादो ने कामिनी के होंठो पे मुस्कान खिला दी.

"..मैने कहा ना मुझे तीनो का रवैयय्या शुरू से ही नापसंद था...अंकल जे भी उनके चलते परेशान थे....वही सब टॉहने तो वो उन्हे अपने साथ बॉर्नीयो ले गये थे उस रात...इनका तो जाना तय है,अब्दुल...अच्छा चलो..ऑफीस मे बात करेंगे."

शत्रुजीत पाशा से बात कर रहा था,कामिनी को पाशा के जवाब नही सुनाई दिए मगर वो समझ गयी की वो दोनो जयंत पुराणिक के क़त्ल के वक़्त मौजूद त्रिवेणी के उन तीनो एंप्लायीस के बारे मे ही बाते कर रहे थे.वो झट से बिस्तर से उठी & अपना नाइट्गाउन पहन लिया.

"गुड मॉर्निंग.",शत्रुजीत कमरे मे आया.कामिनी ने देखा की वो दफ़्तर जाने के लिए तैय्यार था.

"गुड मॉर्निंग..सॉरी,मुझे उठने मे थोड़ी देर हो गयी.",शत्रुजीत उसके पास आ गया था & दोनो 1 दूसरे की बाहे थामे आमने-सामने खड़े थे,"कोई बात नही!मुझे भी आज थोड़ा जल्दी जाना था इसीलिए मैने तो नाश्ता भी कर लिया है.",शत्रुजीत ने उसके होंठ चूमे & अपना कोट कुर्सी से उठा लिया,"कामिनी,तुम्हे कुच्छ चाहिए तो नही?"

"नही,कपड़े & बाकी ज़रूरी समान तो मैं परसो ही ले आई थी..हां!..मगर जाने दो.."

"क्या हुआ?बोलो तो."

"वो मेक-अप का समान लाना भूल गयी थी....आज शाम को लौटते वक़्त घर से ले लूँगी."

शत्रुजीत हंसा फिर खामोश हो गया,"कामिनी..अगर चाहो तो नंदिता के ड्रेसिंग टेबल से तुम जो चाहो ले सकती हो..."

"नही..कोई परेशानी की बात नही है जीत..",मगर तभी उसके ज़हन मे 1 ख़याल कौंधा....उसने शत्रुजीत & नंदिता का कमरा जहा नंदिता का खून हुआ था पहले भी देखा था मगर 1 बार और देखने मे क्या हर्ज था,"..ठीक है..मैं देख लूँगी.."

"ओके.",शत्रुजीत ने कमरे मे बने वॉर्डरोब को खोला & 1 दराज मे से 1 चाभी निकाल कर कामिनी को थमायी,"..ये लो उस कमरे की चाभी.",वो दफ़्तर के लिए निकल गया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कामिनी तैय्यार हो शत्रुजीत की दी हुई चाभी से दरवाज़ा खोल कमरे मे दाखिल हुई.उसे 1 लिपस्टिक की ज़रूरत थी.ड्रेसिंग टेबल के सामने स्टूल पे बैठ के उसने उसकी दराज खोल लिपस्टिक ढूंदनी शुरू की.1 दराज मे उसे कोई 10-12 लिपस्टिक्स मिली तो कामिनी उन्हे खोल कर अपनी ज़रूरत के रंग की लिपस्टिक खोजने लगी.थोड़ी ही देर मे उसे वो रंग मिल गया.होतो पे उसे लगा जब उसने लिपस्टिक को वापस रख दराज बंद करनी चाही तो वो अटक गयी.कामिनी ने देखा की 1 लिप्स्तसिक दराज & ड्रेसिंग टेबल के बीच फँसी हुई है,उसने उसे खींच कर निकाला.

ऐसी लिपस्टिक उसने पहले कभी नही देखी थी.हल्के ग्रे कलर की बॉडी पे कही कोई नाम या लोगो नही था.उसका ढक्कन भी आम लिपस्टिक से छ्होटा था.उसने ढक्कन खोला तो पाया की अंदर भूरे रंग की लिपस्टिक भी काफ़ी छ्होटे साइज़ की है.उसने ये सोच कर लिपस्टिक घुमाई की शायद थोड़ी और स्टिक बाहर आई मगर ये क्या!..घूमने से लिपस्टिक तो बाहर नही आई बल्कि उसका नीचे का हिस्सा खुल गया & कामिनी की आँखो के सामने यूएसबी ड्राइव आ गयी....वाउ!

और क्या था इस कमरे मे.पोलीस ने सुराग के लिए पूरा कमरा छाना था मगर उनके हाथ कुच्छ खास नही लगा था & यहा कामिनी को बैठे-2 1 पेन ड्राइव मिल गयी थी!थोड़ी देर मे उसने पूरा ड्रेसिंग टेबल छान मारा मगर उसे कुच्छ और नही मिला.वो स्टूल से उठी & उसे पैर से धकेल कर ड्रेसिंग टेबल के शीशे के नीचे घुसाने लगी.ड्रेसिंग टेबल की बनावट ऐसी थी की शीशे के नीचे दोनो तरफ दराज बनी थी & उनके बीच मे स्टूल घुस जाता था.

तभी कामिनी का ध्यान स्टूल पे गया,उसने उसपे रखा कुशन उठाया तो उसके नीचे 1 ढक्कन दिखा.कामिनी ने उसे उठाया तो अंदर उसे सिंगार के समान के अलावा कुच्छ बिल्स मिले.वो उन्हे देखने लगी & 1 बिल पे उसकी निगाह अटक के रह गयी.बिल हाथो मे लिए हुए उसने कमरे की चाभी को देखा.शत्रुजीत के पूरे घर मे कस्टम मेड ताले लगे हुए थे यानी की 1 कंपनी ने उसके घर के लिए खास ताले लगाए थे & ऐसे ताले किसी और के लिए नही बनाए गये थे.कामिनी ने चाभी को गौर से देखा,करीब 3 इंच लंबी स्टील की चाभी का हेड चंदे से मढ़ा हुआ था जिसपे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 1 लिखा हुआ था.

बिल पे उस अमेरिकन कंपनी का नाम & पता लिखा हुआ था.बिल 1 ड्यूप्लिकेट चाभी की बनवाई की फीस का था.कंपनी ने घर मे ताले इनस्टॉल करते वक़्त 2 चाभीया मुहैय्या की थी....यानी की 1 चाभी गुम हो गयी थी & उसकी जगह 1 ड्यूप्लिकेट चाभी बनवाई गयी थी.कामिनी ने कमरे के सभी शेल्फ & वॉर्डरोब छान मारा & उसके हाथ जो लगा उस से उसे नंदिता के क़त्ल की गुत्थी का 1 सिरा सुलझता नज़र आया.वॉर्डरोब मे 1 चाभियो के गुच्छे मे उसे वो चाभी मिल गयी जिसके चंदे के हेड पे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 2 लिखा था....जब दोनो चाभीया मौजूद थी तो फिर आख़िर ड्यूप्लिकेट चाभी क्यू बनवाई गयी.कामिनी ने दोनो चाभीया,पेनड्राइव & बिल अपने पर्स मे डाला & कमरे से निकल गयी.

थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी कार की पिच्छली सीट पे बैठी करण से मिलने जा रही थी.उसने अपना लॅपटॉप ऑन कर नंदिता की पेन ड्राइव लगाई.ड्राइव के आइकान पे क्लिक करते ही उसने उस से पससवाओर्ड माँगा....अब पासवर्ड कहा से लाए वो?उसने शत्रुजीत टाइप किया.मेसेज आया: इनकरेक्ट पासवर्ड.यू हॅव 4 मोरे चान्सस लेफ्ट.इफ़ यू डॉन'ट एंटर दा करेक्ट पासवर्ड थे ड्राइव विल ऑटोमॅटिकली फॉर्मॅट इटसेल्फ.

यानी की अगर ग़लत पासवर्ड डाला गया तो उसका सारा डाटा गायब हो सकता था.इस नयी उलझन से निपटने की तरकीब सोचती कामिनी की कार पोलीस थाने के अहाते मे पहुँच गयी.

उसने लॉक-अप मे कारण के पास जाने से पहले मुकुल को फोन मिलाया,"हेलो,मुकुल?"

"जी,मॅ'म."

"मैं 1 घंटे मे ऑफीस पहुचूंगी.तुम ऐसा करो की मोहसिन को बुला लो."

"ओके,मॅ'म."

कामिनी करण के पास पहुँची & थोड़ी देर तक उसका हाल पुच्छने के बाद शीना के मुद्दे पे आ गयी,"शीना ने एमबीए के पहले की पढ़ाई वही आवंतिपुर से ही की थी?"

"हां,ए.पी.कॉलेज से..एकनॉमिक्स मे ग्रॅजुयेशन कर रही थी..मगर फाइनल एअर का एग्ज़ॅम उसने थोड़ा देर से दिया था."

"क्यू?"

"वो बीमार पड़ गयी थी."

"ओह.क्या हुआ था?"

"पता नही.इस बारे मे कभी उसने तफ़सील से बताया नही."

"तुम दोनो का रिश्ता कैसे शुरू हुआ?"

"उसकी बुआ & मेरी चाची की कोशिशो की बदौलत.दोनो चाहते थे की हम 1 हो जाएँ इसीलिए हमे हुमेशा किसी ना किसी बहाने से मिलाते रहते थे."

"करण,तुम्हारे & शीना के बीच सब ठीक तो चल रहा था ना?"

"हा,क्यू?"

"नही,वो अचानक इस तरह लंडन से यहा आ गयी-.."

"-वो तो मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए उसने ऐसा किया था."

"अच्छा,तुम यहा थे & वो वाहा लंडन मे,फिर तो दोनो को 1 दूसरे के लिए बड़ी बेताबी होती होगी?"

"हां,रोज़ाना ही हम फोन पे बाते करते थे."

"अच्छा,कैसी बाते करते थे तुमलोग..आइ मीन कभी फोन पे झगड़ा वग़ैरह तो नही हुआ?"

"नही!नही!..बल्कि हम तो-..",कुछ कहते हुए करण रुक गया & ज़मीन की ओर देखने लगा.

"बोलो,करण.",कामिनी ने उसके हाथ पे अपना हाथ रखा.

"हम फोन पे हर तरह की बाते करते थे..",थोड़ी देर बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी,"..यहा तक की...यहा तक की....फोन सेक्स भी."

"ओह!",यानी इनका रिश्ता तो अच्छा जा रहा था मगर..तभी 1 और इंसान की आहट ने कामिनी के ख़यालो का सिलसिला तोड़ दिया.कामिनी ने सर घुमाया तो 1 बुज़ुर्ग इंसान खड़े थे,"हेलो,मैं करण का चाचा संजीव मेहरा हू & आप शायद आड्वोकेट कामिनी शरण हैं?"

"जी,हां.नाइस टू मीट यू.",कामिनी उठ खड़ी हुई,"ओके.करण मैं चलती हू."

"करण,मैं ज़रा वकील साहिबा को छ्चोड़ कर आता हू,फिर हम बाते करेंगे."

"ठीक है,चाचजी."
Reply
12-31-2018, 04:04 PM,
#65
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
संजीव मेहरा कामिनी के साथ बाहर आने लगे,"मैं कल ही लंडन से यहा आया.करण के पिता को हमने कुच्छ नही बताया है..दरअसल उनकी तबीयत कुच्छ ठीक नही रहती..कामिनी जी,आपको क्या लगता है..क्या होगा मेरे भतीजे का?"

