Sex Hindi Kahani गहरी चाल
12-31-2018, 04:01 PM,
#51
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--22

आंतनी डाइयास ने षत्रुजीत सिंग से कुच्छ भी झूठ नही बोला था.ठुकराल की खुरापाति खोपड़ी जानती थी कि शत्रुजीत कोई दूध पीता बच्चा नही था जोकि ऐसे ही किसिको अपने करीब आने देगा.उसने बहुत सोच-समझ कर ये सारा प्लान बनाया था.नत्थू राम वाली बात,टोनी का शत्रुजीत को गिरती सेमेंट की बोरियो से बचाना-सब नाटक था.

ठुकराल चाहता था की उसका कोई आदमी बस शत्रुजीत के करीब हो जाए ताकि उसे उसकी हर हरकत का पता रहे & उसे उसके खिलाफ साज़िश रचने मे आसानी हो,मगर उसने भी ये नही सोचा था की शत्रुजीत टोनी को सीधे अपना ड्राइवर बना लेगा.इस बात से उसे बहुत खुशी हुई थी,टोनी अब शत्रुजीत की सारी हर्कतो पे नज़र रखे हुए था.

मगर ठुकराल टोनी को यहा लाया कैसे उसकी 1 अलग ही दास्तान है.

शैरोन & आंतनी डाइयास उर्फ टोनी की मुलाकात तब हुई थी जब टोनी गोआ से बॉमबे आक्टर बनाने आया था.उसने शॅरन के बराबर वाले घर मे 1 कमरा किराए पे लिया था.उस वक़्त वो 18 बरस की थी & अपने चाचा-चाची के साथ वाहा रहती थी.उसके मा-बाप काफ़ी पहले गुज़र चुके थे.

शॅरन बाला की खूबसूरत थी,कद छ्होटा था मगर पूरा बदन जैसे साँचे मे ढाला हुआ था.अपनी खूबसूरती का उसे पूरा एहसास था,मोहल्ले के मनचले & खुद उसका चाचा उसे इस बात का एहसास करते रहते थे.चाचा तो अक्सर चाची की नज़र बचा के उसकी गोलाईयो से छेड़-छाड़ कर देता था.ऐसे मे शॅरन को मर्द ज़ात से चिढ़ हो गयी थी,उसे लगता था की उन्हे बस उसके बदन को भोगने से मतलब है.

ऐसे मे टोनी की शराफ़त ने उसके दिल पे गहरी छाप छ्चोड़ी.टोनी की नज़रो मे उसकी खूबसूरती की तारीफ रहती थी मगर हवस कभी नही.कुच्छ ही दीनो मे दोनो ने 1 दूसरे से प्यार का इज़हार कर दिया & उसके चाँद दीनो के बाद ही 1 रोज़ जब चाचा-चाची शहर से बाहर गये हुए थे,उसने टोनी को अपना कुँवारापन सौंप दिया.

टोनी तो ऐसी खूबसूरत महबूबा पके खुशी से पागल हो गया & उसने शॅरन के चाचा-चाची से उसका हाथ माँग लिया.चाचा का दिल तो खुद ही इस हुसनपरी की जवानी का स्वाद चखने को था मगर चाची को उसे अपने घर से भगाने का इस से अच्छा मौका कहा से मिलता & चाची के आगे चाचा की 1 ना चली.दोनो ने शादी कर ली.

शादी के शुरू के 5-6 साल तो काफ़ी खुशी-2 बीते.शादी के 1 साल बाद ही शॅरन 1 बेटे की मा बन गयी थी.टोनी को भी काम मिलता रहता था.मगर इसके बाद ही मुश्किलो ने उनकी ज़िंदगी मे कदम रखा.टोनी को 1-2 लोगो ने बहुत भरोसा दिया था की वो उसे फ़िल्मो मे ज़रूर काम दिलाएँगे मगर ऐसा कुच्छ हुआ नही.टोनी इस से बिल्कुल मायूस हो गया & बस नशे के दलदल मे फँसता चला गया.

धीरे-2 वो विदेशी सैलानियो को भी चरस & बाकी नशीली चीज़े बेचने लगा.इस चक्कर मे उसे हवालात भी जाना पड़ता था.शॅरन को इन्ही हालतो मे घर से बाहर कदम रखना पड़ा.उसने बहुत कोशिश की मगर उसे कोई काम नही मिला.हार कर उसे 1 बार मे बार डॅन्सर का काम करना पड़ा.मगर उसने बार मालिक को पहले ही कह दिया था की वो केवल नाचेगी,जिस्म्फरोशी नही करेगी.

ऐसे ही 1 बार मे नाचते हुए कोई 1 महीने पहले उसपे जगबीर ठुकराल की नज़र पद गयी.उसने फ़ौरन बार मालिक को तलब किया,"वो लड़की नीले लहँगे मे..आज रात के लिए मुझे चाहिए..कीमत कुच्छ भी हो."

"साहब,बुरा मत मानीएगा,पर..वो..वो लड़की नाचने के अलावा और कुच्छ नही करती...काई ग्राहक उसके बारे मे पुच्छ चुके हैं...मुहमांगी कीमत देने को तैय्यार हैं..मगर वो सबको ठुकरा चुकी है."

"ह्म्म.",ठुकराल के होतो पे शैतानी मुस्कान खेल गयी...उसे ऐसे खेल मे बड़ा मज़ा आता था जहा की शिकार आसानी से उसके हाथ नही आता था.उस रात जैसे ही शॅरन का काम ख़त्म हुआ बार मालिक ने उसे ठुकराल के पास भेज दिया,"आप बेकार कोशिश कर रहे हैं.आप जीतने भी पैसे दें,मैं आपके साथ नही सोयूँगी."

"देखो,ऐसी जगह कोई लड़की अपने शौक से तो नही आती है.कोई मजबूरी ही उसे यहा खींच लाती है.हो सकता है,मैं तुम्हारी वो मजबूरी दूर कर दू."

"क्या करेंगे आप?आज की रात के बाद आपको मेरी शक्ल भी याद नही रहेगी...& फिर कल...कल फिर किसी और के बिस्तर मे...मैं ऐसी ज़िंदगी नही जी सकती."

"और अगर मैं कहु की तुम्हे आज के बाद सिर्फ़ मेरे साथ सोना है..तब तुम क्या कहोगी?"

शॅरन उसकी तरफ देख उसकी बात समझने की कोशिश करने लगी.

"देखो,मैं तुम्हे अपनी कार मे तुम्हारे घर छ्चोड़ देता हू.ये बातें हम रास्ते मे कर लेंगे.उसके बाद तुम्हारी मर्ज़ी.",शॅरन के चेहरे पे झिझक सॉफ दिख रही थी.

"कार के सारे शीशे खुले रहेंगे & दरवाज़े भी लॉक नही रहेंगे,तुम जहा कहोगी वाहा कार रोक दी जाएगी.",ठुकराल ने उसकी पशोपेश दूर करने की कोशिश की.

"ओके."

ठुकराल का रवैयय्या अब तक के सभी मर्दो से अलग था,शॅरन ने भी उसे अपनी कहानी बता दी,"..मुझे अपने पति से अब पहले जैसा लगाव नही रह गया है,ठुकराल साहब.अब मेरा जो भी कुच्छ है वो मेरा बेटा है.मैं उसे 1 अच्छा इंसान बनाना चाहती हू."

"..और बार मे नाचने से ये काम हो काएगा?"

"मगर मैं जिस्म्फरोशी नही करना चाहती.मुझे डर है..कल को अगर कही से उसे भनक लग गयी तो उस बेचारे का क्या होगा."

"लगता है तुमने मेरी बात ध्यान से नही सुनी.मैने कहा की तुम्हे बस मेरे साथ हुम्बिस्तर होना है."

"यानी आपकी रखैल बन जाऊं?..और जब आपका मन भर जाएगा..फिर?फिर मैं कहा जाऊंगी अपने बच्चे को लेके?"

ठुकराल समझ गया की भले ही ये लड़की 1 बार डॅन्सर हो मगर वो उसकी रखैल कभी नही बनेगी,"तुमने कहा की तुम्हारा पति 1 आक्टर था.",उसकी खोपड़ी मे 1 खुरापाति ख़याल जनम ले रहा था,"..शायद वो मेरा 1 काम कर सकता है."

"देखो,शॅरन.अगर मैं तुम्हारे पति को भी 1 काम दे दू,तुम्हारे बेटे को 1 बोरडिंग स्कूल मे दाखिल करा दू & फिर तुम्हारे पति को तुम्हारी ज़िंदगी से दूर कर तुम्हे अपना लू तो?"

"मगर ये होगा कैसे?"

"वो तुम मुझ पे छ्चोड़ो,पहले ये बताओ की तुम इस बात के लिए तैय्यार हो या नही."

"हां,मगर क्या गॅरेंटी है की आप इस बात से नही मुकरेंगे?"
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12-31-2018, 04:02 PM,
#52
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"तुम्हारे पति को हुमारी बात का कोई पता नही होगा.मैं उस से ऐसे मिलूँगा जैसे की मैं उसके बारे मे कुच्छ नही जानता.कुच्छ ही दीनो मे तुम्हारे बेटे के दाखिले के काग़ज़ & तुम्हारे बॅंक खाते मे पैसे के डीटेल्स तुम्हारे हाथ मे होंगे.जब मेरा काम पूरा हो जाएगा,मैं तुम्हारे पति को तुम्हारी ज़िंदगी से अलग कर पूरे समाज के सामने तुम्हे अपना लूँगा.मगर तब तक तुम्हे मेरे साथ छुप के रहना होगा.",ठुकराल झूठ बोल रहा था,उसका ऐसा कोई इरादा नही था.दरअसल,उसे बस टोनी के सहारे अपना काम निकालना था & अगर तब तक उसकी जवान,खूबसूरत बीवी उसके जिस्म की आग को ठंडा करती रहे तो ये तो सोने पे सुहागा था!

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जब ठुकराल & शॅरन की बात हो रही थी,उस वक़्त टोनी हवालात मे था.जिस दिन वो च्छुटा ठुकराल की कार उसके पीछे लग गयी.ठुकराल & माधो ने पहले ही सारी प्लॅनिंग कर ली थी.माधो ने कुच्छ गुणडो को टोनी पे हमला करने को कह रखा था.1 सुनसान से रास्ते के किनारे जब वो गुंडे टोनी को पीट रहे थे उसी वक़्त ठुकराल की कार वाहा पहुँच गयी & माधो उन गुणडो से जा भिड़ा & उन्हे भगा दिया.ठुकराल ने टोनी को कार मे बिठा लिया,"भाई,वो लोग तुम्हे क्यू मार रहे थे?"

जवाब मे टोनी खामोश राह मगर ठुकराल ने बार-2 पुच्छ कर उसका मुँह खुलवा ही लिया,"जी..वो कह रहे थे की मैं उनके इलाक़े मे अपना धंधा ना करू."

"कैसा धंधा है तुम्हारा?",टोनी फिर चुप हो गया.

"लगता है कोई ग़ैरक़ानूनी धंधा है तुम्हारा...तुम्हारी खामोशी तो यही कहती है,भाई.अच्छा बताओ की रहते कहा हो?वाहा तुम्हे छ्चोड़ देते हैं ...वैसे चाहो तो तुम्हारी मदद कर सकता हू मैं.",टोनी के घर तक के सफ़र मे ठुकराल ने उसकी पूरी कहानी सुन ली.

"मेरा घर आ गया.",टोनी कार से उतरा.

"थोड़ा पानी नही पिलाओगे,टोनी."

"ज़रूर,आइए.",दोनो उसके घर मे दाखिल हो गये जहा टोनी ने ठुकराल का परिचय शॅरन & अपने बेटे से करवाया.दोनो ऐसे मिले जैसे पहले कभी 1 दूसरे को देखा भी ना हो.