"देखिए,सर.मैं आपको झूठी तसल्ली तो नही दूँगी!करण के खिलाफ सारे सबूत बड़े पुख़्ता हैं मगर मैं भी आख़िर तक कोशिश करूँगी & इसमे शायद मुझे आपकी मदद लेनी पड़ सकती है.",करण की बातो से कामिनी के दिमाग़ मे 1 नया ख़याल कुलबुलाने लगा था.

"ज़रूर,कामिनी जी!अपने भतीजे के लिए मैं कुच्छ भी करूँगा."

"ठीक है,सर..तब शायद हम करण को यहा से निकाल ही लेंगे.",कामिनी कार मे बैठ गयी तो ड्राइवर ने कार उसके दफ़्तर की दिशा मे बढ़ा दी.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

मोहसिन जमाल,35 बरस का लंबा,खुशदील इंसान जिसका पेशा था जासूसी-वो इस वक़्त कामिनी के ऑफीस मे बैठा मुकुल & रश्मि को कुच्छ मज़ेदार किस्से सुना रहा था जब कामिनी अंदर दाखिल हुई,"हेलो,कामिनी जी.",वो अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ.

"हेलो,मोहसिन..आओ..मुकुल तुम भी..रश्मि,ज़रा सबके लिए कुच्छ ठंडा मंगवा लो."

"ओके,मॅ'म.",रश्मि कोल्ड ड्रिंक्स के इंतेज़ाम मे लग गयी & बाकी तीनो कामिनी के चेंबर मे आके बैठ गये.थोड़ी ही देर मे तीनो अपने-2 ग्लासस से घूँट भर रहे थे जब कामिनी ने मुद्दे की बात छेड़ी,"मोहसिन,ये लो.",उसने 1 लिफ़ाफ़ा आगे किया,"..ये है आंतनी डाइयास उर्फ टोनी-षत्रुजीत सिंग का ड्राइवर.."मोहसिन लिफाफे से तस्वीर निकाल कर देख रहा था,साथ ही 2 काग़ज़ भी थे,"..मैं इसके बारे मे जो भी जानती हू इसमे लिखा है..",उसने काग़ज़ो की ओर इशारा किया,"..तुम्हे साए की तरह आज से ही इसके पीछे लग जाना है & हमेशा की तरह हम तीनो के अलावा किसी को भी इस बात की भनक नही लगनी चाहिए."

मोहसिन कोई 23 बरस की उम्र से 1 जाने-माने प्राइवेट डीटेक्टिव के साथ काम करने लगा था.30 बरस का होते-2 उसने खुद की एजेन्सी खोल ली थी & अपने पेशे का जाना हुआ नाम बन गया था.कामिनी की बात सुन के वो मुस्कुराया,"सिर्फ़ पीछा करना है?"

"फिलहाल तो बस पीछा ही करो..",कामिनी ने 1 घूँट भरा,"..मोहसिन,मुझे शक़ है ये आदमी किसी और के लिए काम करता है..तो हो सकता है वो किसी से मिले.वो किस से मिलता है,कहा जाता है..क्या बाते करता है..सबकी रिपोर्ट मुझे चाहिए."

"ओके,कामिनी जी.काम शुरू हो गया समझिए.",मोहसिन ने अपना ग्लास 1 साँस मे ही खाली कर दिया & उठ खड़ा हुआ तो कामिनी ने अपने बॅग मे से 1 लिफ़ाफ़ा निकाल के उसे थमाया,"..तुम्हारी पहली किश्त मोहसिन.बाकी भी तुम्हे समय पे मिल जाएँगी."

"थॅंक यू.",मोहसिन जमाल पक्का प्रोफेशनल था-अगर काम पूरा नही होता तो वो क्लाइंट की 1-1 पाई वापस कर देता नही तो काम के शुरू से अंत तक क्लाइंट को 4 किष्तो मे उसकी फीस देनी होती थी.

"ध्यान रहे,मोहसिन.हम तीनो के अलावा & कोई ना जानने पाए.मैने शत्रुजीत सिंग को भी इस बारे मे कुच्छ नही बताया है."

"डॉन'ट वरी,कामिनी जी.",मोहसिन चेंबर से बाहर निकल गया.

क्रमशः.......................
Reply
12-31-2018, 04:05 PM,
#66
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--29

गतान्क से आगे...............

"मुकुल..",कामिनी अपने असिस्टेंट से मुखातिब हुई.

"जी,मॅ'म."

"भाई,किसी कंप्यूटर के जानकार को जल्दी ढुणडो,1 पासवर्ड प्रोटेक्टेड पेन ड्राइव खुलवानी है."

"आप जब कहे उसे आपके सामने हाज़िर कर दूँगा,मॅ'म.",रश्मि कामिनी को आज की अपायंटमेंट डाइयरी दिखाने आई थी,उसी की ओर मुस्कुराते हुए देखते हुए मुकुल ने जवाब दिया था.

"अच्छा!कोई दोस्त है तुम्हारा?"

"ऐसा ही समझ लीजिए,मॅ'म कब लाऊँ उसे?",कामिनी डायरी देखने के लिए नीचे झुकती तो मुकुल रश्मि की तरफ शरारती मुस्कान फेंक देता.कामिनी ने उसकी ये हारकर देख ली थी मगर अंजान बनी रही,"मैं तुम्हे बताऊंगी."

-------------------------------------------------------------------------------

"नमस्ते,आंटी.",कामिनी ने चंद्रा साहब की बीवी को प्रणाम किया.

"अरे,कामिनी!खुश रहो.आओ बैठो.",दोनो सोफे पे बैठ गये तो कामिनी उनका हाल पुच्छने लगी.बाते तो वो मिसेज़.चंद्रा से कर रही थी मगर उसकी निगाहे अपने प्रेमी को ढूंड रही थी..लगता है घर मे नही हैं वरना वो आए & वो उसके दीदार को ना आएँ ऐसा नामुमकिन था!

"सर नही दिखाई दे रहे,आंटी?"

"अरे अपने ऑफीस मे बैठे हैं.",चंद्रा साहब ने अपने बंगल मे भी 1 कमरे मे अपना 1 ऑफीस बनाया हुआ था.

"मैं उनसे मिल लू?"

"हां-2!जाओ पहले उन्ही के साथ सर खपा लो फिर मेरे साथ बैठना,तब तक मैं ज़रा रसोई का काम देख लू."

"ठीक है,आंटी.",कामिनी कोर्ट से सीधा चंद्रा साहब के घर चली आई थी,सफेद झीनी सारी मे उसका जिस्म बड़ा क़ातिलाना लग रहा था.कामिनी को पता था की उसके गुरजी उसे देखते ही उसपे टूट पड़ेंगे.शोखी से मुस्कुराते हुए उसने ऑफीस का दरवाज़ा खोला,"मे आइ कम इन,सर?"

चंद्रा साहब ने फाइल से सर उठाया & उनके चेहरे पे खुशी & आश्चर्य के भाव वाली मुस्कान फैल गयी.वो डेस्क के पीछे अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए तो कामिनी दरवाज़ा बंद करते हुए अंदर दाखिल हो गयी.

"आज फ़ुर्सत मिली है तुम्हे?",चंद्रा साहब ने उसे बाहो मे भर लिया & उसके चेहरे पे किस्सस की बौच्हर कर दी.

"ओह....सर..आप भी ना!..क्या करते हैं?!कही आंटी ना आ जाएँ..!",उसने उनके चेहरे को अपने गाल से हटते हुए दरवाज़े की ओर इशारा किया,"..& मैने तो आपको पहले भी कहा था की मैं यहा नही आ सकती मगर आप तो मेरे घर आ सकते हैं."

चंद्रा साहब ने कामिनी को छ्चोड़ा & दरवाज़े को खोल 1 नौकर को आवाज़ दी तो वो भागता हुआ उनके पास पहुँचा,"सुनो,मैं अभी बहुत ज़रूरी काम कर रहा हू,कोई भी हमे डिस्टर्ब नही करेगा..& अपनी मालकिन को कहना की अभी हम दोनो काम मे मशगूल रहेंगे तो कुच्छ खाने को ना भिजवाए..ठीक है..थोड़ी देर बाद हम दोनो उनके साथ ही खाएँगे.अब जाओ."

नौकर गया तो उन्होने दरवाज़े की चिटकनी लगा दी & मुड़े तो देखा की कामिनी सोफे पे टांग पे टांग चढ़ाए बैठी उनकी ओर देखते हुए शोखी से मुस्कुरा रही थी.चंद्रा साहब लपके के उसके पास पहुँचे & उसके बाज़ू मे बैठ के उसे फिर से बाहो मे भर के चूमने लगे.कामिनी ने भी उनके गले मे बाँहे डाल दी.वो उनके बाए तरफ बैठी थी,उसने अपने बदन को उनकी तरफ मोड़ लिया & अपनी चूचियो को उनके सीने से दबाते हुए उनकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ा दी.

"ऊवन्न्नह....रुकिये तो...आपसे कुच्छ ज़रूरी बात करनी है.",चंद्रा साहब अपने बाए हाथ से उसकी कमर को घेरे हुए थे & दाए से उसकी सारी को उठा कर घुटनो तक ले आए थे.

"तुम बोलती रहो ना!मुझे क्यू रोकती हो?",उन्होने उसकी दाई टांग पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया.कामिनी समझ गयी को वो मानने वाले नही हैं.उसने वैसे ही उन्हे करण के केस के बारे मे सारी बातें बता दी.जितनी देर मे उसने केस के बारे मे बताया उतनी देर मे उसकी सारी कमर तक उठ चुकी थी & ब्लाउस के हुक्स भी खुल चुके थे.

चंद्रा साहब उसकी मक्खनी जाँघ को सहलाते हुए उसके सफेद लेस ब्रा मे से झाँकते उसके धड़कते सीने के उभारो को चूम रहे थे & वो उनकी शर्ट के बटन खोल रही थी,"ह्म्म..तो तुम्हे शीना पे कुच्छ शक़ हो रहा है?",चंद्रा साहब ने उसकी जाँघ से हाथ उपर ले जाके उसे उसकी लेस पॅंटी के अंदर घुसा उसकी गंद को दबोच लिया.

"ओईईईई माआन्न..!",जवाब मे उसने भी उनके निपल को अपने नाख़ून से खरोंच दिया,"हां,मगर समझ नही आ रहा उसके बारे मे कैसे पता करू?..फिर उसके पिता ने कहा की उन्हे पंचमहल पसंद नही..आख़िर क्यू?रोज़ 4 घंटे आने-जाने मे खर्च करना मंज़ूर है मगर यहा रहना नही!",चंद्रा उसके गले लग गये थे & हाथ पीछे ले जाके उसके ब्रा के हुक्स खोल रहे थे.

"1 रास्ता है..",उन्होने ब्रा ढीला होते ही उसके कप्स को उपर कर दिया & कामिनी की नुमाया हुई चूचियो पे टूट पड़े.उनका दाया हाथ उसकी पॅंटी के अंदर ही उसकी चूत पे चला गया था.कामिनी ने जंघे भींचते हुए उनके हाथ को क़ैद कर लिया & मस्ती मे आहे भरती हुई अपना बदन बेचैनी से मोड़ने लगी.उसने 1 हाथ को अपने गुरु के सर पे रख के उसे अपनी छाती पे दबाया हुआ था & दूसरे से उनकी पॅंट ढीली कर के लंड को बाहर निकाल लिया था.

कोई 5 मिनिट तक चंद्रा साहब उसकी चूचिया चूस्ते हुए उसकी चूत के अनदर अपनी उंगलिया पेलते रहे & कामिनी उनका लंड हिलाती रही,फिर कामिनी ने उनके बॉल पकड़ कर उनके सर को उठाया,"रास्ता तो बताइए?",दोनो के हाथ वैसे ही 1 दूसरे की जाँघो के बीच उनके नाज़ुक अंगो से खेल रहे थे.