"टोनी..मेरा 1 काम है जिसके लिए शायद तुम्ही सबसे काबिल हो.आख़िर तुम 1 आक्टर हो.",ठुकराल उसके साथ पानी पीके उसके घर से बाहर निकला,"..और फिर शायद इस से तुम्हारे परिवार की भी ज़िंदगी सुधार जाए."

"कैसा काम सर?"

"1 आदमी का विश्वास जीत के उसकी हर बात की खबर मुझे देनी है.",टोनी उसकी पूरी बात सुनने के बाद उसके काम के लिए राज़ी हो गया & फिर ठुकराल ने प्लान का वास्ता देके उसे शॅरन & बच्चे के साथ पंचमहल बुला लिया.

इस वक़्त तीनो टोनी के बेटे को बोरडिंग स्कूल मे छ्चोड़ के वापस पंचमहल जा रहे थे,ठुकराल ने उसे भरोसा दिलाया था की शॅरन उसके घर मे महफूज़ रहेगी.बेचारे टोनी को क्या पता था की वो खुद अपने हाथो से अपनी बीवी को उसके आशिक़ के हाथो मे सौंप के आ रहा था.उस बेचारे को क्या पता था की जब वो ठुकराल के काम की तैय्यारि के लिए पंचमहल आने से पहले 2 दीनो के लिए बॉमबे से बाहर गया था उसी समय ठुकराल ने अपने मन की मुराद पूरी कर ली थी.

उस रात ठुकराल शॅरन के पास उसके बेटे के दाखिले के काग़ज़ & उसके अकाउंट मे जमा कराए पैसो के डीटेल्स लेकर पहुँचा,"ये लो,मैने अपना वादा पूरा किया.अब तुम्हारी बारी है."

मैं तैय्यार हू मगर मेरा बेटा..",शॅरोन ने काग़ज़ अपने हाथ मे ले लिए.

"उसकी फ़िक्र मत करो.दोनो तैय्यार हो & चलो."

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ठुकराल ने उस 11 साल के बच्चे को आगे की सीट पे बिठाया तो माधो ने उसकी सीट बेल्ट लगा दी.ठुकराल शॅरन के साथ पीछे बैठ गया.शॅरन ने 1 टी-शर्ट & घुटनो तक की स्कर्ट पहनी थी.शॅरन की उम्र 31 बरस थी मगर वो अभी भी 25 से ज़्यादा की नही लगती थी.कसी टी-शर्ट मे उसकी 36 साइज़ की छातिया & उभर आई थी & लग रहा था मानो शर्ट को फाड़ कर बाहर आना चाहती हैं.

ठुकराल उसके दाई तरफ बैठा उसके हुस्न को घूर रहा था.उसने अपना बाया हाथ उसकी कमर मे डाल दिया तो शॅरन चौंक के बेटे की ओर इशारा करते हुए अलग होने की कोशिश करने लगी.मगर ठुकराल ने उसे इशारे से समझाया की वो घबराए नही,वैसे भी वो बेटे के ठीक पीछे बैठी थी & वैसे भी बच्चा सामने कार की छत से लटक रहे छ्होटे से टीवी स्क्रीन पे प्रोग्राम देखने मे मशगूल था.

क्रमशः.....................
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12-31-2018, 04:02 PM,
#53
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--23

जगबीर ठुकराल शॅरन की शर्ट मे हाथ घुसा के उसकी पतली,कोमल कमर को सहला रहा था.उसने उसकी कमर को दबाते हुए उसे खींच कर खुद से सता लिया.अब शॅरन थोड़ा उसकी तरफ घूम कर बैठी थी,उसकी आँखो मे बेटे के देख लेने का डर झलक रहा था.

ठुकराल ने बहुत हल्के से उसके दाए गाल को चूम लिया,शर्म की लाली उसके चेहरे पे फैल गयी.ठुकराल हौले-2 उसके चेहरे को चूम रहा था & धीरे-2 वो भी मस्त हो रही थी.ठुकराल ने उसके सुर्ख होंठो को अपनी उंगलियो से च्छुआ तो वो सिहर उठी,उसके भरे-2 होंठ थारतारने लगे.ठुकराल ने उसी वक़्त अपने होंठ उनपे रख दिए.

शॅरन थोड़ी देर को सब कुच्छ भूल गयी & खुद को ठुकराल की बाहो मे ढीला छ्चोड़ दिया & बस किस का मज़ा लेने लगी.थोड़ी ही देर मे दोनो 1 दूसरे को बाहो मे कसे हुए मस्ती मे चूमे जा रहे थे.ठुकराल के दोनो हाथ उसकी शर्ट मे घुसे उसकी मखमली पीठ & कमर पे घूम रहे थे.

अचानक ठुकराल ने उसकी टी-शर्ट को उपर उठा दिया,"हाअ...!",शॅरन ने उसका हाथ पकड़ लिया.

"क्या हुआ मम्मी?",उसका बेटा मुड़ने को हुआ.

"कुच्छ नही बेटा...1 कीड़ा कपड़ो मे घुस गया था,निकाल दिया.तुम टीवी देखो.",उसने ठुकराल का हाथ अपनी शर्ट से अलग करने की कोशिश की तो ठुकराल ने उसकी ना सुनते हुए शर्ट को उपर कर उसके बदन से अलग कर दिया.अब शॅरन का हल्के नीले रंग का ब्रा नज़र आ रहा था & उसके गले मे से झँकता उसके धड़कते दिल की वजह से उपर-नीचे होता हुआ उसका बड़ा सा क्लीवेज.

ठुकराल ने 1 नज़र उसके घबराहट भरे चेहरे पे डाली & फिर हाथ उसकी पीठ पे ले जाके उसके ब्रा को खोल दिया.उसके सामने शॅरन की बड़ी,कसी हुई गोरी चूचिया चमक उठी.उसने ब्रा को किनारे किया & उसकी शर्ट वापस उसे पहना दी,फिर शर्ट को उसकी गर्दन तक उपर कर दिया.

इसके बाद उसने उसे फिर अपनी बाई बाँह के घेरे मे ले लिया & अपने होंठ उसके सीने पे रख दिए,"..आहह..!",शॅरन ने अपनी आह को अपने हलक मे ही दफ़्न करना चाहा मगर फिर भी 1 हल्की से आवाज़ निकल ही गयी.उसने बेटे की ओर देखा,वो टीवी मे मगन था.

उसकी कमर को दबाते हुए ठुकराल ने उसकी दाई बाई चूची को अपने दाए हाथ से पकड़ लिया & दबा दिया.शॅरन की हालत खराब हो गयी.उसका दिल तो कर रहा था की सब कुच्छ भूल कर इस पल का लुत्फ़ उठाए मगर यहा ये मुमकिन नही था.ठुकराल उसके हल्के भूरे निपल को उंगलियो से मसल रहा था.

जैसे ही निपल कड़ा हुआ उसने वैसे ही चूची को पकड़े हुए अपनी जीभ उस पे चलानी शुरू कर दी.शॅरन के बदन मे तो जैसे बिजली का झटका लग गया.वो ठुकराल के सर के बाल भींचती हुई बेचैनी से अपना बदन हिलाने लगी.ठुकराल ने निपल से खेलने के बाद अपने मुँह मे उसकी बाई चूची भर ली & उसे चूसने लगा.

थोड़ी देर तक वो वैसे ही उसकी कमर थामे हुए कभी उसकी 1 तो कभी दूसरी चूची से खेलता रहा.शॅरन बेसब्री सी हो अपनी जंघे रगड़ रही थी.ठुकराल ने अपना बाए हाथ से उसकी कमर को वैसे ही जकड़े रखा & दाए को सामने से उसकी स्कर्ट मे घुसा दिया.जाँघो के बीच उसका हाथ महसूस करते ही शॅरन ने अपनी जंघे भींच कर उसके हाथ को दबा लिया.

ठुकराल धीरे-2 उसकी रेशमी जंघे सहलाता हुआ आगे बढ़ने लगा.चूचियो को चूमते हुए उसने नज़र नीची की,जैसे-2 उसका हाथ आगे बढ़ रहा था,शॅरन की स्कर्ट भी उपर हो रही थी & उसकी गोरी भारी-2 जंघे नुमाया हो रही थी.आख़िरकार ठुकराल का हाथ उसकी पॅंटी तक पहुँच गया,"...ना..ही..प्लीज़...यह नही..",शॅरन ने उसके सर को अपनी बाहो मे भर अपने सीने पे दबा दिया & उसके कान मे फुसफुसा.

पर ठुकराल ने उसकी नही सुनी.उसने बिजली की तेज़ी से शॅरन की पॅंटी को खींच कर उसके पैरो से निकाल दिया.हल्के नीले रंग की पॅंटी पे 1 धब्बा सा पड़ा हुआ था.ये शॅरन की चूत के उस पानी का दाग था जोकि उसने ठुकराल की हर्कतो से मस्त होकर छ्चोड़ा था.ठुकराल ने पॅंटी को सूँघा & फिर मुस्कुराते हुए उसे किनारे कर शॅरन को चूमने लगा.

उसका दाया हाथ 1 बार फिर उसकी जाँघो के बीच घुस के उसकी चूत तक पहुँच चुका था.ठुकराल का दिल तो कर रहा था की स्कर्ट निकाल के अभी इस हसीना की चूत के दीदार करे मगर उसके बेटे की मौजूदगी मे ऐसा ख़तरे से खाली नही था,फिर थोड़ी ही देर मे वो उसके पूरे नंगे जिस्म का दीदार तो करेगा ही.उसने अपने दिल पे काबू रखा & उसकी स्कर्ट से ढँकी चूत मे अपनी उंगली घुसा दी.

शॅरन की आहें दोनो की किस मे कही खो गयी.ठुकराल बाए हाथ से उसे मज़बूती से थामे उसके होंठ चूमते हुए अपनी उंगली उसकी चूत मे अंदर-बाहर कर रहा था.शॅरन की चूत बड़ी कसी हुई थी & उसने ठुकराल की उंगली को जैसे जाकड़ सा लिया था.तभी शॅरन की चूत की दीवारे उसकी उंगली पे और कस गयी & उसका बदन जैसे अकड़ गया.ठुकराल समझ गया की वो झाड़ चुकी है.

उसने अपनी उंगली निकाली & उसके होंठो को आज़ाद किया.शॅरन तक कर उसके कंधे पे सर रख के बैठ गयी.ठुकराल ने उसकी स्कर्ट & शर्ट को ठीक किया & उसके सर को सहलाने लगा,"मालिक,हम पहुँच गये.",माधो ने कार रोक दी.

थोड़ी ही देर बाद दोनो 1 फ्लॅट के बेडरूम मे 1 दूसरे की बाहो मे खड़े 1 दूसरे को चूम रहे थे.बच्चा दूसरे कमरे मे गहरी नींद सो रहा था & अब दोनो बेफ़िक्र हो 1 दूसरे के जिस्मो का लुत्फ़ उठा रहा थे.ठुकराल ने अपना सूट उतार दिया था & 1 ड्रेसिंग गाउन पहन लिया था,शॅरन अभी भी अपने उसी लिबास मे थी बस उसकी ब्रा & पॅंटी वही ठुकराल की कार मे पड़े हुए थे.वो अपनी बाहे ठुकराल की गर्दन मे डाले उसके बालो को सहला रही थी & ठुकराल उसे चूमते हुए उसकी स्कर्ट उठा रहा था.