"तुमने बताया की शीना ए.पी.कॉलेज मे पढ़ती थी & फाइनल एग्ज़ॅम देने मे उसे कुच्छ देर भी हुई थी..उस कॉलेज का प्रिन्सिपल मेरा दोस्त है..चाहो तो उस से कुच्छ मदद मिल सकती है..",कामिनी अब हवा मे उड़ी जा रही थी,चंद्रा साहब की उंगलिया उसे उसकी मंज़िल के बहुत करीब ले गयी थी.चंद्रा साहब का भी कुच्छ ऐसा ही हाल था & उनकी साँसे भी तेज़ हो गयी थी,"..चाहो तो मैं तुम्हारी उस से बात करवा सकता हुआ मगर इसके लिए मैं तगड़ी फीस लूँगा!"

"उउन्न्नह....आनन्नह....पता है...क्या..फीस..हाई...आप..की...",कामिनी की चूत मे वही मीठा तनाव जो उसे झड़ने से ठीक पहले महसूस होता था,अपनी पूरी शिद्दत पे पहुँच गया था,"...जितनी मर्ज़ी ले लीजी....ये....गाआआहह..!",उनके हाथ को भींचती हुई वो झाड़ गयी.ठीक उसी वक़्त उसने महसूस किया की चंद्रा साहब की साँसे और तेज़ हो गयी है,वो झट से झुकी & उनके लंड को अपने मुँह मे भर लिया & हाथ से हिलाने के साथ-2 उसे चूसने लगी.अपनी शिष्या की मीठी ज़ुबान की च्छुअन महसूस करते ही चंद्रा साहब का मज़ा भी सारी हदें पार कर गया & उनके लंड ने अपना गाढ़ा पानी छ्चोड़ दिया जिसे कामिनी ने गतगत पी लिया.

लंड को पूरी तरह से चाट-2 के सॉफ करने के बाद कामिनी ने उनकी गोद से सर उठाया & दोनो 1 दूसरे को देख मुस्कुरा दिए.दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए & फिर से सोफे पे 1 दूसरे की बाहो मे बैठ गये,"कल शनिवार है,ऐसा करते हैं कल सवेरे आवंतिपुर चलते हैं,प्रिन्सिपल से मिलते हैं..अगर कोई सुराग मिला तो ठीक है नही तो आगे कुच्छ और सोचेंगे..",उनका बाया हाथ कामिनी की नंगी कमर को सहला रहा था & दाया उसके गुलाबी गालो को,"..अब इस काम मे 2 दिन तो लग ही जाएँगे!"

कामिनी उनकी ओर घूम कर इस उनके सीने से सीने को सताए बैठी थी.उनकी बात सुन वो शोखी से मुस्कुराइ,"और अगर काम कल ही पूरा हो गया तो?"

"काम चाहे कभी भी पूरा हो हम लौटेंगे सोमवार की सुबह को ही!",दोनो ने हंसते हुए 1 दूसरे को बाहो मे कस लिया & चूमने लगे.माहौल 1 बार फिर गरम होता देख कामिनी ने किस तोड़ दी,"1 बात का ध्यान रखिएगा,सर.मैं किसी को भी नही बताउन्गि की हम आवंतिपुर जा रहे हैं..इस तरह मैं शीना या उसके पिता को सचेत नही होने दूँगी & तभी शायद हमे उनके बारे मे ठीक से पता चल पाएगा.प्लीज़,आप भी आंटी को अगर इस केस के बारे मे बताएँ तो उन्हे कह दें कि वो इसका ज़िक्र किसी से ना करें..वैसे,आंटी को शक़ नही होगा आपके & मेरे जाने से?"

"तुम बेफ़िक्रा रहो.मैं उसे संभाल लूँगा.",उन्होने उसे फिर से चूमने की कोशिश की.

"नही,अब चलिए.देर हो गयी है..कही आंटी यहा ना आ जाएँ!"

"चलो.",दोनो उठ खड़े हुए & ऑफीस से निकल कर ड्रॉयिंग रूम की ओर बढ़ गये.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

रात षत्रुजीत सिंग अपने बिस्तर पे नंगा लेटा था & कामिनी उसके लंड को पकड़ के चूस रही थी.उसने पूरे लंड को निगल लिया था & उसका कुच्छ हिस्सा कामिनी के हलक मे भी चला गया था,"..आहह..!",शत्रुजीत मज़े से करहा,उसे ऐसा लग रहा था जैसे लंड मुँह मे ना होके चूत मे हो.उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी & उसने बड़ी मुश्किल से खुद को कामिनी का सर पकड़ के उसके मुँह को ज़ोर-2 से चोदने से रोका.

थोड़ी देर तक कामिनी ने वैसे ही उसके लंड को चूसा फिर लंड को बगैर मुँह से निकाले अपने बदन को घुमा कर अपनी चूत को उसके मुँह पे रख दिया & उसके लंड को चूस्ते हुए उस से अपनी चूत चटवाने लगी,"जीत..",उसने लंड को मुँह से निकाला & उसकी लंबाई पे जीभ की नोक चलाने लगी.

"ह्म्म.",शत्रुजीत वैसे ही उसकी छूट की दरार पे जीभ चला रहा था.

"मैं कल दो दीनो के लिए शहर के बाहर जा रही हू,बॉमबे.मेरी कज़िन की सगाई है.",शत्रुजीत ने फिर से अपनी झांते सॉफ करना शुरू कर दिया था.कामिनी ने सर झुका के अपनी नाक उसके आंडो के बीच घुसा दी & उन्हे चाटने लगी.उसने सोच लिया था की अब वो शत्रुजीत को उसके या करण के-किसी भी केस के बारे मे कुच्छ भी नही बताएगी.दोनो केसस की तह तक पहुँचने के लिए ये बहुत ज़रूरी था.शत्रुजीत को बात पता चलती तो टोनी भी जान जाता & फिर अपने असली मालिक तक बात पहुँचा देता....फिर करण के केस मे भी कुच्छ तो राज़ था नही तो उसे डराने के लिए हमला क्यू होता..मगर उस शख्स ने उसे दोबारा डराने की कोशिश क्यू नही की?..वो शत्रुजीत की पनाह मे थी इसलिए..उसे कोई मौका नही मिला था..या फिर कोई और बात थी..

ख़यालो मे डूबी कामिनी की चूत ने उसे उसके ख़यालो से बाहर निकाला,शत्रु की जीभ से बेचारी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़े जा रही थी & उसकी मालकिन के बदन मे मस्ती की बड़ी-2 लहरें उठ रही थी,"तो सोमवार को वापस आओगी."

"ह्म्म..",शत्रुजीत उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसकी चूत के दाने & चूत के अंदर अपनी ज़ुबान के ऐसे जलवे दिखा रहा था की कामिनी उसका लंड चूसना भूलके बस उसके जाँघ पे सर रखे सुके आंडो मे मुँह च्छुपाए अपने प्रेमी की हर्कतो से बेबस हो बस सिसकिया भर रही थी.

चूत से टपकते बेइंतहा पानी को देख शत्रुजीत समझ गया की उसकी प्रेमिका अब पूरी तरह से मस्ती के समंदर मे डूब चुकी है..अब वक़्त था की वो भी उसके साथ मिलके इस समंदर मे गोते लगाए.उसने उसकी गंद पकड़ कर अपने उपर से उतरा तो वो पीठ के बल निढाल हो लेट गयी.शत्रुजीत ने फ़ौरन उसके उपर चढ़ अपना लंड उसकी गीली चूत की गहराइयो मे उतार दिया & गहरे-2 धक्के लगाने लगा.कामिनी के के दिमाग़ ने केसस के बारे मे सोचना छ्चोड़ दिया था & उसे बस 1 बात का ख़याल था-शत्रुजीत के ताक़तवर,मर्दाना जिस्म & उसके मज़बूत लंड से मिलने वाले मज़े का.उसने आँखे बंद की & अपने प्रेमी को बाहो मे भर उसकी चुदाई का मज़ा उठाने लगी.

सवेरे कामिनी षत्रुजीत सिंग के घर से पंचमहल एरपोर्ट पहुँची.कार से उतर कर उसने अपने ड्राइवर को वापस भेज दिया.उसके बाद वो वाहा पहले से ही उसका इंतेज़ार कर रहे चंद्रा साहब के साथ 1 प्राइवेट टॅक्सी मे बैठ के आवंतिपुर के लिए रवाना हो गयी.ऐसा करने से उसे उम्मीद थी की किसी को उसके असली मक़सद के बारे मे कोई शक़ नही होगा.

कामिनी टॅक्सी की पिच्छली सीट पे चंद्रा साहब के दाए तरफ बैठी थी.चंद्रा साहब ने अपनी दाई बाँह से उसके दाए कंधे को घेरा हुआ था & बहुत हल्के-2 उसकी शर्ट के उपर से उसके बाज़ू को सहला रहे थे.शुरू मे तो बस उनका हाथ उसके कंधे पे थे मगर जैसे-2 टॅक्सी पंचमहल से दूर जा रही थी वो अपनी शिष्या के और करीब आते जा रहे थे.

"ड्राइवर का तो ख़याल कीजिए!",कामिनी उनके कान मे फुसफुसाई,वो उस के साथ ऐसे बैठे थे की उनकी दाई जाँघ & टांग कामिनी की बाई जाँघ & टांग से पूरी सटी हुई थी.चंद्रा साहब ने जैसे उसकी बात सुनी ही ना हो & अपनी बाँह उसके कंधे से नीचे सरका के उसकी कमर पे ले आए & उसकी शर्ट उठा के उसकी मखमली कमर को सहलाने लगी.कामिनी ने आज क्रीम कलर की पॅंट & गुलाबी शर्ट पहनी थी.

चंद्रा साहब के हाथ ने जैसे ही उसके बदन को च्छुआ उसके बदन मे भी उमंगे जागने लगी.वैसे भी वो जानती थी की इस ट्रिप पे वो अपने दिल की सारी हसरातो को पूरा करेंगे & उसे भी इन 2 दीनो मे काम के अलावा होने वाली मस्ती का बेसब्री से इंतेज़ार था.वो सीट पे थोड़ा आगे होते हुए इस तरह बैठी की अब उसकी बाई बाँह उनके सीने से लग रही थी & उसका बाया हाथ पॅंट के उपर से ही उनके परेशान लंड को सुकून दे रहा था.

चंद्रा साहब उसकी इस हरकत से मस्ती मे आ गये & अब उसकी कमर को मसल्ते हुए उसके पेट को भी दबाने लगे.कामिनी का तो दिल कर रहा था की उनके गले मे बाहे डाल के उन्हे जी भर के चूमते हुए उनके लंड को मसले मगर टॅक्सी ड्राइवर के होते ये मुमकिन नही था!कमोबेश यही हाल उसके गुरु का भी था जो अब उसकी पॅंट के कसे वेयैस्टबंड मे अपनी उंगलिया घुसा रहे थे.थोड़ी ही देर मे हाथ उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे घुसा उसकी चूत के उपर उसके पेट के गद्देदार हिस्से को सहला रहा था.

उनका बस चलता तो वो वैसे ही उसकी चूत मे उंगलिया घुसा देते मगर कामिनी की कसी पॅंट उनकी उंगलियो & चूत के बीच रुकावट बनी हुई थी.ए.पी.कॉलेज तक पहुँचते-2 कामिनी की चूत से च्छुटे पानी ने उसकी पॅंटी को चूत से बिल्कुल चिपका लिया था & चंद्रा साहब का अंडरवेर भी उनके प्रेकुं से गीला हो गया था.

कार रुकते ही दोनो ने अपना-2 हाथ 1 दूसरे की गोद से अलग किया & नीचे उतरे.