उसने अपने हाथ उसकी मुलायम जाँघो पे लगा दिए & सहलाने लगा.मस्त हो शॅरन थोड़ा आगे बढ़ उस से और सॅट गयी.शर्ट के कपड़े मे से उसके नुकीले निपल्स ठुकराल के सीने मे चुभ रहे थे.ठुकराल के हाथ थोड़ा और उपर हुए & उसकी चौड़ी मगर पुष्ट गंद को थाम लिया,"..उउउन्न्ं...!",उसे चूमते हुए शॅरन ने आह भारी तो ठुकराल उसकी गंद को हौले-2 दबाने लगा.छ्होटे कद की शॅरन अपना सर उठा कर उसे चूम रही थी & ठुकराल का लंड उसके पेट पे दबा हुआ था.ठुकराल ने उसे चूमते हुए थोड़ा आगे हो लंड को उसके जिस्म से दबाने की कोशिश की तो वो लड़खड़ा गयी & पीछे बिस्तर पे गिर गयी.
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12-31-2018, 04:02 PM,
#54
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गिरते ही उसकी स्कर्ट उठ गयी & ठुकराल ने पहली बार उसकी चूत का दीदार किया.उसकी नज़रे तो जैसे वही से चिपक के रह गयी.उसने उसे ठीक से लिटाया & झुक के उसकी चूत को निहारने लगा.उसने हल्के से 1 हाथ उसके उपर फिराया तो शॅरन के बदन मे मज़े की लहर दौड़ गयी,"ऊहह...जगबीर.."

ठुकराल उसकी टाँगो के बीच लेट गया & उसकी चूत को उंगली से कुरेदने लगा.मस्त हो शॅरन अपनी कमर हिलाते हुए उसके सर को पकड़ आहे भरने लगी.थोड़ी देर तक उंगली से उसकी चूत मारने के बाद वो उसके दाने पे बड़ी तेज़ी से गोल-2 उंगली घूमने लगा.शॅरन तो बस पागल ही हो गयी.टोनी ने उसे ऐसे प्यार करना छ्चोड़ दिया था,वो तो उसे बस 1 मशीन की तरह इस्तेमाल करने लगा था.जब उसका दिल करता उसके उपर चढ़ उसे चूमता,दबाता & फिर उसकी चूत को थोड़ी देर छेड़ने के बाद,बिना ये जाने की वो तैय्यार है या नही...उसे मज़ा आ रहा है या नही-अपना छ्होटा-सा लंड उसकी चूत मे घुसा कुच्छ धक्के लगा कर झाड़ जाता & फिर सो जाता.

उसने तो उम्मीद ही छ्चोड़ दी थी की फिर कभी उसके जिस्म को ऐसी खुशी मिलेगी मगर आज ये इंसान उसे फिर से जन्नत की सैर पे ले जा रहा था,उसे ठुकराल पे बहुत प्यार आया.ठुकराल ने देखा की वो झड़ने ही वाली है तो अपनी उंगली हटा के दाने पे अपनी जीभ लगा दी,"..आआहह....य्य्ाआ...हह...!",शॅरन ने अपनी जाँघो मे उसके सर को भींच लिया & कमर उचकाते हुए ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.उसकी चूत पानी पे पानी छ्चोड़े जा रही थी.पता नही कितनी देर तक ठुकराल उसकी चूत चाटता रहा & ना जाने वो कितनी बार झड़ी.आख़िरी बार झड़ने के बाद उस से और नही बर्दाश्त किया गया,उसने ठुकराल का सर अपनी चूत से हटाया & करवट ले कर लेट गयी.

ठुकराल ने उसकी स्कर्ट निकाल दी & उसकी चौड़ी गंद पे हाथ फेरने लगा.26 इंच की पतली कमर पे 36 इंच की गंद कुच्छ ज़्यादा ही चौड़ी लग रही थी.ठुकराल उसकी कसी हुई फांको को सहलाने & चूमने लगा.थोड़ी देर बाद शॅरन ने करवट ली तो ठुकराल ने उसे शर्ट उतारने का इशारा किया.शॅरन ने फ़ौरन शर्ट उतार दी & तकिये पे सर रख के लेट गयी.ठुकराल के सामने अब वो पूरी नंगी पड़ी हुई थी,जवाब नही तुम्हारा शॅरन!काश तुम मुझे पहले मिली होती...तो मुझे इतने दीनो तक यू तन्हा ना रहना पड़ता.",शॅरन मुस्कुराते हुए उसके चेहरे को सहला रही थी.

ठुकारल उठा & उसने अपना गाउन खोल दिया,"..हा..!",शॅरन ने चौंक के मुँह पे हाथ रख दिया.ठुकराल बिस्तर के पास ज़मीन पे नंगा खड़ा था & उसका 8 इंच लंबा & कुच्छ ज़्यादा ही मोटा लंड पूरा तना खड़ा था.शॅरन ने आज तक ऐसा तगड़ा लंड नही देखा था.ठुकराल उसके दिल की हालत समझ गया,वो बिस्तर पे चढ़ा & उसके सीने के दोनो तरफ घुटने रख के बैठ गया,"ज़रा इसे प्यार तो करो,मेरी रानी."

शॅरन ने लंड को हाथो मे पकड़ा,उसके छ्होटे-2 हाथ उसकी पूरी मोटाई को अपनी मुट्ठी मे नही ले पा रहे थे.उसके दिल मे ख़याल आया की इतना बड़ा लंड वो कैसे अंदर लेगी & आज तो उसकी चूत की पूरी गहराई को ये राक्षस नापेगा.इस ख़याल ने उसकी चूत मे खलबली सी मचा दी.उसने लंड को हिलाते हुए उसके सूपदे को चूम लिया.थोड़ी देर तक वो लंड को हल्के-2 हाथो से हिलाते हुए बस उसकी लंबाई पे चूमती रही.जब उसने जीभ से लंड & अंदो के बीच की जगह पे जीभ से छेड़ा तो ठुकराल मज़े से करा ह उठा,"..आहह...अब मुँह मे लो इसे मेरी जान & चूसो."

शॅरन ने उसके हुक्म की तामील की मगर लंड इतना मोटा & लूंबा था की उसके मुँह मे समा ही नही रहा था.आधा लंड मुँह मे लिए वो चूस्ते हुए उसके सूपदे पे अपनी जीभ चलाने लगी.ठुकराल मस्त होकर अपनी कमर हिलाने लगा,उसने उसके सर को पकड़ लिया & कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदने लगा.शॅरन भी उसकी मज़बूत जंघे थामे उसके लंड पे मुँह चला रही थी.ठुकराल को याद नही था की आख़िरी बार कब किसी लड़की ने इस गर्मजोशी,इस मस्ती के साथ उसका लंड चूसा था.उसके लिए खुद पे काबू रखना मुश्किल हो गया तो उसने लंड खींच लिया.शॅरन ने उसकी ओर शिकायती नज़रो से देखा,"अब तुम्हे अपना बनाने का वक़्त आ गया है,मेरी जान."

शॅरन ने अपनी टाँगे फैला दी & ठुकराल उनके बीच आ गया.उसने उसके घुटनो के नीचे अपने हाथ रख उसकी टाँगो को उठा के गीली चूत पे लंड टीका 1 धक्का दिया,"..आअन्न्न्नह...!",लंड 3 इंच तक अंदर घुस गया.ठुकराल ने हाथ हटा कर झुकते हुए अपनी बाहे उसके घुटनो के नीचे उसकी टाँगो मे फँसा दी & झुकने लगा,"..आऐईयईईईययईई.....आआ...न्न्न...ह..!",शॅरन के चेहरे पे जैसे दर्द की लकीरे खींच गयी.ठुकराल की इस हरकत से उसके घुटने उसकी चूचियो की बगल मे आ गये थे & झुकने से लंड चूत मे घुसता चला जा रहा था.

ठुकराल उसके उपर अब लेट गया था,लंड बस 1 इंच ही बाहर था.शॅरन की चूत बिल्कुल खुल कर उसके लंड को लिए हुए थी & उसकी जंघे बिल्कुल मूड के उसकी चूचियो के बगल मे थी & टाँगे हवा मे.ठुकराल उसे प्यार से चूमने लगा.जब लंड अंदर घुस रहा था तो शॅरन को दर्द महसूस होने लगा था,उसकी चूत को ऐसे बड़े लंड की आदत तो थी नही बल्कि उसके अंदर का हिस्सा तो अभी भी कुँवारा ही था.थोड़ी ही देर बाद उसे लंड की आदत पड़ गयी.ठुकराल ने 1 आख़िरी धक्का दिया & इस बार लंड जड़ तक चूत मे समा गया.उसकी झांते अब शॅरन की चूत के बाहर के हिस्से पे गुदगुदी कर रही थी.शॅरन ने बेचैन होकर ठुकराल के बदन को बाहो मे कस लिया.

ठुकराल थोड़ी देर तक तो उसके उपर लेटे हुए उसकी जंघे मोड,उसकी चूचियो को अपने बालो भरे सीने से पीसते हुए,उसकी चुदाई करता रहा मगर शॅरन की चूत ने उसे चौंका दिया था,10 साल की शादी & 1 बच्चे की मा होने के बावजूद किसी कुँवारी लड़की की तरह कसी हुई थी उसकी चूत.उसके लंड से तो वो ऐसे चिपकी थी जैसे की कॉंडम चिपकता है!ठुकराल अब जल्द से जल्द उस नाज़ुक चूत को अपने पानी से भरना चाहता था.उसने अपनी बाहे उसकी टाँगो से अलग की तो शॅरन ने झट से उन्हे उसकी कमर पे लगा दिया.ठुकराल अपने हाथो पे उचक सा गया & गहरे धक्के लगाने लगा.

शॅरन तो जैसे पागल हो गयी.वो सब भूल गयी-की वो 1 बच्चे की मा है जोकि दूसरे कमरे मे सो रहा है,उसका 1 पति भी है..उसे बस ये याद था की वो 1 औरत थी जिसके जिस्म की प्यास को ये मर्द अपने लंड से बुझा रहा था.उसे ठुकराल पे बहुत प्यार आया,जिस्मो के मिलन से ऐसी खुशी मिलती है,ये तो उसने कभी सोचा ही नही था.वो बेचैनी से उसके सीने के बालो मे हाथ फेरते हुए बहुत तेज़ आवाज़ मे आहे भारती हुई सर उठा के नीचे उसकी चूत मे घुसते-निकलते लंड को देख रही थी.ठुकराल बहुत गहरे &7 तेज़ धक्के लगा रहा था.

शॅरन को आज तक ऐसा एहसा नही हुआ था,उसकी चूत मे कुच्छ अजीब सा महसूस हो रहा था...जैसे बहुत तकलीफ़ हो मगर बहुत मज़ेदार..उसकी कुच्छ समझ मे नही आ रहा था..वो बस सारी ज़िंदगी ऐसे ही हवा मे उड़ते रहना चाहती थी...वो अजीब सा एहसास और तेज़ हो गया...,"..हहुउऊ...न्न्न...आननह....ज़ो..र से...चोदो...जाग..बीर...और...ज़ोर...से...हा..अन्न..आइस..ए..ऐसे...हाआंन्‍णणन्...!",उसे कुच्छ होश नही था की वो क्या चिल्ला रही है,की उसके नाख़ून ठुकराल की पीठ छेद रहे थे...उसे बस ये होश था की उसके बदन के अंदर 1 जैसे कुच्छ बहुत मज़ेदार..कुच्छ बहुत ही खुशी देने वाला एहसास बस मिलने ही वाला है...बस थोड़ी देर और ये लंड इसी तरह उसकी चूत चोद्ता रहे...हान्णन्न्..!

ऐसी खुशी,ऐसा मज़ा उसे कभी नही हुआ था..इतनी खुशी की उसकी आँखो से आँसू निकल पड़े..ठीक उसी वक़्त उसे चूत मे कुच्छ गरम सा महसूस हुआ-ठुकराल भी झाड़ चुका था.वो अब उसके बदन पे लेट के उसके सीने पे सर रख के हाँफ रहा था.शॅरन ने प्यार से उसके सर को चूमा & बड़ी तसल्ली का भाव चेहरे पे लिए आँखे बंद कर ली.

क्रमशः.................
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12-31-2018, 04:02 PM,
#55
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
उस रात शॅरन को एहसास हुआ कि वो आज तक कितनी बड़ी खुशी से महरूम थी.उस दिन से वो जगबीर ठुकराल की मुरीद बन गयी.उसे ठुकराल पे पूरा भरोसा था कि वो उसका काम हो जाने के बाद टोनी को रास्ते से हटा के उसे अपनी बीवी बनाएगा.बेचारी!

इस वक़्त माधो कार को ठुकराल के बंगल के अंदर दाखिल कर रहा था,"माधो.",उसने शॅरन को कार मे बैठे रहने का इशारा किया.

"जी,हुज़ूर."

"लगता है निचली मंज़िल पे कुच्छ लोग बैठे हैं.मैं उतरता हू,तुम मेमसाहब को लेकर बाहर जाओ,फिर उस दूसरी कार मे बिठा के बगल वाले मकान के रास्ते उपरी मंज़िल तक पहुँचा देना."

थोड़ी ही देर बाद शॅरन ठुकराल की ऐषगाह मे अकेली खड़ी वाहा की सजावट देख रही थी,"कैसा लगा मेरी जाना हुमारा आशियाना?",ठुकराल मुस्कुराता हुआ वाहा दाखिल हुआ.

"लगता है यहा हर रोज़ सुहाग रत मनाते थे तुम.",शॅरन उसके करीब आ उसके कोट के बटन्स से खेलते हुए शोखी से मुस्कुराइ.

"मेरी जान!ये सारी सजावट तुम्हारे आने की खुशी मे कराई गयी है..",ठुकराल संजीदा हो गया,"..ये सच है की अब तक मैं कोई संत नही था...ये जिस्म तो कभी-2 बेकरार हो उठता है ना!...तुमसे पहले भी मेरी ज़िंदगी मे लड़किया आई हैं मगर मेरा यकीन करो जब से तुम्हे देखा है बस तुम ही तुम इस दिल मे बस गयी हो.",उसने शॅरन का हाथ कोट के बटन से हटा के अपने दिल पे रख दिया.

"ओह्ह...तुमने तो बात दिल पे ले ली,डार्लिंग!..मैं तो बस तुम्हे छेड़ रही थी.",शॅरन ने उसके गाल पे चूम लिया,अपने प्रेमी को यू परेशान सा देख उसके चेहरे पे भी संजीदगी आ गयी थी.

"वादा करो,शॅरन..मुझे छ्चोड़ के कही नही जयोगी.",ठुकराल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथो मे ले लिए,उसकी आँखो मे वही डर था जो किसी नये आशिक़ की आँखो मे होता है क्यूकी उंहे हर वक़्त अपनी महबूबा के बिछड़ जाने का डर जो होता है.

"जगबीर...तू,म्हरी बाहो मे मैने जन्नत पाई है.मर भी गयी तो इतनी खुशी नसीब नही होगी.वादा करती हू अब तुम्हे छ्चोड़ना तो दूर..अब किसी और का ख़याल भी नही आएगा इस दिल मे."

"श!शॅरन.",ठुकारल ने उसे अपने सीने से लगा लिया & उसके होंठो पे वही जानी-पहचानी शैतानी मुस्कान फैल गयी.कितनी आसानी से ये चिड़िया उसके जाल मे फँस गयी थी!...ये सोचती है की वो उसे पाने के लिए टोनी को काम के बहाने रास्ते से हटाएगा,जबकि सच तो ये था की टोनी से सही ढंग से काम करने के लिए उसने इस हसीना को अपने घर मे रखा था क्यूकी वो जानता था की जब तक ये उसके पास है,टोनी भी उसकी नज़रो से ओझल नही होगा.

"डार्लिंग!तुम इतने बड़े मकान मे अकेले रहते हो?",शॅरन ने उसके सीने पे सर रखे-2 अपनी नज़रे उपर की.

"हां,मेरी जान.बस मैं & माधो.",ठुकराल ने अपनी रखैलो को कुच्छ दीनो के लिए बाहर भेज दिया था.अभी सबसे ज़रूरी बात थी षत्रुजीत सिंग की बर्बादी.अगर उसके लिए कुच्छ दीनो तक उसे अपनी अययाशी को कम भी करना पड़े तो उसे कोई शिकवा नही था...और फिर ऐसी मस्त,खूबसूरत बदन की मल्लिका तो थी ही उसका दिल बहलाने के लिए.

"मगर अब इस वीराने मे भी बहार आ जाएगी.",ठुकराल ने उसे गोद मे उठा लिया & बिस्तर की ओर बढ़ गया.

.............................................

पूरा लॉन किसी दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था & बड़ी गहमा गहमी थी,होती भी क्यू ना आख़िर जायसवाल साहब की बेटी की शादी थी.कामिनी ने आज 1 काली सारी & स्लीव्ले ब्लाउस पहना था & अपने हुस्न की बिजली से उसने वाहा कयि मर्दो को अब तक घायल कर दिया था.

"हेलो,कामिनी..",कामिनी घूमी तो देखा की षत्रुजीत सिंग नंदिता के साथ खड़ा था.

"हाई!",उसने दोनो से हाथ मिलाया,"आप कैसी हैं,नंदिता जी?",कामिनी को खुद पे हैरत हुई,उसे लगा था की शत्रुजीत के साथ नाता जुड़ जाने पे वो शायद नंदिता का सामना नही कर पाएगी मगर ऐसा कुच्छ नही हुआ था.

"अच्छी हू,आप कैसी हैं?",थोड़ी देर तक कुच्छ रस्मी बात चीत के बाद दोनो आगे किसी और से मिलने को बढ़ गये.

"नमस्ते,कामिनी जी.",इस बार जगबीर ठुकराल खड़ा था.

"नमस्ते,ठुकराल साहब.",कामिनी ने गौर किया की ठुकराल बड़ी सफाई से फिर से उसके बदन की गोलाईयो का जायज़ा ले रहा है,उसकी चूत मे 1 कसक सी उठी...इतना तो तय था की ये आदमी 1 नंबर का आय्याश है!

जायसवाल ने सारा इंतेज़ाम 1 खुले लॉन मे किया था.मौसम खुशनुमा था & ठंडी हवा के झोंके बह रहे थे.ऐसे ही 1 झोंके ने कामिनी की सारी के आँचल को ज़रा उड़ाया तो उसका गोरा पेट नुमाया हो गया & ठुकराल की आँखे उसकी चिकने पेट से जैसे चिपक गयी.ठुकराल के दिल मे भी उस खूबसूरती की मिसाल को अपने बिस्तर मे खींच लेने की तमन्ना जाग उठी थी मगर कामिनी शरण 1 मानी हुई वकील थी,उसके साथ अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत की तो वो फँस सकता था.

दोनो ड्रिंक्स काउंटर के पास खड़े बातें कर रहे थे की तभी काउंटर के पीछे खड़े वेटर ने कामिनी को उसका ड्रिंक लेने को कहा.कामिनी जैसे ही घूमी वैसे ही चौंक पड़ी-ठुकराल ने उसकी कमर पे हाथ फिरा दिया था.वो फ़ौरन पलटी,"माफ़ कीजिएगा..मगर ये कीड़ा आपके बदन पे चल रहा था.",ठुकराल ने घास पे पड़े 1 कीड़े की ओर इशारा किया.

"कोई बात नही.",कामिनी ने उसकी ओर थोड़ी कड़ी नज़र से देखा & आगे बढ़ गयी.

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कहा घूम रही हो!इधर आओ..",शत्रुजीत ने उसकी बाँह पकड़ के खींच लिया.

"क्या करते हो!कोई देख लेगा.",लॉन काफ़ी बड़ा था & 1 कोने मे पेड़ो के झुर्मुट के साथ 1 छ्होटा सा तालाब भी बना था.कपड़े के पारटिशन से उस हिस्से को पारट वाले हिस्से से अलग कर दिया गया था & वाहा अंधेरा भी था.पारटिशन के 1 किनारे से निकल के शत्रुजीत उसे वही पेड़ो के झुर्मुट मे ले गया & उसके गले लग गया.

"कही तुम्हारी बीवी ने देख लिया तो?",कामिनी ने उसे बाहो मे भरते हुए उसके सीने मे चेहरा छुपा लिया.जवाब मे शत्रुजीत ने कुच्छ बोलने के बजाय उसके चेहरे को उठा उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.कामिनी को भी तो इसी बात का इंतेज़ार था,वो भी बड़ी शिद्दत के साथ उसे वापस चूमने लगी.

"नही..जीत..प्लीज़......ऊहह..!",शत्रुजीत ने उसे चूमते हुए उसकी सारी कमर तक उठा दी थी & पीछे से ही उसकी पॅंटी मे हाथ घुसा के उसकी गंद को मसलने लगा था.वो कामिनी की गर्दन चूम रहा था.कामिनी को मज़ा तो बहुत आ रहा था मगर साथ ही किसी के देख लेने का डर भी था,उसने 15-20 फ्ट की दूरी पे लगे कपड़े के पारटिशन के पार नंदिता का अक्स देखा तो जैसे उसकी चूत की कसक दोगुनी हो उठी...शत्रुजीत की बीवी बस कुच्छ ही दूरी पे खड़ी थी,इस बात से बेख़बर की कामिनी उसके पति की बाहो मे है.उसने नंदिता की ओर देखते हुए शत्रुजीत के दाए कान पे हौले से काट लिया.

"हाई..रा..आमम..पागल हो गये हो!...नही पॅंटी नही...!",उसकी बातो को अनसुना करते हुए शत्रुजीत ने उसकी पॅंटी खींच के उतार दी & फिर बाए हाथ से उसकी सारी को वैसे ही कमर तक उठाए हुए दाए हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने लंड को बाहर निकाल लिया.

"तुम सच मे पागल हो गये हो!यहा कैसे करेंगे?!",कामिनी फुसफुसाई.शत्रुजीत ने मुस्कुराते हुए उसे पीछे के पेड़ से सटा दिया,फिर उसे सारी पकड़ने को कहा.कामिनी के दिल मे चाहे जितना भी डर हो,उसकी चूत तो बस लंड की आस मे गीली हुए जा रही थी.

कामिनी टाँगे फैला के पेड़ से सॅट के खड़ी हुई तो शत्रुजीत ने थोडा झुक के लंड को उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..उउंम्म...!",कामिनी ने सारी थामे हुए आँखे मूंद कर, सर पीछे कर लिया.ऐसा करने से उसकी गोरी,लंबी गर्दन शत्रुजीत के सामने उभर आई.उसने अपने हाथ उसकी जाँघो के भीतर से उसकी गंद की फांको के नीचे लगाके उसे उठा लिया & फिर गर्दन चूमते हुए 1-2 धक्को मे पूरा का पूरा लंड अपनी प्रेमिका की चूत मे घुसा दिया.
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12-31-2018, 04:02 PM,
#56
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी ने अपनी सारी छ्चोड़ दी & बाहे उसके गले मे डाल दी & हवा मे उठी हुई उस से चुदने लगी.उसने अपनी बाहो मे शत्रुजीत की गर्दन को कस के उसके सर पे किस्सस की बौच्हर कर दी.इस तरह खुले मे नंदिता से कुच्छ ही दूरी पे चुदने मे उसे जैसा मज़ा महसूस हो रहा था ऐसा पहले कभी नही हुआ था.

इस पोज़िशन मे शत्रुजीत का लंड उसकी चूत की दीवारो के साथ-2 उसके दाने को भी रगड़ रहा था.शत्रुजीत ने अब तक उसे काई बार चोदा था मगर हर बार वो कामिनी की चूत के कसाव से चौंक जाता था.जब वो झड़ती थी तो चूत उसके लंड को और जाकड़ लेती थी & उस वक़्त जो एहसास उसे होता था,वैसा एहसास उसे किसी लड़की के साथ कभी नही हुआ.

इस वक़्त भी वो वही महसूस कर रहा था,कामिनी झाड़ गयी थी & अपनी आहे दबाने के लिए उसना अपना चेहरा उसकी गारदन मे दबा लिया था.शत्रुजीत का लंड भी उसकी चूत की सिकुड़न को और नही झेल पाया & उसने अपना पानी छ्चोड़ दिया.