"आओ,आओ,संतोष भाई.कैसे हो?",प्रिन्सिपल मिश्रा ने अपनी सीट से उठके दोनो का अपने ऑफीस मे स्वागत किया.

"बढ़िया हू,मिश्रा भाई.आप सुनाएँ?",उन्होने मिश्रा से हाथ मिलाया.

"ह्म्म.",1 पेओन तीनो के लिए चाइ रख गया था जिसे पीते हुए चंद्रा साहब ने प्रिन्सिपल मिश्रा को सारी बात बताई,"..देखिए कामिनी जी,वैसे तो आमतौर पे हम लोग इस तरह से स्टूडेंट्स के डीटेल्स बाहर वालो को तो नही देते मगर संतोष भाई की बात मैं टाल भी नही सकता.आप ऐसा करिए की रेकॉर्ड्स देख लीजिए मगर प्लीज़ यहा से कोई पेपर ले जाने की रिक्वेस्ट मत कीजिएगा."

"सर,मैं आपका कोई ऐसा पेपर नही माँगूंगी जोकि केवल कॉलेज के इस्तेमाल के लिए है.मगर 1 बात पुच्छना चाहती हू?"

"हां-2,ज़रूर!"

"मैं वैसे पेपर्स की कॉपी तो ले सकती हू ना जोकि पब्लिक व्यूयिंग के लिए होते हैं जैसे की रिज़ल्ट्स?"

प्रिन्सिपल मिश्रा हँसे,"ज़रूर कामिनी जी.",उन्होने अपना चाइ का कप रखा & चंदर साहब से मुखातिब हुए,"चंद्रा भाई,और कोई होता तो मेरे आगे उन पेपर्स की कॉपी के लिए मिन्नते करने लगता मगर ऐसी बात आपकी शिष्या ही कर सकती है!",दोनो हँसने लगे तो कामिनी भी मुस्कुरा दी,"कामिनी जी,मैं कॉलेज रिजिस्ट्रल लाल साहब को बुला देता हू,वो आपकी मदद करेंगे."
Reply
12-31-2018, 04:05 PM,
#67
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
थोड़ी देर बाद कामिनी लाल साहब के साथ मिश्रा के ऑफीस से बाहर निकल रही थी.उसने चंद्रा साहब को अपने दोस्त से बाते करने के लिए छ्चोड़ दिया था.लाल साहब 50-55 साल के छ्होटे कद के पतले-दुबले इंसान थे,उनकी नाक पे चढ़ा चश्मा बार-2 आगे आ जाता था जिसे वो बार-2 पीछे कर नाक पे चढ़ाते थे,"कॉलेज के करीब-2 सारे रेकॉर्ड्स कंप्यूटराइस्ड हैं इसलिए आपके काम मे हमे ज़्यादा परेशानी नही होगी..आइए",लाल साहब ने अपने ऑफीस का दरवाज़ा खोला.

"रवि,ज़रा मेडम की मदद कर दो.इन्हे 1 स्टूडेंट का रेकॉर्ड देखना है.",लाल साहब ने अपने ऑफीस मे ही 1 दूसरी टेबल पे बैठे काम कर रहे शख्स से कहा.

"जी,सर..आइए मेडम.",कामिनी उसके साथ बैठ गयी & उसे शीना के बारे मे बताया.रवि ने अपने कंप्यूटर मे सीणा का नाम,सब्जेक्ट & साल डाला तो उसका रेकॉर्ड स्क्रीन पे आ गया,"ये देखिए,मेडम."

"रवि जी,इसने फाइनल एग्ज़ॅम देर से क्यू दिया था?"

"मेडम,यहा तो कारण मे लोंग इलनेस लिखा हुआ है."

"अच्छा.",कामिनी सोच मे पड़ गयी.

"मेडम.",उसे सोच मे डूबी देख रवि ने उस से कहा.

"ह्म्म."

"वैसे आप इस लड़की के बारे मे क्या जानना चाहती हैं?"

"बस इतना की जीतने दीनो ये कॉलेज मे रही तो कुच्छ ऐसी बात या घटना तो नही हुई थी जिसकी वजह से कुच्छ चर्चा हुई हो."

"तो फिर आप इसके सब्जेक्ट के प्रोफेस्सर्स से क्यू नही बात करती?"

"आप ठीक कह रहे हैं..",कामिनी की आँखो मे चमक आ गयी,"..टीचर से बेहतर स्टूडेंट के बारे मे और कौन बता सकता है..थॅंक्स,रवि जी!अब आइडिया दिया है तो आगे ये भी बता दीजिए की किस टीचर से मिलू?"

"एकनॉमिक्स होनोर्स की हेड ऑफ डिपार्टमेंट रागिनी शर्मा जी से मिल लीजिए.वो पिच्छले 15 सालो से कॉलेज के साथ जुड़ी हैं.इस वक़्त आपको कॉलेज के पीछे की ओर बने नये विंग के ग्राउंड फ्लोर पे मिल जाएँगी..",उसने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी पे नज़र डाली,"..वाहा एम.ए स्टूडेंट्स की क्लास ले रही होंगी."

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"रागिनी मॅ'म?",सारे स्टूडेंट्स क्लास ख़त्म होने पे बाहर निकल गये थे & 1 मोटी सी औरत अपने टेबल पे से कागज समेत रही थी.

"जी,कहिए."

"मेरा नाम कामिनी शरण है,मैं 1 वकील हू..",& कामिनी ने उन्हे अपने वाहा आने का मक़सद बताया.

"शीना मित्तल....ह्म्‍म्म.",रागिनी जी अपनी ठुड्डी पे हाथ रखे सोचने लगी,उनके माथे पे शिकन पड़ गयी थी.कामिनी ने अपने मोबाइल को अपने बॅग से निकाला & उसमे स्टोर्ड शीना की फोटो उन्हे दिखाई,ये फोटो उसे करण के चाचा संजीव मेहरा ने अपने मोबाइल से दी थी.

"अच्छा ये....हां-2 अब याद आया...ऐसी बात मैं भूल भी कैसे सकती हू..?अब क्या करे उम्र जो हो रही है!",चलिए स्टाफ-रूम मे चलते हैं,वाहा मैं आपको सारी बात बताती हू.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"मित्तल साहब का परिवार आवंतिपुर मे ना जाने कब से रह रहा है & उनकी भी यहा बहुत इज़्ज़त है,बड़े सज्जन आदमी हैं..",रागिनी जी ने अपनी चाइ की प्याली से 1 घूँट लिया.कामिनी को दुबरे कॉलेज कॅंटीन की बेस्वाद चाइ पीनी पड़ रही थी,"..शीना मे भी अपने परिवार के सभी गुण थे मगर ये सारे गुण हवा हो गये जब वो समीर नाम के 1 लड़के के चक्कर मे पड़ गयी.अब जैसा की आमतौर पे इस उम्र मे होता है दोनो 1 दूसरे के बिल्कुल दीवाने हो चुके थे.."

"..मित्तल साहब को बात पता चली तो उन्होने अपनी बेटी को समझाया मगर वो तो जैसे कुच्छ सुनना-समझना ही नही चाहती थी..हार कर उन्होने बेटी पे बंदिशे लगाई.इसका नतीजा ये हुआ की वो बागी हो गयी & 1 दिन समीर के साथ भाग गयी.मित्तल साहब उसे ढूँढते हुए पंचमहल पहुँचे..समीर वही का था ना!"

"..उन्होने समीर के घर वालो को सारी बात बताई तो उन्होने भी समीर को काफ़ी लताड़ा..इसके बाद दोनो प्रेमियो को जुदा कर दिया गया..इसी सब चक्कर मे शीना का एग्ज़ॅम लेट हो गया था.",उन्होने कप से 1 और घूँट लिया.

"मगर मॅ'म..",कामिनी अब और ये चाइ नही पी सकती थी,उसने भी अपना कप नीचे रख दिया,"..इस बात का तो बहुत हो-हल्ला मचा होगा शहर मे?"

"अरे नही..",रागिनी जी हँसी,"..मित्तल साहब बहुत समझदार इंसान हैं,उन्होने बेटी के भाग जाने पे भी हाई-तौबा नही मचाई बल्कि चुप-चाप उसे ढूँडने मे लगे रहे.कॉलेज मे शीना & समीर के दोस्तो को भी सारी बात नही पता थी क्यूकी अब देखिए..आजकल के ज़माने मे लड़के-लड़की का ऐसे दोस्ती & प्यार मे पड़ना तो बहुत आम सी बात है..& जहा तक मैं जानती हू अपने घरवालो को उनके रिश्ते पे जो ऐतराज़ था उसका ज़िक्र शायद ही किसी ने दोनो से किया हो."

"थॅंक्स,मॅ'म.आपको शायद अंदाज़ा नही आपने मेरी कितनी मदद की है,थॅंक्स वन्स अगेन!"

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"ये देखिए,मेडम समीर का रेकॉर्ड.",कामिनी 1 बार फिर रवि के साथ बैठी थी.समीर का रेकॉर्ड देखते ही कामिनी को कुच्छ-2 बात समझ मे आने लगी.तभी लाल साहब ने रवि को किसी काम के लिए बाहर भेजा तो कामिनी ने उनकी नज़र बचा के समीर के रेकॉर्ड का प्रिनटाउट निकाल के अपने बॅग मे डाल लिया.

जब रवि वापस आया तो कामिनी ने उस से शीना के बॅच के सभी स्टूडेंट्स की लिस्ट माँगी तो रवि ने उसे फाइनल एअर के रिज़ल्ट का प्रिनटाउट निकाल के दे दिया,कामिनी ने उसपे नज़र दौड़ाई-समीर ने फाइनल एग्ज़ॅम का 1 भी पेपर नही दिया था,हर सब्जेक्ट के आगे 2 ही शब्द लिखे थे:नोट अपीयर्ड.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"उम्म्म.....क्या कर रहे हैं?..छ्चोड़िए ना..!",चंद्रा साहब होटेल के कमरे मे कामिनी को बाहो मे भर के उसके चेहरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे.कामिनी को भी बहुत अच्छा लग रहा था,उसका इनकार तो बस उसकी ज़ात-यानी लड़कियो की ज़ात की फ़ितरातन हरकत थी.उनके दिल मे तो लड़को से भी कही ज़्यादा चुदने की हसरत होती है,मगर हर कदम पे रोकेंगी & नही-2 करेंगी!

चंद्रा साहब उसकी शर्ट के अंदर हाथ घुसाए उसकी कमर को बेसब्री से मसल्ते हुए उसके होंठो को चूम रहे थे & कामिनी भी उनसे चिपकी उन्हे अपनी ज़ुबान से जवाब दे रही थी.चंद्रा साहब ने जैसे ही अपनी जीभ उसके मुँह मे घुसाइ कामिनी ने उसे ऐसे चूसा की चंद्रा साहब का लंड पूरा तन गया & वो बेचैनी मे पागल हो उसकी कमीज़ उतारने लगे.

कामिनी ने भी उनकी शर्ट निकाल दी.चन्द्रा साहब उसके ब्रा मे क़ैद उभारो के नुमाया हिस्से को चूमते हुए उसे बाहो मे भर के अपने हाथ पीछे ले जाके उसके ब्रा हुक्स खोल रहे थे & कामिनी उनकी पीठ को सहलाए जा रही थी.ब्रा खुलते ही उन्होने उसे निकाल फेंका & कामिनी को बिस्तर पे गिरा दिया & उसके उपर सवार हो उसकी चूचियो को दबाते हुए उन्हे चूमने,चूसने लगे,"...ऊओ....आअहह..!"

कामिनी की मस्ती बढ़ रही थी,वो अपने गुरु के सर से लेके उनकी पूरी नंगी पीठ पे अपने गरम हाथ चला रही थी,चंद्रा साहब जैसे ही उसपे चढ़े थे उसने अपनी टाँगे फैला दी थी & अब जोश से बेचैन हो चंद्रा साहब बिना पॅंट उतारे ही उसकी पॅंट मे क़ैद चूत पे अपने लंड से धक्के लगाने लगे थे,"...उउउंम्म....आआनन्नह...!",कामिनी उनका सर चूमते हुए बेचैनी से अपनी कमर हिला रही थी.टॅक्सी मे उनकी हर्कतो ने उसके अंदर आग भड़का दी थी जोकि कॉलेज मे तो शांत हो गयी थी मगर बुझी नही थी.होटेल रूम मे घुसते ही चंद्रा साहब के उसपे टूट पड़ने से आग इस बार और भी ज़्यादा तेज़ी से भड़क उठी थी.

चंद्रा साहब ने उसके गुलाबी निपल्स को अपने दांतो के बीच पकड़ के खींचा तो कुच्छ दर्द & कुच्छ मज़े से कामिनी करही & उसका दिल उनके लंड के एहसास के लिए मचल उठा.अपनी चूचियो पे जुटे अपने गुरु के सर को उनपे दबाते हुए वो अपना दाया हाथ दोनो जिस्मो के बीच ले जा उनकी पॅंट को खोलने लगी तो चंद्रा साहब झटके से उसके सीने से उठ गये & फटाफट अपनी पॅंट & अंडरवेर को निकाल दिया.

फिर 1 ही झटके मे उन्होने कामिनी की पॅंट को भी खींच कर उसके खूबसूरत जिस्म से अलग कर दिया.अब वो केवल गुलाबी रंग की पॅंटी मे थी जोकि उसकी चूत से गीली हो चिपकी हुई थी.चंद्रा सहब ने उसे हौले खींच कर उसकी टांगो से निकाला & फिर उसकी गीली चूत के रस को चाटने लगे,".....ऊओह...हाईईईई.....सिर्र्र्ररर....अब आ जाइए.....आअन्न्न्नह...",उसने उनके सर के बाल खींच कर अपनी चूत से उन्हे अलग किया,"....अब नही रहा जाता,जल्दी से चोदिए ना!....डालिए अपना लंड मेरी चूत मे अभी!"

उसने उन्हे उपर खींचा तो चंद्रा साहब उसकी बात मानते हुए उपर आए,उसकी टाँगो को हवा मे उठा के अपने कंधे पे रखा & 1 ही झटके मे अपने लंड को उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..हाआअन्न्‍नननननणणन्...!",उसके बदन के दोनो तरफ बिस्तर पे हाथ रखे वो उचक-2 के उसकी छूट को चोदने लगे.कंधे पे टांगो के होने की वजह से चूत कुच्छ ज़्यादा ही खिल कर सामने आ गयी थी & हर झटके पे उनका लंड उसकी गहराइयो मे जैसे और ज़्यादा उतर रहा था & उनके अंडे हर धक्के पे उसकी गंद से टकरा रहे थे.कामिनी अब आहे नही भर रही थी बल्कि नीचे से कमर हिलाते हुए चिल्ला रही थी.

चोद्ते हुए चंद्रा साहब अपने घुटनो पे बैठ गये & उसकी भरी हुई गंद की फांको को दबाते हुए उसके पैर की उंगलियो को चूस्ते हुए उसकी चुदाई करने लगे.उनकी इस हरकत को कामिनी बर्दाश्त नही कर पाई & फ़ौरन झाड़ गयी मगर चंद्रा साहब का पानी अभी भी बाँध के पीछे था,उसमे अभी वो उबाल नही आया था जोकि बंद तोड़ देता.झड़ने के कामिनी ने आँखे मूंद ली & अपनी दाई बाँह अपनी आँखो पे रख ली,हर धक्के पे उसकी चूचिया च्चालच्छला जाती तो चंद्रा साहब उन्हे दबोच के मसल देते.

थोड़ी देर बाद कामिनी के अंदर फिर से मस्ती जागने लगी & वो हल्की-2 आहे भरने लगी.चंद्रा साहब ने अपनी चुदाई की रफ़तर थोड़ी तेज़ कर दी तो कामिनी ने दोबारा अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया.चंद्रा साहब ने उसकी टाँगो को अपने कंधो से उतारा & उसके उपर लेट कर अपने बालो भरे सीने तले उसकी चूचियो को दबाते हुए उसे चूमने लगे.कामिनी ने फ़ौरन अपनी टाँगे उनकी कमर पे लपेटी & मस्ती मे बहाल हो अपने नाखूनओ से उनकी नंगी पीठ नोचने लगी.चंद्रा साहब दोनो हाथ उसके कंधो के नीचे लगाके जैसे उसे उठाके खुद से और सताने की कोशिश करने लगे.

कामिनी भी जोश से पागल हो नीचे से कमर हिलाते हुए उचक-2 के उन्हे चूम रही थी.चंद्रा साहब का पानी अब सैलाब की तरह बाँध तोड़ने ही वाला था & कामिनी की चूत मे भी बहुत तनाव बन गया था.चन्द्रा साहब ने उसे बाहो मे भर के बिस्तर से उठाते हुए उसके होंठो पे अपने होंठ कस दिए & जल्दी-2 धक्के लगाने लगे,कामिनी भी उनसे चिपटि,उन्हे खरोंछती उन्हे चूमती हुई नीचे से उनकी ताल से ताल मिलाते हुए कमर हिला रही थी.

तभी चंद्रा साहब के पानी ने बाँध तोड़ा & उनका बदन झटके खाने लगा,ठीक उसी वक़्त कामिनी की चूत का भी तनाव बहुत ज़्यादा बढ़ गया,उसकी चूत ने 1 साथ बहुत सारा पानी छ्चोड़ा जोकि चंद्रा साहब के लंड से निकलते पानी से जा मिला-दोनो के मज़े का ठिकाना नही था,दोनो 1 दूसरे की बाहो मे,1 दूसरे से चिपते हुए थे..मगर मानो 1 दूसरे से जुदा अपनी-2 दुनिया मे थे..दोनो ने 1 दूसरे के होंठो को आज़ाद कर दिया था & ज़ोर-2 से आहे भरते हुए झाड़ रहे थे.दोनो का ध्यान बस अपनी कमर मे हो रहे उस मीठे से दर्द पे था जोकि पानी छूटने के वक़्त बहुत तेज़ था & अब धीरे-2 कम हो रहा था..दोनो उसके 1-1 पल का पूरा लुत्फ़ उठना चाहते थे & बहुत तेज़ी से कमर हिला रहे थे.

आख़िर वो दर्द पूरा ही ख़त्म हो गया..रह गया तो बस दोनो का पानी जो कामिनी की चूत मे धन्से चंद्रा साहब के लंड के बगल से टपक रहा था.दोनो 1 दूसरे की बाहो मे शांत पड़े लंबी साँसे लेते हुए आँखे बंद किए पड़े हुए थे.दोनो के दिल मे बेइंतहा खुशी & चेहरे पे परम संतोष था.

क्रमशः....................................
Reply
12-31-2018, 04:05 PM,
#68
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--30

चंद्रा साहब कामिनी के उपर अभी भी चढ़े हुए थे & उसके चेहरे & गर्दन को चूम रहे थे,"उफ़फ्फ़....बस यही करते रहेंगे क्या!..मुझे भूख लग रही है,कुच्छ खाने को तो मँगवैइए."

"अभी लो.",चंद्रा साहब ने वैसे ही उसके उपर से हटे बिना,हाथ बढ़कर साइड-टेबल से मेनू कार्ड उठाया & नीचे दबी कामिनी को थमाया,फिर उसी साइड-टेबल पे रखे फोन से खाने का ऑर्डर कर दिया.

थोड़े ही देर बाद कमरे की घंटी बजी,"चलिए..अब हटिए.",चंद्रा साहब कामिनी के उपर से हटे & वॉर्डरोब से निकल के 1 बेदिंग गाउन पहन लिया,कामिनी वैसे ही नंगी बातरूम मे चली गयी.वेटर के जाने के बाद चंद्रा साहब दरवाज़ा बंद कर मुड़े तो देखा की कामिनी अभी तक बाथरूम से बाहर नही आई है.

वो बाथरूम के दरवाज़े के पास गये तो पाया की कामिनी ने दरवाज़ लॉक नही किया था बस भिड़ा दिया था.उन्होने हौले से बिना आवाज़ किए दरवाज़ा खोला तो देखा की कामिनी वॉशबेसिन पे झुक के अपना मुँह धो रही है.झुके हुए होने के कारण उसकी चौड़ी गंद कुच्छ और ज़्यादा उभर आई थी & उसकी फांको के बीच उपर उसकी गंद का गुलाबी छेद & नीचे उसकी चूत दिखा रहे थे जिसमे से अभी भी उनके लंड के पानी की बूंदे टपकती दिख रही थी.

इस मस्त नज़ारे को देखते ही चंद्रा साहब का लंड 1 बार फिर जोश मे आने लगा.उन्होने बातरोब उतारा & चुपके से कामिनी के पीछे पहुँच गये,फिर उसकी कमर को थाम कर 1 ही झटके मे उसकी गीली चूत मे अपना लंड पूरा घुसा दिया,"हााअ.....!",कामिनी अचानक हुए इस हमले से चौंक के सीधी होने लगी तो वॉशबेसिन के उपर के शीशे मे उसे अपने गुरु का चेहरा नज़र आया जिसके हर पोर मे बस उसके जिस्म की चाहत नज़र आ रही थी.

कामिनी ने झुक के वॉशबेसिन के किनारो पे अपनी बाहे टीका के फौसेट के नॉब्स को सहारे के लिए थाम लिया & उनके धक्को का मज़ा लेने लगी,"..ऊओन्नह.....आअनन्नह....!"

चंद्रा साहब उसकी कमर को थामे उसकी चूत चोद रहे थे मगर उनका इरादा उसकी चूत मे झड़ने का नही था.कामिनी की मस्त,भारी गंद ने उन्हे पहले दिन से ही दीवाना बना लिया था & इस बार वो उसी का लुत्फ़ उठाने की फिराक़ मे थे.उन्होने शीशे के पास के शेल्फ से 1 क्रीम उठाई & अपनी उंगली मे लगा कामिनी को चोद्ते हुए उस उंगली को उसकी गंद मे अंदर-बाहर करने लगे,"....हाऐईयईईईईईईई....!",कामिनी भी उनका इरादा भाँप गयी & उसके बदन मे और भी मस्ती भर गयी & नतीजतन उसकी आहे & तेज़ हो गयी.

चंद्रा साहब गहरे धक्को से कामिनी की चूत की चुदाई करते हुए उंगली से क्रीम को उसकी गंद के छेद मे अंदर तक लिसेद रहे थे.जब उनकी उंगली गंद के छेद के अंदर तक जाती तो कामिनी की गंद अपनेआप सिकुड कर उंगली को चारो तरफ से दबा लेती.उसकी इस हरकत से चंद्रा साहब को ख़याल आया की इस उंगली की जगह जब उनका लंड लेगा तो उसे कैसा महसूस होगा!इस ख़याल से उनका दिल & मदहोशी से भर उठा & उन्होने फ़ौरन लंड को बाहर खींच लिया.

फिर अपनी दाई टांग को वॉशबेसिन के स्लॅब पे चढ़ाया & कामिनी की टांगे और फैला दी.कामिनी अब वॉशबेसिन के उपर बिल्कुल दोहरी होके खड़ी थी.चंद्रा साहब ने बाए हाथ से उसकी नाज़ुक कमर को थामा & दाए हाथ से उसके पानी से भीगे लंड को उसकी गंद पे लगा के 1 धक्का दिया,"...ऊओउउउइईईईई.....!",कुछ दर्द & कुच्छ मज़े से कामिनी करही.