जब कामिनी थोड़ा संभली तो शत्रुजीत ने उसे नीचे उतरा,फिर दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए & वापस पार्टी मे चले गये.लोगो के बीच घुसते ही कामिनी को ध्यान आया की पॅंटी तो वही पेड़ो के पास रह गयी...अब दुबारा जाने पे भी अंधेरे मे वो उसे कहा ढूंडती फ़िरेगी.उसने बाथरूम जाने की सोची,लॉन के किनारे 1 बिल्डिंग बनी थी जिसमे कुच्छ कमरे & बाथरूमस बने थे.तभी किसी ने कहा की बारात आ गयी तो सारे लोग लॉन के गेट की ओर जाने लगे.उसी भीड़ मे किसी ने कामिनी की बाँह थामी,"अरे करण तुम कब आए?"

"थोड़ी देर पहले.आज तो कहर ढा रही हो.",उसने उसे सर से पाँव तक निहारा.

"अच्छा.",शोखी से मुस्कुराती हुई कामिनी बिल्डिंग की तरफ बढ़ गयी.

"उधर कहा जा रही हो?"

"फ्रेश होने."

"चलो मैं भी चलता हू."

"लॅडीस बाथरूम मे?"

"हां."

"जूते पड़ेंगे!"

"तुम्हारे लिए वो भी खा लेंगे!",दोनो हंसते हुए बिल्डिंग मे दाखिलहो गये.1 लंबे गलियारे के दोनो ओर कमरे बने हुए थे & गलियारे के अंत मे बाई तरफ लॅडीस & दाई तरफ जेंट्स बाथरूम था.कामिनी बाई तरफ घूमने ही वाली थी कि करण ने झटके से जेंट्स बाथरूम मे खींच लिया,"क्या कर रहे हो?"

"आज बड़ी खूबसूरत लग रही हो,जानेमन!ज़रा तुम्हे ढंग से देख तो लू."

"यहा?"

"नही यहा.",करण ने उसे 1 टाय्लेट मे खींच कर दरवाज़ा बंद कर लिया & फिर उसे बाँहो मे भर कर उसे पागलो की तरह चूमने लगा.

"प्लीज़,करण...बाहर चलो ना.".1 बार फिर कामिनी मदहोश होने लगी थी.करण ने पॉट की लीड गिराई & उस पे बैठ गया & कामिनी के पेट को चूमने लगा.उसकी जीभ लपलपाति हुई कामिनी की नाभि को चाटने लगी तो कामिनी का बदन फिर से मस्ती से भर गया.वो झुक कर पेट चूमते हुए करण के सर को पकड़ कर उसके बॉल खींचते हुए उसे चूमने लगी,"..पागल....कही..न्के...च..लो...बह..आर..ऊओफफफ्फ़....!"

करण ने हाथ पीछे ले जाके उसके ब्लाउस के हुक्स खोले & तेज़ी से उसके ढीले ब्लाउस & ब्रा को उपर कर दिया & मज़बूती से उसकी कमर थामे उसकी छातिया चूमने लगा.अब कामिनी बिल्कुल मदहोश हो गयी.शत्रुजीत से चुद्ते वक़्त उसके निपल्स इतने कड़े हो गये थे की उनमे दर्द होने लगा था.करण की ज़ुबान अभी जैसे मरहम का काम कर रही थी.करण के हाथ उसकी कमर से नीचे आ उसकी सारी उठा रहे थे.कामिनी ने आँखे खोली तो देखा की करण की खुली पॅंट मे से उसका लंड झाँक रहा है.उसने कब पॅंट खोली मदहोशी की वजह से उसे पता भी ना चला.

करण ने सारी उठाई तो पाया की कामिनी ने पॅंटी ही नही पहनी है,"वेरी गुड!",वो उसकी तरफ शरारत से मुस्कुराया & उसकी कोमल गंद को सहलाते हुए 1 उंगली उसकी चूत से लगा दी जहा की कामिनी & शत्रुजीत का मिला-जुला पानी अभी भी मौजूद था,"वाउ..तुम इतनी गीली हो.",करण की उंगली भीग गयी थी.उसने फ़ौरन कामिनी की कमर को पकड़ कर अपने उपर आने का इशारा किया.कामिनी फ़ौरन उसकी गोद मे बैठने लगी,"..ऊवन्न्न्नह...",जैसे-2 वो बैठ रही थी,वैसे-2 करण का लंड उसकी चूत मे घुस रहा था.जैसे ही लंड पूरा गया कामिनी ने उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी.करण उसकी कमर को थामे उसकी पीठ सहलाता हुआ उसकी चूचिया चूसने लगा.

कामिनी आहे भरते हुए उसके सर को अपने सीने से जकड़े बस उच्छले जा रही थी...ऐसे किसी पब्लिक प्लेस मे जहा की पकड़े जाने का डर हो,वाहा चुदाई करने मे इतना रोमांचित कर देने वाला मज़ा आएगा उसे तो अंदाज़ा ही नही था!करण भी अब नीचे से अपनी कमर हिला रहा था.कामिनी की चूत का तो हाल बुरा था,अचानक कामिनी ने करण को कस के जाकड़ लिया तो करण भी उसकी बाई चूची को मुँह मे भर कर लगातार चूसने लगा,उसकी कमर भी अपनेआप झटके खा रही थी.दोनो 1 साथ झाडे & कामिनी की चूत मे अब उसके पानी के साथ-2 शत्रुजीत & करण-दोनो का पानी मिल गया.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते रहे,फिर उठ कर अपने कपड़े ठीक किए & करण ने सावधानी के साथ दोनो को वाहा से बाहर निकाला.ख़ैरियत थी की उनकी चुदाई के बीच किसी ने भी बाथरूम इस्तेमाल नही किया नही तो दोनो ज़रूर पकड़े जाते.बाहर से बंद का शोर आ रहा था,लग रहा था की बारात दरवाज़े पे आ गयी है.

दोनो बिल्डिंग से बाहर निकल ही रहे थे कि दोनो मिसेज़. & मिस्टर.चंद्रा से टकरा गये,"अरे कामिनी,कैसी हो?"

"ठीक हू आंटी.आप कैसी हैं?",कामिनी ने दोनो को प्रणाम किया & फिर करण से मिलवाया.करण उनसे मिलकर पार्टी मे वापस चला गया,"अरे कामिनी बाथरूम किधर है?",मिसेज़.चंद्रा ने पूचछा.

"आइए आंटी,मैं दिखाती हू."

"अच्छा हुआ तुम मिल गयी.हम दोनो बाथरूम ही ढूंड रहे थे.",चंद्रा साहब ने उसकी तरफ हसरत भारी निगाहो से देखा.मिसेज़.चंद्रा थोड़ा आयेज चल रही थी.इसी बात का फयडा उठा के चंद्रा साहब ने कामिनी की गंद को दबा दिया.कामिनी ने उन्हे बनावटी गुस्से से देखा & फिर मिसेज़.चंद्रा को लड़ीसे बाथरूम मे ले गयी.अंदर मिसेज़.चंद्रा जैसे ही 1 टाय्लेट मे घुसी रेस्टरूम का दरवाज़ा खुला & चंद्रा साहब अंदर घुस आए & कामिनी को बाहो मे भर लिया,".प्लीज़..सर..यहा नही..कही आंटी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा!"

"उसे बहुत टाइम लगता है,मेरी जान!..और आज तुम इतनी कमाल लग रही हो..फिर इतने दीनो से अपने सर से मिलने भी नही आई इसकी सज़ा तो तुम्हे मिलनी ही चाहिए..",वो फुसफुसते हुए उसके चेहरे,होंठो & गले को चूमते हुए उसकी गंद दबा रहे थे.

"..उउंम्म..क्या करती?आंटी के होते कैसे आऊँ!..आप ही आ जाते मेरे घर..मैं तो अकेली रहती हू..",कामिनी की बात से चंद्रा साहब और जोश मे आ गये.उन्होने कामिनी को घुमाया & उसकी सारी उठाने लगे,"नही..सर...आंटी..",वो इतना ही कह पाई क्यूकी उसकी सारी उठा के चंद्रा साहब ने जीभ उसकी चूत से लगा दी थी,"..तुम तो अभी से ही इतना पानी छ्चोड़ रही हो,कामिनी.",वो उठ खड़े हुए-उस बेचारे को क्या पता था कि ये सिर्फ़ कामिनी का ही नही शत्रुजीत & करण का भी पानी था.

कामिनी वॉशबेसिन के दोनो तरफ हाथ रख के खड़ी थी..पहले शत्रुजीत,फिर करण..& अब चंद्रा साहब-उसका बदन तो आज जैसे मस्ती से बाहर ही नही आने वाला था.चंद्रा साहब ने उसकी सारी को उसकी कमर तक उठा के अटकाया & तुरंत अपना लंड निकाल कर कामिनी की चूत मे घुसा दिया.चूत इतनी गीली थी की लंड सरर से अंदर चला गया,"..ऊओवव..!"

"क्या हुआ कामिनी?",टाय्लेट के अंदर से मिसेज़.चंद्रा की आवाज़ आई.चंद्रा साहब झुकी हुई कामिनी के उपर अपनी छाति उसकी पीठ से सताए झुक के बाए हाथ से उसकी कमर & दाए हाथ से उसकी चूचियो को पकड़ कर उसकी कनपटी चूमते हुए बड़ी तेज़ी से उसे चोद रहे थे.

"कुच्छ नही..आंटी.1 चूहा अचानक आ गया था..अब अपने बिल मे चला गया.",उसने सामने लगे शीशे मे अपने गुरु को देख कर उन्हे चूमने का इशारा किया.कामिनी की नशीली आँखे,मस्ती भरे चेहरे के साथ ऐसी हरकत ने चंद्रा साहब को पागल कर दिया.उन्होने उसका चेहरा घुमा कर उसके होंठो को अपने होंठो की क़ैद मे ले लिया & ऐसे धक्के मारे की कामिनी को भी शक़ हो गया की ये बुद्धा आदमी सच मे बुद्धा है भी या नही!आज दूसरी बार कामिनी 1 मर्द से उसकी अंजान बीवी की मौजूदगी मे चुद रही थी.इस ख़याल ने उसकी मस्ती और बढ़ा दी.उसने 1 नज़र टाय्लेट के बंद दरवाज़े पे डाली & दूसरी शीशे मे दिख रहे अपने आशिक़ पे & उनके लंड का लुत्फ़ उठाने लगी.

उसकी चूत का हाल बाद से बदतर हो गया..वो ज़्यादा देर तक चंद्रा साहब के लंड को बर्दाश्त नही कर पाई & झाड़ गयी.चंद्रा साहब को भी जल्दी थी,उन्हे भी डर था की कही उनकी बीवी बाहर ना आ जाए.उन्होने जल्दी-2 कुच्छ तेज़,गहरे धक्के लगाके अपनी शिष्या की चूत को अपने पानी से भर दिया.

जब मिसेज़.चंद्रा बाहर आई तो कामिनी अकेली वाहा उनका इंतेज़ार कर रही थी & चंद्रा साहब वापस पार्टी मे जा चुके थे.

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ठुकराल लॉन के बाहर पार्किंग मे आया तो माधो उसकी कार को दरवाज़ा खोल खड़ा हो गया.उसकी कार से कुच्छ दूरी पे 1 और कार खड़ी थी जिसका ड्राइवर खड़ा सिगरेट पी रहा था.ठुकराल ने अपनी जेब से पॅकेट निकाल कर 1 सिगरेट निकाली.उसने जेब मे दुबारा हाथ डाला पर लाइटर शायद वो घर भूल आया था,"अरे भाई!ज़रा सुनो.",

वो ड्राइवर पलटा तो ठुकराल ने उसे सिगरेट दिखा के माचिस माँगी.