लंड का सूपड़ा उसकी गंद मे दाखिल हो चुका था.कामिनी ने फॉसट को कस के बाए हाथ से थामा & अपना सर उठा के शीशे मे अपने गुरु की ओर मदमस्त निगाहो से देखा & होंठो को गोल कर के उन्हे चूमने का इशारा किया & फिर अपने दाए हाथ को नीचे ले जाके अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.चंद्रा साहब अपनी शिष्या की इस अदा से पागल हो गये & उन्होने बहुत तेज़ी से लंड को गंद मे अंदर धकेलना शुरू कर दिया.कामिनी अब मस्ती मे चीखने लगी.बाथरूम की टाइल्स लगी दीवारो से टकरा के गूँजती उसके गले से निकल रही कामुक आवाज़ें माहौल को मस्ताना बना रही थी & उसके गुरु को और जोशीला.

उसकी गंद का छेद वैसे ही सिकुड-2 कर उनके लंड को बहुत ज़ोर से कस के अपनी गिरफ़्त मे ले रहा था.कामिनी की चूत बहुत कसी हुई थी & चंद्रा साहब जब भी उसे चोद्ते तो हर बार इस बात पे हैरान & खुश हुए बिना नही रह पाते,मगर उसकी गंद की तो बात ही कुच्छ और थी!चंद्रा साहब का लंड बहुत फूल गया था & उनके अंडे भी बिल्कुल कस चुके थे & उनमे उबाल रहा लावा धीरे-2 आगे बढ़ रहा था.

चंद्रा साहब ने टांग स्लॅब से उतरी & झुक के उसकी पीठ से अपने सीने को सटा उसके सर & उसकी पीठ पे फैले उसके बालो कॉ चूमने लगे.कामिनी ऐसे झुकी थी की उसकी भारी-भरकम छातिया वॉशबेसिन के अंदर लटकी हुई थी.चंद्रा साहब के हर धक्के पे दोनो के जिस्म टकराते & कामिनी की आहो के साथ-2 जिस्मो की ठप-2 की आवाज़ भी गूँज उठती,मगर उसके साथ 1 और ठप-2 की आवाज़ गूँजती-उसकी चूचियो का वॉशबेसिन से टकराने से पैदा हुई ठप-2 की आवाज़.

चंद्रा साहब ने उसके बालो को हटा के उसके बाए कंधे के उपर से आगे की ओर कर दिया & फिर उसके दाए कंधे को चूमते हुए उसी तरफ से उसके चेहरे & कान पे अपनी जीभ चलाने लगे.कामिनी ने आहे भरते हुए अपना चेहरा घुमाया & अपने बूढ़े प्रेमी के होंठो को अपने गुलाबी भरे-2 लबो की क़ैद मे गिरफ्तार कर लिया.जवाब मे चंद्रा साहब के धक्के और तेज़ हो गये & उन्होने वॉशबेसिन से टकराती उसकी चूचियो को अपने हाथो मे भर लिया & बेरहमी से दबाने लगे.कामिनी भी बहुत तेज़ी से अपने दाने को रगड़ रही थी.

चंदर साहब का बदन कड़ा होने लगा था तो कामिनी समझ गयी की वो अब झाड़ जाएँगे,वो उनके साथ-2 झड़ना चाहती थी,सो उसने अपनी उंगली की रफ़्तार और तेज़ कर दी.चंद्रा साहब ने उसे चूमना छ्चोड़ दिया था & वैसे ही उसकी पीठ से सटे आईने मे उसके प्यारे चेहरे को देखते हुए आहे भरते हुए धक्के लगा रहे थे.

"आहह....आअहह...आहह...आअहह...!",चंद्रा साहब ज़ोरो से कराहने लगे & उनके लंड से आंडो मे पैदा हुआ लावा बलबला के निकालने लगा & कामिनी की गंद मे भरने लगा,ठीक उसी वक़्त कामिनी की उंगली की मेहनत भी रंग लाई & उसके जिस्म मे झदने से पैदा हुए मज़े की फुलझारिया ज़ोरो से छूटने लगी.

झाड़ते ही दोनो वॉशबेसिन के उपर झुक के हाँफने लगे.थोड़ी देर बाद,चंद्रा साहब की साँसे संभाली तो उन्होने कामिनी के दाए कंधे के नीचे उसकी मखमली पीठ पे 1 प्यार भरी किस ठोनकी,"खाना खाने चले?",कामिनी ने बस हां मे सर हिला दिया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

आज रविवार का दिन था & सुबह के सात बजे थे.मोहसिन जमाल 1 रेडियो टॅक्सी ड्राइवर की वर्दी पहने 1 कार की ड्राइविंग सीट पे उंघ रहा था.कार पे भी रेडियो टॅक्सी कंपनी के लोगो & नाम पैंट किए हुए थे,अंदर 1 वाइरीयल्स भी लगा हुआ था मगर जैसे मोहसिन टॅक्सी ड्राइवर नही था वैसे ही कार भी टॅक्सी नही थी.ये तो बस खुद को शक़ की निगाहो से बचाने के लिए 1 पैंतरा था.टॅक्सी तो कही भी खड़ी रहे कोई शक़ नही करता & रेडियो टॅक्सी को कोई ऐसे ही हाथ दे के रोक के कही चलने के लिए भी नही कहता.वाइर्ले सरकारी इजाज़त से लगाया गया था & मोहसिन की एजेन्सी के जासूसो के काम के लिए था.मगर मोहसिन उसका 1 इस्तेमाल और भी करता था जोकि थोड़ा ग़ैरक़ानूनी था,वो वाइर्ले की फ्रीक्वेन्सी चेंज कर कभी-2 पोलीस वाइर्ले पे कंट्रोल रूम & बाकी थानो & पेट्रोल क़ार्स की बाते भी सुनता था.इस से उसे ना जाने कितने केसस मे मदद मिली थी & सबसे बड़ी मदद तो ये थी की ट्रॅफिक जॅम्स की खबर उसे फ़ौरन मिल जाती थी & वो उनसे बच के निकल जाता था!

टॅक्सी इस वक़्त षत्रुजीत सिंग के बंगल से कुच्छ दूरी पे 1 पेड़ के नीचे खड़ी थी.पिच्छले 2 दीनो से मोहसिन & उसके साथी बारी-2 से टोनी का पीछा कर रहे थे मगर उसने अभी तक कुच्छ ऐसा नही किया था जोकि कामिनी को बताने लायक हो,वो तो शत्रुजीत की कार लेके उसके साथ निकलता & उसी के साथ घर वापस आ जाता,बहुत हुआ तो कभी-कभार सिगरेट खरीदने घर से बाहर आ जाता.मोहसिन को लगने लगा था की इस शख्स से कुच्छ नही पता चलने वाला,ये तो कमाल का नमकहलाल ड्राइवर था-साला कभी मलिक की बुराई भी नही करता था और ड्राइवर्स के साथ मिलके!

तभी बंगल का दरवाज़ा खुला & सफेद कमीज़ & हल्की नीली जीन्स पहने टोनी बाहर आया.मोहसिन ने वैसे ही उंघते रहने का नाटक करते हुए अपनी आँखो के कोने से उसे देखा..ये साला नहा धो के तैय्यार होके कहा जा रहा है?उसने देखा की टोनी रास्ते के मोड़ पे बनी फ्लवर शॉप से फूल खरीद रहा है.फूल खरीदने के बाद वो टॅक्सी ढूँदने लगा तो मोहसिन ने कार स्टार्ट की.जैसे ही टोनी 1 टॅक्सी मे बैठा मोहसिन ने अपनी कार उसके पीछे लगा दी.

कोई 45 मिनिट बाद टॅक्सी शहर के बीचोबीच बने चर्च पे आ रुकी..इसके घर के पास भी तो चर्च है वाहा ना जाके यहा क्यू आया है?मोहसिन ने अपनी शर्ट उतार दी,नीचे 1 टी-शर्ट थी,ड्राइवर की वर्दी की पॅंट की जगह वो हुमेशा जीन्स पहनता था.टॅक्सी पार्क कर के वो चर्च मे दाखिल हुआ तो वो बस 1 आम इंसान था जोकि सनडे को चर्च आया था ना की टॅक्सी ड्राइवर.वो सबसे आख़िरी बेंच पे बैठ गया.उसने देखा की बाहर से 1 कॅंडल खरीद कर टोनी अंदर आया & हाथ मे पकड़ा गुलदस्ता 1 बेंच पे रख के आगे गया & जाकर आल्टर पे कॅंडल जलाने लगा.

वाहा पहले से ही 1 पीले रंग की घुटनो तक की ड्रेस पहने लड़की खड़ी थी....मोहसिन सोच रहा था धर्म की आस्था भी अजीब चीज़ है!..ना जाने क्यू इंसान को किसी खास इबादट्गाह या उपरवाले के किसी 1 खास रूप मे इतना ज़्यादा विश्वास हो जाता है..हो सकता है टोनी को भी इस चर्च पे वैसा ही भरोसा हो.

मगर अगले पल मोहसिन ये सारी फलसफाई बाते भूल गया.वो लड़की & टोनी आल्टर से वापस आते समय आगे-पीछे चल रहे थे.लड़की आई & जहा फूल रखे थे उस बेंच पे अंदर की तरफ बैठ गयी,फिर मोहसिन आया,फूल उठाए & बैठ गया & फिर फूल उस लड़की की गोद मे रख दिए.अब मोहसिन पूरी तरह चौकन्ना था.उसने चर्च का जायज़ा लिया & ये पक्का किया की अंदर आने & बाहर जाने का 1 ही रास्ता है,फिर उठा & बाहर आके अपने मोबाइल से फोन मिलाया,"सुखी?"

"जी,सर."

"स्ट्रीट.थॉमस चर्च के पास आ जा."

"ओके,सर."
Reply
12-31-2018, 04:05 PM,
#69
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
सुखी यानी सुखबीर सिंग भुल्लर,लंबा-चौड़ा सिख & मोहसिन की एजेन्सी का 1 तेज़-तर्रार जासूस.5 साल के आर्मी के कमिशन के बाद उसने मोहसिन की एजेन्सी जाय्न कर ली थी.दिलेर होने के साथ-2 सुखी बहुत तेज़ दिमाग़ का मालिक था.

"वो देख सुखी!",ड्राइविंग सीट पे बैठे मोहसिन ने अपने मोबाइल के हंडसफ़री कीट के स्पीकर मे बोला,"..वो पीली ड्रेस वाली लड़की के साथ-2 चल रहा है."

"देख लिया,सर..इस कौव्वे के हाथ ये मोती कहा से लग गया!",दोनो हंस पड़े & सुखी ने दोनो को टॅक्सी मे बैठते देख अपनी बाइक स्टार्ट कर दी & अपने बॉस के साथ-2 उनकी टॅक्सी के पीछे चलने लगा.कोई 35 मिनिट बाद टॅक्सी पंचमहल रेलवे स्टेशन के बाहर रुकी तो दोनो और चौक्काने हो गये,"कौव्वा उड़ने की तो नही सोच रहा सर?"

"देखते हैं,यार.अगर ऐसा हुआ तो मैं इसके पीछे ही लगा रहूँगा,तुम निकल जाना."

मगर कौव्वे उर्फ टोनी के दिमाग़ मे ऐसा कुच्छ नही चल रहा था,वो उस खूबसूरत लड़की के साथ स्टेशन के पास बने सस्ते होटेल्स मे से 1 मे जाने लगा.सुखी & मोहसिन अब साथ-2 उनसे कुच्छ दूरी पे पीछे चल रहे थे,"कौव्वा तो ऐश करने के मूड मे है सर!"