ड्राइवर पास आया & ठुकराल की सिगरेट जलाने लगा,"सारी बाते हो चुकी हैं.शुक्रवार की रात को काम ठीक से हो जाना चाहिए."

"आप बेफ़िक्र रहे,सर.",टोनी ने सिगरेट जला के माचिस बुझाई & वापस अपने कार की ओर चला गया.ठुकराल सिगरेट पीते हुए अपनी कार मे बैठ गया.अब्दुल पाशा भी पार्किंग ही की तरफ आ रहा था मगर ये कह पाना मुश्किल है की उसने ठुकराल & टोनी को साथ देखा या नही.जो भी हो,शुक्रवार की रात शायद सबकी ज़िंदगी मे उथल-पुथल मचाने वाली थी.

क्रमशः.................
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12-31-2018, 04:02 PM,
#57
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--25

कामिनी करण के बिस्तर मे नंगी पड़ी थी & वो उसकी टाँगो के बीच घुटनो पे बैठा बड़ी तेज़ी से उसकी चूत मे अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था.उसके हाथ कामिनी के घुटनो को मोडे हुए थे & कामिनी के हाथ उसकी जाँघ पे लगे हुए थे & वो बहुत ज़ोर-2 से आहे भर रही थी.

"..ऊऊऊव्व्वव..!",कामिनी ने बदन कमान की तरह मोड़ कर पीठ बिस्तर से उठा दी &आँखे बंद किए हुए सर पीछे झुका के झाड़ गयी मगर करण अभी नही झाड़ा था.करण थोड़ी देर तक वैसे ही उसकी चूत मे लंड को शांत रखे बस प्यार से उसके बालो को सहलाता रहा.

थोड़ी देर बाद कामिनी ने आँखे खोली तो करण ने उसे घूम कर अपने घुटनो पे होने का इशारा किया.मुस्कुराती हुई कामिनी अपने घुटनो पे आ गयी,सहारे के लिए उसने पलंग के हेअडबोअर को थाम लिया.कारण ने अपना तना लंड पीछे से उसकी चूत मे घुसा दिया & 1 बार फिर उसकी चुदाई मे लग गया.थोड़ी देर मे ही फिर से कमरा कामिनी की मदहोश आहो से गुलज़ार हो गया.

उनके मज़े मे खलल डालता हुआ करण का मोबाइल बज उठा तो करण ने वैसे ही अपनी प्रेमिका को चोद्ते हुए 1 हाथ उसकी कमर से हटाया & फोन उठा लिया मगर नंबर देखते ही जैसे उसका जोश हवा हो गया.उसने झट से लंड बाहर खींचा तो कामिनी थोडा झल्ला के पीछे मूडी तो पाया की करण बात करते हुए बिस्तर से उतर गया था.

कामिनी को बहुत बुरा लगा...माना की उसके पिता का फोन थे मगर इस तरह से बीच मे छ्चोड़ कर जाना...हुंग!..."ओके..ठीक है...हां-2 मैं एरपोर्ट पहुँच जाऊँगा...थर्स्डे मॉर्निंग याद है बाबा!ह्म्म...",करण वही कमरे के दरवाज़े पे खड़ा बात कर रहा था & कामिनी पलंग पे मुँह फेरे पड़ी थी,तभी करण कमरे के बाहर चला गया & फिर कोई 1 मिनिट बाद वापस आया.

"आइ'एम सॉरी!..रियली सॉरी!",उसने करवट ले कर लेटी हुई कामिनी को पीछे से बाहो मे भरना चाहा तो कामिनी ने उसे परे धकेल दिया,"प्लीज़ जानेमन!..बुरा मत मानो...मुझे क्या च्छा लगा इस तरह से जाना!..मगर क्या करता..हेड ऑफीस से 1 सीनियर अफ़सर का फोन था..अब उसके चक्कर मे ये वीकेंड बर्बाद होने वाला है...वो यहा आ रहा है & मुझे उसकी खिदमत मे लगा रहना पड़ेगा...अब आ जाओ."

"..तो अभी भी उसी के पास चले जाओ,उसी के साथ अपनी प्यास बुझा लेना!",कामिनी ने तुनक के उसका हाथ झटक दिया.मगर वो कब तक कारण के इसरार को ठुकराती.दो नंगे जवान मर्द & औरत चाहे कितना भी खफा हों,उनके जिस्म तो उन्हे सुलह पे मजबूर कर ही देते हैं.कुच्छ करण की मिन्नतो & कुच्छ उसके जिस्म की गर्मी ने कामिनी को 1 बार फिर उसके घुटनो पे खड़ा कर दिया & करण फिर से अपनी प्रेमिका को डॉगी स्टाइल मे चोदने लगा...मगर कामिनी को इस बार उतना मज़ा नही आ रहा था...उसे ऐसा लगा जैसे की उस फोन के चलते कारण थोड़ा परेशान हो गया था & इसका असर उसकी चुदाई मे भी पड़ रहा था.

उसने सर घुमा कर उसे देखा तो उसे उसका शक़ यकीन मे बदलता नज़र आया-इस वक़्त चुदाई करते हुए भी करण थोड़ा असहज लग रहा था.उसने अपनी प्रेमिका को यू खुद को घूरते देखा तो झुक कर अपना सीने को उसकी पीठ से लगा दिया,फिर दाए हाथ से उसकी चूत & बाए से उसकी चूचियो को मसल उसके होंठ चूमता हुआ उसे चोदने लगा.

-------------------------------------------------------------------------------

आज शुक्रवार की रात थी & कामिनी अपने बिस्तर मे अकेली पड़ी करवटें ले रही थी.जब से उसके तीनो प्रेमी उसकी ज़िंदगी मे आए थे,शायद ही कोई रात उसने यू तन्हा बिताई हो & वीकेंड या छुट्टी के दिन तो वो जम के चुदाई का लुत्फ़ उठाती थी.मगर आज की रात हालात ही कुच्छ ऐसे बन गये थे.करण अपने अफ़सर के साथ लगा हुआ था & षत्रुजीत सिंग को भी आज कंपनी अकाउन्त के पेपर्स निपटाने थे,अगले हफ्ते से ऑडिटिंग शुरू होने वाली थी...& चंद्रा साहब..वो बेचारे तो बीवी की नज़र बचा के यहा आने से रहे.

रात के 12:30 बज रहे थे & कामिनी अभी भी करवटें बदल रही थी.उसने सोचा की थोडा टीवी देखा जाए.ड्रॉयिंग रूम मे जाके उसने टीवी ओं किया.चॅनेल्स बदलते हुए वो न्यूज़ चॅनेल पे पहुँची.."ब्रेकिंग न्यूज़....बॉर्नीयो मे गोलीबारी..1 शख्स की मौत.",सभी चॅनेल्स पे यही खबर आ रही थी.बॉर्नीयो पंचमहल का काफ़ी पुराना पब था & शायद उसमे ये पहली ऐसी घटना घटी थी....जयंत पुराणिक तो वाहा लगभग रोज़ ही जाते थे...कामिनी को ख़याल आया.उसने चॅनेल्स बदले...1 फिल्म चॅनेल पे 1 अच्छी फिल्म आ रही थी,कामिनी उसे देखने लगी...कोई 10 मिनिट बाद उसमे ब्रेक हुआ तो कामिनी ने वापस न्यूज़ चॅनेल लगाया.ठीक उसी वक़्त उसका मोबाइल भी बज उठा.

"हेलो,",कामिनी ने फोन कान से लगाया.

"का-..का..कामिनी..मा..मैं..करण बोल रहा हू...",वो काफ़ी घबराया हुआ था.

"हां,कारण बोलो..क्या हुआ?ऐसे घबराए क्यू हो?"

"कामिनी..कामिनी.."

"हां,करण बोलो क्या बात है?",अब कामिनी को भी चिंता होने लगी थी.

"मु-..मुझसे खून हो गया है.."

"क्या?!!",ठीक उसी वक़्त कामिनी ने टीवी स्क्रीन की ओर देखा,"..त्रिवेणी ग्रूप के वाइस-प्रेसीडेंट जयंत पुराणिक का खून."

"हां,कामिनी...पता नही कैसे-"

"करण,तुम इस वक़्त कहा हो?"

"पोलीस मुझे थाने ले जा रही है..बड़ी मुश्किल से तुम्हे कॉल करने की इजाज़त मिली है."

"ठीक है..मैं थोड़ी देर मे वाहा पहुँचती हू."

कोई 40 मिनिट बाद कामिनी थाने मे थी,"मेडम,इन्होने ही मिस्टर.पुराणिक का खून किया है,मर्डर वेपन भी हुमारे पास है & चश्मदीद गवाह भी."

"ठीक है,इनस्पेक्टर.क्या मैं 1 बार अपने क्लाइंट से मिल सकती हू?"

"जाइए...हवलदार इन्हे करण मेहरा के पास ले जाओ."

कामिनी लॉक-अप के पास पहुँची तो देखा की 1 खूबसूरत सी लड़की सलाखो के इस तरफ खड़े उनके पीछे खड़े कारण से बाते कर रही है,दोनो ने 1 दूसरे के हाथ थाम रखे थे.लड़की के बॉल बिल्कुल मॉडर्न अंदाज़ मे कंधो तक कटे हुए थे & उसने जीन्स के साथ 1 ब्राउन जॅकेट पहनी हुई थी,पैरो मे ऊँची हील्स के सॅंडल्ज़ थे.लड़की देखने से ही काफ़ी अमीर घराने की लग रही थी.

कामिनी को देखते ही करण ने लड़की का हाथ छ्चोड़ दिया,"आओ..कामिनी..मुझे यहा से निकालो..प्ल..प्लीज़..",उसके चेहरे का रंग बिल्कुल उड़ा हुआ था & इस हल्की ठंड के मौसम मे भी माथा पसीने से भीगा हुआ था.कामिनी ने लड़की की तरफ देखा,"हाई!कामिनी,आइ'एम शीना मित्तल.मैं करण की मंगेतर हू."
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12-31-2018, 04:03 PM,
#58
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी चौंक पड़ी,करण ने आजतक उसे इस बारे मे नही बताया था,उसने करण की ओर देखा तो करण ने नज़रे चुरा ली,"हेलो,शीना.मैने तुम्हे पहले कभी करण के साथ नही देखा?"

"मैं कल ही लंडन से यहा आई हू."

"ओह्ह..अच्छा हवलदार,ज़रा लॉक-अप खोलो."

"जी,मेडम.",कामिनी के अंदर जाते ही उसने लॉक-अप को वापस बंद कर दिया,"शीना,प्लीज़ ज़रा पानी की 1बॉटल ले आओगी."

"हां-2 क्यू नही.",शीना वाहा से चली गयी.

"कामिनी..वो मैं..मुझे...शीना...के..आइ मीन-.."

"देखो,करण मैने पहली रात ही तुम्हे कह दिया था की मैं हुमारे रिश्ते को कोई नाम नही देना चाहती थी.अगर तुमने मुझे शीना के बारे मे नही भी बताया तो मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता,लेकिन अब तुम मेरे क्लाइंट हो & मुझे बाते छुपाने वाले क्लाइंट्स बिल्कुल पसंद नही.मैने इनस्पेक्टर से जो भी बात की है उस से 1 बात तो तय है की तुम्हारे खिलाफ बहुत मज़बूत केस है,इसीलिए,अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी ठीक तरीके से मदद करू तो मुझे 1-1 बात बताओ.",तब तक शीना पानी ले आई थी.कामिनी ने करण को बॉटल थमायी जिसे उसने 1 ही घूँट मे खाली कर दिया,"..हां,अब बताओ,करण.",फिर वो शीना की तरफ घूमी,"शीना,अगर करण कोई बात मिस कर जाए तो तुम ध्यान रखना प्लीज़."

"ओके,कामिनी."