और क्यू ना होता आख़िर वो लड़की और कोई नही शॅरन ही तो थी कौव्वे की धर्मपत्नी.मोहसिन ने देखा की दोनो सतगुरु इंटरनॅशनल नाम के होटेल मे दाखिल हुए.सड़क के दूसरी तरफ से होटेल के शीशे के दरवाज़े के पीछे बना काउंटर सॉफ दिख रहा था.दोनो ने देखा की टोनी ने एंट्री करके 1 चाभी ले और होटेक ले और अंदर चला गया.घड़ी देख के ठीक 3 मिनिट बाद मोहसिन सुखी के साथ होटेल के काउंटर पे पहुँचा,"हेलो,सर जी.",1 गोल-मटोल सिख ने हंसते हुए उनका स्वागत किया,"दस्सो.की सेवा करू?"

"पाजी,आपसे 1 बात पुच्छनी है."

"हां-2 जी बोलो तो."

"पाजी,ये जो जोड़ा अभी आया है आपके होटेल मे हमे उसके बारे मे जानना है.",मोहसिन की बात सुनते ही सरदार के चेहरे से हँसी गायब हो गयी.मोहसिन पहली ही नज़र मे भाँप गया था कि यही मालिक है..अब इन सस्ते होटेल्स मे कौन रिसेप्षनिस्ट & मॅनेजर का खर्चा उठाता!आमतौर पे मॅनेजर ही वेटर के कामो के अलावा सारे काम करता था..ज़रूर इसका मॅनेजर कम रिसेप्षनिस्ट अभी आया नही है & इसे काउंटर संभालना पड़ रहा है.

"पाजी,हमे ग़लत मत समझिए..",मोहसिन ने उसके चौकन्ना चेहरे को देखा & फिर जेब से 1 कार्ड निकल के उसे दिखाया,"..मैं सरकार से अप्रूव्ड जासूस हू..",उसने कार्ड वापस जेब मे रखा & 1 1000 का नोट काउंटर पे रखा,"..ये जो औरत अंदर गयी है ना इसका पति हमारे पास आया था..उसे शक़ था की इसका चक्कर चल रहा है..अब हमे इस औरत के & इसके प्रेमी के कुच्छ फोटो मिल जाते तो..",मोहसिन 1 और नोट काउंटर पे रखा.

"जी,हम अपने कस्टमर्स के साथ ऐसा काम नही करते..",सरदार ने ललचाई निगाहो से नोटो को देखा.

"अरे पाजी,आपसे कौन सा हम कोई ग़लत काम करवा रहे हैं!",अब बातचीत की बागडोर सुखी ने संभाली,"..आप हमे बस उनके फोटो लेने का रास्ता बता दो..".मोहसिन ने 2 और नोट काउंटर पे रख दिए थे,"..आपकी तकलीफ़ की भरपाई भी तो हम कर रहे हैं.",सुखी उसकी तरफ देख के मुस्कुराया.

"..पर..",सरदार जी नोटो को खा जाने वाली नज़रो से देख रहे थे.

"की पर पाजी,तुसी बस मुश्किल दस्सो हम आसान करांगे..!",सुखी ने उसके कंधे पे हाथ रख उसके कान मे कहा.

"..पर,यारा..मैने उन्हे जो कमरा दिया है,वाहा आपलोग किसी भी तरह फोटो नही ले सकते.."

"कोई बात नही,पाजी!..",मोहसिन ने 1 और 1000 का नोट काउंटर पे रखा & फिर पाँचो नोटो को उठा के मुट्ठी मे बंद कर लिया,"..कोई दूसरा कमरा तो होगा.",फिर मुट्ठी मे बंद पाँचो नोटो को सरदार जी की शर्ट की जेब मे डाल दिया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"ओह्ह..माइ डार्लिंग!....माइ लव..!....शॅरन..",टोनी अपनी बीवी को बाहो मे भरे बिस्तर पे बैठा चूम रहा था,"..मैं तुम्हे कितना मिस करता हू..",वो उसकी गर्दन चूम रहा था.शॅरन के चेहरे पे घिन के भाव थे मगर जैसे ही टोनी ने सर उपर उठाया वो बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए उसके गालो को चूमने लगी,"..मैने भी,टोनी डार्लिंग.",टोनी ने उसकी पीठ पे लगी ज़िप खोल के उसकी ड्रेस को उसके बाए कंधे से सरकया & फिर ब्रा स्ट्रॅप को नीचे कर उसके कंधे को चूमने लगा कि तभी दरवाज़े पे ज़ोर की दस्तक हुई.

"बस्टर्ड..!",टोनी भूंभूनाया,"कौन है?"

"मैं,सर..मॅनेजर.."

"क्या बात है?",उसने बिस्तर पे बैठे-2 ही पुचछा.

"प्लीज़,सर.1 मिनिट दरवाज़ा खोलिए.",शॅरन ने आँखो से दरवाज़ा खोलने का इशारा किया तो टोनी बेमन से उठा.

"हां,बोलो.",उसने दरवाज़ा खोला तो सामने सरदार जी हंसते हुए खड़े थे.सरदार जी ने टोनी के कंधे के उपर से झाँका तो उन्हे ड्रेस ठीक करती शॅरन नज़र आई,"बोलो भाई!",टोनी को उसपे बहुत गुस्सा आया.

"ये सर...सॉरी...सर..!",सरदार जी सकपका गये,"..आइ मीन..सर..आपको इस रूम से निकलना पड़ेगा."

"क्यू?!",टोनी की थयोरियाँ चढ़ गयी..साला सरदार सारे मूड का सत्यानाश कर रहा था!

"माइ मिस्टेक,सर!..दारसला इस रूम का एसी खराब है..अभी तो ठीक चल रहा है मगर थोड़ी देर मे आवाज़ करता हुआ बंद हो जाएगा..आज मेकॅनिक को बुलाया था..अब खमखा आपके काम पे बीच मे खलल पड़ जाए तो..",सरदार जी मुस्कराए.

"तो क्या करे?"

"आप दूसरे रूम मे शिफ्ट हो जाइए,सर..इस से बड़ा है & बेहतर भी,प्लीज़!"

"ओके."

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"ईडियट..!,1 तो वैसे ही टाइम नही अपन के पास,उपर से ये बेवकूफ़!",दूसरे कमरे मे घुसते ही टोनी झल्लाया तो शॅरन उसके करीब आ गयी,"रिलॅक्स,डार्लिंग!",&दोनो 1 दूसरे की बाहो मे खो गये इस बात से अंजान की उस रूम मे जो 1 बंद दरवाज़ा दिख रहा था उसके दूरी तरफ बैठे मोहसिन & सुखी उनकी सारी बाते ना केवल सुन रहे हैं बल्कि कमेरे के ज़रिए रेकॉर्ड भी कर रहे हैं.मोहसिन ने 2 कमेरे इस तरह लगाए थे की 1 पूरे बेड को & दूसरा कमरे के दरवाज़े & अटॅच्ड बाथरूम के दरवाज़े को कवर कर रहे थे.

"ऊन्न्नह.....वाउ..डार्लिंग शॅरन!",तुम तो दिन बा दिन और खूबसूरत होती जा रही हो.बिस्तर पे नंगी पड़ी अपनी बीवी को देखते हुए टोनी अपना अंडरवीअर उतार रहा था.फिर वो उसके उपर चढ़ गया & उसके बदन को चूमने,चाटने लगा.वो बिल्कुल पागल हो गया था.. आख़िर पूरे 1 हफ्ते के बाद अपनी जान से भी ज़्यादा प्यारी बीवी के हुस्न का दीदार कर रहा था,उसे प्यार कर रहा था!

और शॅरन..उसके चेहरे पे बस खीज & नफ़रत के भाव थे..उसे अब इस इंसान से कोई लगाव नही रह गया था,"..बस कुच्छ ही दीनो की बात है डार्लिंग!..फिर तुम,मैं & हमारा बेटा-तीनो 1 साथ रहेंगे आवंतिपुर मे..",उसकी चूत चूमने के बाद वो उसकी टाँगे फैला के उनके बीच आ रहा था,"..हमे पैसो की भी कोई चिंता नही रहेगी.",उसने अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया तो लंड 1 ही झटके मे अंदर घुस गया,"..आअहह...!",शॅरन बनावटी लहजे मे करही,"..मुझे उस दिन का इंतेज़ार रहेगा,टोनी डार्लिंग....ऊऊन्न्नह....ईएसस्सस्स.....ईएससस्स...!",वो उसे बाहो मे भर के जोश मे होने का नाटक करने लगी.

जब से उसने जगबीर ठुकराल के लंड का स्वाद चखा था उसे टोनी किसी काम का नही लगता था,वो बस ठुकराल के कहने पे उसके प्लान की कामयाबी के चलते टोनी से हर हफ्ते मिलती थी.टोनी का छोटा सा कमज़ोर लंड जब उसकी चूत मे घुसा तो उसे कुच्छ भी महसूस नही हुआ था मगर वो नीचे से ऐसे कमर हिला रही थी मानो मस्ती मे पागल हो गयी हो,"..हाऐईयईई.....ऊओह....मययी...गोद्द्दद्ड.....टोनन्य्यययी....ई लोवे ौउूउ.......आअहह...!",टोनी के झाड़ते ही उसने भी झड़ने का नाटक किया.टोनी उसके सीने पे सर रखे हाँफ रहा था.उसने उसके सर को सहलाते हुए आँखे खोली,थोड़ी देर पहले उसने अपने पति से झूठ नही कहा था,उसे सचमुच बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार था जब ये प्लान कामयाब हो जाएगा & उसे इस मनहूस,कमज़ोर शख्स से छूटकारा मिल जाएगा & वो हमेसा-2 के लिए अपने प्यारे जगबीर को हो जाएगी.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

टोनी ने 1 बार और अपनी बीवी को चोदा & फिर दोनो कमरे से निकल लिए.उनके पीछे-2 मोहसिन & सुखी भी बाहर आए.काउंटर पे टोनी ने चाभी लौटाई & शॅरन के साथ होटेल के बाहर चला गया.मोहसिन & सुखी उसके निकलते ही काउंटर पे आए,"थॅंक्स,पाजी!",मोहसिन ने सरदार जी से हाथ मिलाया.सरदार जी ने हाथ मिलाने के बाद अपने हाथ को देखा तो वाहा 2000 रुपये और थे,"यू'आर मोस्ट वेलकम,सिरजी!",उनकी घनी मूछ & दाढ़ी से भरे चेहरे पे मुस्कान की लंबी लकीर खींची हुई थी.

मोहसिन & सुखी मुस्कुराते हुए होटेल से बाहर आए & 1 बार फिर टोनी & शॅरन के पीछे लग गये.

क्रमशः.............................
Reply
12-31-2018, 04:06 PM,
#70
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--31

"तुम्हे लगता है की तुमपे दोबारा हमला इसलिए नही हुआ क्यूकी तुम 1 महफूज़ जगह पे हो & शायद उन्हे दूसरा मौका नही मिल रहा है..ह्म्म?",चंद्रा साहब कुर्सी पे नंगे बैठे हुए फ्रूट सलाद खा रहे थे.होटेल के कमरे मे 1 बहुत बड़ी खिड़की थी-ज़मीन से लेके छत तक.उसके बगल मे 1 छ्होटी मेज़ & 2 कुर्सिया लगी हुई थी,उन्ही कुर्सियो पे बैठे दोनो नाश्ता कर रहे थे.

"हां.",नंगी कामिनी अपने दोनो पैर कुर्सी पे चढ़ाए बैठी अपना सलाद ख़तम कर रही थी.