"शीना & मैं आज रात कोई 11 बजे बॉर्नीयो पहुँचे.मैं वाहा कभी-कभार जाता हू & वाहा का बारटेंडर भी मुझे पहचान गया है...मैं शीना को घुमाने के लिए ले गया था.हम बार के सामने स्टूल्स पे बैठे अपने ड्रिंक्स ले रहे थे.हुमारे स्टूल्स के 2 स्टूल्स बाद शीना की बाई तरफ 1 बूढ़े के साथ 2-3 लोग बैठे थे.बूढ़ा तो काफ़ी शरीफ लग रहा था मगर बाकियो को थोड़ी चढ़ गयी थी,उनमे से 1 उठ कर बाथरूम की तरफ गया & जाते हुए शीना की पीठ से जान बुझ कर सटा.मैने उसकी खबर उसी वतक़ लेता मगर इसने मुझे रोक दिया..",उसने बाहर खड़ी शीना की ओर इशारा किया,"..उस कमिने ने बाथरूम से लौटते हुए फिर वही हरकत दोहराई तो इस बार मुझ से रहा नही गया.मैं उठा & उसका कॉलर पकड़ लिया..हम दोनो मे हाथापाई होने लगी तो उसके साथ आए लोग बीच-बचाव करने लगे & शीना भी मुझे खींचने लगी.."

"..पब मे आकर मैने अपनी जॅकेट उतार दी थी..शीना मुझे मेरी जॅकेट पहनने लगी की तभी मेरे हाथ मे उसकी पॉकेट मे कुच्छ सख़्त चीज़ महसूस हुई...मैने उस से झगड़ते हुए उस चीज़ को निकाला,वो मेरी लाइसेन्स्ड पिस्टल थी...पता नही मुझे इतना नशा कैसे हो गया था..मैने पिस्टल उस पे तान दी..तो वो भी ताव मे आ गया..अब वो बूढ़ा शख्स हम दोनो के बिल्कुल बीच मे आ गया था & शीना भी मेरा हाथ खींचने लगी..& पता नही कब...& कैसे-कैसे गोली चल गयी & उस बूढ़े को लग गयी.",करण काँपने लगा.

कामिनी ने उसकी पीठ सहलाई,"करण..तुमने कितनी शराब पी थी?"

"वही अपनी रेग्युलर 2 पेग विस्की मगर मुझे नशा कुच्छ ज़्यादा हो गया था.",कामिनी सारी बाते नोट करती जा रही थी.

"कामिनी..मैं उसे मारना नही चाहता था..पता-"

"कोई बात नही,करण.सब ठीक हो जाएगा..1 बात बताओ.आख़िर तुमने अपनी जेब मे पिस्टल रखी ही क्यू?"

"पता नही,कामिनी.घर से निकालने से पहले मैने शीना को वो पिस्टल दिखाई थी मगर जहा तक मुझे याद है,उसे मैने वापस अपनी सेफ मे रख दिया था."

"शीना,तुमने माँगी थी गन?"

"हां.वो हुआ ये था कि कामिनी हम बाते कर रहे थे की आजकल रहजनी,लूट.मर्डर...क्राइम कितना बढ़ गया है & 1 आम आदमी इस से कैसे बच सकता है..1 बात से दूसरी बात निकली & करण ने मुझे अपनी पिस्टल के बारे मे बताया..तो मैने उस से दिखाने को कहा."

"तो तुमने उसे गन वापस सेफ मे रखते हुए देखा था?"

"पता नही,कामिनी.गन देखने के बाद मैं बाथरूम चली गयी थी.उसके बाद हम दोनो ही घर से निकल गये थे."

"ह्म्म..",कामिनी लॉक-अप से बाहर निकल आई,करण ने अंजाने मे जयंत पुराणिक का खून कर दिया था.उसने करण को दिलासा दिया & 1 बार फिर इनस्पेक्टर के पास चली गयी.

"मेडम,इसका ब्रहलाइसर टेस्ट दिखाता है की इसने काफ़ी शराब पी थी,फिर हमने इसका गन लाइसेन्स मगाया है.उस से मर्डर वेपन को मॅच करेंगे..वैसे वो तो बस 1 फॉरमॅलिटी ही है..जब इसने गोली चलाई उस वक़्त बारटेंडर मिस्टर.पुराणिक & उनके तीनो गेस्ट्स & इसकी मंगेतर के अलावा 5 और लोग थे.ऐसा हमे पब के स्टाफ ने बताया है.उन 5 मे से 3 लोगो से हमने कॉंटॅक्ट किया है,उनमे से 2 ने इसे गोली चलाते देखा था & 1 का कहना है उस वक़्त उसकी पीठ थी इसकी तरफ इसी लिए नही देख पाया लेकिन जब वो घुमा तो उसने इसे गन पकड़े खड़ा देखा था...अब बताइए...ऐसे मे ये क्या बच सकता है?"

"देखती हू,इनस्पेक्टर..",कामिनी खड़ी हो गयी,"..अगर भगवान ने चाहा तो बच भी सकता है.थॅंक्स.अब मैं चलती हू.",कामिनी थाने से निकलते हुए सोच रही थी की पुराणिक के खून के बाद भी शत्रुजीत यहा कैसे नही पहुँचा.

"..क्या?!षत्रुजीत सिंग के यहा....व्हाट?!",कामिनी ठिठक गयी.उसने घूम कर देखा.इनस्पेक्टर अपने फोन पे बात करते हुए चौंक कर खड़ा हो गया था,उसी वक़्त 1 हवलदार उसके पास आया,"सर,अभी-2 वाइर्ले पे कंट्रोल रूम से मेसेज आया हैकि-.."

"..कि शत्रुजीत सिंग की बीवी नंदिता का खून हो गया.",इनस्पेक्टर ने अपनी कॅप लगाई,"..पाठक को बुलाओ...पहले ये बॉर्नीयो का केस & अब ये..आज की रात की नींद तो गयी!"

क्रमशः.....................
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12-31-2018, 04:03 PM,
#59
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--26

"यह सब कैसे हुआ,जीत?",लॉक-अप मे बैठे षत्रुजीत सिंग का हाथ कामिनी ने अपने हाथ मे ले लिए,"..मुझे सब कुच्छ बिल्कुल शुरू से बताओ.",पोलीस ने शत्रुजीत को शक़ की बिना पे हिरासत मे ले लिया था.

"मैं अपने घर पे ही अपने स्टाफ के साथ काम कर रहा था.11 बजे तक सारे लोग चले गये बस मैं & अब्दुल काम कर रहे थे."

"सिर्फ़ तुम दोनो,क्यू?बाकी स्टाफ क्यू नही था तुम्हारे साथ?"

"क्यूकी वो बहुत सेन्सिटिव फाइल्स थी ,कामिनी जिनके बारे मे मेरे & अब्दुल के सिवा बस अंकल जे ही जानते थे."

"हूँ,फिर?"

"रात के 12 बजे मैं कुच्छ काग़ज़ लेने नीचे हाल से उपर अपने बेडरूम को गया.पहली मंज़िल पे बिल्कुल अंधेरा था,सारे नौकर भी अपने कमरो मे जा चुके थे.मेरा बेडरूम लॉक था...नंदिता अक्सर ऐसा करती थी.हम दोनो के पास अपनी-2 चाभीया थी.मैने अपनी जेब से चाभी निकाल कर दरवाज़ा खोला & जैसे ही अंदर कदम रखा,मेरा पैर किसी चीज़ से टकराया."

"..कमरे मे भी अंधेरा था.मैने वो चीज़ उठाई & फ़ौरन लाइट का स्विच ऑन किया.मैने देखा की वो चीज़ मेरी पिस्टल थी & सामने कुर्सी पे नंदिता पड़ी थी.उसकी बाई कनपटी से खून बह रहा था & उसका सर भी उसी तरफ झुका हुआ था.मैने फ़ौरन अब्दुल को आवाज़ दी & आंब्युलेन्स & पोलीस को बुलाने को कहा..साथ ही उसे सभी गार्ड्स को सारी लाइट ऑन कर बंगल का चप्पा-2 छानने को कहा."

"..मैं जानता था की नंदिता मर चुकी है.",शत्रुजीत चुप होकर दूसरी तरफ देखने लगा.कामिनी ने उसके कंधे पे अपना हाथ रखा,"..वो पिस्टल लगातार मेरे हाथ मे थी.सारे नौकरो ने भी मुझे उसे पकड़े देखा.पोलीस को शक़ हुआ & मैं यहा हू."

"जीत,तुम्हारी & नंदिता की शादी के बारे मे तुम मुझे पहले भी बता चुके हो..पर कुछ ऐसी बात जो तुमने मुझे ना बताई हो?"

"मैं उसे तलाक़ देना चाहता था.अभी कुच्छ ही दिन पहले मैने उसे ये बात बताई.शुरू मे तो उसने कुच्छ नही कहा..मगर बाद मे उसने सॉफ मना कर दिया."

"तुम दोनो का इस बात पे झगड़ा हुआ?"

"हुन्ह..",शत्रुजीत 1 फीकी हँसी हंसा,"..झगड़े के लिए भी दिल मे कुच्छ भावनाए होनी चाहिए..हम दोनो के बीच तो इतना सा भी लगाव नही था,लेकिन हुमारी बहस ज़रूर हुई थी."

"किसी ने सुनी थी ये बहस?"

शत्रुजीत थोड़ी देर सोचता रहा,"..शायद 1 बार नंदिता की नौकरानी ने सुना हो."

"ओके."

"कामिनी,मैने सुना है कि अंकल जे के क़ातिल का केस भी तुम ही लड़ रही हो?"

"हां."

"कामिनी,तुम जानती हो अंकल जे मेरे लिए क्या थे,फिर भी?"

"जीत,करण भी मेरा क्लाइंट है,फिर अगर उसने गुनाह किया है तो उसे सज़ा ज़रूर मिलेगी,लेकिन उसे भी तो 1 बार अपना बचाव करने का हक़ है ना!"

"पता नही.मुझे ये ठीक नही लगा."

"प्लीज़ जीत,मेरी हालत को समझो."

"हूँ."

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

कामिनी कोर्टरूम मे जड्ज & सरकारी वकील के आने का इंतेज़ार कर रही थी,"मॅ'म,मुझे नही लगता करण मेहरा की ज़मानत होगी?",मुकुल ने सारे पेपर्स सॅंजो कर उसके सामने रख दिए.

"हां,मुकुल.बहुत बुरा फँसा है..पर हमे कोशिश तो करनी ही है.",तभी कुच्छ शोर सा हुआ तो कामिनी ने देखा की सरकारी वकील अपनी असिस्टेंट के साथ चला आ रहा था.वो दोनो और कोई नही उसका पूर्व पति विकास & उसकी प्रेमिका सीमी थे.कामिनी चौंक गयी पर उसने अपने चेहरे पे कोई भाव नही आने दिया.उसने देखा की उसे देख सीमी ने नज़रे झुका ली थी & अपने हाथ मे पकड़ी फाइल देखने का नाटक कर रही थी.कामिनी मन ही मन उस पे हँसी.विकास को देख वो थोड़ा असहज तो हुई थी मगर फिर उसे ख़याल आया कि उस से रिश्ता टूटने के बाद उसकी ज़िंदगी कितनी रोमांचकारी हो गयी.उसके तीनो प्रेमियो से उसे जो खुशी,जो सुकून मिला वो शायद विकास के साथ भी कभी नही मिला था.

"हेलो,विकास.",विकास भी थोड़ा सकपका रहा था मगर कामिनी की पहल ने उसे भी सहज कर दिया,"हाई!कामिनी.कैसी हो?",उसने मुकुल को भी सर हिला के उसकी हाई का जवाब दिया.

"हाई!सीमी",कामिनी सीमी से मुखातिब हुई तो उसने भी सर झुकाए जल्दी से हेलो कहा.ठीक उसी वक़्त जड्ज के आने का एलान हुआ & सीमी ने चैन की सांस ली.जड्ज रस्टों कवास अपनी कुर्सी पे बैठे & कोर्ट की करवाई शुरू करने का हुक्म दिया.रस्टों कवास की ईमानदारी & क़ानून की समझ की सभी मिसाले देते थे,"मॅ'म,ये तो कभी ज़मानत नही देगा.",मुकुल कामिनी के पीछे फुसफुसाया.