"मगर ऐसा भी तो हो सकता है की उसका मक़सद ही तुम्हे षत्रुजीत सिंग के घर पहुचाना हो.",चंद्रा साहब ने अपना प्लेट मेज़ पे रख दिया.

कामिनी काँटे से 1 टुकड़ा मुँह की ओर ले जा रही थी मगर चंद्रा साहब की बात सुनते ही हैरत से उसका मुँह खुला का खुला रह गया & काँटा पकड़ा हाथ हवा मे ही रुक गया..उसने तो ऐसे सोचा ही नही था..उसे टोनी पे शक़ था..तो-

"..जो आदमी टोनी को कंट्रोल कर रहा है,हो सकता है उसी ने ये चाल चली हो,हमला बॉर्नीयो के बाहर हुआ तो उसकी वजह से तुम्हारा शक़ भी करण के केस पे चला गया & उस आदमी का उल्लू सीधा हो गया.",चंद्रा साहब ने उसके ख़यालो को तोड़ते हुए कहा,"..मगर तुम्हे घबराने की कोई ज़रूरत नही क्यूकी उसके बाद तुमने काफ़ी एहतियात बरता है..यहा तक की शत्रुजीत को भी कुच्छ नही बताया है..है ना?"

कामिनी ने हां मे सर हिलाया,"..तब फ़िक्र की कोई बात नही है..लेकिन ये 1 पहलू है.हो सकता है,तुम्हारा शक़ सही हो..जयंत पुराणिक की मौत के पीछे शायद सचमुच कोई राज़ हो..",वो ग्लास लिए शीशे के पास खड़े हुए नीचे आवंतिपुर को देखते हुए जूस पीने लगे.वो कामिनी की कुर्सी के बगल मे इस तरहसे खड़े थे की अगर बाए सर घूमते तो खिड़की के बाहर देखते & अगर दाए घूमते तो अपनी खूबसूरत शिष्या को.

"..तुमने कहा था की बॉर्नीयो के बार के पीच्चे ऐसा लगता था की 1 सीक्ट्व कॅम हटाया गया है.."

"जी..",कामिनी ने अपना प्लेट मेज़ पे रख दिया.

"..इस बात को मुद्दा बना दो.1 बार बात अदालत मे उठी तो मजबूरन पोलीस को इस बात की छानबीन करनी पड़ेगी..",कामिनी मन ही मन उनकी तारीफ किए बिना नही रह सकी,उसने तो ऐसे सोचा ही नही था..,"..फिर करण ने अगर 2 ही पेग लिए थे विस्की के तो उसे इतना नशा क्यू हुआ?..बॉर्नीयो के बारटेंडर को भी लपेटो & साथ ही मॅनेजर को भी.पोलीस ने सरकारी वकील के ज़रिए कोर्ट के पास करण की मेडिकल रिपोर्ट जमा कराई होगी..-"

"उस रिपोर्ट & करण के बार के बिल को मिला के कोर्ट मे साबित कर दो की करण के ड्रिंक को जानबूझ कर स्ट्रॉंग बनाया गया ताकि नशे मे वो होश खो दे!",कामिनी को उनकी बात पूरी समझ मे आ गयी थी.कमाल का दिमाग़ था उसके गुरु का!उसने तो ऐसे सोचा भी नही था,अब इस से करण बेगुनाह साबित ना भी हो..उसे कुच्छ समय मिल जाएगा & हो सकता है करण को ज़्यादा कड़ी सज़ा भी ना हो.चंद्रा साहब उसकी बात सुनकर मुस्कुराए & फिर अपना जूस ख़त्म कर ग्लास को बाए हाथ मे पकड़े-2 खिड़की से बाहर देखने लगे.

कामिनी के दिल मे अपने इस प्रेमी के लिए बहुत प्यार उमड़ आया,उसके चेहरे से बस कुच्छ दूरी पे ही उनका लंड लटक रहा था,उसने हाथ बढ़ा के उनके हाथ का ग्लास लेकर मेज़ पे रखा,फिर उनके लंड को थाम लिया.चंद्रा साहब ने उसकी ओर देखा तो कामिनी ने अपनी निगाहे उनकी नज़रो से मिला दी & उनकी आँखो मे देखते हुए अपना चेहरा उनकी झांतो मे छुपा लिया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

होटेल से निकलते ही टोनी & शॅरन टॅक्सी खोजने लगे,"सुखी..इस बार तू कौव्वे के पीछे जाना & मैं मोती के पीछे जाऊँगा."

"आप बॉस हो,आपका हुक्म सर आँखो पे!..आप ही ऐश करो.",उसकी बात सुन मोहसिन जमाल ने उसकी पीठ पे 1 धौल जमाया & हंसते हुए अपनी टॅक्सी की ओर बढ़ गया.मोहसिन शॅरन की टॅक्सी के पीछे चला जा रहा था,कोई 20 मिनिट बाद उसने देखा की सेंट्रल मार्केट के पास उसने टॅक्सी छ्चोड़ दी.

मोहसिन कार मे बैठा-2 उसकी हरकते देख रहा था.शॅरन टॅक्सी से उतर के मार्केट के अंदर दाखिल हो गयी,मोहसिन ने टॅक्सी पार्क की & उसके पीछे हो लिया.शॅरन मार्केट के बीच से होते हुए चली जा रही थी,मोहसिन समझ गया था की वो यहा शॉपिंग के लिए नही आई है,फिर उसका मक़सद क्या था?

थोड़ी ही देर मे मोहसिन को अपने सवाल का जवाब मिल गया,शॅरन तेज़ी से मार्केट के दूसरी ओर बनी पार्किंग मे जा रही थी.मोहसिन रुक गया & गौर से उसे जाते देखने लगा.उसने देखा की शॅरन 1 सफेद रंग की मारुति सुज़ुकी डज़ीरे के पास जाके रुक गयी.1 लंबे,घनी मूच्छो वाले ड्राइवर ने पिच्छली सीट का दरवाज़ा उसके लिए खोला.ये देखते ही मोहसिन घुमा & बिजली की तेज़ी से अपनी टॅक्सी की ओर भागा.2 मिनिट के अंदर-2 वो अपनी टॅक्सी लिए पार्किंग के बाहर खड़ा था.ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानिया में पढ़ रहे हैं

मोहसिन कार का पीछा करते-2 सेक्टर-52,विकास खंड पहुँच गया.उसने देखा की डज़ीरे 1 घर के गेट के अंदर चली गयी,उसने उस मकान का पता नोट किया & वाहा से निकल ने ही वाला था की देखा की वोही कार वापस आई मगर इस बार उसकी पिच्छळी सीट पे कोई नही बैठा था.कार उस मकान की दीवार के साथ-2 चलते हुए बाए मूडी & उस मकान से सटे बने हुए बंगल के मैं गेट मे दाखिल हो गयी.मोहसिन ने टॅक्सी उस बंगल के सामने से ले जाते हुए नेम प्लेट का नाम पढ़ा & फिर वाहा से निकल गया.उसके तेज़ दिमाग़ ने ये अंदाज़ा लगा ही लिया था की बगल का मकान भी बुंगले के मालिक जगबीर ठुकारल का ही होगा..बस इस बात को साबित करने के लिए उसे थोड़ा काम करना होगा & फिर वो कामिनी को अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"...आअहह...हाइईईई.....!",कामिनी होटेल के बिस्तर पे अपनी बाई कोहनी पे करवट लिए लेटी थी & उसके पीछे चंद्रा साहब उसकी दाई जाँघ को हवा मे उठाए पीछे से उस से सटे हुए उसकी चूत मे अपना लंड घुसेडे उसे चोद रहे थे,चंद्रा साहब का बाए हाथ उसकी उठी कोहनी & बदन के बीच से घुस कर उसकी चूचियो को मसल रहा था & दाया उसकी जाँघ उठाए उसे सहला रहा था.कामिनी की मस्ती का कोई ठिकाना ही नही था,जो काम उसने खिड़की के बगल की कुर्सी पे अपने होंठो से शुरू किया था,चंद्रा सहब उसे अब बिस्तर पे अपने लंड से अंजाम तक पहुँचा रहे थे.

सामने टीवी पे कोई लोकल न्यूज़ चॅनेल आ रहा था मगर दोनो को उसपे आ रही खबरो से कोई मतलब नही था..वो तो बस 1 दूसरे के बदनो मे खोए हुए थे.कामिनी ने दाया हाथ पीछे ले जाके अपने गुरु का सर अपनी ओर खींच कर उन्हे चूमा तो चंद्रा साहब ने भी उसकी जाँघ छ्चोड़ दी & उसके पेट को थाम उसकी किस का जवाब देने लगे.कामिनी की ज़ुबान के जादू ने उनके धक्को मे और तेज़ी ला दी.उनके धक्के कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ हो गये.कामिनी हवा मे उड़ी जा रही थी की तभी चंद्रा सहब ने अपना लंड बाहर खींच लिया.

कामिनी ने किस तोड़ के उन्हे देखा तो चंद्रा साहब ने उसके गाल को चूमते हुए फिर से उसकी जाँघ को हवा मे उठा लिया & 1 ही धक्के मे अपने लंड का सूपड़ा घुसा दिया-उसकी चूत मे नही बल्कि गंद मे,"...ऊऊव्व्वव.....!",कामिनी ने तड़प के बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया मगर तभी उसका ध्यान टीवी पे चल रही खबर पे चला गया,"..पंचमहल मे कल त्रिवेणी ग्रूप के पूर्व वाइस-प्रेसीडेंट श्री जयंत पुराणिक के घर चोरी हो गयी.अभी कुच्छ ही दिन पहले 1 सनसनीखेज़ हादसे मे बॉर्नीयो नाम के पब मे हुए 1 झगड़े मे श्री पुराणिक की गोली लगने से मौत हो गयी थी.."

गंद के कसे छेद के चलते चंद्रा साहब बहुत ज़ोर से धक्के तो नही लगा पा रहे थे मगर इस से उनके मज़े मे कोई कमी नही आई थी.जब लंड गंद की गहराइयो मे उतरता तो छेद सिकुड कर मानो उन्हे किसी मुट्ठी मे जाकड़ लेता & उनके लंड मे 1 मस्ती की लहर उठती जोकि उनके रोम-2 को नशे से भर देती.उन्होने अपना दाया हाथ उसकी जाँघ से हटाया & उसे आगे ले जाके उसकी चूत को अपनी उंगलियो से मारने लगे.

"..चोरो ने घर मे रखे सारी नकदी & ज़वरात पे हाथ सॉफ किया..वारदात के वक़्त श्रीमती.पुराणिक & उनके बच्चे घर से बाहर मिसेज़.पुराणिक के भाई के घर पे थे..",चंद्रा साहब की मस्तानी हर्कतो ने कामिनी को मस्ती की ऊँचाइयो पे पहुँचा दिया था.वो करवट पे पड़ी हुई बस अपने जिस्म के मज़े पे ध्यान दे रही थी मगर इस खबर को भी उसने दिमाग़ के किसी कोने मे महफूज़ रख लिया था..अब उसे यकीन होने लगा था की पुराणिक की मौत 1 हादसा नही हादसे की शक्ल मे क़त्ल था.

चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी चूचिया मसल रहा था & दाया उसकी चूत.वो पागल हो आहे भरती हुई अपनी कमर हिलाते हुए झाड़ ने लगी.अपनी शिष्या को झाड़ते देख चंद्रा साहब ने भी अपने लंड पे लगी रोक को खोल दिया & उसकी गंद को अपने पानी से भर दिया.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,448,032 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,347 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,210,648 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,172 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,622,383 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,055,068 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,908,380 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,914,627 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,976,639 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,862 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)