और हुआ भी यही.सारे सबूत-करण की लाइसेन्स्ड गुण की बेलिस्टिक रिपोर्ट,चस्मडीद गवाहॉ के बयान & सीक्ट्व कॅमरा की फुटेज,सभी करण को ही दोषी करार दे रहे थे.जड्ज कवास ने उसकी पुलिस रेमांड और 15 दीनो के लिए बढ़ा दी.

"करण,तुम फ़िक्र मत करना.मुझपे भरोसा रखो.ओके.",मायूस करण सर झुकाए हवलदरो के साथ पोलीस वन मे बैठ गया.

कामिनी वापस कोर्टरूम मे आई.जड्ज भी वही था & सरकारी वकील भी मगर इस बार केस था नंदिता सिंग के क़त्ल का.

"षत्रुजीत सिंग जी,आपकी अपनी बीवी से कैसी नीभती थी?",शत्रुजीत कटघरे मे खड़ा था & विकास उस से सवाल कर रहा था.

"जी,ठीक-ठाक."

"ज़रा इस ठीक-ठाक पे रोशनी डालेंगे."

"जी हम 1 दूसरे को चाहते नही थे मगर हुमारे दिलो मे 1 दूसरे के लिए बहुत इज़्ज़त थी."

"तो फिर आपने उनका खून क्यू किया?"

"ऑब्जेक्षन,मिलर्ड!",कामिनी की आवाज़ खचाखच भरे कोर्टरूम मे गूँजी,"अभी तक जुर्म साबित नही हुआ है,युवर ऑनर & उसके पहले मेरे मुवक्किल से ऐसे सवाल नही किए जा सकते."

"ऑब्जेक्षन सस्टेंड."

"मिलर्ड,".विकास ने जड्ज कवास को देख के सर झुकाया,"..तो आपकी अपनी पत्नी के साथ नही बनती थी?"

"जी."

"उसकी कोई खास वजह."

"जी नही.बस यू समझिए की हम 2 बिल्कुल अलग सोच के लोग थे जो हालत की वजह से शादी के बंधन मे बँध गये."

"मिस्टर.सिंग,आपके अपनी बीवी के अलावा भी और किसी औरत से संबंध रहे हैं?"

"जी."

"आपकी बीवी का आपकी इस हरकत पे क्या कहना था?"

"उसे कोई फ़र्क नही पड़ता था."

"मुलज़िम झूठ बोल रहा है,मिलर्ड!दुनिया की कोई भी औरत अपने पति की बेवफ़ाई नही बर्दाश्त कर सकती.युवर ऑनर,मुलज़िम का अपनी बीवी से झगड़ा हुआ & उसे इतना गुस्सा आया की उसने अपनी बीवी पे गोली चला दी.ये खून जज़्बाती होकर किया गया था,इसीलिए उसे सबूत मिटाने या च्छुपाने का वक़्त नही मिला & वो पकड़ा गया.मिलर्ड मेरी आपसे इल्तिजा है कि मुलज़िम की ज़मानत की अर्ज़ी खारिज कर उसे पोलीस हिरासत मे ही रहने दिया जाए."
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12-31-2018, 04:03 PM,
#60
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"मिलर्ड,सरकारी वकील ने दलील तो अच्छी दी है मगर इनके पास कोई गवाह है जो ये साबित करे की उस रात शत्रुजीत & नंदिता सिंग मे कोई झगड़ा हुआ था."

"उस रात तो नही मगर मेरे पास 1 गवाह है जो ये बताएगा कि इनके & इनकी पत्नी के बीच मे किस बात को लेके मनमुटाव चल रहा था.मैं गवाह को पेश करने की इजाज़त चाहता हू."

"इजाज़त है."

"शांति,अपना परिचय दो?"

"मैं नंदिता मेडम की मैड थी."

"तुमने उनकी मौत से कुच्छ दिन पहले उन्हे शत्रुजीत जी से क्या बात करते सुना था?"

"जी..साहब कुच्छ कह रहे थे जो शायद मेडम नही मान रही थी.मैने बस इतना सुना की तो तुम नही मनोगी & मेडम ने कहा नही..इसके बाद साहब कमरे से बाहर चले गये."

"आप क्या माँग रहे थे,मिस्टर.सिंग?"

"तलाक़.",कोर्ट मे ख़ुसर-पुसर होने लगी.

"ऑर्डर!ऑर्डर!"

"अब तो केस आईने की तरह सॉफ हो गया मिलर्ड.क़त्ल की 1 जायज़ वजह भी मिल गयी.दट'स ऑल."

विकास के बैठते ही कामिनी खड़ी हुई,"मिलर्ड.मुझे मिस्टर.सिंग से कुच्छ नही पुच्छना है बल्कि मैं 1 दूसरा गवाह पेश करूँगी.आपकी इजाज़त चाहिए."

"गो अहेड."

"मिस्टर.सिंग,आप नंदिता जी के पिता हैं?"

"जी."

"आपको अपने बेटी & दामाद के बीच के रिश्ते की असलियत मालूम थी."

"जी,हां.नंदिता या शत्रु ने हमसे कभी कुच्छ नही च्छुपाया था."

"मिस्टर.सिंग,आपकी बेटी से आपका रिश्ता कैसा था?"

"जैसा 1 बाप & बेटी का होना चाहिए.लगभग हर दूसरे तीसरे दिन हम फोन के ज़रिए 1 दूसरे का हाल तो लेते ही थे,मौका मिलने पे मुलाकात भी होती थी."

"तो कभी आपको आपकी बेटी ने शत्रुजीत जी के तलाक़ माँगने की बात बताई थी."

"नही."

"पॉइंट टू बी नोटेड मिलर्ड,सरकारी वकील साहब के मुताबिक जिस बात के चलते नंदिता जी का खून हो गया,वो उतनी ज़रूरी बात उन्होने अपने पिता तक को नही बताई..उस पिता को जिनसे वो हुमेशा बात करती थी या फिर मिलती थी."

"मिस्टर.सिंग,आप अपने दामाद के बारे मे तो अख़बारो मे पढ़ते ही रहते होंगे?"

"जी."

"उनमे उनकी दूसरी लड़कियो के साथ संबंध होने की भी बाते छपती रहती हैं."

"जी,और वो सच्ची हैं..मैने पहले ही कहा मेरे बेटी-दामाद कभी भी कुच्छ नही छिपाते थे.मुझे शत्रु की ऐसी बाते अच्छी तो नही लगती थी मगर मेरी बेटी को ही जब इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता था तो फिर मेरी नाराज़गी भी मुझे जायज़ नही लगी."

"अनदर पॉइंट,मिलर्ड.नंदिता जी को शत्रुजीत सिंग के दूसरी औरतो से ताल्लुक़ात से कोई ऐतराज़ नही था.",वो फिर नंदिता के पिता से मुखातिब हुई,"फिर उन्होने तलाक़ वाली बात आपको क्यू नही बताई?"

"ये तो मैं नही जानता."

"वैसे आपको क्या लगता है,क्या दोनो को तलाक़ ले लेना चाहिए था."

"जी,बिल्कुल.ऐसी शादी का कोई मतलब ही नही था."

"तो आपकी बेटी के ना करने की वजह आपको क्या लगती है?"

"मुझे कोई अंदाज़ा नही."

"आपको लगता है की आपका दामाद आपकी बेटी का खून कर सकता है?"

"जी नही,शत्रु को अपने पिता से सच्चाई & ईमानदारी विरासत मे मिली है.इसमे किसी और का हाथ है & मेरे दामाद को फँसाया गया है."

"थॅंक यू,मिस्टर.सिंग.",वो विकास की ओर मूडी,"युवर विटनेस."

"नो क्वेस्चन्स.",नंदिता के पिता के बयान ने पलड़ा शत्रुजीत की तरफ झुका दिया था.

"अब मैं शांति जी से कुच्छ सवालात करना चाहूँगी,मिलर्ड."

"प्लीज़ प्रोसीड."

"शांति जी,आप कब से नंदिता जी के साथ थी?"

"जी,जबसे वो शादी करके साहब के घर आई."

"इतने सालो मे कभी आपके साहब ने आपके साथ कोई बुरा बर्ताव या छेड़खानी की?"

"जी नही."

"क़त्ल वाली रात को आप क़त्ल की जगह पहुँची तो आपने क्या देखा?"

"पूरे घर मे हड़कंप मचा था.गार्ड्स सारे कॉंपाउंड की लाइट्स जला के चप्पा-2 छान रहे थे.मैं भागती हुई नीचे अपने कमरे से उपर साहब-मेडम के कमरे तक पहुँची तो देखा की मेडम की लाश कुर्सी पे पड़ी है & साहब & पाशा साहब खड़े बाते कर रहे हैं."

"क्या बाते कर रहे थे दोनो?"

"पाशा साहब कह रहे थे की भाई आपने ज़मीन से गन क्यू उठाई तो साहब ने बोला की मुझे क्या पता था की वो गन है..अंधेरे मे मुझे कुच्छ दिखा ही नही..फिर पाशा साहब बोले की गन को वापस फर्श पे उसी जगह रख दो पर साहब नही माने."

"शत्रुजीत जी ने आपसे कुच्छ कहा?"

"हां,उन्होने मुझसे पुचछा की मैने मेडम को आख़िरी बार कब देखा था तो मैने बताया की 11 बजे उनका सारा काम करके मैं अपने कमरे मे चली गयी थी.."

"और?"

"..फिर हम सब नौकरो को इकट्ठा करके साहब ने कहा कि हम सब पोलीस को सारी सच बात बताएँगे.ऐसा करने से ही मेडम के खूनी का पता चलेगा."

"थॅंक यू,शांति जी."

"मिलर्ड!किस पति-पत्नी के बीच अनबन नही होती",उसने विकास पे 1 नज़र डाली तो उसने मुँह घुमा लिया,"..हां मेरे क्लाइंट & उनकी बीवी के बीच बहुत ज़्यादा थी मगर मेरे गवाहॉ के बयान ने साबित कर दिया है की मेरे क्लाइंट ने उस अनबन की वजह से अपनी बीवी का क़त्ल नही किया है..पिच्छले 2 दीनो से मेरे मुवक्किल पोलीस की हिरासत मे है.उन्होने अपनी मर्ज़ी से पोलीस को सारी जानकारी दी है.मुझे नही लगता कि उनकी पोलीस रेमांड बढ़ाने की कोई ज़रूरत है.मेरी आपसे गुज़ारिशा है की उनकी ज़मानत की अर्ज़ी मंज़ूर कर ली जाए."

जड्ज कवास थोड़ी अर तक कुच्छ पेपर्स देखते रहे,"अदालत इस नतीजे पे पहुँची है कि मुलज़िम ने पोलीस & क़ानून की 1 अच्छे शहरी की तरह मदद ही की है लेकिन वो अभी भी शक़ के दायरे से बाहर नही हुआ है.साथ ही अदालत को ये भी लगता है की पोलीस के पास अब उसे हिरासत मे रखने की कोई ठोस वजह नही है लिहाज़ा अदालत उसकी ज़मानत की अर्ज़ी मंज़ूर करती है.मुलज़िम को ज़मानत के तौर पे 25000 रुपये अदालत के पास जमा करने होंगे & वो केस की सुनवाई पूरी होने तक बिना अदालत की इजाज़त के शहर या मुल्क के बाहर नही जा सकता."

"..ऐसा करने पे उसकी ज़मानत अपनेआप रद्द हो जाएगी & उसे फ़ौरन हिरासत मे लिया जाएगा.केस की अगली सुनवाई 3 हफ़्तो के बाद होगी."

क्रमशः...........................
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